Ganit-II

ऽ भ्म ूीव ेममो वित उमजीवके ूपजीवनज ींअपदह ं कमपिदपजम चतवइसमउ पद उपदक ेममो वित जीम उवेज चंतज पद अंपद दृ क्ण् भ्प्स्ठम्त्ज् ऽ 9ण्1 भूमिका ;प्दजतवकनबजपवदद्ध कक्षा ग्प् एवं इस पुस्तक के अध्याय 5 में हमने चचार् की थी, कि एक स्वतंत्रा चर के सापेक्ष किसी पफलन िका अवकलज वैफसे ज्ञात किया जाता है अथार्त् किसी पफलन िकी परिभाष्िात प्रांत के प्रत्येक ग के लिए, ि′;गद्ध वैफसे ज्ञात किया जाता है। इसके अतिरिक्त समाकल गण्िात के अध्याय में हमने चचार् की थी, कि यदि किसी पफलन िका अवकलज पफलन ह है तो पफलन िवैफसे ज्ञात किया जाए। इसको निम्न रूप में सूत्राब( किया जा सकता हैः किसी दिए हुए पफलन ह के लिए पफलन ि ज्ञात कीजिए ताकि कल कग त्र ; द्ध ह ग जहाँ ल त्र ि;गद्ध ण्ण्ण् ;1द्ध भ्मदतप च्वपदबंतम ;1854.1912 द्ध समीकरण ;1द्ध के रूप वाले समीकरण को अवकल समीकरण कहते हैं। इसकी औपचारिक परिभाषा बाद में दी जाएगी। अवकल समीकरणों का उपयोग मुख्य रूप से भौतिकी, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान, मानव विज्ञान, भूविज्ञान, अथर्शास्त्रा आदि विभ्िान्न क्षेत्रों में किया जाता है। अतः सभी अत्याध्ुनिक वैज्ञानिक अन्वेषणों के लिए अवकल समीकरणों के गहन अध्ययन की अत्यंत आवश्यकता है। इस अध्याय में, हम अवकल समीकरण की वुफछ आधरभूत संकल्पनाओं, अवकल समीकरण के व्यापक एवं विश्िाष्ट हल, अवकल समीकरण का निमार्ण, प्रथम कोटि एवं प्रथम घात के अवकल समीकरण को हल करने की वुफछ विध्ियाँ और विभ्िान्न क्षेत्रों में अवकल समीकरणों के वुफछ उपयोगों के बारे में अध्ययन करेंगे। 9ण्2 आधरभूत संकल्पनाएँ ;ठंेपब ब्वदबमचजेद्ध हम पहले से ही निम्नलिख्िात प्रकार के समीकरणों से परिचित हैं ग2 दृ 3ग ़ 3 त्र0 ण्ण्ण् ;1द्ध ेपद ग ़ बवे ग त्र 0 ण्ण्ण् ;2द्ध ग ़ ल त्र 7 ण्ण्ण् ;3द्ध आइए निम्नलिख्िात समीकरण पर विचार करें कल ग ़ ल त्र0 कग ण्ण्ण् ;4द्ध हम पाते हैं कि समीकरणों ;1द्ध, ;2द्ध एवं ;3द्ध में केवल स्वतंत्रा और/अथवा आश्रित चर ;एक या अध्िकद्ध शामिल हैं जब कि समीकरण ;4द्ध में चर के साथ - साथ स्वतंत्रा चर ;गद्ध के सापेक्ष आश्रित चर ;लद्ध का अवकलज भी शामिल है। इस प्रकार का समीकरण अवकल समीकरण कहलाता है। सामान्यतः एक ऐसा समीकरण, जिसमें स्वतंत्रा चर ;चरोंद्ध के सापेक्ष आश्रित चर के अवकलज सम्िमलित हों, अवकल समीकरण कहलाता है। एक ऐसा अवकल समीकरण, जिसमें केवल एक स्वतंत्रा चर के सापेक्ष, आश्रित चर के अवकलज सम्िमलित हों, सामान्य अवकल समीकरण कहलाता है। उदाहरणतया क 2 ल ⎛ कल⎞ 3 22 ़⎜ ⎟ त्र 0 ण्ण्ण् ;5द्ध ⎝⎠ कग कग एक सामान्य अवकल समीकरण है। निःसन्देह ऐसे भी अवकल समीकरण होते हैं जिनमें एक से अध्िक स्वतंत्रा चरों के सापेक्ष अवकलज शामिल होते हैं, इस प्रकार के अवकल समीकरण आंश्िाक अवकल समीकरण कहलाते हैं। लेकिन इस स्तर पर हम अपने आप को केवल सामान्य अवकल समीकरणों के अध्ययन तक सीमित रखेंगे। इससे आगे हम सामान्य अवकल समीकरण के लिए अवकल समीकरण शब्द का ही उपयोग करेंगे। 1ण् हम अवकलजों के लिए निम्नलिख्िात संकेतों के उपयोग को वरीयता देंगे कल क 2 लक 3 ल त्र ल′ ए त्र ल′ ए त्र ल′′′ कग कग 2 कग 3 2ण् उच्च कोटि वाले अवकलजों के लिए, इतने अध्िक डैशों ;कंेीमेद्धको उच्च प्रत्यय के रूप कदल में प्रयुक्त करना असुविधजनक होगा इसलिए दवेंकोटि वाले अवकलज के लिए हम संकेत कग द लद का उपयोग करेंगे। 9ण्2ण्1 अवकल समीकरण की कोटि ;व्तकमत व िं कपमिितमदजपंस मुनंजपवदद्ध किसी अवकल समीकरण की कोटि उस अवकल समीकरण मंे सम्िमलित स्वतंत्रा चर के सापेक्ष आश्रित चर के उच्चतम कोटि के अवकलज की कोटि द्वारा परिभाष्िात होती है। निम्नलिख्िात अवकल समीकरणों पर विचार कीजिएः कल त्र मग ण्ण्ण् ;6द्ध कग क 2 ल ़ ल त्र 0 ण्ण्ण् ;7द्ध कग 2 क 3 ल 2 ⎛ क 2 ल⎞ 3 ़ ग ⎜ ⎟त्र 0 ण्ण्ण्;8द्ध कग 3 कग 2 ⎝⎠ समीकरण ;6द्ध, ;7द्ध एवं ;8द्ध में क्रमशः प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय कोटि के उच्चतम अवकलज उपस्िथत हैं इसलिए इन समीकरणों की कोटि क्रमशः 1, 2 एवं 3 है। 9ण्2ण्2 अवकल समीकरण की घात ;क्महतमम व िं कपमिितमदजपंस मुनंजपवदद्ध किसी अवकल समीकरण की घात का अध्ययन करने के लिए मुख्य ¯बदु यह है कि वह अवकल समीकरण, अवकलजों ल′ए ल″ए ल″′ इत्यादि में बहुपद समीकरण होना चाहिए। निम्नलिख्िात समीकरणों पर विचार कीजिएः 32 कल ⎛ कल⎞ 2 कल 3 ़ 2⎜ 2 ⎟− ़ ल त्र0 ण्ण्ण् ;9द्धकग ⎝ कग ⎠ कग ⎛ कल ⎞ 2 कल 2 ⎜⎟़ −ेपद लत्र 0 ण्ण्ण् ;10द्ध ⎝⎠ कग कग कल ⎛ कल ⎞ ़ेपद ⎜ ⎟त्र0 ण्ण्ण् ;11द्ध ⎝⎠ कग कग हम प्रेक्ष्िात करते हैं कि समीकरण ;9द्ध ल″′ए ल″ एवं ल′ में बहुपद समीकरण है। समीकरण ;10द्ध ल′ में बहुपद समीकरण है ;यद्यपि यह ल में बहुपद नहीं हैद्ध इस प्रकार के अवकल समीकरणों की घात को परिभाष्िात किया जा सकता है। परंतु समीकरण ;11द्ध ल′ में बहुपद समीकरण नहीं है और इस प्रकार के अवकल समीकरण की घात को परिभाष्िात नहीं किया जा सकता है। यदि एक अवकल समीकरण अवकलजों का बहुपद समीकरण है तो उस अवकल समीकरण की घात से हमारा तात्पयर् है उस अवकल समीकरण में उपस्िथत उच्चतम कोटि के अवकलज की उच्चतम घात ;ध्नात्मक पूणा±कद्ध उपरोक्त परिभाषा के संदभर् में हम प्रेक्ष्िात कर सकते हैं कि समीकरणों ;6द्ध, ;7द्ध, ;8द्ध एवं ;9द्ध में से प्रत्येक की घात 1 है, समीकरण ;10द्ध की घात 2 है जब कि अवकल समीकरण ;11द्ध की घात परिभाष्िात नहीं है। उदाहरण 1 निम्नलिख्िात अवकल समीकरणों में से प्रत्येक की कोटि एवं घात ;यदि परिभाष्िात होद्ध ज्ञात कीजिएः कल क 2 ल ⎛ कल ⎞2 कल ;पद्ध − बवे ग त्र 0 ;पपद्ध गल 2 ़ ग ⎜ ⎟− ल त्र 0 कग कग ⎝ कग ⎠ कग 2 ल ′ ;पपपद्ध ल′′ ़ ल ़ म त्र 0 हल ;पद्ध इस अवकल समीकरण में उपस्िथत उच्चतम कोटि अवकलज कल है। इसलिए इसकी कोटि कग कल 1 है। यह ल′ में बहुपद समीकरण है एवं की अध्िकतम घातांक 1 है, इसलिए इस अवकल कग समीकरण की घात 1 है। क 2 ल ;पपद्ध इस अवकल समीकरण में उपस्िथत उच्चतम कोटि अवकलज है । इसलिए इसकी कोटि कग 2 क 2 लकल क 2 ल 2 है। यह अवकल समीकरण 2 एवं में बहुपद समीकरण है और 2 की अध्िकतम कग कग कग घातांक 1 है, इसलिए इस अवकल समीकरण की घात 1 है। ;पपपद्ध इस अवकल समीकरण में उपस्िथत उच्चतम कोटि अवकलज ल′′ है। इसलिए इसकी कोटि 3 है। इस समीकरण का बायाँ पक्ष अवकलजों में बहुपद नहीं है इसलिए इसकी घात परिभाष्िात नहीं है। प्रश्नावली 9.1 1 से 10 तक के प्रश्नों में प्रत्येक अवकल समीकरण की कोटि एवं घात ;यदि परिभाष्िात होद्ध ज्ञात कीजिए। 2 क 4 ल ⎛ के ⎞4 के 1ण् ़ ेपद;ल′′′ द्ध त्र 0 2ण् ल′ ़ 5ल त्र 0 3ण् ⎜ ⎟़ 3े त्र 0 कग 4 ⎝ कज ⎠ कज 2 22 ⎛ कल ⎞2 ⎛ कल ⎞ कल ़ बवे त्र 0 त्र बवे3ग ़ ेपद 3ग 4ण् ⎜ 2 ⎟ ⎜⎟ 5ण् 2 ⎝ कग ⎠⎝ कग ⎠ कग 6ण् ; ल′ ′ द्ध2 ़ ;ल″द्ध3 ़ ;ल′द्ध4 ़ ल5 त्र 0 7ण् ल′′ ़ 2ल″ ़ ल′ त्र 0 ग 8ण् ल′ ़ ल त्र म 9ण् ल″ ़ ;ल′द्ध2 ़ 2ल त्र 0 10ण् ल″ ़ 2ल′ ़ ेपद ल त्र 0 11ण् अवकल समीकरण 22 ⎛ कल ⎞3 ⎛ कल ⎞⎛ कल ⎞ ़़ ेपद ़1 त्र 0 की घात हैः ⎜ 2 ⎟⎜⎟ ⎜⎟ ⎝ कग ⎠⎝ कग ⎠⎝ कग ⎠ ;।द्ध3 ;ठद्ध2 ;ब्द्ध1 ;क्द्ध परिभाष्िात नहीं है 2 क 2 ल कल 12ण् अवकल समीकरण 2ग − 3 ़ ल त्र 0 की कोटि हैः कग 2 कग ;।