
अध्याय ऽ प्द उवेज ेबपमदबमे वदम हमदमतंजपवद जमंते कवूद ूींज ंदवजीमत ींे इनपसज ंदक ूींज वदम ींे मेजंइसपेीमक ंदवजीमत नदकवमेण् प्द डंजीमउंजपबे ंसवदम मंबी हमदमतंजपवद इनपसके ं दमू ेजवतल जव जीम वसक ेजतनबजनतमण् दृ भ्म्त्ड।छ भ्।छज्ञम्स् ऽ 10ण्1 भूमिका ;प्दजतवकनबजपवदद्ध अपने दैनिक जीवन में हमें अनेक प्रश्न मिलते हैं जैसे कि आपकी ऊँचाइर् क्या है? एक पुफटबाल के ख्िालाड़ी को अपनी ही टीम के दूसरे ख्िालाड़ी के पास गेंद पहुँचाने के लिए गेंद पर किस प्रकार प्रहार करना चाहिए? अवलोकन कीजिए कि प्रथम प्रश्न का संभावित उत्तर 1.6 मीटर हो सकता है। यह एक ऐसी राश्िा है जिसमें केवल एक मान परिमाण जो एक वास्तविक संख्या है, सम्िमलित है। ऐसी राश्िायाँ अदिश कहलाती है। तथापि दूसरे प्रश्न का उत्तर एक ऐसी राश्िा है ;जिसे बल कहते हैंद्ध जिसमें मांसपेश्िायों की शक्ित परिमाण के साथ - साथ दिशा ;जिसमें दूसरा ख्िालाड़ी स्िथत हैद्ध भी सम्िमलित है। ऐसी राश्िायांँ सदिश कहलाती है। गण्िात, भौतिकी एवं अभ्िायांत्रिाकी में ये दोनों प्रकार की राश्िायाँ नामतः अदिश राश्िायाँ, जैसे कि लंबाइर्, द्रव्यमान, समय, दूरी, गति, क्षेत्रापफल, आयतन, तापमान, कायर्, ध्न, वोल्टता, घनत्व, प्रतिरोध्क इत्यादि एवं सदिश राश्िायाँ जैसे कि विस्थापन, वेग, त्वरण, बल, भार, संवेग, विद्युत क्षेत्रा की तीव्रता इत्यादि बहुध मिलती हंै। इस अध्याय में हम सदिशों की वुफछ आधरभूत संकल्पनाएँ, सदिशों की विभ्िान्न संियाएँ और इनके बीजीय एवं ज्यामितीय गुणध्मो± का अध्ययन करेंगे। इन दोनों प्रकार के गुणध्मो± का सम्िमलित रूप सदिशों की संकल्पना का पूणर् अनुभूति देता है और उपयुर्क्त च£चत क्षेत्रों में इनकी विशाल उपयोगिता की ओर प्रेरित करता है। 10ण्2 वुफछ आधरभूत संकल्पनाएँ ;ैवउम ठंेपब ब्वदबमचजेद्ध मान लीजिए कि किसी तल अथवा त्रिा - विमीय अंतरिक्ष में स कोइर् सरल रेखा है। तीर के निशानों की सहायता से इस रेखा को दो दिशाएँ प्रदान की जा सकती हैं। इन दोनों में से निश्िचत दिशा वाली कोइर् भी एक रेखा दिष्ट रेखा कहलाती है ख्आवृफति 10ण्1 ;पद्धए ;पपद्ध,। आवृफति 10.1 अब प्रेक्ष्िात कीजिए कि यदि हम रेखा ष्सष् को रेखाखंड ।ठ तक प्रतिबंध्ित कर देते हैं तब दोनों मे से किसी एक दिशा वाली रेखा ष्सष् पर परिमाण निधर्रित हो जाता है। इस प्रकार हमें एक दिष्ट रेखाखंड प्राप्त होता है ;आवृफति 10ण्1;पपपद्धद्ध। अतः एक दिष्ट रेखाखंड में परिमाण एवं दिशा दोनों होते हैं। परिभाषा 1 एक ऐसी राश्िा जिसमें परिमाण एवं दिशा दोनों होते हैं, सदिश कहलाती है। नननत ध्यान दीजिए कि एक दिष्ट रेखाखंड सदिश होता है ;आवृफति 10ण्1;पपपद्धद्धए जिसे ।ठ अथवा नननत त त साधरणतः ं ए के रूप में निदिर्ष्ट करते हैं और इसे सदिश ‘ ।ठ ’ अथवा सदिश ‘ं ’ के रूप में पढ़ते हैं। नननत वह ¯बदु । जहाँ से सदिश ।ठ प्रारंभ होता है, प्रारंभ्िाक ¯बदु कहलाता है और वह ¯बदु ठ जहाँ नननत पर सदिश ।ठ ए समाप्त होता है अंतिम ¯बदु कहलाता है। किसी सदिश के प्रारंभ्िाक एवं अंतिम ¯बदुओं नननत त के बीच की दूरी सदिश का परिमाण ;अथवा लंबाइर्द्ध कहलाता है और इसे द्य ।ठ द्य अथवा द्य ं द्य के रूप में निदिर्ष्ट किया जाता है। तीर का निशान सदिश की दिशा को निदिर्ष्ट करता है। स्िथति सदिश ;च्वेपजपवद टमबजवतद्ध कक्षा ग्प् से, त्रिा - विमीय दक्ष्िाणावतीर् समकोण्िाक निदेर्शांक प(ति को स्मरण कीजिए ;आवृफति 10.2 ;पद्धद्ध। अंतरिक्ष में मूल ¯बदु व्;0ए 0ए 0द्ध के सापेक्ष एक ऐसा ¯बदु च् लीजिए जिसके नननत निदेर्शांक ;गए लए ्रद्ध है। तब सदिश व्च् जिसमें व् और च् क्रमशः प्रारंभ्िाक एवं अंतिम ¯बदु हैं, व् के आवृफति 10.2 नननत सापेक्ष ¯बदु च् का स्िथति सदिश कहलाता है। दूरी सूत्रा ;कक्षा ग्प् सेद्ध का उपयोग करते हुए व्च् त ;अथवा त द्ध का परिमाण निम्नलिख्िात रूप में प्राप्त होता हैः नननत 2 22 द्यव्च्द्य त्र ग ़ ल ़ ्र व्यवहार में मूल ¯बदु व् के सापेक्ष, ¯बदुओं ।ए ठए ब् इत्यादि के स्िथति सदिश क्रमशः एं इ ए ब तत त से निदिर्ष्ट किए जाते हंै ख्आवृफति 10ण्2;पपद्ध,। दिव्फ - कोसाइन ;क्पतमबजपवद ब्वेपदमेद्ध नननत त एक ¯बदु च्;गए लए ्रद्ध का स्िथति सदिश व्च् ; अथवा त द्ध लीजिए जैसा कि आवृफति 10.3 में दशार्या त गया है। सदिश त द्वारा गए ल एवं ्र.अक्ष की ध्नात्मक दिशाओं के साथ बनाए गए क्रमशः कोण αए βए एवं γ दिशा कोण कहलाते हैं। इन कोणों के कोसाइन मान अथार्त् बवेαए बवे β एवं बवे γ सदिश त त के दिव्फ - कोसाइन कहलाते हैं और सामान्यतः इनको क्रमशः सए उ एवं द से निदिर्ष्ट किया जाता है। आवृफति 10ण्3ए से हम देखते हैं कि त्रिाभुज व्।च् एक समकोण त्रिाभुज है और इस त्रिाभुज से हम ग त बवे αत्र त ;त को द्यद्य त वफ लिए पेयाग्रे किया गया हद्धै प्राप्त करते हैं। इसी प्रकार समकोण त्रिाभुजों व्ठच् एवं व्ब्च् से हम बवे βत्र ल एवं बवे γत्र ्र लिख सकते हैं। इस प्रकार ¯बदु च् के निदेर्शांकों तत को ;सतए उतए दतद्ध के रूप में अभ्िाव्यक्त किया जा सकता है। दिव्फ - कोसाइनके समानुपाती संख्याएँ सतए त उत एवं दत सदिश त के दिव्फ - अनुपात कहलाते हैं और इनको क्रमशः ंए इ तथा ब से निदिर्ष्ट किया जाता है। 10ण्3 सदिशों के प्रकार ;ज्लचमे व िटमबजवतेद्ध शून्य सदिश ख्र्मतव ;दनससद्ध टमबजवत, एक सदिश जिसके प्रारंभ्िाक एवं अंतिम ¯बदु संपाती होते हैं, त शून्य सदिश कहलाता है और इसे 0 के रूप में निदिर्ष्ट किया जाता है। शून्य सदिश को कोइर् निश्िचत दिशा प्रदान नहीं की जा सकती क्योंकि इसका परिमाण शून्य होता है अथवा विकल्पतः इसको कोइर् नननत नननत भी दिशा धरण किए हुए माना जा सकता है। सदिश ।।एठठ शून्य सदिश को निरूपित करते हैं। मात्राक सदिश ;न्दपज टमबजवतद्ध एक सदिश जिसका परिमाण एक ;अथवा 1 इकाइर्द्ध है मात्राक सदिश त कहलाता है। किसी दिए हुए सदिश ं की दिशा में मात्राक सदिश को ं६से निदिर्ष्ट किया जाता है। सह - आदिम सदिश ;ब्व.पदपजपंस टमबजवतेद्धदो अथवा अध्िक सदिश जिनका एक ही प्रारंभ्िाक ¯बदु है, सह आदिम सदिश कहलाते हैं। संरेख सदिश ;ब्वससपदमंत टमबजवतेद्ध दो अथवा अध्िक सदिश यदि एक ही रेखा के समांतर है तो वे संरेख सदिश कहलाते हैं। तत समान सदिश ;म्ुनंस टमबजवतेद्ध दो सदिश ं तथा इ समान सदिश कहलाते हैं यदि उनके परिमाण तत एवं दिशा समान हैं। इनको ं त्र इ के रूप में लिखा जाता है। )णात्मक सदिश ;छमहंजपअम व िं टमबजवतद्ध एक सदिश जिसका परिमाण दिए हुए सदिश ;मान नननत लीजिए ।ठ द्ध के समान है परंतु जिसकी दिशा दिए हुए सदिश की दिशा के विपरीत है, दिए हुए सदिश टिप्पणी उपयुर्क्त परिभाष्िात सदिश इस प्रकार है कि उनमें से किसी को भी उसके परिमाण एवं दिशा को परिवतिर्त किए बिना स्वयं के समांतर विस्थापित किया जा सकता है। इस प्रकार के सदिश स्वतंत्रा सदिश कहलाते हैं। इस पूरे अध्याय में हम स्वतंत्रा सदिशों की ही चचार् करेंगे। नननत नननत का )णात्मक कहलाता है। उदाहरणतः सदि श ठ। ए सदिश ।ठ का )णात्मक है और इसे नननत नननत ठ। त्र − ।ठ के रूप में लिखा जाता है। उदाहरण 1 दक्ष्िाण से30° पश्िचम में, 40 ाउ के विस्थापन का आलेखीय निरूपण कीजिए। नननत हल सदिश व्च् अभीष्ट विस्थापन को निरूपित करता है ;आवृफति 10.4 देख्िाएद्ध। उदाहरण 2 निम्नलिख्िात मापों को अदिश एवं सदिश के रूप में श्रेणीब( कीजिए। ;पद्ध 5 े ;पपद्ध 1000 बउ3 ;पपपद्ध 10 छ ;पअद्ध 30 ाउध्ी ;अद्ध 10 हध्बउ3 ;अपद्ध 20 उध्े उत्तर की ओर आवृफति 10.4 हल ;पद्ध समय - अदिश ;पपद्ध आयतन - अदिश ;पपपद्ध बल - सदिश ;पअद्ध गति - अदिश ;अद्ध घनत्व - अदिश ;अपद्ध वेग - सदिश उदाहरण 3 आवृफति 10.5 में कौन से सदिश ;पद्ध संरेख हैं ;पपद्ध समान हैं ;पपपद्ध सह - आदिम हैं हल ततत ;पद्ध संरेख सदिश रू ंए ब तथा क तत ;पपद्ध समान सदिश रू ं तथा ब तत त ;पपपद्ध सह - आदिम सदिश रू इए ब तथा क प्रश्नावली 10.1 1ण् उत्तर से 30° पूवर् में 40 ाउ के विस्थापन का आलेखीय निरूपण कीजिए। 