
ओह! ........... क्या हुआ! उँफह, उँफह! बचाओ, बचाओ! जल्दी आओ! चारों तरपफ़चीखने - चिल्लाने की आवाशें। पैरों के नीचे शमीन हिलती हुइर् और चारों तरप़्ाफ भागते हुए घबराए लोग। मैं शोर से चिल्लाइर् और एकदम से मेरी आँख खुल गइर्। मेरी चीख से माँ भी नींद से जाग गईं। वे भागी आईं और मुझे अपनी छाती से लगा लिया। ओह, यह तो सपना था। छह साल पहले असल में ऐसा ही हुआ था। उस भूवंफप को आए छह साल से भी श्यादा हो चुके हैं, पर आज भी कइर् बार नींद में लगता है, मानो शमीन हिल रही है। मैं गुजरात के कच्छ इलाके में रहने वाली जस्मा हूँ। बात तब की है जब मैं सिपर्फ़ग्यारह साल की थी। उस दिन गाँव के बच्चे, बड़े, सब स्वूफल के आँगन में टी.वी. पर 26 जनवरी की परेड देख रहे थे। अचानक शमीन तेशी से हिलने लगी। सभी लोग घबराकर इधर - उधर वुफछ ही पल में हमारा पूरा गाँव मलबे का ढेर बन गया। हमारा सारा सामानμकपड़े, बतर्न, खानाμसब कुछ मलबे में दब गया। उस समय सभी लोगों का ध्यान दो ही कामों पर थाμमलबे के नीचे दबे लोगों को निकालना और घायलों की मरहम - प‘ी करना। गाँव के अस्पताल को भी नुकसान पहुँचा था। डाॅक्टर बाबू ने गाँववालों की मदद से ही घायलों का इलाज किया। बहुत सारे लोगों को तो गहरी चोटें भी लगीं। मेरी टाँग भी टूट गइर्। गाँव के छह लोग दबकर मर गए। नाना भी मलबे में दब गए। माँ तो दिनभर रोती रहती थीं। माँ रोती, तो मैं भी रोती। पूरा गाँव ही दुखी और परेशान था। हमारे गाँव के सरपंच, मोटा बापू के घर को श्यादा नुकसान नहीं पहुँचा था। उन्होंने अपने गोदाम से सभी को अनाज दिया। कइर् दिन तक गाँव की औरतें मिलकर मोटा बापू के घर पर ही सभी गाँववालों के लिए खाना पकाती रहीं। इतनी ठंड के दिन और वह भी बिना घर के बिताना। रात के समय ठंड और डर, दोनों के मारे नींद ही नहीं आती थी। हर समय यही डर लगा रहता था कि कहीं पिफर भूकंप आ गया तो? चचार् करो और लिखो ऽ क्या तुमने या तुम्हारे किसी जानने वाले ने कभी ऐसी मुसीबत का सामना किया है? ऽ ऐसे समय में किन लोगों ने मदद की? उनकी सूची बनाओ। 132 आस - पास पिफर पहुँची मदद कइर् दिन तक हमारा हाल देखने दूर शहर से लोग आते रहे, जैसे कोइर् तमाशा से वुफछ को यह सामान मिलता, तो वुफछ को नहीं। खूब छीना - झपटी होती थी, इन चीशों के लिए। कपड़े मिलते, पर कितने अजीब से। ऐसे कपड़े हमने पहले कभी नहीं पहने थे। शहर की संस्था से आए लोगों ने सबके रहने के लिए गुशारे लायक तंबू नाम पर प्लास्िटक का तंबू।! उन लोगों में वुफछ वैज्ञानिक भी थे, जो अपने खास तरीकों से पता करते थे कि किस इलाके में भूवंफप आने का कितना खतरा है। गाँववालों की उनके साथ कइर् बार बातचीत हुइर्। उन लोगों के पास घर बनाने के लिए वुफछ सुझाव थे। इन लोगों में वुफछ इंजीनियर और वुफछ आविर्फटेक्ट भी थे। जिन्होंने हमें घरों के खास डिशाइन दिखाए। उन्होंने बताया कि खास तरह के डिशाइन से भूवंफप आने पर कम - से - कम नुकसान होगा। पर गाँव वालों को डर था कि कहीं ऐसा करने से गाँव, अपने गाँव जैसा ही न लगे। आख्िार में यही पैफसला हुआ कि हम अपना घर अपने - आप़मिलकर बनाएँगे, संस्था के सुझाए डिशाइन के अनुसार। यह भी निश्िचत हुआ कि गाँव का स्कूल वे लोग बनाएँगे। सबने मिलकर पूरा गाँव पिफर से खड़ा किया। गाँव के वुफछ लोग सूखे तालाब को खोदकर चिकनी मि‘ी लाए। मि‘ी में पिफर गोबर मिलाकर बड़े - बड़े उपले बनाए और उन्हें एक - दूसरे पर रखकर दीवारें खड़ी कीं। चूने से दीवारों की पुताइर् की। घास - पूफस ऽ जस्मा के गाँव में बाहर के बहुत सारे लोग आए। ये कौन लोग होंगे? इन लोगों ने किस