
अध्याय 4 इस अध्याय को पढ़ने के बाद आप इस योग्य होंगे किः ऽ सारण्िायों का प्रयोग कर आँकड़े प्रस्तुत कर सवेंफऋ ऽ उपयुक्त आरेखों द्वारा आँकड़े प्रस्तुत कर सवेंफ। 1. प्रस्तावना पिछले अध्यायों में आप यह पढ़ चुके हैं कि आँकड़ों को वैफसे संगृहीत और व्यवस्िथत किया जाता है। सामान्यतः आँकड़ों का परिमाण अिाक होता है, जिन्हें सुसंब( एवं प्रस्तुति - योग्य रखने की आवश्यकता होती है। इस अध्याय में आँकड़ों के प्रस्तुतीकरण की जानकारी दी जाएगी, ताकि संग्रह किए गए वृहद् आँकड़ों को आसानी से समझ कर उनका प्रयोग किया जा सके। सामान्यतः आँकड़े तीन प्रकार से प्रस्तुत किए जा सकते हैंः आँकड़ों का प्रस्तुतीकरण ऽ पाठ - विषयक या वणर्नात्मक प्रस्तुतीकरण ऽ सारणीब( प्रस्तुतीकरण ऽ आरेखीय प्रस्तुतीकरण 2. आँकड़ों का पाठ - विषयक प्रस्तुतीकरण पाठ - विषयक प्रस्तुतीकरण में आँकड़ों का विवरण पाठ में ही दिया जाता है। जब आँकड़ों का परिमाण बहुत अिाक न हो तो प्रस्तुतीकरण का यह स्वरूप अिाक उपयोगी होता है। निम्नलिख्िात उदाहरणों को देखेंः उदाहरण 1 बिहार के एक शहर में, 8 सितंबर 2005 को पेट्रोल तथा डीजलों की कीमतों की वृि के विरोध में आयोजित एक बंद के दौरान 5 पेट्रोल पंप खुले तथा 17 बंद पाए गए और इसी प्रकार से 2 विद्यालय बंद तथा 9 विद्यालय खुले पाए गए। उदाहरण 2 भारत की जनगणना 2001 की रिपोटर् के अनुसार भारत की जनसंख्या बढ़कर 102 करोड़ हो गइर्, जिसमें 53 करोड़ पुरुषों के मुकाबले 49 करोड़ महिलाएँ थीं। 74 करोड़ लोग अभी भी भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में और केवल 28 करोड़ लोग शहरों एवं कस्बों में रह रहे थे। पूरे देश में 40 करोड़ श्रमिकों के मुकाबले गैर - श्रमिकों की संख्या 62 करोड़ थी। शहरी जनसंख्या में गैर - श्रमिकों की संख्या ग्रामीण जनसंख्या की अपेक्षा अिाक ;19 करोड़द्ध थी, जहाँ 74 करोड़ की ग्रामीण जनसंख्या में 31 करोड़ श्रमिक हैं। इन दोनों ही उदाहरणों में आँकड़ों को पाठ्य - सामग्री के रूप में ही प्रस्तुत किया गया है। इस स्वरूप में प्रस्तुतीकरण की एक महत्वपूणर् कमी यह है कि आँकड़ों को समझने के लिए पूरा पाठ पढ़ना होगा। परंतु, इसके माध्यम से प्रस्तुतीकरण के खास बिंदुओं को प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत भी किया जा सकता है। अथर्शास्त्रा में सांख्ियकी 4.1 को देखें, जिसमें साक्षरता दर के बारे में जानकारी दी गइर् है। इसमें तीन पंक्ितयाँ ;पुरुष, स्त्राी तथा योगद्ध और तीन स्तंभ दिए गए ;शहरी, ग्रामीण एवं योगद्ध हैं। इसे 3× 3 सारणी कहा जाता है, जिसमें 9 बाॅक्स में 9 मदों की जानकारी दी गइर् है, जिसे ‘सारणी की कोष्िठका’ कहा जाता है। प्रत्येक कोष्िठका किसी लिंग ;‘स्त्राी’, ‘पुरुष’ या ‘योग’द्ध की विशेषता और उसकी संख्या ;ग्रामीण व्यक्ितयों, शहरी व्यक्ितयों तथा उनके योग का वुफल साक्षरता प्रतिशतद्ध की जानकारी देता है। आँकड़ों के सारणीयन का सवार्िाक महत्वपूणर् लाभ यह है कि आँकड़ों को सांख्ियकीय प्रयोग एवं उसके आधार पर निणर्य लेने के लिए व्यवस्िथत करता है। सारणीयन में प्रयुक्त वगीर्करण चार प्रकार के होते हैंः ऽ गुणात्मक ऽ मात्रात्मक ऽ कालिक, और ऽ स्थानिक गुणात्मक वगीर्करण जब वगीर्करण गुणात्मक विश्िाष्टता के साथ किया जाता है, जैसे कि सामाजिक स्िथति, भौतिक स्िथति, राष्ट्रीयता, इत्यादि, तो इसे गुणात्मक वगीर्करण कहा जाता है। उदाहरण के लिए, सारणी 4.1 में वगीर्करण की विश्िाष्टता लिंग एवं स्थान के आधार पर है, जो स्वभाव में गुणात्मक है। सारणी 4.1 लिंग एवं स्थान के अनुसार बिहार में साक्षरता ;प्रतिशतद्ध लिगंग्रामीण शहरी यागे पुरुष 57.70 80.80 60.32 स्त्राी 30.03 63.30 33.57 योग 44.42 72.71 47.53 स्रोतः ‘भारत की जनगणना’ 2001, अनंतिम जनसंख्या योग। मात्रात्मक वगीर्करण मात्रात्मक वगीर्करण में आँकड़ों का वगीर्करण उन विश्िाष्टताओं के आधार पर किया जाता है जो स्वाभाविक रूप से मात्रात्मक होती हैं। दूसरे शब्दों में, इन विश्िाष्टताओं को मात्रात्मक रूप से मापा जा सकता है, जैसे आयु, कद, उत्पादन, आय इत्यादि मात्रात्मक विश्िाष्टताएँ हैं। विचाराधीन विशेषताओं के मानों को दशार्ने के लिए सीमाएँ निधार्रित करके वगार्ें का गठन किया जाता है, जिन्हें वगर् - सीमाएँ कहते हैं। मात्रात्मक वगीर्करण का एक उदाहरण सारणी 4.2 में दिया