2ण् निम्नलिख्िात मापांे को अदिश एवं सदिश के रूप में श्रेणीब( कीजिए। ;पद्ध 10 ाह ;पपद्ध 2 मीटर उत्तर - पश्िचम ;पपपद्ध 40° 10दृ19 ;पअद्ध 40 वाट ;अद्ध वूफलंब ;अपद्ध 20 उध्े2 3ण् निम्नलिख्िात को अदिश एवं सदिश राश्िायों के रूप में श्रेणीब( कीजिए। ;पद्ध समय कालांश ;पपद्ध दूरी ;पपपद्ध बल ;पअद्ध वेग ;अद्ध कायर् 4ण् आवृफति 10.6 ;एक वगर्द्ध में निम्नलिख्िात सदिशों को पहचानिए। ;पद्ध सह - आदिम ;पपद्ध समान ;पपपद्ध संरेख परंतु असमान 5ण् निम्नलिख्िात का उत्तर सत्य अथवा असत्य के रूप में दीजिए। त ;पद्ध ं तथा − ं त संरेख हैं। ;पपद्ध दो संरेख सदिशों का परिमाण सदैव समान होता है। ;पपपद्ध समान परिमाण वाले दो सदिश संरेख होते हैं। ;पअद्ध समान परिमाण वाले दो संरेख सदिश समान होते हैं। 10ण्4 सदिशों का योगपफल ;।ककपजपवद व िटमबजवतेद्ध नननत सदिश ।ठ से साधरणतः हमारा तात्पयर् है ¯बदु । से ¯बदु ठ तक विस्थापन। अब एक ऐसी स्िथति की चचार् कीजिए जिसमें एक लड़की ¯बदु । से ¯बदु ठ तक चलती है और उसके बाद ¯बदु ठ से ¯बदु ब् तक चलती है ;आवृफति 10ण्7द्ध। ¯बदु । से ¯बदु ब् तक लड़की द्वारा किया गया वुफल विस्थापन सदिशए नननत नननत नननत नननत ।ब् से प्राप्त होता है और इसे ।ब् त्र।ठ ़ ठब् के रूप में अभ्िाव्यक्त किया जाता है। यह सदिश योग का त्रिाभुज नियम कहलाता है। त त सामान्यतः, यदि हमारे पास दो सदिश ं तथा इ हैंख्आवृफति 10ण्8 ;पद्ध,ए तो उनका योग ज्ञात करने के लिए उन्हें इस स्िथति में लाया जाता है, ताकि एक का प्रारंभ्िाक ¯बदु दूसरे के अंतिम ¯बदु के संपाती हो जाए ख्आवृफति10ण्8;पपद्ध,। त उदाहरणतः आवृफति 10ण्8 ;पपद्ध में, हमने सदिश इ के परिमाण एवं दिशा को परिवतिर्त किए बिना इस त प्रकार स्थानांतरित किया है ताकि इसका प्रारंभ्िाक ¯बदु, ं के अंतिम ¯बदु के संपाती है तब त्रिाभुज ।ठब् त तत त की तीसरी भुजा ।ब् द्वारा निरूपित सदिश ं ़ इ हमें सदिशों ं तथा इ का योग ;अथवा परिणामीद्ध नननत नननतनननत प्रदान करता है, अथार्त्् त्रिाभुज ।ठब् में हम पाते हैं कि ।ठ ़ ठब् त्र ।ब् ख्आवृफति 10ण्8 ;पपद्ध,। नननत नननत अब पुनः क्योंकि ।ब् त्र− ब्। ए इसलिए उपयुर्क्त समीकरण से हम पाते हैं कि नननत त नननत नननत नननत ।ठ ़ ठब् ़ ब्। त्र ।। त्र 0 इसका तात्पयर् यह है कि किसी त्रिाभुज की भुजाओं को यदि एक क्रम में लिया जाए तो यह शून्य परिणामी की ओर प्रेरित करता है क्योंकि प्रारंभ्िाक एवं अंतिम ¯बदु संपाती हो जाते हैं ख्आवृफति 10ण्8;पपपद्ध,। ननननत नननत अब एक सदिश ठब्′ की रचना इस प्रकार कीजिए ताकि इसका परिमाण सदिश ठब् ए के नननत परिमाण के समान हो, परंतु इसकी दिशा ठब् की दिशा के विपरीत हो आवृफति 10.8;पपपद्ध अथार्त्् नननतननननत ठब्′ त्र −ठब् तब त्रिाभुज नियम का अनुप्रयोग करते हुए ख्आवृफति 10.8;पपपद्ध, से हम पाते हैं कि त ननननत नननत ननननत नननत नननत त ।ब् ′त्र ।ठ ़ ठब् ′ त्र ।ठ ़−; ठब्द्ध त्र ं − इ ननननत तत सदिश ।ब्′ ए ं तथा इ के अंतर को निरूपित करता है। अब किसी नदी के एक किनारे से दूसरे किनारे तक पानी के बहाव की दिशा के लंबवत्् जाने वाली एक नाव की चचार् करते हैं। तब इस नाव पर दो वेग सदिश कायर् कर रहे हैं, एक इंजन द्वारा नाव को दिया गया वेग और दूसरा नदी के पानी के बहाव का वेग। इन दो वेगों के युगपत प्रभाव से नाव वास्तव में एक भ्िान्न वेग से चलना शुरू करती है। इस नाव की प्रभावी गति एवं दिशा ;अथार्त्् परिणामी वेगद्ध के बारे में यथाथर् विचार लाने के लिए हमारे पास सदिश योगपफल का निम्नलिख्िात नियम है। यदि हमारे पास एक समांतर चतुभुर्ज की दो संलग्न भुजाओं से निरूपित किए जाने वाले त त ;परिमाण एवं दिशा सहितद्ध दो सदिश ं तथा इ है ;आवृफति 10.9द्ध तब समांतर चतुभुर्ज की इन दोनों भुजाओं के उभयनिष्ठ ¯बदु से गुजरने वाला तत विकणर् इन दोनों सदिशों के योग ं ़ इ को परिमाण एवं दिशा सहित निरूपित करता है। यह सदिश योग का समांतर चतुभुर्ज नियम कहलाता है। आवृफति 10.9 सदिश योगपफल के गुणध्मर् ;च्तवचमतजपमे व िअमबजवत ंककपजपवदद्ध तत गुणध्मर् 1 दो सदिशों ं तथा इ के लिए तत तत ं ़ इ त्र इ ़ ं ;क्रमविनिमयताद्ध नननत नननत त त उपपिा समांतर चतुभुर्ज ।ठब्क् को लीजिए ;आवृफति 10.10द्ध मान लीजिए ।ठ त्र ं आरै ठब् त्र इए तब त्रिाभुज ।ठब् में त्रिाभुज नियम का उपयोग करते त नननतत हुए हम पाते हैं कि ।ब् त्र ं ़ इ अब, क्योंकि समांतर चतुभुर्ज की सम्मुख भुजाएँ समान एवं समांतर है, इसलिए आवृफति 10.10 में नननत नननत त नननत नननत त ।क्त्र ठब्त्र इ आरैक्ब् त्र ।ठ त्र ं है। पुनः त्रिाभुज ननननत नननत नननत ।क्ब् में त्रिाभुज नियम के प्रयोग से ।ब् त्र ।क़् क्ब् त त त्र इ ़ ं त त तत अतः ं ़ इ त्र इ ़ ं तत त आवृफति 10.10 गुणध्मर् 2 तीन सदिशों ंइ आरएैब के लिए त ततततत ;ं ़ इद्ध ़ ब त्र ं ़ ;इ ़ बद्ध ;साहचयर् गुणद्ध त नननत नननत नननततत उपपिा मान लीजिए, सदिशों एतथाब को क्रमशः च्फए फत् ं से निरूपित किया ंइ एवत्ै गया है जैसा कि आवृफति 10ण्11;पद्ध और ;पपद्ध में दशार्या गया है। आवृफति 10.11 नननत नननत नननत त त तब ं ़ इ त्र च्फ़फत्त्रच्त् नननत नननत नननत त त और त्र फत़्त्ै त्रफै इ ़ ब त नननत नननत ननत तत इसलिए ;ं ़ इ द्ध ़ ब त्र च्त् ़त्ै त्र च्ै त नननत नननत ननत तत और ं ़ ;इ ़ बद्ध त्र च्फ़फै त्र च्ै त त त ततत अतः ;ं ़ इद्ध ़ ब त्र ं ़ ;इ ़ बद्ध त तत टिप्पणी सदिश योगपफल के साहचयर् गुणध्मर् की सहायता से हम तीन सदिशों ंए इ तथाब का त तत योगपफल कोष्ठकों का उपयोग किए बिना ं ़ इ ़ ब के रूप में लिखते हैं। त नोट कीजिए कि किसी सदिश ं के लिए हम पाते हैंः तत ततत ं ़ 0 त्र0 ़ ं त्र ं त यहाँ शून्य सदिश 0 सदिश योगपफल के लिए योज्य सवर्समिका कहलाता है। 10ण्5 एक अदिश से सदिश का गुणन ;डनसजपचसपबंजपवद व िं टमबजवत इल ं ैबंसंतद्ध त त मान लीजिए कि ं एक दिया हुआ सदिश है और λ एक अदिश है। तब सदिश ं का अदिश λए त त से गुणनपफल जिसे λ ं के रूप में निदिर्ष्ट किया जाता है, सदिश ं का अदिश λ से गुणन कहलाता त त है। नोट कीजिए कि λ ं भी सदिश ं के संरेख एक सदिश है। λ के मान ध्नात्मक अथवा )णात्मक त त त त होने के अनुसार λ ं की दिशा, ं के समान अथवा विपरीत होती है। λ ं का परिमाण ं के परिमाण काद्य λद्य गुणा होता है, अथार्त्् त द्य λं त द्य त्रद्य λ द्यद्य ं द्य एक अदिश से सदिश के गुणन का ज्यामितीय चाक्षुषीकरण ख्रूप की कल्पना ;अपेनंसपेंजपवदद्ध, आवृफति 10.12 में दी गइर् है। आवृफति 10.12 त त जबλ त्र दृ 1ए तब λं त त्र− ं जो एक ऐसा सदिश है जिसका परिमाण ं के समान है और दिशा त त त ं की दिशा के विपरीत है। सदिश दृ ं सदिश ं का )णात्मक ;अथवा योज्य प्रतिलोमद्धकहलाता त तततत है और हम हमेशा ं ़ ;दृ ंद्ध त्र ;दृ ंद्ध ़ ं त्र 0 पाते हैं। और यदि त्रλ 1 त ए दिया हुआ है कि ं त ≠ 0ए अथातर् ् ं त एक शून्य सदिश नहीं है तब द्य ं द्य द्य द्यंλ त्र त द्य द्यद्य λ द्यं त त्र 1 द्य ं त द्य द्य द्य 1ं त्र त त त इस प्रकार λ ं ए ं की दिशा में मात्राक सदिश को निरूपित करता है। हम इसे 1 त ं६ त्र त ं के रूप में लिखते हैं। द्य ं द्य 10ण्5ण्1 एक सदिश के घटक ;ब्वउचवदमदजे व िं अमबजवतद्ध आइर्ए ¯बदुओं।