जंतुओं और पादप में परिवहन आप जानते हैं कि सभी जीवों को जीवित रहने के लिए भोजन, जल और आॅक्सीजन की आवश्यकता होती है। उन्हें इन सभी पदाथो± को अपने शरीर के विभ्िान्न अंगों तक पहुँचाना होता है। साथ ही जंतुओं को उन अंगों में उत्पन्न अपश्िाष्ट पदाथो± का परिवहन उस स्थान तक करना होता है, जहाँ से उन्हें बाहर निकाला जा सके। क्या आप जानते हैं, यह सब वैफसे संभव होता है? चित्रा 11.1 को देख्िाए। क्या हृदय आपको हृदय और रक्त वाहिनियाँ दिखाइर् दे रही हैं? हृदय और रक्त वाहिनियाँ संयुक्त रूप से हमारे शरीर श्िारा का परिसंचरण तंत्रा बनाती हैं। इस अध्याय में हम पादप और जंतुओं में पदाथो± के परिवहन के बारे में ध्मनीअध्ययन करेंगे। 11.1 परिसंचरण तंत्रा रक्त जब आपके शरीर का कोइर् भाग कट जाता है, तो क्या होता है? रक्त या रुध्िर बाहर बहने लगता है, लेकिन रक्त है क्या? रक्त वह तरल पदाथर् या द्रव है, जो रक्त वाहिनियों में प्रवाहित होता है। यह पाचित भोजन को क्षुद्रांत ;छोटी आँतद्ध से शरीर के अन्य भागों तक ले जाता है। पेफपफड़ों से आॅक्सीजन को भी रक्त ही शरीर की कोश्िाकाओं तक ले जाता है। रक्त शरीर में से अपश्िाष्ट पदाथो± को बाहर निकालने के लिए उनका परिवहन भी करता है। रक्त विभ्िान्न पदाथो± को किस प्रकार ले जाता है? चित्रा 11.1 परिसंचरण तंत्रा रक्त एक द्रव है, जिसमें विभ्िान्न प्रकार की कोश्िाकाएँ ;चित्रा में धमनियाँ लाल रंगनिलंबित रहती हैं। रक्त का तरल भाग प्लैज़्मा में तथा श्िाराएँ नीले रंग में कहलाता है। दिखाइर् गइर् हैं।द्ध रक्त में एक प्रकार की कोश्िाकाएँ ॰ लाल रक्त कोश्िाकाएँ ;त्ठब्द्ध ॰ होती हैं, जिनमें एक लाल वणर्क होता है, जिसे हीमोग्लोबिन कहते हैं। हीमोग्लोबिन आॅक्सीजन को अपने साथ संयुक्त करके शरीर के सभी अंगों में और अंततः सभी कोश्िाकाओं तक परिवहन करता है। हीमोग्लोबिन की कमी होने पर शरीर की सभी कोश्िाकाओं को वुफशलतापूवर्क आॅक्सीजन प्रदान करना कठिन हो जाता है। हीमोग्लोबिन की उपस्िथति के कारण ही रक्त का रंग लाल होता है। रक्त में अन्य प्रकार की कोश्िाकाएँ भी होती हैं, जिन्हें श्वेत रक्त कोश्िाकाएँ ;ॅठब्द्ध कहते हैं। ये कोश्िाकाएँ उन रोगाणुओं को नष्ट करती हैं, जो हमारे शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। बूझो खेलते समय गिर गया और उसके घुटने में चोट लग गइर्। कटे हुए स्थान से रक्त बहने लगा। वुफछ समय बाद उसने देखा कि रक्त का बहना अपने आप रुक गया और कटने के स्थान पर गहरे लाल रंग का एक थक्का जम गया है। यह देखकर बूझो वुफछ परेशान हो गया। रक्त का थक्का बन जाना उसमें एक अन्य प्रकार की कोश्िाकाओं की उपस्िथति के कारण होता है, जिन्हें प‘िकाणु ;प्लैटलेट्सद्ध कहते हैं। रक्त वाहिनियाँ शरीर में विभ्िान्न प्रकार की रक्त वाहिनियाँ होती हैं, जो रक्त को शरीर में एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाती हैं। आप जानते हैं कि अंतःश्वसन के समयआॅक्सीजन की ताजा आपूतिर् पेफपफड़ों ;पुफफ्रपुफसोंद्ध को भर देती है। रक्त इस आॅक्सीजन का परिवहन शरीर के अन्य भागों में करता है। जंतुओं और पादप में परिवहन साथ ही रक्त, कोश्िाकाओं से काबर्न डाइआॅक्साइड सहित अन्य अपश्िाष्ट पदाथो± को ले लेता है। इस रक्त को वापस हृदय में लाया जाता है, जहाँ से यह पेफपफड़ों में जाता है। पेफपफड़ों से काबर्न डाइआॅक्साइड बाहर निकाल दी जाती है, जैसा कि आपने अध्याय 10 में पढ़ा है। इस प्रकार शरीर में दो प्रकार की रक्त वाहिनियाँ पाइर् जाती हैं॰ धमनी और श्िारा ;चित्रा 11.1द्ध। ध्मनियाँ हृदय से आॅक्सीजन समृ( रक्त को शरीर के सभी भागों में ले जाती हैं। चूँकि रक्त प्रवाह तेज़्ाी से और अध्िक दाब पर होता है, अतः ध्मनियोंकी भ्िािायाँ ;दीवारद्ध मोटी और प्रत्यास्थ होती हैं। आइए, हम ध्मनियों से रक्त के प्रवाह का अनुभव करने के लिए एक ियाकलाप करते हैं। ियाकलाप 11.1 अपने दाहिने ;दक्ष्िाणद्ध हाथ की मध्य और तजर्नी अँगुली को अपनी बाईं ;वामद्ध कलाइर् के भीतरी भाग पर रख्िाए ;चित्रा 11.2द्ध। क्या आपको कोइर् स्पंदन गति ;ध्क - ध्कद्ध महसूस होती है? यहाँ स्पंदन क्यों होता है? यह स्पंदन नाड़ी स्पंद ;नब्शद्ध कहलाता है और यह ध्मनियों में प्रवाहित हो रहे रक्त के कारण होता है। देख्िाए कि एक मिनट में कितनी बार स्पंदन होता है। चित्रा 11.2 कलाइर् में नाड़ी स्पंद को अनुभव करना हैं, जो रक्त को केवल हृदय की ओर ही प्रवाहित होने देते हैं। चित्रा 11.3 देख्िाए। क्या आपको ध्मनियाँ अन्य छोटी - छोटी वाहिनियों में विभाजित होती दिखाइर् देतीहैं। ऊतकों में पहुँचकर वे पुनः अत्यध्िक पतली नलिकाओं में विभाजित हो जाती है, जिन्हें केश्िाकाएँ कहते हैं। केश्िाकाएँ पुनः मिलकर श्िाराओं को बनाती हैं, जो रक्त को हृदय में ले जाती हैं। हृदय हृदय वह अंग है, जो रक्त द्वारा पदाथो± के परिवहन के लिए पंप के रूप में कायर् करता है। यह निरंतर धड़कता रहता है। एक ऐसे पंप की कल्पना कीजिए, जो वषो± तक बिना रुके कायर् करता रहता है। यह बिल्वुफल असंभव प्रतीत होता है। पिफर भी हमारा हृदय जीवनपय±त बिना रुके रक्त को पंप करने का कायर् करता रहता है। आइए, हम हृदय के बारे में वुफछ और जानकारी प्राप्त करें। विज्ञान हृदय स्पंद हृदय के कक्ष की भ्िािायाँ पेश्िायों की बनी होती हैं। ये पेश्िायाँ लयब( रूप से संवुफचन और विश्रांति करती हैं। यह लयब( संवुफचन और उसके बाद होने वाली लयब( विश्रांति