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वृत्त 10ण्1 भूमिका आपने कक्षा प्ग् में पढ़ा है कि वृत्त एक तल के उन ¯बदुओं का समूह होता है जो एकनियत ¯बदु ;वेंफद्रद्ध से अचर दूरी ;त्रिाज्याद्ध पर होते हैं। आपने वृत्त से संबंिातअवधारणाओं जैसे जीवा, वृत्तखंड, त्रिाज्यखंड, चाप आदि के बारे में भी पढ़ा है। आइएअब एक तल में स्िथत एक वृत्त तथा एक रेखा की विभ्िान्न स्िथतियों पर विचार करें। आवृफति 10ण्1 आपने वुफएँ के ऊपर स्िथर की हुइर् एक घ्िारनी को देखा होगा जिसका उपयोग वुफएँ से पानी निकालने के लिए किया जाता है। आवृफति 10.2 को देख्िाए। यहाँ घ्िारनी के दोनों ओर की रस्सी कोयदि किरण की तरह समझें तो वह घ्िारनी द्वारा निरूपित वृत्त पर स्पशर् रेखा की तरह होगी। ऊपर दी गइर् स्िथतियों के अतिरिक्त क्या वृत्त के सापेक्ष रेखा की कोइर् अन्य स्िथति हो सकती है? आप देख सकते हैं कि इनआवृफति 10ण्2 स्िथतियों के अतिरिक्त रेखा की वृत्त के सापेक्ष कोइर् अन्य स्िथति नहीं हो सकती है। इस अध्याय मंेहम वृत्त की स्पशर् रेखा के अस्ितत्व के बारे में पढ़ेंगे तथा उनके वुफछ गुणों का भी अध्ययन करेंगे। 10ण्2 वृत्त की स्पशर् रेखा पिछले परिच्छेद में आपने देखा है कि किसी वृत्तकी स्पशर् रेखा वह रेखा है जो वृत्त को केवल एक ¯बदु पर प्रतिच्छेद करती है। वृत्त के किसी ¯बदु पर स्पशर् रेखा के अस्ितत्व को समझने के लिए आइए हम निम्न ियाकलाप करें। ियाकलाप 1 रू एक वृत्ताकार तार लीजिए तथा वृत्ताकार तार के एक ¯बदु च् पर एक सीधा तार ।ठ इस प्रकार जोडि़ए कि वह ¯बदुच् के परितः एक समतल में घूम सके। इस प्रणाली को एक मेज़ पर रख्िाए तथा तार।ठ को ¯बदु च् के परितः ध्ीमे - ध्ीमे घुमाइए जिससे सीधे तार की विभ्िान्न अवस्थाएँ प्राप्त हो सवेंफ ¹देख्िाए आवृफति 10ण्3;पद्धह्। विभ्िान्न स्िथतियों में तार, वृत्ताकार तार को ¯बदु च् एवं एक अन्य ¯बदुफ1 याफ2 याफ3 आदि पर प्रतिच्छेदितकरता है। एक स्िथति में, आप देखेंगे कि वह वृत्त को केवल एक ¯बदु च् पर ही प्रतिच्छेदित करेगा ;।ठ की स्िथति।′ठ′ को देख्िाएद्ध। ये यह दशार्ता है कि वृत्त के एक ¯बदु पर एक स्पशर् रेखा का अस्ितत्व है। पुनः घुमाने पर आप प्रेक्षण कर सकते हैं कि।ठ की अन्य सभी स्िथतियों में वह वृत्त को ¯बदु च् तथा एक अन्य ¯बदु त्1 या त्2 या त्3 आदि पर प्रतिच्छेद करता है। इस प्रकार आप पे्रक्षण कर सकते हैं कि वृत्त के एक ¯बदु पर एक और केवल एक स्पशर् रेखा होती है। उपयुर्क्त ियाकलाप करते हुए आपने अवश्य प्रेक्षण किया होगा कि जैसे - जैसे स्िथति ।ठ से स्िथति।′ ठ′ की ओर बढ़ती है, रेखा।ठ और वृत्त का उभयनिष्ठ ¯बदु फ1ए उभयनिष्ठ ¯बदु च् की ओर निकट आता जाता है। अंततः, ।