;1ए 0ए 0द्धए ठ;0ए 1ए 0द्धऔर ब्;0ए0ए 1द्ध को क्रमशः ग.अक्षए ल.अक्ष एवं्र.अक्षपर लेते हैं। तब स्पष्टतः नननत नननतनननत द्य व्। द्य त्र 1एद्यव्ठद्य त्र 1 और द्य व्ब् द्य त्र1 नननत नननत नननत सदिश व्।ए व्ठ आरै व्ब् जिनमें से प्रत्येक का परिमाण 1 हैं आवृफति 10.13 क्रमशः व्ग्ए व्ल् और व्र् अक्षों के अनुदिश मात्राक सदिश कहलाते हैं और इनको क्रमशः प६ए र६ और ा६ द्वारा निदिर्ष्ट किया जाता है ;आवृफति 10.13द्ध। नननत अब एक ¯बदु च्;गए लए ्रद्ध का स्िथति सदिश व्च् लीजिए जैसा कि आवृफति 10.14 में दशार्या गया है। मान लीजिए कि ¯बदु च्1 से तल ग्व्ल् पर खींचे गए लंब का पाद ¯बदु च्1 है। इस प्रकार हम देखते हैं कि च्1 च्ए ्र.अक्ष के समांतर है। क्योंकि प६ए र६ एव ं ा६ क्रमशः गए ल एवं ्र.अक्ष के अनुदिश नननत नननत मात्राक सदिश है और च् के निदेर्शांकों की परिभाषा के अनुसार हम पाते हैं किच्च् त्र व्त् त्र ्रा ६ण् इसी 1 नननत नननत नननत प्रकार फच् त्रव्ै त्र लर ६ और व्फ त्र गप ६ण् इस प्रकार हम पाते हैं कि 1 नननत नननत नननत व्च् 1 त्र व्फ़फच् 1 त्र गप ६ ़ लर ६ नननत ननननत नननत और व्च् त्र व्च् ़च्च् त्र गप ६ ़ लर ६ ़ ्रा ६ 11 नननत त ६ इस प्रकार व् के सापेक्ष च् का स्िथति सदिश व्च् ; अथवातद्ध त्र गप ६ ़ लर ६ ़ ्रा के रूप में प्राप्त होता है। त किसी भी सदिश का यह रूप घटक रूप कहलाता है। यहाँ गए ल एवं ्रए त के अदिश घटक त कहलाते हैं और गप ६ए लर ६ एवं ्रा ६ क्रमागत अक्षों के अनुदिश त के सदिश घटक कहलाते हैं। कभी - कभी गए ल एवं ्र को समकोण्िाक घटक भी कहा जाता है। त किसी सदिश त त्र गप ६ ़ लर ६ ़ ्रा ६ए की लंबाइर् पाइथागोरस प्रमेय का दो बार प्रयोग करके तुरंत ज्ञात की जा सकती है। हम नोट करते हैं कि समकोण त्रिाभुज व्फच्1 में ;आवृफति 10ण्14द्ध ननननत ननननत नननत 2 2 22 द्यव्च् 1द्य त्र द्यव्फद्य ़द्यफच्द्य 1त्र ग ़ ल और समकोण त्रिाभुज व्च्1च्ए में हम पाते हैं कि नननत नननत नननत 2 2 222 द्यव्च्द्य त्र द्यव्च्द्य ़ द्य च्च्द्य त्र ; ग ़ ल द्ध ़ ्र 11 त त 2 22 अतः किसी सदिश त त्र गप ६ ़ लर ६़ ्रा ६ की लंबाइर् द्य त द्य त्र द्य गप ६ ़ लर ६ ़ ्रा ६द्य त्र ग ़ ल ़ ्र के रूप में प्राप्त होती है। तत यदि दो सदिश ं आरै इ घटक रूप में क्रमशः ंप ६ ़ ं ६र ़ ंा ६ और इप ६ ़ इ ६र ़ इा ६ द्वारा दिए 1 23 123 गए हैं तो तत ;पद्ध सदिशों ं आरै इ को योग तत ं ़ इ त्र ;ं ़ इ द्धप६ ़ ;ं ़ इ द्ध र६ ़ ;ं ़ इ द्धा६ के रूप में प्राप्त होता है। 1122 33 तत ;पपद्ध सदिश ं आरै इ का अंतर तत ं − इ त्र ;ं −इ द्धप६ ़ ;ं − इ द्ध र६ ़ ;ं − इ द्धा६ के रूप में प्राप्त होता है। 1122 33 तत ;पपपद्ध सदिश ं आरै इ समान होते हैं यदि और केवल यदि ं त्र इए ं त्र इऔर ं त्र इ 1 122 33 त ;पअद्ध किसी अदिश λ से सदिश ं का गुणन ़λ λं द्धा६ द्वारा प्रदत्त है। λं त त्र ;λं द्ध६प ; ं द्ध६र ़ ; 12 3 सदिशों का योगपफल और किसी अदिश से सदिश का गुणन सम्िमलित रूप में निम्नलिख्िात वितरण - नियम से मिलता है तत मान लीजिए कि ं आरै इ कोइर् दो सदिश हैं और ा एवं उ दो अदिश हैं तब तत तत ततत तत ां ़ उं ;;ाउ ं ;पपपद्ध ;पद्ध उं त्र ;ा ़ द्ध ;पपद्ध ा उं द्ध त्र द्ध ा;ं ़ इद्ध त्र ां ़ ाइ टिप्पणी त 1ण् आप प्रेक्ष्िात कर सकते हैं कि λ के किसी भी मान के लिए सदिश λं त हमेशा सदिश ं के त त संरेख है। वास्तव में दो सदिश ं आरै इ संरेख तभी होते हैं यदि और केवल यदि एक ऐसे त त तत शून्येतर अदिश λ का अस्ितत्व हैं ताकि इ त्रλं हो। यदि सदिश ं आरै इ घटक रूप में दिए त त ६६६ ६६६ हुए हैं, अथार्त्् ं त्र ंप 1 ़ ं2 र ़ 3 और इ त्र इप ़ इर ़ इा ंा एतब दो सदिश संरेख होते हैं 12 3 यदि और केवल यदि इप ६ ़ इ ६र ़इा ६ त्र λ;ंप ६ ़ ं ६र ़ ंा ६द्ध 123 123 इप ६ ़ इ ६र ़इा ६;λं द्धप६ ़λ ; ं द्ध६ ; ं द्ध६ र ़λ ा ⇔ 123 त्र 1 2 3 ⇔ इ त्रλं ए इ त्रλ ं ए इ त्रλ ं 112 23 3 इ3इ1 इ2 ⇔ त्र त्रत्रλ ंं 1 23 त त 2ण् यदि ं त्र ंप ६ ़ ंर६ ़ ंा ६ तब ं ए ं ए ं सदिश ं के दिव्फ - अनुपात कहलाते हैं। 123 123 3ण् यदि सए उए द किसी सदिश के दिव्फ - कोसाइनहैं तब सप ६ ़ उर ६ ़ दा ६त्र ;बवे αद्धप६ ़;बवे βद्ध६ऱ ;बवे γ द्धा६ दिए हुए सदिश की दिशा में मात्राक सदिश है जहाँ αए β एवंγ दिए हुए सदिश द्वारा क्रमशः गए ल एवं ्र अक्ष के साथ बनाए गए कोण हैं। त उदाहरण 4 गए ल और ्र के मान ज्ञात कीजिए ताकि सदिश ं त त्र गप ६ ़ 2६र ़ ्रा ६ और इ त्र 2प६ ़ लर ६ ़ ा६ समान हैं। हल ध्यान दीजिए कि दो सदिश समान होते हैं यदि और केवल यदि उनके संगत घटक समान है। तत अतः दिए हुए सदिश ं आरैइ समान होंगे यदि और केवल यदि ग त्र 2ए ल त्र 2ए ्र त्र 1 तत तत तत उदाहरण 5 मान लीजिए ंत्रप६़ 2६र और इ त्र 2प६ ़ ६र तब क्या द्य ं द्य त्र द्य इ द्य हैघ् क्या सदिश ं आरै इ समान हैं? त त हल यहाँ द्य ं द्य त्र 12 ़ 22 त्र 5 और द्य इ द्यत्र 22 ़12 त्र 5 तत इसलिए द्य ं द्य त्रद्य इ द्य परंतु दिए हुए सदिश समान नहीं हैं क्योंकि इनके संगत घटक भ्िान्न हैं। उदाहरण 6 सदिश ं त त्र 2प६ ़ 3६र ़ ा६ के अनुदिश मात्राक सदिश ज्ञात कीजिए। त हल सदिश ं के अनुदिश मात्राक सदिश ं६ त्र 1 त ं त द्वारा प्राप्त होता है। द्य ं द्य त अब द्य ं द्य त्र 2311 ६ ६६६ इसलिए ं६ त्र ;2 प६ ़ 3६र ़ा द्ध त्र प ़ र ़ ा 14 14 14 14 त उदाहरण7 सदिश ं त्र प६ − 2६र के अनुदिश एक ऐसा सदिश ज्ञात कीजिए जिसका परिमाण 7 इकाइर् है। त 1 त 1 12 ६६ ६६ हल दिए हुए सदिश ं के अनुदिश मात्राक सदिश ं६ त्र तं त्र ;प − 2 रद्ध त्र प − र है। द्य ं द्य5 55 त ∧7 14 ⎛ 1 ∧ 2 ∧⎞ ६६ प − र इसलिए ं के अनुदिश और 7 परिमाण वाला सदिश 7 ं त्र 7 प− र त्र है। ⎜ ⎟ 5 5 ⎝ 55 ⎠ त त उदाहरण 8 सदिशों ं त्र 2प६ ़ 2६र दृ5 ा६ और इ त्र 2प६ ़ ६र ़ 3ा६ के योगपफल के अनुदिश मात्राक सदिश ज्ञात कीजिए। हल दिए हुए सदिशों का योगपफल त तत त ं ़ इ त्र बए जहाँ ब त्र4 प६ ़ 3६र − 2ा६ है। त 22 2 और द्य ब द्य त्र 4 ़ 3 ़− ; 2द्ध त्र 29 अतः अभीष्ट मात्राक सदिश 1 त 1 432 ब६ त्र तब त्र ;4 प६ ़ 3६र − 2द्ध ा६ त्र प६ ़ ६र − ा६ है। द्य ब द्य29 29 29 29 त ६ उदाहरण 9 सदिश ं त्र प६ ़ ६र − 2ा के दिव्फ - अनुपात लिख्िाए और इसकी सहायता से दिव्फ - कोसाइन ज्ञात कीजिए। हल ध्यान दीजिए कि सदिश त तत्र गप ६ ़ लर ६ ़ ्रा ६ के दिव्फ - अनुपात ंए इए ब सदिश के, क्रमागत घटक गए लए ्र होते हैं। इसलिए दिए हुए सदिश के लिए हम पाते हैं कि ं त्र 1ए इ त्र 1 और ब त्र दृ2 है। पुनः यदि सए उ और द दिए हुए सदिश के दिव्फ - कोसाइन हैं तोः ं 1 इ 1 ब −2 त स त्र त त्र ए उ त्र त त्र ए द त्र त त्र ; क्योिं क द्यत द्य त्र 6द्ध द्य त द्य6 द्य त द्य6 द्य त द्य6 ⎛ 11 2 ⎞ अतः दिव्फ - कोसाइन ए एदृ हैं। ⎜ ⎟ ⎝ 66 6 ⎠ 10ण्5ण्2 दो ¯बदुओं को मिलाने वाला सदिश ;टमबजवत रवपदपदह जूव चवपदजेद्ध यदि च्;ग ए लए ्र द्ध और च्;ग ए लए ्र द्ध दो ¯बदु हैं तब 11112222 ननननत च् को च् से मिलाने वाला सदिश च्च् है ;आवृफति 12 12 10.15द्ध। च्1 और च्2 को मूल ¯बदु व् से मिलाने पर और त्रिाभुज नियम का प्रयोग करने पर हम त्रिाभुज नननत ननननतननननत व्च्1च्2 से पाते हैं कि व्च् ़ च्च् त्र व्च् 112 2 सदिश योगपफल के गुणध्मो± का उपयोग करते हुए उपयुर्क्त समीकरण निम्नलिख्िात रूप से लिखा जाता