गया हैः सारणी 4.2 बिहार में एक चुनावी अध्ययन हेतु 542 उत्तरदाताओं का आयु के अनुसार वितरण आयु समूह उत्तरदाताओं प्रतिशत ;वषर्द्ध की सख्या ं 20μ30 3 0.55 30μ40 61 11.25 40μ50 132 24.35 50μ60 153 28.24 60μ70 140 25.83 70μ80 51 9.41 80μ90 2 0.37 यागे542 100.00 स्रोतः एसेंबली इलेक्शन, पटना सेन्ट्रल काॅन्स्टीट्यूएंसी, ए. एनसिन्हा इंस्टीट्यूट आॅपफ सोशल स्टडीज, पटना। यहाँ पर वगीर्करण की विशेषता आयु ;वषार्ें मेंद्ध है, जिसका मात्रात्मक वगीर्करण किया जा सकता है। कालिक वगीर्करण इस वगीर्करण में वगीर्करण का आधार समय होता है तथा आँकड़ों को समय के अनुसार वगीर्कृत किया जाता है। समय घंटों, दिनों, हफ्रतों, महीनों, वषार्ें इत्यादि में हो सकता है। उदाहरण के लिए सारणी 4.3 देखें। सारणी 4.3 एक चाय की दुकान की 1995 से 2000 तक की वाष्िार्क बिक्री का विवरण वषर् बिक्री ;लाख रुú मेंद्ध 1995 79.2 1996 81.3 1997 82.4 1998 80.5 1999 100.2 2000 91.2 आँकड़ा स्रोतः अप्रकाश्िात आँकड़े उपयुर्क्त सारणी में वगीर्करण का आधार ‘वषर्’ है जिसके मान समय के स्केल पर दिखाए गए हैं। स्थानिक वगीर्करण जब कोइर् वगीर्करण इस प्रकार से किया जाए, कि वगीर्करण का आधार ;चरद्ध स्थान हो, तो इसे स्थानिक - वगीर्करण कहते हैं। यह स्थान कोइर् गाँव/कस्बा, खंड, जिला, राज्य या देश आदि हो सकता है। नीचे दी गइर् सारणी में वगीर्करण दुनिया के देशों के आधार पर किया गया है। सारणी 4.4 स्थानिक वगीर्करण का एक उदाहरण है। सारणी 4.4 एक वषर् में भारत द्वारा शेष विश्व में वुफल नियार्त की भागीदारी ;का प्रतिशतद्ध गंतव्य स्थान नियार्त भागीदारी यू.एस.ए.21.8 जमर्नी 5.6 अन्य यूरोपीय संघ के देश 14.7 यू.के.5.7 जापान 4.9 रूस 2.1 अन्य पूवर् यूरोपीय देश 0.6 ओपेक 10.5 एश्िाया 19.0 अन्य अल्पविकसित देश 5.6 अन्य 9.5 सभी 100.0 ;वुफल नियार्तः यू.एस.डालर 33658.5 मिलियनद्ध 4.आँकड़ों का सारणीकरण तथा सारणी के अंग सारणी के निमार्ण के लिए, सबसे पहले यह जानना आवश्यक है कि एक अच्छी सांख्ियकीय सारणी के कौन - कौन से महत्वपूणर् अंग हैं। जब इन सभी अंगों को सुव्यस्िथत क्रम में एक साथ प्रस्तुत किया जाता है, तो ये ‘सारणी’ के रूप में हो जाते हैं। सारणी की संकल्पना का सबसे सरल तरीका यह है कि आँकड़ों को वुफछ व्याख्यात्मक सूचनाओं के साथ पंक्ितयों एवं स्तंभों में व्यवस्िथत कर दिया जाए। सारणीकरण के कायर् को एकविध, द्वविध या त्रिाविध वगीर्करण द्वारा किया जा सकता है जो कि आँकड़ों की विश्िाष्टताओं की संख्या पर निभर्र करता है। एक अच्छी सारणी में निम्न बातें आवश्यक रूप से होनी चाहिएः अथर्शास्त्रा में सांख्ियकी ;कद्ध सारणी संख्या किसी सारणी की संख्या उसकी पहचान के लिए निधार्रित की जाती है। यदि कहीं एक से अिाक सारण्िायाँ प्रस्तुत की जाती हैं, तो उन सारण्िायों की संख्या ही उन्हें एक - दूसरे से अलग करती है। इसे सारणी के ऊपर या शीषर्क की शुरुआत के साथ दिया जाता है। यदि एक पुस्तक में बहुत सारी सारण्िायाँ हैं, तो संख्या आरोही क्रम में दी जाती है। सामान्यतः सारणी की अवस्िथति के अनुसार सारणी की पहचान के लिए संख्याएँ जैसे 1.2, 3.1 इत्यादि भी दी जा सकती हैं। उदाहरण के लिए सारणी संख्या 4.5 को अध्याय 4 की सारणी संख्या 5 ;देखें सारणी 4.5द्ध के रूप में पहचाना जा सकता है। ;खद्ध शीषर्क सारणी का शीषर्क सारणी की विषयवस्तु की व्याख्या करता है। इसे बहुत ही स्पष्ट, संक्ष्िाप्त एवं सावधानी पूणर् चुने गए शब्दों में होना चाहिए, ताकि सारणी का भाव बिल्वुफल स्पष्ट हो जिसमें अस्पष्टता न हो। इसे सारणी के बिल्वुफल ऊपर तथा सारणी संख्या के ठीक बाद में या इसके ठीक नीचे दिया जाता है। ;देखें सारणी 4.5द्ध ;गद्ध उप शीषर्क या स्तंभ शीषर्क सारणी के प्रत्येक स्तंभ के ऊपर की ओर एक स्तंभ नाम दिया जाता है जो स्तंभ के अंतगर्त दी गइर् संख्याओं की व्याख्या करता है। इसे उपशीषर्क या स्तंभ शीषर्क कहते हैं। ;देखें सारणी 4.5द्ध ;घद्ध अवशीषर् या पंक्ित शीषर्क उपशीषर्क या स्तंभशीषर्क की भाँति सारणी की प्रत्येक पंक्ित को भी एक शीषर्क दिया जाता है। पंक्ितयों के नाम को अवशीषर् या अवशीषर् मदें भी कहते हैं और संपूणर् बायें स्तंभ को अवशीषर् स्तंभ कहा जाता है। पंक्ितशीषर्कों का संक्ष्िाप्त विवरण सारणी केबिल्वुफल ऊपर बायीं ओर दिया जा सकता है। ;देखें सारणी 