दोनों मिलकर हृदय स्पंद ;हाटर् बीटद्ध कहलाता है। याद रख्िाए, हृदय का स्पंदन जीवन के हर क्षण होता रहता है। यदि आप अपने वक्ष की बाईं तरपफ हाथ रखें, तो अपने हृदय स्पंदों ;ध्ड़कनद्ध को महसूस कर सकते हैं। चिकित्सक आपके हृदय स्पंद को मापने के लिए स्टेथाॅस्कोप नामक यंत्रा का उपयोग करते हैं ¹चित्रा 11.5 ;ंद्धह्। चिकित्सक स्टेथाॅस्कोप का उपयोग हृदय स्पंद की ध्वनि को आवध्िर्त करने की युक्ित के रूप में करते हैं। स्टेथाॅस्कोप के एक सिरे पर एक चेस्ट पीस लगा होता है, जिसमें एक संवेदनशील डायाप्रफाम होता है। दूसरे सिरे पर दो इयर पीस ;श्रोतिकाद्ध लगे होते हैं, जो एक नली द्वारा चेस्ट पीस से जुड़े रहते हैं। चिकित्सक स्टेथाॅस्कोप का चेस्ट पीस आपके हृदय के स्थान पर रखकर श्रोतिकाओं से स्पंदनों की ध्वनि का अध्ययन करते हैं, जिससे उन्हें आपके हृदय की स्िथति का आकलन करने में सहायता मिलती है। आइए, हम अपने आस - पास उपलब्ध् सामग्री से स्टेथाॅस्कोप का एक माॅडल बनाना सीखें। ियाकलाप 11.2 6 से 7 बउ व्यास की कोइर् कीप लीजिए। कीप के स्तंभ पर रबड़ की एक नली ;लगभग 50 बउ से लंबीद्ध को कसकर लगाइए। कीप के मुख पर रबड़ की एक झिल्ली ;अथवा गुब्बारेद्ध को तानकर लगाइए और रबड़ बैंड की सहायता से कस दीजिए ¹चित्रा 11.5 ;इद्धह्। अब रबड़ की नली के मुक्त सिरे को अपने एक कान के पास रख्िाए। कीप के मुख को अपने वक्ष पर हृदय के निकट रख्िाए। अब सावधनी से ध्वनि सुनने का प्रयास कीजिए। क्या आपको नियमित चेस्ट पीस ;ंद्ध स्टेथाॅस्कोप चित्रा 11.5 हृदय स्पंद को सुनने का यंत्रा स्पंदन ध्वनि सुनाइर् दे रही है? यह ध्वनि हृदय स्पंदनों की है। आपका हृदय एक मिनट में कितनी बार ध्ड़क रहा था? 4 - 5 मिनट तक दौड़ने के बाद पुनः हृदय स्पंदन की दर ज्ञात कीजिए। अपने प्रेक्षणों की तुलना कीजिए। अपनी तथा अपने मित्रों की विश्राम अवस्था में तथा 4 - 5 मिनट दौड़ने के बाद हृदय स्पंदन तथा नाड़ी स्पंद ;पल्सद्ध दर सारणी 11.2 में रिकाॅडर् कीजिए। क्या आपको अपने हृदय स्पंदन और नाड़ी स्पंद दर के बीच कोइर् संबंध् दिखाइर् देता है? प्रत्येक हृदय स्पंदन ध्मनियों में एक स्पंद उत्पन्न करता है। प्रति मिनट धमनी में उत्पन्न स्पंद, हृदय स्पंदन दर को बताती है। विज्ञान सारणी 11.2 हृदय स्पंदन और स्पंद दर छात्रा का नाम विश्राम के समय दौड़ने के बाद ;4 - 5 मिनटद्ध हृदय स्पंदन स्पंद दर हृदय स्पंदन स्पंद दर हृदय के विभ्िान्न कक्षों की लयब( गति रक्त 11.2 जंतुओं में उत्सजर्नके परिसंचरण और पदाथो± के परिवहन को बनाए आपको याद होगा कि शरीर में अपश्िाष्ट पदाथर् के रूपरखती है। में उत्पन्न काबर्न डाइआॅक्साइड पेफपफड़ों द्वारा किस प्रकार रक्त