Bharat aur Samkalin Vishwa-II

यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय चित्रा 1 - प़्ा्रेफडरिक साॅरयू, विश्वव्यापी प्रजातांत्रिाक और सामाजिक गणराज्यों का स्वप्नμराष्ट्रों के बीच संिा, 1848 1848 मंे, एक प़्ा्रफांसिसी कलाकार प़्ा्रेफडिªक साॅरयू ने चार चित्रों की एकशंृखला बनाइर्। इनमें उसने सपनों का एक संसार रचा जो उसके शब्दों में ‘जनतांत्रिाक और सामाजिक गणतंत्रों’ से मिल कर बना था। इस शंृखला के पहले चित्रा ;देखें चित्रा 1द्ध में यूरोप और अमेरिका के लोग दिखाए गए हैं μ सभी उम्र और सामाजिक वगो± के स्त्राी - पुरुष एक लंबी कतार में स्वतंत्राता की प्रतिमा की वंदना करते हुए जा रहे हैं। आपको याद होगा कि प़्ा्रफंासीसी क्रांति के दौरान कलाकार स्वतंत्राता को महिला का रूप प्रदान किया करते थे। यहाँ भी आप ज्ञानोदय की मशाल को पहचान सकते हैं जो उसके एक हाथ में है और दूसरे में मनुष्य के अिाकारों का घोषणापत्रा। प्रतिमा के सामने शमीन पर निरंवुफश संस्थानों के ध्वस्त अवशेष बिखरे हुए हैं। साॅरयू के कल्पनादशर् ;युटोपियाद्ध में दुनिया के लोग अलग राष्ट्रों के समूहों में बँटे हुए हैं जिनकी पहचान उनके कपड़ों और राष्ट्रीय पोशाक से होती है। स्वतंत्राता की मू£त से कहीं आगे, इस जुलूस का नेतृत्व कर रहे हैं संयुक्त राज्य अमेरिका और स्िवट्शरलैंड, जो तब तक राष्ट्र - राज्य बन चुके थे। प़्ा्रफांस जो क्रांतिकारी तिरंगे से पहचाना जा सकता है, प्रतिमा के पास नए शब्द निरंवुफशवाद ;।इेवसनजपेउद्ध: ऐसी सरकार या शासनव्यवस्था जिसकी सत्ता पर किसी प्रकार का कोइर् अंवुफश नहीं होता। इतिहास में ऐसी राजशाही सरकारों को निरंवुफशसरकार कहा जाता है जो अत्यंत कंेद्रीकृत, सैन्य बल पर आधरित और दमनकारी सरकारें होती थीं। कल्पनादशर् ;युटोपियाद्ध: एक ऐसे समाज की कल्पना जो इतना आदशर् है कि उसका साकार होना लगभग असंभव होता है। गतिविध्ि आपकी राय में चित्रा 1 किस प्रकार एक कल्पनादशीर् दृष्िट को प्रति¯बबित करता है? अभी - अभी पहुँचा है। उसके पीछे जमर्नी के लोग हैं जो काला, लाल और ड्डोत - क सुनहरा झंडा थामे हैं। यह दिलचस्प है कि जिस समय साॅरयू ने यह छवि नि£मत की, जमर्न लोग तब तक एक संयुक्त राष्ट्र का हिस्सा नहीं बने थे। जो झंडा वे थामे हुए हैं, वह 1848 की उदारवादी उम्मीदों की अभ्िाव्यक्ित है जिनमें अनेक जमर्न - भाषी रियासतों को एक प्रजातांत्रिाक संविधान के अंतगर्त एक राष्ट्र - राज्य में गठित करने की चाह थी। जमर्न लोगों के बाद आॅस्िट्रया, दो सिसिलियों की राजशाही, लाॅम्बाडीर्, पोलैंड, इंग्लैंड, आयरलैंड,हंगरी और रूस के लोग हैं। ऊपर स्वगर् से, इर्सा मसीह, संत और प़्ाफरिश्ते इस दृश्य पर अपनी नशरें जमाए हुए हैं। चित्राकार ने उनका इस्तेमाल दुनिया के राष्ट्रों के बीच भाइर्चारे के प्रतीक के रूप में किया है। इस अध्याय में ऐसे कइर् विषय उठाए जाएँगे जिनकी काल्पनिक अभ्िाव्यक्ित साॅरयू ने चित्रा 1 में की थी। उन्नीसवीं सदी के दौरान राष्ट्रवाद एक ऐसी त ा ़ वफत बन कर उभरा जिसने यूरोप के राजनीतिक और मानसिक जगत में भारी परिवतर्न ला दिये। इन परिवतर्नों से अंततः यूरोप के बहु - राष्ट्रीय वंशीय साम्राज्यों के स्थान पर राष्ट्र - राज्य का उदय हुआ। यूरोप में लंबे समय से एक ऐसे आधुनिक राज्य की गतिवििायाँ और विचार विकसित हो रहे थे जिसमेंस्पष्ट रूप से परिभाष्िात क्षेत्रा पर प्रभुसत्ता एक वेंफद्रीय शक्ित की थी। लेकिन राष्ट्र - राज्य में न केवल उसके शासकों बल्िक उसके अिाकांश नागरिकों में एक साझा पहचान का भाव और साझा इतिहास या विरासत की भावना थी। साझेपन की यह भावना अनंत काल से नहीं थीऋ यह संघषो± और नेताओं तथा आम लोगों की सरग£मयों से नि£मत हुइर् थी। यह अध्याय उन विविध प्रियाओं पर प्रकाश डालेगा जिनके तहत उन्नीसवीं सदी के यूरोप में राष्ट्र - राज्य और राष्ट्रवाद अस्ितत्व में आए। नए शब्द जनमत - संग्रह: एक प्रत्यक्ष मतदान जिसके शरिए एक क्षेत्रा के सभी लोगों से एक प्रस्ताव को स्वीकार या अस्वीकार करने के लिए पूछा जाता है। चचार् करें रेनन की समझ के अनुसार एक राष्ट्र की विशेषताओं का संक्ष्िाप्तविवरण दें। उसके मतानुसार राष्ट्र क्यों महत्त्वपूणर् हैं? 1 प़्ा्रफांसीसी क्रांति और राष्ट्र का विचार राष्ट्रवाद की पहली स्पष्ट अभ्िाव्यक्ित 1789 में प्ऱफंासीसी क्रांति के साथ हुइर्। जैसा कि आपको याद होगा, 1789 में प़्ा्रफांस एक ऐसा राज्य था जिसके संपूणर् भू - भाग पर एक निरंवुफश राजा का आिापत्य था। प्ऱफंासीसी क्रंाति सेजो राजनीतिक और संवैधानिक बदलाव हुए उनसे प्रभुसत्ता राजतंत्रा से निकल कर प़्ा्रफंासीसी नागरिकों के समूह में हस्तांतरित हो गइर्। क्रांति ने घोषणा की कि अब लोगांे द्वारा राष्ट्र का गठन होगा और वे ही उसकी नियति तय करेंगे। प्रारंभ से ही प़्ा्रफंासीसी क्रांतिकारियों ने ऐसे अनेक व़्ाफदम उठाए जिनसे प़्ा्रफंासीसी लोगों में एक सामूहिक पहचान की भावना पैदा हो सकती थी। पितृभूमि ;सं चंजतपमद्ध और नागरिक ;सम बपजवलमदद्ध जैसे विचारों ने एक संयुक्त समुदाय के विचार पर बल दिया जिसे एक संविधान के अंतगर्त समान अिाकार प्राप्त थे। अतः एक नया प्ऱफंासीसी झंडा - तिरंगा ;जीम जतपबवसवनतद्ध चुना गया जिसने पहले के राजध्वज की जगह ले ली। इस्टेट जेनरल का चुनाव सिय नागरिकों के समूह द्वारा किया जाने लगा और उसका नाम बदल कर नेशनल एसेंबली कर दिया गया। नयी स्तुतियाँ रची गईं, शपथें ली गइर्ं, शहीदों का गुणगान हुआ - और यह सब राष्ट्र के नाम पर हुआ। एक वेंफद्रीय प्रशासनिक व्यवस्था लागू की गइर् जिसने अपने भू - भाग में रहने वाले सभी नागरिकों के लिए समान व़्ाफानून बनाए। आंतरिक आयात - नियार्त शुल्क समाप्त कर दिए गए और भार तथा नापने की एकसमान व्यवस्था लागू की गइर्। क्षेत्राीय बोलियों को हतोत्साहित किया गया और पेरिस में प्ऱेंफच जैसी बोली और लिखी जाती थी, वही राष्ट्र की साझा भाषा बन गइर्। क्रांतिकारियों ने यह भी घोषणा की कि प़्ा्रफंासीसी राष्ट्र का यह भाग्य और लक्ष्य था कि वह यूरोप के लोगों को निरंवुफश शासकों से मुक्त कराए। दूसरे शब्दों में, प़्ा्रफांस यूरोप के अन्य लोगों को राष्ट्रों में गठित होने में मदद देगा। जब प़्ा्रफांस की घटनाओं की ख़बर यूरोप के विभ्िान्न शहरों में पहुँची तो छात्रा तथा श्िाक्ष्िात मध्य - वगो± के अन्य सदस्य जैकोबिन क्लबों की स्थापना करने लगे। उनकी गतिवििायों और अभ्िायानों ने उन प्ऱेंफच सेनाओं के लिए रास्ता तैयार किया जो 1790 के दशक में हाॅलैंड, बेल्िजयम, स्िवट्शरलैंड और इटली के बड़े इलाव़्ोफ में घुसीं। क्रांतिकारी यु(ों के शुरू होने के साथ ही प़्ा्रफंासीसी सेनाएँ राष्ट्रवाद के विचार को विदेशों में ले जाने लगीं। नेपोलियन के नियंत्राण में जो विशाल क्षेत्रा आया वहाँ उसने ऐसे अनेक सुधारों की शुरुआत की जिन्हें प़््र ाफांस में पहले ही आरंभ किया जा चुका था। प़्ा्रफांस में राजतंत्रा वापस लाकर नेपोलियन ने निःसंदेह वहाँ प्रजातंत्रा को नष्ट चित्रा 2 - एक जमर्न पंचाँग ;या तिथ्िापत्राद्ध का मुखपृष्ठ जिसे पत्राकार ऐंडिªयास रेबमान ;त्मइउंददद्ध ने 1798 में डिशाइन किया। प्रेंफच बास्टील में क्रांतिकारी भीड़ के प्रवेश के चित्रा को उससे मिलते - जुलते व्ि़ाफले की बग़्ाल में बनाया गया है। यह व्ि़ाफला जमर्न प्रांत वैफसेल ;ज्ञंेेमसद्ध में निरंवुफश शासन के गढ़ के रूप में चित्रिात है। इस चित्रा के साथ एक नारा दिया गया: ‘‘लोगों को अपनी आशादी मुट्ठी में कर लेनी चाहिए।’’ रेबमान एक पत्राकार था जो मेंश नामक शहर में रहता था। वह जमर्न जेकोबिन गुट का सदस्य था। चित्रा 3 μ वियना कांग्रेस 1815 के बाद का यूरोप। किया था। मगर प्रशासनिक क्षेत्रा में उसने क्रांतिकारी सि(ांतों का समावेश किया था ताकि पूरी व्यवस्था अिाक तवर्फसंगत और वुफशल बन सके। 1804 की नागरिक संहिता जिसे आमतौर पर नेपोलियन की संहिता के नाम से जाना जाता है, ने जन्म पर आधारित विशेषािाकार समाप्त कर दिए थे।उसने व़्ाफानून के समक्ष बराबरी और संपिा के अिाकार को सुरक्ष्िात बनाया। इस संहिता को प़्ा्रफंासीसी नियंत्राण के अधीन क्षेत्रों में भी लागू किया गया। डच गणतंत्रा, स्िवट्शरलैंड, इटली और जमर्नी में नेपोलियन ने प्रशासनिक विभाजनों को सरल बनाया, सामंती व्यवस्था को खत्म किया और किसानों को भू - दासत्व और जागीरदारी शुल्कों से मुक्ित दिलाइर्। शहरों में भी कारीगरों के श्रेणी - संघों के नियंत्राणों को हटा दिया गया। यातायात और संचार - व्यवस्थाओं को सुधारा गया। किसानों, कारीगरों, मशदूरों और नए उद्योगपतियों ने नयी - नयी मिली आशादी चखी। उद्योगपतियों और ख़ासतौर पर समान बनाने वाले लघु उत्पादक यह समझने लगे कि एकसमान व़्ाफानून, चित्रा 4 - श्वेब्रकेन, शमर्नी में, स्वतंत्राता के वृक्ष का रोपण। जमर्न चित्राकार कालर्वैफस्पर पि्ऱफट्श द्वारा बनाए गए इस रंगीन चित्रा का विषय प्ऱेंफच सेनाओं द्वारा श्वेब्रकेन शहर पर व़्ाफब्शा है। अपनी नीली, सप़ेफद और लाल पोशाकों से पहचाने जाने वाले प़्ा्रफांसीसी सैनिकों को दमनकारियों के रूप में प्रस्तुत किया है जो एक किसान की गाड़ी ;बाएँद्ध छीनते हुए वुफछ युवा महिलाओं को तंग कर रहे हैं ;बीच का अग्रभागद्ध और एक किसान को घुटने टेकने पर मजबूर कर रहे हैं। स्वतंत्राता के वृक्ष पर लगाइर् जा रही पट्टðी पर जमर्न में लिखा है, उसका अनुवाद है: ‘‘हमसे आशादी और समानता ले लो - यह मानवता का आदशर् रूप है।’’ यह प्ऱफांसीसियों के इस दावे पर व्यंग्य है कि वे जिन इलावफों में जाते थे वहाँ राजतंत्रा का विरोध् कर मुक्ितदाता बन जाते थे।़ मानक भार तथा नाप और एक राष्ट्रीय मुद्रा से एक इलाव़्ोफ से दूसरे इलाव़्ोफ में वस्तुओं और पूँजी के आवागमन में सहूलियत होगी। लेकिन जीते हुए इलाव़्ाफों मंे स्थानीय लोगों की प़्ा्रफंासीसी शासन के प्रति मिली - जुली प्रतिियाएँ थीं। शुरुआत में अनेक स्थानों जैसे हाॅलैंड और स्िवट्शरलैंड और साथ ही कइर् शहरों जैसे μ ब्रसेल्स, मेंश, मिलान और वाॅरसा में प़्ा्रफंासीसी सेनाओं का स्वतंत्राता का तोहप़्ाफा देने वालों की तरह स्वागत किया गया। मगर यह शुरुआती उत्साह शीघ्र ही दुश्मनी में बदल गया जब यह साप़्ाफ होने लगा कि नयी प्रशासनिक व्यवस्थाएँ राजनीतिक स्वतंत्राता के अनुरूप नहीं थीं। बढ़े हुए कर, सेंसरश्िाप और बाव़्ाफी यूरोप को जीतने के लिए प्ऱेंफच सेना में जबरन भतीर् से हो रहे नुकसान प्रशासनिक परिवतर्नों से मिले प़्ाफायदों से कहीं श्यादा नशर आने लगे। चित्रा 5 μ राइनलैंड का डाकिया लाइप्ित्सग से आते हुए सब वुफछ गँवा देता है। यहाँ नेपोलियन को 1813 मेें लाइप्ित्सग की लड़ाइर् हारकर प़्रफांस लौटते हुए डाकिए के रूप में दशार्या गया है। उसके झोले से गिरती हर चिट्ठी पर उन भूभागों के नाम लिखे हैं जिन्हें अब वह हार चुका है। 2 यूरोप में राष्ट्रवाद का निमार्ण अगर आप मध्य अठारहवीं सदी के यूरोप के नक़्शे को देखें तो उसमें वैसे ‘राष्ट्र - राज्य’ नहीं मिलेंगे जैसे कि आज हैं। जिन्हें आज हम जमर्नी, इटली और स्िवट्शरलैैंड के रूप में जानते हैं वे तब राजशाहियों, डचियों ;कनबीपमेद्ध और वैंफटनों ;बंदजवदेद्ध में बँटे हुए थे, जिनके शासकोंके स्वायत्त क्षेत्रा थे। पूवीर् और मध्य यूरोप निरंवुफश राजतंत्रों के अधीन थे और इन इलाव़्ाफों में तरह - तरह के लोग रहते थे। वे अपने आप को एकसामूहिक पहचान या किसी समान संस्कृति का भागीदार नहीं मानते थे। अकसर वे अलग - अलग भाषाएँ बोलते थे और विभ्िान्न जातीय समूहों के सदस्य थे। उदाहरण के तौर पर, आॅस्िट्रया - हंगरी पर शासन करने वाला हैब्सबगर् साम्राज्य कइर् अलग - अलग क्षेत्रों और जनसमूहों को जोड़ कर बना था। इसमें ऐल्प्स के टिराॅल, आॅस्िट्रया और सुडेटेनलैंड जैसे इलाव़्ाफों के साथ - साथ बोहेमिया भी शामिल था जहाँ के वुफलीन वगर् में जमर्न भाषा बोलने वाले श्यादा थे। हैब्सबगर् साम्राज्य में लाॅम्बाडीर् और वेनेश्िाया जैसे इतालवी - भाषी प्रांत भी शामिल थे। हंगरी में आधे लोग मैग्यार भाषा बोलते थे जबकि बाव़्ाफी लोग विभ्िान्न बोलियों का इस्तेमाल करते थे। गालीसिया में वुफलीन वगर् पोलिश भाषा बोलता था। इन प्रभावशाली समूहों के अलावा, हैब्सबगर् साम्राज्य की सीमा रेखाओं के भीतर भारी संख्या में खेती करनेवाले लोग अधीन अवस्था में रहते थे - जैसे उत्तर में बोहेमियन और स्लोवाक, का£नओला में स्लोवेन्स, दक्ष्िाण में क्रोएट तथा पूरब की तरप़्ाफ ट्रांसिल्वेनिया में रहने वाले राउमन लोग। ऐसा प़्ाफव़्ार्फ राजनीतिक एकता को आसानी से बढ़ावा देने वाला नहीं था। इन तरह - तरह के समूहों को आपस में बाँधने वाला तत्व, केवल सम्राट के प्रति सबकी निष्ठा थी। राष्ट्रवाद और राष्ट्र - राज्य का विचार वैफसे उभरा? 2.1 वुफलीन वगर् और नया मध्यवगर् सामाजिक और राजनीतिक रूप से शमीन का मालिक वुफलीन वगर् यूरोपीय महाद्वीप का सबसे प्रभुत्वशाली वगर् था। इस वगर् के सदस्य एक साझा जीवन शैली से बँधे हुए थे जो क्षेत्राीय विभाजनों के आर - पार व्याप्त थी। वे ग्रामीण इलाव़्ाफों में जायदाद और शहरी - हवेलियों के मालिक थे। राजनीतिक कायो± के लिए तथा उच्च वगो± के बीच वे प्ऱेंफच भाषा का प्रयोग करते थे। उनके परिवार अकसर वैवाहिक बंधनों से आपस में जुड़े होते थे। मगर यह शक्ितशाली वुफलीन वगर् संख्या के लिहाश से एक छोटा समूहथा। जनसंख्या के अिाकांश लोग कृषक थे। पश्िचम में श्यादातर शमीन पर किराएदार और छोटे काश्तकार खेती करते थे जबकि पूवीर् और मध्य यूरोप में भूमि विशाल जागीरों में बँटी थी जिस पर भूदास खेती करते थे। पश्िचमी और मध्य यूरोप के हिस्सों में औद्योगिक उत्पादन और व्यापार में वृि से शहरों का विकास और वाण्िाज्ियक वगो± का उदय हुआ जिनका वुफछ महत्त्वपूणर् तिथ्िायाँ 1797 नेपोलियन का इटली पर हमलाऋ नेपोलियाइर् यु(ों की शुरूआत 1814 - 1815 नेपोलियन का पतनऋ वियना शांति संध्ि 1821 यूनानी स्वतंत्राता के लिए संघषर् प्रारंभ 1848 प्ऱ फांस में क्रांतिऋ आ£थक परेशानियों से ग्रस्त कारीगरों, औद्योगिक मजदूरों और किसानों की बग़्ाावतऋ मध्यवगर् संविधन और प्रतिनिध्यात्मक सरकार के गठन की माँग करता हैऋ इतालवी, जमर्न, मैग्यार, पोलिश, चेक आदि राष्ट्र राज्यों की मांग करते हैं 1859 - 1870 इटली का एकीकरण 1866 - 1871 जमर्नी का एकीकरण 1905 हैब्सबगर् और आॅटोमन साम्राज्यों में स्लाव राष्ट्रवाद मशबूत होता है। अस्ितत्व बाशार के लिए उत्पादन पर टिका था। इंग्लैंड में औद्योगीकरण अठारहवीं सदी के दूसरे भाग में आरंभ हुआ लेकिन प़्ा्रफांस और जमर्नी के राज्यों के वुफछ हिस्सों में यह उन्नीसवीं शताब्दी के दौरान ही हुआ। इस प्रिया के पफलस्वरूप नए सामाजिक समूह अस्ितत्व में आए श्रमिक - वगर् के लोग और मध्य वगर् जो उद्योगपतियों, व्यापारियों और सेवा क्षेत्रा के लोगों से बने। मध्य और पूवीर् यूरोप में इन समूहों का आकार उन्नीसवीं सदी के अंतिम दशकों तक छोटा था। वुफलीन विशेषािाकारों की समाप्ित के बाद श्िाक्ष्िात और उदारवादी मध्य वगो± के बीच ही राष्ट्रीय एकता के विचार लोकपि्रय हुए। 