4.5द्ध ;घद्ध सारणी का मुख्य भाग सारणी का मुख्य भाग वह होता है, जिसमें वास्तविक आँकड़े होते हैं। सारणी में किसी भी संख्या/आँकड़े की अवस्िथति उसकी पंक्ित एवं स्तंभ के अनुसार सुनिश्िचत होती है। उदाहरण के लिए द्वितीय पंक्ित एवं चैथे स्तंभ के आँकड़ों से यह संकेत मिलता है कि 2001 में ग्रामीण भारत में 25 करोड़ गैर श्रमिक महिलाएँ थीं। ;देखें सारणी 4.5द्ध। ;चद्ध माप की इकाइर् यदि पूरी सारणी में माप की इकाइर् समान रहे, तो सारणी की संख्याओं ;वास्तविक आँकड़ोंद्ध के माप की इकाइर् को सदैव सारणी के शीषर्क के साथ लिखा जाना चाहिए। यदि सारणी की पंक्ितयों या स्तंभों के लिए भ्िान्न माप इकाइयाँ हों, तो उन इकाइयों की चचार् निश्िचत रूप से ‘उपशीषर्क’ या ‘अवशीषर्’ के साथ की जानी चाहिए। यदि संख्याएँ ;सूचनाः सारणी 4.5 में उन्हीं आँकड़ों को सारणीब( रूप में प्रस्तुत किया गया है, जिन्हें पाठ - विषयक प्रस्तुतीकरण के क्रम में उदाहरण 2 में प्रस्तुत किया गया थाद्ध। बहुत बड़ी हैं तो इन्हें पूणार्ंक बना देना चाहिए और पूणार्ंक बनाने की वििा का संकेत दिया जाना चाहिए ;देखें सारणी 4.5द्ध। ;छद्ध स्रोत टिप्पणी यह एक संक्ष्िाप्त विवरण या वाक्यांश होता है जिसमें सारणी में प्रस्तुत किए गए आँकड़ों के स्रोत के बारेमें बताया जाता है। यदि एक से अिाक ड्डोत हंै, तोसभी स्रोतों के बारे में लिखा जाना चाहिए। ड्डोत टिप्पणी को प्रायः सारणी के नीचे दिया जाता है। ;देखें सारणी 4.5द्ध। ;जद्ध पाद टिप्पणी पाद टिप्पणी किसी सारणी का अंतिम अंग होता है। पाद टिप्पणी के अंतगर्त किसी सारणी के आँकड़ों की विषय - वस्तु की उन विश्िाष्टताओं के बारे में व्याख्या की जाती है, जो कि स्वतः स्पष्ट नहीं होती हैं और न ही पहले कहीं उनकी व्याख्या की गइर् होती है। अथर्शास्त्रा में सांख्ियकी सारणी में प्रस्तुत किए गए आँकड़ों की अपेक्षा आरेखी प्रस्तुतीकरण में आँकड़ों की परिशु(ता थोड़ी कम हो सकती है, विंफतु ये सारणी की तुलना में अिाक प्रभावी होते हंै। सामान्यतः कइर् प्रकार के आरेखों का प्रयोग होता है। इनमें से वुफछ महत्वपूणर् इस प्रकार हैंः ;कद्ध ज्यामितीय आरेख ;खद्ध बारंबारता आरेख ;गद्ध अंकगण्िातीय रैख्िाक आलेख ज्यामितीय आरेख ;ळमवउमजतपब क्पंहतंउद्ध अँाकड़ों की प्रस्तुति के लिए दंड आरेख तथा वृत्त आरेख ज्यामितीय आरेख की श्रेणी में आते हैं। दंड आरेख तीन प्रकार के होते हैः सरल दंड आरेख, बहु दंड आरेख तथा घटक दंड - आरेख। दंड - आरेख ;ठंत क्पंहतंउद्ध सरल दंड - आरेख ;ैपउचसम ठंत क्पंहतंउद्ध सरल दंड आरेख के अंतगर्त समान अंतरालों तथा समान 5.आँकड़ों का आरेखी प्रस्तुतीकरण विस्तार वाले आयताकार दंडों का एक समूह प्रत्येकश्रेणी/वगर् के आँकड़ों को दशार्ता है। दंड की ऊँचाइर् या लंबाइर् आँकड़े के परिमाण को प्रकट करती है। दंड का निचला छोर आधार रेखा को इस प्रकार स्पशर् करता है कि दंड की उ ँ फचाइर् शून्य इकाइर् से शुरू होती है। दंड - आरेख के दंडों की सापेक्ष ऊँचाइर् को देखकर,आँकड़ों को अपेक्षाकृत आसानी से समझा जा सकता है। इसके लिए आँकड़े बारंबारता वाले या गैर - बारंबारता वाले दोनों प्रकार के हो सकते हैं। गैर - बारंबारता वाले आँकड़ों को प्रस्तुत करने की यह तीसरी वििा है। यहवििा सारणीकृत या पाठ - विषयक प्रस्तुतीकरण की तुलना में, आँकड़ों के आधार पर, वस्तु - स्िथति को जल्दी समझने में सबसे अिाक सहायक होती है। आँकड़ों के आरेखी प्रस्तुतीकरण से संख्याओं में निहित अमूतर्ता कम हो जाती है और वे अिाक मूतर् एवं आसानी से समझने योग्य बन जाते हैं। आँकड़ों में किसी खास विश्िाष्टता जैसे उत्पादन, पफसल, जनसंख्या आदि को विभ्िान्न समयों या विभ्िान्न राज्यों के आधार पर लिया जाता है और विश्िाष्टताओं केमूल्यों के अनुरूप दंडों को आरेख की ऊँचाइर् के रूप में रखा जाता है। विश्िाष्टताओं का मापा हुआ ;गणना किया हुआद्ध मान प्रत्येक मान की पहचान को बनाए रखता है। चित्रा 4.1 दंड - आरेख का एक उदाहरण है। प्रस्तुत करने के लिए अिाक सुविधाजनक होते हैं, जैसे कइर् वषार्ें के लिए आय - व्यय लेखा, आयात/नियार्त आदि। विभ्िान्न प्रकार के आँकड़ों के लिए भ्िान्न - भ्िान्न प्रकार के आरेखी प्रस्तुतीकरण की आवश्यकता हो सकती है। दंड - आरेख बारंबारता एवं गैर - बारंबारता दोनों प्रकार के चरों एवं गुणों के लिए उपयुक्त होते हेैं। विविक्त चर जैसे, परिवार के आकार, पाँसे पर बिंदु, परीक्षा में प्राप्त ग्रेड आदि और लिंग, धमर्, जाति, देश इत्यादि गुण दंड - आरेख के द्वारा प्रस्तुत किए जा सकते हैं। दंड - आरेख गैर - बारंबारता आँकड़ों को सारणी 4.6 भारत के प्रमुख राज्यों में साक्षरता दर 2001 1991 भारत के प्रमुख राज्य व्यक्ित पुरुष स्त्राी व्यक्ित पुरुष स्त्राी आंध्र प्रदेश ;आ.