
सत्ता की साझेदारी परिचय इस अध्याय के साथ हम लोकतंत्रा की उस यात्रा को आगे बढ़ाएँगे जो पिछले साल शुरू हुइर् थी। पिछले साल हमने देखा था कि लोकतांत्रिाक व्यवस्था में सारी ताकत किसी एक अंग तक सीमित नहीं होती। विधयिका, कायर्पालिका और न्यायपालिका के बीच पूरी समझ के साथ सत्ता को विवेंफित कर देना लोकतंत्रा के कामकाज के लिए बहुत शरूरी है। पहले तीन अध्यायों में हम सत्ता के बँटवारे पर सोच - विचार को आगे बढ़ाएँगे। आइए, हम बेल्िजयम और श्रीलंका की दो कथाओं के साथ शुरुआत करते हैं। ये दोनों घटनाएँ बताती हैं कि विभ्िान्न लोकतांत्रिाक शासन प(तियाँ सत्ता के बँटवारे की माँग से किस तरह निपटती हैं। इन घटनाओं से यह समझने में वुफछ मदद मिलेगी कि आख्िार लोकतंत्रा में सत्ता के बँटवारे की शरूरत क्यों होती है। इससे हम सत्ता के बँटवारे के उन रूपों पर बातचीत कर सवेंफगे जिनकी चचार् अगले दो अध्यायों में की गइर् है। अध्याय 1 सत्ता की साझेदारी बेल्िजयम और श्रीलंका बेल्िजयम यूरोप का एक छोटा - सा देश है, क्षेत्रापफल में हमारे हरियाणा राज्य से भी छोटा। इसकी सीमाएँ प्रफांस, नीदरलैंड, जमर्नी और लक्समबगर् से लगती हैं। इसकी आबादी एक करोड़ से थोड़ी अध्िक है यानी हरियाणा की आबादी से करीब आध्ी। इस छोटे से देश के समाज की जातीय बुनावट बहुत जटिल है। देश की वुफल आबादी का 59 पफीसदी हिस्सा़फ्रलेमिश इलाके में रहता है और डच बोलता है। शेष 40 प़्ाफीसदी लोग वेलोनिया क्षेत्रा में रहते हैं और प्रेंफच बोलते हैं। शेष एक प़् ाफीसदी लोग जमर्न बोलते हैं। राजधनी बू्रसेल्स के 80 प़्ाफीसदी लोग प्रेंफच बोलते हैं और 20 प़्ाफीसदी लोग डच भाषा। अल्पसंख्यक प्रेंफच - भाषी लोग तुलनात्मक रूप से श्यादा समृ( और ताकतवर रहे हैं। बहुत बाद में जाकर आथ्िार्क विकास और श्िाक्षा का लाभ पाने वाले डच - भाषी लोगों को इस स्िथति से नाराशगी थी। इसके चलते 1950 और 1960 के दशक में प्रेंफच और डच बोलने वाले समूहों के बीच तनाव बढ़ने लगा। इन दोनों समुदायों के टकराव का सबसे तीखा रूप ब्रूसेल्स में दिखा। यह एक विशेष तरह की समस्या थी। डच बोलने वाले लोग संख्या के हिसाब से अपेक्षाकृत श्यादा थे लेकिन ध्न और समृि के मामले में कमशोर और अल्पमत में थे। आइए, इस स्िथति की तुलना एक और देश से करें। श्रीलंका एक द्वीपीय देश है जो तमिलनाडु के दक्ष्िाणी तट से वुफछ किलोमीटर की दूरी पर स्िथत है। इसकी आबादी करीब दो करोड़ है यानी हरियाणा के बराबर। दक्ष्िाण एश्िाया के अन्य देशों की तरह श्रीलंका की आबादी में भी कइर् जातीय समूहों के लोग हैं। सबसे प्रमुख सामाजिक समूह सिंहलियों का है जिनकी आबादी वुफल जनसंख्या की 74 प़्ाफीसदी है। पिफर तमिलों का नंबर आता है जिनकी आबादी वुफल जनसंख्या में 18 पफीसदी है। ़तमिलों में भी दो समूह हैं - श्रीलंकाइर् मूल एथनीक या जातीय: ऐसा सामाजिक विभाजन जिसमें हर समूह अपनी - अपनी संस्कृति को अलग मानता है यानी यह साझी संस्कृति पर आधरित सामाजिक विभाजन है। किसी भी जातीय समूह के सभी सदस्य मानते हैं कि उनकी उत्पिा समान पूवर्जों से हुइर् है और इसी कारण उनकी शारीरिक बनावट और संस्कृति एक जैसी है। शरूरी नहीं कि ऐसे समूह के सदस्य किसी एक ध्मर् के मानने वाले हों या उनकी राष्ट्रीयता एक हो। के तमिल ;13 प़्ाफीसदीद्ध और हिंदुस्तानी तमिल जो औपनिवेश्िाक शासनकाल में बागानों में काम करने के लिए भारत से लाए गए लोगों की संतान