है। ननननतननननत नननत च्च् त्रव्च् − व्च् 1221 ननननत अथार्त्् त्र;गप ६ ़ ल ६र ़ ्रा६द्ध − ; गप ६ ़ लर ६ ़ ्रा ६द्ध च्च् 222 111 12 त्र;ग − ग द्धप६ ़ ; ल − ल द्ध६र ़ ;्र − ्र द्धा६ 21 21 21 नननननतननननत 2 22 च्च् सदिश च्च् का परिमाण त्र ; ग − ग द्ध ़ ; ल − ल द्ध ़ ; ्र − ्र द्ध के रूप में प्राप्त 121221 2121 होता है। उदाहरण10 ¯बदुओं च्;2ए 3ए 0द्ध एवं फ;दृ 1ए दृ 2ए दृ 4द्ध को मिलाने वाला एवं च् से फ की तरपफ दिष्ट सदिश ज्ञात कीजिए। हल क्योंकि सदिश च् से फ की तरपफ दिष्ट है, स्पष्टतः च् प्रारंभ्िाक ¯बदु है और फ अंतिम ¯बदु है, नननत इसलिए च् और फ को मिलाने वाला अभीष्ट सदिश च्फ ए निम्नलिख्िात रूप में प्राप्त होता है। नननत च्फ त्र ;−− 2द्ध प६ ़− 2 −3द्ध र६ ;4 − 0द्ध ा६1; ़− नननत ६ अथार्त्् च्फ त्र −3प६ − 5६र − 4ा 10ण्5ण्3 खंड सूत्रा ;ैमबजपवद थ्वतउनसंद्ध मान लीजिए मूल ¯बदु व् के सापेक्ष च् और फ दो ¯बदु हैं जिनको नननत नननत स्िथति सदिश व्च् आरै व्फ से निरूपित किया गया है। ¯बदुओं च् एवं फ को मिलाने वाला रेखा खंड किसी तीसरे ¯बदु त् द्वारा दो प्रकार से विभाजित किया जा सकता है। अंतः ;आवृफति 10.16द्ध एवं बाह्य ;आवृफति 10.17द्ध। यहाँ हमारा नननत उद्देश्य मूल ¯बदु व् के सापेक्ष ¯बदु त् का स्िथति सदिश व्त् आवृफति 10.16 ज्ञात करना है। हम दोनों स्िथतियों को एक - एक करके लेते हैं। नननत स्िथति 1 जब त्ए च्फ को अंतः विभाजित करता है ;आवृफति 10.16द्ध। यदि त्ए च्फ को इस नननतनननत प्रकार विभाजित करता है कि उ त्फ त्र द च्त् ए जहाँ उ और द ध्नात्मक अदिश हैं तो हम कहते हैं नननत कि ¯बदु त्ए च्फ को उ रू द के अनुपात में अंतः विभाजित करता है। अब त्रिाभुजों व्त्फ एवं व्च्त् से नननतनननत नननत त त त्फ त्र व्फ − व्त् त्र इ − त नननतनननत नननत त त और त्र च्त् व्त् − व्च् त्र त − ं त तत इसलिए उ ;इ − त द्ध त्र द ;त त − ं द्ध ;क्यों?द्ध त त उइ ़ दं त अथवा त्र;सरल करने परद्ध तउ ़ द अतः ¯बदु त् जो कि च् और फ को उ रू द के अनुपात में अंतः विभाजित करता है का स्िथति सदिश त त नननतउइ ़ दं व्त् त्र के रूप में प्राप्त होता है। उ ़ द स्िथति प्प् जब त्ए च्फ को बाह्य विभाजित करता है ;आवृफति 10.17द्ध। यह सत्यापन करना हम पाठक के लिए एक प्रश्न के रूप में छोड़ते हैं कि रेखाखंड च्फ को उ रू द के ⎛ च्त् उ ⎞ अनुपात में बाह्य विभाजित करने वाले ¯बदु त् ⎜पण्मण्ए त्र⎟ त ⎝ फत् द ⎠ त नननतउइ − दं का स्िथति सदिश व्त् त्र के रूप में प्राप्त होता है। उ − द नननत टिप्पणी यदि त्ए च्फ का मध्य ¯बदु है तो उ त्र द और इसलिए स्िथति प् से च्फ के मध्य ¯बदु त् तत नननतं ़ इ का स्िथति सदिश व्त् त्र के रूप में होगा। 2 नननत त नननत त त त उदाहरण 11 दो ¯बदु च् और फ लीजिए जिनके स्िथति सदिश व्च् त्र 3ं − 2इ और व्फ त्र ं ़ इ हैं। एक ऐसे ¯बदु त् का स्िथति सदिश ज्ञात कीजिए जो च् एवं फ को मिलाने वाली रेखा को 2रू1 के अनुपात में ;पद्ध अंतः ;पपद्ध बाह्य विभाजित करता है। हल ;पद्ध च् और फ को मिलाने वाली रेखा को 2रू1 के अनुपात में अंतः विभाजित करने वाले ¯बदु त् का स्िथति सदिश हैः तत तत त नननत 2; ं ़ इ द्ध ़ ;3 ं − 2इ द्ध5ं व्त् त्र त्र 33 ;पपद्ध च् और फ को मिलाने वाली रेखा को 2रू1 के अनुपात में बाह्य विभाजित करने वाले ¯बदु त् का स्िथति सदिश हैः तत तत त नननत2; ं ़ इ द्ध − ;3 ं − 2इ द्ध त त्र त्र 4इ − ं व्त् 2 −1 उदाहरण 12 दशार्इए कि ¯बदु ।;2 ६ − र६ ़ ा६द्धए ठ; प६ − 3 र६ − ा६ प६ − 4 र − 4ा६द्ध एक समकोण प 5 द्धए ब्;3 त्रिाभुज के शीषर् हैं। हल हम पाते हैं कि नननत ।ठ त्र ;1 − 2द्ध ६ ़− 3 ़1द्ध ६र ;5 −1द्ध ा६ त्र− प६ − 2६र − ा६ प ; ़− 6 नननत ठब् त्र ;3 −1द्ध प६ ;4 ़ 3द्ध ६र ़− 4 ़ 5द्ध ा६ त्र 2प६ − र६ ़ ा६ ़− ; नननत और ब्। त्र ६;६ ा६ प६3६ ६ ;2 − 3द्ध प ़− 1 ़ 4द्ध र ़ ;1 ़ 4द्ध त्र− ़ र ़ 5ा इसके अतिरिक्त ध्यान दीजिए कि नननत नननत नननत द्य।ठद्य 2 त्र 41 त्र 6 ़ 35 त्रद्य ठब् द्य 2 ़ द्य ब्। द्य 2 अतः दिया हुआ त्रिाभुज एक समकोण त्रिाभुज है। प्रश्नावली 10.2 1ण् निम्नलिख्िात सदिशों के परिमाण का परिकलन कीजिएः तत त 11 1 ६६ ६ ं त्र प६ ़ ६र ़ ाय इ त्र 2प६ − 7६र −3य ाब त्र प६ ़ ६र − ा 33 3 2ण् समान परिमाण वाले दो विभ्िान्न सदिश लिख्िाए। 3ण् समान दिशा वाले दो विभ्िान्न सदिश लिख्िाए। ६ ६ ६६ 4ण् ग और ल के मान ज्ञात कीजिए ताकि सदिश 2प ़ 3 र आरै गप ़ लर समान हों। 5ण् एक सदिश का प्रारंभ्िाक ¯बदु ;2, 1द्ध है और अंतिम ¯बदु ; - 5, 7द्ध है। इस सदिश के अदिश एवं सदिश घटक ज्ञात कीजिए। तत 6ण् सदिश ं त्र ६प − 2६र ़ ा६ए इ त्र− 2प६ ़ 4६र ़ 5ा६ और ब त त्र प६ − 6६र दृ7 ा६ का योगपफल ज्ञात कीजिए। त ६ 7ण् सदिश ं त्र प६ ़ र६ ़ 2ा के अनुदिश एक मात्राक सदिश ज्ञात कीजिए। नननत 8ण् सदिश च्फए के अनुदिश मात्राक सदिश ज्ञात कीजिए जहाँ ¯बदु च् और फ क्रमशः ;1, 2, 3द्ध और ;4, 5, 6द्ध हैं। त तत त ६ ६ 9ण् दिए हुए सदिशों ं त्र 2प६ − ६र ़ 2ा और इ त्र− ६प ़ ६र − ा ए के लिए, सदिश ं ़ इ के अनुदिश मात्राक सदिश ज्ञात कीजिए। 10ण् सदिश 5प६ − र६ ़ 2ा६ के अनुदिश एक ऐसा सदिश ज्ञात कीजिए जिसका परिमाण 8 इकाइर् है। 11ण् दशार्इए कि सदिश 2प६ − 3६र ़ 4ा६ और − 4प६ ़ 6६र − 8ा६ संरेख हैं। 12ण् सदिश ६प ़ 2 र६ ़ 3ा६ की दिव्फ बवेपदम ज्ञात कीजिए। 13ण् ¯बदुओं । ;1ए 2ए दृ3द्ध एवं ठ;दृ1ए दृ2ए 1द्ध को मिलाने वाले एवं। से ठ की तरप़फ दिष्ट सदिश की दिव्फ बवेपदम ज्ञात कीजिए। 14ण् दशार्इए कि सदिश प६ ़ ६र ़ ा६ अक्षों व्ग्ए व्ल् एवं व्र् के साथ बराबर झुका हुआ है। 15ण् ¯बदुओं च् ;६प ़ 2६र − ा६द्ध और फ ;दृ प६ ़ ६र ़ ा६द्ध को मिलाने वाली रेखा को 2ः1 के अनुपात में ;पद्ध अंतः ;पपद्ध बाह्य, विभाजित करने वाले ¯बदु त् का स्िथति सदिश ज्ञात कीजिए। 16ण् दो ¯बदुओं च्;2ए 3ए 4द्ध और फ;4ए 1ए दृ2द्ध को मिलाने वाले सदिश का मध्य ¯बदु ज्ञात कीजिए। तत ६ 17ण् दशार्इए कि ¯बदु ।ए ठ और ब्ए जिनके स्िथति सदिश क्रमशः ं त्र 3प६ − 4 र६ − 4ाए इ त्र 2प६ − र६ ़ ा६ त और ब त्र प६ −3६र − 5ा६ हैं, एक समकोण त्रिाभुज के शीषो± का निमार्ण करते हैं। 18ण् त्रिाभुज।ठब् ;आवृफति 10ण्18द्धए के लिए निम्नलिख्िात में से कौन सा कथन सत्य नहीं है। नननत ननननत नननत त ;।द्ध ।ठ़ठब़्ब्। त्र0 नननत नननत नननत त ;ठद्ध ।ठ ़ ठब् −।ब् त्र 0 नननत नननत नननत त ;ब्द्ध ।ठ ़ ठब् − ब्। त्र 0 नननत नननत नननत त ;क्द्ध आवृफति 10.18 ।ठ −ब्ठ ़ ब्। त्र 0 तत 19ण् यदि ं आरै इ दो संरेख सदिश हैं तो निम्नलिख्िात में से कौन सा कथन सही नहीं हैः त त ;।द्ध त्रλंए किसीअदिश े इ λ वफ लिए तत ;ठद्ध ं त्र± इ तत ;ब्द्ध ं आरै इ के क्रमागत घटक समानुपाती नहीं हैं। तत ;क्द्ध दोनों सदिशों ं तथा इ की दिशा समान है परंतु परिमाण विभ्िान्न हैं। 10ण्6 दो सदिशों का गुणनपफल ;च्तवकनबज व िज्ूव टमबजवतेद्ध अभी तक हमने सदिशों के योगपफल एवं व्यवकलन के बारे में अध्ययन किया है। अब हमारा उद्देश्य सदिशों का गुणनपफल नामक एक दूसरी बीजीय संिया की चचार् करना है। हम स्मरण कर सकते हैं कि दो संख्याओं का गुणनपफल एक संख्या होती है, दो आव्यूहों का गुणनपफल एक आव्यूह होता है परंतु पफलनों की स्िथति में हम उन्हें दो प्रकार से गुणा कर सकते हैं नामतः दो पफलनों का ¯बदुवार गुणन एवं दो पफलनों का संयोजन। इसी प्रकार सदिशों का गुणन भी दो तरीके से परिभाष्िात किया जाता है। नामतः अदिश गुणनपफल जहाँ परिणाम एक अदिश होता है और सदिश गुणनपफल जहाँ परिणाम एक सदिश होता है। सदिशों के इन दो प्रकार के गुणनपफलों के आधर पर ज्यामिती, यांत्रिाकी एवं अभ्िायां त्रिाकी में इनके विभ्िान्न अनुप्रयोग हैं। इस परिच्छेद में हम इन दो प्रकार के गुणनपफलों की चचार् करेंगे। 