प्र.द्ध 60.5 70.3 50.4 44.1 55.1 32.7 असम ;अस.द्ध 63.3 71.3 54.6 52.9 61.9 43.0 बिहार ;बि.द्ध 47.0 59.7 33.1 37.5 51.4 22.0 झारखंड ;झारद्ध 53.6 67.3 38.9 41.4 55.8 31.0 गुजरात ;गुजद्ध 69.1 79.7 57.8 61.3 73.1 48.6 हरियाणा ;हरिद्ध 67.9 78.5 55.7 55.8 69.1 40.4 कनार्टक ;कनार्द्ध 66.6 76.1 56.9 56.0 67.3 44.3 केरल ;केद्ध 90.9 94.2 87.7 89.8 93.6 86.2 मध्य प्रदेश ;म.प्र.द्ध 63.7 76.1 50.3 44.7 58.5 29.4 छत्तीसगढ़ ;छत्ती.द्ध 64.7 77.4 51.9 42.9 58.1 27.5 महाराष्ट्र ;महा.द्ध 76.9 86.0 67.0 64.9 76.6 52.3 उड़ीसा ;उड़ी.द्ध 63.1 75.3 50.5 49.1 63.1 34.7 पंजाब ;पंजा.द्ध 69.7 75.2 63.4 58.5 65.7 50.4 राजस्थान ;राज.द्ध 60.4 75.7 43.9 38.6 55.0 20.4 तमिलनाडु ;तमिद्ध 73.5 82.4 64.4 62.7 73.7 51.3 उत्तर प्रदेश ;उ.प्र.द्ध 56.3 68.8 42.2 40.7 54.8 24.4 उत्तरांचल ;उत्तद्ध 71.6 83.3 59.6 57.8 72.9 41.7 पश्िचम बंगाल ;प.बं.द्ध 68.6 77.0 59.6 57.7 67.8 46.6 भारत 64.8 75.3 53.7 52.2 64.1 39.3 साक्षरता दर ;प्रति अथर्शास्त्रा में सांख्ियकी 100 90ण्9 90 80 76ण्9 73ण्5 71ण्6 69ण्7 68ण्6 69ण्1 67ण्9 66ण्6 70 64ण्8 63ण्7 64ण्7 63ण्3 63ण्1 60ण्5 60ण्4 56ण्3 60 53ण्6 47ण्0 50 40 30 20 10 0 आ.प्र.असम बिहार झार.गुज.हरि.कनार्.केरल म.प्र.छत.महा.उड़ी पंजा.राज.त.ना.उत्त.उत्त.प.बं.भारत प्रमुख राज्य आँकड़ा ड्डोतः सारणी 4.6 चित्रा 4.1 2001 में भारत के प्रमुख राज्यों की साक्षरता दर ;व्यक्ितद्ध को दिखाता हुआ दंड - आरेख। दिखाता है। दंडों का प्रयोग ;जिन्हें स्तंभ भी कहते हैंद्ध सामान्यतः काल - श्रेणी के आँकड़ों के प्रस्तुतीकरण के लिए किया जाता है ;1980μ2000 के बीच अन्न उत्पादन, कायर् सहभागिता दर में एक दशक में उतार चढ़ाव, कइर् वषार्ें के दौरान पंजीकृत बेरोजगारी, साक्षरता दर आदिद्ध, ;चित्रा 4.2द्ध। दंड - आरेख के कइर् रूप हो सकते हैं, जैसे कि बहु दंड - आरेख तथा घटक दंड - आरेख। बहु दंड - आरेख ;डनसजपचसम ठंत क्पंहतंउद्ध बहु दंड - आरेखों का प्रयोग ;चित्रा 4.2द्ध दो या अिाक आँकड़ा - समुच्चयों की तुलना के लिए किया जाता है, उदाहरण के लिए विभ्िान्न वषार्ें में आय और व्यय या आयात और नियार्त या विभ्िान्न विषयों एवं विभ्िान्न कक्षाओं में प्राप्त किए गए अंक आदि। घटक दंड - आरेख ;ब्वउचवदमदज ठंत क्पंहतंउद्ध घटक दंड आरेख ;चित्रा 4.3द्ध या चाटर् ;जिन्हें उप - आरेख भी कहा जाता हैद्ध का प्रयोग विभ्िान्न घटकों ;ऐसे तत्व या भाग जिनसे वस्तु का निमार्ण होता हैद्ध के आकारों की तुलना करने के लिए तथा इन घटकों तथा उनके अभ्िान्न अंगों के संबंधों पर प्रकाश डालने के लिए किया जाता है। उदाहरण के लिए विभ्िान्न उत्पादों की बिक्री से प्राप्त धन, किसी प्ररूपी भारतीय परिवार के व्यय की मदें ;जैसे खान - पान, किराया, दवा, श्िाक्षा, बिजली आदि घटकद्ध, आय और व्यय के लिए बजट परिव्यय, जनसंख्या, श्रमशक्ित के घटक आदि। घटक दंड - आरेखों को सामान्यतः उपयुक्त छायाओं या रंगों से भरा जाता है। चित्रा 4.2 दंड - आरेख दो जनगणना वषार्ें 1991 - 2001 के दौरान भारत के प्रमुख राज्यों में महिला साक्षरता दर को दिखा रहा है। अथर् निवर्चनः चित्रा 4.2 के द्वारा आसानी के साथ यह पता किया जा सकता है कि पूरे देश में पिछले कइर् वषार्ें में महिला साक्षरता की दर में वृि हुइर् है। ठीक इसी प्रकार से एक अथर् - निवर्चन यह भी किया जा सकता है कि राजस्थान जैसे राज्य में महिला साक्षरता दर सबसे अिाक तेजी से बढ़ी है। सारणी 4.7 बिहार के एक जिले में 4 - 6 वषर् की आयु के बच्चों का लिंग के अनुसार विद्यालय में नामांकन ;प्रतिशतद्ध नामांकित गर नैामांकित लिंग ;प्रतिशतद्ध ;प्रतिशतद्ध लड़के 91.5 8.5 लड़कियाँ 58.6 41.4 वुफल 78.0 22.0 आँकड़ा स्रोतः अप्रकाश्िात आँकड़े किसी घटक दंड - आरेख के अंतगर्त दो या दो से अिाक घटकों को दंडों और उसके उपभागों के द्वारा प्रकट किया जाता है। उदाहरण