ठ की स्िथति ।′ठ′ में वह ¯बदु च् के संपाती हो जाता है। पुनः ध्यान दीजिए कि क्या होता है जब ।′′ठ′′ए च् के परितः दक्ष्िाणावतर् घुमाया जाता है? उभयनिष्ठ ¯बदु त्3 ध्ीरे - ध्ीरे ¯बदु च् की ओर अग्रसर होता है तथा अंततः च् से संपाती हो जाता है। इस प्रकार हम देखते हैंः किसी वृत्त की स्पशर् रेखा छेदक रेखा की एक विश्िाष्ट दशा है जब संगत जीवा के दोनों सिरे संपाती हो जाएँ। ियाकलाप 2 रू एक कागज पर एक वृत्त औरवृत्त की छेदक रेखा च्फ खींचिए। छेदक रेखा के समांतर दोनों ओर अनेक रेखाएँ खींचिए। आप पाएँगे कि वुफछ चरणों के बाद रेखाओं द्वारा काटी गइर् जीवा की लंबाइर् ध्ीरे - ध्ीरे कम हो रही हैअथार्त् रेखा तथा वृत्त के दोनों प्रतिच्छेद ¯बदु पास आ रहे हैंख्देख्िाए आवृफति10ण्3;पपद्ध,।एक स्िथति में छेदक रेखा के एक ओर यह लंबाइर् तथा दूसरी स्िथति में यह दूसरी ओर शून्य हो जाती है। छेदक रेखा की स्िथतियों च्′फ′ तथा च्′′फ′′ की आवृफति 10ण्3 ;पपद्ध में अवलोकन कीजिए। ये दोनों रेखाएँ दी गयी छेदक रेखा च्फ के समांतर दो स्पशर् रेखाएँ हैं इससे आपको यह जानने में सहायता मिलती है कि एक छेदक रेखा केसमांतर वृत्त की दो से अध्िक स्पशर् रेखाएँ नहीं होती हैं। इस ियाकलाप से यह निष्कषर् भी निकलता है कि स्पशर् रेखा छेदक रेखा की एक विशेष स्िथति है जब उसकी संगत जीवा के दोनों सिरे संपाती हो जाएँ। स्पशर् रेखा और वृत्त के उभयनिष्ठ ¯बदु को स्पशर् ¯बदु ¹आवृफति 10ण्1 ;पपपद्ध में ¯बदु ।ह् कहते हैं तथा स्पशर् रेखा को वृत्त के उभयनिष्ठ ¯बदु पर स्पशर् करना कहते हैं। अब आप अपने चारों ओर देख्िाए। क्या आपने एक साइकिल अथवा एक बैलगाड़ी को चलते देखा है? इनके पहियों की ओर दे ख्िाए। एक पहिए की सभी तीलियाँ इसकी त्रिाज्याओं वेुंै फ अनरूप ह। अब पहिए की स्िथति का धरती पर गति करने के सापेक्ष व्याख्या कीजिए। क्या आपको कहीं स्पशर् रेखा दिखती है? ;देख्िाए आवृफति 10.4द्ध। वास्तव आवृफति 10ण्4 में पहिया एक रेखा के अनुदिश गति करता है जो पहिये को निरूपित करने वाले वृत्त पर स्पशर् रेखा है। यह भी देख्िाए कि सभी स्िथतियों में आवृफति 10.4 ध्रती के स्पशर् ¯बदु से जाने वाली त्रिाज्या स्पशर् रेखा पर लंब दृष्िटगोचर होती है ;देख्िाए आवृफति 10.4द्ध। अब हम स्पशर् रेखा के इसगुण को सि( करेंगे। प्रमेय 10ण्1 रू वृत्त के किसी ¯बदु पर स्पशर् रेखा स्पशर् ¯बदु से जाने वाली त्रिाज्या पर लंबहोती है। उपपिारू हमें वेंफद्र व् वाला एक वृत्त दिया है और एक ¯बदु च् पर स्पशर् रेखा ग्ल् दी है। हमेंसि( करना है कि व्च्ए ग्ल् पर लंब है। ग्ल् पर च् के अतिरिक्त एक ¯बदु फ लीजिए और व्फ को मिलाइए ;देख्िाए