2.2 उदारवादी राष्ट्रवाद के क्या मायने थे? यूरोप में उन्नीसवीं सदी के शुरुआती दशकों में राष्ट्रीय एकता से संबंिात विचार उदारवाद से करीब से जुड़े थे। उदारवाद यानी सपइमतंसपेउ शब्द लातिन भाषा के मूल सपइमत पर आधारित है जिसका अथर् है ‘आशाद’। नए मध्य वगो± के लिए उदारवाद का मतलब था व्यक्ित के लिए आशादी और व़्ाफानून के समक्ष सबकी बराबरी। राजनीतिक रूप से उदारवाद एक ऐसी सरकार पर शोर देता था जो सहमति से बनी हो। प़्ा्रफंासीसी क्रांति के बाद से उदारवाद निरंवुफश शासक और पादरीवगर् के विशेषािाकारों की समाप्ित, संविधान तथा संसदीय प्रतिनििा सरकार का पक्षधर था। उन्नीसवीं सदी केउदारवादी निजी संपिा के स्वामित्व की अनिवायर्ता पर भी बल देते थे। लेकिन यह शरूरी नहीं था कि व़्ाफानून के समक्ष बराबरी का विचार सबके लिए मतािाकार ;ेनतििंहमद्ध के पक्ष में था। आप याद करें कि क्रांतिकारी प़्ा्रफांस उदारवादी प्रजातंत्रा का पहला राजनीतिक प्रयोग था औरवहाँ मत देने और चुने जाने का अिाकार केवल संपिावान पुरुषों को हीहासिल था। संपिा - विहीन पुरुष और सभी महिलाओं को राजनीतिक अिाकारों से वंचित रखा गया था। केवल थोड़े समय के लिए जैकोबिन शासन के समय सभी वयस्क पुरुषों को मतािाकार प्राप्त था। मगर नेपोलियन की संहिता पुनः सीमित मतािाकार वापस आइर् और उसने महिलाओं को अवस्यक दजार् देते हुए उन्हें पिताओं और पतियों के अधीन कर दिया। संपूणर् उन्नीसवीं सदी तथा बीसवीं सदी के आरंभ्िाक वषो± मेंमहिलाओं और संपिा - विहीन पुरुषों ने समान राजनीतिक अिाकारों की माँग करते हुए विरोध - आंदोलन चलाए। आ£थक क्षेत्रा में, उदारवाद, बाशारों की मुक्ित और चीशों तथा पूँजी के आवागमन पर राज्य द्वारा लगाए गए नियंत्राणों को खत्म करने के पक्ष में था। उन्नीसवीं सदी के दौरान, उभरते हुए मध्य वगो± की यह शोरदार माँग थी। आइए, हम उन्नीसवीं सदी के पहले भाग में जमर्न - भाषी इलाव़्ाफों का उदाहरण लें। नेपोलियन के प्रशासनिक व़्ाफदमों से अनगिनत छोटे प्रदेशों से 39 राज्यों का एक महासंघ बना। इनमें से प्रत्येक की अपनी मुद्रा और नाप - तौल प्रणाली थी। 1833 में हैम्बगर् से न्यूरेम्बगर् जा कर अपना माल बेचने वाले एक व्यापारी को ग्यारह सीमाशुल्क नाकों से गुशरना पड़ता था और हर बार लगभग 5ः सीमाशुल्क देना पड़ता था। शुल्क अकसर वस्तुओं का वशन या आकार के अनुसार लगाए जाते थे। चँूकि हर क्षेत्रा की अपनी नाप - तौल व्यवस्था थी अतः हिसाब लगाने में समय लगता था। मसलन कपड़े को नापने का पैमाना ऐले ;मससमद्ध था जिसकी लंबाइर् जगह बदलने के साथ घटती - बढ़ती थी। अगर एक एल कपड़ा प्ऱैंफकप़्ाफटर् मंे खरीदा जाता तो 54.7 सेंटीमीटर मिलता, मेंश ;डंपद्रद्ध में 55.1 सेंटीमीटर, न्यूरेम्बगर् में 65.6 सेंटीमीटर और प्ऱफाइर्बगर् में 53.5 सेंटीमीटर। नए वाण्िाज्ियक वगर् ऐसी परिस्िथतियों को आ£थक विनिमय और विकासमें बाधक मानते हुए एक ऐसे एकीकृत आ£थक क्षेत्रा के निमार्ण के पक्ष में तवर्फ दे रहा था जहाँ वस्तुओं, लोग और पूँजी का आवागमन बाधारहित हो। 1834 में प्रशा की पहल पर एक शुल्क संघ शाॅलवेराइन ;र्वससअमतमपदद्ध स्थापित किया गया जिसमें अिाकांश जमर्न राज्य शामिल हो गए। इस संघ ने शुल्क अवरोधों को समाप्त कर दिया और मुद्राओं की संख्या दो कर दीजो उससे पहले तीस से ऊपर थी। इसके अलावा रेलवे के जाल ने गतिशीलता बढ़ाइर् और आ£थक हितों को राष्ट्रीय एकीकरण का सहायक बनाया। उस समय पनप रही व्यापक राष्ट्रवादी भावनाओं को आ£थक राष्ट्रवाद की लहर ने मशबूत बनाया। 2.3 1815 के बाद एक नया रूढि़वाद 1815 में नेपोलियन की हार के बाद यूरोपीय सरकारें रूढि़वाद की भावना से प्रेरित थीं। रूढि़वादी मानते थे कि राज्य और समाज की स्थापितपारंपरिक संस्थाएँऋ जैसे - राजतंत्रा, चचर्, सामाजिक ऊँच - नीच, संपिा और परिवार को बनाए रखना चाहिए। पिफर भी अिाकतर रूढि़वादी लोग क्रांति से पहले के दौर में वापसी नहीं चाहते थे। नेपोलियन द्वारा शुरू किए गए परिवतर्नों से उन्होंने यह जान लिया था कि आधुनिकीकरण, राजतंत्रा जैसी पारंपरिक संस्थाओं को मशबूत बनाने में सक्षम था। वह राज्य की ताव़्ाफत को श्यादा कारगर और मशबूत बना सकता था। एक आधुनिक सेना, वुफशल नौकरशाही, गतिशील अथर्व्यवस्था, सामंतवाद और भूदासत्व की समाप्ितμयूरोप के निरंवुफश राजतंत्रों को शक्ित प्रदान कर सकते थे। 1815 में, बि्रटेन, रूस, प्रशा और आॅस्िट्रया जैसी यूरोपीय शक्ितयों जिन्होंने मिलकर नेपोलियन को हराया था - के प्रतिनििा यूरोप के लिए एक समझौता तैयार करने के लिए वियना में मिले। इस सम्मेलन ;ब्वदहतमेेद्ध की मेशबानी आॅस्िट्रया के चांसलर ड्यूक मैटरनिख ने की। इसमें प्रतिनििायों ने 1815 की वियना संिा ;ज्तमंजल व िटपमददंद्ध तैयार की जिसका उद्देश्य उन कइर् सारे बदलावों को खत्म करना था जो नेपोलियाइर् यु(ों केदौरान हुए थे। प़्ा्रफंासीसी क्रांति के दौरान हटाए गए बूबो± वंश को सत्ता में बहाल किया गया और प़्ा्रफांस ने उन इलाव़्ाफों को खो दिया जिन पर व़्ाफब्शा उसने नेपोलियन के अधीन किया गया था। प़्ा्रफांस की सीमाओं पर कइर् राज्यव़्ाफायम कर दिए गए ताकि भविष्य में प़्ा्रफांस विस्तार न कर सके। अतः उत्तर ड्डोत - ख चचार् करें उन राजनीतिक उद्देश्यों का विवरण दें जिन्हें आथ्िार्क व़्ाफदमों द्वारा हासिल करने की उम्मीद लिस्ट को है। नए शब्द रूढि़वाद: ऐसा राजनीतिक दशर्न जो पंरपरा, स्थापित संस्थानों और रिवाजों पर जोर देता है और तेश बदलावों की बजाय क्रमिक और ध्ीरे - ध्ीरे विकास को प्राथमिकता देता है। में नीदरलैंड्स का राज्य स्थापित किया। जिसमें बेल्िजयम शामिल था और दक्ष्िाण में पीडमाॅण्ट में जेनोआ जोड़ दिया गया। प्रशा को उसकी पश्िचमीसीमाओं पर महत्त्वपूणर् नए इलाव़्ोफ दिए गए जबकि आॅस्िट्रया को उत्तरी इटली का नियंत्राण सौंपा गया। मगर नेपोलियन ने 39 राज्यों का जो जमर्न महासंघ स्थापित किया था, उसे बरव़्ाफरार रखा गया। पूवर् में रूस को पोलैंड का एक हिस्सा दिया गया जबकि प्रशा को सैक्सनी का एक हिस्सा प्रदान किया गया। इस सबका मुख्य उद्देश्य उन राजतंत्रों की बहाली था जिन्हें नेपोलियन ने बखार्स्त कर दिया था। साथ ही यूरोप में एक नयी रूढि़वादी व्यवस्था व़्ाफायम करने का लक्ष्य भी था। 