
बताओ ऽ तुम्हारे परिवार के किसी सदस्य से तुम्हारा चेहरा या वुफछ और मिलता है? क्या - क्या? ऽ इसके बारे में तुम्हें किसी ने बताया या खुद ही पता चला? ऽ जब लोग तुम्हारी तुलना तुम्हारे परिवार के सदस्य से करते हैं, तो तुम्हें वैफसा लगता है? क्यों? ऽ तुम्हारे घर में सबसे उफँचा कौन हँसता है? उसकी हँसी की नकल करके दिखाओ। किसकी मौसी कौन? नीलिमा स्वूफल की छु‘ियों में अपनी नानी के घर गइर् थी। उसने किसी को आते देखा और अंदर जाकर माँ से कहा, फ्अम्मा, देखो तुमसे मिलने कोइर् मौसी आइर् हैं।य् माँ ने बाहर आकर देखा और कहा, फ्अरे पगली, ये तुम्हारी मौसी नहींμ तुम्हारी बहन है। यह तो तुम्हारी सबसे बड़ी नानी के बेटे जगदीश की बेटी किरन है। असल में तो तुम इनके प्यारे से छुटवूफ समीर की मौसी हो।य् ऽ नीलिमा की बड़ी नानी से लेकर छोटे समीर तक के नामों की सूची बनाओ। नीलिमा का किससे क्या रिश्ता है? लिखो। पता करो ऽ क्या तुम्हारे परिवार में भी अलग - अलग उम्र के भाइर् - बहन या मामा - भाँजे जैसे रिश्ते हैं? घर के बड़ों से पूछो। किसकी झलक? किसकी छाप? 193 वैफसे जुड़े हंै, हम सब! नीलिमा छोटे समीर से खेलने लगी। इतने में माँ ने कहा, फ्किरन देखो मेरी नीलिमा के बाल बिल्वुफल तुम्हारे बालों जैसे हैं। घने, काले और घुँघराले। शुव्रफ है, मेरे बालों की तरह सीध्े, भूरे और बेजान नहीं हैं।य् नीलिमा की नानी हँसकर बोलीं, फ्हाँ, हैरानी की बात है न? जैसे - हम बहनों के घने घुँघराले बाल थे अब वैसे ही हमारी दूसरी पीढ़ी के बच्चों के है। सब की बातें सुनकर नीलिमा ने सोचा, फ्कहने को तो हम दूर के रिश्तेदार हैं, मगर आपस में कितने जुड़े हैं, हम सब!य् पता करो और लिखो नीलिमा के बाल उसकी नानी की तरह घुँघराले हैं। तुम अपनी किसी बहन, भाइर्, ;चाहे ममेरा भाइर्, चचेरी बहनद्ध की कोइर् पहचान देखो। जैसे आँखों का रंग, गालों में गड्ढा ;डिम्पलद्ध, कद, पतली या मोटी नाक, आवाश। बताओ कि यह पहचान ;गुणद्ध उसकी माँ के परिवार से आइर् होगी या उसके पिता की तरप़्ाफ से। दी गइर् तालिका अपनी काॅपी में बनाओ और भरो। यहाँ नीलिमा का उदाहरण देकर समझाया गया है। नीलिमा - खास पहचान किससे मिलती - जुलती है माँ की तरप़्ाफ से पिता की तरप़्ाफ से घुँघराले बाल उसकी नानी से ✓ ऽ क्या तुमने अपने या किसी और के परिवार में बहुत छोटे बच्चे को देखा है? बच्चे की आँखें, नाक, रंग, बाल या उँगलियाँ परिवार वालों में से किससे मिलती - जुलती हैं? उनके नाम लिखो। 194 आस - पास ऽ नीलिमा के बाल अपनी नानी जैसे घने, काले और घुँघराले हैं। नीलिमा की माँ के बाल सीधे, भूरे और बेजान हैं। तुम्हारे बाल वैफसे हैं? मोटे या पतले, चिकने या रूखे? ऽ तुम्हारे बालों का रंग क्या है? अपने बालों का नाप लो और लिखो। ऽ क्या तुम्हारे बाल तुम्हारे परिवार में से किसी से मिलते - जुलते हैं? किससे? अपने परिवार के लोगों के बाल भी नापो। ऽ तुम्हारे परिवार में सबसे लंबे बाल किसके हैं? ऽ तुम ऐसे कितने लोगों को जानते हो, जिनके बाल एक मीटर से लंबे हैं? क्या लंबे बाल होना उनके परिवार की पहचान है? ऽ क्या तुम अपने कद का नाप लेना जानते हो? सिर से पाँव तक नाप लो और लिखो। ऽ सोचो, जब तुम बड़े होगे, तब तुम्हारी लंबाइर् कितनी होगी और किसके जैसी होगी? ऽ अपने घर के लोगों की लंबाइर् नापो और तालिका बनाओ। यह वैफसा आइर्ना क्या सरोजा आइर्ने के सामने खड़ी है? जी नहीं, उसके सामने आइर्ना नहीं, उसकी जुड़वाँ है। चकरा गए न! जब कभी वे दोनों मिलती तो उनके मामा भी गड़बड़ा जाते। कभी सरोजा को डाँट पड़ जाती, सुवासिनी की शैतानी की। कभी सुवासिनी खुद अपने मामा को कहती कि सुवासिनी बाहर गइर् है। आजकल उनके मामा समझ लेते हैं, कहते हैंμमराठी में गाकर दिखाओ। यह क्या तरीका हुआ? उनके बारे में पढ़ो, तो समझ जाओगे। दोनों बहनें दो हफ्ऱते की ही थीं जब