हैं। मौजूदा श्रीलंका के नक्शे पर गौर करें तो पाएँगे कि तमिल मुख्य रूप से उत्तर और पूवीर् प्रांतों में आबाद हैं। अध्िकतर सिंहली - भाषी लोग बौ( हैं जबकि तमिल - भाषी लोगों में वुफछ ¯हदू हैं और वुफछ मुसलमान। श्रीलंका की आबादी में इर्साइर् लोगों का हिस्सा 7 प़्ाफीसदी है और वे सिंहली और तमिल, दोनों भाषाएँ बोलते हैं। श्रीलंका में बहुसंख्यकवाद सन् 1948 में श्रीलंका स्वतंत्रा राष्ट्र बना। सिंहली समुदाय के नेताओं ने अपनी बहुसंख्या के बल पर शासन पर प्रभुत्व जमाना चाहा। इस वजह से लोकतांत्रिाक रूप से निवार्चित सरकार ने ¯सहली समुदाय की प्रभुता कायम करने के लिए अपनी बहुसंख्यक - परस्ती के तहत कइर् कदम उठाए। 1956 में एक कानून बनाया गया जिसके तहत तमिल को दरकिनार करके सिंहली को एकमात्रा राजभाषा घोष्िात कर दिया गया। विश्वविद्यालयों और सरकारी नौकरियों में सिंहलियों को प्राथमिकता देने की नीति भी चली। नए संविधन में यह प्रावधन भी किया गया कि सरकार बौ( मत को संरक्षण और बढ़ावा देगी। एक - एक करके आए इन सरकारी प़् ौफसलों ने श्रीलंकाइर् तमिलों की नाराशगी और शासन को लेकर उनमें बेगानापन बढ़ाया। उन्हें लगा कि बौ( ध्मार्वलंबी सिंहलियों के नेतृत्व वाली सारी राजनीतिक पाटिर्याँ उनकी भाषा और संस्कृति को लेकर असंवेदनशील हैं। उन्हें लगा कि संविधन और सरकार की नीतियाँ उन्हें समान अब शरा सोचिए कि ऐसी स्िथति में क्या हो सकता था? बेल्िजयम में डच - भाषी लोग अपनी बड़ी संख्या के बल पर प्रेंफच - भाषी और जमर्न - भाषी लोगों पर अपनी इच्छाएँ थोप सकते थे। इससे उनके बीच की लड़ाइर् और बढ़ जाती। संभव था इससे देश बँट जाता और ब्रूसेल्स पर दोनों पक्ष अपना - अपना दावा ठोकते। श्रीलंका में सिंहली आबादी का बहुमत और श्यादा था और वे लोग मुल्क में अपनी मनमानी चला सकते थे। आइए, अब यह देखें कि असल में दोनों देशों में क्या - क्या हुआ? राजनीतिक अध्िकारों से वंचित कर रही हैं। नौकरियों और प़्ाफायदे के अन्य कामों में उनके साथ भेदभाव हो रहा है और उनके हितों की अनदेखी की जा रही है। परिणाम यह हुआ कि तमिल और सिंहली समुदायों के संबंध् बिगड़ते चले गए। श्रीलंकाइर् तमिलों ने अपनी राजनीतिक पाटिर्याँ बनाइर्ं और तमिल को राजभाषा बनाने, क्षेत्राीय स्वायत्तता हासिल करने तथा श्िाक्षा और रोशगार में समान अवसरों की माँग को लेकर संघषर् किया। लेकिन तमिलों की आबादी वाले इलाके की स्वायत्तता की उनकी माँगों को लगातार नकारा गया। 1980 के दशक तक उत्तर - पूवीर् श्रीलंका में स्वतंत्रा तमिल इर्लम ;सरकारद्ध बनाने की माँग को लेकर अनेक राजनीतिक संगठन बने। श्रीलंका में दो समुदायों के बीच पारस्परिक यह टकराव गृहयु( में परिणत हुआ। परिणामस्वरूप दोनों पक्ष के हशारों लोग मारे जा चुके हैं। अनेक परिवार अपने मुल्क से भागकर शरणाथीर् बन गए हैं। इससे भी कइर् गुना श्यादा लोगों की रोजी - रोटी चैपट हो गइर् है। आपने पढ़ा है ;दसवीं कक्षा के अथर्शास्त्रा की पाठ्यपुस्तक के पहले अध्याय मेंद्ध कि हमारे क्षेत्रा के देशों में आथ्िार्क विकास, श्िाक्षा और स्वास्थ्य के मामले में श्रीलंका का रिकाॅडर् सबसे अच्छा है पर वहाँ के गृहयु( से मुल्क के सामाजिक, सांस्कृतिक और आथ्िार्क जीवन अविश्वास ने बड़े टकराव का रूप ले लिया। ाफी परेशानियाँ पैदा हुइर् हैं।