1815 में स्थापित रूढि़वादी शासन व्यवस्थाएँ निरंवुफश थीं। वे आलोचना और असहमति बरदाश्त नहीं करती थीं और उन्होंने उन गतिवििायों को दबाना चाहा जो निरंवुफश सरकारों की वैधता पर सवाल उठाती थीं। श्यादातर सरकारों ने सेंसरश्िाप के नियम बनाए जिनका उद्देश्य अखबारों, किताबों, नाटकों और गीतों में व्यक्त उन बातों पर नियंत्राण लगाना था जिनसे प़्ा्रफंासीसी क्रांति से जुड़े स्वतंत्राता और मुक्ित के विचार झलकते थे। लेकिन पिफर भी प़्ा्रफंासीसी क्रांति की स्मृति उदारवादियों को लगातार प्रेरित कर रही थी। नयी रूढि़वादी व्यवस्था के आलोचक उदारवादी राष्ट्रवादियों द्वारा उठाया गया एक मुख्य मुद्दा था - प्रेस की आशादी। गतिविध्ि यूरोप के नक़्शे पर उन परिवतर्नों को चिहि्नत करें जो वियना कांग्रेस के पफलस्वरूप सामने आए। चचार् करें व्यंग्यकार क्या दशार्ने का प्रयास कर रहा है? चित्रा 6 - चिंतकों का क्लब, 1820 के आसपास बनाया गया एक अनाम व्यंग्य चित्रा। बाईं तरप़फ की प‘ी पर लिखा है: ‘आज की बैठक का सबसे महत्त्वपूणर् प्रश्न हैं: हमें कब तक सोचने दिया जाएगा?’ दाईं तरप़फ बोडर् पर क्लब के नियमों की सूची है जिनमें निम्नलिख्िात शामिल हैं: ‘1.इस पढ़े - लिखे समाज का पहला नियम है ख़ामोशी। ‘2.ऐसी किसी स्िथति से बचने के लिए जब इस क्लब का कोइर् सदस्य बोलने के लोभ का श्िाकार हो जाए, सदस्यों को प्रवेश करने पर मुँह बंद रखने वाले मोहरे ;डन्र्रसमद्ध बाँटे जाएँगे।’ 2.4 क्रांतिकारी 1815 के बाद के वषो± में दमन के भय ने अनेक उदारवादी - राष्ट्रवादियों को भूमिगत कर दिया। बहुत सारे यूरोपीय राज्यों में क्रांतिकारियों को प्रश्िाक्षण देने और विचारों का प्रसार करने के लिए गुप्त संगठन उभर आए। उस समय क्रांतिकारी होने का मतलब उन राजतंत्राीय व्यवस्थाओं का विरोध करने से था जो वियना कांग्रेस के बाद स्थापित की गइर् थीं। साथ ही स्वतंत्राता और मुक्ित के लिए प्रतिब( होना और संघषर् करना क्रांतिकारी होने के लिए शरूरी था। श्यादातर क्रांतिकारी राष्ट्र - राज्यों की स्थापना को आशादी के इस संघषर् का अनिवायर् हिस्सा मानते थे। ऐसा ही वह व्यक्ित था इटली का क्रांतिकारी ज्युसेपी मेत्िसनी। उनका जन्म 1807 में जेनोआ में हुआ था और वह काबोर्नारी के गुप्त संगठन का सदस्य बन गया। चैबीस साल की युवावस्था में लिगुरिया में क्रांति करने के लिएउसे बहिष्कृत कर दिया गया। तत्पश्चात उसने दो और भूमिगत संगठनों की स्थापना की। पहला था मासेर्इर् में यंग इटली और दूसरा बनर् में यंग यूरोप, जिसके सदस्य पोलैंड, प़् ा्रफांस, इटली और जमर्न राज्यों में समान विचार रखने वाले युवा थे। मेत्िसनी का विश्वास था कि इर्श्वर की मशीर् के अनुसार राष्ट्रही मनुष्यों की प्राकृतिक इकाइर् थी। अतः इटली छोटे राज्यों और प्रदेशों के पैबंदों की तरह नहीं रह सकता था। उसे जोड़ कर राष्ट्रों के व्यापकगठबंधन के अंदर एकीकृत गणतंत्रा बनाना ही था। यह एकीकरण ही इटली की मुक्ित का आधार हो सकता था। उसके इस माॅडल की देखा - देखी जमर्नी, प़्ा्र फांस, स्िवट्शरलैंड और पोलैंड में गुप्त संगठन व़्ाफायम किए गए। मेत्िसनी द्वारा राजतंत्रा का घोर विरोध करके और प्रजातंात्रिाक गणतंत्रों के अपने स्वप्न से मेत्िसनी ने रूढि़वादियों को हरा दिया। मैटरनिख ने उसे ‘हमारी सामाजिक व्यवस्था का सबसे खतरनाक दुश्मन’ बताया। चित्रा 7 - ज्युसेपे मेत्िसनी और बनर् 1833 में ‘यंग यूरोप’ की स्थापना। गिआकोमो मांतेगाशा का चित्रा। 3 क्रांतियों का युग: 1830 - 1848 जैसे - जैसे रूढि़वादी व्यवस्थाओं ने अपनी ताव़्ाफत को और मशबूत बनाने की कोश्िाश की, यूरोप के अनेक क्षेत्रों में उदारवाद और राष्ट्रवाद को क्रांति से जोड़ कर देखा जाने लगा। इटली और जमर्नी के राज्य, आॅटोमन साम्राज्य के सूबे, आयरलैंड और पोलैंड ऐसे ही वुफछ क्षेत्रा थे। इन क्रांतियों का नेतृत्व उदारवादी - राष्ट्रवादियों ने किया जो श्िाक्ष्िात मध्यवगीर्य विश्िाष्ट लोग थे। इनमें प्रोप़्ोफसर, स्वूफली - अध्यापक, क्लवर्फ और वाण्िाज्य व्यापार में लगे मध्यवगो± के लोग शामिल थे। प्रथम विद्रोह प़्ा्रफांस में जुलाइर् 1830 में हुआ। बूबो± राजा, जिन्हें 1815 के बाद हुइर् रूढि़वादी प्रतििया के दौरान सत्ता में बहाल किया गया था, उन्हें अब उदारवादी क्रांतिकारियों ने उखाड़ पेंफका। उनकी जगह एक संवैधानिक राजतंत्रा स्थापित किया गया जिसका अध्यक्ष लुइर् प्ि़ाफलिप था। मैटरनिख ने एक बार यह टिप्पणी की थी कि ‘जब प़्ा्रफांस छींकता है तो बाव़्ाफी यूरोप की सदीर् - शुकाम हो जाता है।’ जुलाइर् क्रांति से ब्रसेल्स में भी विद्रोह भड़क गया जिसके पफलस्वरूप यूनाइटेड ¯कगडम आॅप़्ाफ द नीदरलैंड्स से अलग हो गया। एक घटना जिसने पूरे यूरोप के श्िाक्ष्िात अभ्िाजात वगर् में राष्ट्रीय भावनाओं का संचार किया, वह थी, यूनान का स्वंतत्राता संग्राम। पंद्रहवीं सदी से यूनान आॅटोमन साम्राज्य का हिस्सा था। यूरोप में क्रांतिकारी राष्ट्रवाद की प्रगति से यूनानियों का आशादी के लिए संघषर् 1821 में आरंभ हो गया। यूनान में राष्ट्रवादियों को निवार्सन में रह रहे यूनानियों के साथ पश्िचमी यूरोप के अनेक लोगों का भी समथर्न मिला जो प्राचीन यूनानी संस्कृति ;भ्मससमदपेउद्ध के प्रति सहानुभूति रखते थे। कवियों और कलाकारों ने यूनान को यूरोपीय सभ्यता का पालना बता कर प्रशंसा की और एक मुस्िलम साम्राज्य के विरु( यूनान के संघषर् के लिए जनमत जुटाया। अंगे्रश कवि लाॅडर् बायरन ने धन इकट्ठा किया और बाद में यु( में लड़ने भी गए जहाँ 1824 में बुखार से उनकी मृत्यु हो गइर्। अंततः 1832 की वुफस्तुनतुनिया की संिा ने यूनान को एक स्वतंत्रा राष्ट्र की मान्यता दी। 3.1 रूमानी कल्पना और राष्ट्रीय भावना राष्ट्रवाद का विकास केवल यु(ों और क्षेत्राीय विस्तार से नहीं हुआ। राष्ट्र के विचार के निमार्ण में संस्कृति ने एक अहम भूमिका निभाइर्। कला, काव्य, कहानियों - व्ि़ाफस्सों और संगीत ने राष्ट्रवादी भावनाओं को गढ़ने और व्यक्त करने में सहयोग दिया। आइए, हम रूमानीवाद को देखे जो एक ऐसा सांस्कृतिक आंदोलन था जो एक खास तरह की राष्ट्रीय भावना का विकास करना चाहता था। आमतौर पर रूमानी कलाकारों और कवियों ने तवर्फ - वितवर्फ चित्रा 8 - यूजीन देलाक्रोआ, द मसैकर ऐट किआॅस, 1824 प़्ा्रफांसीसी चित्राकार देलाक्रोआ सबसे महत्त्वपूणर् प़्ा्रेंफच रूमानी चित्राकारों में से एक था। यह विशाल चित्रा ;4.19 मीटर × 3.54 मीटरद्ध एक घटना को चित्रिात करता है जिसमें किआॅस द्वीप पर कहा जाता है तुको± ने बीस हशार यूनानियों को मार डाला। देलाक्रोआ ने घटना नाटकीय बना कर, महिलाओं और बच्चों की पीड़ा को वेंफद्र बिंदु बनाते हुए चटख रंगों का प्रयोग करके देखने वालों की भावनाएँ उभार करके यूनानियों के लिए सहानुभूति जगाने की कोश्िाश की। और विज्ञान के महिमामंडन की आलोचना की और उसकी जगह भावनाओं, अंतदृर्ष्िट और रहस्यवादी भावनाओं पर शोर दिया। उनका प्रयास था कि एक साझा - सामूहिक विरासत की अनुभूति और एक साझा सांस्कृतिक अतीत को राष्ट्र का आधार बनाया