द्ध2 ;ठद्ध1 ;ब्द्ध0 ;क्द्ध परिभाष्िात नहीं है 9ण्3ण् अवकल समीकरण का व्यापक एवं विश्िाष्ट हल ;ळमदमतंस ंदक च्ंतजपबनसंत ैवसनजपवदे व िं क्पमिितमदजपंस म्ुनंजपवदद्ध पिछली कक्षाओं में हमने निम्नलिख्िात प्रकार के समीकरणों को हल किया हैः ग 2 ़ 1 त्र0 ण्ण्ण् ;1द्ध ेपद2 ग दृ बवे ग त्र 0 ण्ण्ण् ;2द्ध समीकरणों ;1द्ध तथा ;2द्ध का हल एक ऐसी वास्तविक अथवा सम्िमश्र संख्या है जो दिए हुए समीकरण को संतुष्ट करती है अथार्त् जब इस संख्या को समीकरण में अज्ञात ग के स्थान पर प्रतिस्थापित कर दिया जाता है तो दायाँ पक्ष और बायाँ पक्ष आपस में बराबर हो जाते हंै। क 2 ल अब अवकल समीकरण ़ ल त्र 0 ण्ण्ण् ;3द्ध कग 2 पर विचार करते हैं। प्रथम दो समीकरणों के विपरीत इस अवकल समीकरण का हल एक ऐसा पफलन φ है जो इस समीकरण को संतुष्ट करेगा अथार्त् जब इस पफलनφ को अवकल समीकरण में अज्ञात ल ;आश्रित चरद्ध के स्थान पर प्रतिस्थापित कर दिया जाता है तो बायाँ पक्ष और दायाँ पक्ष बराबर हो जाते हैं। वक्र ल त्र φ ;गद्ध अवकल समीकरण का हल वक्र ;समाकलन वक्रद्ध कहलाता है। निम्नलिख्िात पफलन पर विचार कीजिए ल त्र φ ;गद्ध त्र ं ेपद ;ग ़ इद्ध ण्ण्ण् ;4द्ध जहाँ ंए इ ∈ त्ण् यदि इस पफलन और इसके अवकलजों को समीकरण ;3द्ध में प्रतिस्थापित कर दिया जाए तो बायाँ पक्ष और दायाँ पक्ष बराबर हो जाते हैं। इसलिए यह पफलन अवकल समीकरण ;3द्ध का हल है। π मान लीजिए कि ं और इ को वुफछ विश्िाष्ट मान ं त्र 2 एवं इ त्र दे दिए जाते हैं तो हमें 4 निम्नलिख्िात पफलन प्राप्त होता हैः ⎛ π⎞ ल त्र φ1;गद्ध त्र 2ेपद ⎜ ग ़⎟ ण्ण्ण् ;5द्ध ⎝ 4 ⎠ यदि इस पफलन और इसके अवकलजों को समीकरण ;3द्ध में प्रतिस्थापित कर दिया जाए तो पुनः बायाँ पक्ष और दायाँ पक्ष बराबर हो जाते हंै। इसलिएφ 1 भी समीकरण ;3द्ध का एक हल है। पफलन φ में दो स्वेच्छ अचर ;प्राचलद्ध ंए इ सम्िमलित हैं तथा यह पफलन दिए हुए अवकल समीकरण का व्यापक हल कहलाता है। जबकि पफलन φ 1 में कोइर् भी स्वेच्छ अचर सम्िमलित नहीं है लेकिन प्राचलों ं तथा इ के विश्िाष्ट मान उपस्िथत हैं और इसलिए इसको अवकल समीकरण का विश्िाष्ट हल कहा जाता है। ऐसा हल, जिसमें स्वेच्छ अचर उपस्िथत हो अवकल समीकरण का व्यापक हल कहलाता है। ऐसा हल, जो स्वेच्छ अचरांे से मुक्त है अथार्त् व्यापक हल में स्वेच्छ अचरों को विश्िाष्ट मान देने पर प्राप्त हल, अवकल समीकरण का विश्िाष्ट हल कहलाता है। क 2 ल कल दृ3 ग उदाहरण 2 सत्यापित कीजिए कि पफलन ल त्र मए अवकल समीकरण 2 ़− 6 ल त्र 0 का कग कग एक हल है। हल दिया हुआ पफलन ल त्र म दृ3ग है। इसके दोनों पक्षों का ग के सापेक्ष अवकलन करने पर हम प्राप्त करते हैः कल दृ3ग त्र3म ण्ण्ण् ;1द्ध कगअब समीकरण ;1द्ध का ग के सापेक्ष पुनः अवकलन करने पर हम देखते हैं कि क 2 ल दृ3ग 2 त्र9म कग क 2 ल कल 2ए और ल का मान, दिए गए अवकल समीकरण में प्रतिस्थापित करने पर पर हम पाते हैं कि कग कग दृ दृ3गदृ3ग दृ बायाँ पक्ष त्र 9म 3ग ़ ;दृ3म दृ3गद्ध दृ 6ण्म त्र 9 म दृ 9 म 3ग त्र 0 त्र दायाँ पक्ष इसलिए दिया हुआ पफलन दिए हुए अवकल समीकरण का एक हल है। उदाहारण 3 सत्यापित कीजिए कि पफलन ल त्र ं बवे ग ़ इ ेपद गए जिसमें ंए इ ∈ त्ए अवकल क 2 ल समीकरण ़ ल त्र 0 का हल है। कग 2 हल दिया हुआ पफलन है ल त्र ं बवे ग ़ इ ेपद ग ण्ण्ण् ;1द्ध समीकरण ;1द्ध के दोनों पक्षों का गए के सापेक्ष उत्तरोत्तर अवकलन करने पर हम देखते हंैः कल त्र दृं ेपद ग ़ इ बवे ग कग क 2 ल त्रदृ ं बवे ग दृ इ ेपद ग कग2 क 2 ल 2 एवं ल का मान दिए हुए अवकल समीकरण में प्रतिस्थापित करने पर प्राप्त करते हैंः कग बायाँ पक्ष त्र ;दृ ं बवे ग दृ इ ेपद गद्ध ़ ;ं बवे ग ़ इ ेपद गद्ध त्र 0 त्र दायाँ पक्ष इसलिए दिया हुआ पफलन, दिए हुए अवकल समीकरण का हल है। प्रश्नावली 9.2 1 से 10 तक प्रत्येक प्रश्न में सत्यापित कीजिए कि दिया हुआ पफलन ;स्पष्ट अथवा अस्पष्टद्ध संगत अवकल समीकरण का हल हैः 1ण् ल त्र मग ़ 1 रू ल″ दृ ल′ त्र 0 2ण् ल त्र ग 2 ़ 2ग ़ ब् रू ल′ दृ 2ग दृ 2 त्र 0 3ण् ल त्र बवे ग ़ ब् रू ल′ ़ ेपद ग त्र 0 गल 4ण् ल त्र 1 ़ ग 2रू ल′ त्र 2 1़ ग 5ण् ल त्र ।ग रू गल′ त्र ल ;ग ≠ 0द्ध 6ण् ल त्र ग ेपद ग रू गल′ त्र ल ़ ग ग 2 − ल2 ;ग ≠ 0 और ग झ ल अथवा ग ढ दृ लद्ध 2 ल 7ण् गल त्र सवह ल ़ ब् रू ल′ त्र ;गल ≠ 1द्ध 1− गल 8ण् ल दृ बवे ल त्र ग रू;ल ेपद ल ़ बवे ल ़ गद्ध ल′ त्र ल 9ण् ग ़ ल त्र जंददृ1 ल रू ल 2 ल′ ़ ल 2 ़ 1 त्र 0 कल 10ण् ल त्र 22 ं − गग ∈ ;दृ ंए ंद्धरू ग ़ ल त्र 0 ;ल ≠ 0द्ध कग 11ण् चार कोटि वाले किसी अवकल समीकरण के व्यापक हल में उपस्िथत स्वेच्छ अचरों की संख्या हैः ;।द्ध 0 ;ठद्ध2 ;ब्द्ध3 ;क्द्ध4 12ण् तीन कोटि वाले किसी अवकल समीकरण के विश्िाष्ट हल में उपस्िथत स्वेच्छ अचरों की संख्या हैः ;।द्ध 3 ;ठद्ध2 ;ब्द्ध1 ;क्द्ध0 9ण्4ण् दिए हुए व्यापक हल वाले अवकल समीकरण का निमार्ण ;थ्वतउंजपवद व िं क्पमिितमदजपंस म्ुनंजपवद ूीवेम ैवसनजपवद पे ळपअमदद्ध हम जानते हैं कि समीकरण ग2 ़ ल2 ़ 2ग दृ 4ल ़ 4 त्र 0 ण्ण्ण् ;1द्ध एक ऐसे वृत को निरूपित करता है जिसका वेंफद्र ; - 1, 2द्ध है और त्रिाज्या 1 इकाइर् है। समीकरण ;1द्ध का गए के सापेक्ष अवकलन करने पर प्राप्त करते हैं कल ग़1 त्र ए ;ल ≠ 2द्ध ण्ण्ण् ;2द्ध कग 2 − ल यह एक अवकल समीकरण है। आप बाद में देखेंगे कि ;अनुभाग 9.5.1 का उदाहरण 9 देख्िाएद्ध कि यह समीकरण वृत्तों के एक वुफल को निरूपित करता है और उस वुफल का एक सदस्य समीकरण ;1द्ध में दिया हुआ वृत है। आइए निम्नलिख्िात समीकरण पर विचार करेंः ग2 ़ ल2 त्र त2 ण्ण्ण् ;3द्ध तए को विभ्िान्न मान देने पर हमें वुफल के भ्िान्न सदस्य प्राप्त होते हैं उदाहरणतः ग2 ़ ल2 त्र 1ए ग2 ़ ल2 त्र 4ए ग2 ़ ल2 त्र 9 इत्यादि ;आवृफति 9.1 देख्िाएद्ध। इस प्रकार समीकरण ;3द्ध एक ऐसे संवेंफद्री वृत्तों के वुफल को निरूपित करता है जिनका वेंफद्र मूल ¯बदु है और जिनकी त्रिाज्याएँ भ्िान्न हैं। हमारी रुचि इस वुफल के प्रत्येक सदस्य द्वारा संतुष्ट किए जाने वाला अवकल समीकरण ज्ञात करने में हैं। यह समीकरण त से मुक्त होना चाहिए क्योंकि वुफल के विभ्िान्न सदस्यों के लिए त का मान भ्िान्न है। समीकरण ;3द्ध का ग के सापेक्ष आवृफति 9.1 अवकलन करने पर यह समीकरण प्राप्त किया जाता है। अथार्त् कल कल 2ग ़ 2ल त्र 0 अथवा ग ़ ल त्र 0 ण्ण्ण् ;4द्ध कग कग यह अवकल समीकरण, समीकरण ;3द्ध द्वारा निरूपित सवेंफद्री वृत्तों के वुफल को निरूपित करता है। आइए पिफर से निम्नलिख्िात समीकरण पर विचार करेंः ल त्र उग ़ ब ण्ण्ण् ;5द्ध प्राचलों उ तथा बए के विभ्िान्न मानों से हमें वुफल के विभ्िान्न सदस्य प्राप्त होते हैं उदाहरणतया ल त्र ग ;उ त्र 1ए ब त्र 0द्ध ल त्र 3 ग ;उ त्र 3ए ब त्र 0द्ध ल त्र ग ़ 1 ;उ त्र 1ए ब त्र 1द्ध ल त्र दृ ग ;उ त्र दृ 1ए ब त्र 0द्ध ल त्र दृ ग दृ 1 ;उ त्र दृ 1ए ब त्र दृ 1द्ध इत्यादि ;आवृफति 9.2 देख्िाएद्ध। इस प्रकार समीकरण ;5द्ध सरल रेखाओं के वुफल को निरूपित करता है जिसमें उए ब प्राचल है। अब हमारी रुचि इस वुफल के प्रत्येक सदस्य द्वारा संतुष्ट किए जाने वाला अवकल समीकरण ज्ञात करने में है। इसके अतिरिक्त वह समीकरण उ तथा ब से मुक्त होना चाहिए क्योंकि वुफल के विभ्िान्न सदस्यों के लिए उ तथा ब का मान भ्िान्न है। यह अवकल समीकरण, समीकरण ;5द्ध का ग के सापेक्ष क्रमानुसार दो बार अवकलन करने पर प्राप्त होता है अथार्त् आवृफति 9.2 कल क 2 ल त्र उ तथा 2 त्र 0 ण्ण्ण् ;6द्ध कग कग समीकरण ;6द्ध, समीकरण ;5द्ध द्वारा दिए हुए सरल रेखाओं के वुफल को निरूपित करता है। टिप्पणी समीकरण ;3द्ध तथा ;5द्ध क्रमशः समीकरण ;4द्ध एवं ;6द्ध के व्यापक हल हैं। 