Ganit-II

ऽ श्रनेज ंे ं उवनदजंपदममत बसपउइे ं उवनदजंपद दृ इमबंनेम पज पे जीमतमए ेव ं हववक उंजीमउंजपबे ेजनकमदज ेजनकपमे दमू उंजमतपंस इमबंनेम पज पे जीमतमण् दृ श्र।डम्ै ठण् ठत्प्ैज्व्स् ऽ 7ण्1 भूमिका ;प्दजतवकनबजपवदद्ध अवकल गण्िात अवकलज की संकल्पना पर वेंफदि्रत है। पफलनों के आलेखों के लिए स्पशर् रेखाएँ परिभाष्िात करने की समस्या एवं इस प्रकार की रेखाओं की प्रवणता का परिकलन करना अवकलज के लिए मूल अभ्िाप्रेरण था। समाकलन गण्िात, पफलनों के आलेख से घ्िारे क्षेत्रा के क्षेत्रापफल को परिभाष्िात करने एवं इसके क्षेत्रापफल का परिकलन करने की समस्या से पे्ररित है। यदि एक पफलन िकिसी अंतरालप् में अवकलनीय है अथार्त् प् के प्रत्येक ¯बदु पर पफलन के अवकलज ि′ का अस्ितत्व है, तब एक स्वाभाविक प्रश्न उठता है कि यदि प् के प्रत्येक ¯बदु पर ि′ दिया हुआ है तो क्या हम पफलन िज्ञात कर सकते हैं? वे सभी पफलन जिनसे हमें एक पफलन उनके अवकलज के रूप में प्राप्त हुआ है, इस पफलन के प्रतिअवकलज ;पूवर्गद्ध कहलाते हैं। अग्रतः वह सूत्रा जिससे ये सभी प्रतिअवकलज प्राप्त होते हैं, पफलन का अनिश्िचत समाकलन कहलाता है और प्रतिअवकलज ज्ञात करने का यह प्रक्रम समाकलन करना कहलाता है। इस प्रकार की समस्याएँ अनेक व्यावहारिक परिस्िथतियों में आती हैं। उदाहरणतः यदि हमें किसी क्षण पर किसी वस्तु का तात्क्षण्िाक वेग ज्ञात है, तो स्वाभाविक प्रश्न यह उठता है कि क्या हम किसी क्षण पर उस वस्तु की स्िथति ज्ञात कर सकते हैं? इस प्रकार की अनेक व्यावहारिक एवं सै(ांतिक परिस्िथतियाँ आती हैं, जहाँ समाकलन की संिया निहित होती है। समाकलन गण्िात का विकास निम्नलिख्िात प्रकार की समस्याओं के हल करने के प्रयासों का प्रतिपफल है। ;ंद्ध यदि एक पफलन का अवकलज ज्ञात हो, तो उस पफलन को ज्ञात करने की समस्या, ;इद्ध निश्िचत प्रतिबंधें के अंतगर्त पफलन के आलेख से घ्िारे क्षेत्रा का क्षेत्रापफल ज्ञात करने की समस्या। उपयुर्क्त दोनो समस्याएँ समाकलनों के दो रूपों की ओर प्रेरित करती हैं , अनिश्िचत समाकलन एवं निश्िचत समाकलन। इन दोनों का सम्िमलित रूप समाकलन गण्िात कहलाता है। अनिश्िचत समाकलन एवं निश्िचत समाकलन के मध्य एक संबंध् है जिसे कलन की आधरभूत प्रमेय के रूप में जाना जाता है। यह प्रमेय निश्िचत समाकलन को विज्ञान एवं अभ्िायांत्रिाकी के लिए एक व्यावहारिक औशार के रूप में तैयार करती है। अथर्शास्त्रा, वित्त एवं प्रायिकता जैसे विभ्िान्न क्षेत्रों से अनेक प्रकार की रुचिकर समस्याओं को हल करने के लिए भी निश्िचत समाकलन का उपयोग किया जाता है। इस अध्याय में, हम अपने आपको अनिश्िचत एवं निश्िचत समाकलनों एवं समाकलन की वुफछ विध्ियों सहित उनके प्रारंभ्िाक गुणध्मो± के अध्ययन तक सीमित रखेंगे। 7ण्2 समाकलन को अवकलन के व्युत्क्रम प्रक्रम के रूप में ;प्दजमहतंजपवद ंे जीम प्दअमतेम च्तवबमेे व िक्पमिितमदजपंजपवदद्ध अवकलन के व्युत्क्रम प्रक्रम को समाकलन कहते हैं। किसी पफलन का अवकलन ज्ञात करने के स्थान पर हमें पफलन का अवकलज दिया हुआ है और इसका पूवर्ग अथार्त् वास्तविक पफलन ज्ञात करने के लिए कहा गया है। यह प्रक्रम समाकलन अथवा प्रति - अवकलन कहलाता है। आइए निम्नलिख्िात उदाहरणों पर विचार करें, क हम जानते हैं कि ;ेपद गद्ध त्र बवे ग ण्ण्ण् ;1द्ध कग 3 क ⎛ ग ⎞ ⎝⎜ ⎠⎟ त्र ग 2 ण्ण्ण् ;2द्ध कग 3 क ग द्ध और ;म त्र मग ण्ण्ण् ;3द्ध कगहम प्रेक्ष्िात करते हैं कि समीकरण ;1द्ध में पफलन बवे ग पफलन ेपद ग का अवकलज है। इसे हम इस प्रकार भी कहते हैं कि बवे ग का प्रतिअवकलज ;अथवा समाकलनद्ध ेपद ग है। इसी प्रकार ;2द्ध 3 ग एवं ;3द्ध से ग 2 और मग के प्रतिअवकलज ;अथवा समाकलनद्ध क्रमशः और मग है। पुनः हम 3 नोट करते हैं कि किसी भी वास्तविक संख्या ब्,जिसे अचर पफलन माना जाता है, का अवकलज शून्य है, और इसलिए हम ;1द्ध, ;2द्ध और ;3द्ध को निम्नलिख्िात रूप में लिख सकते हैंः 3 क क कग 2 गग ;ेपद ग ़ ब्द्ध त्र बवे ग ए ; ़ब्द्ध त्र ग और ;म ़ ब्द्ध त्र म कग कग 3 कग इस प्रकार हम देखते हैं कि उपयुर्क्त पफलनों के प्रतिअवकलज अथवा समाकलन अितीय नहीं हैं। वस्तुतः इन पफलनों में से प्रत्येक पफलन के अपरिमित प्रतिअवकलज हैं, जिन्हें हम वास्तविक संख्याओं के समुच्चय से स्वेच्छ अचर ब् को कोइर् मान प्रदान करके प्राप्त कर सकते हैं। यही कारण है कि ब् को प्रथानुसार स्वेच्छ अचर कहते हैं। वस्तुतः ब् एक प्राचल है, जिसके मान को परिवतिर्त करके हम दिए हुए पफलन के विभ्िान्न प्रतिअवकलजों या समाकलनों को प्राप्त करते हैं। व्यापकतः यदि क गग एक पफलन थ् ऐसा है कि थ्; द्धत्र ि; द्ध ए ∀ ग ∈ प् ;वास्तविक संख्याओं का अंतरालद्ध तो प्रत्येक कग क ग स्वेच्छ अचर ब्ए के लिए ख् थ्; द्ध़ब्ग , त्र ि; द्ध ए ग ∈ प् कग इस प्रकार क्ष्थ् ़ ब्ए ब् ∈ त्द्वए िके प्रतिअवकलजों के परिवार को व्यक्त करता है, जहाँ ब् समाकलन का अचर कहलाता है। टिप्पणी समान अवकलज वाले पफलनों में एक अचर का अंतर होता है। इसको दशार्ने के लिए, मान लीजिए ह और ी ऐसे दो पफलन हैं जिनके अवकलज अंतराल प् में समान हंै ि;गद्ध त्र ह ;गद्ध दृ ी ;गद्धए ∀ ग ∈ प् द्वारा परिभाष्िात पफलन ित्र ह दृ ी पर विचार कीजिए तो क ित्र ि त्र ह′ दृ ी′ से ि ;गद्ध त्र ह′ ;गद्ध दृ ी′ ;गद्ध ∀ ग ∈ प् प्राप्त है। कग अथवा ि ;गद्ध त्र 0ए ∀ ग ∈ प् ;परिकल्पना सेद्ध अथार्त् प् में ग के सापेक्ष िके परिवतर्न की दर शून्य है और इसलिए िएक अचर है। उपयुर्क्त टिप्पणी के अनुसार यह निष्कषर् निकालना न्यायसंगत है कि परिवार क्ष्थ् ़ ब्ए ब् ∈ त्द्वए िके सभी प्रतिअवकलजों को प्रदान करता है। अब हम एक नए प्रतीक से परिचित होते हैं जो कि प्रतिअवकलजों के पूरे परिवार को निरूपित करेगा। ग ै यह प्रतीक ि;द्धकग है, इसे ग के सापेक्ष िका अनिश्िचत समाकलन के रूप में पढ़ा जाता ह। ∫ प्रतीकतः हम ि;द्ध कग त्रथ्; द्ध़ब् लिखते हैं। गग ∫ कल त्र िि;द्धकग संकेतन दिया हुआ है कि ;द्ध ग ए तो हम ल त्र ग लिखते हैं। कग ∫ सुविध के लिए हम निम्नलिख्िात प्रतीकों/पदों/वाक्यांशों को उनके अथो± सहित सारणी 7.1 में उल्लेख्िात करते हंैः सारणी 7ण्1 प्रतीक/पद/वाक्यांश अथर् ि; द्धग कग ∫ िका ग के सापेक्ष समाकलन ि; द्धग कग ∫ में ि;गद्ध समाकल्य ि; द्धग कग ∫ में ग समाकलन का चर समाकलन करना समाकलन ज्ञात करना िका समाकलन एक पफलन थ् जिसके लिए थ्′;गद्ध त्र ि;गद्ध समाकलन संिया समाकलन ज्ञात करने का प्रक्रम समाकलन का अचर कोइर् भी वास्तविक संख्या जिसे अचर पफलन कहते हंै। हम पहले से ही बहुत से प्रमुख पफलनों के अवकलजों के सूत्रा जानते हैं। इन सूत्रों के संगत हम समाकलन के प्रामाण्िाक सूत्रों को तुरंत लिख सकते हैं। इन प्रामाण्िाक सूत्रों की सूची निम्नलिख्िात हैं जिसका उपयोग हम दूसरे पफलनों के समाकलनों को ज्ञात करने में करेंगे। अवकलज क्मतपअंजपअमे समाकलन ;प्रतिअवकलजद्ध प्दजमहतंसे ;।दजपकमतपअंजपअमेद्ध द ़ 1 द ़ 1 क  ग  द दग ;पद्ध  ⎟त्र ग गकग त्ऱ ब्ए द ≠ दृ1 ∫ कग द ़ 1 द ़ 1 ⎝ विश्िाष्ट रूप में हम देखते हैं क ; द्ध त्र1 कग त्र ग ग ़ ब् कग ∫ क ;पपद्ध ;ेपद गद्धत्र बवे ग बवे ग कग त्र ेपद ग ़ ब् कग ∫ क ;पपपद्ध ; दृ बवे गद्धत्र ेपद ग ∫ ेपद ग कग त्र दृ बवे ग ़ ब् कग क 2 ∫ 2 ;पअद्ध ; जंद गद्धत्र ेमब ग ेमब ग कग त्र जंद ग ़ ब् कग क 2 2 ;अद्ध ; दृ बवज गद्धत्र बवेमब ग बवेमब ग कग त्र दृ बवज ग ़ ब् कग ∫ क ;अपद्ध ;ेमब गद्धत्र ेमब ग जंद ग ेमब ग जंद ग कग त्र ेमब ग ़ ब् कग ∫ क ;अपपद्ध ; दृ बवेमब गद्धत्र बवेमब ग बवज ग बवेमब ग बवज ग कग त्र दृ बवेमब ग ़ ब् कग ∫ क 1 कग दृ1 दृ1 ;गद्ध ; जंद गद्धत्र 2 ∫ 2 त्र जंद ग ़ ब् कग 1 ़ ग 1 ़ ग क 1 कग दृ1 दृ1 दृ बवज ग त्रत्र दृ बवज ग ़ ब् ;गपद्ध ;द्ध 2 ∫ 2 कग 1़ ग 1 ़ ग कग ;गपअद्ध ;म त्र म मगकग त्र मग ़ ब् कग ग द्ध ∫ क द्ध 1 ∫ 1 ग त्र कग त्र सवह ग ़ ब् ;गअद्ध ; सवह कग ग ग क  ंग  ग गंग त्र ं ंकग त्ऱ ब् ;गअपद्ध ⎜ ∫ कग  सवह ं  सवह ं 7ण्2ण्1 अनिश्िचत समाकलन का ज्यामितीय निरूपण ;ळमवउमजतपबंस पदजमतचतमजंजपवद व िपदकमपिदपजम पदजमहतंसद्ध मान लीजिए कि ि;गद्ध त्र 2 ग तो ि;द्ध कग त्र ग 2 ़ ब् तथा ब् के विभ्िान्न मानों के लिए हम विभ्िान्न ग ∫ समाकलन पाते हैं। परंतु ज्यामितीय दृष्िट से ये सभी समाकलन समान हैं। इस प्रकार ल त्र ग2 ़ ब्ए जहाँब् एक स्वेच्छ अचर है, समाकलनों के एक परिवार को निरूपित करता है। ब्ए को विभ्िान्न मान प्रदान करके हम परिवार के विभ्िान्न सदस्य प्राप्त करते हैं। इन सबका सम्िमलित रूप अनिश्िचत समाकलन है। स्पष्टतया प्रत्येक समाकलन एक परवलय को निरूपित करता है जिसका अक्ष ल.अक्ष के अनुदिश है। स्पष्टतया ब् त्र 0 के लिए हम ल त्र ग 2 पाते हैं जो एक ऐसा परवलय है जिसका शीषर् मूल ¯बदु पर है। ब् त्र 1 के लिए वक्र ल त्र ग2 ़ 1 परवलय ल त्र ग2 को एक इकाइर्ल.अक्ष के अनु ध्नात्मक दिशा 2 में स्थानांतरित करने पर प्राप्त होता है। ब् त्र दृ 1ए के लिए, वक्र ल त्र ग 2 दृ 1 परवलय ल त्र ग को एक इकाइर् ल.अक्ष के अनुदिश )णात्मक दिशा में स्थानांतरित करने पर प्राप्त होता है। इस प्रकार ब्ए के प्रत्येक ध्नात्मक मान के लिए, परिवार के प्रत्येक परवलय का शीषर् ल.अक्ष की ध्नात्मक दिशा में है और ब् के )णात्मक मानों के लिए प्रत्येक परवलय का शीषर् ल.अक्ष की )णात्मक दिशा में है। इन परवलयों में से वुफछ को आवृफति 7.1 में दशार्या गया है। अब हम इन परवलयों के रेखा ग त्र ं द्वारा प्रतिच्छेदन पर विचार करते हैं। आवृफति 7.1 में हमने ं झ 0 लिया है। यह निष्कषर् ं ढ 0 के लिए भी सत्य है। यदि रेखा ग त्र ं 2 परवलयों ल त्र ग ए ल त्र ग 2 ़ 1ए ल त्र ग 2 ़ 2ए ल त्र ग2 दृ 1ए ल त्र ग2 दृ 2 को क्रमशः ¯बदुओं च्ए च्ए च्ए च्ए च्इत्यादि पर काटती है 012 दृ1दृ2 कल तो इन सभी ¯बदुओं पर का मान 2ं है। कग यह निदिर्ष्ट करता है कि इन सभी ¯बदुओं पर वक्रों की स्पशर् रेखाएँ समांतर हैं। इस प्रकार ∫ 2ग कग त्र ग 2 ़ ब् त्र थ्ब् ग ;द्ध ;मान लीजिएद्ध से प्राप्त होता है कि वक्रों आवृफति 7ण्1 ल त्र थ्ब् ;गद्धए ब् ∈ त्ए के रेखा ग त्र ंए द्वारा प्रतिच्छेदन ¯बदुओं पर वक्रों की स्पशर् रेखाएँ समांतर हैं जहाँ ं ∈ त् अग्रतः निम्नलिख्िात कथन ि;द्ध ग कग त्र थ्; द्ध ़ ब् त्र गल ;मान लीजिएद्ध वक्रों के परिवार को निरूपित करता है। ब् के विभ्िान्न ∫ मानों के संगत हमें इस परिवार के विभ्िान्न सदस्य प्राप्त होते हैं और इन सदस्यों में से हम किसी एक सदस्य को स्वयं के समान्तर स्थानांतरित करके प्राप्त कर सकते हैं। अनिश्िचत समाकलन का ज्यामितीय निरूपण यही है। 7ण्2ण्2 अनिश्िचत समाकलनों के वुफछ गुणध्मर् ;ैवउम चतवचमतजपमे व िपदकमपिदपजम पदजमहतंसेद्ध इस उप परिच्छेद में हम अनिश्िचत समाकलन के वुफछ गुणध्मो± को व्युत्पन्न करेंगे। ;पद्ध निम्नलिख्िात परिणामों के संदभर् में अवकलन एवं समाकलन के प्रक्रम एक दूसरे के व्युत्क्रम हैंः क ग कग ि;द्ध त्र ि;गद्ध कग ∫ और ि′;द्ध ग कग त्र ि;गद्ध ़ ब्ए जहाँ ब् एक स्वेच्छ अचर है। ∫ उपपिा मान लीजिए कि थ्, िका एक प्रतिअवकलज हैं अथार्त् क ग थ्;द्ध त्र ि;गद्ध कग तो ि;द्धकग ग त्र थ्;गद्ध ़ ब् ∫क ∫क इसलिए ;द्ध ग त्र ; थ्; द्ध़ब्द्ध िकग ग कग कग क त्र थ्; द्धत्र ग गि ;द्ध कग इसी प्रकार हम देखते हैं कि क ग ि′;गद्ध त्र ि;द्ध कग और इसलिए ि′;द्ध ग कग त्र ि;गद्ध ़ ब् ∫ जहाँब् एक स्वेच्छ अचर है जिसे समाकलन अचर कहते हैं। ;पपद्ध ऐसे दो अनिश्िचत समाकलन जिनके अवकलज समान हैं वक्रों के एक ही परिवार को प्रेरित करते हैं और इस प्रकार समतुल्य हैं। उपपिा मान लीजिए िएवं ह ऐसे दो पफलन हैं जिनमें क ∫क ∫ गकग ग ि;द्ध त्र ह ;द्ध कग कग कग क अथवा  ि;द्ध गकगदृ हगकग ⎤त्र 0 ⎣∫ ∫ ;द्ध ⎦ कग ग ;द्ध अतः ि;द्ध कगदृ हगकग त्र ब्ए जहाँ ब् एक वास्तविक संख्या है। ;क्यों?