Bhugol me Peryojnatmak Karya

आप जानते हैं कि वंफप्यूटर आंकडे़ के प्रक्रमण और आलेख, आरेख तथा मानचित्रों के आलेखन में हमारी सामथ्यर् में वृि कर देते हैं ;संदभर् अध्याय 4द्ध। वह विद्याशाखा जो आंकड़ों के प्रबंध्न एवं विध्ियों औरवंफप्यूटर हाडर्वेयर और साॅफ्रटवेयर अनुप्रयोग के संयोजन से चित्राण करने से संबंध् रखते हैं, क्रमशः सूचनाधार प्रबंधन तंत्रा ;क्ंजंइंेम डंदंहमउमदज ैलेजमउद्ध और वंफप्यूटर - सहायक मानचित्रा कला ;ब्वउचनजमत ।ेेपेजमक ब्ंतजवहतंचीलद्ध कहलाते हैं प्िाफर भी ऐसे वंफप्यूटर अनुप्रयोग माँग आंकड़ों के प्रक्रमण और उनके आलेखीय प्रदशर्न तक सीमित रह जाते हैं। अन्य शब्दों मंे इस प्रकार प्रक्रमित आंकड़ों अथवा इस प्रकार बने मानचित्रांे और आरेखों का प्रयोग एक निणर्य पोषक प्रणाली को विकसित करने में नहीं किया जा सकता। वास्तव में हम अपने रोशमरार् के जीवन में आमतौर पर अनेक प्रश्नों का सामना करते हैं और संतोषजनक समाधनों की तलाश करते हैं। ये प्रश्न हैंμ कोइर् वस्तु कहाँ पर है? वह वहाँ क्यों है? क्या होगा यदि इसे नयी अवस्िथति पर स्थानांतरित कर दिया जाए? इस पुननिर्यतन से कौन लाभान्िवत होगा? यदि यह पुननिर्यतन होता है तो किन लोगों के लाभ छूटने की अपेक्षा है? इन और अन्य अनेक प्रश्नों को समझने केलिए हमें विभ्िान्न ड्डोतों से एकत्रिात आवश्यक आंकड़ों के प्रगहण और वंफप्यूटर, जो कि भौगोलिक प्रक्रमण, यंत्रों से सुसज्िजत हैं, का प्रयोग करके उन्हें समन्िवत करने की जरूरत है। इसी में स्थानिक सूचना तंत्रा की संकल्पना निहित हैं। इस अध्याय में हम स्थानिक सूचना प्रौद्योगिकी के आधरभूत सि(ांतों और स्थानिक सूचना तंत्रा तक इसके विस्तार जिसे प्रायः भौगोलिक सूचना तंत्रा कहा जाता है, की चचार् करेंगे। स्थानिक सूचना प्रौद्योगिकी क्या है? शब्द स्थानिक की व्युत्पिा स्थान से हुइर् है। इसका तात्पयर् भौगोलिक रूप से परिभाष्िात क्षेत्रा जिसके भौतिक रूप से माप योग्य आयाम हैं, पर लक्षणों और परिघटनाओं के वितरण से है। हम जानते हैं कि अध्िकांश आँकडों, जिनका आज हम प्रयोग करते हैं, वे स्थानिक घटक ;अवस्िथतिद्ध होते हैं, जैसे कि किसी नगरपालिका का पता अथवा वृफष्िा जोत की सीमाएँ इत्यादि। इस प्रकार स्थानिक सूचना प्रौद्योगिकी का संबंध् स्थानिक सूचना के संग्रहण, भंडारण, पुनप्रार्प्ित, प्रदशर्न, हेरपेफर, प्रबंध्न और विश्लेषण में प्रौद्योगिक निवेश के प्रयोग से है। यह सुदूर - संवेदन, वैश्िवक स्िथति - निधर्रण तंत्रा ;ळच्ैद्ध, भौगोलिक सूचना तंत्रा ;ळप्ैद्ध, आंकिक मानचित्रा कला और सूचनाधर प्रबंध् प्रणालियों का एक सम्िमश्रण है। भौगोलिक सूचना तंत्रा ;ळप्ैद्ध क्या है? 1970 के दशक के मध्य से उपलब्ध् अग्रवतीर् अभ्िाकलन प्रणालियाँ स्थानिक आंकड़ों एवं गुण न्यास और उनके संबंध् के उद्देश्य के लिए भू - संदभ्िार्त सूचना के प्रकमण, व्यक्ितगत पफाइलों में विश्िाष्ट सूचना का स्िथति निधार्रण, अभ्िाकलनों का ियान्वयन तथा निणर्य पोष्िात प्रणालियों को विकसित करने का सामथ्यर् प्रदान करती है। इन सभी ियाओं को करने में समथर् तंत्रा को भौगोलिक सूचना तंत्रा ;ळप्ैद्ध कहा जाता है। इसे स्थानिक दृष्िट से पृथ्वी से संदभ्िार्त आंकड़ों के प्रग्रहण, भंडारण, जाँच, समन्वय, हेरपेफर, विश्लेषण और प्रदशर्न के तंत्रा रूप में परिभाष्िात किया जाता है। इसमें स्थानिक दृष्िट से संदभ्िार्त वंफप्यूटर सूचनाधर औरउपयुक्त अनुप्रयोग साॅफ्रटवेयर सम्िमलित समझे जाते हैं, यह वंफप्यूटर सहायक मानचित्रा कला और सूचनाधरित प्रबंध्न तंत्रा का सम्िमश्रण है जो स्थानिक और समवगीर् विज्ञानों जैसे वंफप्यूटर विज्ञान, सांख्ियकी, मानचित्राकला, सुदूर - संवेदन सूचनाधर प्रौद्योगिकी, भूगोल, भू - विज्ञान, जल विज्ञान, कृष्िा, संसाध्न प्रबंध्, पयार्वरणीय विज्ञान और लोक प्रशासन से संकल्पनात्मक और रीति विधन संबंधी बल प्राप्त करता है। भौगोलिक सूचना के प्रकार जैसा कि आपने अध्याय 4 में पढ़ा है कि दो प्रकार के आंकड़े भौगोलिक सूचना प्रदान करते हैं - स्थानिक आंकडे़ एवं गैर स्थानिक आंकड़े ;बाॅक्स 6.1द्ध। स्थानिक आंकड़ों को उनकी स्िथति, रेखा, क्षेत्राीय रूप एवं बनावट के आधर पर विश्लेष्िात किया जाता है। बाॅक्स 6.1 स्थानिक एवं गैर - स्थानिक आंकड़े साइकिल की दुकान का स्टाॅक रजिस्टर 1981 में राज्यों की साक्षर जनसंख्या पाटर् संख्या मात्रा विवरण राज्य » पुरुष » स्त्राी 101435 108943 105956 123545 54 68 25 108 चक्रार बाल बियरिंग पहिए का रिम टायर केरल महाराष्ट्र गुजरात