के लिए दंड के द्वारा 6 - 14 आयु - वगर् के सभी बच्चों की जनसंख्या को प्रदश्िार्त कर सकते हैं। ये घटक नामांकित और गैर - नामांकित बच्चों का अनुपात दशार्ते हैं। घटक दंड - आरेख के अंतगर्त लड़के, लड़कियों तथा आयु विशेष के बच्चों के वुफल योग को भ्िान्न - भ्िान्न घटक - दंडों द्वारा प्रदश्िार्त किया जा सकता है, जैसा चित्रा 4.3 में दिखाया गया है। घटक दंड - आरेख बनाने के लिए, सबसे पहले ग् - अक्ष पर एक दंड बनाया जाता है, जिसकी वुफल ऊँचाइर् आँकड़ों के वुफल मान के बराबर होती है ;प्रतिशत आँकड़ों के लिए दंड कीऊँचाइर् 100 इकाइयों के बराबर होगी, देखें चित्रा 4.3द्धअन्यथा दंड की ऊँचाइर् दंड के वुफल मान के बराबरबनायी जाती है तथा घटकों की आनुपातिक ऊँचाइर् ऐकिक वििा के द्वारा निधार्रित की जाती है। दंड को विभाजित करने के क्रम में छोटे घटकों को अिाक प्राथमिकता दी जाती है। वृत्त आरेख ;च्पम क्पंहतंउद्ध वृत्त आरेख भी एक घटक आरेख है, पर घटकदंड - आरेखों के स्थान पर इसे एक ऐसे वृत्त द्वारा प्रस्तुत किया जाता है, जिसके क्षेत्रा को आनुपातिक रूप से उन घटकों में विभाजित किया जाता है, जिन्हें यह दशार्ता है ;चित्रा 4.4द्ध। इसे वृत्त चाटर् भी कहते हैं। यहाँ पर वृत्त को वेंफद्र से परििा की ओर सीधी रेखाओं के द्वारा उतने ही भागों में विभाजित किया जाता है जितनी घटकों की संख्या होती है। 120ण्0 100ण्0 80ण्0 60ण्0 40ण्0 20ण्0 0ण्0 छात्रा छात्राएँ सभी आँकड़ा ड्डोतः सारणी 4.7 चित्रा 4.3 बिहार के एक जिले में प्राथमिक स्तर पर नामांकन ;बहुखंड दंड - आरेखद्ध सामान्यतः वृत्त चाटार्ें को किसी वगर् विशेष के निरपेक्ष मान के आधार पर नहीं बनाया जाता। यहाँ पर सबसे पहले प्रत्येक वगर् के मान को वगार्ें के वुफलमान के प्रतिशत के रूप में व्यक्त किया जाता है। वृत्तआरेख में वृत्त को 100 बराबर भागों में बाँट लिया जाता है, जिसमें प्रत्येक अंश 3.6ú;360ú/100द्ध के बराबर होता है, चाहे त्रिाज्या का मान वुफछ भी हो।कोण को जानने के लिए घटक को वृत्त के वेंफद्र से कक्षांतरित करना होगा, जिसमें प्रत्येक घटक के प्रतिशत अंकों को 3.6ú से गुणा करना होगा। घटकों केप्रतिशतों के वृत्त के कोणीय घटकों के रूप में परिवतर्न का एक उदाहरण सारणी 4.8 में प्रदश्िार्त किया गया है। यह जानना रोचक हो सकता है कि दंड - आरेखद्वारा प्रस्तुत किए गए आँकड़े भी अच्छी तरह वृत्त चाटर् द्वारा दिखाए जा सकते हंै। यहाँ पर केवल इसकी अथर्शास्त्रा में सांख्ियकी आवश्यकता होती है कि वृत्त आरेख बनाने से पहले घटकों के निरपेक्ष मान को प्रतिशत में बदलना होता है। सारणी 4.8 कायर् - स्िथति के अनुसार भारत की जनसंख्या का वितरण ;करोड़ मेंद्ध स्िथति जनसंख्या प्रतिशत कोणीय घटक सीमांत श्रमिक 9 8.8 32ú मुख्य श्रमिक 31 30.4 109ú गैर श्रमिक 62 60.8 219ú वुफल 102 100.0 360ú आयत चित्रा ;भ्पेजवहतंउद्ध आयत चित्रा एक द्विविम आरेख है। यह आयतों का एक ऐसा समुच्चय है, जिसमें वगर् सीमाओं के अंतराल ;ग .अक्ष परद्ध आधार का कायर् करते हैं तथा जिनके क्षेत्रापफल वगर् बारंबारता के अनुपात में होते हैं ;चित्रा 4.5द्ध। यदि वगर् के अंतराल का विस्तार एक समान हो जैसा कि सामान्यतः होता है तो आयतों का क्षेत्रापफल उनकी बारंबारताओं के अनुपात में होता है। हालाँकि कइर् प्रकार के आँकड़ों में विभ्िान्न विस्तार वाले अंतरालों का उपयोग सुविधाजनक होता है तथा कइर् बार आवश्यक भी हो जाता है। उदाहरण के लिए, आयु के अनुसार मृत्यु का सारणीयन करते समय आरंभ में, जब अिाक आयु वगर् की जनसंख्या कीतुलना में कम आयु वालों की मृत्युदर कापफी ऊँची हो तो संक्ष्िाप्त आयु - अंतराल ;जैसे कि 0, 1, 2 वषर् / 0, 7, 28... दिवस आदिद्ध, अिाक साथर्क और उपयोगी होंगे। इस प्रकार के आँकड़ों के आलेखीनिरूपण में किसी आयत के क्षेत्रापफल की ऊँचाइर्,इसकी ऊँचाइर् ;यहाँ बारंबारताद्ध तथा आधार ;यहाँ पर वगर् अंतराल का विस्तारद्ध का भागपफल है। जब अंतराल समान हों, अथार्त् जब सभी आयतों का आधार सामान हों, तब तुलना के उद्देश्य से क्षेत्रापफल को किसी भी अंतराल की बारंबारता के द्वारा आसानी से प्रस्तुत किया जा सकता है। जब आधारों का विस्तारभ्िान्न - भ्िान्न होता है, तब आयतों की ऊँचाइर् को समायोजित किया जाता है, ताकि तुलनात्मक मापों को प्राप्त किया जा सके। इस प्रकार की स्िथति में निरपेक्ष