द्ध ∫∫ अथवा ि;द्ध ग कग त्र ह गकग ़ ब् ;द्ध ∫∫ ;द्ध कग ़ ब् एब् ∈त् एवं क्ष्∫ हग ;द्ध कग ़ ब् एब् ∈त्द्व समतुल्य हैं। इसलिए वक्रों के परिवार क्ष्∫ गि 11 द्व 22 इस प्रकार ;द्ध कग आ र ∫ हग ;द्ध कग समतुल्य हैं। गि ै ∫ ;द्ध ग कग ़ब् एब् ∈त् हग कग ़ब् ि;द्ध एब् ∈त् ∫ 11 द्व एवं क्ष्∫ 22 द्व की समतुल्यता को प्रथानुसार ि;द्ध ग कग त्र हग ;द्ध कग ए लिखकर व्यक्त करते हैं जिसमें प्राचल का ∫∫ वणर्न नहीं है। ;पपपद्ध ख् ि; द्ध़ हग कग त्र ि;द्ध कग ़ ;द्ध ग ;द्ध , ग हग कग ∫ ∫∫ उपपिा गुणध्मर् ;पद्ध से क  ख् ि; द्ध़ हग कग ⎤त्र ि; द्ध़ ; द्ध, ग ; द्ध ण्ण्ण् ;1द्ध ग हग ⎣⎦ कग ∫ अन्यथा हमें ज्ञात है कि क कक  ि;द्ध ग कग ़ हग ;द्ध कग ⎤त्र ि;द्ध ग कग ़ हग ;द्ध कग त्र ि;द्ध ग ़ हग ; द्ध ण्ण्ण् ;2द्ध ⎣∫∫⎦∫ ∫ कग कग कग इस प्रकार गुणध्मर् ;पपद्ध के संदभर् में ;1द्ध और ;2द्ध से प्राप्त होता है कि ; गि द्ध ;द्ध ;द्ध ़ हग ;द्ध कग त्र िगकग ़ हग ;द्ध कग ∫ ∫∫ ा िग गकग ;पअद्ध किसी वास्तविक संख्या ाए के लिए ;द्ध कग त्र ा ि;द्ध ∫∫ क उपपिा गुणध्मर् ;पद्ध द्वारा ;द्ध कग त्र ा ि;द्ध ा िग ग कग ∫ कक और ⎣ ∫ ि;द्ध कग ⎦ त्र ा ∫ ि;द्ध कग त्र ा ि;द्ध ाग गग कग कग ग त्र ा ;द्ध इसलिए गुणध्मर् ;पपद्ध का उपयोग करते हुए हम पाते हैं कि ा ि;द्ध कग गिकग ∫∫ ;अद्ध प्रगुणों ;पपपद्ध और ;पअद्ध का िए िए ण्ण्ण्ए िपफलनों की निश्िचत संख्या और वास्तविक संख्याओंा ए 12द 1 ा2ए ण्ण्ण्ए ाद के लिए भी व्यापकीकरण किया जा सकता है जैसा कि नीचे दिया गया है ख् ा ि1; द्ध ़ ा2ि;द्ध ़ ण्ण्ण् ़ ा दि ;द्ध , कग गग ग ∫ 12 द त्र ा ि;द्ध कग ़ ा िगकग ़ ण्ण्ण् ़ ा ि;द्ध ग ;द्ध ग कग 1 ∫ 12 ∫ 2 द ∫ द दिए हुए पफलन का प्रतिअवकलज ज्ञात करने के लिए हम अंतज्ञार्न से ऐसे पफलन की खोज करते हैं जिसका अवकलज दिया हुआ पफलन है। अभीष्ट पफलन की इस प्रकार की खोज, जो दिए हुए पफलन के प्रति अवकलज ज्ञात करने के लिए की जाती है, को निरीक्षण द्वारा समाकलन कहते हैं। इसे हम वुफछ उदाहरणों से समझते हैं। उदाहारण 1निरीक्षण विध्ि का उपयोग करते हुए निम्नलिख्िात पफलनों का प्रतिअवकलज ज्ञात कीजिए। 1 ;पद्ध बवे 2ग ;पपद्ध 3ग 2 ़ 4ग 3 ;पपपद्ध ए ग ≠ 0 ग हल ;पद्ध हम एक ऐसे पफलन की खोज करना चाहते हैं जिसका अवकलज बवे 2ग है हम जानते हैं कि क ;ेपद 2गद्ध त्र 2 बवे 2ग कग1 कक  1 ⎞ अथवा बवे 2ग त्र ;ेपद 2गद्ध त्र  ेपद 2 ग 2 कगकग  2  इसलिए बवे 2ग का एक प्रतिअवकलज 1 ेपद 2 ग है। 2 2 3 ;पपद्ध हम एक ऐसे पफलन की खोज करना चाहते हैं जिसका अवकलज 3ग ़ 4ग है। क 34 अब ; ग ़ ग द्ध त्र 3ग2 ़ 4ग3 कग 3 3 इसलिए 3ग 2 ़ 4ग का प्रतिअवकलज ग ़ ग 4 है। ;पपपद्ध हम जानते हैं क 1 क 11 ;सवह गद्ध त्र एग झ 0 आरै ख्सवह; दृग द्ध, त्र ; दृ 1द्ध त्र एग ढ 0 कग ग कग दृग ग क 1 ग द्धत्र एग ≠ 0 इन दोनों को संघटित करने पर हम पाते हैं ; सवह कग ग ∫ 1 1 इसलिए कग त्र सवह ग , जो कि के प्रतिअवकलजों में से एक है। ग ग उदाहरण 2 निम्नलिख्िात समाकलनों को ज्ञात कीजिए 2 ग 3 दृ 1 2 ग 1 3 ;पद्ध ∫ 2 कग ;पपद्ध ∫ ;ग3 ़ 1द्ध कग ;पपपद्ध ∫ ;ग ़ 2 म दृद्ध कग ग ग हल हम प्राप्त करते हैंः ग 3 दृ 1 दृ 2 कग त्र गकगदृ ग कग ;गुणध्मर्अ सेद्ध ∫ 2 ∫∫ ग 1 ़ 1 दृ 2 ़ 1  ग ⎞ ग  ़ ब् दृ ़ ब् त्र  1 ⎟ 2  य ब्1ए ब्2 समाकलन अचर हैं। 1 ़ 1 दृ 2 ़ 1 ⎝⎠  2 दृ 1 गग ़ ब् दृदृ ब् त्र 1 2 2 दृ 1 ग 21 त्र ़ ़ ब् 1 दृ ब्2 2 ग ग 21 त्र ़ ़ ब् ए जहाँ ब् त्र ब्1 दृ ब्2 एक अन्य समाकलन अचर है। 2 ग ;पपद्ध यहाँ 22 ;ग3 ़ 1द्ध कग त्र ग3 कग ़ कग ∫ ∫∫ 2 ़ 1 5 ग33 ़ ग ़ ब्3 त्र त्र ग ़ ग ़ ब् 2 5 ़1 3 33 ग 1 ग 1 22 ;पपपद्ध यहाँ ;ग ़ 2 मदृ द्ध कग त्र ग कग ़ 2 म कगदृ कग ∫ ∫∫∫ गग 3 ़ 1 ग2 ग त्र ़ 2 म दृ सवह ग ़ब् 3 ़ 1 2 25 ग त्र ग 2 ़ 2 म दृ सवह ग ़ब् 5 उदाहरण 3 निम्नलिख्िात समाकलनों को ज्ञात कीजिए ;पद्ध ;ेपद ग ़ बवे गद्ध कग ;पपद्ध बवेमब ग ;बवेमब ग ़ बवज गद्ध कग ∫∫ 1 दृ ेपद ग कग ;पपपद्ध ∫ 2 बवे ग हल ;पद्ध यहाँ ;ेपद ग ़ बवे गद्ध कग त्र ेपद ग कग ़ बवे ग कग ∫ ∫∫ त्र दृ बवे ग ़ ेपद ग ़ ब् ;पपद्ध यहाँ ;बवेमब ग ;बवेमब ग ़ बवज गद्ध कग त्र बवेमब 2 ग कग ़ बवेमब ग बवज ग कग ∫ ∫∫ त्र दृ बवज गदृ बवेमब ग ़ ब् ;पपपद्ध यहाँ 1 दृ ेपद ग 1 ेपद ग कग त्र कगदृ कग ∫ 2 ∫ 2 ∫ 2 बवे ग बवे ग बवे ग त्र ेमब 2 ग कग दृ जंद ग ेमब ग कग ∫∫ त्र जंद गदृ ेमब ग ़ ब् उदाहरण 4 ि;गद्ध त्र 4ग 3 दृ 6 द्वारा परिभाष्िात पफलन िका प्रतिअवकलज थ् ज्ञात कीजिए जहाँ थ्;0द्ध त्र 3 है। हल ि;गद्ध का एक प्रति अवकलज ग 4 दृ 6ग है क 4 चूँकि ;गदृग त्र4ग दृ 6ए इसलिएप्रतिअवकलज थ्ए 6द्ध 3 कग थ्;गद्ध त्र ग 4 दृ 6ग ़ ब्ए द्वारा देय है जहाँ ब् अचर है। दिया हुआ है कि थ्;0द्ध त्र 3 इससे प्राप्त होता है 3 त्र0 दृ 6 × 0 ़ ब् अथवा ब् त्र3 अतः अभीष्ट प्रतिअवकलज, थ् ;गद्ध त्र ग4 दृ 6ग ़ 3 द्वारा परिभाष्िात एक अद्वितीय पफलन है। टिप्पणी ;पद्ध हम देखते हैं कि यदि िका प्रतिअवकलज थ् है तो थ् ़ ब्ए जहाँ ब् एक अचर है, भी िका एक प्रतिअवकलज है। इस प्रकार यदि हमें पफलन िका एक प्रतिअवकलज थ् ज्ञात है तो हम थ् में कोइर् भी अचर जोड़कर िके अनंत प्रतिअवकलज लिख सकते हैं जिन्हें थ्;गद्ध ़ ब्ए ब् ∈ त् के रूप में अभ्िाव्यक्त किया जा सकता है। अनुप्रयोगों में सामान्यतः एक अतिरिक्त प्रतिबंध् को संतुष्ट करना आवश्यक होता है जिससे ब् का एक विश्िाष्ट मान प्राप्त होता है और जिसके परिणामस्वरूप दिए हुए पफलन का एक अद्वितीय प्रतिअवकलज प्राप्त होता है। ;पपद्ध कभी - कभी थ् को प्रारंभ्िाक पफलनों जैसे कि बहुपद, लघुगणकीय, चर घातांकी, त्रिाकोणमितीय, और प्रतिलोम त्रिाकोणमितीय, इत्यादि के रूप में अभ्िाव्यक्त करना असंभव होता है। इसलिए ि;द्धकग मदृग 2 कग को ज्ञात ग ज्ञात करना अवरु( हो जाता है। उदाहरणतः निरीक्षण विध्ि से ∫ ∫ करना असंभव है क्योंकि निरीक्षण से हम ऐसा पफलन ज्ञात नहीं कर सकते जिसका अवकलज दृग म 2 है। ;पपपद्ध यदि समाकल का चर गए के अतिरिक्त अन्य कोइर् है तो समाकलन के सूत्रा तदनुसार रूपांतरित कर लिए जाते हैं। उदाहरणतः 4 ़ 1 ल 1 ल 4 कल त्ऱ ब् त्र ल 5 ़ ब् ∫ 4 ़ 15 7ण्2ण्3 अवकलन एवं समाकलन की तुलना ;ब्वउचंतपेपवद इमजूममद कपमिितमदजपंजपवद ंदक पदजमहतंजपवदद्ध 1ण् दोनों पफलनों पर संियाएँ हैं। 2ण् दोनों रैख्िाकता के गुणध्मर् को संतुष्ट करते हैं अथार्त् क कक ;पद्ध ख1 1ि ग ़ ा2 2ि; द्ध ,त्र ा1 1ि ग ़ ा2 2ि; द्ध ;द्ध ग ;द्ध ग कग कग कग ;पपद्ध ∫ख् 1 1ि; द्ध ़ ा2 2ि; द्ध , कग त्र ा1 ∫ 1ि ग कग ़ ा2 ∫ 2ि; द्ध ाग ग ;द्ध ग कग यहाँ ा1ए ा2 अचर है। 3ण् हम पहले से ही जानते हैं कि सभी पफलन अवकलनीय नहीं होते हैं। ठीक इसी प्रकार सभी पफलन समाकलनीय भी नहीं होते हैं। हम अनवकलनीय और असमाकलनीय पफलनों के विषय में उच्च कक्षाओं में अध्ययन करेंगे। 4ण् यदि किसी पफलन के अवकलज का अस्ितत्व है तो वह अद्वितीय होता है परंतु किसी पफलन के समाकलन के साथ ऐसा नहीं है तथापि वे किसी योज्य अचर तक सीमित अद्वितीय होते हैं अथार्त किसी पफलन के दो समाकलनों में हमेशा एक अचर का अंतर होता है। 5ण् यदि किसी बहुपद पफलन च् का अवकलन किया जाता है तो परिणामस्वरूप एक ऐसा बहुपद मिलता है जिसकी घात बहुपद च् की घात से एक कम होती है। जब किसी बहुपद पफलन च् का समाकलन किया जाता है तो परिणामस्वरूप एक ऐसा बहुपद प्राप्त होता है जिसकी घात बहुपद च् की घात से एक अध्िक होती है। 6ण् हम अवकलज की चचार् एक ¯बदु पर करते हंै परंतु समाकलन की चचार् एक ¯बदु पर कभी नहीं होती। हम दिए हुए पफलन के समाकलन की चचार् उस अंतराल पर करते हैं जिस पर समाकलन परिभाष्िात होता है जैसाकि हम परिच्छेद 7.7 में चचार् करेंगे। 7ण् एक पफलन के अवकलज का ज्यामितीय अथर् भी होता है जैसे कि दिए हुए वक्र के दिए हुए ¯बदु पर स्पशर् रेखा की प्रवणता, उस ¯बदु पर पफलन के अवकलज के मान के बराबर होती है। इसी प्रकार दिए हुए पफलन का अनिश्िचत समाकलन एक दूसरे के समांतर स्िथत वक्रों के परिवार को निरूपित करता है, जिसमें समाकलन के चर को निरूपित करने वाले अक्ष के अनुलंब रेखा के सभी वक्रों के प्रतिच्छेदन ¯बदुओं पर स्पशर् रेखाएँ समांतर होती है। 8ण् वुफछ भौतिक मात्राएँ ज्ञात करने में अवकलज का उपयोग होता है उदाहरणतः किसी कण द्वारा किसी समय ज में तय की गइर् दूरी यदि ज्ञात है तो दिए गए समय बाद वेग ज्ञात करने में अवकलज सहायक होता है। उसी प्रकार किसी समयज पर यदि वेग ज्ञात है तो दिए गए समय में तय दूरी ज्ञात करने के लिए समाकलन का उपयोग होता है। 9ण् अवकलज एक ऐसा प्रक्रम है जिसमें सीमा का भाव समाहित है ठीक उसी प्रकार का भाव समाकलन में भी समाहित है जिसके बारे में हम परिच्छेद 7.7 में अध्ययन करेंगे। 10ण् अवकलन एवं समाकलन के प्रक्रम एक दूसरे के व्युत्क्रम है जैसा कि परिच्छेद 7.2.2 ;पद्ध में चचार् की जा चुकी है। प्रश्नावली 7.1 निम्नलिख्िात पफलनों के प्रतिअवकलज ;समाकलनद्ध निरीक्षण विध्ि द्वारा ज्ञात कीजिए। 1ण् ेपद 2ग 2ण् बवे 3ग 3ण् म 2ग 4ण् ;ंग ़ इद्ध2 5ण् ेपद 2ग दृ 4 म 3ग निम्नलिख्िात समाकलनों को ज्ञात कीजिएः 32 2 6ण् ;4 मग ़ 1द्ध कग 7ण् ग ;1 दृ द्ध कग 8ण् ;ंग ़ इग ़ बद्ध कग ∫ ∫ 12 ∫ ग 32 1 ⎞2 ग ़ 5गदृ 4 2  कग कग 9ण् ;2 ग ़ मग द्ध कग 10ण् ∫ गदृ 11ण् ⎟∫ 2 ∫ ग  ग  ग 3 ़ 3ग ़ 4 ग 3 − ग 2 ़ गदृ 1 कग 13ण् ∫ कग 14ण् ∫ ;1 दृगद्ध ग कग 12ण् ∫ ग गदृ 1 15ण् ग;3 ग 2 ़ 2ग ़ 3द्ध कग 16ण् ;2 गदृ 3बवे ग ़ मग द्ध कग ∫ ∫ 17ण् ;2 ग 2 दृ 3ेपद ग ़ 5 गद्ध कग 18ण् ेमब ग ;ेमब ग ़ जंद गद्ध कग ∫ ∫ 2 ेमब ग 2 दृ 3ेपद ग कग 19ण् ∫ 2 20ण् ∫ 2 कग बवेमब ग बवे ग प्रश्न 21 एवं 22 में सही उत्तर का चयन कीजिएः  1  ग ़ 21ण्   का प्रतिअवकलज हैः  ग  11 2 1 212 32 3 ;।द्ध ग ़ 2 ग ़ ब् ;ठद्ध ग ़ ग ़ ब् 3 32 31 31 1 222 322 ;ब्द्ध ग ़ 2 ग ़ ब् ;क्द्ध ग ़ ग ़ ब् 3 22 क 33 22ण् यदि ि;द्ध ग त्र 4 ग − 4 जिसमें ि;2द्ध त्र 0 तो ि;गद्ध हैः कग ग 1 129 1 129 ;।द्ध ग 4 ़− ;ठद्ध ग 3 ़़ ग 38 ग 48 4 1129 3 1129 ;ब्द्ध ग ़़ ;क्द्ध ग ़− ग 38 ग 48 7ण्3 समाकलन की विध्ियाँ ;डमजीवके व िप्दजमहतंजपवदद्ध पिछले परिच्छेद में हमने ऐसे समाकलनों की चचार् की थी, जो वुफछ पफलनों के अवकलजों से सरलतापूवर्क प्राप्त किए जा सकते हैं। यह निरीक्षण पर आधरित विध्ि थी, इसमें ऐसे पफलन थ् की खोज की जाती है जिसका अवकलज िहै इससे िके समाकलन की प्राप्ित होती है। तथापि निरीक्षण पर आधरित यह विध्ि अनेक पफलनों की स्िथति में बहुत उचित नहीं है। अतः समाकलनों को प्रामाण्िाक रूप में परिवतिर्त करते हुए उन्हें ज्ञात करने के लिए हमें अतिरिक्त विध्ियाँ विकसित करने की आवश्यकता है। इनमें मुख्य विध्ियाँ निम्नलिख्िात पर आधरित हैंः 1ण् प्रतिस्थापन द्वारा समाकलन 2ण् आंश्िाक भ्िान्नों में वियोजन द्वारा समाकलन 3ण् खंडशः समाकलन 7ण्3ण्1 प्रतिस्थापन द्वारा समाकलन ;प्दजमहतंजपवद इल ेनइेजपजनजपवदद्ध इस उप परिच्छेद में हम प्रतिस्थापन विध्ि द्वारा समाकलन पर विचार करेंगे। स्वतंत्रा चर ग को ज में ग परिवतिर्त करने के लिए ग त्र ह ;जद्ध प्रतिस्थापित करते हुए दिए गए समाकलन ि;द्धकग को अन्य ∫ रूप में परिवतिर्त किया जा सकता है। प् त्र ि;द्धकग ग पर विचार कीजिए ∫ अब ग त्र ह;जद्ध प्रतिस्थापित कीजिए ताकि कग त्र ह′;जद्ध कजहम कग त्र ह′;जद्ध कज लिखते हैं। इस प्रकार प् त्र िग कग त्र िक्ष् ;द्धद्व ह ;द्ध कज ;द्ध हज ′ ज ∫∫ प्रतिस्थापन द्वारा समाकलन के लिए यह चर परिवतर्न का सूत्रा हमारे पास उपलब्ध् एक महत्वपूणर् साध्न है। उपयोगी प्रतिस्थापन क्या होगा इसका अनुमान लगाना हमेशा महत्वपूणर् है। सामान्यतः हम एक ऐसे पफलन के लिए प्रतिस्थापन करते हैं जिसका अवकलज भी समाकल्य में सम्िमलित हों, जैसा कि निम्नलिख्िात उदाहरणों द्वारा स्पष्ट किया गया है। उदाहरण 5 निम्नलिख्िात पफलनों का ग के सापेक्ष समाकलन कीजिए 4 2 जंद ग ेमब ग ;पद्ध ेपद उग ;पपद्ध 2ग ेपद ;ग 2 ़ 1द्ध ;पपपद्ध ग ेपद ;जंद दृ 1 गद्ध;पअद्ध 1 ़ ग 2 हल ;पद्ध हम जानते हैं कि उग का अवकलज उ है। अतः हम उग त्र ज प्रतिस्थापन करते हैं, ताकि उकग त्र कज 1 1 1 इसलिए ∫ ेपद उग कग त्र∫ेपद ज कज त्र दृ बवे ज ़ ब् त्र दृ बवे उग ़ ब् उ उ उ ;पपद्ध ग2 ़ 1 का अवकलज 2ग है। अतः हम ग2 ़ 1 त्र ज के प्रतिस्थापन का उपयोग करते हैं ताकि 2ग कग त्र कज इसलिए ∫ 2ग ेपद ; ग 2 ़ 1द्ध कग त्र∫ेपद ज कज त्र दृ बवे ज ़ ब् त्र दृ बवे ;ग2 ़ 1द्ध ़ ब् 1 1 दृ 1 ;पपपद्ध ग का अवकलज ग 2 त्र है। अतः हम 22 ग वफतिस्थापन का उपयागह 1 जिससे कग त्र 2ज कज ग त्र ज े