पंजाब 75ण्3 58ण्8 54ण्4 47ण्2 65ण्7 34ण्8 32ण्3 33ण्7 भौगोलिक सूचनाधार: एक सूचनाधार में गुण और उनवफी मदें अथवा वगर् होते हैं। बाईं ओर गैर - स्थानिक आंकड़े साइकिल के पुजर्े प्रदश्िार्त करते हैं, जो कहीं भी अवस्िथत हो सकते हैं। दाईं ओर दशर् आंकड़े स्थानिक हैं क्योंकि विभ्िान्न राज्यों के नामों की, जो अनेक गुणों में से एक है, मानचित्रा पर अपनी एक निश्िचत अवस्िथति है। इन आंकड़ों को भौगोलिक सूचना तंत्रा में प्रयोग किया जा सकता है। ¯बदु रेखा क्षेत्रा निदेर्श चिÉ 123 चित्रा 6.1: बिंदु, रेखा और क्षेत्रा लक्षण आंकड़ों के ये रूप आमतौर पर मान्य और समुचित रूप से परिभाष्िात निदर्ेशांक प्रणाली से ज्यामितीयरूप से पंजीकृत हो और कोडित हो ताकि उनका भौगोलिक सूचना तंत्रा के आंतरिक सूचनाधार संरचना में भंडारण किया जा सके। दूसरी ओर जो आंकड़े स्थानिक आंकड़ों का वणर्न करते हैं, गैर - स्थानिक अथवा गुण न्यास कहलाते हैं। स्थानिक अथवा भौगोलिक सूचना तंत्रा में सवार्िाक महत्वपूणर् पूवर् - आवश्यक वस्तु स्थानिक आंकड़े हैं। भौगोलिक सूचना तंत्रा के क्रोड में इन्हें अनेक वििायों से बनाया जा सकता है। वे हंै: ऽ आंकड़ा आपूतिर्दाता से आंकिक रूप में आंकड़े प्राप्त करना ऽ विद्यमान अनुरूप आंकड़ों का अंकीकरण ऽ भौगोलिक सत्ताओं का स्वयं सवर्ेक्षण करके भौगोलिक सूचना तंत्रा के लिए भौगोलिक आंकड़ों के ड्डोत का चयन बृहत् रूप से निम्नलिख्िात द्वारा निधार्रित होता है: ऽ स्वयं अनुप्रयोग क्षेत्रा ऽ उपलब्ध बजट ऽ आंकड़ा संरचना का प्रकार - सदिश ;वेक्टरद्ध/चित्रारेखापुँज ;रैस्टरद्ध आंकड़ों की संरचना का प्रकार, अथार्त् सदिश ;वेक्टरद्ध/चित्रारेखापुँज ;रैस्टरद्ध अनेक प्रयोक्ताओं के लिएस्थानिक आंकड़ों का सवार्िाक साधारण ड्डोत कठोर काॅपी ;कागशद्ध अथवा मृदु काॅपी ;आंकिकद्धस्थलाकृतिक अथवा विषयक मानचित्रा हैं। इन सभी मानचित्रों की विशेषताएँ होती हैं: ऽ एक निश्िचत मापनी जो मानचित्रा और जिस धरातल का यह प्रतिनििात्व करता है, के बीच संबंध प्रस्तुत करता है। ऽ मानचित्रिात सत्ताओं के गुणों को स्पष्ट करते हुए चिÉों और रंगों का प्रयोग ऽ स्वीवृफत निदर्ेशांक तंत्रा जो पृथ्वी की सतह पर सत्ताओं की अवस्िथति को स्पष्ट करे। हस्तेन विध्ियों की तुलना में भौगोलिक सूचना तंत्रा के लाभ भौगोलिक सूचना के ग्राप़् ाफी संचार माध्यम और ज्यामितीय संलग्नता रखने के बावजूद मानचित्रा में वुफछ निम्नलिख्िात वशांगत सीमाएँ होती हैं: ;पद्ध मानचित्राीय सूचना एक विशेष ढंग से प्रक्रमित और प्रदश्िार्त की गइर् होती है। ;पपद्ध एक मानचित्रा एक अथवा एक से अिाक पूवर् - निधार्रित विषय - वस्तुओं को दशार्ता है। ;पपपद्ध मानचित्रों में चित्रिात सूचना में परिवतर्न करने पर एक नया मानचित्रा आलेख्िात करना पड़ता है। इसके विपरीत भौगोलिक सूचना तंत्रा में आंकड़ा भंडारण और प्रदशर्न के अलग - अलग होने का अंतनिर्हित लाभ प्राप्त है। यह आंकड़ों के दशर्न और प्रदशर्न की अनेक वििायों के विकल्प प्रस्तुत करता है। भौगोलिक सूचना तंत्रा के निम्नलिख्िात लाभ उल्लेखनीय हैं: 1ण् प्रयोक्ता प्रदश्िार्त किए जाने वाले स्थानिक लक्षणों के बारे में प्रश्न पूछ सकते हैं और संबंिात गुण न्यास को प्रदशर्न और विश्लेषण के लिए निकाल सकते हैं। 2ण् गुण न्यास की जाँच करके अथवा विश्लेषण करके मानचित्रा आलेख्िात किए जा सकते हैं। 3ण् स्थानिक प्रचालकों ;बहुभुज अिाचित्रा अथवा प्रतिरोधनद्ध का समन्िवत सूचनाधार पर अनुप्रयोग करके सूचनाओं के नए समुच्चय उत्पन्न किए जा सकते हैं। 4ण् विशेष आंकड़ों के विभ्िान्न आइटम एक दूसरे के साथ अंश अवस्िथति कोड की सहायता से जोड़े जा सकते हैं। भौगोलिक सूचना तंत्रा के घटक भौगोलिक सूचना तंत्रा के महत्वपूणर् घटकों में निम्नलिख्िात सम्िमलित हैं: ;कद्ध हाडर्वेयर ;खद्ध साॅफ्रटवेयर ;गद्ध आंकड़े ;घद्ध लोग ;ड़द्ध प्रिया भौगोलिक सूचनातंत्रा के विभ्िान्न घटकों को चित्रा 6.2 में दशार्या गया है। हाडर्वेयर जैसा कि अध्याय 4 में चचार् की गइर् है, भौगोलिक सूचनातंत्रा के प्रमुख घटक तीन हैं: ऽ हाडर्वेयर में प्रक्रमण भंडार प्रदशर्न और निवेश तथा बहिवर्ेश उपतंत्रा समाविष्ट होते हैं। ऽ आंकड़ा प्रविष्िट, संपादन अनुरक्षण विश्लेषण, रूपांतरण, हेरपेफर, आंकड़ा प्रदशर्न और बहिवर्ेशों केलिए साॅफ्रटवेयर माड्यूल्स। ऽ सूचनाधार प्रबंधन तंत्रा। साॅफ्रटवेयर एक अनुप्रयोग साॅफ्रटवेयर के साथ निम्नलिख्िात संियात्मक माड्यूल्स भौगोलिक सूचना तंत्रा की महत्वपूणर् पूवर् - आवश्यकता है: ऽ आंकड़ों की प्रविष्िट, संपादन और अनुरक्षण से संबंिात साॅफ्रटवेयर। ऽ विश्लेषण / रूपांतरण/हेरपेफर से संबंिात साॅफ्रटवेयर। ऽ आंकड़ों के प्रदशर्न और बहिवर्ेश से संबंिात साॅफ्रटवेयर। आंकड़े स्थानिक आंकड़े और संबंिात तालिका रूपी आंकड़े भौगोलिक सूूचनातंत्रा की रीढ़ हैं। वतर्मान आंकड़ों को आपूतिर्दाता से प्रग्रहित किया जा सकता है अथवा प्रयोक्ता द्वारा नए आंकड़ों का सृजन/संग्रहण वहीं के वहीं ;पद.