आवृफति 10.5द्ध। ¯बदु फ वृत्त के बाहर होना चाहिए ;क्यों? ध्यान दीजिए कि यदि फ वृत्त के अंदर है तो ग्ल् वृत्त की एक छेदक रेखा हो जाएगी और वह वृत्त की स्पशर् रेखा नहींहोगीद्ध। अतः,व्फ त्रिाज्याव्च् से बड़ी है। अथार्त् व्फ झ व्च् क्योंकि यह ¯बदु च् के अतिरिक्त ग्ल् के प्रत्येक ¯बदु के लिए सत्य है, व्च् ¯बदु व् सेग्ल् के अन्य ¯बदुओं आवृफति 10ण्5 की न्यूनतम दूरी है। इसलिए व्च्ए ग्ल् पर लंब है ;जैसा कि प्रमेय।1ण्7 में दशार्या गया हैद्ध। ऽ टिप्पणी रू 1ण् उपयुर्क्त प्रमेय से हम यह भी निष्कषर् निकाल सकते हैं कि वृत्त के किसी ¯बदु पर एक और केवल एक स्पशर् रेखा होती है। 2ण् स्पशर् ¯बदु से त्रिाज्या को समाहित करने वाली रेखा को वृत्त के उस ¯बदु पर ‘अभ्िालंब’भी कहते हैं। प्रश्नावली 10ण्1 1ण् एक वृत्त की कितनी स्पशर् रेखाएँ हो सकती हैं? 2ण् रिक्त स्थानों की पू£त कीजिएः ;पद्ध किसी वृत्त की स्पशर् रेखा उसे ¯बदुओं पर प्रतिच्छेद करती है। ;पपद्ध वृत्त को दो ¯बदुओं पर प्रतिच्छेद करने वाली रेखा को कहते हैं। ;पपपद्ध एक वृत्त की समांतर स्पशर् रेखाएँ हो सकती हैं। ;पअद्ध वृत्त तथा उसकी स्पशर् रेखा के उभयनिष्ठ ¯बदु को कहते हैं। 3ण् 5 सेमी त्रिाज्या वाले एक वृत्त के ¯बदु च् पर स्पशर् रेखा च्फ वेंफद्रव् से जाने वाली एक रेखा से ¯बदु फ पर इस प्रकार मिलती है किव्फ त्र 12 सेमी।च्फ की लंबाइर् हैः ;।द्ध 12 सेमी ;ठद्ध 13 सेमी ;ब्द्ध 8ण्5 सेमी ;क्द्ध 119 सेमी 4ण् एक वृत्त खींचिए और दो एक दी गइर् रेखा के समांतर दो ऐसी रेखाएँ खींचिए कि उनमें से एक स्पशर् रेखा हो तथा दूसरी छेदक रेखा हो। 10ण्3 एक ¯बदु से एक वृत्त पर स्पशर् रेखाओं की संख्या किसी ¯बदु से वृत्त पर खींची गइर् स्पशर् रेखाओं की संख्या के बारे में जानने के लिए निम्न ियाकलाप करेंः ियाकलाप 3 रू एक कागज़ पर एक वृत्त खींचिए। एक ¯बदु च् इसके अंदर लीजिए। उस ¯बदु से वृत्त पर स्पशर् रेखा खींचने का प्रयत्न कीजिए। आप क्या पाते हैं? आप पाते हैं कि इससे खींची गइर् प्रत्येकरेखा वृत्त को दो ¯बदुओं पर परिच्छेद करती है इसलिए इन रेखाओं में से कोइर् स्पशर् रेखा नहीं हो सकती ख्देख्िाए आवृफति 10ण्6 ;पद्ध,। पुनः, वृत्त पर एक ¯बदु च् लीजिए तथा इस ¯बदु से स्पशर् रेखाएँ खींचिए। आपने पहले से हीप्रेक्षण किया है कि वृत्त के इस ¯बदु पर एक ही स्पशर् रेखा होती है ख्देख्िाए आवृफति 10ण्6 ;पपद्ध,। अंत में वृत्त के बाहर एक ¯बदुच् लीजिए और;पपद्धवृत्त पर इस ¯बदु से स्पशर् रेखाएँ खींचने का प्रयत्न करिए। आप क्या प्रेक्षण करते हैं? आप पाएँगे किइस ¯बदु से वृत्त पर दो और केवल दो स्पशर् रेखाएँ खींच सकते हैं ;देख्िाए आवृफति 