प्रे करते ंैताकिकग त्र कज 2 ग प्राप्त होता है। जंद 4 ग ेमब 2 ग जंद 4 ज ेमब 2 ज 2ज कज अतः कग त्र त्र 2 जंद 4 ज ेमब 2ज कज ∫ ग ∫ज ∫ पिफर से हम दूसरा प्रतिस्थापन जंद ज त्र न करते हैं ताकि ेमब2 ज कज त्र कन न 42 4 इसलिए 2 जंद ज ेमब ज कज त्र 2 न कन त्र 2 ़ ब् ∫∫5 5 2 त्र जंद 5 ज ़ब् ;क्योंकि न त्र जंद जद्ध 5 25 जंद ग ़ ब्; क्योंज गद्ध कि त्र त्र 5 4 2 जंद ग ेमब ग ∫ ग 25 5अतः कग त्र जंद ग ़ ब् विकल्पतः जंद ग त्र ज प्रतिस्थापन कीजिए 1 ;पअद्ध जंद दृ 1 ग का अवकलज 2 है। अतः हम जंददृ1 ग त्र ज प्रतिस्थापन का उपयोग करते हैं ताकि 1 ़ ग कग 2 त्र कज 1 ़ गेपद ;जंद दृ 1 गद्ध इसलिए 2 कग त्र∫ेपद ज कज त्र दृ बवे ज ़ ब् त्र दृ बवे ;जंद दृ1 गद्ध ़ ब् ∫ 1 ़ ग अब हम वुफछ महत्वपूणर् समाकलनों जिनमें त्रिाकोणमितीय पफलनों और उनके प्रामाण्िाक समाकलनों का उपयोग प्रतिस्थापन विध्ि में किया गया है, पर चचार् करते हैं। ;पद्ध जंद ग कग त्र सवह ेमब ग ़ ब् ∫ ेपद ग जंद ग कग त्र कग हम पाते हैं कि ∫∫ बवे ग बवे ग त्र जए प्रतिस्थापित कीजिए ताकि ेपद ग कग त्र दृ कज कज जंद ग कग त्र दृ त्र दृ सवह ज ़ ब् त्र दृ सवह बवे ग ़ ब् तब ∫∫ ज अथवा जंद ग कग त्र सवह ेमब ग ़ ब् ∫ ;पपद्ध बवज ग कग त्र सवह ेपद ग ़ ब् ∫ बवे ग बवज ग कग त्र कग हम पाते हैं कि ∫∫ ेपद ग ेपद ग त्र ज प्रतिस्थापित कीजिए ताकि बवे ग कग त्र कज ∫ कज तब बवज ग कग त्र∫ ज त्र सवह ज ़ ब् त्र सवह ेपद ग ़ ब् ;पपपद्ध ेमब ग कग त्र सवह ेमब ग ़ जंद ग ़ ब् ∫ ेमब ग ;ेमब ग ़ जंद गद्ध ेमब ग कग त्र कग हमें ज्ञात हैकिए ∫∫ ेमब ग ़ जंद ग ेमब ग ़ जंद ग त्र ज प्रतिस्थापित करने पर ेमब ग ;जंद ग ़ ेमब गद्ध कग त्र कज इसलिए ेमब ग कग त्र∫ कज त्र सवह ज ़ ब् त्र सवह ेमब ग ़ जंद ग ़ ब् ∫ ज ;पअद्ध बवेमब ग कग त्र सवह बवेमब गदृ बवज ग ़ ब् ∫ बवेमब ग;बवेमब ग ़ बवज गद्ध बवेमब ग कग त्र कग हम पाते हैं किए ∫∫ ;बवेमब ग ़ बवज गद्ध बवेमब ग ़ बवज ग त्र ज प्रतिस्थापित कीजिए ताकि दृ बवेमब ग ;बवज ग ़ बवेमब गद्ध कग त्र कज इसलिए ∫ बवेमब ग कग त्र दृ∫ कज त्र दृसवहद्य द्य ज त्र दृ सवहद्यबवेमब ग ़ बवज ग द्य ़ ब् ज बवेमब 2 ग − बवज 2 ग त्र दृ सवह ़ ब् बवेमब ग − बवज ग त्र सवह बवेमब बवज ब्ग दृ ग ़ उदाहरण 6 निम्नलिख्िात समाकलनों को ज्ञात कीजिएः ;पद्ध 3 2ेपद ग बवे ग कग ∫ ;पपद्ध ेपद ेपद ; द्ध ग कग ग ़ ं ∫ ;पपपद्ध 1 1 जंद ग़∫ कग हल ;पद्ध यहाँ 3ेपद ∫ 2 बवे ग ग कग त्र 2ेपद ∫ 2 बवे ; ेपद द्धग ग ग कग त्र 2 2;1 दृ बवे द्ध बवे ;ेपद द्धग ग ग कग ∫ ज त्र बवे ग प्रतिस्थापित कीजिए ताकि कज त्र दृ ेपद ग कग 22 22 इसलिए ेपद ग बवे ग ;ेपद गद्ध कग त्र दृ ;1 दृ ज द्ध ज कज ∫ ∫  35 ⎞ जज त्र दृ ∫;ज 2दृ ज 4द्ध कज त्र दृ  दृ ⎟़ ब् 35 ⎝ 1 31 5 त्र दृ बवे ग ़ बवे ग ़ ब् 35 ;पपद्ध ग ़ ं त्र ज प्रतिस्थापित करने पर कग त्र कज ेपद ग ेपद ; ज दृं द्ध कग त्र कज इसलिए ∫∫ ेपद ; ग ़ ंद्ध ेपद ज ेपद ज बवे ंदृ बवे ज ेपद ं कज त्र ∫ ेपद ज त्र बवे ं कज दृ ेपद ं बवज ज कज ∫∫ त्र ;बवे ंद्ध जदृ ;ेपद ंद्ध ⎡सवह ेपद ज ़ ब्1 ⎤  त्र ;बवे ंद्ध; ग ़ ंद्ध दृ ;ेपद ंद्ध ⎡सवह ेपद ; ग ़ ंद्ध ़ ब्1⎤  त्र ग बवे ं ़ ं बवे ंदृ ;ेपद ंद्ध सवह ेपद ; ग ़ ंद्ध दृ ब्1 ेपद ं ेपद ग कग अतः ∫ त्र ग बवे ं दृ ेपद ं सवह द्येपद ;ग ़ ंद्धद्य ़ ब् ेपद ; ग ़ ंद्ध जहाँ ब् त्र दृ ब्1 ेपद ं ़ ं बवे ंए एक अन्य स्वेच्छ अचर है। कग बवे ग कग त्र ;पपपद्ध ∫∫ 1 ़ जंद ग बवे ग ़ ेपद ग 1 ;बवे ग ़ ेपद ग ़ बवे ग दृ ेपद गद्ध कग त्र ∫ 2 बवे ग ़ ेपद ग 1 1 बवे ग दृ ेपद ग कग ़ कग त्र ∫∫ 2 2 बवे ग ़ ेपद ग ग ब् 1 बवे गदृ ेपद ग ़ 1़ कग त्र ∫ ण्ण्ण् ;1द्ध 2 2 2बवे ग ़ ेपद ग बवे गदृ ेपद ग अब प् त्र कग पर विचार कीजिए। ∫ बवे ग ़ ेपद ग अब बवे ग ़ ेपद ग त्र ज प्रतिस्थापित कीजिए ताकि ;दृेपद ग ़ बवे गद्ध कग त्र कज ∫ कज इसलिए प् त्रत्र सवह ज ़ ब्2त्र सवह बवे ग ़ ेपद ग ़ ब्2 ज प् को ;1द्ध में रखने पर हम पाते हैं कग ग ब्1 1 ब्2 त्र ़ ़ सवह बवे ग ़ ेपद ग ़ ∫ 1 ़ जंद ग 2 22 2 ग 1 ब्ब् ़ 1 ़ 2 त्र ़ सवह बवे ग ़ ेपद ग 22 22 ग 1  ब्1 ब्2  त्र ़ सवह बवे ग ़ ेपद ग ़ ब्ए ब् त्ऱ ⎜⎟ 22  22  प्रश्नावली 7.2 1 से 37 तक के प्रश्नों में प्रत्येक पफलन का समाकलन ज्ञात कीजिए। 2ग ; सवह गद्ध2 1 1ण् 2 2ण् 3ण् 1 ़ ग ग ़ ग सवह ग ग 4ण् ेपद ग ेपद ;बवे गद्ध 5ण् ेपद ; ंग ़ इद्ध बवे ; ंग ़ इद्ध 6ण् ंग ़ इ 7ण् ग ग ़ 2 8ण् ग 1 ़ 2ग 2 1 ग 11ण् ए ग झ 0 9ण् ;4 ग ़ 2द्ध ग 2 ़ ग ़ 1 10ण् गदृ ग ग ़ 4 2 1 ग 335 1 12ण् ;गदृ 1द्ध ग 13ण् 33 14ण् ए ग झ 0ए उ ≠ 1 ;2 ़ 3ग द्ध द्धउ ग ;सवह ग ग ग 2ग ़ 3 2 15ण् 2 16ण् 17ण् म ग 9 दृ 4ग म जंद दृ 1 ग 2ग 2गदृ 2ग म मदृ1 म दृम 18ण् 19ण् 20ण् 22ग 2गदृ 2ग 1 ़ गम ़ 1 म ़ म ेपद दृ 1 ग 21ण् जंद2 ;2ग दृ 3द्ध 22ण् ेमब2 ;7 दृ 4गद्ध 23ण् 1 दृग 2 2बवे गदृ 3ेपद ग 1 बवे ग 24ण् 25ण् 22 26ण् 6बवे ग ़ 4ेपद ग बवे ग ;1 दृ जंद गद्ध ग बवे ग 27ण् ेपद 2ग बवे 2ग 28ण् 29ण् बवज ग सवह ेपद ग 1 ़ ेपद ग ेपद ग ेपद ग 1 30ण् 31ण् 32ण् 1 ़ बवे ग ;1 ़ बवे गद्ध21 ़ बवज ग 1 जंद ग ;1़ सवह गद्ध2 33ण् 34ण् 35ण् 1 दृ जंद गग ेपद ग बवे ग 3 दृ14 ;ग ़ 1द्ध ; ग ़ सवह गद्ध2 ग ेपद ; जंद ग द्ध 36ण् 37ण् 8 ग 1 ़ ग प्रश्न 38 एवं 39 में सही उत्तर का चयन कीजिएः 9 ग 10 10 ग ़ 10 सवह म कग 38ण् बराबर हैः ∫ 10 ग ग ़ 10 ;।द्ध 10ग दृ ग 10 ़ ब् ;ठद्ध 10ग ़ ग 10 ़ ब् 10द्धदृ1 ;ब्द्ध ;10ग दृ ग ़ ब् ;क्द्ध सवह ;10ग ़ ग10द्ध ़ ब् कग बराबर हःै 39ण् ∫ 22 ेपद ग बवे ग ;।द्ध जंद ग ़ बवज ग ़ ब् ;ठद्ध जंद ग दृ बवज ग ़ब् ;ब्द्ध जंद ग बवज ग ़ ब् ;क्द्ध जंद ग दृ बवज 2ग ़ ब् 7ण्3ण्2 त्रिाकोणमितीय सवर् - समिकाओं के उपयोग द्वारा समाकलन ;प्दजमहतंजपवद नेपदह जतपहवदवउमजतपब पकमदजपजपमेद्ध जब समाकल्य में वुफछ त्रिाकोणमितीय पफलन निहित होते हैं, तो हम समाकलन ज्ञात करने के लिए वुफछ ज्ञात सवर्समिकाओं का उपयोग करते हैं जैसा कि निम्नलिख्िात उदाहरणों के द्वारा समझाया गया है। उदाहरण 7 निम्नलिख्िात को ज्ञात कीजिए ;पद्ध बवे 2 ग कग ;पपद्ध ेपद 2ग बवे 3ग कग ;पपपद्ध ेपद 3 ग कग ∫∫ ∫ हल ;पद्ध सवर्समिका बवे 2ग त्र 2 बवे2 ग दृ 1 को स्मरण कीजिए जिससे 1 ़ बवे 2 ग बवे 2 ग त्र प्राप्त होता है। 2 21 11 इसलिए बवे ग कग त्र ;1़बवे2 द्ध कग कग ़ ग त्र बवे 2 ग कग ∫∫ ∫∫ 2 22 ग 1 त्र ़ ेपद 2 ग ़ ब् 24 ;पपद्ध सवर्समिका ेपद ग बवे ल त्र 1 ख्ेपद ;ग ़ लद्ध ़ ेपद ;ग दृ लद्ध, ए को स्मरण कीजिए 2 1 ेपद 2 ग बवे 3 गकग त्र ेपद 5 ग कग दृ ेपद ग कग तब ∫ 2 ⎡⎣∫∫ ⎤ 1  1  दृ बवे 5 ग ़ बवे ग ़ ब् त्र  ⎥ 2  5  11 त्र दृ बवे 5 ग ़ बवे ग ़ ब् 10 2 ;पपपद्ध सवर्समिका ेपद 3ग त्र 3 ेपद ग दृ 4 ेपद3 ग से हम पाते हैं कि 3 3ेपद गदृ ेपद 3 ग ेपद ग त्र 4 33 1 इसलिए ेपद ग कग त्र ेपद ग कग दृ ेपद 3 ग कग ∫ 4 ∫ 4 ∫ 31 त्र दृ बवे ग ़ बवे 3 ग ़ ब् 4 12 32 2 विकल्पतः ेपद ग कग त्र ेपद ग ेपद ग कग त्र ;1 दृ बवे गद्ध ेपद ग कग ∫∫ ∫ बवे ग त्र ज रखने पर दृ ेपद ग कग त्र कज 3 32 2 ज इसलिए ∫ ेपद ग कग त्र दृ∫;1 दृज द्ध कज त्र दृ ∫ कज ़∫ ज कज त्र दृज ़ 3 ़ ब् 13 त्र दृ बवे ग ़ बवे ग ़ ब् 3 टिप्पणी त्रिाकोणमितीय सवर् - समिकाओं का उपयोग करते हुए यह दशार्या जा सकता है कि दोनों उत्तर समतुल्य हैं। प्रश्नावली 7.3 1 से 22 तक के प्रश्नों में प्रत्येक पफलन का समाकलन ज्ञात कीजिए। 1ण् ेपद2 ;2ग ़ 5द्ध 2ण् ेपद 3ग बवे 4ग 3ण् बवे 2ग बवे 4ग बवे 6ग 4ण् ेपद3 ;2ग ़ 1द्ध 5ण् ेपद3 ग बवे3 ग 6ण् ेपद ग ेपद 2ग ेपद 3ग 1 दृ बवे ग बवे ग 7ण् ेपद 4ग ेपद 8ग 8ण् 9ण् 1 ़ बवे ग 1 ़ बवे ग ेपद 2 ग 10ण् ेपद4 ग 11ण् बवे4 2ग 12ण् 1 ़ बवे ग बवे गदृ ेपद गबवे 2 गदृ बवे 2 α 13ण् 14ण् 15ण् जंद3 2ग ेमब 2ग 1 ़ बवे गदृ बवे α ेपद 2 ग 33 2 ेपद ग ़ बवे ग बवे 2 ग ़ 2ेपद ग 16ण् जंद4 ग 17ण् 18ण् 22 2 ेपद ग बवे ग बवे ग बवे 2 ग 1 19ण् 3 20ण् द्ध2 21ण् ेपद दृ 1 ;बवे गद्ध ेपद ग बवे ग ; बवे ग ़ ेपद ग 1 22ण् बवे ; गदृं द्ध बवे ; गदृइ द्ध प्रश्न 23 एवं 24 में सही उत्तर का चयन कीजिए। ेपद 2 ग − बवे 2 ग कग बराबर हःै 23ण् ∫ 22 ेपद ग बवे ग ;।द्ध जंद ग ़ बवज ग ़ ब् ;ठद्ध जंद ग ़ बवेमब ग ़ ब् ;ब्द्ध दृ जंद ग ़ बवज ग ़ ब् ;क्द्ध जंद ग ़ ेमब ग ़ ब् मग ;1 ़ गद्ध 24ण् कग बराबर हःै ∫ 2 ग बवे ;मगद्ध ;।द्ध दृ बवज ;मगगद्ध ़ ब् ;ठद्ध जंद ;गमगद्ध ़ ब् ;ब्द्ध जंद ;मगद्ध ़ ब् ;क्द्ध बवज ;मगद्ध ़ ब् 7ण्4 वुफछ विश्िाष्ट पफलनों के समाकलन ;प्दजमहतंसे व िैवउम च्ंतजपबनसंत थ्नदबजपवदेद्ध इस परिच्छेद में हम निम्नलिख्िात महत्वपूणर् समाकलन सूत्रों की व्याख्या करेंगे और बहुत से दूसरे संबंध्ित प्रामाण्िाक समाकलनों को ज्ञात करने में उनका प्रयोग करेंगे। कग 1 गदृं कग 1 ं ़ ग ;1द्ध त्र सवह ़ ब् ;2द्ध त्र सवह ़ ब् ∫ 22 ∫ 22 ग दृं 2ं ग ़ ं ं दृग 2ं ं − ग कग कग 1 दृ1 ग सवह ग ़ ग 2 दृं 2 ़ ब् ;3द्ध त्र जंद ़ ब् ;4द्ध ∫ 22 2 ∫ 2 त्र ग ़ ंं गदृं कग दृ1 ग कग त्र ेपद ़ ब् त्र सवह ग ़ ग 2 ़ ं 2 ़ ब् ;5द्ध ∫ ;6द्ध ∫ 22 22 ंदृगं ग ़ ं अब हम उपयुर्क्त परिणामों को सि( करते हैं। 11 ;1द्ध हम जानते हैंकि 22 त्र ग दृं ; गदृं द्ध; ग ़ ंद्ध 1 ⎡;ग ़ ंद्धदृ; गदृं द्ध 1  11  त्र दृ त्र  ⎥⎢⎥ 2ं ;गदृं द्ध; ग ़ ंद्ध2ं  गदृं ग ़ ं ⎦ ⎣ कग 1  कग कग  त्र दृ इसलिए ∫ 22 ⎢⎣∫∫ ⎥⎦ ग दृं 2 ं गदृं ग ़ ं 1 त्र ख्सवह द्य ;गदृं द्धद्य दृ सवह ; द्यग ़ ंद्धद्य ,़ ब् 2ं 1 गदृं त्र सवह ़ ब् 2ं ग ़ ं ;2द्ध उपयुर्क्त ;1द्ध के अनुसार हम पाते हैं कि 11  ;ं ़ गद्ध ़ ;ं − गद्ध 1  11 ⎤ त्र 22 ⎢ त्र ़ 2ं ;ं ़ गद्ध; ं − गद्ध ⎢⎥ ं दृ ग ⎣⎦2ं  ं − गं ़ ग  कग 1  कग कग  इसलिए ∫ 22 त्र⎢∫ ़∫ ं दृ ग 2 ं  ं − गं ़ ग 1 त्र ख्−सवह द्य ं − ग द्य ़ सवह द्य ं ़ ग द्य, ़ ब् 2ं 1 ं ़ ग सवह ़ ब् त्र 2ं ं − ग ;3द्ध ग त्र ं जंद θ रखने पर कग त्र ं ेमब2 θ कθ कग ं ेमब 2 θ कθ त्र इसलिए ∫ 22 ∫ 22 2 ग ़ ं जंद θ ़ ं 11 1 दृ1 ग त्र ∫ कθ त्र θ ़ ब् त्र जंद ़ ब् ं ं ;4द्ध मान लीजिए ग त्र ं ेमबθ तब कग त्र ं ेमब θ जंद θ कθ कग ं ेमबθ जंदθ कθ इसलिए ∫ त्र 22 ∫ 22 2 ग − ं ेमब θ − ं त्र ेमबθ कθ त्र सवह ेमबθ ़ जंदθ ़ ब्1 ∫ 2 ग ग सवह ़ दृ 1 ़ ब्1 त्र 2 ं सवह ग ़ ग 2 दृं 2 − सवह ं ़ ब्1 त्र त्र सवह ग ़ ग 2 दृं 2 ़ ब् ए जहाँ ब् त्र ब् दृ सवह द्यंद्य 1 ;5द्ध मान लीजिए कि ग त्र ं ेपद θ तब कग त्र ं बवे θ कθ कग ं बवे θ कθ ग इसलिए त्र त्र कθत्र θ़ब्त्र ेपद दृ 1 ़ ब् ∫ 22 ∫222 ∫ ं − ग ंदृं ेपद θ ं ;6द्ध मान लीजिए कि ग त्र ं जंद θ तब कग त्र ं ेमब 2θ कθ कग ं ेमब 2θ कθ इसलिए ∫ त्र∫ 22 222 ग ़ ं जंद θ ़ ं त्र ेमबθ कθ त्र सवह ;ेमब θ ़ जंद θद्ध ़ ब्1 ∫ 2 ग ग त्र सवह ़़ 1 ़ ब्1 2 ं 2 2 त्र सवह ग ़ ग ़ ं − सवह द्यंद्य ़ ब्1 2 2 त्र सवह ग ़ ग ़ ं ़ ब्ए जहाँ ब् त्र ब् दृ सवह द्यंद्य 1 इन प्रामाण्िाक सूत्रों के प्रयोग से अब हम वुफछ और सूत्रा प्राप्त करते हैं जो अनुप्रयोग की दृष्िट से उपयोगी हैं और दूसरे समाकलनों का मान ज्ञात करने के लिए इनका सीध प्रयोग किया जा सकता है। कग ;7द्ध समाकलन ∫ 2ए ज्ञात करने के लिए हम ंग ़ इग ़ ब 2 2 इब  ⎡ इ ⎞2  बइ2 ⎞ ंग ़ इग ़ ब त्र ंग ़ ग ़त्र ं  ग ़ ़ दृ ⎟ लिखते हैं।  ⎥⎜ 2  ं ⎦ 2ं  ं 4ं ⎢ ⎝⎠⎦ इ बइ22 अब ग ़त्र ज रखने पर कग त्र कज एवं दृ 2 त्र±ा लिखते हुए हम पाते हैं कि 2ं 4ं  बइ2  1 कज दृ  2  के चिÉ पर निभर्र करते हुए यह समाकलन ∫ 22 के रूप में परिवतिर्त ं 4ं ंज ± ा ⎝ हो जाता है और इस प्रकार इसका मान ज्ञात किया जा सकता है। कग ;8द्ध ∫ 2ए के प्रकार के समाकलन को ज्ञात करने के लिए ;7द्ध की भाँति आगे बढ़ते ंग ़ इग ़ ब हुए प्रामाण्िाक सूत्रों का उपयोग करके समाकलन ज्ञात किया जा सकता है। चग ़ ु ;9द्ध ∫ 2 कग ए जहाँ चए ुए ंए इए ब अचर हैं, के प्रकार के समाकलन ज्ञात करने के लिए ंग ़ इग ़ ब हम ऐसी दो वास्तविक संख्याएँ । तथा ठ ज्ञात करते हैं ताकि क 2 चग ़ ु त्र। ;ंग ़ इग ़ बद्ध ़ ठ त्र । ;2 ंग ़ इद्ध ़ठ कग । तथा ठए ज्ञात करने के लिए हम दोनों पक्षों से ग के गुणांकों एवं अचरों को समान करते हैं। । तथा ठ के ज्ञात हो जाने पर समाकलन ज्ञात प्रामाण्िाक रूप में परिवतिर्त हो जाता है। ; चग ़ ुद्ध कग ;10द्ध ∫ ए के प्रकार के समाकलन का मान ज्ञात करने के लिए हम ;9द्ध की भाँति ंग 2 ़ इग ़ ब आगे बढ़ते हैं और समाकलन को ज्ञात प्रामाण्िाक रूपों में परिवतिर्त करते हैं। आइए उपयुर्क्त विध्ियों को वुफछ उदाहरणों की सहायता से समझते हैं। उदाहरण 8 निम्नलिख्िात समाकलनों को ज्ञात कीजिए कग कग ;पद्ध ∫ 2 ;पपद्ध ∫ ग − 16 2 ग − ग 2 हल कग कग 1 गदृ 4 ;पद्ध यहाँ∫त्र 2 त्र सवह ़ ब् ख्7ण्4 ;1द्ध से, 2 ∫2 ग − 16 गदृ 48 ग ़ 4 कग कग ;पपद्ध त्र ∫ 2 ∫ 2 2ग − ग 1 दृ ; गदृ 1द्ध ग दृ 1 त्र ज रखने पर कग त्र कज कग कज दृ 1 इसलिए त्र त्र ेपद ;द्ध ज ़ ब् ख्7ण्4 ;5द्ध से, ∫ 2 ∫2 2 ग − ग 1 दृज त्र ेपद दृ 1;ग दृ 1द्ध ़ ब् उदाहरण 9 निम्नलिख्िात समाकलनों को ज्ञात कीजिए। कग कग कग ;पद्ध ∫ 2 ;पपद्ध ∫ ;पपपद्ध ∫ ग − 6ग ़ 13 3ग 2 ़ 13 ग − 10 5ग 2 − 2ग हल 2 ;पद्ध यहाँ ग 2 दृ 6ग ़ 13 त्र ग दृ 6ग ़ 32 दृ 32 ़ 13 त्र ;ग दृ 3द्ध2 ़ 4 इसलिए ∫2 कग त्र∫ 1 कग 2 ग − 6ग ़ 13 ; गदृ 3द्ध2 ़ 2 मान लीजिए ग दृ 3 त्र ज तब कग त्र कज कग कज 1 दृ 1 ज इसलिए ∫2 त्र∫ 22 त्र जंद ़ ब् ख्7ण्4 ;3द्ध से, ग − 6ग ़ 13 ज ़ 22 2 1 दृ 1 गदृ 3 त्र जंद ़ ब् 22 ;पपद्ध दिया हुआ समाकलन 7.4;7द्ध के रूप का है। हम समाकल्य के हर को निम्नलिख्िात प्रकार से लिखते हैं 2  2 13 ग 10  3ग ़ 13 गदृ 10 त्र 3 ग ़ दृ ⎜⎟  33  ⎡⎤  13 ⎞2 ⎛17 ⎞2 त्र 3 ⎢ ग ़ दृ  ⎟ ;पूणर् वगर् बनाने परद्ध ⎢ 6 ⎠ 6 ⎠⎥   कग 1 कग इसलिए ∫ त्र∫ 22 3ग 2़ 13 ग − 10 3  13 ⎞⎛17  ग ़−  ⎟⎜⎟  6 ⎠ 6  अब ग ़ 13 त्रज रखने पर कग त्र कज 6 कग 1 कज त्र इसलिए ∫2 ∫ 2 3ग ़ 13 ग − 10 3 2  17  ज − ⎟  6  1 त्र सवह 17 3 × 2× 6 13 ग ़ 1 6 सवह त्र 13 17 ग ़ 6 1 3ग − 2 त्र सवह 17 ग ़ 5 1 3ग − 2 सवह त्र 17 ग ़ 5 कग कग त्र ;पपपद्ध यहाँ ∫ ∫ 5ग 2− 2ग  22ग  5 गदृ ⎜⎟  5  1 कग त्र 5 ∫ 22  1 ⎞ 1  गदृ दृ  ⎟⎜⎟  5 ⎠ 5  1 अब गदृ त्र ज रखने पर कग त्र कज 5 कग 1 कज त्र इसलिए ∫ ∫ 5ग 2− 2ग 5 2  1 ⎞2 जदृ ⎜⎟ 5  17 ज दृ 6 17 ज ़ 1ब़् ख्7ण्4 ;पद्ध से, 6 17 दृ 1 6ग − 46 ़ ब्1 ़ ब्1 त्र सवह 17 17 6ग ़ 30 ़ 6 11 ़ ब्1 ़ सवह 17 3 ़ ब्ए ूीमतम ब् त्र ब्1 ़ 1 सवह 1 17 3 ;पूणर् वगर् बनाने परद्ध 1 2  1 ⎞2 सवह ज ़ जदृ त्र ़ ब् ख्7ण्4 ;4द्ध से, ⎜ 5  5  1 1 22ग सवह गदृ ़ गदृ ़ ब् त्र 55 5 उदाहरण 10 निम्नलिख्िात समाकलनों को ज्ञात कीजिए ग ़ 3ग ़ 2 कग कग ;पद्ध ∫2 ;पपद्ध ∫ 2ग ़ 6ग ़ 5 5 − 4ग − ग 2 हल ;पद्ध सूत्रा 7.4;9द्ध का उपयोग करते हुए हम अभ्िाव्यक्त करते हैं क 2 ग ़ 2 त्र । ; 2ग ़ 6ग ़ 5द्ध़ठ त्र ।;4 ग ़ 6द्ध ़ ठ कग दोनों पक्षों से ग के गुणांकों एवं अचरों को समान करने पर हम पाते हैंः 4। त्र 1 तथा 6। ़ ठ त्र 2 अथवा । त्र 1 और ठ त्र 1 42 ग ़ 2 14ग ़ 61 कग त्र कग ़ इसलिए ∫2∫2 ∫2 2ग ़ 6ग ़ 5 42ग ़ 6ग ़ 5 22 ग ़ 6ग ़ 5 त्र 1प्1 ़1प्2 ;मान लीजिएद्ध ण्ण्ण् ;1द्ध 42 प् में, 2ग 2 ़ 6ग ़ 5 त्र जए रखने पर ;4ग ़ 6द्ध कग त्र कज 1 कज इसलिए प्1 त्र∫ त्र सवह ज ़ ब्1त्र सवहद्य2 ग 2 ़ 6 ग ़ 5द्य ़ब्1 ण्ण्ण् ;2द्ध ज कग 1 कग 1 कग और प्2 त्र∫ 2 त्र∫ त्र ∫ 22 5 2ग ़ 6ग ़ 522 2  3 ⎞ 1  ग ़ 3ग ़ ग ़़  ⎟⎜⎟ 2  2 ⎠ 2  अब ग ़ 3 त्र ज ए रखने पर कग त्र कजए हम पाते हैं 2 1 कज 1 दृ1प्2 त्र 2 ∫2 त्र जंद 2ज ़ ब्2 ख्7ण्4 ;3द्ध से, 1  1 ⎞ 22 × ज ़  2 2  दृ1  3  दृ1 त्र जंद 2  ग ़⎟़ ब् 2 त्र जंद ; 2 ग ़ 3द्ध ़ ब् 2 ण्ण्ण् ;3द्ध 2 ⎠ ;2द्ध और ;3द्ध का उपयोग ;1द्ध में करने पर हम पाते हैं ग ़ 21 1 दृ 1कग त्र सवह 2ग 2 ़ 6ग ़ 5 ़ जंद ; 2ग ़ 3द्ध़ ब् ए ∫ 2 2ग ़ 6ग ़ 54 2 जहाँ ब् त्र ब्1 ़ ब्2 4 2 ;पपद्ध यह समाकलन 7.4 ;10द्ध के रूप में है। आइए ग ़ 3 को निम्नलिख्िात रूप में अभ्िाव्यक्त करते हैं क ग ़ 3 त्र। ;5 दृ 4गदृ ग 2द्ध़ठ त्र । ;दृ 4 दृ 2गद्ध ़ ठ कग दोनों पक्षों से ग के गुणांकों एवं अचरों को समान करने पर हम पाते हैं दृ 2। त्र 1 और दृ 4 । ़ ठ त्र 3ए 1 अथार्त् । त्र दृ और ठ त्र 1 2 ग ़ 31 ; दृ 4 दृ 2गद्ध कग कग कग त्र दृ ़∫ इसलिए ∫ 2 2 2 2 ∫ 5 − 4ग − ग 5 − 4ग − ग 5 − 4ग − ग 1 त्र दृ प्1 ़ प्2 ण्ण्ण् ;1द्ध 2 2 प्1ए में 5 दृ 4ग दृ ग त्र जए रखने पर ;दृ 4 दृ 2गद्ध कग त्र कज ; दृ 4 − 2गद्ध कग कज इसलिए प् त्र त्र त्र 2 ज ़ ब्1 1 ∫ 2 ∫ 5 − 4ग − गज ़ ब् ण्ण्ण् ;2द्ध 1 कग कग अब प्2 त्र∫ त्र पर विचार कीजिए 2 ∫ 2 5 − 4ग − ग 9 दृ ;ग ़ 2द्ध ग ़ 2 त्र ज रखने पर कग त्र कज इसलिए प्2 त्र∫ कज त्र ेपद दृ 1 ज ़ ब् 2 ख्7ण्4 ;5द्ध से, 22 3 3 − ज दृ 1 ग ़ 2 त्र ेपद ़ ब्2 ण्ण्ण् ;3द्ध 3 समीकरणों ;2द्ध एवं ;3द्ध को ;1द्ध में प्रतिस्थापित करने पर हम ग ़ 3 ग ़ 2ब् 2 दृ 11 त्र दृ 5दृ 4ग दृ ग ़ ेपद ़ ब् प्राप्त करते हैंए जहाँं ब् त्र ब्2 दृ ∫ 23 2 5 दृ 4गदृ ग प्रश्नावली 7.4 प्रश्न 1 से 23 तक के पफलनों का समाकलन कीजिए। 1ण् 2 6 3 1 ग ग ़ 2ण् 2 1 1 4ग़ 3ण् ; द्ध2 1 2 1दृ ग ़ 1 5ण् 4 3 1 2 ग ग़ 6ण् 2 61 ग − ग 7ण् 2 1 1 ग दृ ग दृ 8ण् 2 6 6 ग ग ़ ं 9ण् 2 2 ेमब जंद 4 ग ग ़ 10ण् 2 1 2 2ग ग़ ़ 11ण् 2 1 9 6 5ग ग़ ़ 12ण् 2 1 7 दृ 6ग दृ ग 13ण् ; द्ध ; द्ध 1 1 2ग दृ ग दृ 14ण् 2 1 8 3ग दृ ग ़ 15ण् ; द्ध; द्ध 1 ग दृ ं ग दृ इ 16ण् 2 4 1 2 3 ग ग ग दृ ़ ़ 17ण् 2 2 1 ग ग दृ ़ 18ण् 2 5 2 1 2 3 ग ग ग − ़ ़ 19ण् ; द्ध; द्ध 6 7 5 4 ग ग दृ ग दृ ़ 20ण् 2 2 4 ग ग दृ ग ़ 21ण् 2 2 2 3 ग ग ग ़ ़ ़ 22ण् 2 3 2 5 ग ग दृ ग ़ − 23ण् 2 5 3 4 10 ग ग ग ़ ़ ़ प्रश्न 24 एवं 25 में सही उत्तर का चयन कीजिएः 24ण् बराबर है: ∫ 2 कग ग ़ 2ग ़ 2 ;।द्ध ग जंददृ1 ;ग ़ 1द्ध ़ ब् ;ठद्ध जंददृ1 ;ग ़ 1द्ध ़ ब् ;ब्द्ध ;ग ़ 1द्ध जंददृ1 ग ़ ब् ;क्द्ध जंददृ1 ग ़ ब् कग 25ण् बराबर हैः 1  9ग − 8  1  8ग − 9 ⎞ दृ1 दृ1 ;।द्ध ेपद ़ ब् ;ठद्ध ेपद ़ ब् ⎜ ⎜⎟ 9  8  2  9  1  9ग − 8 ⎞1 दृ1  9ग − 8  दृ1 ;ब्द्ध ेपद ़ ब् ;क्द्ध ेपद ़ ब् ⎜ ⎜ 3  8  2  9  7ण्5 आंश्िाक भ्िान्नों द्वारा समाकलन ;प्दजमहतंजपवद इल च्ंतजपंस थ्तंबजपवदेद्ध च्; द्ध ग स्मरण कीजिए कि एक परिमेय पफलन ए दो बहुपदों के अनुपात के रूप में परिभाष्िात किया जाता फ; द्ध ग है जहाँ च्;गद्ध एवं फ;गद्धए ग में बहुपद हैं तथा फ;गद्ध ≠ 0ण् यदि च्;गद्ध की घात फ;गद्ध की घात से कम है, तो परिमेय पफलन उचित परिमेय पफलन कहलाता है अन्यथा विषम परिमेय पफलन कहलाता है। विषम परिमेय पफलनों को लम्बी भाग विध्ि द्वारा उचित परिमेय पफलन के रूप में परिवतिर्त किया जा सकता च्; द्ध ग च्;द्ध च्;द्ध गग है। इस प्रकार यदि विषम परिमेय पफलन है, तो त्र ग ़1 ए जहाँ ज्;गद्ध ग में ज्; द्ध फ; द्ध गफ; द्ध ग फ; द्ध ग च्; द्ध ग एक बहुपद है और 1एक उचित परिमेय पफलन है। हम जानते हैं कि एक बहुपद का समाकलन फ; द्ध ग वैफसे किया जाता है, अतः किसी भी परिमेय पफलन का समाकलन किसी उचित परिमेय पफलन के समाकलन की समस्या के रूप में परिवतिर्त हो जाता है। यहाँ पर हम जिन परिमेय पफलनों के समाकलन पर विचार करेंगे, उनके हर रैख्िाक और द्विघात गुणनखंडों में विघटित होने वाले होंगे। च्; द्ध ग च्; द्ध ग मान लीजिए कि हम∫ कग का मान ज्ञात करना चाहते हैं जहाँ एक उचित परिमेय फ; द्ध ग फ; द्ध ग पफलन है। एक विध्ि, जिसे आंश्िाक भ्िान्नों में वियोजन के नाम से जाना जाता है, की सहायता से दिए हुए समाकल्य को साधरण परिमेय पफलनों के योग के रूप मे लिखा जाना संभव है। इसके पश्चात् पूवर् ज्ञात विध्ियों की सहायता से समाकलन सरलतापूवर्क किया जा सकता है। निम्नलिख्िात सारणी 7.2 निदिर्ष्ट करती है, कि विभ्िान्न प्रकार के परिमेय पफलनों के साथ किस प्रकार के सरल आंश्िाक भ्िान्नों को संब( किया जा सकता है। सारणी 7.2 क्रमांक परिमेय पफलन का रूप आंश्िाक भ्िान्नों का रूप 1ण् 2ण् 3ण् 4ण् 5ण् ; दृ द्ध ; दृ द्ध चग ु ग ं ग इ ़ ए ं ≠ इ । ठ ग दृ ं ग दृ इ ़ 2; दृ द्ध चग ु ग ं ़ ; द्ध2 । ठ ग दृ ं ग दृ ं ़ 2 ; दृ द्ध ; द्ध ; द्ध चग ुग त ग ं ग दृ इ ग दृ ब ़ ़ । ठ ब् ग दृ ं ग दृ इ ग दृ ब ़ ़ 2 2; दृ द्ध ; द्ध चग ुग त ग ं ग दृ इ ़ ़ 2 । ठ ब् ; द्धग दृ ं ग दृ इ ग दृ ं ़ ़ 2 2; दृ द्ध ; द्ध चग ुग त ग ं ग इग ब ़ ़ ़ ़ 2 । ठग ़ ब् ग दृ ं ग इग ब ़ ़ ़ ए जहाँ ग2 ़ इग ़ ब का और आगे गुणनखंड नहीं किया जा सकता। उपयुर्क्त सारणी में ।ए ठ एवं ब् वास्तविक संख्याएँ हैं जिनको उचित विध्ि से ज्ञात करते हैं। ∫ कग उदाहरण 11 का मान ज्ञात कीजिए। ;ग ़1द्ध ; ग ़ 2द्ध हल दिया हुआ समाकल्य एक उचित परिमेय पफलन है इसलिए आंश्िाक भ्िान्नों के रूप ख्सारणी 7ण्2 ;पद्ध,ए का उपयोग करते हुए, हम 1 ।ठ त्ऱ ए लिखते हैं ... ;1द्ध ;ग ़1द्ध ; ग ़ 2द्ध ग ़1 ग ़ 2 जहाँ । और ठ वास्तविक संख्याएँ हैं जिनको हमें उचित विध्ि से ज्ञात करना है। हम पाते हैं 1 त्र। ;ग ़ 2द्ध ़ ठ ;ग ़ 1द्ध ग के गुणांकों एवं अचर पदों को समान करने पर हम पाते हैं । ़ ठ त्र0 एवं 2। ़ ठ त्र 1 इन समीकरणों को हल करने पर हमें । त्र 1 और ठ त्र दृ 1 प्राप्त होता है। 1 1दृ1 इस प्रकार समाकल्य निम्नलिख्िात रूप में प्राप्त होता है त्र ़ ;ग ़ 1द्ध ; ग ़2द्ध ग ़1 ग ़ 2 कग कग कग इसलिए ∫ त्र ∫ दृ ∫ ;ग ़1द्ध ; ग ़ 2द्ध ग ़1 ग ़ 2 ग ़1 ़ ब् त्र सवह ग ़1 − सवह ग ़ 2 ़ब् त्र सवह ग ़ 2 टिप्पणी उपयुर्क्त समीकरण ;1द्ध एक सवर्समिका है अथार्त् एक ऐसा कथन जो ग के सभी स्वीकायर् सभी मानों के लिए सत्य है। वुफछ लेखक संकेत ≡ का उपयोग यह दशार्ने के लिए करते हैं कि दिया हुआ कथन एक सवर्समिका है और संकेतत्र का उपयोग यह दशार्ने के लिए करते हैं कि दिया हुआ कथन एक समीकरण है अथार्त् यह दशार्ने के लिए कि दिया हुआ कथन ग के निश्िचत मानों के लिए सत्य है। ग 2 ़1 उदाहरण 12 कग का मान ज्ञात कीजिए। ∫ 2 ग − 5ग ़ 6 ग 2 ़ 1 हल यहाँ समाकल्य 2 एक उचित परिमेय पफलन नहीं है इसलिए हम ग2 ़ 1 को गदृ 5ग ़ 6 ग 2 दृ 5ग ़ 6 से भाग करते हैं और हम पाते हैं कि ग 2 ़15गदृ 55गदृ 5 त्र 1़त्र1 ़ ग 2 दृ 5ग ़ 6 ग 2 दृ 5ग ़ 6;गदृ 2द्ध ; गदृ 3द्ध 5गदृ 5 ।ठ मान लीजिए कि त्ऱ ;गदृ 2द्ध ; गदृ 3द्ध गदृ 2 गदृ 3 ताकि 5ग दृ 5 त्र । ;ग दृ 3द्ध ़ ठ ;ग दृ 2द्ध दोनों पक्षों से ग के गुणांकों एवं अचर पदों को समान करने पर हम पाते हैं । ़ ठ त्र 5 और 3। ़ 2ठ त्र 5ण् इन समीकरणों को हल करने पर हम । त्र दृ 5 और ठ त्र 10 प्राप्त करते हैं। ग 2 ़1 510 अतः 2 त्र 1−़ गदृ 5ग ़ 6 गदृ 2 गदृ 3 ग 2 ़11 कग इसलिए कग त्र कग − 5 कग ़10 ∫ 2 ∫∫ ∫ गदृ 5ग ़ 6 गदृ 2 गदृ 3 त्र ग दृ 5 सवह द्यग दृ 2द्य ़ 10 सवह द्यग दृ 3द्य ़ ब् 3ग − 2 उदाहरण 13 ∫ 2 कग का मान ज्ञात कीजिए। ;ग ़1द्ध ; ग ़ 3द्ध हल दिया हुआ समाकल्य सारणी 7.2;4द्ध में दिए हुए समाकल्य के रूप का है। अतः हम 3गदृ 2 ।ठब् त्ऱ ़ 22 लिखते हैं ;ग ़1द्ध ; ग ़ 3द्ध ग ़1;ग ़1द्ध ग ़ 3 ताकि 3ग दृ 2 त्र । ;ग ़ 1द्ध ;ग ़ 3द्ध ़ ठ ;ग ़ 3द्ध ़ ब् ;ग ़ 1द्ध2 त्र । ;ग 2 ़ 4ग ़ 3द्ध ़ ठ ;ग ़ 3द्ध ़ ब् ;ग 2 ़ 2ग ़ 1 द्ध दोनों पक्षों से ग2 के गुणांकोंए ग के गुणांकों एव अचर पदों की तुलना करने पर पाते हैं कि । ़ ब् त्र 0ए 4। ़ ठ ़ 2ब् त्र 3 और 3। ़ 3ठ ़ ब् त्र दृ 2 इन समीकरणों को हल करने पर हम 11 दृ5 दृ11 । त्र ए ठ त्र और ब् त्र पाते हैं। इस प्रकार समाकल्य निम्नलिख्िात रूप में प्राप्त होता है। 42 4 3ग − 2 11 5 11 दृदृ त्र 22 ;ग ़ 1द्ध ; ग ़3द्ध 4; ग ़1द्ध 2; ग ़1द्ध 4; ग ़ 3द्ध 3ग − 2 11 कग 5 कग 11 कग इसलिए त्र दृ 2 − ∫2 ∫∫ ∫ ;ग ़1द्ध ; ग ़ 3द्ध 4 ग ़12;ग ़1द्ध 4 ग ़ 3 11 सवह ग़1 ़ 5 − 11 सवह ग ़ 3 ़ ब् त्र 4 2; ग ़1द्ध 4 11 ग ़1 5 सवह ़ ़ब् त्र 4 ग ़3 2; ग ़1द्ध 2 उदाहरण 14 ∫ 2 ग 2 कग का मान ज्ञात कीजिए। ;ग ़1द्ध ; ग ़ 4द्ध 2 ग हल 22 को लीजिए और ग2 त्र ल रख्िाए ;ग ़1द्ध ; ग ़ 4द्ध 2 गल त्र तब 22 ;ग ़ 1द्ध ; ग ़ 4द्ध ;ल ़1द्ध ; ल ़ 4द्ध ल ।