बारंबारता के स्थान पर बारंबारता घनत्व ;जिसमें वगर् बारंबारता का विभाजन वगर् अंतराल के विस्तार से होता हैद्ध अिाक साथर्क होगा। चूँकि आयत चित्रा आयताकार होते हैं, वगर् अंतराल की बारंबारता ;या बारंबारता घनत्वद्ध के बराबर ऊध्वार्धर दूरी पर आधार रेखा पर उसी परिमाण की एक समांतर रेखा खींची जाती है। आयत चित्रा कभी सारणी 4.9 किसी कस्बे के एक इलाके में दैनिक मजदूरी का वितरण दैनिक मजदूरों की संचयी बारंबारता मजदूरी संख्या ‘से कम’ ‘से अिाक’ ;रुद्ध ;बारंबारताद्ध 45μ49 2 2 85 50μ54 3 5 83 55μ59 5 10 80 60μ64 3 13 75 65μ69 6 19 72 70μ74 7 26 66 75μ79 12 38 59 80μ84 13 51 47 85μ89 9 60 34 90μ94 7 67 25 95μ99 6 73 18 100μ104 4 77 12 105μ109 2 79 8 110μ114 3 82 6 115μ119 3 85 3 स्रोतः अप्रकाश्िात आँकड़े विविक्त चर आँकड़ों के लिए नहीं खींचा जाता है। चूँकि किसी अंतराल या अनुपात पैमाने में वगर् अंतरालकी निचली सीमा पूवर् अंतराल की ऊँची सीमा के साथ मिल जाती है ;भले ही वह समान हो या असमानद्ध, अतः सभी आयत साथ - साथ होते हैं और दो आसन्न आयतों के बीच कोइर् खाली स्थान नहीं होता। यदि वगर् संतत नहीं होते हैं तो पहले उन्हें संतत वगार्ें में बदला जाता है, जैसा कि अध्याय 3 में बताया जा चुका है। कइर् बार दो आसन्न आयतों के बीच के समान अंश को हटा दिया जाता है, ताकि संततता काबेहतर प्रभाव पड़े। इसके परिणामस्वरूप जो आकृति बनती है वह दोहरे सोपान की तरह लगती है। आयत चित्रा दंडμआरेख के समान दिखता है। परन्तु, इनके बीच समानताओं से कहीं अिाक भ्िान्नताएँ हैं, जिसका पता पहली बार में नहीं चलता। स्तंभों का क्षेत्रापफल, अंतराल तथा चैड़ाइर् सभी यादृच्िछक होतेहैं। स्तंभों की ऊँचाइर् महत्त्वपूणर् है, न कि इनकीचैड़ाइर् या क्षेत्रापफल। एक ऊध्वार्धर रेखा भी ठीक उसी उद्देश्य को पूरा कर सकती है जितना कि उसी चैड़ाइर् का एक दंड करता है। इसके अतिरिक्त आयत चित्रा में दो आयतों के बीच कोइर् रिक्त स्थान नहीं छोड़ा जाता है, जबकि दंडμआरेख में दो क्रमिक दंडों के बीच वुफछ रिक्त स्थान अवश्य छोड़ा जाता है ;बहुदंड आरेख या घटक - दंड आरेखों को छोड़करद्ध। यद्यपि सभी दंडों की चैड़ाइर् समान होती है तथापि तुलना की दृष्िट से इनकी चैड़ाइर् का कोइर् महत्व नहीं होता है। आयत चित्रा में चैड़ाइर् उतनी ही महत्वपूणर् हैजितनी ऊँचाइर्। दंड - आरेख विविक्त एवं संतत दोनों ही चरों के लिए बनाये जा सकते हैं, जबकि आयत चित्रा केवल संतत चर के लिए ही बनाए जाते हैं। आयत चित्रा बारंबारता वितरण के बहुलक के मान को भी आलेखी रूप में दिखा सकता है, जैसा चित्रा 4.5 में दिखाया गया है तथा ग - निदर्ेशांक पर बिंदुओं से बनी क्षैतिज रेखा बहुलक को दशार्ती है। अथर्शास्त्रा में सांख्ियकी बारंबारता बहुभुज ;थ्तमुनमदबल च्वसलहवदद्ध बारंबारता बहुभुज सीधी रेखाओं से घ्िारा हुआ एक समतल है, जिसमें सामान्यतः चार या अिाक रेखाएँ होती हैं। बारंबारता बहुभुज आयत चित्रा का विकल्प होता है, जो आयत चित्रा से ही व्युतपन्न होता है। बारंबारता बहुभुज को वक्र के आकार के अध्ययन केलिए किसी आयत चित्रा के ऊपर लगाया जा सकताहै। आयत चित्रा के क्रमिक आयतों के ऊपरी छोर के मध्य बिंदुओं को जोड़ कर बारंबारता बहुभुज कानिमार्ण बहुत आसानी से किया जा सकता है। आवृिा बहुभुज आधार रेखा से दूर दो छोरों पर समाप्त हो जाता है, जिससे वक्र के अंतगर्त आनेवाले क्षेत्रापफल का परिकलन संभव नहीं होता। इसका समाधान आधार रेखा से दोनों वगार्ें के मध्यमानों को वितरण के प्रत्येक छोर पर शून्य बारंबारता से मिलाकर किया जाता है। आधार के दोनों छोरों को खंडित रेखाओं या बिंदु रेखाओं द्वारा जोड़ा जा सकता है। अतः वक्र का वुफल क्षेत्रापफल, आयत चित्रा के क्षेत्रापफल की भाँति, चित्रा 4.5 एक कस्बे के एक स्थानिक क्षेत्रा के 85 दैनिक मजदूरों के वितरण के लिए आयत चित्रा। वुफल बारंबारता या प्रतिदशर् के आकार का प्रतिनििात्व करता है। बारंबारता बहुभुज समूहित बारंबारता वितरण के प्रस्तुतीकरण के लिए सवार्िाक प्रचलित वििा है। वगर्सीमाएँ तथा वगर् - चिÉ, दोनों को ग - अक्ष पर प्रदश्िार्तकिया जा सकता है तथा दो क्रमिक वगर् - चिÉों के बीच की दूरी वगर् अंतराल की चैड़ाइर् के आनुपातिक/समान होती है। आँकड़ों का आलेखन तब आसान होता है जब वगर् चिÉ ग्रापफ पेपर की मोटीरेखाओं के ऊपर