में काप़् बेल्िजयम की समझदारी बेल्िजयम के नेताओं ने श्रीलंका से अलग समूह के सांसदों का बहुमत उसके पक्ष में ़ रास्ता अपनाने का पैफसला किया। उन्होंने क्षेत्राीय अंतरों और सांस्कृतिक विविध्ता को स्वीकार एकतरपफा प़़्ौफसला नहीं कर सकते। किया। 1970 और 1993 के बीच उन्होंने ऽ वेंफद्र सरकार की अनेक शक्ितयाँ देश हो। इस प्रकार किसी एक समुदाय के लोग गृहयु(: किसी मुल्क में सरकार विरोध्ी समूहों की हिंसक लड़ाइर् ऐसा रूप ले ले कि वह यु( सा लगे तो उसे गृहयु( कहते हैं। ़ अपने संविधन में चार संशोध्न सिपर्फ इस बात के लिए किए कि देश में रहने वाले किसी भी आदमी को बेगानेपन का अहसास न हो और सभी मिल - जुलकर रह सवेंफ। उन्होंने इसके लिए जो व्यवस्था की वह बहुत ही कल्पनाशील है तथा कोइर् और देश ऐसा नहीं कर पाया। बेल्िजयम के माॅडल ;विशेष जानकारियों के लिए देखें बाॅक्सद्ध की वुफछ मुख्य बातें निम्नलिख्िात हैं: ऽ संविधन में इस बात का स्पष्ट प्रावधन है कि वेंफद्रीय सरकार में डच और प्रेंफच - भाषी मंत्रिायों की संख्या समान रहेगी। वुफछ विशेष के दो इलाकों की क्षेत्राीय सरकारों को सुपुदर् कर दी गइर् हैं यानी राज्य सरकारें वेंफद्रीय सरकार के अध्ीन नहीं हैं। ऽ ब्रूसेल्स में अलग सरकार है और इसमें दोनों समुदायों का समान प्रतिनिध्ित्व है। प्रेंफच - भाषी लोगों ने ब्रूसेल्स में समान प्रतिनिध्ित्व के इस प्रस्ताव को स्वीकार किया क्योंकि डच - भाषी लोगों ने वेंफद्रीय सरकार में बराबरी का प्रतिनिध्ित्व स्वीकार किया था। विकीपीडिया वेंफद्रीय और राज्य सरकारों के अलावा यहाँ एक तीसरे स्तर की सरकार भी काम करती है यानी सामुदायिक सरकार। इस सरकार का चुनाव एक ही भाषा बोलने वाले लोग करते हैं। डच, प्रेंफच और जमर्न बोलने वाले समुदायों के लोग चाहे वे जहाँ भी रहते हों, इस सामुदायिक सरकार को चुनते हैं। इस सरकार को संस्कृति, श्िाक्षा और भाषा जैसे मसलों पर प़्ौफसले लेने का अध्िकार है। आपको बेल्िजयम का माॅडल वुफछ जटिल लग सकता है। निश्िचत रूप से यह जटिल है - खुद बेल्िजयम में रहने वालों के लिए भी। पर यह व्यवस्था बेहद सपफल रही है। इससे मुल्क में गृहयु( की आशंकाओं पर विराम लग गया है वरना गृहयु( की स्िथति में बेल्िजयम भाषा के आधर पर दो टुकड़ों में बँट गया होता। जब अनेक यूरोपीय देशों ़ पैफसला किया तो ब्रूसेल्स को उसका मुख्यालय ने साथ मिलकर यूरोपीय संघ बनाने का चुना गया। खबरों की कतरनें जमा करें। पाँच - पाँच छात्रों के दो समूह एक साथ यह काम कर सकते हैं। पिफर दोनों समूह अपनी सारी कतरन साथ मिलाकर वुफछ इस तरह से काम कर सकते हैं: ऽ सारे झगड़ों को उनके स्थान ;अपने प्रदेश, देश, देश से बाहरद्ध के हिसाब से वगीर्कृत करें। ऽ इन टकरावों के कारण जानने की कोश्िाश करें। इनमें से कितने विवाद सत्ता के बँटवारे को लेकर हैं? ऽ इनमें से किस - किस विवाद को सत्ता में साझेदारी तय करके सुलझाया जा सकता है? बेल्िजयम और श्रीलंका की इन कथाओं से हमें क्या श्िाक्षा मिलती है? दोनों ही देश लोकतांत्रिाक हैं। पिफर भी सत्ता में साझेदारी के सवाल को उन्होंने अलग - अलग ढंग से निपटाने की कोश्िाश की। बेल्िजयम के नेताओं को लगा कि विभ्िान्न समुदाय और क्षेत्रों की भावनाओं का आदर करने पर ही देश की एकता संभव है। इस एहसास के चलते दोनों पक्ष सत्ता में साझेदारी करने पर सहमत हुए। श्रीलंका में ठीक उलटा रास्ता अपनाया गया। इससे यह पता चलता है कि अगर बहुसंख्यक समुदाय दूसरों पर प्रभुत्व कायम करने और सत्ता में उनको हिस्सेदार न बनाने