10ण्6ण्1 दो सदिशों का अदिश गुणनपफल ख्ैबंसंत ;वत कवजद्ध चतवकनबज व िजूव अमबजवते, तत तत परिभाषा 2 दो शून्येतर सदिशों ं आरै इ का अदिश गुणनपफल ं ⋅ इ द्वारा निदिर्ष्ट किया जाता है त ततत और इसे ं ⋅ इ त्रद्य ं द्यद्य इ द्य बवे θ के रूप मे परिभाष्िात किया जाता है। त जहाँ θए ं आ त यदि ं त्र त त त र इए वफबीच का काण हऔ0 ≤θ≤π ैे े ै र ;आवृफति 10.19द्ध। त तत 0 अथवा इ त्र 0ए तो θ परिभाष्िात नहीं है और इस स्िथति मंे हम ं ⋅ इ त्र 0 परिभाष्िात करते हैं। प्रेक्षण त त 1ण् ं ⋅ इ एक वास्तविक संख्या है। त त त 2ण् मान लीजिए कि ं आरै इ दो शून्येतर सदिश हैं तब ं त तत त तत ं आरै इ परस्पर लंबवत्् हैं अथार्त्् ं ⋅ इ त्र 0 ⇔ ं ⊥ इ तत तत 3ण् यदि θ त्र 0ए तब ं ⋅इ त्रद्य ं द्यद्य इ द्य तत त 2 विश्िाष्टतः ं ⋅ं त्रद्य ं द्यए क्योंकि इस स्िथति में θ त्र 0 है। तत तत 4ण् यदि θ त्र πए तब ं ⋅ इ त्र− द्य ं द्यद्य इ द्य तत त आवृफति 10.19 त ⋅ इ त्र 0 यदि और केवल यदि विश्िाष्टतः ं ; ंद्ध त्र− द्य ं द्य2 ए जैसा कि इस स्िथति में θए π के बराबर है। ⋅− ६६ ६ 5ण् पे्रक्षण 2 एवं 3 के संदभर् में परस्पर लंबवत् मात्राक सदिशों पए र एव ं ाए के लिए हम पाते हैं कि ६६६६ ६६ प ⋅प त्र र ⋅र त्र ा ⋅ा त्र 1 ६६६६ ६६ तथा प ⋅ र त्र र ⋅ा त्र ा ⋅प त्र 0 तत 6ण् दो शून्येतर सदिशों ं आरै इ के बीच का कोण θए त त त त ंइ ण् दृ1 ⎛ ंइ ण् ⎞ बवे θत्र तत अथवा θत्र बवे ⎜ तत ⎟ द्वारा दिया जाता है। द्य ं द्यद्य इ द्य द्य ं द्यद्य इ द्य ⎝⎠ 7ण् अदिश गुणनपफल क्रम विनिमेय है अथार्त्् त त तत ं ⋅इ त्र इ ⋅ ं ;क्योंघ्द्ध अदिश गुणनपफल के दो महत्वपूणर् गुणध्मर् ;ज्ूव पउचवतजंदज चतवचमतजपमे व िेबंसंत चतवकनबजद्ध त तत गुणध्मर् 1 ;अदिश गुणनपफल की योगपफल पर वितरण नियमद्ध मान लीजिए ंए इ और ब तीन त त तत सदिश हैं तब ं ⋅ ;इ ़ बद्ध त्र ं ⋅ त गुणध्मर् 2 मान लीजिए ं आरै त तत इ ़ ं ⋅ब त इ दो सदिश हैं और λ एक अदिश है, तो तत त त⋅ तत ; ;λंद्ध इ त्र λ; ं ⋅इ द्ध त्र ं ⋅λ इ द्ध यदि दो सदिश घटक रूप में ंप ६ ़ ं ६र ़ ंा ६ एवं इप ६ ़ इर ६ ़ इा ६ए दिए हुए हैं तब उनका 123 123 अदिश गुणनपफल निम्नलिख्िात रूप में प्राप्त होता है तत ंइ त्र;ंप ६ ़ ंर६ ़ ंा ६द्ध ; इप ६ ़ इ ६र ़ ६ ⋅⋅ इा द्ध 123 123 ६ ६ ६६६६ त्र ंप ६ ⋅ ;इप ६ ़ इर ६ ़ इा द्ध ़ ं ६र ⋅;इप ६ ़ इर ६ ़इा द्ध ़ ंा ⋅ ;इप ़ इर ़ इा द्ध 1123 2123 3123 ंइ ;प६ ⋅ प६द्ध ़ ंइ ;प६ ⋅ ६रद्ध ़ ंइ ;प६ ⋅ा६द्ध ़ ंइ ;६र ⋅प६द्ध ़ ंइ ;६र ⋅ ६रद्ध ़ ंइ ;६र ⋅ा६द्ध त्र11 12 13 21 22 23 ़ ६६ ६६ ६६ ंइ ;ा ⋅ पद्ध ़ ंइ ;ा ⋅ रद्ध ़ ंइ ;ा ⋅ ाद्ध 3132 33 ;उपयुर्क्त गुणध्मर् 1 और 2 का उपयोग करने परद्ध त्र ंइ ़ ंइ ़ ंइ ;प्रक्षेण 5 का उपयोग करने परद्ध 112233 तत इस प्रकार ं ⋅इ त्र ंइ ़ ंइ ़ ंइ 11 22 33 10ण्6ण्2 एक सदिश का किसी रेखा पर साथ प्रक्षेप ;च्तवरमबजपवद व िं अमबजवत वद ं सपदमद्ध नननत मान लीजिए कि एक सदिश ।ठ किसी दिष्ट रेखा स ;मान लीजिएद्ध के साथ वामावतर् दिशा में θ नननत त कोण बनाता है। ;आवृफति 10.20 देख्िाएद्ध तब ।ठ का स पर प्रक्षेप एक सदिश च ;मान लीजिएद्ध नननत है जिसका परिमाण द्य ।ठ द्य बवेθ है और जिसकी दिशा का स की दिशा के समान अथवा विपरीत होना त इस बात पर निभर्र है कि बवे θ ध्नात्मक है अथवा )णात्मक। सदिश च को प्रक्षेप सदिश कहते हैं नननत त और इसका परिमाण द्य च द्यए नि£दष्ट रेखा स पर सदिश ।ठ का प्रक्षेप कहलाता है। उदाहरणतः नननतनननत निम्नलिख्िात में से प्रत्येक आवृफति में सदिश ।ठ का रेखा स पर प्रक्षेप सदिश ।ब् है। ख्आवृफति 10ण्20 ;पद्ध से ;पअद्ध तक, आवृफति 10.20 प्रेक्षण तत 1ण् रेखा स के अनुदिश यदि च मात्राक सदिश है तो रेखा स पर सदिश ं का प्रक्षेप ण्६से प्राप्त ६ंच होता है। त त त तत ६ त ⎛ इ ⎞ 1 त 2ण् एक सदिश ं का दूसरे सदिश इ ए पर प्रक्षेप ं ⋅इए अथवा ं ⋅ त एअथवात ;ं ⋅इद्ध से ⎜⎟ ⎝ द्य इ द्य⎠ द्य इ द्य प्राप्त होता है। नननतनननत नननत 3.यदि θ त्र 0ए तो ।ठ का प्रक्षेप सदिश स्वयं ।ठ होगा और यदि θ त्र π तो ।ठ का प्रक्षेप नननत सदिश ठ। होगा। नननत 4.यदि θत्र π अथवा θत्र 3π तो ।ठ का प्रक्षेप सदिश शून्य सदिश होगा। 22 त टिप्पणी यदिαए β और γ सदिश ं त्र ंप ६ ़ ं ६र ़ ंा ६ के दिव्फ - कोण हैं तो इसकी दिव्फ - कोसाइन 12 3 निम्नलिख्िात रूप में प्राप्त की जा सकती है। त ६ ंप ण् ं ं 12 3 बवे αत्र त त्र ए बवे βत्र त ए ंदक बवे γत्र त त द्य ं द्यद्य प६द्य द्य ं द्यद्य ं द्यद्य ं द्य तत त यह भी ध्यान दीजिए कि द्य ं द्य बवे αएद्य ं द्यबवे β आरै द्यं द्यबवे γ क्रमशः व्ग्ए व्ल् तथा व्र् के त त अनुदिश ं के प्रक्षेप हैं अथार्त्् सदिश ं के अदिश घटक ं1ए ं2 और ं3 क्रमशः गए लए एवं ्र अक्ष त त के अनुदिश ं के प्रक्षेप है। इसके अतिरिक्त यदि ं एक मात्राक सदिश है तब इसको दिव्फ - कोसाइन की सहायता से त ६६६ ं त्र बवे αप ़ बवे β़ र बवे γा के रूप में अभ्िाव्यक्त किया जा सकता है। त त तत उदाहरण 13 दो सदिशों ं आरै इ के परिमाण क्रमशः 1 और 2 है तथा ं ⋅इ त्र1ए इन सदिशों के बीच का कोण ज्ञात कीजिए। तत तत हल दिया हुआ है ं ⋅इ त्र1एद्य ं द्य त्र1 और द्यइ द्य त्र 2ण् अतः तत −1 ⎛ ंइ ण् ⎞−1 ⎛ 1 ⎞π θत्र बवे ⎜ तत ⎟त्र बवे ⎜ ⎟त्र ⎝ द्य ं द्यद्य इ द्य ⎠⎝ 2 ⎠ 3 तत उदाहरण 14 सदिश ं त्र प६ ़ र६ − ा६ तथा इ त्र प६ − र६ ़ ा६ के बीच का कोण ज्ञात कीजिए। तत हल दो सदिशों ं आरै इ के बीच का कोण θ निम्न द्वारा प्रदत्त है तत ं ⋅इ बवेθ त्र तत से प्राप्त होता है। द्य ं द्यद्य इ द्य तत अब ं ⋅इ त्र;प६ ़ ६र − ा६द्ध ; ⋅ ६प − ६र ़ ा६द्ध त्र1 −1−1 त्र− 1 −1 इसलिए, हम पाते हैं कि बवेθ त्र 3 −1 ⎛ 1 ⎞ अतः अभीष्ट कोण θ त्र बवे ⎜− ⎟ है। ⎝ 3 ⎠ त ततत उदाहरण 15 यदि ं त्र5प६ − ६र − 3ा६ आरै इ त्र प६ ़ 3६र − 5ा६ए तो दशार्इए कि सदिश ं ़ इ और तत ं − इ लंबवत् है। हल हम जानते हैं कि दो शून्येतर सदिश लंबवत्् होते हैं यदि उनका अदिश गुणनपफल शून्य है। तत यहाँ ं ़ इ त्र ;5 प६ − र६ − 3 द्ध ६ ़ ; प६ ़ 3 र६ − 5ा६द्ध त्र प६ ़ 2६ ६ ा 6 र − 8ा त त६६ ६ ६ रा ६ र 5द्ध ६ और ं − इ त्र ;5 प − ६ − 3द्ध − ; प ़ 3६ − ा त्र 4प − 4६र ़ 2ा तत तत इसलिए ; ़ इ ⋅− इद्ध ;6 प६ ़ 2 र६ − ा६ ⋅ प६ − 4 र६ ़ 2 द्ध ६ त्र 24 − 8 −16 ं द्ध; ं त्र 8द्ध;4 ा त्र 0 तत तत अतः ं ़ इ आरै ं − इ लंबवत् सदिश हैं। तत उदाहरण 16 सदिश ं त्र 2प६ ़ 3६र ़ 2ा६ का, सदिश इ त्र प६ ़ 2६र ़ ा६ पर प्रक्षेप ज्ञात कीजिए। त त हल सदिश ं का सदिश इ पर प्रक्षेप त 1 10 5 1 त;ं त ⋅ इ द्ध ;2 ण्1 ़ 3ण्2 ़ 2 ण्1द्ध त्र त्र त्र 6 है। 2 22 द्य इ द्य ;1द्ध ़ ;2द्ध ़;1द्ध 63 त त तत तत उदाहरण 17 यदि दो सदिश ं आरै इ इस प्रकार हैं कि द्य ं द्यत्र 2ए द्यइ द्यत्र 3 और ं ⋅इ त्र 4 तो तत द्य ं − इ द्य ज्ञात कीजिए। हल हम पाते हैं कि ततत तत त 2 त्र;ं − इद्ध; ⋅ ं − इ द्ध ं − इ तत तत ततत त त्र ं ण्− ं ⋅ इ − इ ⋅ ं ़ इ ⋅ इ तत तत त्रद्य ं द्य2 −2; ं ⋅इ द्ध़ द्य इ द्य2 त्र ;2द्ध 2 − 2;4द्ध ़ ;3द्ध 2 तत इसलिए द्य ं − इ द्य त्र 5 तत तत त त उदाहरण 18 यदि ं एक मात्राक सदिश है और ;ग − ंद्ध; ⋅ ग ़ ं द्ध त्र 8ए तो द्य ग द्य ज्ञात कीजिए। त त हल क्योंकि ं एक मात्राक सदिश है, इसलिए द्य ं द्यत्र 1ण् यह भी दिया हुआ है कि तत तत ;ग − ंद्ध; ⋅ ग ़ ं द्ध त्र 8 तत तत तत तत अथवा ग ⋅ ग ़ ग ⋅ ं − ं ⋅ ग − ं ⋅ ं त्र8 तत अथवा द्य ग द्य2 −1 त्र8 अथातर्् द्य ग द्य2 त्र 9 त इसलिए द्य ग द्य त्र3;क्योंकि सदिश का परिमाण सदैव शून्येतर होता हैद्ध तत तत तत उदाहरण 19 दो सदिशों ं आरै इ ए के लिए सदैव द्य ं ⋅इ द्य ≤ द्य ं द्यद्य इ द्य ;ब्ंनबील.