प्रकार की मदद की होगी? ऽ जस्मा के गाँव के लोगों ने अपना गाँव संस्था के बताए तरीके के अनुसार पिफर से खड़ा किया। घरों को अब वैफसे मशबूत बनाया? ऽ सोचो, अगर तुम्हारे यहाँ भूवंफप आ जाए, तो तुम्हारे घर में किस तरह का नुकसान हो सकता है? लिखो ऽ अपने घर की तुलना जस्मा के घर से करो। दोनों घरों को बनाने के लिए इस्तेमाल की गइर् चीशों की सूची काॅपी में बनाओ। जस्मा का घर आपका घर क्या - क्या करें? संस्था के लोगों ने जस्मा के स्वूफल में अभ्यास कराया कि भूवंफप आने पर क्या - क्या करना चाहिए। μ अगर हो सके तो घर से बाहर खुले में निकल जाओ। μ अगर घर से बाहर निकल न पाओ, तो प़्ाफशर् पर लेटकर किसी मशबूत चीश, जैसे मेश के नीचे छिप जाओ। उसे पकड़े रखो ताकि वह पिफसलकर तुमसे दूर न जाए। कंपन रुक जाने तक इंतशार करो। μ चित्रा में देखो, भूवंफप आने पर क्या करोगे। ऽ क्या तुम्हें कभी स्वूफल में या कहीं और इस बारे में बताया गया है कि भूवंफप जैसी मुसीबत के समय क्या करना चाहिए? ऽ भूवंफप के समय किसी मशबूत चीश के नीचे छिप जाने को क्यों कहा गया है? किसने की मदद? भुज में आए भूकंप की टी.वी. पर आइर् इस रिपोटर् को पढ़ो μ लिखो ऽ टी.वी. की रिपोटर् के अनुसार गुजरात में हशारों लोग घायल हुए और मरे भी। अगर यहाँ बनी इमारतें भूवंफप से सुरक्ष्िात होतीं, तो क्या नुकसान में वुफछ अंतर होता? क्या? ऽ ऐसे समय पर जब लोगों के घर ही नहीं रहे, तब लोगों को किस - किस तरह की राहत की शरूरत पड़ी होगी? ऽ ऐसे में किन - किन की मदद की शरूरत पड़ती होगी और किस काम के लिए? काॅपी में तालिका बनाकर लिखो। किन - किन की मदद की शरूरत काम में मदद 1. वुफत्ता 2 सूँघकर जानना कि लोग कहाँ दबे हैं चचार् करो ऽ क्या तुमने कभी अपने इलाके में देखा है कि आस - पड़ोस के लोगों ने मिलकर एक - दूसरे की मदद की हो? कब - कब? ऽ लोग अकसर एक जगह पर पास - पास क्यों बसते हैं? ऽ अगर तुम्हारा घर अपने इलाके में अकेला घर होता यानी तुम्हारे आस - पास कोइर् न रहता तो वैफसा होता? जैसेμतुम किसके साथ खेलते? क्या अकेले डर लगता? सभी त्योहार और खास मौके किसके साथ मिलकर मनाते, इत्यादि? ऽ लोगों को कइर् बार ऐसी मुश्िकलों का सामना करना पड़ता है, जिनमें जान और माल का भारी नुकसान होता है। कइर् लोग बेघर हो जाते हैं। पिछले 136 आस - पास वुफछ एक महीनों के अखबारों से दुनिया में आए भूवंफप, बाढ़, आग, तूपफान आदि वेफ़बारे में समाचार इकऋे करो। उन्हें काॅपी में चिपकाओ। तुम्हारी समाचार रिपोटर् ऽ तुम अपनी समाचार रिपोटर् तैयार करो जिसमें इन बातों का िाव्रफ हो। μ संकट का कारण μ तारीख और समय μ किस - किस तरह के नुकसान हुए? ;जान, माल, रोशगार का नुकसानद्ध μ कौन - कौन लोग मदद के लिए आए और िाम्मेदारी ली ;कौन - कौन से सरकारी दफ्ऱतर तथा अन्य सस्थाएँद्ध ऽ क्या तुम्हारे इलाके में कभी लोगों ने भुखमरी, सूखा जैसी मुसीबतों का सामना किया है? ऐसे समय में खाने - पीने की भारी कमी हो जाती है। अखबार से देश - विदेश की ऐसी खबरें ढूँढ़ो और उन पर एक रिपोटर् तैयार करो। ऽ किसी मुसीबत के समय तुम्हें अपने इलाके में इनकी शरूरत पड़ सकती है। इनसे संपवर्फ करने के लिए तुम इनके प़्ाफोन नंबर तथा पूरा पता काॅपी में लिखो। इस सूची में वुफछ और नाम भी जोड़ो। पता पफोन नंबर दमकल वेंफद्र नशदीकी अस्पताल एम्बुलेंस पुलिस थाना पहचानो संकट के समय को इन शब्दों की मदद से रिपोटर् तैयार करोμ बाढ़, नदी का पानी, घायल लोग, खाने के पैकेट, राहत कायर्, वैंफपों में रहना, लोगों के शव, जानवरों के बहते शरीर, डूबे घर, आकाश से निरीक्षण, दुःखी