जाए। जमर्न दाशर्निक योहान गाॅटप्ऱफीड जैसे रूमानी ¯चतकों ने दावा किया कि सच्ची जमर्नी संस्कृति उसके आम लोगों ;कंे अवसाद्ध में निहित थी। राष्ट्र ;अवसाहमपेजद्ध की सच्ची आत्मा लोकगीतों, जन - काव्य और लोकनृत्योंसे प्रकट होती थी। इसलिए लोक संस्कृति के इन स्वरूपों को एकत्रा और अंकित करना राष्ट्र के निमार्ण की परियोजना के लिए आवश्यक था। स्थानीय बोलियों पर बल और स्थानीय लोक - साहित्य को एकत्रा करने का उद्देश्य केवल प्राचीन राष्ट्रीय भावना को वापस लाना नहीं था बल्िक आधुनिक राष्ट्रीय संदेश को श्यादा लोगों तक पहुँचाना था जिनमें से अिाकांश निरक्षर थे। यह ख़ासतौर पर पोलैंड पर लागू होता था जिसका अठारहवीं सदी के अंत में रूस, प्रशा और आॅस्िट्रया जैसी बड़ी शक्ितयों ;ळतमंज च्वूमतेद्ध ने विभाजन कर दिया था। यद्यपि पोलैंड अब स्वतंत्रा भू - क्षेत्रा नहीं था विंफतु संगीत और भाषा के शरिये राष्ट्रीय भावना जीवित रखी गइर्। मसलन, वैफरोल वुफ²पस्की ने राष्ट्रीय संघषर् का अपने आॅपेरा और संगीत से गुणगान किया और पोलेनेस और माशुरका जैसे लोकनृत्यों को राष्ट्रीय प्रतीकों में बदल दिया। भाषा ने भी राष्ट्रीय भावनाओं के विकास में एक महत्त्वपूणर् भूमिका निभाइर्। रूसी व़्ाफब्शे के बाद, पोलिश भाषा को स्वूफलों से बलपूवर्क हटा कर रूसी भाषा को हर जगह जबरन लादा गया। 1831 में, रूस के विरु( एक सशस्त्रा विद्रोह हुआ जिसे आख्िारकार वुफचल दिया गया। इसके अनेक सदस्यों ने राष्ट्रवादी विरोध के लिए भाषा को एक हथ्िायार बनाया। चचर् के आयोजनों और संपूणर् धा£मक श्िाक्षा में पोलिश का इस्तेमाल हुआ। इसका नतीजा यह हुआ कि बड़ी संख्या में पादरियों और बिशपों को जेल में डाल दिया गया। रूसी अिाकारियों ने उन्हें सशा देते हुए साइबेरिया भेज दिया क्योंकि उन्होंने रूसी भाषा का प्रचार करने से इनकार कर दिया था। पोलिश भाषा रूसी प्रभुत्व के विरु( संघषर् के प्रतीक के रूप में देखी जाने लगी। 3.2 भूख, कठिनाइयाँ और जन विद्रोह 1830 का दशक यूरोप में भारी कठिनाइयाँ लेकर आया। उन्नीसवीं सदी के प्रथम भाग में पूरे यूरोप में जनसंख्या में शबरदस्त वृि हुइर्। श्यादातर देशों में नौकरी ढूँढ़ने वालों की तादाद उपलब्ध रोशगार से अिाक थी। ग्रामीण क्षेत्रों की अतिरिक्त आबादी शहर जाकर भीड़ से भरी गरीब बस्ितयों में रहने लगी। नगरों के लघु उत्पादकों को अकसर इंग्लैंड से आयातित मशीन से बने सस्ते कपड़े से कड़ी प्रतिस्पधार् का सामना करना पड़ रहा था। इंग्लैंड में औद्योगीकरण का स्तर महाद्वीप से ऊँचा था। महाद्वीप को यह प्रतिस्पधार् कपड़ा - उद्योग में श्यादा झेलनी पड़ रही थी क्योंकि उसका उत्पादन मुख्यतःघरों और छोटे कारखानों में होता था और केवल आंश्िाक रूप से मशीनीकृत था। यूरोप के उन इलाव़्ाफों में जहाँ वुफलीन वगर् अभी भी सत्ता में था, कृषक सामंती शुल्कों और िाम्मेदारियों के बोझ तले दबे थे। खाने - पीने की चीशों के मूल्य बढ़ने या किसी वषर् प़्ाफसल के खराब होने के शहर और गाँवों में व्यापक ग़्ारीबी पैफल जाती थी। बाॅक्स 1 गि्रम बंधुओं की कहानीःलोकथाएँ और राष्ट्रनिमार्ण गि्रम्स पफेयरीटेल्स एक जाना - माना नाम है। जैकब गि्रम और विल्हेल्म गि्रम बंधुओं का जन्म क्रमशः 1785 और 1786 मेंजमर्नी के हनाऊ शहर में हुआ था। जिस समय ये दोनों भाइर् व़्ाफानून की पढ़ाइर् कर रहे थे उसी समय उन्होंने शौव्ि़ाफया तौर पर पुरानी लोक कथाएँ इकट्ठा करना शुरू कर दिया। वे छह साल तक गाँव - गाँव जाकर यही काम करते रहे। वे लोगों से बात करते थे और पीढि़यों से चली आ रही जो भी लोक कथा उनकी जानकारी में आती उसे लिखकर रख लेते थे। ये कहानियाँ बच्चों और बड़ों में समान रूप से पसंद की जाती थीं। 1812 में उन्होंने इन कहानियों का पहला संग्रह प्रकाश्िात किया। बाद मंें दोनों भाइर् उदारवादी राजनीति में सिय हो गए। प्रैस की स्वतंत्राता के आंदोलन में उन्होंने विशेष रुचि ली। इसी बीच उन्होंने 33 खंडों में जमर्न भाषा का शब्दकोश भी प्रकाश्िात कर डाला। गि्रम बंधु प़्ा्रफांस के वचर्स्व को जमर्न संस्कृति के लिए खतरा मानते थे। उनको विश्वास था कि उन्होंने जो लोककथाएँ इकट्ठी की हैं वे विशु( और सच्ची जमर्न भावना की अभ्िाव्यक्ित हैं। लोक कथाएँ इकट्ठी करने और जमर्न भाषा को विकसित करने के अपने प्रयासों को वे प़्ा्रफांसीसी प्रभुत्व का विरोध करने और एक जमर्न राष्ट्रीय पहचान गढ़ने की व्यापक योजना का हिस्सा मानते थे। चचार् करें राष्ट्रीय पहचान के निमिर्त होने में भाषा और लोक परंपराओं केमहत्त्व की चचार् करें। 1848 ऐसा ही एक वषर् था। खाने - पीने की कमी और व्यापक बेरोशगारी से पेरिस के लोग सड़कों पर उतर आए। जगह - जगह अवरोध लगाए गए और लुइर् प्ि ़ ाफलिप को भागने पर मजबूर किया गया। राष्ट्रीय सभा ;छंजपवदंस ।ेेमउइसलद्ध ने एक गणतंत्रा की घोषणा करते हुए 21 वषर् से ऊपर सभी वयस्क पुरुषों को मतािाकार प्रदान किया और काम के अिाकार की गारंटी दी। रोशगार उपलब्ध कराने के लिए राष्ट्रीय कारखाने स्थापित किए गए। इससे पहले 1845 में सिलेसिया में बुनकरों ने उन ठेकेदारों के ख्िालाप़फ विद्रोह कर दिया था जो उन्हें कच्चा माल देकर नि£मत कपड़ा लेते थे परंतु दाम बहुत कम थे। पत्राकार विल्हेम वोल्प़्ाफ ने सिलेसिया के एक गाँव की घटनाएँ इस प्रकार बयान कीं: इन गाँवों मेें ;18,000 आबादी वालेद्ध सूती कपड़ा बुनने का व्यवसाय सबसे व्यापक है.... श्रमिकों की हालत खस्ता है। काम के लिए बेताब लोगों का प़्ाफायदा उठा कर ठेकेदारों ने बनवाए जाने वाले माल की व़्ाफीमतें गिरा दी हैं.. 4 जून को दोपहर 2 बजे बुनकरों की एक भीड़ अपने घरों से निकली और दो व़्ाफतारों में चलते हुए ठेकेदार की कोठी पहुँची। वे श्यादा मशदूरी की माँग कर रहे थे। उनके साथ कभी घृणा का व्यवहार किया गया तो कभी सिलेसियाइर् बुनकरों के विद्रोह के कारणों का वणर्न करें। पत्राकार के नशरिए पर टिप्पणी करें। चचार् करें धमकियाँ दी गइ ± । इसके बाद यह भीड़ घर में शबरदस्ती घुस गइर् और चमचमाती ख्िाड़कियाँ, प़्ाफनीर्चर और चीनी - मिट्टी की बनी नप़्ाफीस चीशें तोड़ दीं.... एक अन्य गुट ने भंडारगृह में घुस कर कपड़े के भंडार को लूट कर उसे तार - तार कर दिया.....ठेकेदार अपने परिवार के साथ पड़ोस के गाँव भाग गया हालाँकि ऐसे व्यक्ित को उस गाँव ने शरण देने से इनकार कर गतिविध्ि कल्पना कीजिए कि आप एक बुनकर हैं जिसने चीजों को बदलते हुए देखा है। आपने क्या देखा, इस आधर पर एक रिपोटर् लिख्िाए। दिया। वह 24 घंटों बाद सेना को बुला कर उसकी मदद से लौटा। इसके बाद जो टकराव हुआ उसमें ग्यारह बुनकरों को गोली मार दी गइर्। ड्डोत - ग 3.3 1848: उदारवादियों की क्रांति 1848 में जब अनेक यूरोपीय देशों में ग़्ारीबी, बेरोशगारी और भुखमरी से ग्रस्त किसान - मशदूर विद्रोह कर रहे थे तब उसके समानांतर पढ़े - लिखे मध्यवगो± की एक क्रांति भी हो रही थी। प़् ाफरवरी 1848 की घटनाओं से राजा को गद्दी छोड़नी पड़ी थी और एक गणतंत्रा की घोषणा की गइर् जो सभी पुरुषों के सा£वक मतािाकार पर आधारित था। यूरोप के अन्य भागों में जहाँ अभी तक स्वतंत्रा राष्ट्र - राज्य अस्ितत्व में नहीं आए थेμजैसे जमर्नी, इटली, पोलैंड, आॅस्ट्रो - हंगेरियन साम्राज्यμवहाँ के उदारवादी मध्यवगो± के स्त्राी - पुरुषों ने संविधानवाद की माँग को राष्ट्रीय एकीकरण की माँग से जोड़ दिया। उन्हांेने बढ़ते जन असंतोष का प़्ाफायदा उठाया और एक राष्ट्र - राज्य के निमार्ण की माँगों को आगे बढ़ाया। यह राष्ट्र - राज्य संविधान, प्रेस की स्वतंत्राता और संगठन बनाने की आशादी जैसे संसदीय सि(ांतों पर आधारित था। जमर्न इलाव़्ाफों में बड़ी संख्या में राजनीतिक संगठनों ने प़्र् शहर में ौं्रफकप़्ाफटमिल कर एक सवर् - जमर्न नेशनल एसेंबली के पक्ष में मतदान का प़्ौ फसला लिया। 