10ण्6 ;पपपद्ध,। संक्षेप में हम इन यथाथो± को निम्न स्िथतियों में प्रकट कर सकते हैं। स्िथति 1 रू वृत्त के अंदर स्िथत किसी ¯बदु से जाने ;पपपद्ध वाली वृत्त पर कोइर् स्पशर् रेखा नहीं है। आवृफति 10ण्6 स्िथति 2 रू वृत्त पर स्िथत किसी ¯बदु से वृत्त पर एक और केवल एक स्पशर् रेखा है। स्िथति 3 रू वृत्त के बाहर स्िथत किसी ¯बदु से जाने वाली वृत्त पर दो और केवल दो स्पशर् रेखाएँ हैं। आवृफति 10ण्6 ;पपपद्ध में स्पशर् रेखाओं च्ज्1 तथा च्ज्2 के क्रमशः ज्1 तथा ज्2 स्पशर् ¯बदु हैं। वाह्य ¯बदु च् से वृत्त के स्पशर् ¯बदु तक स्पशर् रेखा खंड की लंबाइर् को ¯बदु च् से वृत्त पर स्पशर् रेखा की लंबाइर् कहते हैं। ध्यान दीजिए कि आवृफति 10ण्6 ;पपपद्ध मेंच्ज्और च्ज्¯बदुच् से वृत्त पर स्पशर् रेखाओं की 12 लंबाइयाँ हैं। लंबाइयों च्ज्1 और च्ज्2 में एक उभयनिष्ठ गुण है। क्या आप इसे प्राप्त कर सकते हैं?च्ज्1 और च्ज्2 को मापिए। क्या ये बराबर हैं? वास्तव में सदैव ऐसा ही है। आइए इस तथ्यकी एक उपपिा निम्न प्रमेय में दें। प्रमेय 10ण्2 रू वाह्य ¯बदु से वृत्त पर खींची गइर् स्पशर् रेखाओं की लंबाइयाँ बराबर होती है। उपपिा रू हमें वेंफद्र व् वाला एक वृत्त, वृत्त के बाहर का एक ¯बदुच् तथाच् से वृत्त पर दो स्पशर् रेखाएँच्फए च्त् दी है ;देख्िाए आवृफति 10.7द्ध। हमें सि( करना है कि च्फ त्र च्त् इसके लिए हम व्च्ए व्फ और व्त् को मिलाते हैं। तब ∠व्फच् तथा ∠व्त्च् समकोण हैं क्योंकि ये त्रिाज्याओं और स्पशर् रेखाओं के बीच के कोण हैं और थ्पहण् 10ण्7 प्रमेय 10.1 से ये समकोण है। अब समकोण त्रिाभुजों व्फच् तथा व्त्च् में, व्फ त्र व्त् ;एक ही वृत्त की त्रिाज्याएँद्ध व्च् त्र व्च् ;उभयनिष्ठद्ध अतः Δव्फच् ≅Δव्त्च् ;त्भ्ै सवा±गसमता द्वाराद्ध इससे प्राप्त होता है च्फ त्र च्त् ;ब्च्ब्ज्द्ध ऽ टिप्पणी रू 1ण् प्रमेय को पाइथागोरस प्रमेय का प्रयोग करके भी निम्न प्रकार से सि( किया जा सकता हैः च्फ2 त्र व्च्2 दृ व्फ2 त्र व्च्2 दृ व्त्2 त्र च्त्2 ;क्योंकि व्फ त्र व्त्द्ध जिससे प्राप्त होता है कि च्फ त्र च्त् 2ण् यह भी ध्यान दीजिए कि∠व्च्फ त्र ∠व्च्त् । अतःव्च् कोण फच्त् का अध्र्क है, अथार्त्वृत्त का वेंफद्र स्पशर् रेखाओं के बीच के कोण अध्र्क पर स्िथत होता है। आइए, अब वुफछ उदाहरण लें। उदाहरण 1 रू सि( कीजिए कि दो सवेंफद्रीय वृत्तों में बड़े वृत्त की जीवा जो छोटे वृत्त को स्पशर् करती है, स्पशर् ¯बदु पर समद्विभाजित होती है। हल रू हमें वेंफद्रव् वाले दो सवेंफद्रीय वृत्त ब्और ब्तथा 12 बड़े वृत्त ब्की जीवा ।ठए जो छोटे वृत्त ब्को ¯बदु च् 12 पर स्पशर् करती है, दिए हैं ;देख्िाए आवृफति 10.8द्ध। आवृफति 10ण्8 हमें सि( करना है कि ।