9ण्4ण्1 दिए हुए वक्रांे के वुफल को निरूपित करने वाले अवकल समीकरण के निमार्ण की प्रिया ;च्तवबमकनतम जव वितउ ं क्पमिितमदजपंस म्ुनंजपवद जींज ूपसस तमचतमेमदज ं हपअमद थ्ंउपसल व िबनतअमेद्ध ;ंद्ध यदि दिए हुए वक्रों का वुफल थ्1 केवल एक प्राचल पर निभर्र करता है तो इसे निम्नलिख्िात रूप वाले समीकरण द्वारा निरूपित किया जाता हैः थ्1 ;गए लए ंद्ध त्र 0 ण्ण्ण् ;1द्ध 22 उदाहरणतः, परवलयों ल त्र ंग का वुफल ;िगए लए ंद्ध रू ल त्र ंग के रूप वाले समीकरण द्वारा निरूपित किया जा सकता है। समीकरण ;1द्ध का ग के सापेक्ष अवकलन करने पर हमें ल′ए लए गए एवं ं को सम्िमलित करने वाला एक समीकरण निम्नलिख्िात रूप में प्राप्त होता हैः ह ;गए लए ल′ए ंद्ध त्र 0 ण्ण्ण् ;2द्ध समीकरण ;1द्ध तथा ;2द्ध से ं को विलुप्त करने पर हमें आवश्यक अवकल समीकरण निम्नलिख्िात रूप में प्राप्त होता हैः थ् ;गए लए ल′द्ध त्र 0 ण्ण्ण् ;3द्ध ;इद्ध यदि दिए हुए वक्रों का वुफलथ्2 प्राचलों ंए तथा इ पर निभर्र करता है तो इसे निम्नलिख्िात रूप वाले समीकरण द्वारा निरूपित किया जाता हैः थ् ;गए लए ंए इद्ध त्र 0 ण्ण्ण् ;4द्ध 2 समीकरण;4द्ध काग के सापेक्ष अवकलन करने पर हमेंल′एगए लए ंए इ को सम्िमलित करने वाला एक समीकरण निम्नलिख्िात रूप में प्राप्त होता हैः ह ;गए लए ल′ए ंए इद्ध त्र 0 ण्ण्ण् ;5द्ध परंतु दो समीकरणों की सहायता से दो प्राचलों को विलुप्त करना सम्भव नहीं है इसलिए हमें एक तीसरे समीकरण की आवश्यकता है। यह समीकरण, समीकरण ;5द्ध का ग के सापेक्ष अवकलन करने पर निम्नलिख्िात रूप में प्राप्त किया जाता हैः ी ;गए लए ल′ए ल″ए ंए इद्ध त्र 0 ण्ण्ण् ;6द्ध समीकरण ;4द्ध, ;5द्ध एवं ;6द्ध से ं तथा इ को विलुप्त करने पर हमें आवश्यक अवकल समीकरण निम्नलिख्िात रूप में प्राप्त होता हैः थ् ;गए लए ल′ए ल″द्ध त्र 0 ण्ण्ण् ;7द्ध उदाहरण 4 वक्रों के वुफल ल त्र उग को निरूपित करने वाले अवकल समीकरण को ज्ञात कीजिए जबकि उ एक स्वेच्छ अचर है। हल दिया हुआ है कि ल त्र उग ण्ण्ण् ;1द्ध समीकरण ;1द्ध के दोनो पक्षों का ग के सापेक्ष अवकलन करने पर हम प्राप्त करते हैं। कल त्र उ कग कल कल उ का मान समीकरण ;1द्ध में प्रतिस्थापित करने पर हमें ल त्र⋅ग अथवा ग − ल त्र0 प्राप्त कग कग होता है। यह प्राचलउ से मुक्त है और इसलिए यह अभीष्ट अवकल समीकरण है। उदाहरण 5 वक्रों के वुफल ल त्र ं ेपद ;ग ़ इद्धए जिसमें ंए इ स्वेच्छ अचर हैं, को निरूपित करने वाले अवकल समीकरण को ज्ञात कीजिए। हल दिया हुआ है कि ल त्र ं ेपद ;ग ़ इद्ध ण्ण्ण् ;1द्ध समीकरण ;1द्ध के दोनों पक्षों का ग के सापेक्ष उत्तरोत्तर अवकलन करने पर हम प्राप्त करते हैः कल त्र ं बवे; ग ़ इद्ध ण्ण्ण् ;2द्ध कग क 2 ल 2 त्र दृ ंेपद ; ग ़ इद्ध ण्ण्ण् ;3द्ध कग समीकरण ;1द्ध, ;2द्ध तथा ;3द्ध से ं तथा इ को विलुप्त करने पर हम प्राप्त करते हैं। क 2 ल 2 ़ ल त्र 0 ण्ण्ण् ;4द्धकग समीकरण ;4द्ध स्वेच्छ अचरों ं तथा इ से मुक्त है और इसलिए यह अभीष्ट अवकल समीकरण है। उदाहरण 6 ऐसे दीघर्वृत्तों के वुफल को निरूपित करने वाला अवकल समीकरण ज्ञात कीजिए जिनकी नाभ्िायाँ ग.अक्ष पर हैं तथा जिनका वेंफद्र मूल ¯बदु है। हल हम जानते हैं कि कथ्िात दीघर्वृत्तों के वुफल का समीकरण निम्नलिख्िात प्रकार का होता है ;आवृफति 9.3 देख्िाएद्ध 22 ग ़ ल त्र 1 ण्ण्ण् ;1द्ध ं 2 इ2 समीकरण ;1द्ध का ग के सापेक्ष अवकलन करने पर हमें 2ग 2 ल कल 2 ़ 2 त्र0 प्राप्त होता है। ं इकग ल ⎛ कल ⎞−इ2 अथवा ⎜ ⎟त्र 2 ण्ण्ण् ;2द्ध आवृफति 9.3 ग ⎝ कग ⎠ ं समीकरण ;2द्ध के दोनों पक्षों का ग के सापेक्ष अवकलन करने पर हमें प्राप्त होता हैः ⎛ कल ⎞ 2 ग − ल ⎛ ल ⎞⎛ कल ⎞⎜ ⎟ कल ⎜ ⎟⎜ 2 ⎟़⎜ कग 2 ⎟त्र 0 ⎝ ग ⎠⎝ कग ⎠⎝ ग ⎠ कग क 2 ल ⎛ कल ⎞2 कल अथवा गल 2 ़ ग ⎜⎟ दृ ल त्र 0 ण्ण्ण् ;3द्ध कग ⎝ कग ⎠ कग समीकरण ;3द्ध अभीष्ट अवकल समीकरण है। उदाहरण 7 ग - अक्ष को मूल ¯बदु पर स्पशर् करने वाले वृत्तों के वुफल का अवकल समीकरण ज्ञात कीजिए। हल मान लीजिए, ग - अक्ष को मूल ¯बदु पर स्पशर् करने वाले वृत्तों के वुफल को ब् से निदिर्ष्ट किया जाता है। ;0ए ंद्ध उस वुफल के किसी सदस्य के वेंफद्र ¯बदु के निदेर्शांक हैं ;आवृफति 9.4 देख्िाएद्ध। इसलिए वुफल ब् का समीकरण हैः 2 22 ग 2 ़ ;ल दृ ंद्ध2 त्र ं अथवा ग ़ ल त्र 2ंल ण्ण्ण् ;1द्ध जिसमें ं एक स्वेच्छ अचर है। समीकरण ;1द्ध के दोनों पक्षों का ग के सापेक्ष अवकलन करने पर प्राप्त करते हैंः आवृफति 9.4 कल कल 2ग ़ 2 ल त्र 2ं कग कग कल कल अथवा ग ़ ल त्र ं कग कग कल ग़ ल कग ं त्र अथवा कल ण्ण्ण् ;2द्ध कग समीकरण ;2द्ध से ं का मान समीकरण ;1द्ध में रखने पर प्राप्त करते हैंः ⎡ कल ⎤ ग ़ ल ⎢⎥ 22 ⎣ कग ⎦ ग ़ ल त्र 2 ल कल कग कल 22 2 कल अथवा ; ग ़ ल द्ध त्र2 गल ़ 2ल कग कग कल 2गल अथवा त्र कग ग 2दृ ल 2 यह दिए हुए वृत्तों के वुफल का अभीष्ट अवकल समीकरण है। उदाहरण 8 ऐसे परवलयों के वुफल को निरूपित करने वाला अवकल समीकरण ज्ञात कीजिए जिनका शीषर् मूल ¯बदु पर है तथा जिनका अक्ष ध्नात्मक ग.अक्ष की दिशा में है। हल मान लीजिए कि उपरोक्त चचिर्त परवलयों के वुफल कोच् से निदिर्ष्ट किया जाता है और उस वुफल के किसी सदस्य की नाभ्िा ;ंए 0द्ध पर है जिसमें ं एक ध्नात्मक स्वेच्छ अचर है ;आवृफति 9.5 देख्िाएद्ध। इसलिए वुफल च् का समीकरण हैः ल2 त्र 4ंग ण्ण्ण् ;1द्ध समीकरण ;1द्ध के दोनों पक्षों का ग के सापेक्ष अवकलन करने पर हम पाते हैंः कल 2 ल त्र 4ं ण्ण्ण् ;2द्ध कग समीकरण ;2द्ध से 4ं का मान समीकरण ;1द्ध में रखने पर हम पाते हैंः आवृफति 9.5  कल ⎞ 2 त्र⎜ 2 ल ⎟ ;द्ध लग ⎝⎠ कग 2 कल अथवा ल − 2गल त्र 0 ण्ण्ण् ;3द्ध कग समीकरण ;3द्ध दिए हुए परवलयों के वुफल का अवकल समीकरण है। प्रश्नावली 9.3 1 से 5 तक प्रत्येक प्रश्न में, स्वेच्छ अचरों ं तथा इ को विलुप्त करते हुए दिए हुए वक्रों के वुफल को निरूपित करने वाला अवकल समीकरण ज्ञात कीजिए। 2 3ग 1ण् ग ़ ल त्र1 2ण् ल त्र ं ;इ2 दृ ग 2द्ध 3ण् ल त्र ंम ़ इमदृ 2 ग ं इ 4ण् ल त्र म 2ग ;ं ़ इगद्ध 5ण् ल त्र मग ;ं बवे ग ़ इ ेपद गद्ध 6ण् ल.अक्ष को मूल ¯बदु पर स्पशर् करने वाले वृत्तों के वुफल का अवकल समीकरण ज्ञात कीजिए। 7ण् ऐसे परवलयों के वुफल का अवकल समीकरण निमिर्त कीजिए जिनका शीषर् मूल ¯बदु पर है और जिनका अक्ष ध्नात्मक ल.अक्ष की दिशा में है। 8ण् ऐसे दीघर्वृत्तों के वुफल का अवकल समीकरण ज्ञात कीजिए जिनकी नाभ्िायाँ ल.अक्ष पर हैं तथा जिनका वेंफद्र मूल ¯बदु है। 9ण् ऐसे अतिपरवलयों के वुफल का अवकल समीकरण ज्ञात कीजिए जिनकी नाभ्िायाँ ग.अक्ष पर हैं तथा जिनका वेंफद्र मूल ¯बदु है। 10ण् ऐसे वृत्तों के वुफल का अवकल समीकरण ज्ञात कीजिए जिनका वेंफद्र ल.अक्ष पर है और जिनकी त्रिाज्या 3 इकाइर् है। गदृग 11ण् निम्नलिख्िात अवकल समीकरणों में से किस समीकरण का व्यापक हल ल त्र ब1 म ़ ब2 म है? 2 222 कल कल कल कल ;।द्ध ़ ल त्र 0 ;ठद्ध − ल त्र 0 ;ब्द्ध ़1 त्र 0 ;क्द्ध −1 त्र 0 2 222 कग कग कग कग 12ण् निम्नलिख्िात समीकरणों में से किस समीकरण का एक विश्िाष्ट हल ल त्र ग है? क 2 लकल क 2 ल कल ;।द्ध − ग 2 ़ गल त्र ग ;ठद्ध ़ ग ़ गल त्र ग कग 2 कग कग 2 कग क 2 ल 2 कल क 2 ल कल ;ब्द्ध − ग ़ गल त्र 0 ;क्द्ध ़ ग ़ गल त्र 0 कग 2 कग कग 2 कग 9ण्5ण् प्रथम कोटि एवं प्रथम घात के अवकल समीकरणों को हल करने की विध्ियाँ ;डमजीवके व िैवसअपदह थ्पतेज वतकमतए थ्पतेज क्महतमम क्पमिितमदजपंस म्ुनंजपवदेद्ध इस परिच्छेद में हम प्रथम कोटि एवं प्रथम घात के अवकल समीकरणों को हल करने की तीन विध्ियों की चचार् करेंगे। 