परिसंचरण की खोज विलियम हावेर् ;1578 - 1657द्ध उच्छ्वसन के प्रक्रम के दौरान शरीर से बाहर निकलनामक एक चिकित्सक ने की थी, जो अँग्रेज थे। उन जाती है। यह भी ध्यान में रख्िाए कि अपाचित भोजनदिनों यह मान्यता थी कि रक्त शरीर की वाहिनियों में बहिक्षेपण प्रक्रम द्वारा मल के रूप में शरीर से बाहरदोलन करता रहता है। इस मत के लिए हावेर् का निकाल दिया जाता है। आइए, अब हम यह मालूम करें उपहास किया गया और उन्हें ‘परिसंचारी’ ;सवर्ुफलेटरद्ध कि अन्य अपश्िाष्ट पदाथर् शरीर द्वारा वैफसे बाहर निकालेकहा जाता था। उनके अध्िकांश रोगियों ने उनसे जाते हैं? आपके मन में यह प्रश्न उठ सकता है किउपचार कराना बंद कर दिया। तथापि, हावेर् की मृत्यु से पहले परिसंचरण के बारे में उनके विचार को आख्िार ये अपश्िाष्ट पदाथर् आते कहाँ से हैं? जीवविज्ञानी तथ्य के रूप में मान्यता मिल गइर् थी। जब हमारी कोश्िाकाएँ अपना कायर् करती हैं, तो बूझो जानना चाहता है कि क्या स्पंज और हाइड्रा में भी रक्त होता है? स्पंजों और हाइड्रा जैसे जंतुओं में कोइर् परिसंचरण तंत्रा नहीं पाया जाता है। जिस जल में वे रहते हैं, वही उनके शरीर में प्रवेश करके उनके भोजन और आॅक्सीजन की आपूतिर् कर देता है। जब जल बाहर निकलता है, तो वह अपने साथ काबर्न डाइआॅक्साइड और अपश्िाष्ट पदाथो± को ले जाता है। अतः उन्हें परिसंचरण हेतु रक्त के समान तरल की आवश्यकता नहीं होती है। आइए, अब हम शरीर द्वारा काबर्न डाइआॅक्साइड के अतिरिक्त अन्य अपश्िाष्ट पदाथो± की निकासी के विषय में अध्ययन करें। वुफछ पदाथर् अपश्िाष्ट के रूप में निमुर्क्त होते हैं। अिाकांशतः ये पदाथर् विषाक्त होते हैं, इसलिए इन्हें शरीर से बाहर निकालने की आवश्यकता होती है। सजीवों द्वारा कोश्िाकाओं में निमिर्त होने वाले अपश्िाष्ट पदाथो± को बाहर निकालने के प्रक्रम को उत्सजर्न कहते हैं और उत्सजर्न में भाग लेने वाले सभी अंग मिलकर उत्सजर्न तंत्रा बनाते हैं। मानव उत्सजर्न तंत्रा रक्त में उपस्िथत अपश्िाष्ट पदाथो± को शरीर से बाहर निकाला जाना चाहिए। यह किस प्रकार होता है? इसके लिए रक्त को छानने की व्यवस्था की आवश्यकता जंतुओं और पादप में परिवहन दूसरा सिरा खुला होता है, जिसे मूत्रारंध्र कहते हैं और जिससे मूत्रा शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है। वृक्क, मूत्रा वाहिनियाँ, मूत्राशय और मूत्रामागर् सम्िमलित रूप से उत्सजर्न तंत्रा बनाते हैं। कोइर् वयस्क व्यक्ित सामान्यतः 24 घंटे में 1 से 1.8 लीटर मूत्रा करता है। मूत्रा में 95» जल, 2.5» यूरिया और 2.5» अन्य अपश्िाष्ट उत्पाद होते हैं। यह हम सभी का अनुभव है कि गमिर्यों में हमें पसीना ;स्वेदद्ध आता है। स्वेद में