ैबीूंतज्र असमिकाद्ध। त ततत हल दी हुइर् असमिका सहज रूप में स्पष्ट है यदि ं त्र 0 अथवा इ त्र 0ण् वास्तव में इस स्िथति में त तत त तत हम पाते हैं कि द्य ं ⋅इ द्य त्र 0 त्र द्य ं द्यद्य इ द्यण् इसलिए हम कल्पना करते हैं कि द्य ं द्य ≠ 0 ≠ द्य इ द्य तब हमें तत द्य ं ⋅ इ द्य त त त्र द्यबवे द्य मिलता है। θ≤ 1 द्य ं द्यद्य इ द्य त त त त इसलिए द्य ं ⋅इ द्य ≤ द्य ं द्यद्य इ द्य आवृफति 10.21 तत त तत त उदाहरण 20 दो सदिशों ं तथा इ के लिए सदैव द्य ं ़ इ द्य ≤ द्य ं द्य ़ द्य इ द्य;त्रिाभुज - असमिकाद्ध त त हल दी हुइर् असमिका, दोनों स्िथतियों ं त्र 0 या इ त्र 0 में सहज रूप से स्पष्ट है ;क्यों घ्द्ध। इसलिए तत त मान लीजिए कि द्य ं द्य ≠ 0 ≠ द्यइ द्य तब त त तत तततत द्य ं ़ इ द्य2 त्र ;ं ़ इद्ध2 त्र ;ं ़ इद्ध; ⋅ ं ़ इद्ध तत तत ततत त ं ⋅ ं ़ ं ⋅इ ़ इ ⋅ं ़ इइ ⋅ त्र तत तत त्रद्य ं द्य2 ़2ं ⋅इ़ द्य इ द्य2 ;अदिश गुणनपफल क्रम विनिमय हैद्ध तत तत ≤ द्य ं द्य2 ़2द्य ं ⋅ इ द्य ़ द्य इ द्य2 ;क्योंकि ग ≤द्य ग द्य ∀∈त् द्ध ग तत तत ≤ द्य ं द्य2 ़2द्य ं द्यद्य इ द्य ़ द्य इ द्य2 ;उदाहरण 19 सेद्ध त त त्र ;द्य ं द्य ़ द्य इ द्यद्ध 2 तत तत अतः द्य ं ़ इ द्य ≤ द्य ं द्य ़ द्य इ द्य ६ ६६ उदाहरण 21 दशार्इए कि ¯बदु ।; −2प६ ़ 3 र६ ़ 5 द्धए ठ; प६ ़ 2 र६ ़ 3 और संरेख है। ााद्ध ब्;7प६ − ाद्ध हल हम प्राप्त करते हैंः नननत ।ठ त्र;1 ़ 2द्ध प६ ़ ;2 − 3द्ध ६र ़ ;3 − 5द्ध ा६ त्र 3प६ − ६र − 2ा६ नननत ठब् त्र;7 −1द्ध ६ ़ ;0 − 2द्ध ६र ़− 1 − 3द्ध ा६ त्र 6प६ − 2 र६ − 4ा६ प ; नननत त्र ;7 ़ 2द्ध प६ ़ ;0 − 3द्ध र६ ़− 1 −5द्ध ा६ त्र 9६ − 3 र६ − 6ा६ ; प ।ब् नननत नननत नननत 14ए ठब् त्र 2 14 और द्य ।ब् द्य त्र द्य।ठद्य त्र नननत नननत नननत इसलिए ।ब् त्र द्य।ठद्य ़ द्यठब्द्य अतः ¯बदु।ए ठ और ब् संरेख हैं। प्रश्नावली 10.3 त त तत तत 1ण् दो सदिशों ं तथा इ के परिमाण क्रमशः 3 एव ं 2 हैं और ं ⋅ इ त्र 6 है तो ं तथा इ के बीच का कोण ज्ञात कीजिए। 2ण् सदिशों ६प − 2६र ़ 3ा६ आरै 3प६ − 2६र ़ ा६ के बीच का कोण ज्ञात कीजिए। 3ण् सदिश प६ ़ र६ पर सदिश प६ − र६ का प्रक्षेप ज्ञात कीजिए। 4ण् सदिश प६ ़ 3र६ ़ 7ा६ का, सदिश 7प६ − र६ ़8ा६ पर प्रक्षेप ज्ञात कीजिए। 5ण् दशार्इए कि दिए हुए निम्नलिख्िात तीन सदिशों में से प्रत्येक मात्राक सदिश है, 11 1 ६ ६६ ६६६ ६६६ ;2 प ़ 3 र ़ 6ाद्धए ;3 प − 6 र ़ 2ाद्धए ;6 प ़ 2र − 3द्ध ा 77 7 यह भी दशार्इए कि ये सदिश परस्पर एक दूसरे के लंबवत् हैं। त तत त तत त त 6ण् यदि ;ं ़ इ ⋅ ं − इद्ध त्र 8 औद्य ं द्य त्र 8द्य द्ध; रइ द्य हो तो द्य ं द्य एवं द्य इ द्य ज्ञात कीजिए। तत तत 5द्ध ;2 इ द्ध का मान ज्ञात कीजिए। 7ण् ;3 ं − इ ⋅ ं ़ 7 तत 8ण् दो सदिशों ं आरै इ के परिमाण ज्ञात कीजिए, यदि इनके परिमाण समान है और इन के बीच का कोण 60° है तथा इनका अदिश गुणनपफल 1 है। 2 त त तत त त 9ण् यदि एक मात्राक सदिश ं ए के लिए ;ग − ंद्ध; ⋅ ग ़ ं द्ध त्र12 हो तो द्य गद्य ज्ञात कीजिए। त त त ततत 10ण् यदि ं त्र 2प६ ़ 2६र ़ 3ा६ए इ त्र− प६ ़ 2६र ़ ा६ आरै ब त्र 3प६ ़ ६र इस प्रकार है कि ं ़λइ ए ब पर लंब है, तो λ का मान ज्ञात कीजिए। त तत ततत तत तत 11ण् दशार्इए कि दो शून्येतर सदिशों ं आरै इ के लिए द्य ं द्य इ ़ द्य इ द्य ं ए द्य ं द्य इ − द्यइ द्य ं पर लंब है। त त तत त 12ण् यदि ं ⋅ ं त्र 0 आरै ं ⋅ इ त्र 0ए तो सदिश इ के बारे में क्या निष्कषर् निकाला जा सकता हैघ् त त त तत तत ततत तत 13ण् यदि ंए इए ब मात्राक सदिश इस प्रकार है कि ं ़ इ ़ ब त्र 0 तो ं ⋅ इ ़ इ ⋅ ब ़ ब ⋅ं त का मान ज्ञात कीजिए। ततत त त त 14ण् यदि ं त्र 0 अथवा इ त्र 0ए तब ं ⋅ इ त्र 0 परंतु विलोम का सत्य होना आवश्यक नहीं है। एक उदाहरण द्वारा अपने उत्तर की पुष्िट कीजिए। 15ण् यदि किसी त्रिाभुज ।ठब् के शीषर् ।ए ठए ब् क्रमशः ;1ए 2ए 3द्धए ;दृ1ए 0ए 0द्धए ;0ए 1ए 2द्ध हैं तो नननत नननत ∠।ठब् ज्ञात कीजिए। ख्∠।ठब्ए सदिशों ठ। एवं ठब् के बीच का कोण है, 16ण् दशार्इए कि ¯बदु ।;1ए 2ए 7द्धए ठ;2ए 6ए 3द्ध और ब्;3ए 10ए दृ1द्ध संरेख हैं। 17ण् दशार्इए कि सदिश 2प६ − ६र ़ ा६ए प६ − 3६र − 5ा६ आरै3प६ − 4६र − 4ा६ एक समकोण त्रिाभुज के शीषो± की रचना करते हैं। त त 18ण् यदि शून्येतर सदिश ं का परिमाण ष्ंष् है और λ एक शून्यतेर अदिश है तो λ ं एक मात्राक सदिश है यदि ;।द्ध λ त्र 1 ;ठद्ध λ त्र दृ 1 ;ब्द्ध ं त्र द्य λद्य ;क्द्ध ं त्र 1ध्द्यλ द्य 10ण्6ण्3 दो सदिशों का सदिश गुणनपफल ख्टमबजवत ;वत बतवेेद्ध चतवकनबज व िजूव अमबजवते, परिच्छेद 10.2 में हमने त्रिा - विमीय दक्ष्िाणावतीर् समकोण्िाक निदेर्शांक प(ति की चचार् की थी। इस प(ति में ध्नात्मक ग.अक्ष को वामावतर् घुमाकर ध्नात्मक ल.अक्ष पर लाया जाता है तो ध्नात्मक ्र.अक्ष की दिशा में एक दक्ष्िाणावतीर् ;प्रामाण्िाकद्ध पेंच अग्रगत हो जाती है ख्आवृफति 10ण्22;पद्ध,। एक दक्ष्िाणावतीर् निदेर्शांक प(ति में जब दाएँ हाथ की उँगलियों को ध्नात्मक ग.अक्ष की दिशा से दूर ध्नात्मक ल.अक्ष की तरप़फ वुंफतल किया जाता है तो अँगूठा ध्नात्मक ्र.अक्ष की ओर संकेत करता ख्आवृफति 10.22 ;पपद्ध, है। आवृफति 10.22 त त त त परिभाषा 3 दो शून्येतर सदिशों ं तथा इ ए का सदिश गुणनपफल ं × इ से तत तत निदिर्ष्ट किया जाता है और ं × इ त्र द्य ं द्यद्य इ द्य ेपद θ द६ के रूप में परिभाष्िात तत किया जाता है जहाँ θए ं आरै इ के बीच का कोण है और 0 ≤ θ≤ π है। तत यहाँ द६एक मात्राक सदिश है जो कि सदिश ं आरै इ ए दोनों पर लंब है। तत इस प्रकार ंए इ तथा द६ एक दक्ष्िाणावतीर् प(ति को निमिर्त करते हैं आवृफति 10.23 त त ;आवृफति 10.23द्ध अथार्त्् दक्ष्िाणावतीर् प(ति को ं से इ की तरप़फ घुमाने पर यह द६की दिशा में चलती है। त ततत त तत यदि ं त्र 0 अथवा इ त्र 0ए तब θ परिभाष्िात नहीं है और इस स्िथति मंे हम ं × इ त्र 0 परिभाष्िात करते हैं। प्रेक्षणः तत 1ण् ं × इ एक सदिश है। त तत त त 2ण् मान लीजिए ं आरै इ दो शून्येतर सदिश हैं तब ं × इ त्र 0 यदि और केवल यदि तत ं आरै इ एक दूसरे के समांतर ;अथवा संरेखद्ध हैं अथार्त्् तत त तत ं × इ त्र0 ⇔ ं इ त त तत तत विश्िाष्टतः ं × ं त्र 0 और ं ;द्ध त्र 0ए क्योंकि प्रथम स्िथति में θ त्र 0 तथा द्वितीय ×−ं स्िथति में θ त्र πए जिससे दोनों ही स्िथतियों में ेपद θ का मान शून्य हो जाता है। ततπ तत 3ण् यदि θत्र तो ं × इ त्रद्य ं द्यद्य इ द्य 2 4ण् प्रेक्षण 2 और 3 के संदभर् में परस्पर लंबवत् मात्राक सदिशों ६पए६र और ा६ के लिए ;आवृफति 10.24द्धए हम पाते हैं कि त ६६ ६र × ६र त्र ा६ × ा६ त्र 0 प × प त्र ६ ६६६ ६६ प × र त्र ाए र × ा६ त्र प६ए ा × प त्र र६ त त आवृफति 10.24 5ण् सदिश गुणनपफल की सहायता से दो सदिशों ं तथा इ के बीच का कोण θ निम्नलिख्िात रूप में प्राप्त होता है तत द्य ं ×इ द्य ेपदθ त्र तत द्य ं द्यद्य इ द्य तत तत 6ण् यह सवर्दा सत्य है कि सदिश गुणनपफल क्रम विनिमय नहीं होता है क्योंकि ं × इ त्र − इ × ं त ततत तत वास्तव में ं × इ त्रद्य ं द्यद्य इ द्येपद θद६ए जहाँ ंए इ आरैद६ एक दक्ष्िाणावतीर् प(ति को नि£मत करते त त हैं अथार्त्् θ ए ं से इ की तरपफ चक्रीय क्रम होता है। आवृफति 10.25;पद्ध जबकि तत त त त त इ × ं त्रद्य ं द्यद्य इ द्येपद θ द६1ए जहाँ इए ं आरै द६1एक दक्ष्िाणावतीर् प(ति को निमिर्त करते हैं त त अथार्त्् θए इ से ं की ओर चक्रीय क्रम होता है आवृफति 10.25;पपद्ध। आवृफति 10.25 त त अतः यदि हम यह मान लेते हैं कि ं आरै इ दोनों एक ही कागश के तल में हैं तो द६ आर ै द६1 दोनों कागश के तल पर लंब होंगे परंतु द६कागश से ऊपर की तरप़फ दिष्ट होगा और द६1कागश से नीचे की तरप़फ दिष्ट होगा अथार्त्् द६1त्र− द६ त त त त इस प्रकार ं ×इ त्रद्य ं द्यद्य इ द्य ेपद θद६ त त त त त्र − द्य ं द्यद्य इ द्य ेपद θद६1त्र− इ × ं 7ण् प्रेक्षण 4 और 6 के संदभर् में ६६ ६६६६६६६ र × प त्र− ाए ा × र त्र− प आरै प × ा त्र− र ह।