9ण्5ण्1 पृथक्करणीय चर वाले अवकल समीकरण ;क्पमिितमदजपंस मुनंजपवदे ूपजी अंतपंइसमे ेमचंतंइसमद्ध प्रथम कोटि एवं प्रथम घात का अवकल समीकरण निम्नलिख्िात रूप का होता हैः कल त्र थ्; गए लद्ध ण्ण्ण् ;1द्ध कग यदि थ् ;गए लद्ध को गुणनपफल ह ;गद्धए ी;लद्ध के रूप में अभ्िाव्यक्त किया जा सकता है जहाँ ह;गद्धए ग का पफलन है और ी;लद्धए ल का एक पफलन है तो समीकरण ;1द्ध पृथक्करणीय चर वाला समीकरण कहलाता है। ऐसा होने पर समीकरण ;1द्ध को निम्नलिख्िात रूप में लिखा जा सकता हैः कल त्र ी ;लद्ध ण् ह ;गद्ध ण्ण्ण् ;2द्ध कगयदि ी ;लद्ध ≠ 0ए तो चरों को पृथव्फ करते हुए समीकरण ;2द्ध को 1 कल त्र ह ;गद्ध कग ण्ण्ण् ;3द्ध; ीलद्ध के रूप में लिखा जा सकता है। समीकरण ;3द्ध के दोनों पक्षों का समाकलन करने पर हम प्राप्त करते हैंः कल त्र ह;द्ध ग कग ण्ण्ण् ;4द्ध ∫ 1 ∫ ;द्ध ील इस प्रकार समीकरण ;4द्ध, दिए हुए अवकल समीकरण का हल निम्नलिख्िात रूप में प्रदान करता हैः भ्;लद्ध त्र ळ;गद्ध ़ ब् ण्ण्ण् ;5द्ध यहाँ भ् ;लद्ध एवं ळ ;गद्ध क्रमशः 1 एवं ह ;गद्ध के प्रतिअवकलज हैं और ब् स्वेच्छ अचर है। ; ीलद्ध कल ग ़1 उदाहरण 9 अवकल समीकरण त्र ए ;ल ≠ 2द्ध का व्यापक हल ज्ञात कीजिए। कग 2 − ल हल दिया गया है कि कल ग ़1 त्र ;ल ≠ 2द्ध ण्ण्ण् ;1द्ध कग 2 −ल समीकरण ;1द्ध में चरों को पृथव्फ करने पर हम प्राप्त करते हैंः ;2 दृ लद्ध कल त्र ;ग ़ 1द्ध कग ण्ण्ण् ;2द्ध समीकरण ;2द्ध के दोनों पक्षों का समाकलन करने पर हम प्राप्त करते हैंः ;2 − लद्ध कल त्र ;ग ़1द्ध कग ∫∫ 22 अथवा 2 ल − ल त्र ग ़ ग ़ ब्1 22 अथवा ग 2 ़ ल 2 ़ 2ग दृ 4ल ़ 2 ब्1 त्र 0 अथवा ग2 ़ ल2 ़ 2ग दृ 4ल ़ ब् त्र 0 ण्ण्ण् ;3द्ध जहाँ ब् त्र 2ब्1 समीकरण ;3द्ध अवकल समीकरण ;1द्ध का व्यापक हल है। कल 1 ़ ल 2 उदाहरण 10 अवकल समीकरण त्र का व्यापक हल ज्ञात कीजिए। कग 1 ़ ग 2 हल चूँकि 1 ़ ल 2 ≠ 0ए इसलिए चरों को पृथव्फ करते हुए दिया हुआ अवकल समीकरण निम्नलिख्िात रूप में लिखा जा सकता हैः कल कग त्र 2 2 ण्ण्ण् ;1द्ध 1़ ल 1 ़ ग समीकरण ;1द्ध के दोनों पक्षों का समाकलन करते हुए हम पाते हैंः कल कग त्र ∫ 2 ∫ 2 1़ ल 1़ ग दृ1 दृ1 अथवा जंदल त्र जंदग ़ ब् यह समीकरण ;1द्ध का व्यापक हल है। उदाहरण 11 अवकल समीकरण कल त्र− 4 गल 2 का विश्िाष्ट हल ज्ञात कीजिए, यदि ल त्र 1 जब कग ग त्र 0 हो हल यदि ल ≠ 0ए दिया हुआ अवकल समीकरण निम्नलिख्िात रूप में लिखा जा सकता हैः कल त्र− 4 ग कग 2 ण्ण्ण् ;1द्ध ल समीकरण ;1द्ध के दोनों पक्षों का समाकलन करने पर हम पाते हैंः कल त्र− 4 ग कग ∫ 2 ∫ ल 1 2 अथवा − त्र दृ 2ग ़ ब् ल 1 त्र अथवा ल 2 ण्ण्ण् ;2द्ध 2ग − ब् समीकरण ;2द्ध में ल त्र 1 और ग त्र 0 प्रतिस्थापित करने पर हमें ब्त्र दृ 1 प्राप्त होता है। ब् का मान समीकरण ;2द्ध में प्रतिस्थापित करने पर दिए हुए अवकल समीकरण का विश्िाष्ट हल 1 ल त्र 2 प्राप्त होता है। 2ग ़1 उदाहरण 12 ¯बदु ;1, 1द्ध से गुजरने वाले एक ऐसे वक्र का समीकरण कीजिए जिसका अवकल समीकरण ग ’कल त्र ;2ग2 ़ 1द्ध ’कग ;ग ≠ 0द्ध है। हल दिए हुए अवकल समीकरण को निम्नलिख्िात रूप मे अभ्िाव्यक्त किया जा सकता हैः ⎛ 2ग 2 ़1 ⎞ कल त्र⎜ ⎟कग ⎝ ग ⎠ ⎛ 1 ⎞ अथवा कल त्र⎜ 2ग ़⎟ कग ण्ण्ण् ;1द्ध ⎝ ग ⎠ समीकरण ;1द्ध के दोनों पक्षों का समाकलन करने पर हम प्राप्त करते हैंः ⎛ 1 ⎞ ∫कल त्र∫ ⎜ 2ग ़⎟ कग ⎝⎠ ग अथवा ल त्र ग 2 ़ सवह द्य ग द्य ़ ब् ण्ण्ण् ;2द्ध समीकरण ;2द्ध दिए हुए अवकल समीकरण के हल वक्रों के वुफल को निरूपित करता है परंतु हम इस वुफल के एक ऐसे विश्िाष्ट सदस्य का समीकरण ज्ञात करना चाहते हैं जो ¯बदु ;1, 1द्ध से गुजरता हो। ’ लैबनीज द्वारा प्रदत्त संकेत कल अत्यंत लचीला है, तथा बहुत सी गणना एवं औपचारिक रूपांतरणों में प्रयुक्त कग होता है, जहाँ हम कग और कल को साधरण संख्याओं की तरह व्यवहार में लाते हैं। कग और कल को पृथव्फ - पृथव्फ सत्ता मानकर हम बहुत सी गणनाओं की सुस्पषट व्याख्या कर सकते हैं। संदभर्ः प्दजतवकनबजपवद जव बंसबनसने ंदक ।दंसलेपेए अवसनउम.प् चंहम 172ए ठल त्पबींतक ब्वनतंदजए थ्तपज्र श्रवीद ैचपदहमत कृ टमतसवह छमू ल्वताण् इसलिए समीकरण ;2द्ध में ग त्र 1ए ल त्र 1 प्रतिस्थापित करने पर हमें ब् त्र 0 प्राप्त होता है। ब् का मान समीकरण ;2द्ध में प्रतिस्थापित करने पर हमें अभीष्ट वक्र का समीकरण ल त्र ग 2 ़ सवह द्य ग द्य के रूप में प्राप्त होता है। उदाहरण 13 ¯बदु ;दृ2ए 3द्धए से गुजरने वाले ऐसे वक्र का समीकरण ज्ञात कीजिए जिसके किसी 2ग ¯बदु ;गए लद्ध पर स्पशर् रेखा की प्रवणता 2 है। ल कल हल हम जानते हैं कि किसी वक्र की स्पशर् रेखा की प्रवणता के बराबर होती है। इसलिए कग कल 2ग त्र 2 ण्ण्ण् ;1द्ध कग ल चरों को पृथव्फ करते हुए समीकरण ;1द्ध को निम्नलिख्िात रूप में लिखा जा सकता हैः ल 2 कल त्र 2ग कग ण्ण्ण् ;2द्ध समीकरण ;2द्ध के दोनों पक्षों का समाकलन करने पर हम प्राप्त करते हैंः ल कल त्र 2ग कग ∫ 2 ∫ 3 अथवा ल त्र ग 2 ़ ब् ण्ण्ण् ;3द्ध 3 समीकरण ;3द्ध में ग त्र दृ2ए ल त्र 3 प्रतिस्थापित करने पर हमें ब् त्र 5 प्राप्त होता है। ब् का मान समीकरण ;3द्ध में प्रतिस्थापित करने पर हमें अभीष्ट वक्र का समीकरण 31 ल त्र ग 2 ़ 5 अथवा ल त्र ;3 ग 2 ़15द्ध 3 3 के रूप में प्राप्त होता है। उदाहरण 14 किसी बैंक में मूलध्न की वृि 5ः वाष्िार्क की दर से होती है। कितने वषो± में त्े 1000 की राश्िा दुगुनी हो जाएगी? हल मान लीजिए किसी समय ज पर मूलध्न च् है। दी हुइर् समस्या के अनुसार कच् ⎛ 5 ⎞ त्र⎜ ⎟× च् ⎝⎠ कज 100 कच्च् अथवा त्र ण्ण्ण् ;1द्ध कज 20 समीकरण ;1द्ध में चरों को पृथव्फ करने पर, हम प्राप्त करते हैंः कच् कज त्र ण्ण्ण् ;2द्ध च् 20 समीकरण ;2द्ध के दोनों पक्षों का समाकलन करने पर हम प्राप्त करते हैंः ज ़ ब् सवह च् त्र 1 20 ज ब 20 1 अथवा च् त्र म ⋅म ज अथवा च् त्र ब् म20 ;जहाँ ब् द्ध ण्ण्ण् ;3द्ध म 1त्र ब् अब च् त्र 1000ए जब ज त्र 0 च् और ज का मान समीकरण ;3द्ध में रखने पर हम ब् त्र 1000 प्राप्त करते हैं। इसलिए समीकरण ;3द्ध से हम प्राप्त करते हैंः ज च् त्र 1000 20 म मान लीजिए ज वषो± में मूलध्न दुगुना हो जाता है, तब ज 2000 त्र 1000 20 ⇒ ज त्र 20 सवहम 2 म प्रश्नावली 9.4 1 से 10 तक के प्रश्नों में, प्रत्येक अवकल समीकरण का व्यापक हल ज्ञात कीजिए। कल 1 − बवे ग कल ;−2 ढ ल ढ 2द्ध 1ण् त्र 2ण् त्र कग 1 ़ बवे ग कग 2 3ण् कल ़ ल त्र 1; ल ≠ 1द्ध 4ण् ेमब ग जंद ल कग ़ ेमब2 ल जंद ग कल त्र 0 कग कल 22 5ण् ;मग ़ म दृगद्ध कल दृ ;मग दृ म दृगद्ध कग त्र 0 6ण् त्र ;1 ़ ग द्ध;1 ़ ल द्ध कग कल 7ण् ल सवह ल कग दृ ग कल त्र 0 8ण् ग 5 त्र− ल 5 कग कल −1 ग 9ण् त्र ेपद ग 10ण् म जंद ल कग ़ ;1 दृ मगद्ध ेमब2 ल कल त्र 0 कग 11 से 14 तक के प्रश्नों में, प्रत्येक अवकल समीकरण के लिए दिए हुए प्रतिबंध् को संतुष्ट करने वाला विश्िाष्ट हल ज्ञात कीजिए। कल 2 11ण् ;ग 3 ़ ग 2 ़ ग ़1द्ध त्र 2ग ़ गय ल त्र 1 यदि ग त्र 0 कग 2 कल 12ण् ग ;ग −1द्ध त्र1य ल त्र 0 यदि ग त्र 2 कग ⎛ कल ⎞ 13ण् बवे ⎜ ⎟त्र ं ;ं ∈ त्द्धय ल त्र 1 यदि ग त्र 0 ⎝ कग ⎠ कल 14ण् त्र ल जंद ग य ल त्र 2 यदि ग त्र 0 कग 15ण् ¯बदु ;0, 0द्ध से गुजरने वाले एक ऐसे वक्र का समीकरण ज्ञात कीजिए जिसका अवकल समीकरण ल′ त्र मग ेपद ग है। कल 16ण् अवकल समीकरण गल त्र ; ग ़ 2द्ध ; ल ़ 2द्ध के लिए ¯बदु ;1, - 1द्ध से गुजरने वाला वक्र कग ज्ञात कीजिए। 17ण् ¯बदु ;0ए दृ2द्ध से गुजरने वाले एक ऐसे वक्र का समीकरण ज्ञात कीजिए जिसके किसी ¯बदु ;गए लद्ध पर स्पशर् रेखा की प्रवणता और उस ¯बदु के ल निदेर्शांक का गुणनपफल उस ¯बदु के ग निदेर्शांक के बराबर है। 18ण् एक वक्र के किसी ¯बदु ;गए लद्ध पर स्पशर् रेखा की प्रवणता, स्पशर् ¯बदु को, ¯बदु ;दृ 4ए दृ3द्धण् से मिलाने वाले रेखाखंड की प्रवणता की दुगुनी है। यदि यह वक्र ¯बदु ;दृ2ए 1द्ध से गुशरता हो तो इस वक्र का समीकरण ज्ञात कीजिए। 19ण् एक गोलाकार गुब्बारे का आयतन, जिसे हवा भरकर पुफलाया जा रहा है, स्िथर गति से बदल रहा है यदि आरंभ में इस गुब्बारे की त्रिाज्या 3 इर्काइर् है और 3 सेवेंफड बाद 6 इर्काइर् है, तो ज सेवेंफड बाद उस गुब्बारे की त्रिाज्या ज्ञात कीजिए। 20ण् किसी बैंक में मूलध्न की वृि तः वाष्िार्क की दर से होती है। यदि 100 रुपये 10 वषो± में दुगुने हो जाते हैं, तो त का मान ज्ञात कीजिए। ;सवहम2 त्र 0ण्6931द्धण् 21ण् किसी बैंक में मूलध्न की वृि 5ः वाष्िार्क की दर से होती है। इस बैंक में त्े 1000 जमा कराए जाते हैं। ज्ञात कीजिए कि 10 वषर् बाद यह राश्िा कितनी हो जाएगी? ;म 0ण्5 त्र 1ण्648द्ध 22ण् किसी जीवाणु समूह में जीवाणुओं की संख्या 1,00,000 है। 2 घंटो में इनकी संख्या में 10ः की वृि होती है। कितने घंटों में जीवाणुओं की संख्या 2,00,000 हो जाएगी, यदि जीवाणुओं के वृि की दर उनके उपस्िथत संख्या के समानुपाती है। 23ण् अवकल समीकरण त्र म का व्यापक हल हैः कल ग ़ ल कग ;।