ीवनेमद्ध किया जा सकता है। आंकिक मानचित्रा भौगोलिक सूचनातंत्रा के आधारभूत आंकड़ा निवेश की रचना करता है। मानचित्राीय वस्तुओं से संबंिात तालिका रूपी आंकड़ों को भी आंकिक आंकड़ों के साथ संलग्न किया जा सकता है। एक भौगोलिक सूचना तंत्रा स्थानिक आंकड़ों को आंकड़ों के अन्य ड्डोतों सेसमन्िवत करता है और यहाँ तक कि सूचना आधार प्रबंधन प्रणाली ;क्ठडैद्ध का भी प्रयोग करता है। प्रिया प्रिया में आंकड़ों का प्रत्यानपन तन्त्रा में निवेश, संचय, प्रबंध्, रूपंातरण, विश्लेषण और अंत में तन्त्रा में बहिवर्ेश सम्िमलित है। के रूप में करेगी - बिल्वुफल एक ग्राप़् ाफ पेपर की शीट की तरह आंकड़ा पफाइल में प्रत्येक सेल को एक स्थान प्रदान किया जाता है और उस स्थान के गुण के आधार पर एक मूल्य दिया जाता है इसकी पंक्ितयों और स्तंभों के निदर्ेशांक किसी भी व्यक्ितगत पिक्सेल ;च्पगमसद्ध की पहचान कर सकते हैं। आंकड़ों का यह प्रदशर्न प्रयोक्ता को प्रतिबिंब के पुनगर्ठन अथवा दृश्यांकन में सहायता करता है। सेलों के आकार और उनकी संख्या के बीच संबंध को चित्रारेखापुँज ;रैस्टरद्ध के विभेदन के रूप में अभ्िाव्यक्त किया जाता है। चित्रा 6.4 में रैस्टर पफाॅमर्ेट में आंकड़ों पर के आकार के प्रभाव को स्पष्ट किया गया है। चित्रारेखापुँज ;रैस्टरद्ध पफाइल पफाॅमर्ेटों का अिाकतर प्रयोग प्रायः निम्नलिख्िात ियाओं के लिए किया जाता है: ऽ वायव प़़् ाफोटोग्रापफों, उपग्रहीय प्रतिबिंबों, क्रमवीक्ष्िात कागशी मानचित्रों के आंकिक प्रदशर्न के लिए। ऽ जब लागत को कम करना जरूरी हो। ऽ जब मानचित्रा में व्यक्ितगत मानचित्राीय लक्षण का विश्लेषण अपेक्ष्िात न हो। ऽ जब ‘बैकड्राप’ मानचित्रों की आवश्यकता हो। सदिश ;वेक्टरद्ध आंकड़ा पफाॅमेर्ट उसी तिरछी रेखा का सदिश ;वेक्टरद्ध प्रदशर्न केवल निदर्ेशांकों के आरंभ्िाक एवं अंतिम बिंदुओं को दशर् कर रेखा की स्िथति को दजर् करके होगा। प्रत्येक बिंदु की अभ्िाव्यक्ित दो अथवा तीन संख्याओं के रूप में होगी। यह इस बात पर निभर्र करेगा कि प्रदशर्न द्वि - आयामी ;2क्द्ध था अथवा त्रिा - आयामी ;3क्द्धए जिसे प्रायः ग्एल् अथवा ग्एल्एर् निदर्ेशांकों द्वारा निदिर्ष्िट किया जाता है ;चित्रा 6.5द्ध। पहली संख्या ग्ए ¯बदु और कागश की बाईं सीमा के बीच की दूरी हैऋ ल् ¯बदु तथा कागश की निचली सीमा के बीच दूरीऋ र् कागश के ऊपर अथवा नीचे से ¯बदु की उच्चता है। मापे गए ¯बदुओं को मिलाने से सदिश ;वेक्टरद्ध का निमार्ण होता है। ग्एल् ग्एल् ग्ल् ग्एल् ग्एल्ग्एल् ग्एल्ग्एल् ग्एल्ग्एल् ग्एल्ग्एल् ग्एल् ग्एल् ग्एल् चित्रा 6ण्5 रू सदिश ;वेक्टरद्ध आंकड़ा पफाइल निदर्ेशांक जोड़े के चतुदिर्क पर आधारित है एक सदिश ;वेक्टरद्ध आंकड़ा माॅडल अपने यथाथर् ;पृथ्वीद्ध निदर्ेशांकों द्वारा भंडारित बिंदुओं का प्रयोग करता है। यहाँ रेखाओं और क्षेत्रों का निमार्ण ¯बदुओं के अनुक्रम द्वारा होता है। रेखाओं की दिशा बिंदुओं के क्रमण के अनुरूप होती है। बहुभुजों का निमार्ण बिंदुओं अथवा रेखाओं द्वारा होता है। सदिश ;वेक्टरद्ध संस्िथति के बारे में सूचना का भंडारण कर सकता है। सदिश ;वेक्टरद्ध आंकड़ों के निवेश के लिए हस्तेन अंकीकरण सवार्ेतम वििा है। सदिश ;वेक्टरद्ध पफाइलों का प्रयोग अिाकतर प्रायः निम्नलिख्िात के लिए किया जाता है: ऽ उच्च परिष्कृत अनुप्रयोग। ऽ जब पफाइलों के आकार महत्वपूणर् हों। ऽ जब मानचित्रा के प्रत्येक लक्षण का विश्लेषण आवश्यक हो। ऽ जब वणर्नात्मक सूचना का भंडारण जरूर करना हो। चित्रारेखापुँज ;रैस्टरद्ध माॅडल सदिश ;वेक्टरद्ध माॅडल ऽ आंकड़ा संरचना सरल ऽ संहत आंकड़ा संरचना ऽ अिाचित्राण सरल और दक्ष ऽ परिपथ जाल विश्लेषण के लिए दक्ष ऽ सुदूर संवेदन प्रतिबिंबों के साथ संगत ऽ प्रक्षेपण रूपांतरण में दक्ष ऽ उच्च स्थानिक विचरणशीलता का दक्ष ऽ परिशु( मानचित्रा बहिवर्ेश प्रतिनििात्व। ऽ स्वयं की प्रोग्रामिंग हेतु सरल ऽ अनेक गुणों के लिए वही गि्रड सेल हानि हानि ऽ वंफप्यूटर भंडारण का अदक्ष प्रयोग ऽ आंकड़ा संरचना जटिल ऽ परिमाप और आकृति में त्राुटियाँ ऽ अिाचित्राण