का प़्ौफसला करता है तो इससे देश की एकता ही संकट में पड़ सकती है। टैब - द वैफलगरी सन, केगल काटू±स इस प्रकार सत्ता के बँटवारे के पक्ष में दो तरह के तवर्फ दिए जा सकते हैं। पहला, सत्ता का बँटवारा ठीक है क्योंकि इससे विभ्िान्न सामाजिक समूहों के बीच टकराव का अंदेशा कम हो जाता है। चूँकि सामाजिक टकराव आगे बढ़कर अक्सर हिंसा और राजनीतिक अस्िथरता का रूप ले लेता है इसलिए सत्ता में हिस्सा दे देना राजनीतिक व्यवस्था के स्थायित्व के लिए अच्छा है। बहुसंख्यक समुदाय की इच्छा को बाकी सभी पर थोपना तात्कालिक तौर पर लाभकारी लग सकता है पर आगे चलकर यह देश की अखंडता के बाईं तरप़्ाफ अंकित काटूर्न में जमर्नी की एक समस्या का संकेत किया गया है। वहाँ िश्िचयन डेमोव्रेफटिक पाटीर् और सोशल डेमोव्रेफटिक पाटीर् नामक दो बड़ी पाटिर्यों की गठबंध्न सरकार है। ऐतिहासिक रूप से ये दोनों पाटिर्याँ एक - दूसरे की प्रतिस्पध्ीर् रही हैं। सन् 2005 के चुनावों में इन दोनों में से किसी को अपने बूते सरकार बनाने लायक बहुमत नहीं मिला इसलिए इन्हें गठबंध्न - सरकार बनानी पड़ी। दोनों दल विभ्िान्न नीतिगत मामलों पर अलग - अलग पक्ष लेते हैं पिफर भी वहाँ साथ मिलकर सरकार चला रहे हैं। लिए घातक हो सकता है। बहुसंख्यकों का ़ आतंक सिपर्फ अल्पसंख्यकों के लिए ही परेशानी पैदा नहीं करता अक्सर यह बहुसंख्यकों के लिए भी बबार्दी का कारण बन जाता है। सत्ता का बँटवारा लोकतांत्रिाक व्यवस्थाओं के लिए ठीक है - इसके पक्ष में एक और बात कही जा सकती है और वह बात कहीं श्यादा गहरी है। सत्ता की साझेदारी दरअसल लोकतंत्रा की आत्मा है। लोकतंत्रा का मतलब ही होता है कि जो लोग इस शासन - व्यवस्था के अंतगर्त हैं उनके बीच सत्ता को बाँटा जाए और ये लोग इसी ढरेर् से रहें। इसलिए, वैध् सरकार वही है जिसमें अपनी भागीदारी के माध्यम से सभी समूह शासन व्यवस्था से जुड़ते हैं। इन दो तको± में से एक को हम युक्ितपरक और दूसरे को नैतिक तकर् कह सकते हैं। युक्ितपरक या समझदारी का तकर् लाभकर परिणामों पर शोर देता है जबकि नैतिक तकर् सत्ता के बँटवारे के अंतभूर्त महत्त्व को बताता है। युक्ितपरकः हानि - लाभ का सावधनीपूवर्क हिसाब लगाकर लिया गया पैफसला। पूरी तरह से नैतिकता़पर आधरित पैफसला अक्सर इसवेफ़उलट होता है। एनिते बेल्िजयम के उत्तरी इलाके के एक डच माध्यम के स्वूफल में पढ़ती है। प्रेंफच बोलने वाले उसके अनेक स्वूफली साथी चाहते हैं कि पढ़ाइर् प्रेंफच में ही हो। सेल्वी श्रीलंका की राजधनी कोलंबो के एक स्वूफल में पढ़ती है। वह और उसके स्वूफल के बहुत से दोस्त तमिल - भाषी हैं और इनके माता - पिता पढ़ाइर् का माध्यम तमिल ही रखना चाहते हैं। कौन - सी सरकार एनिते और सेल्वी के माता - पिता की इच्छा पूरी कर सकती है? किसे सपफलता मिलने की संभावना अध्िक है और क्यों? जैसा कि होता आया है, इस बार भी विक्रम रात की खामोशी में अपनी मोटरसाइकिल खलील की चलाए जा रहा था और बेताल उसकी पीठ पर बैठा था। हमेशा की तरह इस बार भी यह सोचकर कि कहीं विक्रम को नींद न आ जाए बेताल ने कहानी सुनाना शुरू किया। उलझन कहानी वुफछ इस प्रकार थी: बेरूत शहर में खलील नाम का एक आदमी रहा करता था। उसके माँ - बाप अलग - अलग समुदाय के थे। उसके पिता आथोर्डाॅक्स इर्साइर् थे तो माँ सुन्नी मुसलमान। आध्ुनिक शहर के लिए यह कोइर् अनूठी बात न थी। लेबनान में अलग - अलग समुदाय के लोग रहते थे और राजधनी बेरूत