ै तत 8ण् यदि ं आरै इ त्रिाभुज की संलग्न भुजाओं को निरूपित करते हैं तो त्रिाभुज का क्षेत्रापफल 1 तत द्य ं × इ द्य के रूप में प्राप्त होता है। 2 त्रिाभुज के क्षेत्रापफल की परिभाषा के अनुसार हम आवृफति 10.26 1 ⋅ से पाते हैं कि त्रिाभुज ।ठब् का क्षेत्रापफल त्र ।ठ ब्क् ण् 2 आवृफति 10.26 त त परंतु ।ठ त्रद्य इ द्य ;दिया हुआ हैद्ध और ब्क् त्र द्य ं द्य ेपदθ 1 तत 1 तत अतः त्रिाभुज ।ठब् का क्षेत्रापफल त्र द्य इ द्यद्य ं द्य ेपद θत्र द्य ं × इ द्य 22 तत 9ण् यदि ं आरै इ समांतर चतुभर्ुज की संलग्न भुजाओं को निरूपित करते हैं तो समांतर चतुभुर्ज का तत क्षेत्रापफल द्य ं × इ द्य के रूप में प्राप्त होता है। आवृफति 10.27 से हम पाते हैं कि समांतर चतुभंर्ज ।ठब्क् का क्षेत्रापफल त्र ।ठण्क्म्ण् त परंतु ।ठ त्र द्य इ द्य ;दिया हुआ हैद्धए और त क्म् त्र द्य ं द्य ेपद θ अतः समांतर चतुभुर्ज ।ठब्क् का क्षेत्रापफल त्र त ततत आवृफति 10.27 द्य इ द्यद्य ं द्य ेपद θत्र द्य ं × इ द्य अब हम सदिश गुणनपफल के दो महत्वपूणर् गुणों को अभ्िाव्यक्त करेंगे। गुणध्मर् सदिश गुणनपफल का योगपफल पर वितरण नियम ;क्पेजतपइनजपअपजल व िअमबजवत चतवकनबज त त त वअमत ंककपजपवदद्ध यदि ंए इ और ब तीन सदिश हैं और λ एक अदिश है तो त त त तत तत ;पद्ध ं × ; इ ़बद्ध त्र ं × इ ़ ं ×ब त ततततत ;पपद्ध λ;ं ×इ द्ध त्र λ ंद्ध × इ त्र ं ×λ इ द्ध ;; त मान लीजिएदो सदिश ं त आरै इ घटक रूप में क्रमशः ंप ६ ़ ं ६र ़ ंा ६ और इप ६ ़ इ ६र ़ इा ६ 123 123 ६प ६र ६ा दिए हुए हैं तब उनका सदिश गुणनपफल ं × इ तत त्र 1ं 2ं 3ं द्वारा दिया जा सकता है। 1इ 2इ 3इ व्याख्या हम पाते हैं त ं त×इ त्र ;ंप ६ ़ ं ६र ़ ंा ६द्ध × ;इप ६ ़ इर ६ ़ इा ६द्ध 123 123 ंइ ;प६ ×प६द्ध ़ ंइ ;प६ × ६रद्ध ़ ंइ ;प६ × ा६द्ध ़ ंइ ;६र ×प६द्ध त्र11 12 13 21 ंइ ;६र × ६रद्ध ़ ंइ ;६र × ा६द्ध ़ 22 23 ६६ ६६ ६६ ़ ंइ ;ा × पद्ध ़ ंइ ;ा × रद्ध ़ ंइ ;ा × ाद्ध; गुणध्मर् 1 सेद्ध 3132 33 त्र ंइ ;प६ × ६रद्ध − ंइ ;ा६ ×प६द्ध − ंइ ;प६ × ६रद्ध 1213 21 ६६ ६ ़ ंइ ;६र× ाद्ध ़ ंइ ;ा ×प६द्ध − ंइ ;६र × ाद्ध 23 3132 ; क्यांि क प६ × ६प त्र ६र × ६र त्र ा६ × ा६ त्र 0 आरप६ × ा६ ा६ × प६ए ६र × प६ प६६र औा६ × ६र त्र− ६र × ा६द्ध ेै त्र− त्र−× र त्र ंइ ा ६ − ंइ र ६ − ं इा ६ ़ ं इप ६ ़ ंइर ६ − ंइप ६ 12 13 21 2331 32 कि ६६६६६६ ६६६ ; क्यांेप × र त्र ाए र × ा त्र प और ा × प त्र रद्ध त्र;ंइ − ंइ द्धप६ − ;ंइ − ंइ द्ध६र ़ ;ंइ − ंइ द्धा६ 2332 1331 1221 ६प ६र ६ा त्र 1ं 2ं 3ं 1इ 2इ 3इ तत तत उदाहरण 22 यदि ं त्र 2प६ ़ ६र ़ 3ा६ आरैइ त्र 3प६ ़ 5६र − 2ा६एतोद्य ं ×इ द्य ज्ञात कीजिए। हल यहाँ ं × इ तत त्र ६ 2 प ६ 1 र ६ 3 ा 3 5 2− त्र प६;−−15द्ध −− 4 −9द्ध र६ ़ ;10 दृ 3द्ध ा६ त्र− 17 प६ ़13 ६र ़ 7ा६ 2; त त 2 22 ं × इ अतः त्र ;−17द्ध ़ ;13द्ध ़ ;7द्ध त्र 507 त त तत उदाहरण 23 सदिश ;ं ़इ द्ध और ;ं −इ द्ध में से प्रत्येक के लंबवत् मात्राक सदिश ज्ञात त कीजिए जहाँ ं त त्र ६प ़ ६र ़ ा६ए इ त्र प६ ़ 2६र ़ 3ा६ हैं। तत त ६ त ६ हल हम पाते हैं कि ं ़ इ त्र 2६प ़ 3६र ़ 4ा और ं − इ त्र− ६र − 2ा तत तत एक सदिश, जो ं ़इ आरै ं −इ दोनो पर लंब है, निम्नलिख्िात द्वारा प्रदत्त है ६६ ६ प रा तत तत 23 4 0 −1 −2 ;ं ़इ द्ध ×; ं −इ द्ध त्र त अब द्य ब द्य त्र 4 ़16 ़ अतः अभीष्ट मात्राक सदिश त ब −12 ६ प ़ त त्र ६ ६६ त त्र− 2प ़4 र −2ा ;त्रबए मानलीजिए द्ध 4 त्र 24 त्र 2 6 ६र − 1 ा६ है। द्य ब द्य66 6 तत तत किसी तल पर दो लंबवत् दिशाएँ होती हैं। अतः ं ़ इ आरै ं − इ पर दूसरा लंबवत् तत 12 1 ६ तत प६ − ६ र ़ मात्राक सदिश ा होगा। परंतु यह ;ं −इद्ध × ; ं ़इ द्ध का एक परिणाम है। 66 6 उदाहरण 24 एक त्रिाभुज का क्षेत्रापफल ज्ञात कीजिए जिसके शीषर् ¯बदु ।;1ए 1ए 1द्धए ठ;1ए 2ए 3द्ध और ब्;2ए 3ए 1द्ध हैं। नननत नननत हल हम पाते हैं कि ।ठ त्र ६र ़ 2ा६ आरै ।ब् त्र प६ ़ 2६र ण् दिए हुए त्रिाभुज का क्षेत्रापफल नननत नननत 1 द्य ।ठ × ।ब् द्य है।2 ६६६ प रा नननत नननत 01 2 त्र− 4६प ़ 2६र − ा६अब ।ठ×।ब् त्र 120 नननत नननत इसलिए द्य ।ठ ×।ब्द्य त्र 1 अतः अभीष्ट क्षेत्रापफल 21 है। 2 तर चतुभुर्ज का क्षेत्रापफल ज्ञात कीजिए जिसकी संलग्न भुजाएँ त प ़ ६६ उदाहरण 25 उस समां त्र 3६ र ़ 4ा त और इ त्र प६ − र६ ़ ा६ द्वारा दी गइर् हैं। त त त त हल किसी समांतर चतुभुर्ज की संलग्न भुजाएँ ं आरै इ हैं तो उसका क्षेत्रापफल द्य ं × इ द्य द्वारा प्राप्त होता है। ६६६ प रा तत ६६ ६ अब ं × इ त्र 31 4 त्र 5प ़ र − 4ा 1 −11 तत इसलिए द्य ं ×इ द्य त्र इस प्रकार आवश्यक क्षेत्रापफल 42 है। प्रश्नावली 10.4 त त त त 1ण् यदि ं त्र ६प − 7६र ़ 7ा६ आरैइ त्र 3प६ − 2६र ़ 2ा६ तो द्य ं ×इ द्य ज्ञात कीजिए। त त त त त 2ण् सदिश ं ़इ आरै ं −इ की लंब दिशा में मात्राक सदिश ज्ञात कीजिए जहाँ ं त्र 3प६ ़ 2६र ़ 2ा६ त और इ त्र प६ ़ 2६र − 2ा६ है। त ππ ६६ ६ प े वफसाथ ैा 3ण् यदि एक मात्राक सदिश ं ए वफसाथ ए र ेआर 34 त बनाता है तो θ का मान ज्ञात कीजिए और इसकी सहायता से ं तत तततत 4ण् दशार्इए कि ;ं −इद्ध × ; ं ़इ द्ध त्र 2; ं ×इ द्ध ६६ ६६६६ ;2 प ़ 6 र ़ ा × ; ़λ ़ - 5ण् λ और - ज्ञात कीजिए, यदि 27 द्ध पराद्ध त त त ततत त 6ण् दिया हुआ है कि ं ⋅इ त्र 0 और ं ×इ त्र 0ण् सदिश ं आरै इ के साथ एक न्यून कोण θ के घटक भी ज्ञात कीजिए। त त्र 0 के बारे में आप क्या निष्कषर् निकाल सकते हैंघ् त तत 7ण् मान लीजिए सदिश ंए इए ब क्रमशः रूप में दिए हुए हैं तब दशार्इए कि त तत त त त 8ण् यदि ं त्र 0 अथवा इ त्र 0 तब ं × इ उत्तर की पुष्िट कीजिए। ६६ ६ ंप ६ ़ ं ६र ़ ंा ए इप ६ ़ इ ६र ़ इा ए बप ६ ़ ब ६र ़ बा के 12 312 3 12 3 त त त तत तत ं × ; इ ़ बद्ध त्रं ×इ ़ ं × ब त त्र 0 होता है। क्या विलोम सत्य है? उदाहरण सहित अपने 9ण् एक त्रिाभुज का क्षेत्रापफल ज्ञात कीजिए जिसके शीषर् ।;1ए 1ए 2द्धए ठ;2ए 3ए 5द्ध और ब् ;1ए 5ए 5द्ध हैं। 10ण् एक समांतर चतुभुर्ज का क्षेत्रापफल ज्ञात कीजिए जिसकी संलग्न भुजाएँ सदिश ं त त्र ६प − ६र ़ 3ा६ और त ६ ६६ इ त्र 2प − 7 र ़ ा द्वारा निधर्रित हैं। त तत तत 2 त 11ण् मान लीजिए सदिश ं आरै इ इस प्रकार हैं कि द्य ं द्य त्र 3 आरै द्य इ द्य त्र ए तब ं ×इ एक 3 तत मात्राक सदिश है यदि ं आरै इ के बीच का कोण हैः ;।द्ध πध्6 ;ठद्ध πध्4 ;ब्द्ध πध्3 ;क्द्ध πध्2 12ण् एक आयत के शीषो± ।