ठ त्र ़ के रूप में लिख्िाए ;ल ़ 1द्ध ; ल ़4द्ध ल ़1 ल ़ 4 ताकि ल त्र । ;ल ़ 4द्ध ़ ठ ;ल ़ 1द्ध दोनों पक्षों से ल के गुणांकों एवं अचर पदों की तुलना करने पर हम पाते हैं । ़ ठ त्र 1 और 4। ़ ठ त्र 0ए जिससे प्राप्त होता है । त्र दृ 1 आरै ठ त्र 4 33 ग 2 14 अतः 2 2 त्र दृ 2 ़ 2 ;ग ़ 1द्ध ; ग ़4द्ध 3; ग ़1द्ध 3; ग ़ 4द्ध 2 ग कग 1 कग 4 कग इसलिए त्र दृ ़ ∫ 22 ∫ 2 ∫ 2 ;ग ़1द्ध; ग ़ 4द्ध 3 ग ़13 ग ़ 4 1 दृ 1 41 दृ 1 ग त्र दृ जंद ग ़⋅ जंद ़ ब् 3 322 12 ग दृ 1 दृ 1 त्र दृ जंद ग ़ जंद ़ ब् 3 32 उपयुर्क्त उदाहरण में केवल आंश्िाक भ्िान्न वाले भाग के लिए प्रतिस्थापन किया गया था न कि समाकलन वाले भाग के लिए। अब हम एक ऐसे उदाहरण की चचार् करते हैं जिसमें समाकलन के लिए प्रतिस्थापन विध्ि एवं आंश्िाक भ्िान्न विध्ि दोनों को संयुक्त रूप से प्रयुक्त किया गया है। ;3 ेपद φ दृ 2द्ध बवे φ उदाहरण 15 ∫ 2 कφ का मान ज्ञात कीजिए। 5 दृ बवे φ दृ 4 ेपद φ हल मान लीजिए ल त्र ेपदφ तब कल त्र बवेφ कφ ;3 ेपद φ दृ 2द्ध बवे φ ;3 ल दृ 2द्ध कल इसलिए ∫ 2 कφ त्र ∫ 2 5 दृ बवे φ दृ 4 ेपद φ 5 दृ ;1 दृल द्ध दृ 4 ल 3 लदृ 23लदृ 2 त्र ∫ 2 कल त्र ∫त्र प् ;मान लीजिएद्ध लदृ 4ल ़ 4 ; लदृ 2द्ध2 3 लदृ 2। ठ अब हम त्ऱ 2 लिखते हैं ख्सारणी 7ण्2 ;2द्ध से, ; लदृ 2द्ध2 ल − 2;ल − 2द्ध इसलिए 3ल दृ 2 त्र । ;ल दृ 2द्ध ़ ठ दोनों पक्षों से ल के गुणांक एवं अचर पदों की तुलना करने पर हम पाते हैं, । त्र 3 एवं ठ दृ 2। त्र दृ 2ए जिससे हमें । त्र 3 एवं ठ त्र 4 प्राप्त होता है। इसलिए अभीष्ट समाकलन निम्नलिख्िात रूप में प्राप्त होता है। 34 कल कल प् त्र∫ख़् , कल 3 ़4 लदृ 2;लदृ 2द्ध 2 त्र ∫ लदृ 2 ∫ 2 ;लदृ 2द्ध ⎛ 1 ⎞ 4 त्र 3 सवह ल − 2 ़ 4 ⎜ दृ ⎟़ ब् त्र 3सवह ेपद φ− 2 ़़ ब् ⎝ ल − 2 ⎠ 2 दृ ेपद φ 4 ेपद φ़ ़ब् त्र 3 सवह ;2 − द्ध ;क्योंकि 2 दृ ेपद φ हमेशा ध्नात्मक हैद्ध 2 − ेपद φ ग 2 ़ ग ़1 कग उदाहरण 16 का मान ज्ञात कीजिए। ∫ 2 ;ग ़ 2द्ध ; ग ़1द्ध हल दिया हुआ समाकल्य एक उचित परिमेय पफलन है। परिमेय पफलन को आंश्िाक भ्िान्नों में विघटित करते हैं ख्सारणी 2ण्2;5द्ध,। ग 2 ़ ग ़1 ।ठग ़ब् त्र ़ ;ग 2 ़ 1द्ध ; ग ़2द्ध ग ़ 2;ग 2 ़1द्ध इसलिए ग2 ़ ग ़ 1 त्र। ;ग2 ़ 1द्ध ़ ;ठग ़ ब्द्ध ;ग ़ 2द्ध दोनों पक्षों से ग 2 के गुणांकोंए ग के गुणांकों एवं अचर पदों की तुलना करने पर हम । ़ ठ त्र1ए 2ठ ़ ब् त्र 1 और। ़ 2ब् त्र 1 प्राप्त करते हैं। 3 21 इन समीकरणों को हल करने पर हम । त्र एठ त्र एब् त्र पाते हैं। 555 इस प्रकार समाकल्य निम्नलिख्िात रूप में प्राप्त होता है 21 2 ग ़ ग ़ ग ़1 355 31 ⎛ 2ग ़1 ⎞ 2 त्र ़ 2 त्र ़⎜ 2 ⎟ ;ग ़ 1द्ध ; ग ़2द्ध 5; ग ़ 2द्ध ग ़1 5; ग ़ 2द्ध 5 ⎝ ग ़1 ⎠ ग 2 ़ ग ़ 13 कग 12ग 11 इसलिए कग त्र ़ 2 कग ़ कग ∫2 ∫∫ ∫ 2 ;ग ़1द्ध ; ग ़ 2द्ध 5 ग ़ 25 ग ़15 ग ़1 3 1 1 त्र सवह ग ़ 2 ़ सवह ग 2 ़1 ़ जंद दृ1 ग ़ ब् 5 5 5 प्रश्नावली 7.5 1 से 21 तक के प्रश्नों में परिमेय पफलनों का समाकलन कीजिए। ग 1 3गदृ 1 1ण् 2ण् 2 3ण् ;ग ़1द्ध ; ग ़ 2द्ध गदृ 9;गदृ 1द्ध ; गदृ 2द्ध ; गदृ 3द्ध ग 2ग 4ण् 5ण् ;गदृ 1द्ध ; गदृ 2द्ध ; गदृ 3द्ध ग 2 ़ 3ग ़ 2 1दृग 2 गग 6ण् 7ण्8ण् ग ;1 दृ 2गद्ध;ग 2 ़ 1द्ध ; ग दृ1द्ध ;गदृ 1द्ध 2 ;ग ़ 2द्ध 3ग ़ 52ग − 35ग 9ण् 10ण् 11ण् 322 2 ग दृग − ग ़ 1;गदृ1द्ध ;2 ग ़ 3द्ध ;ग ़1द्ध ; ग − 4द्ध ग 3 ़ ग ़1 23गदृ 1 12ण् 2 13ण् 2 14ण् 2 ग −1 ;1 − गद्ध ;1 ़ ग द्ध;ग ़ 2द्ध 1 1 15ण् 4 16ण् द ख्संकेतः अंश एवं हर को ग द दृ 1 से गुणा कीजिए और ग −1 ग ;ग ़ 1द्ध गद त्र ज रख्िाए, बवे ग 17ण् ख्संकेतःेपद ग त्र ज रख्िाए, ;1 दृ ेपद गद्ध ;2 दृ ेपद गद्ध ;ग 2 ़ 1द्ध ; ग 2 ़ 2द्ध 2ग 1 18ण् 19ण् 20ण् 2 2 4 ;ग 2 ़ 3द्ध; ग 2 ़ 4द्ध ;ग ़ 1द्ध ; ग ़ 3द्ध ग ;गदृ1द्ध ग 21ण् ग 1ख्संकेतः म त्र ज रख्िाए, ;मदृ1द्ध प्रश्न 22 एवं 23 में सही उत्तर का चयन कीजिए। 22ण् ∫ ग कग बराबर हैः ;ग −1द्ध ; ग − 2द्ध ;ग −1द्ध 2 ;ग − 2द्ध 2 ़ ब् ;ठद्ध सवह ़ ब् ;।द्ध सवह ग − 2 ग −1 ⎛ ग −1 ⎞2 सवह ;ब्द्ध  ⎟ ़ ब् ;क्द्ध सवह ;ग −1द्ध ; ग − 2द्ध ़ ब् ⎝ ग − 2 ⎠ 23ण् कग बराबर हैः ∫ 2 ग ;ग ़ 1द्ध 12 12 ग − सवह ; ग ़1द्ध़ब् ;ठद्ध सवह ग ़ सवह ; ग ़1द्ध़ ब् ;।द्ध सवह 22 112 ग ़ सवह ; ग 2़1द्ध़ ब् 2 ;ब्द्ध −सवह ग ़ सवह ; ग ़1द्ध़ब् ;क्द्ध सवह 2 7ण्6 खंडशः समाकलन ;प्दजमहतंजपवद इल च्ंतजेद्ध इस परिच्छेद में हम समाकलन की एक और विध्ि की चचार् करेंगे जो कि दो पफलनों के गुणनपफल का समाकलन करने में बहुत उपयोगी है। यदि एकल चर ग ;मान लीजिएद्ध में न और अ दो अवकलनीय पफलन है तो अवकलन के गुणनपफल नियम के अनुसार हम पाते हैं कि क कअ कन ;नअ द्ध त्र न ़ अ कग कग कग दोनों पक्षों का समाकलन करने पर हम पाते हैं कि कअ कन नअ त्र न कग ़ अ कग ∫∫ कग कग कअ कन अथवा न कग त्र नअदृ अ कग ण्ण्ण् ;1द्ध ∫∫ कग कग मान लीजिए कि न त्र ि;गद्ध और कअ त्र ह ;गद्ध तब कग अह ;द्धकग कन त्र ि ;गद्ध और त्र ग कग ∫ इसलिए समीकरण ;1द्ध को निम्नलिख्िात रूप में लिखा जा सकता है ;द्ध ह ;द्ध कग त्र ि;द्ध ह ग कग दृ ख् ह गकग ि′ ; द्ध, कग गिग ग ;द्ध ;द्ध ग ∫ ∫∫∫ अथार्त् ि;द्ध ह गकग त्र गि ह ;द्ध कग दृ ख् ि;द्ध हग कग , ग ;द्ध ;द्ध ग ′ ग ;द्ध कग ∫ ∫∫∫ यदि हम िको प्रथम पफलन और ह को दूसरा पफलन मान लें तो इस सूत्रा को निम्नलिख्िात रूप में व्यक्त किया जा सकता है। श्दो पफलनों के गुणनपफल का समाकलन त्र ;प्रथम पफलनद्ध × ;द्वितीय पफलन का समाकलनद्ध कृ ख्;प्रथम पफलन का अवकलन गुणांकद्ध × ;द्वितीय पफलन का समाकलनद्ध, का समाकलनश् उदाहरण 17 ग बवे ग कग का मान ज्ञात कीजिए। ∫ हल ि;गद्ध त्र ग ;प्रथम पफलनद्ध और ह ;गद्ध त्र बवे ग ;द्वितीय पफलनद्ध रख्िाए। तब खंडशः समाकलन से प्राप्त होता है कि क ग ग बवे ग कग त्र ग बवे ग कग दृ ख् ;द्ध बवे ग कग , कग ∫ ∫∫ कग ∫ त्र ग ेपद गदृ ेपद ग कग त्र ग ेपद ग ़ बवे ग ़ ब् ∫ मान लीजिए कि हम ि;गद्ध त्र बवे ग एवं ह ;गद्ध त्र ग लेते हैं तब क ग बवे ग कग त्र बवे ग गकगदृ ख् ;बवे गद्ध ग कग , कग ∫ ∫∫ कग ∫ 22 गग त्र ;बवे गद्ध ़∫ेपद ग कग 22 इस प्रकार हम देखते हैं कि समाकलन ग बवे ग कग ए तुलनात्मक दृष्िट से ग की अध्िक घात ∫ वाले अध्िक कठिन समाकलन मंे परिवतिर्त हो जाता है। इसलिए प्रथम पफलन एवं द्वितीय पफलन का उचित चयन महत्वपूणर् है। टिप्पणी 1ण् यह वणर्नीय हैं, कि खंडशः समाकलन दो पफलनों के गुणनपफल की सभी स्िथतियों में प्रयुक्त नहीं है, उदाहरणतया ग ेपद ग कग की स्िथति में यह विध्ि काम नहीं करती है। इसका ∫ कारण यह है कि ऐसा कोइर् पफलन अस्ितत्व मे ही नहीं है जिसका अवकलज ग ेपद ग है। 2ण् ध्यान दीजिए कि द्वितीय पफलन का समाकलन ज्ञात करते समय हमने कोइर् समाकलन अचर नहीं जोड़ा था। यदि हम द्वितीय पफलन बवे ग के समाकलन को ेपद ग ़ ाए के रूप में लिखते हैं, जहाँ ा कोइर् अचर है, तब ग बवे ग कग त्र ग ;ेपद ग ़ ाद्ध − ;ेपद ग ़ ाद्ध कग ∫ ∫ त्र ग ;ेपद ग ़ ाद्ध − ेपद ग कग − ा कग ∫∫ त्र ग ;ेपद ग ़ ाद्ध ़ बवे ग दृाग ़ब् त्र ग ेपद ग ़ बवे ग ़ ब् यह दशार्ता है कि खंडशः समाकलन विध्ि के प्रयोग से अंतिम परिणाम ज्ञात करने के लिए द्वितीय पफलन के समाकलन में अचर का जोड़ना व्यथर् है। 3ण् सामान्यतः यदि कोइर् पफलन ग की घात के रूप में है अथवा ग का बहुपद है तो हम इसे प्रथम पफलन के रूप मे लेते हैं। तथापि ऐसी स्िथति में जहाँ दूसरा पफलन प्रतिलोम त्रिाकोणमितीय पफलन अथवा लघुगणकीय पफलन है, तो हम उनको प्रथम पफलन के रूप मे लेते हैं। उदाहरण 18 सवह ग कग ज्ञात कीजिए। ∫ हल प्रारम्भ करने के लिए हम ऐसे पफलन का अनुमान लगाने में असमथर् हैं जिसका अवकलज सवह ग है। हम सवह ग को प्रथम पफलन एवं अचर पफलन 1 को द्वितीय पफलन लेते हैं। दूसरे पफलन का समाकलन ग है। क अतः ∫;सवह ग ⋅1द्ध कग त्र सवह ग ∫1 कग −∫ख् ;सवह गद्ध ∫1कग , कग कग 1 त्र सवह ग ण् ग दृ ∫ ग कग त्र ग सवह गदृ ग ़ ब् ग ग उदाहरण 19 ∫ गम कग ज्ञात कीजिए। हल ग प्रथम पफलन एवं मग को द्वितीय पफलन के रूप में लीजिए ग दूसरे पफलन का समाकलन त्र म ग गग गग इसलिए गम कग त्र गम − 1 ण्म कग त्र गम दृ म ़ ब् ∫∫ ग ेपद दृ 1 ग उदाहरण 20 कग ज्ञात कीजिए। ∫ 1− ग 2 ग हल मान लीजिए प्रथम पफलन त्र ेपद दृ 1 गए और द्वितीय पफलन त्र 1 − ग 2 अब हम द्वितीय पफलन का समाकलन ज्ञात करते हैं अथार्त् ग कग ज्ञात करते हैं। ∫ 2 1 − ग 2 ज त्र1 दृ ग रख्िाए तब कज त्रदृ 2ग कग ग कग 1 कज इसलिए ∫ 2 त्र दृ ∫ त्र दृ ज त्र− 1 − ग 2 1 − ग 2 ज ग ेपद दृ 1 गदृ 1 2 1 2 अतः कग त्र ेपद गदृ 1 − ग − ; दृ 1− ग द्ध कग ; द्ध∫ 2 ∫ 1− ग 21− ग 2 −1 2 − 1 त्र दृ 1− ग ेपद ग ़ ग ़ब् त्र गदृ 1 − ग ेपद ग ़ ब् विकल्पतः ेपददृ1 ग त्र θ प्रतिस्थापित करने पर और तब खंडशः समाकलन का उपयोग करते हुए भी इस समाकलन को हल किया जा सकता है। उदाहरण 21 मग ेपद ग कग ज्ञात कीजिए। ∫ हल मग को प्रथम पफलन एवंेपद ग को द्वितीय पफलन के रूप में लीजिए। तब खंडशः समाकलन से हम पाते हैं कि गग ग प् त्र म ेपद ग कग त्र म ; दृ बवे ग द्ध ़ म बवे ग कग ∫∫ त्रदृ मग बवे ग ़ प् ;मान लीजिएद्ध ण्ण्ण् ;1द्ध 1 ग प्1 में म एवं बवे ग को क्रमशः प्रथम एवं द्वितीय पफलन मानते हुए हम पाते हैं कि त्र म ेपद गदृ म ेपद ग कग प्1 ग ∫ ग प्1 का मान ;1द्ध में रखने पर हम पाते हैं कि गग प् त्र दृम बवे ग ़ म ेपद गदृ प् अथवा 2प् त्र मग ;ेपद ग दृ बवे गद्ध ग ग अतः प् त्र म ेपद ग कग त्र ;ेपद गदृ बवे गद्ध़ब् ∫ म 2 विकल्पतः ेपद ग को प्रथम पफलन एवं मग को द्वितीय पफलन लेने पर भी उपयुर्क्त समाकलन को ज्ञात किया जा सकता है। 7ण्6ण्1 म ख् गि ि′ ; द्ध, ग ; द्ध़ ग कग के प्रकार का समाकलन ∫ हमें ज्ञात है कि प् त्र मग ; द्ध़ ग ′ ग मग ि;द्ध कग ़ मग ि;द्ध कग ∫ख् िि; द्ध, कग त्र ∫ ग ∫′ ग त्र प्1 म ि′ ग कग ए जहाप्त्र म ि;द्ध ़∫ ग ;द्ध ँ 1 ग गकग ण्ण्ण् ;1द्ध ∫ प्1 में ि;गद्ध एवंमग को क्रमशः प्रथम एवं द्वितीय पफलन लेते हुए एवं खंडशः समाकलन द्वारा हम ग ि;द्ध म ़ पाते हैं प्1 त्र ि;गद्ध मदृ ∫′ ग गकग ब् प्1 को;1द्ध में प्रतिस्थापित करने पर हम पाते हैं ग गग प् त्र म ि;द्ध − ि′ ग मकग ़ म ि′;द्ध ग ;द्ध ग कग ़ ब् त्र मग ि;गद्ध ़ ब् ∫ ∫∫ गग अतः म ; ि;द्ध ग ़ ि′ ग कग मगि ़ ब् ;द्ध द्ध त्र ;द्ध उदाहरण 22 ज्ञात कीजिए गदृ 11 ;ग 2 ़1द्ध मग ;पद्ध म ;जंद ग ़ द्ध कग ;पपद्ध कग ∫ 2 ∫ 1 ़ ग ;ग ़ 1द्ध 2 हल गदृ 1 ;पद्ध यहाँ प् त्र म ;जंद ग ़ 1द्ध कग ∫ 2 1़ ग 1 अब ि;गद्ध त्र जंददृ 1 गए लीजिए, तब ि;गद्ध त्र 2 1़ ग अतः दिया हुआ समाकल्य मग ख् ि;गद्ध ़ ि′;गद्ध, के रूप में है। गदृ 1 इसलिए प् त्र म ;जंद ग ़ द्ध कग त्र मग जंददृ 1 ग ़ ब् ∫12 1 ़ ग 2 ;ग 2 ़1द्ध मग गगदृ 1 ़ 1़1द्ध ;पपद्ध मान लीजिए कि प् त्र कग म ख्, कग ∫ 2 त्र∫ ;ग ़1द्ध ;ग ़ 1द्ध 2 गग 2 दृ 12 ग गदृ 12 त्र म ख् ़ , कग त्र∫म ख़् , कग ∫ 22 2 ;ग ़1द्ध ;ग़1द्ध ग ़1 ;ग़1द्ध ग −12 ि′ ;द्ध ग त्र मान लीजिए कि ि;द्ध ग त्र तब 2 ग ़ 1;ग ़1द्ध अतः दिया हुआ समाकल्य मग ख् ि;गद्ध ़ ि′;गद्ध, के रूप में है। ग 2 ़ 1 गग −1 ग इसलिए ∫ 2 म कग त्र म ़ ब् ;ग ़1द्ध ग ़1 प्रश्नावली 7.6 1 से 22 तक के प्रश्नों के पफलनों का समाकलन कीजिए। 1ण् ग ेपद ग 2ण् ग ेपद 3ग 3ण् ग 2 मग 4ण् ग सवह ग 5ण् ग सवह2 ग 6ण् ग2 सवह ग 7ण् ग ेपददृ 1 ग 8ण् ग जंददृ1 ग −1 ग बवे ग 9ण् ग बवेदृ1 ग 10ण् ;ेपददृ1 गद्ध2 11ण् 12ण् ग ेमब2 ग 1− ग 2 13ण् जंददृ1ग 14ण् ग ;सवह गद्ध2 15ण् ;ग2 ़ 1द्ध सवह ग ग गम ग ⎛ 1 ़ ेपद ग ⎞ म 16ण् मग ;ेपदग ़ बवेगद्ध 17ण् 2 18ण् ⎜⎟ ;1 ़ गद्ध ⎝1 ़ बवे ग ⎠ ग ⎛ 11 ⎞ ;ग − 3द्ध मग 19ण् म ⎜ दृ2 ⎟ 20ण् 3 21ण् म 2ग ेपद ग ⎝ ग ग ⎠ ;ग −1द्ध दृ 1 ⎛ 2ग ⎞ 22ण् ेपद ⎜ 2 ⎟ ⎝ 1़ ग ⎠ प्रश्न 23 एवं 24 में सही उत्तर का चयन कीजिए। ∫ 2 ग 23ण् गम 3 कग बराबर हैः 1 1 ग ग 2 ;।द्ध म 3 ़ ब् ;ठद्ध म ़ ब् 3 3 3 1 ग 1 ग ;ब्द्ध म ़ ब् ;क्द्ध म 2 ़ ब् 2 2 ∫ ग 24ण् म ेमब ग ;1 ़ जंद गद्ध कग बराबर हैः ;।