के कठिन प्रचालन ऽ परिपथ जाल का विश्लेषण कठिन ऽ उच्च स्थानिक विचरणशीलता का अदक्ष ऽ प्रक्षेपण का रूपांतरण अदक्ष प्रतिनििात्व। बृहद् सेलों का प्रयोग करते समय सूचना ऽ सुदूर संवेदन प्रतिबिंबों के साथ असंगत। का ”ास। कम परिशु( मानचित्रा ;यद्यपि अन्योन्यियात्मकद्ध ल् ¯बदु - होटल ग् ल् रेखा - बिजली आपूतिर् ग् ल् क्षेत्रा - वन ग् ल् ग् जाल - सड़क ल् ध्रातल - उँफचाइर् ग् बाॅक्स 6.2 में चित्रारेखापुँज ;रैस्टरद्ध और सदिश ;वेक्टरद्ध आंकड़ा पफाॅमेर्टों के लाभों और अवगुणों ;हानियोंद्ध को स्पष्ट किया गया है। भौगोलिक सूचनातंत्रा की ियाओं का अनुक्रम भौगोलिक सूचना तंत्रा से संबंिात काम में ियाओं का निम्नलिख्िात अनुक्रम सम्िमलित होता है: 1ण् स्थानिक आंकड़ा निवेश 2ण् गुण न्यास की प्रविष्िट 3ण् आंकड़ों का सत्यापन और संपादन 4ण् स्थानिक और गुण न्यास आंकड़ों की सहलग्नता 5ण् स्थानिक विश्लेषण स्थानिक आंकड़ा निवेश जैसा कि पहले उल्लेख किया जा चुका है कि भौगोलिक सूचना तंत्रा में स्थानिक सूचनाधार की रचनाभ्िान्न - भ्िान्न ड्डोतों से हो सकती है। इन्हें निम्नलिख्िात दो वगा±े में संक्षेपित किया जा सकता हैः आंकड़ा आपूतिर्दाता से आंकिक आंकड़ा समुच्चय का प्रगहण वतर्मान में आंकड़ा आपूतिर्दाता आंकिक आंकड़ों को तैयार रूप में उपलब्ध कराते हैं, जो लघु - मापनी मानचित्रों से लेकर बृहत् मापनी प्लान तक होते हैं। अनेक स्थानीय सरकारों और निजी वंफपनियों के लिए ऐसे आंकड़ेप्रारंभ्िाक ड्डोत की रचना करते हैं और प्रयोक्ताओं के ऐसे समूहों को आंकड़ों के अंकीकरण और स्वयं संग्रहण के उपरिव्यय से मुक्त रखते हैं। यद्यपि ऐसे विद्यमान आंकड़ा समुच्चयों का प्रयोग आकषर्क और समय कीबचत करने वाला होता है परंतु जब आंकड़ों को विभ्िान्न ड्डोतों/आपूतिर्दाताओं से प्राप्त कर किसी एक परियोजना में संयोजित करते हैं तो आंकड़ों की संगतता पर गंभीरतापूवर्क ध्यान देना चाहिए। प्रक्षेप, मापनी, आधार तल और गुणों के वणर्न के संबंध में अंतर समस्याएँ पैदा कर सकते हैं। ियात्मक स्तर पर यह सुनिश्िचत करने के लिए कि आंकड़े अपने अनुप्रयोग के साथ संगत हैं, प्रयोक्ता को उनकी निम्नलिख्िात विशेषताओं का ध्यान रखना चाहिए। ऽ आंकड़ों की मापनी ऽ प्रयोग में लाइर् गइर् भौगोलिक संदभर् प्रणाली ऽ प्रयोग में लाइर् गइर् आंकड़ा संग्रहण की तकनीवेंफ और निदशर्न सामरिकी ऽ एकत्रिात आंकड़ों की गुणवत्ता ऽ आंकड़ों का वगीर्करण और प्रयोग में लाइर् गइर् अंतवर्ेशन की विध्ियाँ ऽ व्यक्ितगत मानचित्राण इकाइयों का आकार और आकृति ऽ रिकाॅडर् की लंबाइर्। इसका भी शरूर ध्यान दिया जाना चाहिए जहाँ आंकड़ों का प्रयोग अनेक ड्डोतों से किया जाता है, और विशेष रूप से जहाँ अध्ययन क्षेत्रा प्रशासकीय सीमाओं को लाँघता है, वहाँ भ्िान्न - भ्िान्न भौगोलिक संदभर् प्रणालियों, आंकड़ों के वगीर्करण और निदशर्न तथा व्यक्ितगत सवर्ेक्षणों की सामरिकी के कारण आंकड़ों के समन्वय में कठिनाइर् आती है। अतः प्रयोक्ता को इन समस्याओं के प्रति सजग होने की आवश्यकता है जो अंतर - राज्यीय और अंतर - िाला आंकड़ा समुच्चयों के संकलन के दौरान विशेष रूप से उत्पन्न होती हैं। एक बार आंकड़ा विभ्िान्न आपूतिर् - दाताओं से प्रग्रहित आंकड़ों में संगतता स्थापित हो जाती है तो अगला चरण एक स्थानांतरण के माध्यम से भौगोलिक सूचना तंत्रा को आंकड़ों का स्थानांतरण है। इस उद्देश्य के लिए क्।ज् टेपों, ब्क् त्व्डै औरफ्रलाॅपी डिस्क का प्रयोग तेशी से आम होता जा रहा है। इस अवस्था में ड्डोत की कोडन और संरचना करने वाली प्रणाली का भौगोलिक सूचना तंत्रा की प्रयोग की जाने वाली प्रणाली में परिवतर्न महत्वपूणर् है। हस्तेन निवेश द्वारा आंकिक आंकड़ा समुच्चयों की रचना भौगोलिक सूचना तंत्रा में आंकड़ों के हस्तेन निवेश की चार मुख्य अवस्थाएँ होती हैं: ऽ स्थानिक आंकड़ों की प्रविष्िट ऽ गुण न्यास की प्रविष्िट ऽ स्थानिक और गुण न्यास का सत्यापन और संपादन ऽ जहाँ आवश्यक हो स्थानिक का गुण न्यास से योजन करना। आंकड़ा निवेश की हस्तेन वििायाँ इस बात पर निभर्र करती हैं कि क्या सूचनाधार की संस्िथति सदिश ;वेक्टरद्ध है अथवा जाल सेल ;चित्रारेखापुँजीयद्ध वाली। भौगोलिक सूचना तंत्रा में स्थानिक आंकड़ों के निवेश की सवार्िाक साधारण वििायाँ इनके माध्यम से हैं: ऽ अंकरूपण ऽ क्रमवीक्षण सत्ता माॅडल में भौगोलिक आंकड़े ¯बदु, रेखाएँ और/अथवा बहुभुज ;क्षेत्राद्ध/पिक्सेल के रूप में होते हैं जिन्हें निदर्ेशांकों की शृंखला का प्रयोग कर परिभाष्िात किया जाता