ए ठए ब् और क् जिनके स्िथति सदिश क्रमशः 111 1 ६६ ६६६६ ६ ६ दृ प ़ र ़ 4ाए प ़ र ़ 4ा ए प६ − ६र ़ 4ा और दृ प६ − र६ ़ 4ा ए हैं का क्षेत्रापफल हैः 222 2 1 ;।द्ध ;ठद्ध 1 2 ;ब्द्ध 2 ;क्द्ध4 विविध् उदाहरण उदाहरण 26 ग्ल्.तल में सभी मात्राक सदिश लिख्िाए। त ∧∧ हल मान लीजिए कि त त्र गप ़ लर ए ग्ल्.तल में एक मात्राक सदिश है ;आवृफति 10.28द्ध। तब त आवृफति के अनुसार हम पाते हैं कि ग त्र बवे θ और ल त्र ेपद θ ;क्योंकि द्य तद्य त्र 1द्धण् इसलिए हम सदिश त त को, नननत त ६६ त ;त्र व्च्द्ध त्र बवे θप ़ ेपद θर ण्ण्ण् ;1द्ध के रूप में लिख सकते हैं। त स्पष्टतः द्य त द्य त्र आवृफति 10.28 जैसे - जैसे θए 0 से 2πए तक परिवतिर्त होता है ¯बदु च् ;आवृफति 10.28द्ध वामावतर् दिशा में वृत ग 2 ़ ल 2 त्र 1का अनुरेखण करता है और इसमंे सभी संभावित दिशाएँ सम्िमलित हैं। अतः ;1द्ध से ग्ल्तल में प्रत्येक मात्राक सदिश प्राप्त होता है। उदाहरण 27 यदि ¯बदुओं ।ए ठए ब् और क्ए के स्िथति सदिश क्रमशः प६ ़ ६र ़ ा६ए 2प६ ़ 5६र ए 3६प ़ 2६र − 3ा६ आरैप६ − 6६र − ा६ है, तो सरल रेखाओं ।ठ तथा ब्क् के बीच का कोण ज्ञात कीजिए। निगमन कीजिए कि ।ठ और ब्क् संरेख हैं। नननत नननत हल नोट कीजिए कि यदि θए ।ठ और ब्क्ए के बीच का कोण है तो θए ।ठ आरै ब्क् के बीच का भी कोण है। नननत अब ।ठ त्र ठ का स्िथति सदिश दृ । का स्िथति सदिश त्र ;2 प६ ़ 5६रद्ध − ;प६ ़ ६र ़ ा६द्ध त्र ६प ़ 4६र − ा६ नननत 22 2 इसलिए द्य ।ठ द्य ;1द्ध ़ ;4द्ध ;1द्ध त्र 3 2 त्र ़− नननत नननत इसी प्रकार ब्क् त्र − 2प६ −8६र ़ 2ा६ और द्यब्क् द्य त्र 6 नननत नननत ।ठ ण्ब्क् नननत नननत अतः बवेθ त्र द्य।ठद्यद्यब्क्द्य 1; 2द्ध ़ 4; −8द्ध ़− −36 − ; 1द्ध;2द्ध त्र त्र− 1 ;3 2द्ध;6 2द्ध 36 क्योंकि 0 ≤ θ ≤ πए इससे प्राप्त होता है कि θ त्र πण् यह दशार्ता है कि ।ठ तथा ब्क् एक दूसरे के संरेख हैं। त्र नननत नननत 1 नननत नननत विकल्पतः ।ठ त्र− ब्क् , इससे कह सकते कि ।ठ और ब्क् संरेख सदिश हैं। 2 त ततत तत उदाहरण 28 मान लीजिए ंए इ औरब तीन सदिश इस प्रकार हैं कि द्य ं द्यत्र 3ए द्य इ द्यत्र 4ए द्य ब द्यत्र 5 त तत और इनमें से प्रत्येक, अन्य दो सदिशों के योगपफल पर लंबवत् हंै तो, द्यं ़इ ़ब द्य ज्ञात कीजिए। तत ततततत तत हल दिया हुआ है कि ं ⋅ ;इ ़ बद्ध त्र 0ए इ ⋅ ;ब ़ ंद्ध त्र 0ए ब ⋅;ं ़ इद्ध त्र 0 तत त ततततत त अब द्य ं ़ इ ़ ब द्य2 त्र ;ं ़ इ ़ बद्ध; ⋅ ं ़ इ ़ बद्ध त ततत तततत तत ं ⋅ ं ़ ं ⋅;इ ़ बद्ध ़ इ ⋅इ ़ इ ⋅ ;ं ़ बद्ध त्र त तत तत ़ बण्; ं ़ इद्ध ़ बब ण् त तत 2 22 त्रद्य ं द्य ़ द्यइ द्य ़ द्य ब द्य त्र 9 ़ 16 ़ 25 त्र 50 त तत इसलिए द्य ं ़ इ ़ ब द्य त्र 50 त्र 5 2 त तत तत तत उदाहरण 29 तीन सदिश ंए इ और ब प्रतिबंध् ं ़ इ ़ ब त्र 0 को संतुष्ट करते हैं। यदि त तत त त तततत द्य ं द्यत्र 3ए द्य इ द्यत्र 4 और द्य ब द्यत्र 2 तोराश्िा - त्र ं ⋅इ ़इ ⋅ ब ़ ब ⋅ ं का मान ज्ञात कीजिए। तत तत हल क्योंकि ं ़ इ ़ ब त्र 0ए इसलिए हम पाते हैं कि त तत त ं ⋅;ं ़ इ ़ ब द्ध त्र0 त ततत तत अथवा ं ⋅ ं ़ ं ⋅इ ़ ं ⋅ब त्र0 त त तत त इसलिए ं ⋅इ ़ ं ⋅ ब त्र − ं 2 त्र− 9 ण्ण्ण् ;1द्ध तत तत पुनः इ ⋅;ं ़ इ ़ बद्ध त्र0 त त त 2 तत अथवा ं ⋅ इ ़ इ ⋅ ब त्र − इ त्र− 16 ण्ण्ण् ;2द्ध त तत त इसी प्रकार ं ⋅ ब ़ इ ⋅ ब त्रदृ 4 ण्ण्ण् ;3द्ध ;1द्ध, ;2द्ध और ;3द्ध को जोड़ने पर हम पाते हैं कि त त त ततत 2; ं ⋅ इ ़ इ ⋅ब ़ ं ⋅बद्ध त्रदृ 29 −29 या 2 - त्र दृ 29ए पण्मण्ए - त्र 2 उदाहरण 30 यदि परस्पर लंबवत् मात्राक सदिशों ६पए६र आरैा६ए की दक्ष्िाणावतीर् प(ति के सापेक्ष त त तततत त αत्र 3प६ − ६रए βत्र 2प६ ़ ६र दृ3 ा६ए तो β को β त्रβ 1 ़β 2 के रूप में अभ्िाव्यक्त कीजिए जहाँ β1, तत त α के समांतर है और β2ए α के लंबवत् है। त त त 1 λαλ β1६हल मान लीजिए कि βत्र ए एक अदिश है अथार्त्् त्र 3λप −λ ६र त तत अब β2 त्रβ−β 1 त्र ;2 − 3द्ध प ़ ;1 ़λ द्ध६ − 3ा६ λ ६ र त त त त क्योंकि β2ए α पर लंब है इसलिए α⋅β 2 त्र 0 अथार्त्् 3;2 − λ− ;1 ़λ 3द्ध द्ध त्र 0 1 अथवा λ त्र 2 त31 त 13 इसलिए β1 त्र प६ − र६ और βत्र प६ ़ ६र दृ3ा६ 2 22 22 अध्याय 10 पर विविध् प्रश्नावली 1ण् ग्ल्.तल में, ग.अक्ष की ध्नात्मक दिशा के साथ वामावतर् दिशा में 30° का कोण बनाने वाला मात्राक सदिश लिख्िाए। 2ण् ¯बदु च्;ग ए लए ्र द्ध औरफ;ग ए लए ्र द्ध को मिलाने वाले सदिश के अदिश घटक और परिमाण 111222 ज्ञात कीजिए। 3ण् एक लड़की पश्िचम दिशा में 4 ाउ चलती है। उसके पश्चात् वह उत्तर से 30° पश्िचम की दिशा में 3 ाउ चलती है और रूक जाती है। प्रस्थान के प्रारंभ्िाक ¯बदु से लड़की का विस्थापन ज्ञात कीजिए। त त तत तत 4ण् यदि ं त्र इ ़ ब ए तब क्या यह सत्य है कि द्य ं द्य त्र द्यइ द्य ़ द्य ब द्यघ् अपने उत्तर की पुष्िट कीजिए। 5ण् ग का वह मान ज्ञात कीजिए जिसके लिए गप ;६ ़ ६र ़ा६द्ध एक मात्राक सदिश है। तत 6ण् सदिशों ं त्र 2प६ ़ 3६र − ा६ और इ त्र प६ − 2६र ़ ा६ के परिणामी के समांतर एक ऐसा सदिश ज्ञात कीजिए जिसका परिमाण 5 इकाइर् है। तत तत त त 7ण् यदि ं त्र ६प ़ ६र ़ ा६ए इ त्र 2प६ − ६र ़ 3ा६ और ब त्र प६ − 2६र ़ ा६ए तो सदिश 2ं दृ इ ़ 3ब के समांतर एक मात्राक सदिश ज्ञात कीजिए। 8ण् दशार्इए कि ¯बदु ।;1ए दृ 2ए दृ 8द्धए ठ;5ए 0ए दृ 2द्ध और ब् ;11ए 3ए 7द्ध संरेख है और ठ द्वारा ।ब् को विभाजित करने वाला अनुपात ज्ञात कीजिए। त त त त 9ण् दो ¯बदुओं च् ;2 ं ़ इ द्ध आरै फ; ं दृ3 इ द्ध को मिलाने वाली रेखा को 1ः2 के अनुपात मे बाह्य विभाजित करने वाले ¯बदु त् का स्िथति सदिश ज्ञात कीजिए। यह भी दशार्इए कि ¯बदु च् रेखाखंड त्फ का मध्य ¯बदु है। 10ण् एक समांतर चतुभुर्ज की संलग्न भुजाएँ 2प६ − 4६र ़ 5ा६ आरै ६प − 2६र − 3ा६ हंै। इसके विकणर् के समांतर एक मात्राक सदिश ज्ञात कीजिए। इसका क्षेत्रापफल भी ज्ञात कीजिए। 11ण् दशार्इए कि व्ग्ए व्ल् एवं व्र् अक्षों के साथ बराबर झुके हुए सदिश की दिव्फ - कोसाइन 111 ए ए कोज्याएँ है। 3 3 3 त त ६ ६ त ६ 12ण् मान लीजिए ं त्र प६ ़ 4६र ़ 2ाए इ त्र 3प६ − 2६र ़ 7ा आरै ब त्र 2प६ − ६र ़ 4ा ण् एक ऐसा सदिश त त त त त क ज्ञात कीजिए जो ं आरैइ दोनों पर लंब है और ब ⋅ क त्र 15 13ण् सदिश ६ ़ र६६ का, सदिशों प६ 4६ − ा६ और प६ 2६ ़ ा६ के योगपफल की दिशा में प ़ ा 2 ़ र 5 λ़ र 3 मात्राक सदिश के साथ अदिश गुणनपफल 1 के बराबर है तो λ का मान ज्ञात कीजिए। त त तत तत 14ण् यदि ंए इएब समान परिमाणों वाले परस्पर लंबवत् सदिश हैं तो दशार्इए कि सदिश ं ़ इ ़ ब त तत सदिशों ंए इ तथा ब के साथ बराबर झुका हुआ है। तत त त ततत त 15ण् सि( कीजिए कि ;ं ़इ द्ध; ⋅ ं ़इ द्ध त्रद्य ं द्य2 ़ द्यइ द्य2 ए यदि और केवल यदि ंए इ लंबवत् हैं। तत तत यह दिया हुआ है कि ं ≠ 0ए इ ≠ 0 16 से 19 तक के प्रश्नों में सही उत्तर का चयन कीजिए। तत तत 16ण् यदि दो सदिशों ं और इ के बीच का कोणθ है तो ं ⋅ इ ≥ 0 होगा यदिः π π ;।द्ध 0 ढ θढ ;ठद्ध 0 ≤ θ≤ 2 2 ;ब्द्ध 0 ढ θ ढ π ;क्द्ध 0 ≤θ≤π त त त त 17ण् मान लीजिए ं आरै इ दो मात्राक सदिश हैं और उनके बीच का कोण θ है तो ं ़ इ एक मात्राक सदिश है यदिः π ππ 2π ;।द्ध θत्र ;ठद्ध θत्र ;ब्द्ध θत्र ;क्द्ध θत्र 4 323 18ण् ६पण्; ६र × ा६द्ध ़ ६रण्; प६ × ा६द्ध ़ ा६ण्; ६प × ६रद्ध का मान है ;।द्ध0 ;ठद्धदृ1 ;ब्द्ध1 ;क्द्ध3 तत तत तत 19ण् यदि दो सदिशों ं आरैइ के बीच का कोण θ है तो द्य ं ⋅ इ द्यत्रद्य ं ×इ द्य जब θ बराबर हैः ππ ;।द्ध 0 ;ठद्ध ;ब्द्ध ;क्द्ध π 42 कृऽ कृ