में भी बस जाते थे। वे साथ रहते थे, मेल - जोल होता था पर गृहयु( में वे एक - दूसरे से लड़ते भी थे। खलील का एक चाचा ऐसी ही लड़ाइर् में मारा गया था। गृहयु( की समाप्ित के बाद लेबनान के सारे नेता साथ मिलकर बैठे और विभ्िान्न समुदायों के बीच सत्ता के बँटवारे के वुफछ बुनियादी नियमों पर सहमत हुए। इन नियमों के अनुसार तय हुआ कि देश का राष्ट्रपति मैरोनाइट पंथ का कोइर् वैफथोलिक ही होना चाहिए। सिप़्ार्फ सुन्नी मुसलमान ही प्रधनमंत्राी हो सकता है। उपप्रधनमंत्राी का पद आथोर्डाॅक्स इर्साइर् और संसद के अध्यक्ष का पद श्िाया मुसलमान के लिए तय हुआ। इस समझौते के अनुसार आगे से इर्साइर् प्रफांस से संरक्षण की माँग नहीं करेंगे और मुसलमान भी पड़ोसी सीरिया के साथ एकीकरण की माँग छोड़ने पर सहमत हुए। जब इर्साइयों और मुसलमानों के बीच यह समझौता हुआ था तब दोनों की आबादी लगभग बराबर थी। बाद में मुसलमान स्पष्ट रूप से बहुमत में आ गए पर दोनों पक्ष अभी भी उस समझौते का आदर करते हुए उसे मान रहे हैं। खलील को इस समझौते में बड़ी गड़बड़ी लगती है। वह राजनीतिक महत्त्वाकांक्षा वाला लोकिय व्यक्ित है लेकिन मौजूदा व्यवस्था के रहते वह सबसे बड़े पद पर पहंँुच ही नहीं सकता। वह न तो माँ के ध्मर् को मानता है और न ही पिता के। असल में वह चाहता ही नहीं कि उसे किसी भी ध्मर् से जोड़कर पहचाना जाए। उसे समझ में नहीं आता कि लेबनान भी अन्य ‘सामान्य’ लोकतंत्रों की तरह क्यों नहीं चलता। उसका कहना है - फ्सिप़्ार्फ चुनाव कराइए, हर किसी को चुनाव लड़ने की आशादी दीजिए और जिसे सबसे श्यादा वोट मिलें वह राष्ट्रपति बन जाएऋ भले ही वह किसी समुदाय का हो?य् लेकिन उसके जिन बड़े - बुशुगो± ने गृहयु( देखा है उनका कहना है कि मौजूदा व्यवस्था ही शांति की सबसे अच्छी गारंटी है। अभी कहानी खत्म भी नहीं हुइर् थी कि वे टीवी टावर के पास पहुँच गए। यहाँ वे रुक सकते थे। बेताल ने जल्दी से नया करते?य् बेताल विक्रम और अपने बीच हुए समझौते को दोहराना नहीं भूला: फ्अगर आपके दिमाग में स्पष्ट जवाब है और आप पिफर भी नहीं बताते तो आपकी मोटरसाइकिल जाम हो जाएगी और आप आगे नहीं बढ़ पाएँगे?य् क्या आप बेचारे विक्रम को बेताल के सवाल का जवाब देने में मदद कर सकते हैं? आॅले जाॅनसन - स्वीडन, केगल काट±ूस, 25 पफरवरी 2005 सत्ता की साझेदारी के रूप राजनीतिक सत्ता का बँटवारा नहीं किया जा सकता - इसी धरणा के विरफ( सत्ता की साझेदारी का विचार सामने आया था। लंबे समय से यही मान्यता चली आ रही थी कि आध्ुनिक लोकतांत्रिाक व्यवस्थाओं में सत्ता की साझेदारी के अनेक रूप हो सकते हैं। आइए, हम वुफछ प्रचलित उदाहरणों पर गौर करें: सरकार की सारी शक्ितयाँ एक व्यक्ित या किसी खास स्थान पर रहने वाले व्यक्ित - समूह शासन के विभ्िान्न अंग, जैसे विधयिका, के हाथ में रहनी चाहिए। अगर प़्ौफसले लेने की शक्ित बिखर गइर् तो तुरंत प़्ौफसले लेना और उन्हें लागू करना संभव नहीं होगा। लेकिन, लोकतंत्रा का एक बुनियादी सि(ांत है कि जनता ही सारी राजनीतिक शक्ित का स्रोत है। इसमें लोग स्व - शासन की संस्थाओं कायर्पालिका और न्यायपालिका के बीच सत्ता का बँटवारा रहता है। इसे हम सत्ता का क्षैतिज वितरण कहेंगे क्योंकि इसमें सरकार के विभ्िान्न अंग एक ही स्तर पर रहकर अपनी - अपनी शक्ित का उपयोग करते हैं। ऐसे बँटवारे से यह सुनिश्िचत हो जाता है कि कोइर् भी एक अंग सत्ता का के माध्यम से अपना शासन चलाते