द्ध मग ़ म दृल त्र ब् ;ठद्ध मग ़ मल त्र ब् ;ब्द्ध म ़ म त्र ब् ;क्द्ध म ़ म त्र ब् दृग लदृगदृल 9ण्5ण्2 समघातीय अवकल समीकरण ;भ्वउवहमदवने कपमिितमदजपंस मुनंजपवदेद्ध ग एवंल के निम्नलिख्िात पफलनों पर विचार कीजिए थ् ;गए लद्ध त्र ल 2 ़ 2गलए थ् ;गए लद्ध त्र 2ग दृ 3लए 12 ⎛ ल ⎞ थ् ;गए लद्ध त्र बवे ⎜⎟ थ् ;गए लद्ध त्र ेपद ग ़ बवे ल 3⎠ ए4 ⎝ ग यदि उपरोक्त पफलनों में ग और ल को किसी शून्येतर अचर λ के लिए क्रमशः λग एवं λल से प्रतिस्थापित कर दिया जाए तो हम प्राप्त करते हैंः थ् ;λगए λलद्ध त्र λ2 ;ल2 ़ 2गलद्ध त्र λ2 थ् ;गए लद्ध 11 थ्2 ;λगए λलद्ध त्र λ ;2ग दृ 3लद्ध त्र λ थ्2 ;गए लद्ध ⎛λल ⎞⎛ ल ⎞ थ्3 ;λगए λलद्ध त्र बवे ⎜ ⎟त्र बवे ⎜⎟ त्र λ0 थ्3 ;गए लद्ध ⎝λग ⎠⎝ ग ⎠थ्4 ;λगए λलद्ध त्र ेपद λग ़ बवे λल ≠λद थ्4 ;गए लद्धए किसी भी द के लिए यहाँ हम प्रेक्ष्िात करते हैं कि पफलनों थ्1ए थ्2ए थ्3 को थ्;λगए λलद्ध त्र λद थ्;गए लद्ध के रूप में लिखा जा सकता है परंतु पफलन थ्4 को इस रूप में नहीं लिखा जा सकता है। इससे हम निम्नलिख्िात परिभाषा प्राप्त करते हैं। पफलन थ्;गए लद्धए द घात वाला समघातीय पफलन कहलाता है। यदि किसी शून्येतर अचर λ के लिए थ् ;λगए λलद्ध त्र λद थ्;गए लद्ध हम नोट करते हैं कि उपरोक्त उदाहरणों में थ्1ए थ्2ए थ्3 क्रमशः 2ए 1ए 0 घात वाले समघातीय पफलन हैं जबकि थ्4 समघातीय पफलन नहीं है। हम यह भी प्रेक्ष्िात करते हैं कि 2 ⎛ ल 22 ल ⎞ 2 ⎛ ल ⎞ थ्; गए लद्ध त्र ग ़त्र गी 1 ⎜⎟ 1 ⎜⎟ ⎝ ग 2 ग ⎠⎝ ग ⎠ 2 ⎛ 2ग ⎞ 2 ⎛ ग ⎞ अथवा थ् ; 1 गए लद्ध त्र ल 1़त्र ली 2ए ⎜⎟ ⎜⎟ लल ⎝⎠ ⎝⎠ 1 ⎛ 3ल ⎞ 1 ⎛ ल ⎞ थ्; गए लद्ध त्र ग 2 −त्र गी 2 ⎜⎟ 3 ⎜⎟ ⎝ ग ⎠⎝ ग ⎠ 1 ⎛ ग ⎞ 1 ⎛ ग ⎞ थ्; गए लद्ध त्र ल 2 − 3 त्र ली अथवा 2 4ए ⎜ ⎟ ⎜⎟ लल ⎝ ⎠ ⎝⎠ ⎛ ल ⎞ °⎛ ल ⎞ थ्; गए लद्ध त्र ग°बवे त्र गी 3 ⎜⎟ 5 ⎜⎟ ⎝ ग ⎠⎝ ग ⎠ द ⎛⎞ थ्; गए लद्ध ≠ गी ल 46 ⎜ ⎠⎟ ए द ∈ छ के किसी भी मान के लिए ⎝ ग द ⎛ ग ⎞ अथवा थ्4 ;गए लद्ध ≠ ली7 ⎜⎟ ए द ∈ छ ल ⎝⎠ इसलिए एक पफलन थ् ;गए लद्धए द घात वाला समघातीय पफलन कहलाता है यदि द ⎛ ल ⎞ द ⎛ ग ⎞ थ् ;गए लद्ध त्र गह ⎜⎟ अथवा ली ⎜⎟ ⎝ ग ⎠ ल ⎝⎠ कल त्र थ्;गए लद्ध के रूप वाला अवकल समीकरण समघातीय कहलाता है यदि थ्;गए लद्ध शून्य घात वाला कग समघातीय पफलन है। कल ⎛ ल ⎞ त्र थ्; गए लद्धत्र ह ⎜⎟ ण्ण्ण् ;1द्ध कग ⎝ ग ⎠ के रूप वाले समघातीय अवकल समीकरण को हल करने के लिए हम ल त्र अ अथार्त् ग ल त्र अ ग ण्ण्ण् ;2द्ध प्रतिस्थापित करते हैं समीकरण ;2द्ध का ग के सापेक्ष अवकलन करने पर हम प्राप्त करते हैंः कल कअ त्र अ ़ ग ण्ण्ण् ;3द्ध कग कग कल समीकरण ;3द्ध से का मान समीकरण ;1द्ध में प्रतिस्थापित करने पर हम प्राप्त करते हैंः कग कअ अ ़ ग त्र ह ;द्ध अ कग ग त्र अ अथार्त् कअ ह ;द्ध − अ ण्ण्ण् ;4द्ध कग समीकरण ;4द्ध में चरों को पृथव्फ करने पर हम प्राप्त करते हैंः कअ कग त्र ण्ण्ण् ;5द्ध ह ;द्ध − अग अ समीकरण ;5द्ध के दोनों पक्षों का समाकलन करने पर हमें प्राप्त होता हैः कअ 1 त्र कग ़ब् ∫∫ ण्ण्ण् ;6द्ध ह ;द्ध अ −अग यदि अ को ल से प्रतिस्थापित कर दिया जाए तो समीकरण ;6द्ध, अवकल समीकरण ;1द्ध का ग व्यापक हल प्रदान करता है। कग त्र थ्; ग ए लद्ध यदि समघातीय अवकल समीकरण कल के रूप में है। जहाँग थ् ;गए लद्ध शून्य घात वाला समघातीय पफलन है तो हम त्र अ अथार्त, ग त्र अल प्रतिस्थापित करते ल कग ⎛ ग ⎞ हैं और पिफर उपरोक्त चचार् के अनुसार त्रथ्; गल एद्ध त्र ी ⎜⎟ के रूप में लिखकर व्यापक हल कल ⎝ ल ⎠ ज्ञात करने के लिए आगे बढ़ते हैं। उदाहरण 15 दशार्इए कि अवकल समीकरण ;ग दृ लद्ध कल त्र ग ़ 2ल समघातीय है और इसका हल कग ज्ञात कीजिए। हल दिए गए अवकल समीकरण को निम्नलिख्िात रूप में अभ्िाव्यक्त किया जा सकता हैः कल ग ़ 2 ल त्र ण्ण्ण् ;1द्ध कग ग − ल ग ़2 ल मान लीजिए थ् ;गए लद्ध त्र ग − ल λ ; ग़ 2 लद्ध व थ्; λ गए λलद्ध त्र त्रλ⋅थ्; गए लद्ध अब λ ; ग− लद्ध इसलिए थ्;गए लद्ध शून्य घात वाला समघातीय पफलन है। अतः दिया हुआ अवकल समीकरण एक समघातीय अवकल समीकरण है। विकल्पतः ⎛ 2 ल  कल ⎜ 1़⎟ ⎛ ल  ग त्रत्र ह ⎜ ⎟⎜⎟ कग ल ⎝ ग  ण्ण्ण् ;2द्ध ⎜ ⎝ ग  1− ⎛ ल⎞ समीकरण ;2द्ध का दायाँ पक्ष ह ⎜⎟ के रूप में है इसलिए यह शून्य घात वाला एक समघातीय ⎝⎠ ग पफलन है। इसलिए समीकरण ;1द्ध एक समघातीय अवकल समीकरण है। इसको हल करने के लिए हम प्रतिस्थापन करते हैःं ल त्र अग ण्ण्ण् ;3द्ध समीकरण ;3द्ध का ग के सापेक्ष अवकलन करने पर हम प्राप्त करते हैंः कल कअ त्र अ ़ ग ण्ण्ण् ;4द्ध कग कग कल समीकरण ;1द्ध में ल एवं का मान प्रतिस्थापित करने पर हम प्राप्त करते हैंः कग कअ 1़ 2अ अ ़ ग त्र कग 1− अ कअ 1़ 2अ अथार्त् ग त्र− अ कग 1− अ कअ अ 2 ़ अ ़1 अथार्त् ग त्र कग 1 − अ अ−1 − कग अथार्त् 2 कअ त्र ण्ण्ण् ;5द्ध अ ़ अ ़1 ग समीकरण ;5द्ध के दोनों पक्षों का समाकलन करने पर हम प्राप्त करते हैंः अ −1 कग कअ त्र− ∫ 2 ∫ अ ़ अ ़1 ग 12अ ़1 − 3 अथवा ∫ 2 कअ त्र− सवह ग ़ ब् 2 अ ़ अ ़1 12अ ़ 1 31 कअ − कअ त्र− सवह ग ़ ब् अथवा ∫ 2 ∫ 2 2 अ ़ अ ़12 अ ़ अ ़1 1 अ 2 ़ अ ़1 − 31 कअ त्र− सवह ग ़ ब् अथवा सवह ∫ 2 22 अ ़ अ ़1 31 अथवा 1 सवह अ 2 ़ अ ़1 − 2 कअ त्र− सवह ग ़ ब् 2 ∫ 2 2 ⎛ ⎞⎛ 1 ⎞ 3 अ ़ ़⎜⎟ ⎜⎟ ⎝ 2 ⎠⎝ 2 ⎠ 1 32 −1 ⎛ 2अ ़1 ⎞ सवह अ 2 ़ अ ़1 − ण् जंद ⎜ त्र− सवह ग ़ ब् अथवा ⎟ 2 2 3 ⎝ 3 ⎠ 1 −1 ⎛ 2अ ़1⎞ सवह अ 2 ़ अ ़1 ़ 1 सवह ग 2 त्र 3 जंद ⎜ ़ब् अथवा ⎟ 22 ⎝ 3 ⎠ अ को ल ए से प्रतिस्थापित करने पर हम प्राप्त करते हैंः ग 2 1 लल −1 ⎛ 2 ल ़ ग ⎞ 12 ़़1 ़ सवह ग त्र 3 जंद ़ब् अथवा सवह ⎜ ⎟ 2 2 गग 2 ⎝ 3ग ⎠ 1 ⎛ ल 2 ल ⎞ −1 ⎛ 2 ल ़ ग ⎞ सवह ⎜ 2 ़़1⎟ ग 2 त्र 3 जंद ़ब् ⎟ 1 अथवा ⎜ 2 गग ⎝ 3ग ⎠ −1 ⎛ 2ल ़ ग ⎞ ⎝⎠ सवह ; ल 2 ़ गल ़ ग 2द्ध त्र 2 3 जंद ़2ब् अथवा ⎟ 1⎜ ⎝ 3ग ⎠ −1 ⎛ ग ़ 2ल ⎞ सवह ;ग 2 ़ गल ़ ल 2द्ध त्र 2 3 जंद ़ब् अथवा ⎜ ⎟ ⎝ 3ग ⎠ यह अवकल समीकरण ;1द्ध का व्यापक हल है। ⎛ ल ⎞ कल ⎛ ल ⎞ उदाहरण 16 दशार्इए कि अवकल समीकरण ग बवे ⎜⎟ त्र लबवे ⎜ ⎟़ ग समघातीय है और ⎝ ग ⎠ कग ⎝ ग ⎠ इसका हल ज्ञात कीजिए। हल दिया हुआ अवकल समीकरण निम्नलिख्िात रूप में लिखा जा सकता हैः ⎛ ल⎞ लबवे ⎜ ⎟़ ग कल ⎝⎠ ग त्र ण्ण्ण् ;1द्ध कग ⎛ ल⎞ ग बवे ⎜⎟ ⎝ ग कल यहाँ त्रथ्; गए लद्ध के रूप का अवकल समीकरण है। कग ⎛ ल  लबवे ⎜ ⎟़ ग ⎝ ग ⎠ यहाँ थ् ;गए लद्ध त्र है। ⎛ ल ⎞ ग बवे ⎜⎟ ⎝ ग ⎠ ग को λग से एवं ल को λल से प्रतिस्थापित करने पर हम प्राप्त करते हैंः ⎛ ल ⎞ λख् लबवे ़ ग, ⎜⎟ ⎝ ग ⎠ गल थ् ;λगए λलद्ध त्र त्रλ0ख्थ्; ए द्ध, ⎛ ल ⎞ λ गबवे  ⎟ ⎝ ग ⎠ थ्;गए लद्ध शून्य घात वाला समघातीय पफलन है, इसलिए दिया हुआ अवकल समीकरण एक समघातीय अवकल समीकरण है। इसको हल करने के लिए हम प्रतिस्थापन करते हैंः ल त्र अग ण्ण्ण् ;2द्ध समीकरण ;2द्ध का ग के सापेक्ष अवकलन करने पर हम प्राप्त करते हैंः कल कअ त्र अ ़ ग ण्ण्ण् ;3द्ध कग कग कल समीकरण ;1द्ध में ल एवं का मान प्रतिस्थापित करने पर हम प्राप्त करते हैंः कग कअ अबवे अ ़1 अ ़ ग त्र कग बवे अ कअ अबवे अ ़1 अथवा ग त्र− अ कग बवे अ कअ 1 अथवा ग त्र कग बवे अ कग अथवा बवे अ कअ त्र ग इसलिए ∫बवे अ कअ त्र∫ 1 कग ग अथवा ेपद अ त्र सवह द्य ग द्य ़ सवह द्यब्द्य अथवा ेपद अ त्र सवह द्यब्गद्य अ को ल प्रतिस्थापित करने पर हम प्राप्त करते हैं। ग ⎛ ल ⎞ ेपद त्र सवह ब्ग ⎜⎟ ⎝ ग ⎠ यह अवकल समीकरण ;1द्ध का व्यापक हल है। गग लल उदाहरण 17 दशार्इए कि अवकल समीकरण 2लम कग ़ ; ल − 2गम द्ध कल त्र0 समघातीय है और यदि, ग त्र 0 जब ल त्र 1 दिया हुआ हो तो इस समीकरण का विश्िाष्ट हल ज्ञात कीजिए। हल दिया हुआ अवकल समीकरण निम्नलिख्िात रूप में लिखा जा सकता हैः ग कग 2गम ल − ल त्र ग ण्ण्ण् ;1द्ध कल 2ल म ल ग ⎛⎞ ल ग λ⎜ 2गम − ल ⎟ ल ⎜⎟ 2गम − ल ⎝ ⎠° मान लीजिए थ्;गए लद्ध त्र तब थ्;λगए λलद्ध त्र ग त्रλ ख्थ् ; गए लद्ध, ग ⎛⎞ ल 2लम ल λ⎜ 2 लम ⎟ ⎜⎟ ⎝⎠ अतः थ् ;गए लद्ध शून्य घात वाला समघातीय पफलन है। इसलिए, दिया हुआ अवकल समीकरण एक समघातीय अवकल समीकरण है। इसका हल ज्ञात करने के लिए, हम ग त्र अल प्रतिस्थापन करते हैं। समीकरण ;2द्ध का ल के सापेक्ष अवकलन करने पर हम प्राप्त करते हैंः कग कअ त्र अ ़ ल कल कल कग समीकरण ;1द्ध में ग एवं का मान प्रतिस्थापित करने पर हम प्राप्त करते हैंः कल कअ 2अ म अ −1 अ ़ ल त्र अ कल 2म कअ 2अ म अ −1 अथवा ल त्र− अ कल 2मअ अथवा ल कअ त्र− 1 कल 2मअ अ −कल अथवा 2म कअ त्र ल अ कल अथवा ∫2म ण् कअ त्र − ∫ ल अथवा 2 मअ त्र दृ सवह द्यल द्य ़ ब् ग अ को से प्रतिस्थापित करने पर हम प्राप्त करते हैंः ल ग 2 मल ़ सवह द्य लद्य त्र ब् ण्ण्ण् ;3द्ध समीकरण ;3द्ध में, ग त्र 0 एवं ल त्र 1 प्रतिस्थापित करने पर हम प्राप्त करते हैंः 2 म0 ़ सवह द्य1द्य त्र ब् ⇒ ब् त्र 2 ब् का मान समीकरण ;3द्ध में प्रतिस्थापित करने पर हम प्राप्त करते हैंः ग 2 मल ़ सवह द्यल द्य त्र 2 यह दिए हुए अवकल समीकरण का एक विश्िाष्ट हल है। उदाहरण 18 दशार्इए कि वक्रों का वुफल, जिनके किसी ¯बदु ;गए लद्ध पर स्पशर् रेखा की प्रवणता ग 2 ़ ल 2 22 है, ग दृ ल त्र बग द्वारा प्रदत्त है। 