द्ध मग बवे ग ़ ब् ;ठद्ध मग ेमब ग ़ ब् ;ब्द्ध मग ेपद ग ़ ब् ;क्द्ध मग जंद ग ़ ब् 7ण्6ण्2 वुफछ अन्य प्रकार के समाकलन ;प्दजमहतंसे व िेवउम उवतम जलचमेद्ध यहाँ हम खंडशः समाकलन विध्ि पर आधरित वुफछ विश्िाष्ट प्रकार के प्रामाण्िाक समाकलनों की चचार् करेंगे। जैसे कि ∫ 22 ;पद्ध ग − ं कग ;पपद्ध ग 2 ़ ं 2 कग ;पपपद्ध ं 2 − ग 2 कग ∫∫ ;पद्ध मान लीजिए कि प् त्र ∫ अचर पफलन 1 को द्वितीय पफलन मानते हुए और खंडशः समाकलन द्वारा हम पाते हैं 2 21 2ग प् त्र गग − ं − ग कग ∫ 222 ग − ं 222 ग 2 22 ग − ं ़ ं 22 ∫ कग ग ग − ं − कग ग ग − ं − त्र त्र ∫ ग 2 − ं 2 ग 2 − ं 2 22 222 कग त्र गग − ं − ग − ं कग − ं ∫∫ 22 ग − ं 22 2 कग गग − ं − प् − ं त्र ∫ 22 ग − ं 222 कग अथवा 2प् त्र गग − ं − ं ∫ 22 ग − ं 2 22 22 ग ं अथवा प् त्र ग दृं कग त्र गदृं दृ सवह ग ़ ग 2 दृं 2 ़ ब् ∫ 22 इसी प्रकार दूसरे दो समाकलनों में अचर पफलन 1 को द्वितीय पफलन लेकर एवं खंडशः समाकलन विध्ि द्वारा हम पाते हैं 2 22 22 1 ं ;पपद्ध ग ़ ं कग त्र गग ़ ं ़ सवह ग ़ ग 2 ़ ं 2 ़ ब् ∫ 2 2 ंग 22 22 दृ1 ;पपपद्ध ं − ग कग त्र 1 गं − ग ़ 2 ेपद ़ ब् ∫ 22 ं विकल्पतः समाकलनों ;पद्धए ;पपद्ध एवं ;पपपद्ध में क्रमशः ग त्र ं ेमबθए ग त्र ं जंदθ और ग त्र ं ेपदθए प्रतिस्थापन करने पर भी इन समाकलनों को ज्ञात किया जा सकता है। उदाहरण 23 ग 2 ़ 2ग ़ 5 कग ज्ञात कीजिए। ∫ हल ध्यान दीजिए कि ग 2 ़ 2ग ़ 5 कग त्र ;ग ़1द्ध 2 ़ 4 कग ∫ ∫ अब ग ़ 1 त्र ल रखने पर कग त्र कलए तब 2 22 ग ़ 2ग ़ 5 कग त्र ल ़ 2 कल ∫ ∫ 4 त्र1 ल ल 2 ़ 4 ़ सवह ल ़ ल 2 ़ 4 ़ब् ख्7ण्6ण्2 ;पपद्धके उपयोग से, 22 त्र 1;ग ़1द्ध ग 2 ़ 2ग ़ 5 ़ 2 सवह ग ़1़ ग 2 ़ 2ग ़ 5 ़ ब् 2 उदाहरण 24 3− 2ग − ग 2 कग ज्ञात कीजिए। ∫ हल ध्यान दीजिए कि 3 − 2ग − ग 2 कग त्र∫ 4− ;ग ़1द्ध 2 कग ∫ अब ग ़ 1 त्र ल रखने पर कग त्र कल इस प्रकार 3 − 2ग − ग 2 कग त्र ∫ 4 − ल 2 कल ∫ 24 दृ1 ल त्र1 ल 4 − ल ़ ेपद ़ब् ख्7ण्6ण्2 ;पपपद्धके उपयोग से, 2 22 1 2 दृ1 ⎛ ग ़1⎞ ;ग ़1द्ध 3 − 2ग − ग ़ 2 ेपद ़ ब्त्र ⎜⎟ 2 ⎝ 2 ⎠ प्रश्नावली 7.7 1 से 9 तक के प्रश्नों के पफलनों का समाकलन कीजिए। 2 2 2 1ण् 2ण् 3ण् 4 − ग 1 − 4गग ़ 4 ग ़ 6 2 22 4ण् 5ण् 6ण् ग ़ 4 ग ़ 11 − 4ग − गग ़ 4 ग − 5 2 ग 2 21 ़ 7ण् 8ण् 9ण् 1 ़ 3ग − गग ़ 3ग 9 प्रश्न 10 एवं 11 में सही उत्तर का चयन कीजिए। 10ण् 1 ़ ग 2 कग बराबर हैः ∫ 3 ़ ब् 11ण् 7ण्7 निश्िचत समाकलन ;क्मपिदपजम प्दजमहतंसद्ध पिछले परिच्छेदों में हमने अनिश्िचत समाकलनों के बारे में अध्ययन किया है और वुफछ विश्िाष्ट पफलनों के समाकलनों सहित अनिश्िचत समाकलनों को ज्ञात करने की वुफछ विध्ियों पर चचार् की है। इस परिच्छेद में हम किसी पफलन के निश्िचत समाकलन का अध्ययन करेंगे। निश्िचत समाकलन का एक अद्वितीय मान होता है। एक निश्िचत समाकलन को इ ि;द्ध कग ए से निदिर्ष्ट किया जाता है जहाँ ग ∫ं इ, समाकलन की उच्च सीमा तथा ंए समाकलन की निम्न सीमा कहलाती हैं। निश्िचत समाकलन का परिचय, या तो योगों की सीमा के रूप में कराया जाता है अथवा यदि अंतराल ख्ंए इ, में इसका कोइर् प्रतिअवकलज थ् है तो निश्िचत समाकलन का मान अंतिम ¯बदुओं पर थ् के मानों के अंतर अथार्त् थ्;इद्ध दृ थ्;ंद्ध के बराबर होता है, के रूप में कराया जाता है। निश्िचत समाकलन के इन दोनों रूपों की हम अलग - अलग चचार् करेंगे। 7ण्7ण्1 योगपफल की सीमा के रूप में निश्िचत समाकलन ;क्मपिदपजम पदजमहतंस ंे जीम सपउपज व िं ेनउद्ध मान लीजिए कि एक बंद अंतराल ख्ंए इ, पर एक संतत पफलन िपरिभाष्िात है। मान लीजिए कि पफलन के सभी मान )णेत्तर हैं इसलिए पफलन का आलेख ग.अक्ष से ऊपर एक वक्र है। वक्र ल त्र ;िगद्धए ग त्र ंए ग त्र इ एवं ग.अक्ष से घ्िारे क्षेत्रा का क्षेत्रापफल ही निश्िचत समाकलन इ ि;द्ध ग कग है। इस क्षेत्रापफल को ज्ञात करने के लिए, इस वक्र, ग.अक्ष एवं कोटियों ग त्र ं एवं ∫ं ग त्र इ के बीच घ्िारे क्षेत्रा च्त्ैफच् को लीजिए ;आवृफति 7.2 देख्िाएद्ध। अंतराल ख्ंए इ, को ख्ग ए ग ,ए ख्ग ए ग , एण्ण्ण्ए ख्ग ए ग ,ए ण्ण्ण् ख्ग ए ग ,ए से निदिर्ष्ट द समान 0112त दृ 1तद दृ 1द उपअंतरालों में विभाजित कीजिए जहाँ ग 0 त्र ंए ग 1 त्र ं ़ ीए ग 2 त्र ं ़ 2ीए ण्ण्ण् ए गत त्र ं ़ ती तथा इ − ं गद त्र इ त्र ं ़ दी अथवा द त्र ध्यान दीजिए यदि द → ∞ तो ी → 0 ी चचिर्त क्षेत्रा च्त्ैफच्ए द उपक्षेत्रों का योग है जहाँ प्रत्येक उपक्षेत्रा उपअंतरालों ख्ग ए ग ,ए त त्र 1ए तदृ 1त 2ए 3ए ३ए द पर परिभाष्िात है। आवृफति 7.2 से हम पाते हैं कि आयत ;।ठस्ब्द्ध का क्षेत्रापफल ढ क्षेत्रा ;।ठक्ब्।द्ध का क्षेत्रापफल ढ आयत ;।ठक्डद्ध का क्षेत्रापफल ण्ण्ण् ;1द्ध आवृफति 7.2 स्पष्टतः यदि गत दृ गतदृ1 → 0 अथार्त् ी → 0ए तो समीकरण ;1द्ध मे दशार्ए गए तीनों क्षेत्रापफल एक दूसरे के लगभग समान हो जाते हैं। अब हम निम्नलिख्िात योगपफलों का निमार्ण करते हैं द−1 े त्र ी ख्;िग द्ध ़ ३ ़ ;िग द्ध, त्र ी∑ ि; गत द्ध ण्ण्ण् ;2द्ध द0द . 1 तत्र 0 द और ै त्र ी िख्; ग द्ध ़ ि;ग द्ध ़३़ ि;ग द्ध, त्र ी ि;ग द्ध ण्ण्ण् ;3द्ध 12 द ∑ त तत्र1 द यहाँ े एवं ै उपअंतरालों ख्ग ए ग , त त्र 1ए 2ए 3ए ३ए दए पर बने क्रमशः निम्न आयतों एवं उच्च दद तदृ1त आयतों के क्षेत्रापफलों के योग को निदिर्ष्ट करता है। असमिका ;1द्ध के संदभर् में किसी स्वेच्छ उप अंतराल ख्ग ए ग , के लिए हम पाते हैं कि तदृ1 त े ढ क्षेत्रा च्त्ैफच् का क्षेत्रापफल ढ ै ण्ण्ण् ;4द्ध द द यदि द →∞ , तो पट्टियाँ संकीणर् से संकीणर् होती चली जाती हैं और यह मान लिया जाता हैं कि ;2द्ध और ;3द्ध के सीमित मान एक समान हैं तथा उभयनिष्ठ सीमित मान ही वक्र के अन्तर्गत अभीष्ट क्षेत्रापफल है। संाकेतिक भाषा में हम इसे निम्नलिख्िात प्रकार लिखते हैं ∫ ंइ सपउ ै द त्र सपउ ेद त्र क्षेत्रा च्त्ैफच् का क्षेत्रापफल त्र ि;द्ध ग कग ण्ण्ण् ;5द्ध द→∞द→∞ इससे यह पता चलता है कि अभीष्ट क्षेत्रापफल वक्र के नीचे के आयतों एवं वक्र के ऊपर के आयतों के बीच के किसी क्षेत्रापफल का सीमित मान भी है। सुविध के लिए हम प्रत्येक उपअंतराल के बायें किनारे पर वक्र की उँचाइर् के बराबर उँचाइर् वाले आयतों को लेंगे। अतः हम ;5द्ध को दुबारा निम्नलिख्िात रूप में लिखते हैं। गकग ी, ∫इ ि;द्ध त्रसपउ ी ख् ि;ंद्ध ़ ि;ं ़ ीद्ध ़ ण्ण्ण् ़ ि;ं ़ ;द दृ 1द्ध ं ी→0 ∫ंइ 1 द अथवा ि;द्ध ग कग ;दृ ंद्ध सपउ ख् ि;द्ध ़ ि;ं ़ ीद्ध ़ ण्ण्ण् ़ ि;ं ़;द दृ 1द्ध ी, त्र इं ण्ण्ण् ;6द्ध द→∞ इ दृ ं जहाँ ी त्र → 0 यदि द →∞ द उपयुर्क्त व्यंजक ;6द्ध योगपफल की सीमा के रूप में निश्िचत समाकलन की परिभाषा कहलाता है। टिप्पणी किसी विश्िाष्ट अंतराल पर एक पफलन के निश्िचत समाकलन का मान पफलन एवं अंतराल पर निभर्र करता है परंतु समाकलन के उस चर पर नहीं जिसका चयन हम स्वतंत्रा चर को निरूपित करने के लिए करते हैं। यदि ग के स्थान पर स्वतंत्रा चर को ज अथवा न से निदिर्ष्ट किया जाता है इइ तो हम समाकलन ∫ इ ि;द्ध ग कग के स्थान पर केवल समाकलन ि;द्ध ज कज अथवा ि;द्ध न कन ं ∫ं ∫ं लिखते हैं। अतः निश्िचत समाकलन के लिए समाकलन चर एक मूक चर कहलाता है। उदाहरण 25 योगपफल की सीमा के रूप में ∫ 2;ग 2 ़1द्ध कग का मान ज्ञात कीजिए। 0 हल परिभाषा के अनुसार ∫इ 1 ि;द्ध कग त्र;इ दृ ंद्ध सपउ ख् ि;द्ध ़ ि;ं ़ ीद्ध ़ ण्ण्ण् ़ ि;ं ़ ;द दृ 1द्ध गं ी, ंद→∞ द इ दृ ं जहाँ ी त्र द 2दृ0 2 इस उदाहरण में ं त्र 0ए इ त्र 2ए ि;गद्ध त्र ग2 ़ 1ए ी त्रत्र दद 2 1 242; द दृ 1द्ध इसलिए ;ग 2 ़1द्ध कग त्र 2सपउ ख् ि;0द्ध ़ ि;द्ध ़ ि;द्ध ़ ण्ण्ण् ़ ि; द्ध, ∫0 द→∞ द द द द 22 2 12 4 ⎛ ;2 द दृ 2द्ध ⎞ त्र 2 सपउ ख्1 ़ ; ़1द्ध ़ ; ़1द्ध ़ ण्ण्ण् ़़1, 22 ⎜ 2 ⎟ द→∞ दद द द ⎝⎠ 1 1 22 2 त्र 2 सपउ ख्;1 ़1 ़ ण्ण्ण् ़1द्ध ़ ;2 ़ 4 ़ ण्ण्ण् ़ ;2 द दृ2द्ध , 14243 2 द→∞ द द द पद 1 22 22 2 त्र 2सपउ ख्द ़2 ;1 ़ 2 ़ ण्ण्ण् ़ ;द दृ1द्ध , द→∞ दद 1 4;द −1द्ध द ;2 द दृ 1द्ध त्र 2सपउ ख्द ़2 , द→∞ दद 6 1 2;द −1द्ध ;2 द दृ 1द्ध त्र 2सपउ ख्द ़, दद 3 द →∞ 211 414 त्र 2 सपउ ख्1 ़ ;1 −द्ध ;2दृ द्ध, त्र 2ख्1 ़, त्र द→∞ 3 दद 33 ग उदाहरण 26 योगपफल की सीमा के रूप में ∫2 म कग का मान ज्ञात कीजिए। 0 हल परिभाषा के अनुसार 24 2द दृ2 21 ⎡ 0 ⎤ दद द मग कग त्र ;2दृ0द्धसपउ ⎢म ़ म ़ म ़ण्ण्ण् ़ म ⎥ ∫0 द→∞ द  ⎥  ⎦ 2 तद गुणोत्तर श्रेणी के द पदों के योगपफल के सूत्रा का उपयोग करते हुए जहाँ ं त्र 1ए त्र म ए हम पाते हैं कि 2द ⎡ 2 ⎤ 21 मद दृ1 1 म दृ1 ग ⎢⎥ म कग त्र 2सपउ ख् , त्र 2सपउ 2 ∫0 द→∞ द 2 द→∞ द ⎢⎥ द −1 द म ⎣म दृ1 ⎦ 2; म 2 दृ1द्ध ;मी −1द्ध त्र त्र म2 दृ 1 ख्सपउ त्र1 के उपयोग से,  2 ⎤ ी→0 ी द ⎢म दृ1 ⎥ सपउ ⋅2 ⎢⎥ द→∞ 2 ⎢⎥ ⎣ द ⎦ प्रश्नावली 7.8 योगों की सीमा के रूप में निम्नलिख्िात निश्िचत समाकलनों का मान ज्ञात कीजिए। इ 53 1ण् ∫ं ग कग 2ण् ∫0; ग ़1द्ध कग 3ण् ∫ ग 2 कग 2 41 4 2 ग 2 4ण् ;ग − गद्ध कग 5ण् म कग 6ण् ;ग ़ मग द्ध कग ∫1 ∫−1 ∫0 7ण्8 कलन की आधरभूत प्रमेय ;थ्नदकंउमदजंस ज्ीमवतमउ व िब्ंसबनसनेद्ध 7ण्8ण्1 क्षेत्रापफल पफलन ;।तमं निदबजपवदद्ध हमने इ ि;द्ध ग कग को वक्र ल त्र ि;गद्धए ग.अक्ष, एवं ∫ं कोटियों ग त्र ं तथा ग त्र इ से घ्िारे क्षेत्रा के क्षेत्रापफल के रूप में परिभाष्िात किया है। मान लीजिए ख्ंए इ, मेंग कोइर् ¯बदु है तब ग ि;द्ध ग कग आवृफति 7.3 में हल्का छायांविफत ∫ं क्षेत्रा के क्षेत्रापफल को निरूपित करता है ख्यहाँ यह मान लिया गया है कि ग ∈ ख्ंए इ, के लिए ि;गद्ध झ 0 है। निम्नलिख्िात कथन सामान्यतः अन्य पफलनों के लिए भी सत्य है। इस छायांविफत क्षेत्रा का क्षेत्रापफल ग के मान पर आवृफति 7.3 निभर्र है। दूसरे शब्दों में इस छायांविफत क्षेत्रा का क्षेत्रापफलग का एक पफलन है। हम ग के इस पफलन को ।;गद्ध से निदिर्ष्ट करते हैं। इस पफलन ।;गद्ध को हम क्षेत्रापफल पफलन कहते हैं और यह हमें निम्नलिख्िात सूत्रा से प्राप्त होता है। ।;गद्ध त्र ∫ ग ि; गद्ध कग ण्ण्ण् ;1द्ध ं इस परिभाषा पर आधरित दो आधरभूत प्रमेय हैं। तथापि हम यहाँ पर केवल इनकी व्याख्या करेंगे क्योंकि इनकी उपपिा इस पाठ्यपुस्तक की सीमा के बाहर है। 7ण्8ण्2 प्रमेय 1 समाकलन गण्िात की प्रथम आधरभूत प्रमेय ;थ्पतेज निदकंउमदजंस जीमवतमउ व िपदजमहतंस बंसबनसनेद्ध मान लीजिए कि बंद अंतराल ख्ंए इ, पर िएक संतत पफलन है और । ;गद्ध क्षेत्रापफल पफलन है। तब सभी ग ∈ ख्ंए इ, के लिए।′;गद्ध त्र ि;गद्ध 7ण्8ण्3 समाकलन गण्िात की द्वितीय आधरभूत प्रमेय ;ैमबवदक निदकंउमदजंस जीमवतमउ व िपदजमहतंस बंसबनसनेद्ध हम नीचे एक ऐसे महत्वपूणर् प्रमेय की व्याख्या करते हैं जिसकी सहायता से हम प्रतिअवकलज का उपयोग करते हुए निश्िचत समाकलनों का मान ज्ञात करते हैं। प्रमेय 2 मान लीजिए कि बंद अंतराल ख्ंए इ, पर िएक संतत पफलन है और िका प्रतिअवकलज थ् है। तब ∫ इ ि; गद्ध कग त्र ख्थ्; ग द्ध, इ त्र थ् ;इद्ध दृ थ्;ंद्ध ं ं टिप्पणी ∫ंइ 1ण् शब्दों में हम प्रमेय 2 को इस प्रकार व्यक्त करते हैं कि िगकग ;द्ध त्र ; िके प्रति अवकलज थ् का उच्च सीमा इ पर मानद्ध दृ ;उसी प्रति अवकलज का निम्न सीमा ं पर मानद्ध। 2ण् यह प्रमेय अत्यंत उपयोगी है क्योंकि यह हमें योगपफल की सीमा ज्ञात किए बिना निश्िचत समाकलन को ज्ञात करने की आसान विध्ि प्रदान करती है। 3ण् एक निश्िचत समाकलन ज्ञात करने में जटिल संिया एक ऐसे पफलन का प्राप्त करना है जिसका अवकलज दिया गया समाकल्य है। यह अवकलन और समाकलन के बीच संबंध् को और मजबूत करता है। 4ण् ∫ इ ि;द्ध ग कग में, ख्ंए इ, पर पफलन िका सुपरिभाष्िात एवं संतत होना आवश्यक है। उदाहरणतः ं 1 निश्िचत समाकलन 3 ग; ग दृ 1द्ध 2 कग की चचार् करना भ्रांतिमूलक हैं क्योंकि बंद अंतराल ∫−22 1 2 ख्दृ 2ए 3, के भाग दृ 1 ढ ग ढ 1 के लिए ि;गद्ध त्र ग;ग 2 दृ1द्ध द्वारा अभ्िाव्यक्त पफलन ि परिभाष्िात नही है। इ ि;द्ध कग ज्ञात करने के चरण ;ैजमचे वित बंसबनसंजपदह ∫ इ ि; गद्ध ग कग द्ध ∫ं ं ि;द्धकग ;पद्ध अनिश्िचत समाकलन ग ज्ञात कीजिए। मान लीजिए यह थ्;गद्ध है। समाकलन अचर ∫ ब् को लेने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि यदि हम थ्;गद्ध के स्थान पर थ्;गद्ध ़ ब् पर विचार करें तो पाते हैं कि ∫ंइ ि;द्ध कग त्र ख्थ्; द्ध ़ ब्, इं त्र ख्थ्; द्ध ़ ं ़ ब्, त्र इं गग इ ब्, दृख्थ्; द्ध थ्; द्धदृ थ्; द्ध इस प्रकार निश्िचत समाकलन का मान ज्ञात करने में स्वेच्छ अचर विलुप्त हो जाता है। ;पपद्ध ख्थ्; द्ध,ंइ त्र थ्;इद्ध दृ थ्;ंद्ध ज्ञात कीजिए, जो कि ∫ इ िगकग का मान है। ग ;द्ध ं अब हम वुफछ उदाहरणों पर विचार करते हैं। उदाहरण 28 निम्नलिख्िात समाकलनों का मान ज्ञात कीजिए। 