हैं। एक अच्छे लोकतांत्रिाक शासन में समाज के इसलिए उसी लोकतांत्रिाक शासन को अच्छा माना जाता है जिसमें श्यादा से श्यादा नागरिकों को राजनीतिक सत्ता में हिस्सेदार असीमित उपयोग नहीं कर सकता। हर अंग दूसरे पर अंवुफश रखता है। इससे विभ्िान्न संस्थाओं के बीच सत्ता का संतुलन बनता है। लोकतांत्रिाक संस्थाओं के बारे में 9वीं कक्षा में पढ़ते हुए हमने देखा था कि हमारे बनाया जाए। सत्ता की बाग़्ाडोर कायर्पालिका करती है पर न्यायपालिका ही कायर्पालिका पर और विधयिका द्वारा बनाए कानूनों पर अंवुफश रखती है। इस व्यवस्था को ‘नियंत्राण और संतुलन की व्यवस्था’ भी कहते हैं। सरकार के बीच भी विभ्िान्न स्तरों पर सत्ता का बँटवारा हो सकता है: जैसे, पूरे देश के लिए एक सामान्य सरकार हो और पिफर प्रांत या क्षेत्राीय स्तर पर अलग - अलग सरकार रहे। पूरे देश के लिए बनने वाली ऐसी सामान्य सरकार को अक्सर संघ या वेंफद्र सरकार कहते हैं, प्रांतीय या क्षेत्राीय स्तर की सरकारों को हर जगह अलग - अलग नामों से पुकारा जाता है। भारत में हम इन्हें राज्य सरकार कहते हैं। हर देश में बँटवारा 2005 में रूस में वुफछ नए कानून बने हैं। इन कानूनों को बनाकर रूस के राष्ट्रपति को वुफछ और शक्ितयाँ सौंपी गइर् हैं। इसी वक्त अमरीकी राष्ट्रपति ने रूस का दौरा ऐसा ही नहीं है। कइर् देशों में प्रांतीय या किया था। ऊपर दिए गए काटूर्न के अनुसार लोकतंत्रा और सत्ता के वेंफद्रीकरण में क्षेत्राीय सरकारें नहीं हैं। लेकिन हमारी तरह, क्या संबंध् है? यहाँ जिस चीश की तरपफ ध्यान खींचा गया है उसकी पुष्िट में क्या़जिन देशों में ऐसी व्यवस्था है वहाँ के संविध् आप वुफछ और काटूर्न जुटा सकते हैं? ान में इस बात का स्पष्ट उल्लेख है कि वेंफद्र और राज्य सरकारों के बीच सत्ता का बँंटवारा किस तरह होगा। बेल्िजयम में तो यह काम हुआ है पर श्रीलंका में नहीं हुआ है। राज्य सरकारों से नीचे के स्तर की सरकारों के लिए भी ऐसी ही व्यवस्था हो सकती है। नगरपालिका और पंचायतें ऐसी ही इकाइयाँ हैं। उच्चतर और निम्नतर स्तर की सरकारों के बीच सत्ता के ऐसे बँटवारे को उध्वार्ध्र वितरण कहा जाता है। हम अगले अध्याय में इस पर विस्तार से चचार् करेंगे। सत्ता का बँटवारा विभ्िान्न सामाजिक समूहों, मसलन, भाषायी और धमिर्क समूहों के बीच भी हो सकता है। बेल्िजयम में ‘सामुदायिक सरकार’ इस व्यवस्था का एक अच्छा उदाहरण है। वुफछ देशों के संविधन और कानून में इस बात का प्रावधन है कि सामाजिक रूप से कमशोर समुदाय और महिलाओं को विध् ायिका और प्रशासन में हिस्सेदारी दी जाए। पिछले साल हमने अपने देश में प्रचलित आरक्ष्िात चुनाव क्षेत्रा वाली ऐसी ही व्यवस्था के बारे में पढ़ा था। इस तरह की व्यवस्था विधयिका और प्रशासन में अलग - अलग सामाजिक समूहों को हिस्सेदारी देने के लिए की जाती है ताकि लोग खुद को शासन से अलग न समझने लगें। अल्पसंख्यक समुदायों को भी इसी तरीके से सत्ता में उचित हिस्सेदारी दी जाती है। सामाजिक विविध्ताओं को शासन में भागीदारी देने के अलग - अलग तरीकों पर हम इकाइर् प्प् में चचार् करेंगे। सत्ता के बँटवारे का एक रूप हम विभ्िान्न प्रकार के दबाव - समूह और आंदोलनों द्वारा शासन को प्रभावित और नियंत्रिात करने के तरीके में भी लक्ष्य कर सकते हैं। लोकतंत्रा में लोगों के सामने सत्ता के दावेदारों के बीच चुनाव का विकल्प शरूर रहना चाहिए। समकालीन लोकतांत्रिाक व्यवस्थाओं में यह