18 मइर् 1848 को, 831 निवार्चित प्रतिनििायों ने एक सजे - धजे जुलूस में जा कर प़्ौं्रफकप़्ाफटर् संसद में अपना स्थान ग्रहण किया। यह संसद सेंट पाॅल चचर् में आयोजित हुइर्। उन्होंने एक जमर्न राष्ट्र के लिए एक संविधान का प्रारूप तैयार किया। इस राष्ट्र की अध्यक्षता एक ऐसे राजा को सौंपी गइर् जिसे संसद के अधीन रहना था। जब प्रतिनििायों ने प्रशा के राजा प़्ा्रेफडरीख विल्हेम चतुथर् को ताज पहनाने की पेशकश की तो उसने उसे अस्वीकार कर उन राजाओं का साथ दिया जो निवार्चित सभा के विरोधी थे। जहाँ वुफलीन वगर् और सेना का विरोध बढ़ गया, वहीं संसद का सामाजिक आधार कमशोर हो गया। संसद में मध्य वगो± का प्रभाव अिाक था जिन्होंने मशदूरों और कारीगरों की माँगों का विरोध किया जिससे वे उनका समथर्न खो बैठे। अंत में सैनिकों को बुलाया गया और एसेंबली भंग होने पर मजबूर हुइर्। उदारवादी आंदोलन के अंदर महिलाओं को राजनीतिक अिाकार प्रदान करने का मुद्दा विवादास्पद था हालाँकि आंदोलन में वषो± से बड़ी संख्या में महिलाओं ने सिय रूप से भाग लिया था। महिलाओं ने अपने राजनीतिक संगठन स्थापित किए, अखबार शुरू किए और राजनीतिक बैठकों और प्रदशर्नों में श्िारकत की। इसके बावजूद उन्हें एसेंबली के चुनाव के दौरान नए शब्द नारीवाद: स्त्राी - पुरुष की सामाजिक, आ£थक एवं राजनीतिक समानता की सोच के आधार पर महिलाओं के अध्िकारों और हितों का बोध्। 17 उफपर बाईं दीघार् में महिलाएँ बैठी हैं। मतािाकार से वंचित रखा गया था। जब सेंट पाॅल चचर् में प्रर् संसद ़ैंफकप़फटकी सभा आयोजित की गइर् थी तब महिलाओं को केवल प्रेक्षकों की हैसियत से दशर्क - दीघार् में खड़े होने दिया गया। हालाँकि रूढि़वादी ताव़्ाफतें 1848 में उदारवादी आंदोलनों को दबा पाने में कामयाब हुईं ¯कतु वे पुरानी व्यवस्था बहाल नहीं कर पाईं। राजाओं को यह समझ में आना शुरू हो गया था कि उदारवादी - राष्ट्रवादी क्रांतिकारियों को रियायतें देकर ही क्रांति और दमन के चक्र को समाप्त किया जा सकता था। अतः 1848 के बाद के वषो± में मध्य और पूवीर् यूरोप की निरंवुफश राजशाहियों ने उन परिवतर्नों को आरंभ किया जो पश्िचमी यूरोप में 1815 से पहले हो चुके थे। इस प्रकार हैब्सबगर् अिाकार वाले क्षेत्रों और रूस में भूदासत्व और बंधुआ मशदूरी समाप्त कर दी गइर्। हैब्सबगर् शासकों ने हंगरीके लोगों को श्यादा स्वायत्तता प्रदान की हालाँकि इससे निरंवुफश मैग्यारों के प्रभुत्व का रास्ता ही साप़्ाफ हुआ। चचार् करें उफपर उ(ृत तीन लेखकों द्वारा महिलाओं के अिाकार के प्रश्न पर व्यक्त विचारों की तुलना करें। उनसे उदारवादी विचारधारा के बारे में क्या स्पष्ट होता है? नए शब्द विचारधरा: एक खास प्रकार की सामाजिक एवं राजनीतिक दृष्िट को इंगित करने वाले विचारों का समूह। 4 जमर्नी और इटली का निमार्ण 4.1 जमर्नीμक्या सेना राष्ट्र की निमार्ता हो सकती है? 1848 के बाद यूरोप में राष्ट्रवाद का जनतंत्रा और क्रांति से अलगाव होने लगा।राज्य की सत्ता को बढ़ाने और पूरे यूरोप पर राजनीतिक प्रभुत्व हासिल करने के लिए रूढि़वादियों ने अकसर राष्ट्रवादी भावनाओं का इस्तेमाल किया। इसे उस प्रिया में देखा जा सकता है जिससे जमर्नी और इटली एकीकृत होकर राष्ट्र - राज्य बने। जैसा आपने देखा है, राष्ट्रवादी भावनाएँ मध्यवगीर्य जमर्न लोगों में काप़् ाफी व्याप्त थीं और उन्होंने 1848 में जमर्न महासंघ के विभ्िान्न इलाव़्ाफों को जोड़ कर एक निवार्चित संसद द्वारा शासित राष्ट्र - राज्य बनाने का प्रयास किया था। मगर राष्ट्र निमार्ण की यह उदारवादी पहल राजशाही और प़्ाफौज की ताव़्ाफत ने मिलकर दबा दी। उनका प्रशा के बड़े भूस्वामियों ;श्रनदामतेद्ध ने भी समथर्न किया। उसके पश्चात प्रशा ने राष्ट्रीय एकीकरण के आंदोलन का नेतृत्व सँभाल लिया। उसका प्रमुख मंत्राी, आॅटो वाॅन बिस्मावर्फ इस प्रिया का जनक था जिसने प्रशा की सेना और प्रथम को जमर्नी का सम्राट घोष्िात किया गया। 18 जनवरी 1871 की सुबह बेहद ठंडी थी। जमर्न राज्यों के राजवुफमारों, सेना के प्रतिनििायों और प्रमुखमंत्राी आॅटो वाॅन बिस्मावर्फ समेत प्रशा के महत्त्वपूणर् मंत्रिायों की एक बैठक वसार्य के महल के बेहद ठंडे शीशमहल ;हाॅल आॅप़्ाफ मिरसर्द्ध में हुइर्। सभा ने प्रशा के काइशर विलियम प्रथम के नेतृत्व में नए जमर्न साम्राज्य की घोषणा की। जमर्नी में राष्ट्र निमार्ण प्रिया ने प्रशा राज्य की शक्ित के प्रभुत्व को दशार्ता था। नए राज्य ने जमर्नी की मुद्रा, बै¯कग और व़्ाफानूनी तथा न्यायिक व्यवस्थाओं के आधुनिकीकरण पर काप़् ाफी शोर दिया और प्रशा द्वारा उठाए व़्ाफदम और उसकी कारर्वाइयाँ बाव़्ाफी जमर्नी के लिए अकसर एक माॅडल बना। 4.2 इटली जमर्नी की तरह इटली में भी राजनीतिक विखंडन का एक लंबा इतिहास था। इटली अनेक वंशानुगत राज्यों तथा बहु - राष्ट्रीय हैब्सबगर् साम्राज्य में बिखरा हुआ था। उन्नीसवीं सदी के मध्य में इटली सात राज्यों में बँटा हुआ था जिनमें से केवल एकμसा£डनिया पीडमाॅण्ट में एक इतालवी राजघराने का शासनथा। उत्तरी भाग आॅस्िट्रयाइर् हैब्सबगो± के अधीन था, मध्य इलाव़्ाफों पर पोप का शासन था और दक्ष्िाणी क्षेत्रा स्पेन के बूबो± राजाओं के अधीन थे। इतालवी भाषा ने भी साझा रूप हासिल नहीं किया था और अभी तक उसके विविध क्षेत्राीय और स्थानीय रूप मौजूद थे। 1830 के दशक में ज्युसेपे मेत्िसनी ने एकीकृत इतालवी गणराज्य के लिए एक सुविचारित कायर्क्रम प्रस्तुत करने की कोश्िाश की थी। उसने अपने उद्देश्यों के प्रसार के लिए यंग इटली नामक एक गुप्त संगठन भी बनाया था। 1831 और 1848 में क्रांतिकारी विद्रोहों की असपफलता से यु( के शरिये इतालवी राज्यों को जोड़ने की िाम्मेदारी सा£डनिया - पीडमाॅण्ट के शासक विक्टर इमेनुएल द्वितीय पर आ गइर्। इस क्षेत्रा के शासक अभ्िाजातवगर् की नशरों में एकीकृत इटली उनके लिए आ£थक विकास और राजनीतिक प्रभुत्व की संभावनाएँ उत्पन्न करता था। मंत्राी प्रमुख कावूर,जिसने इटली के प्रदेशों को एकीकृत करने वाले आंदोलन का नेतृत्व किया, न तो एक क्रांतिकारी था और न ही जनतंत्रा में विश्वास रखने वाला। इतालवी अभ्िाजात वगर् के तमाम अमीर और श्िाक्ष्िात सदस्यों की तरह वह गतिविध्ि इस व्यंग्यचित्रा का वणर्न करें। इसमें बिस्मावर्फ और संसद के निवार्चित डेप्यूटीश के बीच किस प्रकार का संबंध् दिखायी देता है? यहाँ चित्राकार लोकतांत्रिाक प्रियाओं की क्या व्याख्या करना चाहता है? इतालवी भाषा से कहीं बेहतर प ्र ़ ़ेंफच बोलता था। प्रफांस से सा£डनिया - पीडमाॅण्ट की एक चतुर वूफटनीतिक संिा, जिसके पीछे कावूर का हाथ था, से सा£डनिया - पीडमाॅण्ट 1859 में आॅस्िट्रयाइर् बलों को हरा पाने में कामयाब हुआ। नियमित सैनिकों के अलावा ज्युसेपे गैरीबाॅल्डी के नेतृत्व में भारी संख्या में सशस्त्रा स्वयंसेवकों ने इस यु( में हिस्सा लिया। 