है। इन्हें मानचित्रा अथवा वायव प्के भौगोलिक संदभर् तंत्रा का उल्लेख करके अथवा इसमें जाल अथवा वगर् का अिाचित्राण करके प्राप्त किया जा सकता है। अंककों व क्रमवीक्षकों के प्रयोग से निदर्ेशांकों को लिखने वाले समय और श्रम में बहुत श्यादा कमी आ जाती है। हम यहाँ संक्षेप में चचार् करेंगे कि क्रमवीक्षक का प्रयोग करके भौगोलिक सूचना तंत्रा के क्रोड में स्थानिक आंकड़ों की रचना किस प्रकार की जाती है। क्रमवीक्षक क्रमवीक्षक वे साधन हैं जो समरूप आंकड़ों को आंकिक जाल - आधारित प्रतिबिंबों में परिवतिर्त करते हैं। इनका प्रयोग एक रेखा मानचित्रा को उच्च विभेदन चित्रारेखापुँज ;रैस्टरद्ध प्रतिबिंबों में परिवतिर्त करने के लिए स्थानिक आंकड़ों के परिग्रहण में प्रयोग किया जाता है। इन चित्रारेखापुँज ;रैस्टरद्ध प्रतिबिंबों का प्रयोग प्रत्यक्ष रूप से अथवा इन्हें आगे संसािाक करके सदिश ;वेक्टरद्ध संस्िथति प्राप्त करने में किया जाता है। क्रमवीक्षकों के दो आधारभूत प्रकार होते हैं। वे हैं: ऽ क्रमवीक्षक जो आंकड़ों को क्रम से दशर् करते हैं, और ऽ वे, जो एक ही प्रचालन में संपूणर् दस्तावेश का क्रमवीक्षण कर सकते हैं।पहले प्रकार के क्रमवीक्षणों में एक चल भुजा पर स्िथत प्रदीप्ित का ड्डोत ;प्रायः प्रकाश उत्सजर्क डायोड अथवा एक स्थायीकृत प्रतिदीप्ित लैंपद्ध और एक उच्च विभेदक लैंप सहित आंकिक वैफमरे का समावेश होता है। वैफमरा प्रायः एक सरणी में व्यवस्िथत विशेष संवेदकों, जिन्हें आवेश्िात युग्िमत साधन ;ब्ब्क्ेद्ध कहा जाता है, ये अधर्चालक साधन होते हैं जो अपनी सतह पर पड़ते प्रकाश के काॅटोनों को इलैक्ट्रांस के समूह में स्थानांतरित कर देते हैं जिन्हें बाद में आंकिक मद के रूप में दशर् किया जाता है। मानचित्रा पर किसी भी क्रमवीक्षक का संचलन मानचित्रा के दो - आयामी आंकिक प्रतिबिंब का निमार्ण करता है। क्रमवीक्ष्िात किए जाने वाले मानचित्रा को चपटे तल पर अथवा घूमते हुए ड्रम पर आरोपित कियाजाता है। चपटे तल वाले क्रमवीक्षकों में प्रकाश के ड्डोत को दस्तावेश के ऊपर एक व्यवस्िथत ढंग से ऊपर और नीचे घुमाया जाता है। बड़े मानचित्रों के लिए ऐसे क्रमवीक्षक प्रयोग में लाए जाते हैं जो एक स्टैंड परआरोपित होते हैं और प्रदीप्ित ड्डोत व वैफमरा सरणी एक ही जगह पर स्िथर कर दिए जाते हैं। एक अशन साधन द्वारा मानचित्रा को पीछे से घुमाया जाता है आधुनिक दस्तावेश क्रमवीक्षक प्रतिलोम में लेसर पि्रंटर से मिलते जुलते हैं क्योंकि क्रमवीक्ष्िात सतह प्रकाश संवेदक स्थानों के वियोजन से निमिर्त होती है जिसका प्रत्यक्ष संबंधसाॅफ्रटवेयर से होता है। चल प्रकाश ड्डोत के अतिरिक्त कोइर् भी गतिमान पुजार् नहीं होता। वियोजन का निधार्रण यांत्रिाक भुजा की अपेक्षा संवेदक सतह की ज्यामिती और स्मृति की मात्रा द्वारा होता है। सवर्श्रेष्ठ संभव क्रमवीक्षकों के बावजूद भी क्रमवीक्ष्िात प्रतिबिंब हमेशा अशु( होता है क्योंकि इसमें मूल मानचित्रा के सभी धब्बे और दोष अंतविर्ष्ट होते हैं। इसलिए, इसे उपयोज्य बनाने के लिए आंकिक प्रतिबिंब में से बाहुल्य आंकड़ों को हटा देना चाहिए। गुण न्यास की प्रविष्िट मूल न्यास स्थानिक सत्ता की विशेषताओं, जिनका निपटान भौगोलिक सूचना वणर्न करता है। उदाहरण के तौरपर एक सड़क का प्रग्रहण संस्पशीर् पिक्सेल्स के समुच्चय के रूप में अथवा एक रेखा सत्ता के रूप में होताहै और जिसका प्रतिनििात्व भौगोलिक सूचना तंत्रा के स्थानिक भाग में एक विशेष रंग, चिÉ या आंकड़ाअवस्िथत द्वारा होता है। सड़क के प्रकार का वणर्न करती सूचना को मानचित्रात्मक चिÉों के परास में समाविष्ट किया जा सकता है। सड़क से संबंिात गुणात्मक मूल्यों, जैसे कि सड़क की चैड़ाइर्, धरातल का प्रकार, यातायात की अनुमानिक संख्या और विश्िाष्ट यातायात नियमन, का या तो संबंध परक सूचनाओं की दशा में भौगोलिक सूचना तंत्रा की एक स्थानिक सूचना के रूप में अथवा पदाथर् परक सूचनाधारों की दशा में स्थानिक विवरण सहित निवेश के रूप में अलग - अलग भंडारण किया जा सकता है। प्रकाश्िात रिकाडा±े, सरकारी जनगणनाओं, प्राथमिक सवर्ेक्षणों अथवा स्प्रैड शीटों जैसे ड्डोतों से उपजिर्त गुण न्यास को ळप्ै सूचनाधार में या तो हस्तेन अथवा मानक स्थानांतरण पफाॅमर्ेट का प्रयोग करते हुए आंकड़ों का आयात करके निवेश किया जाता है। आंकड़ों का सत्यापन और संपादन आंकड़ों की शु(ता को सुनिश्िचत करने हेतु त्राुटियों की पहचान और संशोधन के लिए भौगोलिक सूचना तंत्रा में प्रग्रहित आंकड़ों को सत्यापन की आवश्यकता होती है। अंकीकरण