जल और लवण होते हैं। बूझो ने देखा है कि गमिर्यों के दिनों में प्रायः पसीने के कारण कपड़ों में सपेफद ध्ब्बे दिखाइर् देते हैं, विशेषकर उन स्थानों में जहाँ अध्िक पसीना आता है। ये ध्ब्बे पसीने में उपस्िथत लवणों के कारण बनते हैं। क्या स्वेदन या पसीना आने का कोइर् विशेष प्रयोजन होता है? हम जानते हैं कि मि‘ी से बने घड़ों में रखा पानी ठंडा हो जाता है। इसका कारण यह है कि घड़ों के छिद्रों से रिसकर पानी उनकी बाहरी सतह पर आ जाता है। जब यह पानी वाष्िपत होता है, तो घड़े में बचा शेष पानी ठंडा हो जाता है। ठीक इसी प्रकार पसीना भी हमें अपने शरीर को ठंडा बनाए रखने में सहायता करता है। कभी - कभी किसी व्यक्ित के वृक्क काम करना बंद कर देते हैं। ऐसा किसी संक्रमण अथवा चोट के कारण हो सकता है। वृक्क के अिय हो जाने की स्िथति में रक्त में अपश्िाष्ट पदाथो± की मात्रा बढ़ जाती है। ऐसे व्यक्ित की अिाक दिनों तक जीवित रहने की संभावना कम हो जाती है। तथापि, यदि कृत्रिाम वृक्क द्वारा रक्त को नियमित रूप से छानकर उसमें से अपश्िाष्ट पदाथो± को हटा दिया जाए, तो उसके जीवन काल में वृि संभव है। इस प्रकार रक्त के छनन की वििा को अपोह्न ;डायलाइसिसद्ध कहते हैं। जंतुओं के शरीर से अपश्िाष्ट रसायनों के निष्कासन की विध्ि जल की उपलब्ध्ता पर निभर्र करती है। मछली जैसे जलीय जंतु कोश्िाका के अपश्िाष्ट उत्पादों को अमोनिया के रूप में उत्सजिर्त करते हैं, जो सीध्े जल में घुल जाती है। पक्षी, छिपकली, सपर् जैसे वुफछ जंतु अपने शरीर से अपश्िाष्ट पदाथो± का उत्सजर्न अध्र् घन ;सेमी साॅलिडद्ध पदाथर् के रूप में करते हैं, जो मुख्यतः श्वेत ;सपेफदद्ध रंग का यौगिक ;यूरिक अम्लद्ध होता है। मानव द्वारा उत्सजिर्त अपश्िाष्ट पदाथो± में यूरिया प्रमुख है। 11.3 पादपों में पदाथो± का परिवहन अध्याय 1 में आपने पढ़ा कि पौध्े ;पादपद्ध अपनी जड़ों ;मूलोंद्ध द्वारा मृदा से जल और खनिज पोषकोंका अवशोषण करके उन्हें पिायों को उपलब्ध् करातेहैं। पिायाँ जल तथा काबर्न डाइआॅक्साइड का उपयोग कर प्रकाश संश्लेषण के प्रक्रम द्वारा पौधें के लिए भोजन बनाती हैं। अध्याय 10 में आपने यह भी पढ़ाकि सभी जीवों का भोजन उनके लिए ऊजार् का ड्डोत होता है तथा जीव की प्रत्येक कोश्िाका में ग्लूकोसका विखंडन होने से ऊजार् निमुर्क्त होती है। कोश्िाकाएँइस ऊजार् का उपयोग जीवन की मूल ियाविध्ियों को संपादित करने में करती हैं। अतः यह आवश्यक है कि जीव की प्रत्येक कोश्िाका को भोजन उपलब्ध् कराया जाए। क्या आपने कभी इस प्रश्न पर विचार किया है कि पौधें की जड़ों द्वारा अवशोष्िात जल तथा पोषकतत्त्व पिायों तक किस प्रकार पहुँचाए जाते हैं। पौधोंके वे भाग, जो भोजन