आपतित ;पड़तेद्ध होते हैं। इससे कोइर्अंतर नहीं पड़ता है कि वगर् सीमाओं या वगर् चिÉों का प्रयोग ग - अक्ष पर किया गया है या नहीं, बारंबारताएँ ;निदर्ेशांकों के रूप मेंद्ध सदैव वगर् - अंतराल के मध्यबिंदु पर आलेख्िात होती हैं। जब आलेख पर सभी बिंदु आलेख्िात हो जाते हैं, तो इन्हें क्रमिक सरल रेखाओं के द्वारा सावधानी से आपस में जोड़ दिया जाता है। खंडित रेखाएँ दो अंतरालों के बीच मध्य बिंदु को जोड़ती हैं, एक शुरू में और दूसरी अंत में, जो आलेख्िात वक्र के दो छोर होते हैं ;चित्रा 4.6द्ध। जब एक ही अक्ष पर दो या दो से अिाक आलेख्िात वितरणों की तुलना की जाती है, तो बारंबारता बहुभुज संभवतः अिाक उपयोगी होता है, क्योंकि आयत - चित्रामें दो या दो से अिाक वितरणों की ऊध्वार्धर रेखाएँ एवं क्षैतिज रेखाएँ आपस में मिल सकती हैं। बारंबारता वक्र ;थ्तमुनमदबल ब्नतअमद्ध बारंबारता वक्र को, बारंबारता बहुभुज के बिंदुओं से निकटतम गुजरते हुए मुक्त - हस्त से वक्र बनाकर आसानी से प्राप्त किया जा सकता है। यह आवश्यक नहीं है कि यह बारंबारता बहुभुज के सभी बिंदुओं से होकर गुजरे, परंतु यह उन बिंदुओं से निकटतम होकर गुजरता है ;चित्रा 4.7द्ध। तोरण ;व्हपअमद्ध तोरण को संचयी बारंबारता वक्र के नाम से भी जाना जाता है। क्योंकि संचयी बारंबारताएँ दो प्रकार की होती चित्रा 4.6 सारणी 4.9 में दिए गए आँकड़ों के लिए बारंबारता बहुभुज का रेखांकन। अजर्कों की संख्या अथर्शास्त्रा में सांख्ियकी 14 12 10 8 6 4 2 0 दैनिक मजदूरी ;रु मेंद्ध चित्रा 4.7 सारणी 4.9 के लिए बारंबारता वक्र हैं, उदाहरण के लिए, ‘से कम’ प्रकार एवं ‘से अिाक’ प्रकार की। तदनुसार, किसी समूहित बारंबारता वितरण आँकड़ों के लिए दो प्रकार के तोरण भी होते हैं। यहाँ, बारंबारता बहुभुज की भाँति साधारण बारंबारताओं के स्थान पर बारंबारता वितरण की वगर् - सीमाओं के सामने संचयी बारंबारताओं को ल् - अक्ष पर आलेख्िात किया जाता है। संचयी बारंबारताओं को ‘से कम’ तोरण के लिए क्रमशः वगर् अंतरालों की ऊपरी सीमा के सामने आलेख्िात किया जाता है, जबकि ‘से कम’ तोरण के लिए क्रमशः वगर् अंतरालों की निम्नतम सीमा के सामने आलेख्िात किया जाता है। इन दोनों ही तोरणों की एक रोचक विशेषता यह है कि इन का परस्पर प्रतिच्छेद बिंदु बारंबारता वितरण की मियका ;आकृति 4.8 बद्ध बनाता है। जैसा कि दोनों तोरणों के आकार से स्पष्ट होता है, ‘से कम’ प्रकार का तोरण कभी घटता नहीं है और ‘से अिाक’ प्रकार का तोरण कभी बढ़ता नहीं है। सारणी 4.10 गण्िात में प्राप्त अंकों का बारंबारता वितरण अंक छात्रों की संख्या ‘से कम’ ‘से अिाक’ ग िसंचयी बारंबारता संचयी बारंबारता 0μ20 6 6 64 20μ40 5 11 58 40μ60 33 44 53 60μ80 14 58 20 80μ100 6 64 6 योग 64 अंकगण्िातीय रेखा चित्रा ;।तपजीउमजपब स्पदम ळतंचीद्ध अंकगण्िातीय रेखा चित्रा को काल श्रेणी आलेख भी कहा जाता है तथा यह आँकड़ों की आरेखी प्रस्तुति की वििा है। इसके अंतगर्त समय ;घंटा, दिन/तारीख, सप्ताह/माह, वषर् इत्यादिद्ध को गदृअक्ष पर आलेख्िात किया जाता है और चरों के मानों ;काल - श्रेणी आँकड़ोंद्ध को लदृअक्ष पर आलेख्िात किया जाता है। इन आलेख्िात बिंदुओं को जोड़ने से प्राप्त रेखा - चित्रा आकृति 4.8 ;।द्ध सारणी 4.10 में दिए गए आँकड़ों के लिए ‘से कम’ और ‘से अिाक’ तोरण। अंकगण्िातीय रेखा - चित्रा ;काल - श्रेणी आलेखद्ध कहलाता है। यह लंबी अविा के काल - श्रेणी आँकड़ों की प्रवृिा और आवतिर्ता इत्यादि को समझने में सहायक होता है। यहाँ आप आरेख 4.9 में देख सकते हैं कि यद्यपि वषर् 1978 से 1999 के बीच सभी वषार्ें में नियार्त की अपेक्षा आयात अिाक थे, पिफर भी दोनों ही क्षेत्रों में 1988 - 1989 के दौरान वृि की गति तेज रही तथा 1995 के बाद दोनों ;नियार्त व आयातद्ध के बीच का अंतर बढ़ गया। सारणी 4.11 भारत के नियार्त एवं आयात के मान ;100 करोड़ रु मेंद्ध वषर् नियार्त आयात 1977μ78 54 60 1978μ79 57 68 1979μ80 64 91 1980μ81 67 125 1982μ83 88 143 1983μ84 98 158 1984μ85 117 171 1985μ86 109 197 1986μ87 125 201 1987μ88 157 222 1988μ89 202 282 1989μ90 277 353 1990μ91 326 432 1991μ92 440 479 अथर्शास्त्रा में सांख्ियकी 1992μ93 532 634 1993μ94 698 731 1994μ95 827 900 1995μ96 1064 1227 1996μ97 1186 1369 1997μ98 1301 1542 1998μ99 1416 1761 6.