2गल कल हल हम जानते हैं कि एक वक्र के किसी ¯बदु पर स्पशर् रेखा की प्रवणता के बराबर होती है। कग 2 ल 22 1 ़ कल ग ़ ल कल 2 ग इसलिए त्र या त्र ण्ण्ण् ;1द्ध कग 2गल कग 2ल ग स्पष्टतः समीकरण ;1द्ध समघातीय अवकल समीकरण है। इसको हल करने के लिए हम ल त्र अग प्रतिस्थापन करते हंै। ल त्र अग वफा ग के सापेक्ष अवकलन करने पर हम पाते हैंः कल कअ कअ 1़ अ 2 त्र अ ़ ग या अ ़ ग त्र कग 2अकग कग कअ 1− अ 22अ कग 2अ कग अतः ग त्र या कअ त्र या कअ त्र− कग 2अ 1− अ 2 गअ 2 −1 ग 2अ 1 इसलिए कअ त्र− कग ∫ 2 ∫ अ −1 ग अथवा सवह द्य अ2 दृ 1द्य त्र दृ सवह द्य गद्य ़ सवह द्यब्द्य 1 अथवा सवह द्य;अ 2 दृ 1द्ध ;गद्धद्य त्र सवह द्यब्1द्य अथवा ;अ 2 दृ 1द्ध ग त्र ± ब्1 ल अ को से प्रतिस्थापित करने पर हम प्राप्त करते हैंः ग ⎛ ल 2 ⎞ ⎜ 2 −1⎟ ग त्र± ब्1⎝ ग ⎠ 2 22 अथवा ;ल दृ ग 2द्ध त्र ± ब्ग या ग दृ ल त्र ब्ग 1 प्रश्नावली 9.5 1 से 10 तक के प्रत्येक प्रश्न में दशार्इए कि दिया हुआ अवकल समीकरण समघातीय है और इनमें से प्रत्येक को हल कीजिएः ग ़ ल 1ण् ;ग 2 ़ गलद्ध कल त्र ;ग 2 ़ ल 2द्ध कग 2ण् ल′त्र ग 3ण् ;ग दृ लद्ध कल दृ ;ग ़ लद्ध कग त्र 0 4ण् ;ग2 दृ ल2द्ध कग ़ 2गल कल त्र 0 2 22 5ण् ग कल त्र ग − 2 ल ़ गल 6ण् ग कल दृ ल कग त्र कग  ⎛ ल ⎞⎛ ल ⎞⎫ ⎧⎛ ल ⎞⎛ ल ⎞⎫ 7ण् ⎨गबवे  ⎟़ ल ेपद  ⎟ ल कग त्र लेपद  ⎟− गबवे  ⎟ ग कल   ग ⎠ ग ⎠ ⎩ ग ⎠ ग ⎠ कल ⎛ ल  ⎛ ल ⎞ 8ण् ग − ल ़ गेपद ⎜ ⎟त्र 0 9ण् ल कग ़ ग सवह ⎜⎟ कल − 2ग कल त्र 0 कग ⎝ ग ⎠⎝ ग  गग  ⎞ लल ⎛ ग⎞ 1़ म कग ़म 1− कल त्र 0 10ण् ⎜⎟ ⎜⎟ ⎝ ल⎠  ⎠ 11 से 15 तक के प्रश्नों में प्रत्येक अवकल समीकरण के लिए दिए हुए प्रतिबंध् को संतुष्ट करने वाला विश्िाष्ट हल ज्ञात कीजिए। 11ण् ;ग ़ लद्ध कल ़ ;ग दृ लद्ध कग त्र 0य ल त्र 1 यदि ग त्र 1 12ण् ग 2 कल ़ ;गल ़ ल 2द्ध कग त्र 0य ल त्र 1 यदि ग त्र 1 ⎡ 2 ⎛ ल  ⎤ π 13ण् ⎢गेपद ⎜ ⎟− ल⎥ कग ़ ग कल त्र 0य ल त्र यदि ग त्र 1 ⎣⎝ ग ⎠⎦ 4 कल ल ⎛ ल  14ण् −़ बवेमब ⎜ ⎟त्र 0य ल त्र 0 यदि ग त्र 1 कग ग ⎝ ग  कल 15ण् 2गल ़ ल 2 − 2ग 2 त्र 0य ल त्र 2 यदि ग त्र 1 कग कग ⎛ ग  16ण् त्र ी ⎜⎟ के रूप वाले समघातीय अवकल समीकरण को हल करने के लिए निम्नलिख्िात कल ⎝ ल ⎠ में से कौन सा प्रतिस्थापन किया जाता हैः ;।द्ध ल त्र अग ;ठद्ध अ त्र लग ;ब्द्ध ग त्र अल ;क्द्ध ग त्र अ 17ण् निम्नलिख्िात में से कौन सा समघातीय अवकल समीकरण है? ;।द्ध ;4ग ़ 6ल ़ 5द्ध कल दृ ;3ल ़ 2ग ़ 4द्ध कग त्र 0 ;ठद्ध ;गलद्ध कग दृ ;ग3 ़ ल3द्ध कल त्र 0 ;ब्द्ध ;ग 3 ़ 2ल 2द्ध कग ़ 2गल कल त्र 0 ;क्द्ध ल2 कग ़ ;ग2 दृ गल दृ ल2द्ध कल त्र 0 9ण्5ण्3 रैख्िाक अवकल समीकरण ;स्पदमंत कपमिितमदजपंस मुनंजपवदेद्ध कल ़ च्ल त्र फए कग के रूप वाला अवकल समीकरण, जिसमें च् एवं फ अचर अथवा केवल ग के पफलन हैं, प्रथम कोटि का रैख्िाक अवकल समीकरण कहलाता है। प्रथम कोटि के रैख्िाक अवकल समीकरण के वुफछ उदाहरण इस प्रकार हैंः कल ़ ल त्र ेपद ग कग कल ⎛ 1 ⎞ ग ़⎜ ⎟ ल त्र म कग ⎝ ग  कल ⎛ ल ⎞ 1 ़त्र ⎜⎟ कग ⎝ गसवह ग ⎠ ग प्रथम कोटि के रैख्िाक अवकल समीकरण का दूसरा रूप सेवेंफड कग ़ च्1ग त्र फ1 है, जिसमें च् कल 1 और फ1 अचर अथवा केवल ल के पफलन हैं। इस प्रकार के अवकल समीकरण के वुफछ उदाहरण कग निम्नलिख्िात हैंः कल ़ ग त्र बवे ल कग −2ग 2 − ल ़त्र लम कल ल प्रथम कोटि के रैख्िाक अवकल समीकरण कल ़ च् ल त्र फ ण्ण्ण् ;1द्ध कग को हल करने के लिए समीकरण के दोनों पक्षों को ग के पफलन ह ;गद्ध से गुणा करने पर हम प्राप्त करते हैंः कल ह ;गद्ध ़ च्ण् ह ;गद्ध ल त्र फण् ह ;गद्ध ण्ण्ण् ;2द्ध कगह ;गद्ध का चयन इस प्रकार कीजिए ताकि समीकरण का बायाँ पक्ष ल ण् ह ;गद्ध का अवकलज बन जाएः कल क अथार्त् ह ;गद्ध ़ च्ण्ह ;गद्ध ल त्र ख्ल ण् ह ;गद्ध, कगकग कल कल अथवा ह ;गद्ध ़ च्ण् ह ;गद्ध ल त्र ह ;गद्ध ़ लह′ ;गद्ध कग कग ⇒ च्ण् ह ;गद्ध त्र ह′ ;गद्ध ह′;द्ध ग च्त्र अथवा ह ; गद्ध दोनों पक्षों का ग के सापेक्ष समाकलन करने पर हम प्राप्त करते हैंः ह′;द्ध च्कग त्र कग ∫∫ ग ह ; गद्ध अथवा ∫च्ण् कग त्र सवह ; हग द्ध ;द्ध ∫च् कग अथवा ह ;गद्ध त्र म समीकरण ;1द्ध को ह;गद्ध त्र म ∫ चकग से गुणा करने पर उस समीकरण का बायाँ पक्ष ग तथा ल के किसी पफलन का अवकलज बन जाता है। यह पफलन ह;गद्ध त्र म ∫चकग दिए हुए अवकल समीकरण का समाकलन गुणक ;प्ण्थ्ण्द्ध कहलाता है। समीकरण ;2द्ध में ह ;गद्ध का मान प्रतिस्थापित करने पर हम प्राप्त करते हैंः चकग कल चकग चकग ∫ ∫ ∫ म ़ च्मल त्र फण् म कग क ∫च् कग ∫च्कग अथवा ; लम द्धत्र फम कग दोनों पक्षों कागए के सापेक्ष समाकलन करने पर हम प्राप्त करते हैंः ∫च् कग ∫च् कग ल⋅ म त्र∫;फ⋅म द्ध कग च् कग च् कग −∫ ∫ अथवा ल त्रम ⋅∫;फ ⋅ म द्ध कग ़ ब् यह अवकल समीकरण का व्यापक हल है। प्रथम कोटि के रैख्िाक अवकल समीकरण को हल करने के लिए सम्िमलित चरणः कल ;पद्ध दिए हुए अवकल समीकरण को ़ च्ल त्र फ के रूप में लिख्िाए जिसमें च्ए फ अचर अथवा कग केवल ग के पफलन हैं। च् कग ;पपद्ध समाकलन गुणक ;प्ण्थ्ण्द्ध त्र ∫ ज्ञात कीजिए। म ;पपपद्ध दिए हुए अवकल समीकरण का हल निम्नलिख्िात रूप में लिख्िाएः ल ण् ;प्ण्थ्ण्द्ध त्र ∫;फ× प्ण्थ्ण्द्ध कग ़ ब् कग ़ च् ग त्र फ यदि प्रथम कोटि का रैख्िाक अवकल समीकरण 11 के रूप में है जिसमें च्और फ कल 11 च् कल अचर अथवा केवल ल के पफलन हैं, तब प्ण्थ्ण् त्र ∫ 1और म ग ण् ;प्ण्थ्ण्द्ध त्र ∫;फ × प्ण्थ्ण् 1द्ध कल ़ ब् अवकल समीकरण का हल है। कल उदाहरण 19 अवकल समीकरण − ल त्र बवे ग का व्यापक हल ज्ञात कीजिए। कग हल दिया हुआ अवकल समीकरण कल ़ च्ल त्र फ हैए जहाँ च् त्र दृ1 और फ त्र बवे ग कग ∫−1 कग − ग इसलिए प्ण्थ्ण् त्र म त्र म समीकरण के दोनों पक्षों को प्ण्थ्ण् से गुणा करने पर हम प्राप्त करते हैंः − ग कल − ग − ग म − मल त्र म बवे ग कग क − ग − ग अथवा ; लम द्धत्र म बवे ग कग दोनों पक्षों का ग के सापेक्ष समाकलन करने पर हम प्राप्त करते हैंः −ग − ग लम त्र म बवे ग कग ़ ब् ण्ण्ण् ;1द्ध ∫ मान लीजिए कि प् त्र ∫म − ग बवे ग कग ⎛ म − ग ⎞ त्र बवे ग⎜ ⎟−∫;−ेपद गद्ध; −म − ग द्ध कग ⎝−1 ⎠ − ग − ग त्र −बवे गम −∫ेपद गम कग त्र −बवे गम − ग − ⎡⎣ेपद ग;दृम − ग द्ध −∫बवे ग ;−म − ग द्ध कग ⎤⎦ − ग − ग − ग त्र −बवे गम ़ ेपद गम −∫बवे गम कग अथवा प् त्रदृ म दृग बवे ग ़ ेपद गम दृ ग दृ प् दृग अथवा 2प् त्र ;ेपद ग दृ बवे गद्ध म ;ेपद ग − बवे गद्ध म − ग अथवा प् त्र 2 समीकरण ;1द्ध में प् का मान प्रतिस्थापित करने पर हम प्राप्त करते हैंः −ग ⎛ ेपद ग − बवे ग ⎞− ग लम त्र⎜ ⎟ म ़ ब् ⎝ 2 ⎠ ेपद ग − बवे ग अथवा ल त्ऱ ब् मग 2 यह दिए हुए अवकल समीकरण का व्यापक हल है। कल उदाहरण 20 अवकल समीकरण ग ़ 2ल त्र ग 2; ग≠ 0द्ध का व्यापक