नहीं बना सकते, पिायों द्वारा निमिर्त भोजन किस प्रकार प्राप्त करते हैं। जंतुओं और पादप में परिवहन जल और खनिजों का परिवहन पादप मूलों ;जड़ोंद्ध द्वारा जल और खनिजों को अवशोष्िात करते हैं। मूलों में मूलरोम होते हैं। वास्तव में, मूलरोम जल में घुले हुए खनिज पोषक पदाथो± और जल के अंतग्रर्हण के लिए मूल के सतह क्षेत्रापफल को बढ़ा देते हैं। मूलरोम मृदा कणों के बीच उपस्िथत जल के संपवर्फ में रहते हैं ¹चित्रा 11.7 ;ंद्धह् क्या आप अनुमान लगा सकते हैं कि जल किसप्रकार मूलों से पिायों तक पहुँचता है? पादपों में किस प्रकार का परिवहन तंत्रा पाया जाता है? जी हाँ, बूझो सही है। पादपों में मृदा से जलऔर पोषक तत्त्वों के परिवहन के लिए पाइप जैसी वाहिकाएँ होती हैं। वाहिकाएँ विशेष कोश्िाकाओं की बनी होती हैं, जो संवहन ऊतक बनाती हैं।ऊतक कोश्िाकाओं का वह समूह होता है, जो किसी जीव में किसी कायर् विशेष को संपादित करता है। जल और पोषक तत्त्वों के परिवहन केलिए पादपों में जो संवहन ऊतक होता है, उसे जाइलम ;दारूद्ध कहते हैं ¹चित्रा 11.7 ;ंद्धह्। जाइलम चैनलों ;नलियोंद्ध का सतत् जाल बनाता है, जो मूलों को तने और शाखाओं के माध्यम सेपिायों से जोड़ता है और इस प्रकार बना तंत्रा पूरे पादप में जल का परिवहन करता है ¹चित्रा 11.7 ;इद्धह्। आप जानते हैं कि पिायाँ भोजन का संश्लेषण करती हैं। भोजन को पादप के सभी भागों में ले जायाजाता है। यह कायर् एक संवहन ऊतक द्वारा किया जाता है, जिसे फ्रलोएम ;पोषवाहद्ध कहते हैं। इस 135 प्रकार, जाइलम और फ्रलोएम पादपों में पदाथो± का परिवहन करते हैं। ियाकलाप 11.3 बड़ी साइज़्ा का एक आलू लीजिए और उसकेऊपरी छिलके को उतार लीजिए। उसके एक सिरे को काटकर चपटा आधार बना लीजिए। अब दूसरे सिरे पर एक गहरी खोखली गुहा बनाइए। गुहा को शक्कर के घोल से आध्े तक भर लीजिए। अब आलू में एक पिन घुसाकर घोल केस्तर को चिित कर लीजिए ;चित्रा 11.8द्ध। आलू को जलयुक्त किसी बीकर में रख दीजिए। यह सुनिश्िचत कर लें कि बीकर में जल का स्तर पिन के स्तर से नीचे रहे। इस व्यवस्था को वुफछ घंटों तक ऐसे ही रखा रहने दें। आप पाएँगे कि आलू की गुहा में शक्कर के घोल का स्तर बढ़ गया। आलू के भीतर जल वैफसे चला गया? अल्प दूरी तक जल एक कोश्िाका से दूसरी में जा सकता है। इसी प्रकार मृदा से जल मूल की जाइलम वाहिकाओं में जाता है ¹चित्रा 11.7 ;ंद्धह्। आपने क्या सीखा ऽ अध्िकांश जंतुओं में शरीर में प्रवाहित होने वाला रक्त शरीर की विभ्िान्न कोश्िाकाओं को भोजन और आॅक्सीजन का वितरण करता है। यह शरीर के विभ्िान्न भागों से उत्सजर्न के लिए अपश्िाष्ट पदाथो± को भी लाता है। ऽ परिसंचरण तंत्रा में हृदय और रक्त वाहिनियाँ होती