सारांश अब तक आपने समझ लिया होगा कि संकलित किए गए आँकड़ों को विभ्िान्न रूपों में किस प्रकार प्रस्तुत किया जाए जैसे, पाठ - विषयक, सारणीब( तथा रेखीय रूप में। साथ ही आप संगृहीत आँकड़ों की प्रस्तुति के लिए उपयुक्त वििा तथा आरेख के प्रकार का चुनाव भी कर सवेंफगे। इस तरह से आप आँकड़ों को अथर्पूणर्, बोधगम्य तथा उद्देश्यपूणर् तरीके से प्रस्तुत कर सकते हैं। चित्रा 4.9 सारणी 4.11 में दिए गए कालश्रेणी आंकड़ों का अंकगण्िातीय रेखा ग्रापफ। पुनरावतर्न ऽ आँकड़े ;परिमाण में अिाक होने पर भीद्ध उचित प्रस्तुति द्वारा अथर् प्रकट करते हैं। ऽ आँकड़े छोटे ;मात्रा मेंद्ध हों तो पाठ - विषयक प्रस्तुति बेहतर रहती है। ऽ भारी मात्रा वाले आँकड़ों के लिए सारणीब( प्रस्तुतीकरण सहायक होता है। इससे आँकड़ों की किसी भी मात्रा को, एक या अिाक चरों की दृष्िट से, समंजित किया जाता है। ऽ सारणीब( आँकड़ों को आरेख के माध्यम से भी प्रस्तुत किया जा सकता है जो, अन्य माध्यमों की अपेक्षा, उन्हें अिाक बोधगम्य बनाता है। अभ्यास निम्नलिख्िात 1 से 10 तक के प्रश्नों के सही उत्तर चुनेंः 1.दंड - आरेख ;कद्ध एक विमी आरेख है ;खद्ध द्विविम आरेख है ;गद्ध विम रहित आरेख है ;घद्ध इनमें से कोइर् नहीं है 2.आयत चित्रा के माध्यम से प्रस्तुत किए गए आँकड़ों से आलेखी रूप से निम्नलिख्िात जानकारी प्राप्त कर सकते हैंः ;कद्ध माध्य ;खद्ध बहु लक ;गद्ध मियका ;घद्ध उपयुर्क्त सभी 3.तोरणों के द्वारा आलेखी रूप में निम्न की स्िथति जानी जा सकती हैः ;कद्ध बहुलक ;खद्ध माध्य ;गद्ध मियका ;घद्ध उपयुर्क्त कोइर् भी नहीं 4.अंकगण्िातीय रेखा चित्रा के द्वारा प्रस्तुत आँकड़ों से निम्न को समझने में मदद मिलती हैः ;कद्ध दीघर्कालिक प्रवृिा ;खद्ध आँकड़ों में चक्रीयता ;गद्ध आँकड़ों में कालिकता ;घद्ध उपयुर्क्त सभी 5.दंड - आरेख के दंडों की चैड़ाइर् का एक समान होना जरूरी नहीं है ;सही/गलतद्ध। 6.आयत चित्रा में आयतों की चैड़ाइर् अवश्य एक समान होनी चाहिए ;सही/गलतद्ध अथर्शास्त्रा में सांख्ियकी 7.आयत चित्रा की रचना केवल आँकड़ों के संतत वगीर्करण के लिए की जा सकती है ;सही/गलतद्ध 8.आयत चित्रा एवं स्तंभ आरेख आँकड़ों को प्रस्तुत करने के लिए एक जैसी वििायाँ है ;सही/गलतद्ध। 9.आयत चित्रा की मदद से बारंबारता वितरण के बहुलक को आलेखी रूप में जाना जा सकता है ;सही/गलतद्ध। 10.तोरणों से बारंबारता वितरण की मियका को नहीं जाना जा सकता है ;सही/गलतद्ध 11.निम्नलिख्िात को प्रस्तुत करने के लिए किस प्रकार का आरेख अिाक प्रभावी होता है? ;कद्ध वषर् - विशेष की मासिक वषार् ;खद्ध धमर् के अनुसार दिल्ली की जनसंख्या का संघटन ;गद्ध एक कारखाने में लागत - घटक 12.मान लीजिए आप भारत में शहरी गैर - कामगारों की संख्या में वृि तथा भारत में शहरीकरण के निम्न स्तर पर बल देना चाहते हैं, जैसा कि उदाहरण 4.2 में दिखाया गया है, तो आप उसका सारणीयन वैफसे करेंगे? 13.यदि किसी बारंबारता सारणी में समान वगर् अंतरालों की तुलना में वगर् अंतराल असमान हों, तो आयत - चित्रा बनाने की प्रिया किस प्रकार भ्िान्न होगी। 14.भारतीय चीनी कारखाना संघ की रिपोटर् में कहा गया है कि दिसंबर 2001 के पहले पखवाड़े के दौरान 3,87,7000 टन चीनी का उत्पादन हुआ, जबकि ठीक इसी अविा में पिछले वषर् ;2000 मेंद्ध 3,78,7000 टन चीनी का उत्पादन हुआ था। दिसम्बर 2001 में घरेलू खपत के लिए चीनी मिलों से 2,83,000 टन चीनी उठाइर् गइर् और 41,000 टन चीनी नियार्त के लिए थी, जबकि पिछले वषर् की इसी अविा में घरेलू खपत की मात्रा 1,54,000 टन थी और नियार्त शून्य था। ;कद्ध उपयुर्क्त आँकड़ों को सारणीब( रूप में प्रस्तुत करें। ;खद्ध मान लीजिए आप इस आँकड़े को आरेख के रूप में प्रस्तुत करना चाहते हैं तो आप कौन सा आरेख चुनेंगे और क्यों? ;गद्धद्ध इन आँ़ां का आरखी रूप मे कडेेें प्रस्तुत करें। 15.निम्नलिख्िात सारणी में कारक लागत पर सकल घरेलू उत्पाद में क्षेत्राकवार अनुमानित वास्तविक संवृि दर को ;पिछले वषर् से प्रतिशत परिवतर्नद्ध प्रस्तुत किया गया हैः वषर् कृष्िा एवं सम्ब( क्षेत्राक उद्योग सेवाएँ ;1द्ध ;2द्ध ;3द्ध ;4द्ध 1994μ95 5.0 9.2 7.0 1995μ96 μ0.9 11.8 10.3 1996μ97 9.6 6.0 7.1 1997μ98 μ1.9 5.9 9.0 1998μ99 7.2 4.0 8.3 1999μ2000 0.8 6.9 8.2 उपयुर्क्त आँकड़ों को बहु काल - श्रेणी आरेख द्वारा प्रस्तुत करें।ॅॅ