3 9 ग 2 ग कग ;पद्ध ∫ ग 2 कग ;पपद्ध ∫ 3 कग ;पपपद्ध ∫ 1; 2 42 ग ़1द्ध ; ग ़ 2द्ध ;30 दृ ग2द्ध π 4 ;पअद्ध ∫0 ेपद 32 ज बवे 2 ज कज हल 3 ;पद्ध मान लीजिए प् त्र∫ 3 ग 2 कग है। क्योंकि ग 2 कग त्र ग त्र ग थ्; द्ध 2 ∫ 3 इसलिए द्वितीय आधरभूत प्रमेय से हम पाते हैं कि 27 8 19 प् त्र थ्;3द्ध दृथ्;2द्ध त्र दृ त्र 333 ग ;पपद्ध मान लीजिए कि प्9 कग सवर्प्रथम हम समाकल्य का प्रतिअवकलज ज्ञात करते हैं। त्र∫43 2 ;30 दृ ग द्ध2 3 2 30 दृ ग2 त्र ज रखनेपर दृ3 ग कग त्र कज अथवा ग कग त्र दृ कज 2 3 ⎡⎤ ⎡⎤ 2 कज 21 2 ⎢ 1 ⎥ थ्; द्ध इस प्रकार कग त्र दृ त्र ⎢⎥ त्र त्र ग ∫ 3 ∫2 ⎢ 3 ⎥ 3 ⎣⎦ 3 जज 3 ;30 दृ ग2 द्ध2 ⎢⎣;30 दृ ग2द्ध ⎥⎦ इसलिए कलन की द्वितीय आधरभूत प्रमेय से हम पाते हैंः ⎡⎤9 2 ⎢ 1 ⎥ प् त्र थ्;9द्ध दृ थ्;4द्ध त्र 2 ⎡ 11 ⎤ 2 ⎡11 ⎤ 19 ⎢ 3 ⎥ त्र ⎢ −⎥ त्र −त्र 3 ⎢⎥ ⎢;30 दृ ग 2द्ध ⎥ 3 ⎣;30दृ 27द्ध 30दृ 8 ⎦3 ⎣3 22 ⎦ 99 ⎣⎦4 ;पपपद्ध मान लीजिए प् त्र ग कग ∫12 ; ग ़1द्ध ; ग ़ 2द्ध आंश्िाक भ्िान्न का उपयोग करते हुए हम पाते हैं कि ग दृ1 2 त्ऱ ;ग ़1द्ध ; ग ़ 2द्ध ग ़1 ग ़ 2 ∫ ग कग इसलिए त्र दृ सवह ग ़1 ़ 2 सवह ग ़ 2 त्र थ्; द्ध ग ;ग ़ 1द्ध ; ग ़ 2द्ध अतः कलन की द्वितीय आधरभूत प्रमेय से हम पाते हैं कि प् त्र थ्;2द्ध दृ थ्;1द्ध त्र ख्दृ सवह3 ़ 2 सवह4, दृ ख्दृ सवह2 ़ 2 सवह3, ⎛ 32 ⎞ त्र दृ 3 सवह3 ़ सवह2 ़ 2 सवह4 त्र सवह ⎜⎟ ⎝ 27 ⎠ π ;पअद्ध मान लीजिए, 34 0 प् ेपद 2ज बवे2 ज कज त्र ∫ ण् अब 3ेपद ∫ 2ज बवे2 ज कज पर विचार कीजिए 1 ेपद 2ज त्र न रखने पर 2 बवे 2ज कज त्र कन अथवा बवे 2ज कज त्र कन 2 3 13 अतः ेपद 2ज बवे2 ज कज त्र न कन ∫ 2 ∫ 141 4 ख्न , त्र ेपद 2ज त्र थ्; द्ध ज मान लीजिए त्र 88 इसलिए कलन की द्वितीय आधरभूत प्रमेय से π 14 π 41 प् त्र थ्; द्धदृथ्;0द्ध त्र ख्ेपद दृ ेपद 0, त्र 482 8 प्रश्नावली 7.9 1 से 20 तक के प्रश्नों में निश्िचत समाकलनों का मान ज्ञात कीजिए। 1ण् 1 1; 1द्ध ग − ़∫ कग 2ण् ∫ 3 2 1 ग कग 3ण् ∫ 2 3 1 ;4 ग 2दृ 5 ग 6 9द्ध ग कग ़ ़ π π π 4ण् ∫ 4 0 ेपद 2ग कग 5ण् ∫ 2 0 बवे 2ग कग 6ण् ∫ 5 4 ग म कग 7ण् ∫ 4 0 जंद ग कग π 8ण् 4 6 बवेमब ग कग ∫ π 9ण् ∫ 1 0 21दृ कग ग 10ण् ∫ 1 20 1 कग ़ ग 11ण् ∫ 3 22 1 कग ग − 12ण् ∫ 22 0 बवे π ग कग 13ण् ∫ 3 22 1 ग कग ग ़ 14ण् 1 20 2 3 5 1 ग कग ग ़ ़∫ 15ण् 21 0 ग ग म कग ∫ 16ण् 2 21 ग ∫ 25 4 3 ग ग़ ़ 17ण् 24 0 ;2 ेमब π ∫ ग ़ 3 ग ़ 2द्ध कग 18ण् 2 0 ;ेपद π ∫ 2 ग 2 दृ बवे द्ध 2 ग कग 19ण् 2 20 6 3 4 ग ग ़ ़∫ कग 20ण् 1 0 ; ग ग म ∫ ेपद ़ द्ध 4 ग कग π प्रश्न 21 एवं 22 में सही उत्तर का चयन कीजिए। 21ण् 3 कग बराबर हैः ∫ 2 11़ ग π 2ππ π ;।द्ध ;ठद्ध ;ब्द्ध ;क्द्ध 3 36 12 2 22ण् बराबर हैः ∫ 3 कग 2 04 ़ 9 ग π πππ ;।द्ध ;ठद्ध ;ब्द्ध ;क्द्ध 6 12 24 4 7ण्9 प्रतिस्थापन द्वारा निश्िचत समाकलनों का मान ज्ञात करना ;म्अंसनंजपवद व िक्मपिदपजम प्दजमहतंसे इल ैनइेजपजनजपवदद्ध पिछले परिच्छेदों में हमने अनिश्िचत समाकलन ज्ञात करने की अनेक विध्ियों की चचार् की है। अनिश्िचत समाकलन ज्ञात करने की महत्वपूणर् विध्ियों में एक विध्ि प्रतिस्थापन विध्ि है। प्रतिस्थापन विध्ि से ∫ इ ि;द्ध ग कग ए का मान ज्ञात करने के लिए आवश्यक चरण निम्नलिख्िात हैः ं 1ण् समाकलन के बारे में सीमाओं के बिना विचार कीजिए और ल त्र ि;गद्ध अथवा ग त्र ह ;लद्ध प्रतिस्थापित कीजिए ताकि दिया हुआ समाकलन एक ज्ञात रूप में परिवतिर्त हो जाए। 2ण् समाकलन अचर की व्याख्या किए बिना नए समाकल्य का नए चर के सापेक्ष समाकलन कीजिए। 3ण् नए चर के स्थान पर पुनः प्रतिस्थापन कीजिए और उत्तर को मूल चर के रूप में लिख्िाए। 4ण् चरण ;3द्ध से प्राप्त उत्तर का समाकलन की दी हुइर् सीमाओं पर मान ज्ञात कीजिए और उच्च सीमा वाले मान से निम्न सीमा वाले मान का अंतर ज्ञात कीजिए। आइए इसे हम उदाहरणों से समझते हैं। 4 5 उदाहरण 29 ∫− 115गग ़1 कग का मान ज्ञात कीजिए। 5 हल ज त्र ग ़ 1ए रखने पर कज त्र 5ग 4 कग 33 2225 2 इसलिए 5ग 4 ग 5 ़1 कग त्र ज कज त्र ज त्र ; ग ़1द्ध ∫ ∫33 3 ⎡⎤ 1 45 25 अतः 5गग ़1 कग त्र ⎢; ग ़ 1द्ध 2 ⎥ ∫− 11 3 ⎢⎥ ⎣⎦दृ1 ⎡ 33 ⎤ 252 52 त्र ⎢;1 ़1द्ध दृ ;;दृ 1द्ध ़1द्ध⎥ 3 ⎢⎣ ⎥⎦ 2 ⎡ 33 ⎤ 2 4 2 22 त्र ⎢2 − 0 ⎥ ;2 2द्ध त्र त्र 3 33 ⎢⎥ ⎣⎦ विकल्पतः सवर्प्रथम हम समाकलन का रूपांतरण करते हैं और तब रूपांतरित समाकलन का नयी सीमाओं के अनुसार मान ज्ञात करते हैं। मान लीजिए ज त्र ग 5 ़ 1ण् तब कज त्र 5 ग 4 कग नोट कीजिए कि जब ग त्र दृ 1 तो ज त्र 0 और जब ग त्र 1तो ज त्र 2 अतः जैसे - जैसे गए दृ 1 से 1 तक परिवतिर्त होता है वैसे - वैसे ज, 0 से 2 तक परिवतिर्त होता है। इसलिए 5ग 4 ग 5 ़1 कग त्र ज कज ∫− 11 ∫02 3 33 ⎡⎤ 2 ⎡⎤ 22 2 2 22 त्र ⎢ज ⎥त्र ⎢2 दृ0 ⎥ त्र ;2 2द्ध त्र 42 3 ⎢⎣ ⎦⎥ 03 ⎢⎣ ⎥⎦33 दृ1 1 जंद ग उदाहरण 30 कग का मान ज्ञात कीजिए। ∫ 2 01 ़ ग 1 π हल मान लीजिए ज त्र जंद दृ 1गए तब कज त्र 2 कग ण् जब ग त्र 0 तोज त्र 0 और जब ग त्र 1 तो ज त्र 1़ ग 4 π अतः जैसे - जैसे गए 0 से 1 तक परिवतिर्त होता है वैसे - वेैसे जए 0 से तक परिवतिर्त होता है। 4 π दृ1 222 1 जंद ग 4 π⎡ज ⎤ 41 ⎡π ⎤π इसलिए कग त्र ∫ज कज ⎢⎥ त्र ⎢ दृ0 ⎥त्र ∫01़ ग 20 ⎣ 2 ⎦02 ⎣16 ⎦ 32 प्रश्नावली 7.10 1 से 8 तक के प्रश्नों समाकलनों का मान प्रतिस्थापन का उपयोग करते हुए ज्ञात कीजिए। π 1 ⎛ 2 ग ग ⎞ कग 2 1ण् ∫ 12 2ण् ेपद φ बवे 5 φ क φ 3ण् ∫ ेपद दृ 1 ⎜ 2 ⎟ कग 01 ∫0 ग ़ 0 ⎝ 1़ ग ⎠ π 2 ेपद ग 4ण् ∫0 ग ग ़ 2 कग ;ग ़ 2 त्र ज2 रख्िाएद्ध 5ण् 22 कग ∫0 1 ़ बवे ग 2 कग 1 कग 2 ⎛ 11 ⎞ 2ग 6ण् ∫02 7ण् ∫−12 8ण् ∫1 ⎜ दृ2 ⎟ म कग ग ़ 4दृ गग ़ 2ग ़ 5 ⎝ ग 2ग ⎠ प्रश्न 9 एवं 10 में सही उत्तर का चयन कीजिए। 1 3 1;ग − ग द्ध3 9ण् समाकलन कग का मान हैः ∫14 ग 3 ;।द्ध6 ;ठद्ध0 ;ब्द्ध3 ;क्द्ध4 10ण् यदि ि;गद्ध त्र ज ेपद ज कज ए तब ि′;गद्ध हैः ∫0 ग ;।द्ध बवे ग ़ ग ेपद ग ;ठद्ध ग ेपद ग ;ब्द्ध ग बवे ग ;क्द्ध ेपद ग ़ ग बवे ग 7ण्10 निश्िचत समाकलनों के वुफछ गुणध्मर् ;ैवउम च्तवचमतजपमे व िक्मपिदपजम प्दजमहतंसेद्ध निश्िचत समाकलनों के वुफछ महत्वपूणर् गुणध्मो± को हम नीचे सूचीब( करते हैं। ये गुण ध्मर् निश्िचत समाकलनों का मान आसानी से ज्ञात करने में उपयोगी होंगे। ∫ंइ ∫ंइ च्0 रू ि;द्ध त्र ि;द्ध कज गकग ज च्रू इ ि;द्ध ग कग त्र दृ ं ि;द्ध ए विश्िाष्टतया ∫ ं ;द्ध कग त्र 0 गकग गि 1 ∫ं ∫ ं इ इबइ च्2 रू िगकग त्र ि;द्ध कग ़ ि;द्ध कग ंइए ;द्ध गग , एब वास्तविक संख्याएँ हैं। ∫ं ∫ं ∫ब ;द्ध − द्ध च् रू िगकग त्र ि;ं ़ इ गकग 3∫ इ ∫ इ ं च् रू ं ि;द्ध ग कग त्र ं ि;ं − गद्ध कग ;ध्यान दीजिए कि च् ए च्3 की एक विश्िाष्ट स्िथति हैद्ध 4∫∫ 4 00 2ंं च् रू िगकग त्र ि;द्ध कग ़ ंि − गद्ध कग ;द्ध ग ;2 5∫0 ∫0 ∫0 2ं च्6 रू ∫ ि;द्ध ग कग त्र 2 िगकग ए यदि ि;2 ं − गद्ध ग ;द्ध त्र ि;द्ध 0 ∫ 0 त्र 0ए यदि ि;2ं दृ गद्ध त्र दृ ि;गद्ध च् रू ि;द्ध कग त्र 2 ि;द्ध ;पद्ध ग गकग ए यदि िएक सम पफलन है अथार्त् यदि ि;दृ गद्ध त्र ि;गद्ध 7∫− ं ∫ 0 ं ;पपद्ध ं ि;द्ध त्र 0ए यदि िएक विषम पफलन है अथार्त् यदि ि;दृगद्ध त्र दृ ि;गद्ध ग कग ∫− ं एक - एक करके हम इन गुणध्मो± की उपपिा करते हैं। च्0 की उपपिा ग त्र ज प्रतिस्थापन करने पर सीध्े प्राप्त होती है। च्1 की उपपिा मान लीजिए कि िका प्रतिअवकलज थ् है। तब कलन की द्वितीय आधरभूत प्रमेय से हम पाते हैं कि इ ि;द्ध कग त्र इं त्र दृख्थ्; द्ध − थ्; द्ध, इ त्र− ं िग ग थ्; द्धदृथ्; द्ध ं ;द्ध कग ए ∫ं ∫इ ग 0 यहाँ हम पे्रक्ष्िात करते हैं कि यदि ं त्र इए तब ं ि;द्ध कग त्र ∫ं च्2 की उपपिा मान लीजिए कि िका प्रतिअवकलज थ् है, तब ∫ंइ ि;द्ध ग कग त्र थ्;इद्ध दृ थ्;ंद्ध ण्ण्ण् ;1द्ध ∫ंब ि;द्ध ग कग त्र थ्;बद्ध दृ थ्;ंद्ध ण्ण्ण् ;2द्ध ∫बइ और ि;द्ध ग कग त्र थ्;इद्ध दृ थ्;बद्ध ण्ण्ण् ;3द्ध ;2द्ध और ;3द्ध को जोड़ने पर हम पाते हैं कि बइ इ ;द्ध कग ़ ि;द्ध ;द्ध ग कग िग गकग त्र थ्;इद्ध दृ थ्;ंद्ध त्र ि ∫ं ∫ ब ∫ ं इससे गुणध्मर् च्2 सि( होता है। च्3 की उपपिा मान लीजिए कि ज त्र ं ़ इ दृ गण् तब कज त्र दृ कगण् जब ग त्र ं तबए ज त्र इ और जब ग त्र इ तब ज त्र ंण् इसलिए ∫इ ि;द्ध कग त्र −∫ ं ि;ं ़ इ दृ जद्ध ग कज ंइ इ त्र ि;ं़ इ दृ जद्ध कज ;च्सेद्ध ∫1 ं ∫ंइ त्र ि;ं ़ इ दृ गद्ध कग ;च्0 सेद्ध च्4 की उपपिा ज त्र ं दृ ग रख्िाए और च्3 की तरह आगे बढि़ए। अब कज त्र दृ कगए जब ग त्र ंए ज त्र 0 च्5 की उपपिा च्2ए का उपयोग करते हुए हम पाते हैं कि 2ं 2ं ∫ ि;द्ध त्र ∫ िग कग ़∫ ि;द्ध ग कग ;द्ध ग कग 00 ं दाएँ पक्ष के दूसरे समाकलन में ज त्र 2ं दृ ग प्रतिस्थापित कीजिए, तब कज त्र दृ कग और जब ग त्र ंए तब ज त्र ं और जब ग त्र 2ंए तब ज त्र 0 और ग त्र 2ं दृ ज भी प्राप्त होता है। इसलिए दूसरा समाकलन 2ं 0 ग कग कज ि;द्ध त्रदृ ि;2 ं दृ जद्ध ∫ं ∫ं ∫0 ं ∫ ं त्र ि;2 ं दृ जद्ध कज त्र ि;2 ं दृ गद्ध कग प्राप्त होता है। 0 2ं ं अतः ि;द्ध कग त्र ि;द्ध कग ़ ंि − गद्ध कग गग ;2 ∫0 ∫0 ∫0 च्6 की उपपिाच्5ए का उपयोग करते हुए हम पाते हैं कि 2ं ं ग कग ∫0 ि;द्ध त्र ∫ ि;द्ध ग कग ़∫ ि;2 ं − गद्ध कग ण्ण्ण् ;1द्ध 00 अब यदि ि;2ं दृ गद्ध त्र ि;गद्धए तो ;1द्ध निम्नलिख्िात रूप में परिवतिर्त हो जाता है ं ं ि;द्ध कग त्र िग कग ़ ि;द्ध कग त्र 2 ि;द्ध कग ग ;द्ध गग ∫02ं ∫0 ∫0 ∫ 0 और यदि ि;2ं दृ गद्ध त्रदृ ि;गद्धए तब ;1द्ध निम्नलिख्िात रूप में परिवतिर्त हो जाता हैं 2ं ं ि;द्ध कग त्र िग कग − ि;द्ध ग ;द्ध ग कग त्र 0 ∫0 ∫0 ∫0 च् की उपपिा 7 ं 0 ं ;द्ध ग ि;द्ध च्का उपयोग करते हुए हम पाते हैं कि िगकग त्र ि;द्ध कग ़ ग कग 2 ∫−ं ∫− ं ∫0 दायें पक्ष के प्रथम समाकलन में ज त्र दृ ग रखने पर कज त्र दृ कग जब ग त्र दृ ं तब ज त्र ं और जब ग त्र 0ए तब ज त्र 0 और ग त्र दृ ज भी प्राप्त होता है। ं 0 ं ग गि गकग इसलिए ि;द्ध कग त्र ;द्ध कग ़ ि;द्ध ∫−ं ∫− ं ∫ 0 त्र ं ि;दृ गद्ध कग ़ ं िगकग सेद्ध ण्ण्ण् ;1द्ध ∫∫; द्ध ;च्0 00 ;पद्ध अब यदि िएक सम पफलन है तब ि;दृगद्ध त्र ि;गद्ध तो ;1द्ध से प्राप्त होता है कि ंं ं ि;द्ध त्र ि;द्ध ़ िगकग त्र 2 ग कग ;द्ध ि;द्ध गकग गकग ∫− ं ∫0 ∫ 0 ∫ 0 ;पपद्ध यदि िविषम पफलन है तब ि;दृगद्ध त्र दृ ि;गद्ध तो ;1द्ध से प्राप्त होता है कि ं ं ;द्ध त्र− ि;द्ध ़ िगकग त्र 0 िगकग गकग ;द्ध ∫− ं ∫ 0 ∫0 3 ग दृ ग कग का मान ज्ञात कीजिए। ∫−1 हल हम देखते हैं कि ख् दृ1ए 0, पर ग3 दृ ग ≥ 0 औरख्0ए 1, पर ग3 दृ ग ≤ 0 और ख्1ए 2, पर ग3 दृ ग ≥ 0 तब हम लिख सकते हैं कि 4 त्र2 कग त्र ;1 − बवे2 द्धकग ग ∫∫ उदाहरण 31 2 ∫−2 1 3 ग दृ ग कग त्र ∫− 0 1; ग 3 ∫0 1 दृ गद्ध कग ़ दृ ; ग 3 दृ गद्ध कग ़ ∫1 2 ; ग 3 दृ गद्ध कग ;च्सेद्ध2 त्र ∫− 0 1;ग 3 ∫0 1 दृ गद्ध कग ़ ;ग ∫1 2 दृ ग 3 द्ध कग ़ ;ग 3 दृ गद्ध कग ⎡ ग 4 ग ⎤02 ⎡ ग 2 4 ग ⎤1 ⎡ ग 4 ग ⎤22 त्र ⎢ ⎣ 4 दृ 2 ⎦ दृ1 ⎥ ़ ⎢ ⎣ 2 दृ 4 ⎦0 ⎥ ़ ⎢ ⎣ 4 दृ 2 ⎦1 ⎥ त्र दृ ⎛ 1 ⎝ 4 ⎜ दृ 1 2 ⎞ ⎛ 1 ⎠ ⎝ 2 ़⎟ ⎜ दृ 1 4 ⎟ ़ ;4 दृ 2 द्ध दृ ⎞ ⎠ ⎛ 1 ⎝ 4 ⎜ दृ 1 ⎞ 2 ⎠⎟ त्र दृ 1 ़ 1 ़ 1 − 1 ़ 2 − 1 ़ 1 त्र 3 − 3 ़ 2 11 त्र 4 2 2 4 4 2 2 4 4 π उदाहरण 32 ∫ 4 ेपद 2 दृ π ग कग का मान ज्ञात कीजिए। 