के दौरान उत्पन्न हुइर् त्राुटियों में आंकड़ोंका लोपन और नीचे - ऊपर छवि अंकन शामिल हो सकते हैं। स्थानिक आंकड़ों में त्राुटियों की जाँच करने कासवार्ेत्तम तरीका वंफप्यूटर का आलेख बनाना अथवा मूल जैसी मापनी पर पारभासी कागश को अिामान देतेहुए आंकड़ों का मुद्रण लेना है। दोनों मानचित्रों को प्रकाशीय मेश पर एक - दूसरे के ऊपर रखकर मानचित्रापर बाएँ से दाएँ तथा ऊपर से नीचे क्रमब( तरीके से काम करते हुए आरेखों से देखकर उनकी तुलना कीजा सकती है। अप्राप्त आंकड़ों और स्िथतिजन्य त्राुटियों को पि्रंट आउट पर स्पष्ट रूप से चिित कर देना चाहिए। स्थानिक और गुण न्यास के प्रग्रहण के दौरान उत्पन्न होने वाली त्राुटियों को नीचे दिए गए प्रकार सेवगीर्कृत किया जाना चाहिए: स्थानिक आंकड़े अपूणर् अथवा दोहरे हंै स्थानिक आंकड़ों में अपूणर्ता ¯बदुओं, रेखाओं अथवा बहुभुज/क्षेत्रा के हस्तेन प्रविष्ट आंकड़ों के विलोपन से उत्पन्न होती है। क्रमवीक्ष्िात आंकड़ों में विलोपन प्रायः रेखाओं के मध्य अंतर के रूप में होेता है जहाँ रैक्टर - सदिश ;वेक्टरद्ध परिवतर्न प्रिया एक रेखा के सभी भागों को जोड़ने में असपफल हो जाती है। स्थानिक आंकड़े गलत मापनी पर गलत मापनी पर अंकीकरण, गलत मापनी पर निवेशी स्थानिक आंकड़ों को जन्म देता है। क्रमवीक्ष्िात आंकड़ों में समस्याएँ प्रायः तब उत्पन्न होती हैं जब भौगोलिक संदभर् प्रिया के दौरान अशु( मदों का प्रयोग किया जाता है। स्थानिक आंकड़े विरूपित हैं स्थानिक आंकड़े विरूपित भी हो सकते हैं यदि अंकीकरण के लिए प्रयुक्त आधारी मानचित्रों की मापनी शु( नहीं है। वायव प़़् ाफोटोग्रापफों में, विशेष रूप से, लैंस के विरूपण, स्थल और झुकाव के विस्थापन से मापनी अशु( हो जाती है। इसके अतिरिक्त क्रमवीक्षण और अंकीकरण के लिए प्रयुक्त कागशी मानचित्रों और क्षेत्रा प्रलेखों में वषार् व धूप में उनके अनावरण और बार - बार मुड़ने के परिणामस्वरूप यादृच्िछक विरूपण आ सकते हैं। यदि सूचनाधार का निदर्ेशांक तंत्रा निवेशी प्रलेख अथवा प्रतिबिंब में प्रयुक्त निदर्ेशांक तंत्रा से भ्िान्न है तो एक निदर्ेशांक तंत्रा का दूसरे में परिवतर्न आवश्यक हो जाता है। संपादन और संवधर्न ियाओं के माध्यम से इन त्राुटियों में संशोधन की आवश्यकता का अिाकांश भौगोलिक सूचना तंत्रा प्रिया सामग्री समथर्न करते हैं। यह प्रिया समय खचीर्ली और अन्योन्यियात्मक है जो आंकड़ों के निवेश की तुलना में अिाक समय हो सकती है। आंकड़ों का संपादन प्रायः त्राुटियों से युक्तमानचित्रा के भाग को वंफप्यूटर की स्क्रीन पर देखकर और साॅफ्रटवेयर के माध्यम से वुँफजीपटल, माउस द्वारा नियंत्रिात स्क्रीन प्रसंकेतक अथवा छोटे अंकक, टेबलेट का प्रयोग करते हुए उनका संशोधन करके किया जाता है। सदिश ;वेक्टरद्ध सूचनाधार में स्िथतिजन्य लघु त्राुटियों का संशोधन स्क्रीन प्रसंकेतक द्वारा स्थानिक सत्ताओं को हिला कर किया जा सकता है। वुफछ भौगोलिक सूचना तंत्रा में वंफप्यूटर निदर्ेशों का प्रत्यक्ष प्रयोग करते हुए ग्राप़्ं ाफी सत्ताओं को आवश्यकता अनुसार हिलाया, घुमाया, मिटाया, प्रविष्ट कराया, पैफलाया अथवा रूजाता है। जहाँ अतिरिक्त निदर्ेशांक एक रेखा को परिभाष्िात करते हैं, उन्हें वीडिंग एल्गोरिथ्म द्वारा हटाया जा सकता है। चित्रारेखापुँज ;रैस्टरद्ध आंकड़ों में गुणात्मक मदों और स्थानिक त्राुटियों को दोषपूणर् सैलों की मदों में परिवतर्न करके संशोिात किया जा सकता है। एक बार स्थानिक त्राुटियों के संशोिात हो जाने के बाद सदिश ;वेक्टरद्ध रेखा और बहुभुज परिपथजाल की संस्िथति का जनन किया जा सकता है। आंकड़ा परिवतर्न आंकड़ों की हेरपेफर और विश्लेषण करते हुए सभी आंकड़ों के लिए एक जैसे पफामर्ेट का प्रयोग करना चाहिए। जब एक ही समय में विभ्िान्न स्तरों का प्रयोग किया जाना हो वे सभी या तो सदिश ;वेक्टरद्ध अथवा सभी चित्रारेखापुँज ;रैस्टरद्ध पफाॅमर्ेट में होने चाहिए। प्रायः परिवतर्न सदिश ;वेक्टरद्ध से चित्रारेखापुँज ;रैस्टरद्ध में होता है क्योंकि विश्लेषण का सबसे बड़ा भाग चित्रारेखापुँज ;रैस्टरद्ध परिमंडल में होता है। सदिश ;वेक्टरद्ध आंकड़ों का चित्रारेखापुँज ;रैस्टरद्ध आंकड़ों में परिवतर्न प्रयोक्ता परिभाष्िाक सेल आकार के साथ वगर् ;गि्रडद्ध के अिाचित्राण से होता है। कइर् बार चित्रारेखापुँज ;रैस्टरद्ध पफाॅमर्ेट के आंकड़ों को सदिश ;वेक्टरद्ध पफाॅमर्ेट के आंकड़ों में परिवतिर्त किया जाता है। ऐसी स्िथति तब आती है जब कोइर्, सदिश ;वेक्टरद्ध आंकड़ों की तुलना में चित्रारेखापुँज ;रैस्टरद्ध आंकड़ों के भंडारण स्थान की अिाक जरूरत होने पर, आंकड़ों का लघुकरण करना चाहिए। भौगोलिक आंकड़े: सहलग्नता और सुमेलन भौगोलिक सूचना तंत्रा में स्थानिक और गुण न्यास की सहलग्नता महत्वपूणर् है। इसलिए इसे सावधानीपूवर्क करना चाहिए। गुण न्यास को असंब( स्थानिक आंकड़ों से सहलग्न करने पर परम आंकड़ा विश्लेषण से अस्त - व्यस्तता उत्पन्न हो जाएगी। इसी प्रकार आंकड़ों के एक स्तर का दूसरे से सुमेलन भी साथर्क है। सहलग्नता एक भौगोलिक सूचना तंत्रा विश्िाष्ट रूप से विभ्िान्न आंकड़ा समुच्च्यों को जोड़ता है। कल्पना कीजिए कि हम किसी राज्य में 10 वषर् से कम आयु के बच्चों में वुफपोषण के कारण मृत्युदर को ज्ञात करना चाहते हैं। यदि हमारे पास एक पफाइल है जिसमें इस आयु वगर् के बच्चों की संख्या है और दूसरी पफाइल में वुफपोषण से मृत्युदर दी गइर् है, सबसे पहले हमें दो आंकड़ा पफाइलों को जोड़ना पड़ेगा। एक बार ऐसा हो जाने पर, हम एक संख्याको दूसरी से भाग देकर वांछनीय उत्तर प्राप्त कर सकते हैं। यथाथर् सुमेलन यथाथर् सुमेलन का अथर् है कि यदि हमारे पास वंफप्यूटर पफाइल में अनेक भौगोलिक लक्षणों ;उदाहरणतः कस्बेद्ध की सूचना है तथा उन्हीं लक्षण समुच्चय के बारे में अतिरिक्त सूचना किसी और पफाइल में है। दोनों पफाइलों की समान वुँफजी, अथार्त् कस्बों के नाम का प्रयोग करते हुए हम दोनों को एक जगह लाने का प्रचालन आसानी से कर सकते हैं। इस प्रकार एक जैसे नाम वाले कस्बे की प्रत्येक पफाइल में से रिकाडर् को निकाल लिया जाता है और दोनों को जोड़कर किसी अन्य पफाइल में संचयित कर लिया जाता है। पदानुक्रमिक सुमेलन वुफछ प्रकार की सूचनाओं को, यद्यपि, अन्य प्रकार की सूचनाओं की अपेक्षा अिाक विस्तारपूवर्क विंफतु कम बार एकत्रिात किया जाता है। उदाहरण के तौर पर विस्तृत क्षेत्रों पर भूमि उपयोग संबंधी आंकड़ों को बारंबार एकत्रिात किया जाता है। दूसरी ओर भूमि रूपांतरण के आंकड़ों को छोटे क्षेत्रों मगर कभी कभार अंतरालों परएकत्रिात किया जाता है। यदि अपेक्षाकृत छोटे क्षेत्रा बड़े क्षेत्रों में समंजित हो जाते हैं तब उसी क्षेत्रा के आंकड़ों के सुमेलन का तरीका पदानुक्रमित सुमेलन है। छोटे क्षेत्रों के आंकड़ों को तब तक इकट्ठा जोड़ें जब तक समूहित क्षेत्रा बड़े क्षेत्रों से सुमेलित न हो जाएँ और तब यथाथर्तापूवर्क सुमेलित कीजिए। अस्पष्ट सुमेलन कइर् अवसरों पर अपेक्षाकृत छोटे क्षेत्रों की सीमाएँ बड़े क्षेत्रों से मेल नहीं खाती। समस्या तब श्यादा पैदा होती है जब पयार्वरणीय आंकड़े अंतग्रर्स्त हों। उदाहरण के तौर पर पफसली सीमाएँ जो प्रायः खेतों के किनारों/सीमाओं द्वारा परिभाष्िात होती हैं दुलर्भता से मृदा प्रकारों की सीमाओं से मेल खाती हैं। यदि किसी विश्िाष्ट प़् ाफसलके लिए हम सवार्िाक उपजाऊ मृदा का निधार्रण करना चाहें तो हमें दो समुच्चयों का अिाचित्राण करना होगा और प्रत्येक मृदा प्रकार की शस्य उत्पादकता का अभ्िाकलन करना होगा। एक भौगोलिक सूचना तंत्रा इन सभी प्रचालनों को कायार्न्िवत कर सकता है। यद्यपि, स्थानिक सूचना के समुच्चयों को तभी जोड़ा जाता है जब वे एक भौगोलिक क्षेत्रा से संब( हों। स्थानिक विश्लेषण भौगोलिक सूचना तंत्रा की प्रबलता उसकी विश्लेषणात्मक सामथ्यर् में निहित है। जो चीज भौगोलिक सूचना तंत्रा को अन्य सूचना तंत्रों से अलग करती है वह है इसकी स्थानिक विश्लेषण की ियाएँ। विश्लेषण ियाएँयथाथर् विश्व से संबंिात प्रश्नों के उत्तर देने के लिए सूचनाधार में स्थानिक और गैर - स्थानिक गुणों का प्रयोग करती हैं। भौगोलिक विश्लेषण माॅडलों के विकास और अनुप्रयोग से यथाथर् विश्व प्रियाओं के अध्ययन कोसुगम बनाता है। ऐसे माॅडल भौगोलिक आंकड़ों में अधःशायी प्रवृिायों को उजागर करके नयी संभावनाओं को प्रस्तुत करते हैं। भौगोलिक विश्लेषण का उद्देश्य आंकड़ों को उपयोगी सूचनाओं में बदल कर नीति - निमार्ताओं की आवश्यकताओं को संतुष्ट करना है। उदाहरणतः भौगोलिक सूचना तंत्रा का प्रयोग दिव्फऔर काल से संबंिात विभ्िान्न प्रकार की परिघटनाओं के भविष्य की प्रवृिायों का पूवार्नुमान प्रभावी ढंग से किया जा सकता है। पिफर भी, भौगोलिक सूचना तंत्रा पर आधारित किसी भी विश्लेषण को करने से पहले समस्या की पहचान और विश्लेषण के उद्देश्य को परिभाष्िात करना आवश्यक है। इसमें निष्कषर् पर पहुँचने के लिए चरणगत प्रियाओं की आवश्यकता होती है। भौगोलिक सूचना तंत्रा का प्रयोग करते हुए स्थानिक विश्लेषण के निम्नलिख्िात प्रचालनों को लिया जा सकता है: ;पद्ध अिाचित्राण