च् त्र ठच् आइए व्च् को मिलाएँ। इस प्रकार ।ठए ब्2 के ¯बदु च् पर स्पशर् रेखा है औरव्च् त्रिाज्या है। अतः प्रमेय 10.1 से व्च् ⊥ ।ठ अब।ठ वृत्त ब्1 की एक जीवा है और व्च् ⊥ ।ठ है। अतः,व्च् जीवा ।ठ को समद्विभाजित करेगी क्योंकि वेंफद्र से जीवा पर खींचा गया लंब उसे समद्विभाजित करता है, अथार्त् ।च् त्र ठच् उदाहरण 2 रू वेंफद्र व् वाले वृत्त पर बाह्य ¯बदु ज् से दो स्पशर् रेखाएँ ज्च् तथा ज्फ खींची गइर् हैं। सि( कीजिए कि ∠ च्ज्फ त्र 2 ∠ व्च्फ है। हल रू हमें वेंफद्र व् वाला एक वृत्त, एक बाह्य ¯बदु ज् तथा वृत्त पर दो स्पशर् रेखाएँ ज्च् और ज्फए जहाँ च्ए फ स्पशर् ¯बदु हैं, दिए हैं ;देख्िाए आवृफति 10.9द्ध। हमें सि( आवृफति 10ण्9 करना है कि ∠ च्ज्फ त्र 2 ∠ व्च्फ माना ∠ च्ज्फ त्र θ अब प्रमेय 10.2 से ज्च् त्र ज्फ । अतः ज्च्फ एक समद्विबाहु त्रिाभुज है। 11 इसलिए ∠ ज्च्फ त्र ∠ ज्फच् त्र 2 ;180ह् −θद्ध त्र90ह् − 2 θ प्रमेय 10.1 से ∠ व्च्ज् त्र 90ह् है। 1 11 अतः ∠ व्च्फ त्र ∠ व्च्ज् दृ ∠ ज्च्फ त्र 90ह् −⎜⎛90ह् दृ θ⎟⎞ त्र θत्र ∠च्ज्फ ⎝ 2 ⎠22 इससे ∠ च्ज्फ त्र 2 ∠ व्च्फ प्राप्त होता है। उदाहरण 3 रू 5 बउ त्रिाज्या के एक वृत्त की 8 बउ लंबी एक जीवा च्फ है। च् और फ पर स्पशर् रेखाएँ परस्पर एक ¯बदु ज् पर प्रतिच्छेद करती हैं ;देख्िाए आवृफति 10.10द्ध। ज्च् की लंबाइर् ज्ञात कीजिए। हल रू व्ज् को मिलाएँ। माना यह च्फ को ¯बदु त् पर प्रतिच्छेदित करती है। तब Δ ज्च्फ समद्विबाहु है और ज्व्ए ∠ च्ज्फ का कोणाध्र्क है। इसलिए व्ज् ⊥ च्फ और इस प्रकार व्ज्ए च्फ का अध्र्क है जिससे प्राप्त आवृफति 10ण्10 होता है च्त् त्र त्फ त्र 4 बउ 2 2 22 साथ ही व्त् त्र व्च् − च्त् त्र 5 − 4 बउ त्र 3 बउ अब ∠ ज्च्त् ़ ∠ त्च्व् त्र 90° त्र ∠ ज्च्त् ़ ∠ च्ज्त् ;क्यों?द्ध अतः ∠ त्च्व् त्र ∠ च्ज्त् इसलिए समकोण त्रिाभुज ज्त्च् और समकोण त्रिाभुज च्त्व्ए ।। समरूपता द्वारा समरूप ज्च्त्च् ज्च्4 20 हैं। इससे त्र प्राप्त होता है । अथार्त् त्र अथार्त् ज्च् त्र बउ च्व्त्व् 53 3 टिप्पणी रू ज्च् को पाइथागोरस प्रमेय द्वारा निम्न प्रकार से भी प्राप्त कर सकते हैंः माना ज्च् त्र ग और ज्त् त्र ल तो ग2 त्र ल2 ़ 16 ;समकोण Δ च्त्ज् लेकरद्ध ;1द्ध ग2 ़ 52 त्र;ल ़ 3द्ध2 ;समकोण Δ व्च्ज् लेकरद्ध ;2द्ध ;1द्ध को ;2द्ध में से घटाकर, हम पाते हैं 32 16 25 त्र 6ल दृ 7 या ल त्र त्र 63 ⎛16 ⎞2 16 16 × 25 इसलिए ग2 त्र ⎜ ⎟़ 16 त्र ;16 ़ 9द्ध त्र ख्;1द्ध से, ⎝ 3 ⎠ 99 या ग त्र 20 बउ 3 प्रश्नावली 10ण्2 प्रश्न सं. 1, 2, 3 में सही विकल्प चुनिए एवं उचित कारण दीजिए। 