4 हल हम प्रेक्ष्िात करते हैं कि ेपद2 ग एक सम पफलन है। π π इसलिए ∫ 4 ेपद 2 दृ π ग कग त्र ∫0 42 ेपद 2 ग कग ख्च्7 ;1द्धसे, 4 π ;1 − बवे 2 ग द्ध 4 π 02 0 π 14 ⎛π 1 π⎞ π 1 ⎡⎤ दृ ेपद दृ0 त्र दृ त्र ग दृ ेपद 2 ग त्र ⎜⎟ ⎢⎥ ⎣ 2 ⎦0 ⎝ 42 2 ⎠ 42 π ग ेपद ग उदाहरण 33 कग का मान ज्ञात कीजिए। ∫2 01 ़ बवे ग π गेपद ग π ;π− गद्धेपद ; π− गद्ध कग हल मान लीजिए कि प् त्र ∫2 कग त्र ∫ ;च्सेद्ध 01 ़ बवे ग 01 ़ बवे 2;π− गद्ध4 π ;π− गद्धेपद ग कग π ेपद ग कग त्र त्र π− प् ∫2 ∫ 01़ बवे ग 01 ़ बवे 2 ग π ेपद ग कग अथवा 2 प् त्र π ∫ 2 01 ़ बवे ग ππ ेपद ग कग अथवा प् त्र ∫ 2 2 01 ़ बवे ग बवे ग त्र ज रखने पर दृ ेपद ग कग त्र कज जब ग त्र 0 तब ज त्र 1 और जब ग त्र π तब ज त्र दृ 1 है। इसलिए हम पाते हैं कि दृ π−1 कज π 1 कज प् त्रत्र ;च्सेद्ध 1 2 ∫11 ़ ज 22 ∫− 1 ़ ज 21 1 कज 1 त्र π∫ 2 क्योंकि 2 एक समपफलन है ;च्7 सेद्ध 01़ ज 1़ ज 2 दृ1 1 दृ1 −1 ⎡π ⎤π π⎡जंद ज⎤ त्रπ ⎡जंद 1दृजंद 0⎤त्रπ दृ0 त्र त्र ⎣⎦0 ⎣ ⎦⎢⎥ ⎣ 4 ⎦ 4 उदाहरण 34 1 ेपद 5 ग बवे 4 ग कग का मान ज्ञात कीजिए। ∫−1 4 हल मान लीजिए कि प् त्र 1 ेपद 5 गबवे 4 ग कग और ि;गद्ध त्र ेपद5 ग बवे ग ∫−1 तब ;िदृ गद्ध त्र ेपद5 ;दृ गद्ध बवे4 ;दृ गद्ध त्र दृ ेपद5 ग बवे4 ग त्र दृ ि;गद्धए अथार्त् िएक विषम पफलन है इसलिए प् त्र 0 ख्च्7 ;पपद्ध से, π 2 ेपद 4 ग उदाहरण 35 कग का मान ज्ञात कीजिए। ∫ 44 0 ेपद ग ़ बवे ग π ेपद 4 ग हल मान लीजिए कि प् त्र 2 कग ण्ण्ण् ;1द्ध ∫ 44 0 ेपद ग ़ बवे ग π π ेपद 4 ; − गद्ध तब प् त्र ∫02 4 π 24 π ;च्4 सेद्ध कग ेपद ; − गद्ध ़ बवे ; − गद्ध 22 π 4 बवे ग त्र24 4 कग ण्ण्ण् ;2द्ध ∫0 बवे ग ़ ेपद ग ;1द्ध और ;2द्ध को जोड़ने पर हम पाते हैं कि π ππ 2 ेपद 4 ग ़ बवे 4 ग 22 π 2प् त्र कग त्र कग त्र ख्, ग त्र ∫ 44 ∫ 0 00 ेपद ग ़ बवे ग 2 πअतः प् त्र 4 π ∫π कग उदाहरण 36 3 का मान ज्ञात कीजिए। 1 ़ जंद ग 6 ππ कग बवे ग कग हल मान लीजिए कि प् त्र 3 त्र 3 ण्ण्ण् ;1द्ध ∫π ∫π 1 ़ जंद ग बवे ग ़ ेपद ग 66 ⎛ππ ⎞ बवे ़− ग कग π ⎜⎟ 3 ⎝ 36 ⎠ तब प् त्र ;च्3 सेद्ध ∫ π ⎛ππ⎞ ⎛ππ⎞ 6 बवे ़− ग ़ ेपद ़− ग ⎜ ⎟⎜⎟ ⎝ 36 ⎠⎝ 36 ⎠ π 3 ेपद ग त्र कग ण्ण्ण् ;2द्ध ∫π ेपद ग ़ बवे ग 6 ππ 33 π ;1द्ध और ;2द्ध को जोड़ने पर हम पाते हैं कि 2प् त्र ∫π कग त्रख् , ग π त्रπ− त्रπ 36 6 π 66 अतः प् त्र 12 π उदाहरण 37 ∫02 सवह ेपद ग कग का मान ज्ञात कीजिए। π हल मान लीजिए कि प् त्र 2 सवहेपद ग कग ∫0 π ⎛π⎞ π तब प् त्र 2 सवहेपद − ग कग त्र 2सवह बवे ग कग ;च्4 सेद्ध ∫0 ⎜ ⎟∫ 0 ⎝ 2 ⎠ प्ए के दोनों मानों को जोड़ने पर हम पाते हैं π ∫02 2प् त्र ; सवह ेपद ग ़ सवह बवे गद्ध कग π त्र2 ; सवह ेपद ग बवे ग ़ सवह2 − सवह2 द्ध कग ; सवह 2 जोड़ने एवं घटाने परद्ध ∫0 ππ त्र 2सवहेपद2 ग कग − 2 सवह 2 कग ;क्योंघ्द्ध ∫0 ∫0 π प्रथम समाकलन में 2ग त्र ज रखने पर 2 कग त्र कज जब ग त्र 0 तो ज त्र 0 और जब ग त्र तोज त्र π 2 1 ππ इसलिए 2प् त्र सवहेपद ज कज − सवह 2 2 ∫02 22 ππ त्र सवह ेपद ज कज − सवह 2 ख्च्6 से क्योंकि ेपद ;π दृ जद्ध त्र ेपद जद्ध 2 ∫02 π ∫02 π 2 त्र सवह ेपद ग कग − सवह2 ;चर ज को ग में परिवतिर्त करने परद्ध π प् − सवह 2 त्र 2 π 2दृ π अतः सवह ेपद ग कग त्र सवह 2 ∫02 प्रश्नावली 7.11 निश्िचत समाकलनों के गुणध्मो± का उपयोग करते हुए 1 से 19 तक के प्रश्नों में समाकलनों का मान ज्ञात कीजिए। 3 π ππ 2 ेपद 2 ग कग कग 3ण् 1ण् 2 बवे ग कग 2ण् ∫ 2 ∫ 33 0 ∫ 20 0 ेपद 2 ग ़ बवे 2 ग 58 π बवे 5 ग कग 4ण् 2 5ण् द्य ग ़ 2द्य कग 6ण् ग − 5 कग ∫ 55 ∫∫ 0 − 52 ेपद ग ़ बवे ग π 1द्धद 42 7ण् ∫ ग ;1 − ग कग 8ण् ∫ सवह ;1 ़ जंद गद्ध कग 9ण् ∫ ग 0 00 ππ 2 22 10ण् ;2 सवह ेपद ग − सवहेपद2 द्ध कग ेपद ग कग ग 11ण् ∫0 ∫ दृ π 2 π π ग कग 27 π 5 12ण् 13ण् ेपद ग कग 14ण् बवे ग कग ∫∫ दृ π∫02 01 ़ ेपद ग 2 π ेपद ग − बवे ग π ं ग 15ण् 2 कग 16ण् सवह ;1 ़ बवे गद्ध कग 17ण् ∫0 कग ∫0 ∫ 1 ़ ेपद ग बवे ग 0 ∫04 18ण् ग −1 कग ;द्ध;द्ध ग ि;द्ध 19ण् दशार्इए कि ंगिह कग त्र 2 ं गकग ए यदि िऔर ह को ि;गद्ध त्र ि;ं दृ गद्ध एवं ∫0 ∫0 ह;गद्ध ़ ह;ं दृ गद्ध त्र 4 के रूप में परिभाष्िात किया गया है। प्रश्न 20 एवं 21 में सही उत्तर का चयन कीजिए। π 23 5 20ण् ; ग ़ ग बवे ग ़ जंद ग ़1द्ध कग का मान हैः ∫ −π 2 ;।द्ध0 ;ठद्ध2 ;ब्द्ध π ;क्द्ध 1 π 2 ⎛ 4 ़ 3 ेपद ग ⎞ 21ण् सवह कग का मान हैः ∫⎜ ⎟ 04 ़ 3 बवे ग ⎝⎠ 3 ;।द्ध2 ;ठद्ध ;ब्द्ध0 ;क्द्धदृ2 4 विविध् उदाहरण उदाहरण 38 बवे 6 ग 1़ ेपद 6 ग कग ज्ञात कीजिए। ∫ हल ज त्र 1 ़ ेपद 6गए रखने पर कज त्र 6 बवे 6ग कग 1 1 इसलिए बवे 6 ग 1़ ेपद 6 ग कग त्र ज 2 कज ∫ 6 ∫ 33 12 1 त्र × ;द्ध ज 2 ़ ब्त्र ;1 ़ ेपद6 द्ध 2 ग ़ ब् 63 9 1 ;ग 4 − गद्ध उदाहरण 39 4 कग ज्ञात कीजिए। ∫ 5 ग 1 11 4 4 4;1 − 3द्ध ;ग − गद्ध हल हम प्राप्त करते हैं कि ग कग त्र कग ∫ 5 ∫ 4 गग 13 अब 1− 3 त्र 1दृ ग दृ3 त्र जए रखने पर 4 कग त्र कज गग 1 ;ग − गद्ध इसलिए 44 कग त्र1 ∫ज 1 कज ∫54 ग 3 5 145 4 ⎛ 1 ⎞4 त्र × ज4 ़ ब्त्र 1 −़ ब् ⎜⎟ 35 15 ⎝ ग 3 ⎠ ग 4 कग उदाहरण 40 ∫ 2 ज्ञात कीजिए। ;ग −1द्ध ; ग ़1द्ध ग 41 त्र ; ग ़1द्ध ़ हल हम प्राप्त करते हैं कि 2 32 ;ग −1द्ध; ग ़1द्ध ग − ग ़ ग −1 1 त्र ;ग ़1द्ध ़ 2 ण्ण्ण् ;1द्ध ;ग −1द्ध ; ग ़ 1द्ध 1 ।ठग ़ ब् अब 2 त्ऱ 2 के रूप में अभ्िाव्यक्त करते हैं ण्ण्ण् ;2द्ध ;ग −1द्ध; ग ़1द्ध ; ग −1द्ध ;ग ़1द्ध इसलिए 1 त्र। ;ग 2 ़ 1द्ध ़ ;ठग ़ ब्द्ध ;ग दृ 1द्ध त्र;। ़ ठद्ध ग 2 ़ ;ब् दृ ठद्ध ग ़ । दृ ब् दोनों पक्षों के गुणांकों की तुलना करने पर हम पाते हैं कि । ़ ठ त्र 0ए ब् दृ ठ त्र 0 और । दृ ब् त्र 1ए जिससे प्राप्त होता है कि । त्र 1एठ त्र ब् त्र दृ1 22 ।ए ठ एवं ब् का मान ;2द्ध में प्रतिस्थापित करने पर हम पाते हैं कि 1 11 ग 1 त्र− − 2 2 2 ण्ण्ण् ;3द्ध ;ग −1द्ध ; ग ़1द्ध 2; ग −1द्ध 2;ग ़1द्ध 2; ग ़1द्ध ;3द्ध को ;1द्ध में प्रतिस्थापित करने पर हम पाते हैं कि ग 4 11 ग 1 त्र ; ग ़1द्ध ़− − 2 22 ;ग −1द्ध ; ग ़ ग ़1द्ध 2; ग −1द्ध 2; ग ़1द्ध 2; ग ़1द्ध इसलिए ग 4 ग 21 1 2 1दृ1 कग त्ऱ ग ़ सवह ग − 1 दृ सवह ; ग ़ 1द्ध दृ जंद ग ़ ब् ∫ 2 ;ग −1द्ध ; ग ़ ग ़1द्ध 224 2 ⎡ 1 ⎤ उदाहरण 41 ⎢सवह ;सवह गद्ध ़⎥ कग ज्ञात कीजिए ∫ 2 ⎣ ;सवह गद्ध ⎦ ⎡ 1 ⎤ हल मान लीजिए प् त्र सवह ;सवह गद्ध ़ कग ∫⎢ 2 ⎥ ⎣ ;सवह गद्ध ⎦ 1 सवह ;सवह गद्ध कग ़ कग त्र ∫∫ 2 ;सवह गद्ध आइए, प्रथम समाकलन में 1 को द्वितीय पफलन के रूप में लेते हैं। तब खंडशः समाकलन से हम पाते हैं कि प् त्र ग सवह ;सवह गद्ध −∫ 1 ग कग ़∫ कग 2 ग सवह ग ;सवह गद्ध कग कग ग सवह ;सवह गद्ध−़ त्र ∫∫ 2 ण्ण्ण् ;1द्ध सवह ग ;सवह गद्ध कग पुनः ∫ ए पर विचार कीजिए, 1 को द्वितीय पफलन के रूप में लीजिए और खंडशः सवह ग विध्ि द्वारा समाकलन कीजिए, इस प्रकार हम पाते हैं कि कग ⎡ ग ⎧ 1 ⎛ 1⎞⎫ ⎤ त्र ⎢ दृ ग ⎨दृ ⎬ कग ⎥ ण्ण्ण् ;2द्ध ∫∫ 2 ⎜⎟ सवह ग ⎣सवह ग ⎩ ;सवह गद्ध ⎝ ग⎠ ⎦ ;2द्ध को ;1द्धए में रखने पर हम पाते हैं ग कग कग प् त्र ग सवह ;सवह गद्ध −− ़ ∫ 2 ∫ 2 सवह ग ;सवह गद्ध ;सवह गद्ध ग ग सवह ;सवह गद्ध −़ ब्त्र सवह ग उदाहरण 42 ⎡ ⎤ कग ज्ञात कीजिए। ∫⎣ ⎦ अब जंद ग त्र ज2ए रखने पर ेमब2 ग कग त्र 2ज कज 2ज कज अथवा कग त्र4 1़ ज ⎛ 1 ⎞ 2ज तब प् त्र ज ⎜1 ़ 2 ⎟ 4 कज ∫ ⎝ ज ⎠ ;1 ़ ज द्ध ⎛ 1 ⎞⎛ 1 ⎞ 2 ⎜1़ 2 ⎟ कज ⎜1 ़ 2 ⎟ कज ;ज ़1द्ध ⎝ ज ⎠ ⎝⎠ ज 2 कज त्र2 2 त्र ∫ 4 ∫ त्र ∫ 2 ज ़1 ⎛ 21 ⎞⎛ 1⎞ ⎜ ज ़ 2 ⎟⎜ज −⎟ ़ 2 ⎝ ज ⎠⎝ ज⎠ 1 ⎛ 1 ⎞ पुनः ज − त्र लए रखने पर ⎜1 ़⎟ कज त्र कल ज ⎝ ज2 ⎠ ⎛ 1⎞ ज − कल ल ⎜ ⎟ ⎝⎠ दृ1 ज तब प् त्र 2∫ 2 त्र 2 जंद दृ1 ़ ब्त्र 2जंद ़ ब् 2 ल ़; 2द्ध22 दृ1 ⎛ ज 2 −1⎞ दृ1 ⎛ जंद ग −1 ⎞ 2 जंद ़ ब्त्र 2जंद ़ ब् त्र ⎜ ⎟   2 ज ⎝ 2 जंद ग ⎠ ⎝ ⎠ ेपद 2ग बवे 2ग कग उदाहरण 43 ज्ञात कीजिए। ∫ 4 9दृबवे ;2 द्ध ग ेपद 2गबवे 2 ग हल मान लीजिए कि प् त्र∫ कग 9 दृ बवे 4 2 ग अब बवे2 ;2गद्ध त्र ज रखने पर 4 ेपद 2ग बवे 2ग कग त्र दृ कज 1 कज 1 ⎛ ज ⎞ 1 ⎡1 ⎤ दृ1 − 12 इसलिए प् त्र दृ त्र दृ ेपद ़ ब् त्र− ेपद बवे 2ग ़ ब् ⎜⎟ ∫ ⎢⎥ 4 9दृ ज 24 ⎝ 3 ⎠ 4 ⎣3 ⎦ उदाहरण 44 2 कग का मान ज्ञात कीजिए। ग ेपद ; π गद्ध ∫− 1 ⎧ग े ेपद π गए −1 ≤ ग ≤ 1वफ लिए ⎪ हल यहाँ ि;गद्ध त्र द्य ग ेपद πग द्य त्र ⎨ 3 −ग ेपद π गए1 ≤ ग ≤ वे फ लिए ⎪ ⎩ 2 33 1 इसलिए ∫2द्य ग ेपद π ग द्य कग त्र ∫ ग ेपद π ग कग ़∫ 2 − ग ेपद π ग कग − 1 −11 3 1 त्र2 ग ेपद π ग कग − ग ेपद π ग कग ∫−1 ∫1 दायें पक्ष के दोनों समाकलनों का समाकलन करने पर हम पाते हैं कि 3 31 2 ⎡ दृ ग बवे π ग ेपद π ग⎤ ⎡−ग बवे π ग ेपद π ग ⎤2 द्य ग ेपद π ग द्य कग त्र ़− ़ ∫−1 ⎢ 2 ⎥⎢ 2 ⎥ ⎣ π π⎦− 1 ⎣π π⎦1 2 ⎡ 11 ⎤ 31 त्र −− − त्ऱ ⎢ 2 ⎥ 2 π⎣π π⎦ππ π ग कग उदाहरण 45 का मान ज्ञात कीजिए। ∫ 22 22 0 ं बवे ग ़ इ ेपद ग π ग कग π ;π− गद्ध कग हल मान लीजिए कि प् त्र ∫022 22 त्र∫022 22 ं बवे ग ़ इ ेपद गं बवे ;π− गद्ध़ इ ेपद ;π− गद्ध ;च्4के उपयोग सेद्ध π कग π ग कग त्र π− ∫ 22 22 ∫ 22 22 0 ं बवे ग ़ इ ेपद ग 0 ं बवे ग ़ इ ेपद ग ∫0 π कग त्र π− प् 22 22 ं बवे ग ़ इ ेपद ग अतः 2प् त्र π ∫π 22 कग 220 ं बवे ग ़ इ ेपद ग ππ कग ππ कग अथवा प् त्र ∫022 22 त्र⋅ 2 ∫0222 22 2 ं बवे ग ़ इ ेपद ग 2 ं बवे ग ़ इ ेपद ग ;च्6 के उपयोग सेद्ध ⎡π π⎤ ⎢ 4 कग 2 कग ⎥ त्रπ ़ ⎢∫ 2 222 ∫ 2 222 ⎥ ं ़ बवे ग़इ ेपद गं ़बवे ग़ इ ेपद ग ⎢ 0 π⎥ ⎣ 4 ⎦ ⎡π π⎤ 42 22 ⎢ ेमब ग कग बवेमब ग कग ⎥ त्रπ ़ ⎢∫ 22 2 ∫ 22 2 ⎥ ं ़इ जंद गं बवज ग़ इ ⎢ 0 π⎥ ⎣ 4 ⎦ ⎡ 10 ⎤ कज कज त्र π ⎢∫ −∫ ⎥ ;रख्िाए जंदग त्र ज और बवज ग त्र नद्ध 222 222 ं ़ इ ़ज ंन ़ इ ⎢ ⎣ 01 ⎥⎦ π⎡ इज ⎤1 π⎡ ंन ⎤0 −1 −1 त्र जंद − जंद ⎢⎥⎢ ⎥ ंइ ⎣ ं ⎦0 ंइ ⎣ इ ⎦1 π⎡ −1 इ −1 ं ⎤ त्र जंद ़ जंद ⎢⎥ ंइ ं इ ⎣ π2 त्र 2ंइ अध्याय 7 पर विविध् प्रश्नावली 1 से 24 तक के प्रश्नों के पफलनों का समाकलन कीजिए। 11 1ण् 3 2ण् ग − ग 1 ं 1 3ण् ख्संकेत रू ग त्र रख्िाए, 4ण् 3 ज ग ंग − ग 2 244 ग ;ग ़1द्ध 1 11 5ण् ख्संकेतरू त्र ए ग त्र ज6 रख्िाए, 11 11 1 ⎛ 1  23 ग2 ़ 3 ग ़ गगग3 ⎜1 ़ ग6 ⎟ ⎜⎟ ⎝⎠ 5 सवह ग 4 सवह ग 5 ग ेपद गम − म 6ण् 2 7ण् 8ण् 3 सवह ग 2 सवह ग ;ग ़1द्ध ; ग ़9द्ध ेपद; ग − ंद्ध म − म बवे ग ेपद 8 ग − बवे 8 ग 1 10ण् 22 11ण् 9ण् 2 1− 2 ेपद ग बवे ग बवे ; ग ़ ंद्ध बवे ; ग ़ इद्ध 4 −ेपद ग 3 ग 1 ग म 12ण् 13ण् गग 14ण् 22 8 ;1 ़ म द्ध ;2 ़ म द्ध;ग ़1द्ध ; ग ़ 4द्ध 1 − ग मसवह ेपदगम3 सवहग 15ण् बवे3 ग 16ण् ;ग4 ़ 1द्धदृ 1 17ण् ि′ ;ंग ़ इद्ध ख् ि;ंग ़ इद्ध,द 1 ेपद − 1 ग −बवे − 1 ग 18ण् 19ण् ए ;ग ∈ ख्0ए 1,द्ध − 1 −1 ेपद ग ़ बवे ग ेपद 3 ग ेपद ; ग ़α द्ध 1 − ग 2 ़ ेपद 2 गग 2 ़ ग ़1 20ण् 21ण् मग 22ण् 2 1 ़ ग 1 ़ बवे 2 ग ;ग ़1द्ध ;ग ़ 2द्ध ⎡ दृ1 1 − ग ग 2 ़1 सवह ; ग 2 ़1द्ध − 2 सवह ग⎤  ⎦ जंद 23ण् 24ण् 1 ़ ग ग 4 25 से 33 तक के प्रश्नों में निश्िचत समाकलनों का मान ज्ञात कीजिए। 2 π ग ⎛ 1 − ेपद ग ⎞π 4 ेपद ग बवे ग π 2 बवे ग कग म कग 25ण् 26ण् कग 27ण् ∫π ⎝⎜ 1दृ बवे ग ⎠⎟ ∫04 4 ∫02 2 2 बवे ग ़ ेपद ग बवे ग ़ 4 ेपद ग π π 3 ेपद ग ़ बवे ग 1 कग 4 ेपद ग ़ बवे ग 28ण् कग 29ण् 30ण् कग ∫π ेपद 2 ग ∫0 1़ ग − ग ∫09 ़ 16 ेपद 2 ग 6 π π ग जंद ग 2 −1 31ण् ेपद 2 ग जंद ;ेपद गद्ध कग 32ण् कग ∫0 ∫0 ेमब ग ़ जंद ग ग −1द्य ़ द्य ग − 2द्य ़ द्य ग − 3 द्ध कग 33ण् 4 ; ∫1 निम्नलिख्िात को सि( कीजिए;प्रश्न 34 से 39 तकद्ध । 3 कग 22 1 ग गम 1 ग ; ग ़1द्ध 33 0 117 4 π 2 34ण् ∫ 2 त्ऱ सवह 35ण् ∫ कग त्र1 36ण् ∫ ग बवे ग कग त्र 0 37ण् 2 ेपद 3 ग कग त्र −1 ∫0 π 1 π 43 − 1 38ण् 2 जंद ग कग त्र1 − सवह 2 39ण् ेपद ग कग त्र−1 ∫0 ∫02 2−3 ग 40ण् योगपफल की सीमा के रूप में 1 म कग का मान ज्ञात कीजिए। ∫0 41 से 44 तक के प्रश्नों में सही उत्तर का चयन कीजिए। 41ण् कग बराबर हैः ∫ ग − ग म ़ म दृ ;।द्ध जंददृ1 ;मगद्ध ़ ब् ;ठद्ध जंददृ1 ;मगद्ध ़ ब् दृ दृ ;ब्द्ध सवह ;मग दृ मगद्ध ़ ब् ;क्द्ध सवह ;मग ़ मगद्ध ़ ब् बवे2 ग 42ण् कग बराबर हैः ∫ 2 ;ेपद ग ़ बवे गद्ध दृ1 ;।द्ध ़ ब् ;ठद्ध सवह द्येपद ग ़ बवे ग द्य ़ ब् ेपद ग ़ बवे ग 1 ;ब्द्ध सवह द्येपद ग −बवे ग द्य ़ ब् ;क्द्ध 2 ;ेपद ग ़ बवे गद्ध 43ण् यदि ि;ं ़ इ दृ गद्ध त्र ि;गद्धए तो इग िगकग बराबर हैः ∫ं ;द्ध ं ़ इइ ं ़ इइ ;।द्ध ि;इ − गद्ध कग ;ठद्ध ि;इ ़ गद्ध कग ं 2 ∫ं 2 ∫ इ − ंइ ं ़ इइ ग ;द्ध ;ब्द्ध ि;द्ध कग ;क्द्ध िगकग ं 2 ∫ ं 2 ∫ 1 −1 ⎛ 2 ग −1 ⎞ 44ण् ∫जंद ⎜ 2 ⎟ कग का मान हैः 0 ⎝1 ़ ग − ग ⎠ π ;।द्ध 1 ;ठद्ध0 ;ब्द्धदृ1 ;क्द्ध 4 सारांश ऽ समाकलन, अवकलन का व्युत्क्रम प्रक्रम है। अवकलन गण्िात में हमें एक पफलन दिया हुआ होता है और हमें इस पफलन का अवकलज अथवा अवकल ज्ञात करना होता है परंतु समाकलन गण्िात में हमें एक ऐसा पफलन ज्ञात करना होता है जिसका अवकल दिया हुआ होता है। अतः समाकलन एक ऐसा प्रक्रम है जो कि अवकलन का व्युत्क्रम है। क गग ;द्ध थ्;द्ध मान लीजिए कि थ्; द्ध त्र ि; द्ध ण् तब हम िग कग त्र ग ़ ब् लिखते हैं। ये कग ∫

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