
का खाना बनेगा और सब बच्चे खूब खेलेंगे। यह सोचकर गोपाल बहुत खुश था। इतने में माँ ने आवाश लगाइर्, फ्गोपाल! रात में दो कटोरी चने याद से भ्िागो देना।य् माँ को बुआ के घर जाना था और वे सुबह लौटने वाली थीं। गोपाल ने रात में चने भ्िागोते हुए सोचाμमाँ ने बस दो कटोरी चने कहा, वह भी आठ लोगों के लिए! ये तो बहुत कम पड़ जाएँगे। इसलिए उसने चार कटोरी चने भ्िागो दिए। सुबह माँ वापस आईं तो गोपाल को बुलाया और कहाμफ्इतने सारे चने भ्िाजवा दूँगी। डाॅक्टर ने बुआ को अंवुफरित खाना खाने की सलाह दी है।य् माँ ने अंवुफरित करने के लिए भीगे हुए चने एक गीले कपड़े में लपेटकर टाँग दिए। चचार् करो ऽ तुम्हारे घर में कौन - कौन - सी चीशें खाना बनाने से पहले भ्िागोइर् जाती हैं? और क्यों? ऽ तुम्हारे घर में कौन - कौन - सी चीशें अंवुफरित करके खाइर् जाती हैं? उन्हें अंवुफरित वैफसे किया जाता है? कितना - कितना समय लगता है? ऽ क्या तुम्हें या तुम्हारे आस - पास किसी को डाॅक्टर ने अंवुफरित खाना खाने की सलाह दी है? क्यों? करके देखो किए थे। आओ, एक और प्रयोग करके देखो। ऽ चने और तीन कटोरियाँ लो। पहली कटोरी में चने के चार - पाँच दाने लो और कटोरी को पानी से पूरा भर दो। ऽ दूसरी कटोरी में भी उतने ही चने भीगी हुइर् रूइर् या कपड़े में रख दो। ध्यान रहे, कपड़ा या रूइर् सूखने न पाए। तीसरी कटोरी में केवल चने ही रखो। ऽ तीनों कटोरियों को ढँक दो। दो दिन बाद देखो और लिखो। तीनों कटोरियों के चनों में क्या बदलाव दिखा? क्या बीजों को हवा मिल रही है? नहीं हाँ हाँ क्या बीजों को पानी मिल रहा है? बीजों में क्या बदलाव आया? क्या बीजों में अंवुफरण हुआ? बताओ और लिखो ऽ किस कटोरी के बीजों में अंवुफरण हुआ? इस कटोरी और बाकी कटोरियों के बीजों में क्या अंतर है? ऽ गोपाल की माँ ने भ्िागोए हुए चने अंवुफरित करने के लिए गीले कपड़े चित्रा बनाओ ऽ अपने अंवुफरित बीज को ध्यान से देखो और उसका चित्रा बनाओ। किसका पौध कितना बड़ा? एक गमला या चैड़े मुँह वाला डिब्बा लो। इसके नीचे छोटा - सा छेद करके, मि‘ी भरो। किसी एक किस्म के चार - पाँच बीज मि‘ी में दबा दो। कक्षा में सभी बच्चे अलग - अलग किस्म के बीज बोएँ। जैसेμसरसों, मेथीदाना, तिल, ध्निया। लिखो बीज का नाम किस दिन बोया ;तारीखद्ध अब जिस दिन तुम्हें छोटा - सा पौध निकलता दिखे, उस दिन से अपनी तालिका भरो। पता करो ऽ बीज बोने और छोटा पौध दिखने में कितने दिन लगे? ऽ पहले दिन और दूसरे दिन पौध्े की लंबाइर् में कितना अंतर था? ऽ किस दिन पौध्े की लंबाइर् सबसे श्यादा बढ़ी? ऽ क्या हर दिन पौध्े में से नया पत्ता या पत्ते निकले? ऽ क्या पौध्े के तने में भी वुफछ बदलाव आया? चचार् करो ऽ किस बीज के पौध्े को मि‘ी से बाहर आने में सबसे श्यादा दिन लगे? ऽ किस बीज के पौध्े को मि‘ी से बाहर आने में सबसे कम दिन लगे? ऽ कौन - सा बीज उगा ही नहीं? क्यों नहीं उगा होगा? ऽ अगर तुम्हारा पौध सूख गया या पीला हो गया तो सोचो ऐसा क्यों हुआ होगा? ऽ पौधें को पानी न मिले तो क्या होगा? दिल की बात बताओ ऽ बीज के अंदर क्या होता है? ऽ छोटे से बीज से इतना बड़ा पौध वैफसे बनता है? सोचो और कल्पना करो ऽ अगर पौध्े चलते तो क्या होता? चित्रा बनाओ। 