1860 में वे दक्ष्िाण इटली और दो सिसिलियों के राज्य में प्रवेश कर गए और स्पेनी शासकों को हटाने के लिए स्थानीय किसानों का समथर्न पाने में सपफल रहे।1861 में इमेनुएल द्वितीय को एकीकृत इटली का राजा घोष्िात किया गया।मगर, इटली के अिाकांश निवासी जिनमें निरक्षरता की दर काप़्ाफी ऊँची थी, अभी भी उदारवादी - राष्ट्रवादी विचारधारा से अनजान थे। दक्ष्िाणी इटली में जिन आम किसानों ने गैरीबाॅल्डी को समथर्न दिया था, उन्होंने इटालिया ;प्जंसपंद्ध के बारे में कभी सुना ही नहीं था और वे मानते थे कि ला टालिया ;स्ं ज्ंसपंद्ध विक्टर इमेनुएल की पत्नी थी। 4.3 बि्रटेन की अजीब दास्तान वुफछ विद्वानों ने तवर्फ दिया है कि राष्ट्र या राष्ट्र - राज्य का माॅडल या आदशर् ग्रेट बि्रटेन है। बि्रटेन में राष्ट्र - राज्य का निमार्ण अचानक हुइर् कोइर् उथल - पुथल या क्रांति का परिणाम नहीं था। यह एक लंबी चलने वाली प्रिया का गतिविध्ि चित्रा 14 ;कद्ध को देखें। क्या आपको लगता है कि इनमें से किसी भी क्षेत्रा में रहने वाले खुद को इतालवी मानते होंगे? चित्रा 14 ;खद्ध की जाँच करें। कौन सा क्षेत्रा सबसे पहलेएकीकृत इटली का हिस्सा बना? सबसे आख्िार में कौन साक्षेत्रा शामिल हुआ? किस साल सबसे ज्यादा राज्य एकीकृत इटली में शामिल हुए? नए शब्द नतीजा था। अठारहवीं सदी के पहले बि्रतानी राष्ट्र था ही नहीं। बि्रतानी नृजातीय ;म्जीदपबद्ध: एक साझा नस्ली, जनजातीय या सांस्कृतिक उद्गम अथवा पृष्ठभूमि जिसे कोइर् समुदाय अपनी द्वीपसमूह में रहने वाले लोगोंμअंग्रेश, वेल्श, स्काॅट या आयरिशμकी मुख्य पहचान मानता है। पहचान नृजातीय ;म्जीदपबद्ध थी। इन सभी जातीय समूहों की अपनी सांस्कृतिक और राजनीतिक परंपराएँ थीं। लेकिन जैसे - जैसे आंग्ल राष्ट्र कीधन - दौलत, अहमियत और सत्ता में वृि हुइर् वह द्वीपसमूह के अन्य राष्ट्रों पर अपना प्रभुत्व बढ़ाने में सपफल हुआ। एक लंबे टकराव और संघषर् के बाद आंग्ल संसद ने 1688 में राजतंत्रा से ताव़्ाफत छीन ली थी। इस संसद के माध्यम से एक राष्ट्र - राज्य का निमार्ण हुआ जिसके वेंफद्र में इंग्लैंड था। इंग्लैंड और स्काॅटलैंड के बीच ऐक्ट आॅप़्ाफ यूनियन ;1707द्ध से ‘यूनाइटेड ¯कग्डम आॅप़्ाफ ग्रेट बि्रटेन’ का गठन हुआ। इससे इंग्लैंड, व्यवहार में स्काॅटलैंड पर अपना प्रभुत्व जमा पाया। इसके बाद बि्रतानी संसद में आंग्ल सदस्यों का दबदबा रहा। एक बि्रतानी पहचान के विकास का अथर् यह हुआकि स्काॅटलैंड की खास संस्कृति और राजनीतिक संस्थानों को योजनाब( तरीव़्ोफ से दबाया गया। स्काॅटिश हाइलैंड्स के निवासी जिन वैफथलिक वुफलों ने जब भी अपनी आशादी को व्यक्त करने का प्रयास किया उन्हें शबरदस्त दमन का सामना करना पड़ा। स्काॅटिश हाइलैंड्स के लोगों को अपनी गेलिक भाषा बोलने या अपनी राष्ट्रीय पोशाक पहनने की मनाही थी। उनमें से बहुत सारे लोगों को अपना वतन छोड़ने पर मजबूर किया गया। आयरलैंड का भी वुफछ ऐसा ही हश्र हुुआ। वह देश वैफथलिक और प्रोटेस्टेंट धा£मक गुटों में गहराइर् में बँटा हुआ था। अंग्रेजों ने आयरलैंड मंे प्रोटेस्टेंट धमर् मानने वालों को बहुसंख्यक वैफथलिक देश पर प्रभुत्व बढ़ाने में सहायता की। बि्रतानी प्रभाव के विरु( हुए वैफथलिक विद्रोहों को निमर्मता से वुफचल दिया गया। वोल्प़् ाफ टोन और उसकी यूनाइटेड आयरिशमेन ;1798द्ध की अगुवाइर् में हुए असपफल विद्रोह के बाद 1801 में आयरलैंड को बलपूवर्क यूनाइटेड ¯कग्डम में शामिल कर लिया गया। एक नए ‘बि्रतानी राष्ट्र’ का निमार्णकिया गया जिस पर हावी आंग्ल संस्कृति का प्रचार - प्रसार किया गया। नए बि्रटेन के प्रतीक - चिह्नों, बि्रतानी झंडा ;यूनियन जैकद्ध और राष्ट्रीय गान ;गाॅड सेव अवर नोबल ¯कगद्ध को खूब बढ़ावा दिया गया और पुराने राष्ट्र इस संघ में मातहत सहयोगी के रूप में ही रह पाए। बाॅक्स 2 ज्युसेपे गैरीबाॅल्डी ;1807 - 82द्ध संभवतः इटली के स्वतंत्राता सेनानियों में सबसे मशहूर है। उसका संबंध एक ऐसे परिवार से था जो तटीय व्यापार में संलग्न था और वह स्वयं व्यापारिक नौसेना में एक नाविक था। 1833 में उसकी मुलाव़्ाफात मेत्िसनी से हुइर्, वह ‘यंग इटली’ आंदोलन से जुड़ा और 1834 में पीडमाॅण्ट के गणतंत्राीय विद्रोह में उसने भाग लिया। यह विद्रोह वुफचल दिया गया और गैरीबाॅल्डी को दक्ष्िाण अमेरिका भागना पड़ा जहाँ वह 1848 तक निवार्सन में रहा। 1854 में उसने विक्टर इमेनुएल प्प् का समथर्न किया जो इतालवी राज्यों को एकीवृफत करने का प्रयास कर रहा था। 1860 में गैरीबाॅल्डी ने दक्ष्िाण इटली की तरप़्ाफ एक्सपिडिशन आॅप़्ाफ द थाउशेंड ;हशार लोगों का अभ्िायानद्ध का नेतृत्व किया। इस अभ्िायान में नए स्वयंसेवक जुड़ते चले गए और उनकी संख्या लगभग 30,000 तक पहुँच गइर्। वे ‘रेड शटर््स’ के नाम से लोकपि्रय हुए। 1867 में गैरीबाॅल्डी के नेतृत्व में स्वयंसेवकों की एक सेना पेपल राज्यों से लड़ने रोम गइर् जो इटली के एकीकरण में अंतिम बाधा थी। वहाँ एक प़्ा्रफांसीसी सैनिक टुकड़ी तैनात थी। ‘रेड शटर््स’ प़्ा्रफांसीसी और पेपल सैनिकों के सामने टिक नहीं पाए। 1870 में जब प्रशा से यु( के दौरान प़्ा्रफांस ने रोम से अपने सैनिक हटा लिए तब जाकर पेपल राज्य अंततः इटली में सम्िमलित हुए। गतिविध्ि चित्राकार ने गैरीबाल्डी को साडीर्निया - पीडमाॅण्ट के राजा को जूते पहनाते दिखाया है। अब इटली के नक़्शे को पिफर देखें। यह व्यंग्यचित्रा क्या कहने का प्रयास कर रहा है? किसी शासक को एक चित्रा या मू£त के रूप में अभ्िाव्यक्त करना आसान है ¯कतु एक राष्ट्र को चेहरा वैफसे दिया जा सकता है? अठारहवीं और उन्नीसवीं सदी में कलाकारों ने राष्ट्र का मानवीकरण करके इस प्रश्न को हल किया। दूसरे शब्दों में, उन्होंने एक देश को वुफछ यूँ चित्रिात किया जैसे वह कोइर् व्यक्ित हो। उस समय राष्ट्रों को नारी भेष में प्रस्तुत किया जाता था। राष्ट्र को व्यक्ित का जामा पहनाते हुए जिस नारी रूप को चुना गया वह असल जीवन में कोइर् खास महिला नहीं थी। यह तो राष्ट्र के अमूतर् विचार को ठोस रूप प्रदान करने का प्रयास था। यानी नारी की छवि राष्ट्र का रूपक बन गइर्। आपको याद होगा कि प़्ा्रफंासीसी क्रांति के दौरान कलाकारों ने स्वतंत्राता, न्याय और गणतंत्रा जैसे विचारों को व्यक्त करने के लिए नारी रूपक का प्रयोग किया। इन आदशो± को विशेष वस्तुओं या प्रतीकों से व्यक्त किया गया था। जैसा कि आपको याद होगा स्वतंत्राता का प्रतीक लाल टोपी या टूटी शंजीर है और इंसाप़्ाफ को आमतौर पर एक ऐसी महिला के प्रतीकात्मक रूप से व्यक्त किया जाता है जिसकी आँखों पर पट्टी बँधी हुइर् है और वह