1ण् एक ¯बदु फ से एक वृत्त पर स्पशर् रेखा की लंबाइर् 24 बउ तथा फ की वेंफद्र से दूरी 25 बउ है।वृत्त की त्रिाज्या हैः ;।द्ध 7 बउ ;ठद्ध 12 बउ ;ब्द्ध 15 बउ ;क्द्ध 24ण्5 बउ 2ण् आवृफति 10ण्11 में, यदि ज्च्ए ज्फ वेंफद्र व् वाले किसी वृत्त पर दो स्पशर् रेखाएँ इस प्रकार हैं कि ∠च्व्फ त्र 110°ए तो∠ च्ज्फ बराबर हैः ;।द्ध 60° ;ठद्ध 70° ;ब्द्ध 80° ;क्द्ध 90° आवृफति 10ण्11 3ण् यदि एक ¯बदु च् से व् वेंफद्र वाले किसी वृत्त पर च्।ए च्ठ स्पशर् रेखाएँ परस्पर 80ह् के कोण पर झुकी हों, तो∠ च्व्। बराबर है: ;।द्ध 50° ;ठद्ध 60° ;ब्द्ध 70° ;क्द्ध 80° 4ण् सि( कीजिए कि किसी वृत्त के किसी व्यास के सिरों पर खींची गइर् स्पशर् रेखाएँ समांतर होती हैं। 5ण् सि( कीजिए कि स्पशर् ¯बदु से स्पशर् रेखा पर खींचागया लंब वृत्त के वेंफद्र से होकर जाता है। 6ण् एक ¯बदु । से, जो एक वृत्त के वेंफद्र से 5 बउ दूरी परहै, वृत्त पर स्पशर् रेखा की लंबाइर् 4 बउ है। वृत्त की त्रिाज्या ज्ञात कीजिए। 7ण् दो संवेंफद्रीय वृत्तों की त्रिाज्याएँ 5 बउ तथा 3 बउ हैं। बड़े आवृफति 10ण्12 वृत्त की उस जीवा की लंबाइर् ज्ञात कीजिए जो छोटे वृत्त को स्पशर् करती हो। 8ण् एक वृत्त के परिगत एक चतुभुर्ज।ठब्क् खींचा गया है ;देख्िाए आवृफति 10.12द्ध। सि( कीजिए: ।ठ ़ ब्क् त्र ।क् ़ ठब् 9ण् आवृफति 10ण्13 में ग्ल् तथा ग्′ल्′ए व् वेंफद्र वाले किसीवृत्त पर दो समांतर स्पशर् रेखाएँ हैं और स्पशर् ¯बदुब् पर स्पशर् रेखा ।ठए ग्ल् को । तथा ग्′ल्′ को ठ पर प्रतिच्छेद करती है। सि( कीजिए कि∠ ।व्ठ त्र 90ह् है। आवृफति 10ण्13 10ण् सि( कीजिए कि किसी बाह्य ¯बदु से किसी वृत्त पर खींची गइर् स्पशर् रेखाओं के बीच का कोण स्पशर् ¯बदुओं को मिलाने वाले रेखाखंड द्वारा वेंफद्र पर अंतरित कोण का संपूरक होता है। 11ण् सि( कीजिए कि किसी वृत्त के परिगत समांतर चतुभुर्ज समचतुभुर्ज होता है। 12ण् 4 बउ त्रिाज्या वाले एक वृत्त के परिगत एक त्रिाभुज ।ठब् इस प्रकार खींचा गया है कि रेखाखंड ठक् और क्ब् ;जिनमें स्पशर् ¯बदु क् द्वारा ठब् विभाजित हैद्ध की लंबाइयाँ क्रमशः 8 बउ और 6 बउ हैं ;देख्िाए आवृफति 10.14द्ध। भुजाएँ ।ठ और।ब्ज्ञात कीजिए। 13ण् सि( कीजिए कि वृत्त के परिगत बनी चतुभुर्ज की आमने - सामने की भुजाएँ वेंफद्र पर संपूरक कोण अंतरित करती हैं। 10ण्4 सारांश इस अध्याय में, आपने निम्न तथ्यों का अध्ययन किया हैः 1ण् वृत्त की स्पशर् रेखा का अथ।र् 2ण् वृत्त की स्पशर् रेखा स्पशर् ¯बदु से जाने वाली त्रिाज्या पर लंब होती है। 3ण् बाह्य ¯बदु से किसी वृत्त पर खींची गइर् दोनों स्पशर् रेखाओं की लंबाइयाँ समान होती हैं।

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