विकल्प विभ्िान्न पाटिर्यों के रूप में उपलब्ध् होता है। पाटिर्याँ सत्ता के लिए आपस में प्रतिस्पधर् करती हैं। पाटिर्यों की यह आपसी प्रतिद्वंद्विता ही इस बात को सुनिश्िचत कर देती है कि सत्ता एक व्यक्ित या समूह के हाथ में न रहे। एक बड़ी समयावध्ि पर गौर करें तो पाएँगे कि सत्ता बारी - बारी से अलग - अलग विचारधरा और सामाजिक समूहों वाली पाटिर्यों के हाथ आती - जाती रहती है। कइर् बार सत्ता की यह भागीदारी एकदम प्रत्यक्ष दिखती है क्योंकि दो या अध्िक पाटिर्याँ मिलकर चुनाव लड़ती हैं या सरकार का गठन करती हैं। लोकतंत्रा में हम व्यापारी, उद्योगपति, किसान और औद्योगिक मशदूर जैसे कइर् संगठित हित - समूहों को भी सिय देखते हैं। सरकार की विभ्िान्न समितियों में सीध्ी भागीदारी करके या नीतियों पर अपने सदस्य - वगर् के लाभ के लिए दबाव बनाकर ये समूह भी सत्ता में भागीदारी करते हैं। इकाइर् प्प्प् में हम राजनीतिक दल, दबाव समूह और सामाजिक आंदोलनों की कायर्प्रणाली पर गौर करेंगे। सत्ता के बँटवारे के वुफछ उदाहरण निम्नलिख्िात हैं। ये सत्ता की साझेदारी की चार श्रेण्िायों में से किसमें आते हैं? यहाँ सत्ता का साझा कौन किसके साथ कर रहा है? ऽ बंबइर् उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र सरकार को आदेश दिया कि वह तत्काल कारर्वाइर् करे और मुंबइर् के सात अनाथालयों के 2000 बच्चों के रख - रखाव में सुधर करे। ऽ कनाडा के ओंटेरियो प्रांत की सरकार ने वहाँ के मूलवासी समुदाय के साथ शमीन के दावों का निपटारा करने पर सहमति दे दी। स्थानीय मामलों के लिए जवाबदेह मंत्राी ने घोषणा की कि सरकार मूलवासी समुदाय के साथ पारस्परिक सम्मान और सहयोग की भावना से काम करेगी। ऽ रूस की दो प्रभावशाली राजनीतिक पाटिर्यों - द यूनियन आॅन राइट पफोसर्ेज और लिबरल याब्लोको मूवमेंट नेे एक मशबूत दक्ष्िाणपंथी गठबंध्न बनाने के लिए अपने संगठनों के विलय का प़्ौफसला किया। इनका प्रस्ताव है कि अगले संसदीय चुनाव में हम उम्मीदवारों की साझा सूची बनाएँगे। ऽ नाइजीरिया के विभ्िान्न प्रांतों के वित्तमंत्रिायों ने एकजुट होकर माँग की है कि संघीय सरकार अपनी आमदनी के स्रोतों को घोष्िात करे। वे यह भी जानना चाहते थे कि विभ्िान्न प्रान्तों के बीच राजस्व का बँटवारा किस आधर पर होता है। 1 आध्ुनिक लोकतांत्रिाक व्यवस्थाओं में सत्ता की साझेदारी के अलग - अलग तरीके क्या हैं? इनमें से प्रत्येक का एक उदाहरण भी दें। 2 भारतीय संदभर् में सत्ता की हिस्सेदारी का एक उदाहरण देते हुए इसका एक युक्ितपरक और एक नैतिक कारण बताएँ। 3 इस अध्याय को पढ़ने के बाद तीन छात्रों ने अलग - अलग निष्कषर् निकाले। आप इनमें से किससे सहमत हैं और क्यों? अपना जवाब करीब 50 शब्दों में दें। थम्मन - जिन समाजों में क्षेत्राीय, भाषायी और जातीय आधर पर विभाजन हो सिप़्ार्फ वहीं सत्ता की साझेदारी शरूरी है। मथाइर् - सत्ता की साझेदारी सिप़्ार्फ ऐसे बड़े देशों के लिए उपयुक्त है जहाँ क्षेत्राीय विभाजन मौजूद होते हैं। औसेपफ - हर समाज में सत्ता की साझेदारी की शरूरत होती है भले ही वह छोटा हो या उसमें सामाजिक विभाजन न हों। 4 बेल्िजयम में ब्रूसेल्स के निकट स्िथत शहर मचर्टेम के मेयर ने अपने यहाँ के स्वूफलों में प्रेंफच बोलने पर लगी रोक को सही बताया है। उन्होंने कहा कि इससे डच भाषा न बोलने वाले लोगों को इस फ्रलेमिश शहर के लोगों से जुड़ने में मदद मिलेगी। क्या आपको लगता है कि यह प़्ौफसला बेल्िजयम की सत्ता की साझेदारी की व्यवस्था की मूल भावना से मेल खाता है? अपना जवाब करीब 50 शब्दों में लिखें। 