46 आस - पास पता करो ऽ क्या वुफछ पौध्े बिना बीज के भी उगते हैं? दी गइर् तालिका एक चाटर् पर बनाओ और पूरी कक्षा के बच्चे मिलकर उसे भरेंμ घुमक्कड़ बीज पौध्े अपनी सारी िांदगी एक ही जगह खड़े रहते हैं। ये चलते नहीं हैं लेकिन इनके बीज बड़े ही घुमक्कड़ होते हैं। पौधें के बीज बहुत दूर - दूर तक पहुँच जाते हैं। बीज, बीज, बीज 47 चित्रा 2 चित्रा 1 में देखो, ये बीज हवा की मदद से वैफसे उड़ पाते हैं? ऽ क्या तुमने भी कोइर् बीज उड़ते हुए देखा है? ऽ तुम्हारे यहाँ उसे क्या कहते हैं? ऽ अनुमान लगाओ कि तुम्हारे बीजों के समूह में से कितने बीज हवा से बिखरते होंगे। चित्रा 2 को ध्यान से देखो। यह बीज हवा में तो उड़ नहीं पाता। यह जानवरों की खाल औरहमारे कपड़ों में अटक जाता है। है ना मुफ्ऱत में सैर! इन बीजों को देखकर तुम्हारे मन में क्या वुफछ नया आइडिया आया? पढ़ो, स्िवट्शरलैंड में ‘वेल्व्रफो’ का आइडिया वैफसे आया। यह घटना 1948 की है। एक दिन जाॅजर् मेस्ट्रल अपने वुफत्ते के साथ सैर से लौटे। उन्होंने पाया कि उन दोनों पर बीज चिपके हैं। इन बीजों को अपने कपड़ों पर चिपका देखकर वे हैरान रह गए। झट माइव्रफोस्कोप निकाला, बीजों को बारीकी से देखने के लिए। बीजों में छोटे - छोटे हुक थे। इनकी मदद से बीज कपड़े के रेशों पर अटक गए थे। यह देखकर मेस्ट्रल को ‘आइडिया’ आया ‘वेल्व्रफो’ बनाने का। ‘वेल्व्रफो’ से दोनों सतह चिपक जाती हैं और खुलने पर चर - चर की आवाश होती है। तुमने बस्ते, कपड़े, जूते, पट्टे आदि में इसका इस्तेमाल देखा होगा। है न मशेदार किस्सा प्रवृफति से प्रेरणा लेने का! 48 आस - पास ऽ चित्रों को देखकर अंदाशा लगाओ कि इनमें बीज किस - किस तरह से बिखर रहे हैं? ऽ पौध्े स्वयं भी अपने बीजों को दूर छिटक देते हैं। जैसेμसोयाबीन की पफलियाँ पककर सूख जाती हैं तो चिटककर बिखरने लगती हैं। उनकी आवाश सुनी है? ऽ सोचो, अगर बीज बिखरते नहीं, यानी एक ही जगह पड़े रहते, तो क्या होता? ऽ एक सूची बनाओμबीज किस - किस तरह से बिखरते हैं। कौन कहाँ से आए जी? बीज को बिखराने वाली सूची में क्या तुमने हमें, यानी इन्सानों को शामिल किया है? हाँ, हम भी बीजों को यहाँ से वहाँ पहुँचाते हैं। अनजाने में और जान - बूझकर भी। कोइर् पौध खूबसूरत लगे या कोइर् पौध दवाइर् में उपयोगी हो, तो हम उसके बीज अपने बगीचे में उगाने के लिए ले आते हैं। ये पौध्े बड़े होते हैं और दूर - दूर तक बिखर जाते हैं। कइर् सालों बाद तो लोगों को यह याद ही नहीं रहता कि ये पौध्े हमेशा से यहाँ नहीं उगते थे। ये तो कहीं और से ही आए हैं। पता है, मिचीर् हमारे यहाँ कहाँ से आइर्? इसे पुतर्गाल देश के व्यापारी दक्ष्िाण अमरीका से भारत लाए थे। अब यह सारे भारत में उगाइर् जाती है। जानना चाहते हो, कौन कहाँ से आया है? इस कविता में पढ़ो। बीज, बीज, बीज 49 आलू, मिचीर्, चाय जी आलू, मिचीर्, चाय जी नक्शे में यूरोप किध्र कौन कहाँ से आए जी वहीं से आए गोभी - मटर सात समुंदर पार से दुनिया के बाशार से व्यापार से उपहार से जंग - लड़ाइर् मार से हर रस्ते से आए जी आलू, मिचीर्, चाय जी दक्ष्िाण अमरीकी मिचीर् रानी मसालों की है पटरानी मूँगपफली, आलू, अमरूद ध्ूम मचाते करते उछलवूफद साथ टमाटर आए जी आलू, मिचीर्, चाय जी भ्िांडी है अप़्रफीका की भूरी - भूरी काॅप़् ाफी भी चाय असम की बाइर् जी आलू, मिचीर्, चाय जी चली चीन से सोयाबीन पहुँची अमरीका बजाती बीन घूम - घाम लौटी अपने देश उसमें हैं गुण कइर् विशेष रोब जमाकर आइर् जी आलू, मिचीर्, चाय जी बैंगन, मूली, सेम, करेला आम, संतरा, बेर और केला पालक, परवल, टिंडा, मेथी हैं भाइर् - बहन ये सब देशी भारत की पैदाइश जी कौन कहाँ से आए जी - राजेश उत्साही चकमक, मइर् - जून 2002 क्यों जान गए न? क्या तुम सोच सकते हो, अगर ये हमारे यहाँ नहीं आए होते, तो हमारी िंादगी वैफसी होती? दुनिया के नक्शे में इन देशों को ढूँढ़ने की कोश्िाश करो।