तराशू लिए हुए है। इसी प्रकार के नारी रूपकों का आविष्कार कलाकारों ने उन्नीसवीं सदी में किया। प़्ा्रफांस में उसे लोकपि्रय इर्साइर् नाम मारीआन दिया गया जिसने जन - राष्ट्र के विचार को रेखांकित किया। उसके चिह्न भी स्वतंत्राता और गणतंत्रा के थे μ लाल टोपी, तिरंगा और कलगी। मारीआन की प्रतिमाएँ सावर्जनिक चैकों पर लगाइर् गईं ताकि जनता को एकता के राष्ट्रीय प्रतीक की याद आती रहे और लोग उससे तादात्म्य स्थापित कर सवेंफ। मारीआन की छवि सिक्कों और डाक टिकटों पर अंकित की गइर्। इसी तरह जमेर्निया, जमर्न राष्ट्र का रूपक बन गइर्। चाक्षुष अभ्िाव्यक्ितयों में जमेर्निया बलूत वृक्षके पत्तों का मुवुफट पहनती है क्योंकि जमर्न बलूत वीरता का प्रतीक है। नए शब्द रूपक: जब किसी अमूतर् विचार ;जैसे, लालच, इर्ष्यार्, स्वतंत्राता, मुक्ितद्ध को किसी व्यक्ित या किसी चीश के जरिए इंगित किया जाता है। एक रूपकात्मक कहानी के दो अथर् होते हैं - एक शाब्िदक और एक प्रतीकात्मक। इसमें मारीआन की तसवीर बनाइर् गइर् है जो प़्ा्रफांसीसी गणराज्य का प्रतिनिध्ित्व करती है। चित्राकार ने जमेर्निया के इस चित्रा को सूती झंडे पर बनाया चूँकि इसे सेंट पाॅल चचर् की छत से लटकना था और जहाँ माचर् 1848 में प्ऱैंफकप़्ाफटर् संसद बुलाइर् गइर्। बाॅक्स 3 प्रतीकों के अथर् गुण महत्त्व टूटी हुइर् बेडि़याँ आशादी मिलना बाश - छाप कवच जमर्न साम्राज्य की प्रतीक - शक्ित बलूत पिायों का मुवुफट बहादुरी तलवार मुव़्ाफाबले की तैयारी तलवार पर लिपटी जैतून की डाली शांति की चाह काला, लाल और सुनहरा तिरंगा 1848 में उदारवादी - राष्ट्रवादियों का झंडा, जिसे जमर्न राज्यों के ड्यूक्स ने प्रतिबंध्ित घोष्िात कर दिया उगते सूयर् की किरणें एक नए युग का सूत्रापात गतिविध्ि बाॅक्स 3 में दिए गए चाटर् की सहायता से वेइत की जमेर्निया के गुणों को पहचानें और तसवीर के प्रतीकात्मक अथर् की व्याख्या करें। 1836 की एक पुरानी रूपकात्मक तसवीर में वेइत ने काइशर के मुवुफट को उस जगह चित्रिात किया था जहाँ अब उन्होंनेटूटी हुइर् बेडि़याँ दिखायी हैं। इस बदलाव का महत्त्व स्पष्ट करें। गतिविध्ि बताएँ कि चित्रा 18 में आपको क्या दिखायी पड़ रहा है। राष्ट्र के इस रूपकात्मक चित्राण में ह्यूबनर किन ऐतिहासिक घटनाओं की ओर संकेत कर रहे हैं? 1860 में चित्राकार लाॅरेन्श क्लासेन को यह चित्रा बनाने का काम सौंपा गया। जमेर्निया की तलवार पर खुदा हुआ है: ‘जमर्न तलवार जमर्न राइन की रक्षा करती है’ गतिविध्ि चित्रा 10 को एक बार पिफर देखें। कल्पना करें की आप माचर् 1848 में प्ऱैंफकप़्ाफटर् के नागरिक हैं और संसद की कारर्वाइर् के समय वहीं मौजूद हैं। यदि आप हाॅल आॅप़्ाफ डेप्यूटीश में बैठे हुए पुरुष होते तो दीवार पर लगे जमेर्निया के बैनर को देखकर क्या महसूस करते? और अगर आप हाॅल आॅप़्ाफ डेप्यूटीश में बैठी महिला होतीं तो इस चित्रा को देखकर क्या महसूस करतीं? दोनों भाव लिखें। 6 राष्ट्रवाद और साम्राज्यवाद उन्नीसवीं सदी की अंतिम चैथाइर् तक राष्ट्रवाद का वह आदशर्वादी उदारवादी - जनतांत्रिाक स्वभाव नहीं रहा जो सदी के प्रथम भाग में था। अब राष्ट्रवाद सीमित लक्ष्यों वाला संकीणर् सि(ांत बन गया। इस बीच के दौर में राष्ट्रवादी समूह एक - दूसरे के प्रति अनुदार होते चले गए और लड़ने के लिए हमेशा तैयार रहते थे। साथ ही प्रमुख यूरोपीय शक्ितयों ने भी अपने साम्राज्यवादी उद्देश्यों की प्राप्ित के लिए अधीन लोगों की राष्ट्रवादी आकांक्षाओं का इस्तेमाल किया। 1871 के बाद यूरोप में गंभीर राष्ट्रवादी तनाव का ड्डोत बाल्कन क्षेत्रा था। इस क्षेत्रा में भौगोलिक और जातीय भ्िान्नता थी। इसमें आधुनिक रोमानिया, बुल्गेरिया, अल्बेनिया, यूनान, मेसिडोनिया, क्रोएश्िाया, बोस्िनया - हशेर्गोविना, स्लोवेनिया, स£बया और माॅन्िटनिग्रो शामिल थे। क्षेत्रा के निवासियों को आमतौर पर स्लाव पुकारा जाता था। बाल्कन क्षेत्रा का एक बड़ा हिस्सा आॅटोमन साम्राज्य के नियंत्राण में था। बाल्कन क्षेत्रा में रूमानी राष्ट्रवाद के विचारों के पैफलने और आॅटोमन साम्राज्य के विघटन से स्िथति काप़्ाफी विस्पफोटक हो गइर्। उन्नीसवीं सदी में आॅटोमन साम्राज्य ने आधुनिकीकरण और आंतरिक सुधारों के शरिए मशबूत बनना चाहा था ¯कतु इसमें इसे बहुत कम सपफलता मिली। एक के बाद एक उसके अधीन यूरोपीय राष्ट्रीयताएँ उसके चंगुल से निकल कर स्वतंत्राता की घोषणा करने लगीं। बाल्कन लोगों ने आशादी या राजनीतिक अिाकारों के अपने दावों को राष्ट्रीयता का आधार दिया। उन्होंने इतिहास का इस्तेमाल यह साबित करने के लिए किया कि वे कभी स्वतंत्रा थे ¯कतु तत्पश्चात विदेशी शक्ितयों ने उन्हें अधीन कर लिया। अतः बाल्कन क्षेत्रा के विद्रोही राष्ट्रीय समूहों ने अपने संघषो± को लंबे समय से खोइर् आशादी को वापस पाने के प्रयासों के रूप मंे देखा। जैसे - जैसे विभ्िान्न स्लाव राष्ट्रीय समूहों ने अपनी पहचान और स्वतंत्राता की परिभाषा तय करने की कोश्िाश की, बाल्कन क्षेत्रा गहरे टकराव का क्षेत्रा बन गया। बाल्कन राज्य एक - दूसरे से भारी इर्ष्यार् करते थे और हर एक राज्य अपने लिए श्यादा से श्यादा इलाव़्ाफा हथ्िायाने की उम्मीद रखता था। परिस्िथतियाँ और अिाक जटिल इसलिए हो गईं क्योंकि बाल्कन क्षेत्रा में बड़ी शक्ितयों के बीच प्रतिस्पधार् होने लगी। इस समय यूरोपीय शक्ितयों के बीच व्यापार, और उपनिवेशों के साथ नौसैनिक और सैन्य ताव़्ाफत के लिए गहरी प्रतिस्पधार् थी। जिस तरह बाल्कन समस्या आगे बढ़ी उसमें यह प्रतिस्पधार्एँ खुल कर सामने आईं। रूस, जमर्नी, इंग्लैंड, आॅस्ट्रो - हंगरी की हर ताव़्ाफत बाल्कन पर अन्य शक्ितयों की पकड़ को कमशोर करके क्षेत्रा में अपने प्रभाव को बढ़ाना चाहती थीं। इससे इस इलाव़्ोफ में कइर् यु( हुए और अंततः प्रथम विश्व यु( हुआ। साम्राज्यवाद से जुड़ कर राष्ट्रवाद 1914 में यूरोप को महाविपदा की ओर ले गया। लेकिन इस बीच विश्व के अनेक देशों ने जिनका उन्नीसवीं सदी में यूरोपीय शक्ितयों ने औपनिवेशीकरण किया था, साम्राज्यवादी प्रभुत्व का विरोध् करने लगे। हर तरप़्ाफ जो साम्राज्य विरोधी आंदोलन विकसित हुए इस अथर् में राष्ट्रवादी थे कि वे सभी स्वतंत्रा राष्ट्र - राज्य का निमार्ण करने के लिए संघषर् कर रहे थे। वे सभी एक सामूहिक राष्ट्रीय एकता की भावना से प्रेरित थे जो साम्राज्यवाद - विरोध की प्रिया में उभरी। राष्ट्रवाद के यूरोपीय विचार कहीं और नहीं दोहराए गए क्योंकि हर जगह लोगों ने अपनी तरह का विश्िाष्ट राष्ट्रवाद विकसित किया। मगर यह विचार कि समाजों को ‘राष्ट्र - राज्यों’ में गठित किया जाना चाहिए, अब स्वाभाविक और सावर्भौम मान लिया गया। संक्षेप में लिखें चचार् करें परियोजना कायर् यूरोप से बाहर के देशों में राष्ट्रवादी प्रतीकों के बारे में और जानकारियाँ इकट्ठा करें। एक या दो देशों के विषय में ऐसी तसवीरें, पोस्टसर् और संगीत इकट्ठा करें जो राष्ट्रवाद के प्रतीक थे। वे यूरोपीय राष्ट्रवाद के प्रतीकों से भ्िान्न वैफसे हैं? परियोजना कायर्

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