5.नीचे दिए गए उ(रण को गौर से पढ़ें और इसमें सत्ता की साझेदारी के जो युक्ितपरक कारण बताए गए हैं उसमें से किसी एक का चुनाव करें। फ्महात्मा गांध्ी के सपनों को साकार करने और अपने संविधन निमार्ताओं की उम्मीदों को पूरा करने के लिए हमें पंचायतों को अध्िकार देने की शरूरत है। पंचायती राज ही वास्तविक लोकतंत्रा की स्थापना करता है। यह सत्ता उन लोगों के हाथों में सौंपता है जिनके हाथों में इसे होना चाहिए। भ्रष्टाचार कम करने और प्रशासनिक वुफशलता को बढ़ाने का एक उपाय पंचायतों को अध्िकार देना भी है। जब विकास की योजनाओं को बनाने और लागू करने में लोगों की भागीदारी होगी तो इन योजनाओं पर उनका नियंत्राण बढ़ेगा। इससे भ्रष्ट बिचैलियों को खत्म किया जा सकेगा। इस प्रकार पंचायती राज लोकतंत्रा की नींव को मशबूत करेगा।य् 6.सत्ता के बँटवारे के पक्ष और विपक्ष में कइर् तरह के तवर्फ दिए जाते हैं। इनमें से जो तवर्फ सत्ता के बँटवारे के पक्ष में हैं उनकी पहचान करें औ र नीचे दिए गए कोड से अपने उत्तर का चुनाव करें। सत्ता की साझेदारी: ;कद्ध विभ्िान्न समुदायों के बीच टकराव को कम करती है। ;खद्ध पक्षपात का अंदेशा कम करती है। ;गद्ध निणर्य लेने की प्रवि्रफया को अटका देती है। ;घद्ध विविध्ताओं को अपने में समेट लेती है। ;घद्ध अस्िथरता और आपसी पूफट को बढ़ाती है। ;चद्ध सत्ता में लोगों की भागीदारी बढ़ाती है। ;छद्ध देश की एकता को कमशोर करती है। प्रश्नावली 7.बेल्िजयम और श्रीलंका की सत्ता में साझीदारी की व्यवस्था के बारे में निम्नलिख्िात बयानों पर विचार करें: ;कद्ध बेल्िजयम में डच - भाषी बहुसंख्यकों ने प्रेंफच - भाषी अल्पसंख्यकों पर अपना प्रभुत्व जमाने का प्रयास किया। ;खद्ध सरकार की नीतियों ने सिंहली - भाषी बहुसंख्यकों का प्रभुत्व बनाए रखने का प्रयास किया। ;गद्ध अपनी संस्वृफति और भाषा को बचाने तथा श्िाक्षा तथा रोशगार में समानता के अवसर के लिए श्रीलंका के तमिलों ने सत्ता को संघीय ढाँचे पर बाँटने की माँग की। ;घद्ध बेल्िजयम में एकात्मक सरकार की जगह संघीय शासन व्यवस्था लाकर मुल्क को भाषा के आधर पर टूटने से बचा लिया गया। ऊपर दिए गए बयानों में से कौन - से सही हैं? ;साद्ध क, ख, ग और घ ;रेद्ध क, ख और घ ;गाद्ध ग और घ ;माद्ध ख, ग और घ ;साद्ध क ख घ च ;रेद्ध क ग घ च ;गाद्ध क ख घ छ ;माद्ध ख ग घ छ 8.सूची प् ¹सत्ता के बँटवारे के स्वरूपह् और सूची 2 ¹शासन के स्वरूपह् में मेल कराएँ और नीचे दिए गए कोड का उपयोग करते हुए सही जवाब दें: सूची प् सूची प्प् 1 सरकार के विभ्िान्न अंगों के बीच सत्ता का बँटवारा ;कद्ध सामुदायिक सरकार 2 विभ्िान्न स्तर की सरकारों के बीच अध्िकारों का बँटवारा ;खद्ध अध्िकारों का वितरण 3 विभ्िान्न सामाजिक समूहों के बीच सत्ता की साझेदारी ;गद्ध गठबंध्न सरकार 4 दो या अध्िक दलों के बीच सत्ता की साझेदारी ;घद्ध संघीय सरकार 1 2 3 4 ;साद्ध घ क ख ग ;रेद्ध ख ग घ क ;गाद्ध ख घ क ग ;माद्ध ग घ क ख ;अद्ध सत्ता की साझेदारी लोकतंत्रा के लिए लाभकर है। ;बद्ध इससे सामाजिक समूहों में टकराव का अंदेशा घटता है। इस बयानों में कौन सही है और कौन गलत? ;कद्ध अ सही है लेकिन ब गलत है। ;खद्ध अ और ब दोनों सही हैं। ;गद्ध अ और ब दोनों गलत हैं। ;घद्ध अ गलत है लेकिन ब सही है।