सरोजा की चाची ने उसको गोद ले लिया और अपने साथ पुणे ले गईं। चाची के घर में सभी को संगीत का बेहद शौक है। सुबह की शुरुआत ही संगीत से होती है। सरोजा को बहुत से गीत और गाने आते हैं, दोनों भाषाओं मेंμमराठी और तमिल। उसके घर पर सब लोग तमिल बोलते हैं और स्वूफल में श्यादातर बच्चे मराठी। सुवासिनी चेन्नइर् में अपने पिता के साथ रहती है। उनके पिता कराटे के कोच हैं। तीन साल की उम्र से ही सुवासिनी बाकी बच्चों के साथ कराटे करने लगी। छुट्टी के दिन दोनों बाप - बेटी सुबह से ही अभ्यास करने लग जाते हैं। देखने में दोनों बहनें एक जैसी हैं पर उनकी पहचान पिफर भी काप़्ाफी अलग है। अब तुम समझे उनके मामा ने उनकी पहचान का तरीका वैफसे ढूँढ़ा? चचार् करो ऽ सरोजा और सुवासिनी में क्या गुण, क्या बातें, मिलती - जुलती हैं और क्या अलग हैं? ऽ क्या तुम किसी जुड़वाँ को जानते हो? उनमें क्या एक जैसा है और क्या अलग? ऽ क्या तुम ऐसे जुड़वाँ को जानते हो जो एक जैसे नहीं दिखते? सरोजा और सुवासिनी दिखते तो एक जैसे हैं पर इनमें कइर् बातें अलग - अलग हैं। जैसे सरोजा को दो भाषाएँ आती हैं। अगर सुवासिनी के घर पर दो भाषा बोलते तो वह भी दोनों भाषा बोलना सीख सकती थी। बहुत - सी चीशें जैसेμबुनाइर्, भाषा, संगीत या पढ़ने का शौक हम आसानी से पा लेते हैं जब हमें उसका माहौल मिलता है। परिवार से मिला अपनी क्लास में यह मशेदार सवेर् करो। कितने बच्चे यह कर पाते हैं, लिखो। 1.जीभ को पीछे तालु की तरप़्ाफ मोड़ो, बिना दाँतों से छुए। 2.जीभ को किनारों से उठाकर एक लंबे रोल की तरह बनाओ। 3.पैरों की सारी उँगलियों को खोलो। बाकी उँगलियों को हिलाए बिना छोटी उँगली हिलाओ। 4. हाथ के अँगूठे को अपनी कलाइर् से लगाओ। 5. हाथ के बीच वाली उँगलियों का ‘वी’ बनाओ। दो - दो उँगलियाँ इध्र - उध्र करके। 6. बिना छुए बाहरी कान हिलाओ। जो बच्चे ये कर पाएँ, वे अपने परिवार वालों से भी ऐसा ही करने को कहें। क्यों, कितने बच्चों को ये बातें उनके परिवार से मिली हैं? क्या माँ - बाप से नहीं मिला? सत्ती वुफछ ही महीने की थी, जब उसकी एक टाँग में पोलियो हो गया। इतने वषो± में उसने कभी भी अपनी इस दिक्कत को अपने काम के आड़े नहीं आने दिया है। दूर - दूर तक पैदल जाना और कइर् मंिाल सीढि़याँ चढ़ना, उसके काम का हिस्सा रहा है। अब, जब उसकी शादी हुइर् है तो लोग उसे बच्चा पैदा न करने की सलाह दे रहे हैं। उसे खुद भी डर है कि कहीं उसके बच्चे को भी पोलियो न हो जाए। पिफर उसने डाॅक्टर से सलाह ली। ऽ क्या तुमने कहीं पोलियो के बारे में पढ़ा या देखा है? किसकी झलक? किसकी छाप? 197 ऽ क्या तुमने पोलियो की दवाइर् पिलाने के बारे में कोइर् खबर पढ़ी है? ऽ क्या तुम किसी ऐसे व्यक्ित को जानते हो जिसे पोलियो है? 198 आस - पास वुफछ परिवार से, वुफछ हालात से विभा दूर से ही जान जाती है कि उसके नाना आ रहे हैंμउनके ठहाके की आवाश सुनकर। नाना शोर से बोलते हैं। उफँचा भी सुनने लगे हैं। ऽ तुम्हारे घर में कोइर् शोर - शोर से बात करने वाले हैं? क्या उनकी ऐसी आदत है या वे उँफचा सुनते भी है? ऽ क्या किसी समय या किसी के सामने तुम बिल्वुफल शोर से नहीं बोलते? कब? किसके सामने? क्यों? और कब शोर से बोलते हैं? ऽ वुफछ लोग सुनने के लिए कान पर मशीन लगाते हैं। वुफछ लोग छड़ी या चश्में की मदद लेते हैं। क्या तुम ऐसे किसी व्यक्ित को जानते हो? ऽ किसी ऐसे व्यक्ित से बात करो, जो उफँचा सुनता हो। पता करो, क्या वह बचपन से ही उफँचा सुनता है? कब से उफँचा सुनने लगा है? उन्हें क्या - क्या कठिनाइयाँ आती हैं? हमने देखा कि हमारी वुफछ ऐसी पहचान ;गुणद्ध होतीं है जो हमें परिवार से मिलतीं है। कइर् हुनर और कइर् बातें हम अपने माहौल से लेते हैं। पर कभी कोइर् बीमारी या श्यादा उम्र की वजह से भी हम मेें वुफछ बदलाव आते हैं। यह सब मिलकर ही हमारी पहचान बनती है।