हल ज्ञात कीजिए। कग हल दिया हुआ अवकल समीकरण हैः कल ग ़ 2ल त्र ग 2 ण्ण्ण् ;1द्ध कग समीकरण ;1द्ध के दोनों पक्षों को ग से भाग देने पर हम प्राप्त करते हैंः कल 2 ़ ल त्र ग कग ग कल 2 यह, ़ च्ल त्र फए के रूप का रैख्िाक अवकल समीकरण है। यहाँ च् त्र एवं फ त्र ग है। कग ग सवह ग 2 कग 2 सवह गसवह ि;ग द्ध म त्र ग इसलिए प्ण्थ्ण् त्र म ∫ ग 2त्र म त्र 2 ख् जसा कि म त्र ि; द्ध, ैग इसलिए दिए हुए समीकरण का हल हैः ल ण् ग 2 त्र गग द्ध कग ़ ब् ग कग ़ ब् ;द्ध; 2 त्र 3 ∫∫ 2 ग अथवा ल त्ऱ ब् ग −2 4 यह दिए हुए अवकल समीकरण का व्यापक हल है। उदाहरण 21 अवकल समीकरण ल कग दृ ;ग ़ 2ल 2द्ध कल त्र 0 का व्यापक हल ज्ञात कीजिए। हल दिया हुआ अवकल समीकरण निम्नलिख्िात रूप में लिखा जा सकता हैः कग − ग त्र 2 ल कल ल यह, कग ़ च् ग त्र फए के रूप वाला रैख्िाक अवकल समीकरण है। यहाँ च् त्र− 1 एवं 11 1 कल ल ∫ 1 −11 ल −सवह ल सवह; ल द्ध फ1 त्र 2ल है। इसलिए प्ण्थ् त्र म − कल त्र म त्र म त्र ल अतः दिए हुए अवकल समीकरण का हल हैः 1 ⎛ 1 ⎞ ग त्र ;2 लद्ध कल ़ ब् ∫ ⎜⎟ ल ⎝ ल  ग अथवा त्र 2कल ़ ब् ल ∫ ग अथवा त्र 2ल ़ ब् ल अथवा ग त्र 2ल2 ़ ब्ल यह दिए हुए अवकल समीकरण का व्यापक हल है। उदाहरण 22 अवकल समीकरण कग ़लबवज ग त्र 2ग ़ ग 2 बवज ग ;ग ≠ 0द्ध कल π का विश्िाष्ट हल ज्ञात कीजिए, दिया हुआ है कि ल त्र 0 यदि ग त्र 2 कल हल दिया हुआ अवकल समीकरण ़ च्ल त्र फए के रूप का रैख्िाक अवकल समीकरण है। यहाँ कग च् त्र बवज ग और फ त्र 2ग ़ ग2 बवज ग है। इसलिए ग कग ∫बवज सवह ेपद ग प्ण्थ् त्र म त्र म त्र ेपद ग अतः अवकल समीकरण का हल हैः ल ण् ेपद ग त्र ∫ ;2ग ़ ग 2 बवज गद्ध ेपद ग कग ़ ब् 2 अथवा ल ेपद ग त्र ∫ 2ग ेपद ग कग ़ ∫ ग बवे ग कग ़ ब् ⎛ 2 ग 2 ⎞⎛ 2ग 2 ⎞ अथवा ल ेपद ग त्र ेपद ग⎜ ⎟− बवे ग⎜⎟ कग ़ ग 2 बवे ग कग ़ ब् ∫∫ ⎝ 2 ⎠⎝ 2 ⎠ 22 2 अथवा लेपद ग त्र ग ेपद ग − ग बवे ग कग ़ ग बवे ग कग ़ ब् ∫∫ अथवा ल ेपद ग त्र ग 2 ेपद ग ़ ब् ण्ण्ण् ;1द्ध π समीकरण ;1द्ध में ल त्र 0 एवं ग त्र प्रतिस्थापित करने पर हम प्राप्त करते हैंः 2 ⎛ π⎞ 2 ⎛ π⎞ 0 त्र ेपद ⎜ ⎟़ ब् ⎜⎟ ⎝⎠ ⎝ 2 ⎠ 2 −π 2 अथवा ब्त्र 4 समीकरण ;1द्ध में ब् का मान प्रतिस्थापित करने पर हम प्राप्त करते हैंः 2 2 π लेपद ग त्र ग ेप द ग − 4 2 2 π अथवा ल त्र ग − ;ेपद ग ≠ 0द्ध 4 ेपद ग यह दिए हुए अवकल समीकरण का विश्िाष्ट हल है। उदाहरण 23 बिन्दु ;0, 1द्ध से गुजरने वाले एक वक्र का समीकरण ज्ञात कीजिए, यदि इस वक्र के किसी ¯बदु ;गए लद्ध पर स्पशर् रेखा की प्रवणता, उस ¯बदु के ग निदेर्शांक ;भुजद्ध तथा ग निदेर्शांक और ल निदेर्शांक ;कोटिद्ध के गुणनपफल के योग के बराबर है। कल हल हम जानते हैं कि वक्र की स्पशर् रेखा की प्रवणता के बराबर होती है। इसलिए कग कल त्र ग ़ गल कग कल अथवा − गल त्र ग ण्ण्ण् ;1द्ध कग कल समीकरण ;1द्ध, ़ च्ल त्र फ के रूप का रैख्िाक अवकल समीकरण है। यहाँ च् त्र दृ ग एवं कग फ त्र ग है। इसलिए − ग 2 ∫− ग कग प्ण्थ्ण् त्र म त्र म 2 अतः दिए हुए समीकरण का हल हैः − ग 22 − ग 2 ∫; म द्ध ण्ण्ण् ;2द्ध लम ण् त्र ;द्ध ग 2 कग ़ ब् − ग 2 मान लीजिए ग 2 प् त्र∫;द्ध म कग −ग 2 मान लीजिए त्र ज ए तब दृ ग कग त्र कज या ग कग त्र दृ कज 2 − ग 2 इसलिए जज 2 प् त्र − ∫म कज त्र− म त्र दृ म समीकरण ;2द्ध में प् का मान प्रतिस्थापित करने पर, हम पाते हैंः − ग 2 − ग 2 लम 2 त्र− 2 ़ब् म 2 ग 2 अथवा ल त्र− 1 ़ ब् म ण्ण्ण् ;3द्ध समीकरण ;3द्ध वक्रों के वुफल का समीकरण है परंतु हम इस वुफल के ऐसे सदस्य का समीकरण ज्ञात करना चाहते हैं जो ¯बदु ;0,1द्धसे गुजरता हो। समीकरण ;3द्ध में ग त्र 0 एवं ल त्र 1 प्रतिस्थापित करने पर हम पाते हैंः 1 त्र दृ 1 ़ ब् ण् मव अथवा ब् त्र 2 समीकरण ;3द्ध में ब् का मान प्रतिस्थापित करने पर हम प्राप्त करते हैंः 2 ग 2 ल त्र− 1 ़ 2 म यह वक्र का अभीष्ट समीकरण है। प्रश्नावली 9.6 1 से 12 तक के प्रश्नों में, प्रत्येक अवकल समीकरण का व्यापक हल ज्ञात कीजिएः कल कल −2ग कल ल 2 1ण् ़ 2ल त्र ेपद ग 2ण् ़ 3 ल त्र म 3ण् ़त्र ग कग कग कग ग कल ⎛ π⎞ 2 कल ⎛ π⎞ 4ण् ़ ;ेमब गद्ध ल त्र जंद ग⎜ 0 ≤ ग ढ⎟ 5ण् बवे ग ़ ल त्र जंद ग ⎜0 ≤ ग ढ⎟ कग ⎝ 2 ⎠ कग ⎝ 2 ⎠ कल कल 2 6ण् ग ़ 2ल त्र ग 2 सवह ग 7ण् ग सवह ग ़ ल त्र सवह ग कग कग ग 8ण् ;1 ़ ग 2द्ध कल ़ 2गल कग त्र बवज ग कग ;ग ≠ 0द्ध कल कल 9ण् ग ़ ल − ग़ गल बवज ग त्र 0; ग ≠ 0द्ध 10ण् ;ग ़ लद्ध त्र1 कग कग 2 कल 11ण् ल कग ़ ;ग दृ ल 2द्ध कल त्र 0 12ण् ;ग ़ 3 ल द्ध त्र ल ; ल झ 0द्ध ण् कग 13 से 15 तक के प्रश्नों में प्रत्येक अवकल समीकरण के लिए दिए हुए प्रतिबंध् को संतुष्ट करने वाला विश्िाष्ट हल ज्ञात कीजिएः कल π 13ण् ़ 2ल जंद ग त्र ेपद गय ल त्र 0 यदि ग त्र कग 3 कल 1 14ण् ;1 ़ ग 2द्ध ़ 2गल त्र य ल त्र 0 यदि ग त्र1 कग 1़ ग 2 कल π 15ण् − 3 लबवज ग त्र ेपद2 य गल त्र 2 यदि ग त्र कग 2 16ण् मूल ¯बदु से गुशरने वाले एक वक्र का समीकरण ज्ञात कीजिए यदि इस वक्र के किसी ¯बदु ;गए लद्ध पर स्पशर् रेखा की प्रवणता उस ¯बदु के निदेर्शांकों के योग के बराबर है। 17ण् ¯बदु ;0, 2द्ध से गुजरने वाले वक्र का समीकरण ज्ञात कीजिए यदि इस वक्र के किसी ¯बदु के निदेर्शांकों का योग उस ¯बदु पर खींची गइर् स्पशर् रेखा की प्रवणता के परिमाण से 5 अध्िक है। 18ण् अवकल समीकरण ग − ल त्र 2ग का समाकलन गुणक हैः कल 2 कग 1 दृग दृल ;।द्ध म ;ठद्ध म ;ब्द्ध ;क्द्ध ग ग 2 कग 19ण् अवकल समीकरण ;1 − ल द्ध ़लग त्र ंल ;−1 ढ ल ढ 1द्ध का समाकलन गुणक हैः कल 1 1 1 1 ;।द्ध2 ;ठद्ध 2 ;ब्द्ध 2;क्द्ध 2 ल −1 ल −11− ल 1 − ल विविध् उदाहरण मंग उदाहरण 24 सत्यापित कीजिए कि पफलन ल त्र ब बवे इग ़ ब मंग ेपद इगए जहाँ ब ए ब स्वेच्छ 12 12 अचर है, अवकल समीकरण क 2 ल कल 2 − 2ं ़; ं 2 ़ इ2 द्ध ल त्र 0 का हल है। कग कग हल दिया हुआ पफलन हैः ल त्र मंग ख्ब1 बवे इग ़ ब2 ेपद इग , ण्ण्ण् ;1द्ध समीकरण ;1द्ध के दोनों पक्षों का ग के सापेक्ष अवकलन करने पर हम पाते हैं कि ंग ंग कल ़, ण् ं त्र म ख् दृइब ेपद इग ़ इब बवे इग ,ख् ब बवे इग ़ ब ेपद इग म 12 12 कग कल ंग अथवा त्र म ख्; इब ़ ंब द्धबवे इग ़ ;ंब − इब द्धेपद इग , ण्ण्ण् ;2द्ध 21 21 कग समीकरण ;2द्ध के दोनों पक्षों का गए के सापेक्ष अवकलन करने पर हम पाते हैं कि क 2 ल ंग 2 त्र म ख्; इब ़ ंब द्ध; −ेपद इग ण्इद्ध ़ ;ंब −इब द्ध ;बवे इग ण् इद्ध, 21 21 कग ़ ख्; इब ़ ंब द्ध बवे इग ़ ;ंब −इब द्ध ेपद इग , म ंग ण्ं 21 21 ंग 2 22 2 त्र म ख्; ंब2 − 2ंइ ब 1 − इब 2 द्ध ेपद इग ़ ;ंब1 ़ 2ंइब 2 − इब 1द्ध बवे इग , क 2 ल कल दिए गए अवकल समीकरण में 2ए एवं ल का मान प्रतिस्थापित करने पर हम पाते हैंः कग कग ंग 2222 बायाँ पक्ष त्रम ख्ंब − 2ंइब −इब द्धेपद इग ़;ंब ़ 2ंइब −इब द्धबवे इग , 212 121 − 2ंम ंग ख्; इब ़ ंब द्धबवे इग ़;ंब −इब द्धेपद इग , 21 21 22 ंग ़;ं ़ इ द्ध म ख्ब1 बवे इग ़ ब2 ेपद इग , 2 22 22 ंग ⎡;ंब 2 −2ंइब 1 −इब 2 −2ंब 2 ़ 2ंइब 1 ़ ंब 2 ़इब 2 द्धेपद इग ⎤ त्रम ⎢⎥ 2 2 222 ⎢़;ंब ़ 2ंइब − इब − 2ंइब −2ंब ़ ंब ़इब द्धबवे इग ⎥ ⎣ 1 21 2 111 ⎦ ंग ंग त्र म ख्0 ×ेपद इग ़ 0 बवे इग ,त्र म × 0 त्र 0 त्र दायाँ पक्ष इसलिए दिया हुआ पफलन दिए हुए अवकल समीकरण का हल है। उदाहरण 25 द्वितीय चतुथा±श में ऐसे वृत्तों के वुफल का अवकल समीकरण ज्ञात कीजिए जो निदेर्शांक अक्षों का स्पशर् करते हैं। हल मान लीजिए, निदेर्शांक अक्षों को स्पशर् करने वाला और द्वितीय चतुथा±श में बना वृत्तों का वुफल ब् द्वारा निदिर्ष्ट किया जाता है। इस वुफल के किसी सदस्य के वेंफद्र ¯बदु के निदे±शांक ;दृंए ंद्ध हैं ;आवृफति 9.6 देख्िाएद्ध। वुफल ब् को निरूपित करने वाला समीकरण हैः ;ग ़ ंद्ध2 ़ ;ल दृ ंद्ध2 त्र ं2 ण्ण्ण् ;1द्ध अथवा ग2 ़ ल2 ़ 2ंग दृ 2ंल ़ ं2 त्र 0 ण्ण्ण् ;2द्ध समीकरण ;2द्ध का ग के