विश्लेषण ;पपद्ध बप़् ाफर विश्लेषण ;पपपद्ध परिपथ जाल विश्लेषण ;पअद्ध अंकिक भू - भाग माॅडल पिफर भी, समय और स्थान के व्यवरोध के कारण केवल अिाचित्राण और बपफर विश्लेषण प्रचालनों की़यहाँ चचार् की जाएगी। अिाचित्राण विश्लेषण प्रचालन भौगोलिक सूचना तंत्रा का प्रमाण चिÉ अिाचित्राण प्रचालन है। अिाचित्राण प्रचालन का प्रयोग करके मानचित्रों के बहुगुणी स्तरों का समन्वय एक महत्वपूणर् विश्लेषण िया है। अन्य शब्दों में भौगोलिक सूचना तंत्रा उसी क्षेत्रा के मानचित्रों के दो अथवा अिाक विषयक स्तरों का अिाचित्राण करके नया मानचित्रा स्तर प्राप्त करने चित्रा 6.9: अलीगढ़ नगर में 1974 - 2001 के दौरान नगरीय भूमि रूपांतरण बप़्ाफर प्रचालन बप़् ाफर प्रचालन भौगोलिक सूचना तंत्रा में एक अन्य महत्वपूणर् स्थानिक विश्लेषण िया है। किसी भी ¯बदु, रेखा अथवा क्षेत्रा लक्षण के साथ किसी निश्िचत दूरी को बप़्डामर से बनी पक्की सड़कों, क्षेत्राीय पाको± इत्यादि सुविधाओं और सेवाओं से लाभान्िवत अथवा वंचित क्षेत्रों/जनसंख्या की स्िथति निधार्रण में उपयोगी है। इसी प्रकार यह वायु, ध्वनि और जल प्रदूषण के बिंदुकड्डोतों के मानव स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव तथा इस प्रकार प्रभावित जनसंख्या के आकार के अध्ययन चित्रा 6.11: एक बिंदु, रेखा और बहुभुज के चारों ओर आलेख्िात अचर चैड़ाइर् के बप़् में उपयोगी है। इस प्रकार का विश्लेषण सामीप्य विश्लेषण कहलाता है। बप़् विचार किए बिना बहुभुज लक्षण उत्पन्न करेगा और स्थानिक सामीप्य निरूपित करता है। उदाहरणतः किसी रसायन औद्योगिक इकाइर् के एक कि.मी. के बप़् ाफर के अंतगर्त अनेक परिवार इकाइर् द्वारा विसजिर्त औद्योगिक अपश्िाष्ट से प्रभावित होते हैं। आवर्फ व्यू/आवर्फ जी आइ एस जियोमीडिया और भौगोलिक सूचना तंत्रा के अन्य साॅफ्रटवेयर ¯बदु, रेखा और क्षेत्रा लक्षण के साथ बपफर विश्लेषण के माॅड्यूल्स प्रस्तुत करते हैं। उदाहरण के तौर पर किसी भी उपलब्ध़साॅफ्रटवेयर के उपयुक्त निदर्ेशों का प्रयोग करते हुए नगरों में स्िथत प्रमुख अस्पतालों के चारों ओर 2, 4, 6, 8 और 10 कि.मी. का बप़् ाफर बनाया जा सकता है। एक प्रकरण अध्ययन के तौर पर सहारनपुर, मुज्शपफरनगर, मेरठ, गाजियाबाद, गौतमबु( नगर और अलीगढ़ की बिंदुक स्िथतियों का मानचित्राण किया गया है। ;चित्रा 6.12द्ध तथा उन नगरों से जहाँ अस्पताल पाए जाते हैं बप़् ाफर की रचना की गइर् है। आप पयर्वेक्षण कर सकते ठनमिित पद ज्ञउे ंतवनदक ब्पजल भ्वेचपजंसे 2 4 6 8 10 अभ्यास 1ण् नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए: ;पद्ध स्थानिक आंकड़ों के लक्षण निम्नांकित स्वरूप में दिखाइर् देते हैंμ ;कद्ध अवस्िथतिक ;खद्ध रैख्िाक ;गद्ध क्षेत्राीय ;घद्ध उपयुर्क्त सभी स्वरूपों में ;पपद्ध विश्लेषक माॅड्यूल साॅफ्रटवेयर के लिए कौन - सा एक प्रचालन आवश्यक है? ;कद्ध आंकड़ा संग्रहण ;खद्ध आंकड़ा प्रदशर्न ;गद्ध आंकड़ा निष्कषर्ण ;घद्ध बपफरिंग़ ;पपपद्ध चित्रारेखापुँज ;रैस्टरद्ध आंकड़ा पफाॅरमेट का एक अवगुण क्या है? ;कद्ध सरल आंकड़ा संरचना ;खद्ध सहज एवं वुफशल उपरिशायी ;गद्ध सुदूर संवेदन प्रतिबिंब के लिए सक्षम ;घद्ध कठिन परिपथ चाल विश्लेषण ;पअद्ध सदिश ;वेक्टरद्ध आंकड़ा पफाॅरमेट का एक गुण क्या है? ;कद्ध समिश्र आंकड़ा संरचना ;खद्ध कठिन उपरिशायी प्रचालन ;गद्ध सुदूर संवेदन आंकड़ों के साथ कठिन सुसंगतता ;घद्ध सघन आंकड़ा संरचना ;अद्ध भौगोलिक सूचना तंत्रा कोट में उपयोग कर नगरीय परिवतर्न की पहचान वुफशलतापूवर्क की जाती हैμ ;पद्ध चित्रारेखापुँज एवं सदिश ;वेक्टरद्ध आंकड़ा माॅडल के मध्य अंतर ;पपद्ध उपरिशायी विश्लेषण क्या है? ;कद्ध उपरिशायी प्रचालन ;खद्ध सामीप्य विश्लेषण ;गद्ध परिपथ जाल विश्लेषण ;घद्ध बपफरिंग 2ण् निम्नांकित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए: ;पपपद्ध भौगोलिक सूचना तंत्रा में हस्तचलित वििा के गुण क्या हैं? ;पअद्ध भौगोलिक सूचना तंत्रा के महत्वपूणर् घटक क्या हैं? ;अद्ध भौगोलिक सूचना तंत्रा के कोर में स्थानिक सूचना बनाने की वििा क्या है? ;अपद्ध स्थानिक सूचना प्रौद्योगिकी क्या है? 3ण् निम्नलिख्िात प्रश्नों के उत्तर 125 शब्दों में दीजिए: ;पद्ध चित्रारेखापँुज ;रैस्टरद्ध एवं सदिश ;वेक्टरद्ध आंकड़ा पफाॅरमेट को उदाहरण सहित समझाइए। ;पपद्ध भौगोलिक सूचना तंत्रा से संबंिात काया±े को क्रमब( रूप में किस प्रकार किया जाता है एक व्याख्यात्मक लेख प्रस्तुत कीजिए।

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