सापेक्ष अवकलन करने पर हम पाते हंैः कल कल 2ग ़ 2ल ़ 2ं − 2ं त्र 0 कग कग कल ⎛ कल ⎞ अथवा ग ़ ल त्र ं⎜−1⎟ कग ⎝ कग ⎠ ग ़ लल ′ अथवा ं त्र ल′−1 समीकरण ;1द्ध में ं का मान प्रतिस्थापित करने पर हम पाते हैंः आवृफति 9.6 2 22 ⎡ ग ़ लल ′⎤ ⎡ ग ़ लल ′⎤ ⎡ ग ़ लल ′⎤ ग ़़ ल −त्र ⎢ ⎥⎢ ⎥⎢⎥ ल′−1 ल′−1 ल′−1 ⎣ ⎦⎣ ⎦⎣⎦ 2 22 अथवा ख् गल ′− ग ़ ग़ लल ′, ़ख् लल ′− ल − ग − लल ′, त्रख् ग ़ लल ′, अथवा ;ग ़ लद्ध2 ल′2 ़ ख्ग ़ ल,2 त्र ख्ग ़ ल ल′,2 अथवा ;ग ़ लद्ध2 ख् ; ल′द्ध2 ़ 1, त्र ख्ग ़ ल ल′,2 जो दिए हुए वृत्तों के वुफल को निरूपित करने वाला अवकल समीकरण है। कल उदाहरण 26 अवकल समीकरण सवह ⎛ ⎞त्र 3ग ़ 4 ल का विश्िाष्ट हल ज्ञात कीजिए। दिया हुआ ⎜⎟ ⎝ कग ⎠ है कि ल त्र 0 यदि ग त्र 0 हल दिया हुआ अवकल समीकरण निम्नलिख्िात रूप में लिखा जा सकता हैः कल ;3 ग़ 4लद्ध त्र म कग कल 3 ग 4 ल अथवा त्र म ⋅ म ण्ण्ण् ;1द्ध कग चरों को पृथव्फ करने पर हम पाते हैं, कल 3ग त्र म कग 4ल म − 4 ल 3ग इसलिए म कल त्र म कग ∫∫ − 4ल 3ग मम अथवा त्ऱ ब् −43 3 ग अथवा 4 म ़ 3 म दृ 4 ल ़ 12 ब् त्र 0 ण्ण्ण् ;2द्ध समीकरण ;2द्ध में ग त्र 0 एवं ल त्र 0 प्रतिस्थापित करने पर हम पाते हैंः −7 4 ़ 3 ़ 12 ब् त्र 0 अथवा ब् त्र 12 समीकरण ;2द्ध में ब् का मान प्रतिस्थापित करने पर हम, 4 म3 ग ़ 3 मदृ 4ल दृ 7 त्र 0ए प्राप्त करते हैं यह दिए हुए अवकल समीकरण का एक विश्िाष्ट हल है। उदाहरण 27 अवकल समीकरण ⎛ ल ⎞⎛ ल ⎞ ;ग कल दृ ल कगद्ध ल ेपद ⎜⎟ त्र ;ल कग ़ ग कलद्ध ग बवे ⎜⎟ को हल कीजिए। ⎝ ग ⎠⎝ ग ⎠ हल दिया हुआ अवकल समीकरण निम्नलिख्िात रूप में लिखा जा सकता है। ⎡⎛ ल ⎞ 2 ⎛ ल ⎞⎤⎡ ⎛ ल ⎞ 2 ⎛ ल ⎞⎤ ⎢गल ेपद ⎜ ⎟− ग बवे ⎜ ⎟⎥ कल त्र⎢गल बवे ⎜ ⎟़ ल ेपद ⎜ ⎟⎥ कग ⎣⎝ ग ⎠⎝ ग ⎠⎦⎣ ⎝ ग ⎠⎝ ग ⎠⎦ ⎛ ल ⎞ 2 ⎛ ल ⎞ गल बवे ⎜ ⎟़ ल ेपद ⎜⎟ कल ⎝ ग ⎠⎝ ग ⎠ त्र अथवा कग ⎛ ल ⎞ 2 ⎛ ल ⎞ गल ेपद ⎜ ⎟− ग बवे ⎜⎟ ⎝ ग ⎠⎝ ग ⎠ दायें पक्ष पर अंश एवं हर दोनों कोग 2 से भाग देने पर हम पाते हैंः ल ⎛ ल ⎞⎛ ल 2 ⎞⎛ ल ⎞ बवे ⎜ ⎟़⎜ 2 ⎟ ेपद ⎜⎟ कल ग ⎝ ग ⎠⎝ ग ⎠⎝ ग ⎠ त्र ण्ण्ण् ;1द्ध कग ल ⎛ ल ⎞⎛ ल ⎞ ेपद ⎜ ⎟− बवे ⎜⎟ ग ⎝ ग ⎠⎝ ग ⎠ कल ⎛ ल ⎞ स्पष्टतः समीकरण ;1द्ध, त्र ह ⎜⎟ के रूप का समघातीय अवकल समीकरण है, इसलिए कग ⎝ ग ⎠ इस समीकरण को हल करने के लिए हम ल त्र अग ण्ण्ण् ;2द्ध प्रतिस्थापित करते हैं। कल कअ अथवा त्र अ ़ ग कग कग कअ अ बवे अ ़ अ 2 ेपद अ अथवा अ ़ ग त्र ख्समीकरण ;1द्धऔर ;2द्धका प्रयोग करने पर, कग अ ेपद अ −बवे अ कअ 2अ बवे अ अथवा ग त्र कग अ ेपद अ − बवे अ ⎛ अेपद अ − बवे अ ⎞ 2 कग अथवा ⎜⎟ कअ त्र ⎝ अबवे अ ⎠ ग ⎛ अेपद अ − बवे अ ⎞ 1 इसलिए ∫⎜ ⎟कअ त्र 2∫ कग ⎝ अबवे अ ⎠ ग 11 अथवा ∫जंद अ कअ −∫ कअ त्र 2 ∫ कग अग अथवा सवह ेमब अ − सवह द्य अद्य त्र 2 सवह द्य ग द्य ़ सवहद्यब् द्य 1 ेमब अ सवह त्र सवह ब्1 अथवा 2 अग ेमब अ त्र± ब् अथवा 2 1 ण्ण्ण् ;3द्ध अग समीकरण ;3द्ध में अ को ल से प्रतिस्थापित करने पर हम पाते हैं कि ग ⎛ ल  ेमब ⎜⎟ ⎝ ग ⎠ त्र ब्, जहाँ ब् त्र ± ब् ⎛ ल ⎞ 21 ⎜⎟ ;ग द्ध ⎝ ग  ⎛ ल  अथवा ेमब ⎜ ⎟त्र ब् गल ⎝ ग ⎠ यह दिए हुए अवकल समीकरण का व्यापक हल है। उदाहरण 28 अवकल समीकरण ;जंददृ1 लदृ गद्ध कल त्र ;1 ़ ल 2द्ध कग का हल ज्ञात कीजिए। हल दिया हुआ अवकल समीकरण निम्नलिख्िात रूप में लिखा जा सकता हैः कग ग जंद −1 ल ़त्र 2 2 ण्ण्ण् ;1द्ध कल 1़ ल 1़ ल समीकरण ;1द्ध, कग ़ च् ग त्र फए के रूप का रैख्िाक अवकल समीकरण है। यहाँ कल 1 1 1 जंद −1 ल च् त्र एवं फ1 त्र है। इसलिए 12 2 1 ़ ल 1़ ल 1 ∫ 2 कल −1 1़ ल जंद ल प्ण्थ्ण् त्र म त्र म इसलिए दिए हुए अवकल समीकरण का हल हैः −1 1 ⎛ ल ⎞−1 − जंद जंद ल जंद ल गम त्र म कल ़ ब् ण्ण्ण् ;2द्ध ∫⎜ 2 ⎟ 1़ ल ⎝⎠ ⎛ जंद −1 ल ⎞ जंद −1 ल मान लीजिए प् त्र⎜ ⎟ म कल ∫ 2 1 ़ ल ⎝⎠ ⎛ 1 ⎞ जंददृ1 ल त्र ज प्रतिस्थापित करने पर हम पाते हैं कि कल त्र कज ⎜ 2 ⎟ 1 ़ ल ⎝⎠ ज अतः प् त्र ∫ज म कज ए प् त्र ज मजदृ ∫1 ण् मज मजए प् त्र ज मज दृ मज त्र मज ;ज दृ 1द्ध जंद अथवा प् त्र म −1 ल ;जंददृ1 ल दृ1द्ध समीकरण ;2द्ध में प् का मान प्रतिस्थापित करने पर हम जंद − 1 ल जं द −1 ल −1 ग ण् म त्र म ;जंद ल − 1द्ध ़ ब् पाते हैं −1 − जंद −1 ल अथवा ग त्र ;जंद ल −1द्ध ़ ब् म यह दिए हुए अवकल समीकरण का व्यापक हल है। अध्याय 9 पर विविध् प्रश्नावली 1ण् निम्नलिख्िात अवकल समीकरणों में से प्रत्येक की कोटि एवं घात ;यदि परिभाष्िात होद्ध ज्ञात कीजिए। 2 32 क 2 ल ⎛ कल  ⎛ कल ⎞⎛ कल ⎞ ;पद्ध ़ 5ग⎜ ⎟− 6 ल त्र सवह ग ;पपद्ध ⎜ ⎟− 4⎜ ⎟़ 7 ल त्र ेपद ग कग 2 ⎝ कग  ⎝ कग ⎠⎝ कग ⎠ 43 कल ⎛ कल ⎞ ;पपपद्ध 4 − ेपद ⎜ 3 ⎟त्र 0 कग ⎝ कग  2ण् निम्नलिख्िात प्रश्नों में प्रत्येक के लिए सत्यापित कीजिए कि दिया हुआ पफलन ;अस्पष्ट अथवा स्पष्टद्ध संगत अवकल समीकरण का हल है। क 2 ल कल ;पद्ध गल त्र ं मग ़ इ मदृ ग ़ ग 2रू ग 2 ़ 2 − गल ़ ग 2 − 2 त्र 0 कग कग ग क 2 ल कल ;पपद्ध ल त्र म ;ं बवे ग ़ इ ेपद गद्धरू − 2 ़ 2ल त्र 0 कग 2 कग क 2 ल त्र ;पपपद्ध ल त्र ग ेपद 3ग रू2 ़ 9 ल − 6बवे3 ग 0 कग कल ;पअद्ध ग 2 त्र 2ल 2 सवह ल रू;ग 2 ़ ल 2द्ध − गल त्र 0 कग 3ण् ;ग दृंद्ध2 ़ 2ल 2 त्र ं 2ए द्वारा निरूपित वक्रों के वुफल का अवकल समीकरण निमिर्त कीजिए जहाँ ं एक स्वेच्छ अचर है। 4ण् सि( कीजिए कि ग2 दृ ल2 त्र ब ;ग2 ़ ल2द्ध2 जहाँ ब एक प्राचल है, अवकल समीकरण 2 ;ग 3 दृ 3ग ल 2द्ध कग त्र ;ल 3 दृ 3गलद्ध कल का व्यापक हल है। 5ण् प्रथम चतुथा±श में ऐसे वृत्तों के वुफल का अवकल समीकरण ज्ञात कीजिए जो निदेर्ंशंाक अक्षों को स्पशर् करते हैं। कल 1− ल 2 6ण् अवकल समीकरण ़ 2 त्र 0 , जबकि ग ≠1 का व्यापक हल ज्ञात कीजिए। कग 1 − ग कल ल 2 ़ ल ़1 7ण् दशार्इए कि अवकल समीकरण ़ 2 त्र 0 का व्यापक हल कग ग ़ ग ़1 ;ग ़ ल ़ 1द्ध त्र । ;1 दृ ग दृ ल दृ 2गलद्ध है, जिसमें । एक प्राचल है।  π⎞ 8ण् ¯बदु ⎜0ए ⎟ से गुजरने वाले एक ऐसे वक्र का समीकरण ज्ञात कीजिए जिसका अवकल ⎝ 4  समीकरण ेपद ग बवे ल कग ़ बवे ग ेपद ल कल त्र 0 है। ग 9ण् अवकल समीकरण ;1 ़ म 2गद्ध कल ़ ;1 ़ ल 2द्ध म कग त्र 0 का एक विश्िाष्ट हल ज्ञात कीजिए, दिया हुआ है कि ल त्र 1 यदि ग त्र 0ण् गग ⎛⎞ 10ण् अवकल समीकरण ल ⎜ ल 2 ⎟ का हल ज्ञात कीजिए। लम कग त्र गम ़ ल कल ; ल ≠0द्ध ⎝⎠ 11ण् अवकल समीकरण ;ग दृ लद्ध ;कग ़ कलद्ध त्र कग दृ कल का एक विश्िाष्ट हल ज्ञात कीजिए, दिया हुआ है कि ल त्र दृ1ए यदि ग त्र 0 ;संकेतरू ग दृ ल त्र ज रखेंद्ध। ⎡− ⎤ म 2 ग लकग 12ण् अवकल समीकरण ⎢ − ⎥त्र1; ग ≠ 0द्ध का हल ज्ञात कीजिए। ⎣ गग ⎦ कल कल 13ण् अवकल समीकरण ़लबवज ग त्र 4ग बवेमब ग ;ग ≠ 0द्ध का एक विश्िाष्ट हल ज्ञात कीजिए, कग π दिया हुआ है कि ल त्र 0 यदि ग त्र ण् 2 कल 14ण् अवकल समीकरण ;ग ़ 1द्ध त्र 2 म दृल दृ 1 का एक विश्िाष्ट हल ज्ञात कीजिए, दिया हुआ कग है कि ल त्र 0 यदि ग त्र 0ण् 15ण् किसी गाँव की जनसंख्या की वृि की दर किसी भी समय उस गाँव के निवासियों की संख्या के समानुपाती है। यदि सन् 1999 में गाँव की जनसंख्या 20,000 थी और सन् 2004 में 25,000 थी, तो ज्ञात कीजिए कि सन् 2009 में गाँव की जनसंख्या क्या होगी? ल कग − ग कल 16ण् अवकल समीकरण त्र 0 का व्यापक हल हैः ल ;।द्ध गल त्र ब् ;ठद्ध ग त्र ब्ल2 ;ब्द्ध ल त्र ब्ग ;क्द्ध ल त्र ब्ग2 कग 17ण् ़ च्1ग त्र फ1 के रूप वाले अवकल समीकरण का व्यापक हल हैः कल ∫च्1 कल ∫च्1 कल ;।द्ध लम त्र∫; फ1म द्ध कल ़ ब् च् कग च् कग ∫ 1 ∫ 1 ;ठद्ध ल ण् म त्र∫;फ1म द्ध कग ़ ब् ∫च्1 कल ∫च्1 कल ;ब्द्ध गम त्र;फ1म द्ध कल ़ ब् ∫ ∫च्1 कग ∫च्1 कग ;क्द्ध गम त्र ∫; फ1म द्ध कग ़ ब् 18ण् अवकल समीकरण मग कल ़ ;ल मग ़ 2गद्ध कग त्र 0 का व्यापक हल हैः ;।द्ध ग मल ़ ग2 त्र ब् ;ठद्ध ग मल ़ ल2 त्र ब् ;ब्द्ध ल मग ़ ग2 त्र ब् ;क्द्ध ल मल ़ ग2 त्र ब् कृऽ कृ

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