हैं। ऽ मानव शरीर में रक्त, ध्मनियों और श्िाराओं में प्रवाहित होता है तथा हृदय पंप की तरह कायर् करता है। ऽ रक्त में प्लैज़्मा, लाल रक्त कोश्िाकाएँ ;त्ठब्द्ध, श्वेत रक्त कोश्िाकाएँ ;ॅठब्द्ध और प‘िकाणु होते हैं। रक्त का लाल रंग, लाल वणर्कयुक्त हीमोग्लोबिन की उपस्िथति के कारण होता है। ऽ किसी वयस्क व्यक्ित का हृदय एक मिनट में लगभग 70 - 80 बार ध्ड़कता है। इसे हृदय स्पंदन दर कहते हैं। ऽ ध्मनियाँ हृदय से शरीर के सभी अन्य भागों में रक्त को ले जाती है। ऽ श्िाराएँ शरीर के सभी भागों से रक्त को वापस हृदय में लाती हैं। ऽ शरीर में से अपश्िाष्ट उत्पादों को बाहर निकालने का प्रक्रम उत्सजर्न कहलाता है। ऽ मानव उत्सजर्न तंत्रा में दो वृक्क ;गुदेर्द्ध, दो मूत्रा वाहिनियाँ, एक मूत्राशय और एक मूत्रामागर् होता है। ऽ लवण और यूरिया जल के साथ स्वेद ;पसीनेद्ध के रूप में शरीर से बाहर निकाल दिए जाते हैं। ऽ मछली अपश्िाष्ट पदाथर् के रूप में अमोनिया उत्सजिर्त करती हैं, जो सीध्े जल में घुल जाती है। ऽ पक्षी, कीट और छिपकली अध्र् घन ;सेमी साॅलिडद्ध रूप में यूरिक अम्ल का उत्सजर्न करते हैं। ऽ पादप मूलों द्वारा जल और पोषक तत्त्व मृदा से अवशोष्िात होते हैं। ऽ पूरे पादप में जल के साथ पोषक तत्त्व जाइलम नामक संवहन ऊतक द्वारा ले जाए जाते हैं। ऽ पादप के विभ्िान्न भागों में भोजन का परिवहन फ्रलोएम नामक संवहन ऊतक के द्वारा होता है। ऽ वाष्पोत्सजर्न के दौरान रंध््रों से वाष्प के रूप में बड़ी मात्रा में जल का ”ास होता है। ऽ वाष्पोत्सजर्न के कारण एक चूषण बल निमिर्त होता है, जिसके कारण मूलों द्वारा मृदामें से अवशोष्िात जल अभ्िाकष्िार्त ;ख्िांचकरद्ध होकर तने और पिायों तक पहुँचता है। ;पपपद्ध पंखे के नीचे रखकर। ;पअद्ध पाॅलीथीन की थैली से ढककर। 4 पादपों अथवा जंतुओं में पदाथो± का परिवहन क्यों आवश्यक है? समझाइए। 5 क्या होगा यदि रक्त में प‘िकाणु नहीं होंगे? 6 रंध््र क्या है? रंध््रों के दो कायर् बताइए। 7 क्या वाष्पोत्सजर्न पादपों में कोइर् उपयोगी कायर् करता है? 8 रक्त के घटकों के नाम बताइए। 9 शरीर के सभी अंगों को रक्त की आवश्यकता क्यों होती है? 10.रक्त लाल रंग का क्यों दिखाइर् देता है? 11.हृदय के कायर् बताइए। 12.शरीर द्वारा अपश्िाष्ट पदाथो± को उत्सजिर्त करना क्यों आवश्यक है? 13.मानव उत्सजर्न तंत्रा का चित्रा बनाइए और उसके विभ्िान्न भागों को नामांकित कीजिए। विस्तारित अध्िगम - ियाकलाप और परियोजना कायर् 1 रक्त समूहों ;ब्लड ग्रुपद्ध और उनके महत्त्व के बारे में जानकारी एकत्रा कीजिए। 2 जब कोइर् व्यक्ित सीने ;छातीद्ध में ददर् की श्िाकायत करता है, तो चिकित्सक तत्काल उसका म्ब्ळ करते हैं। किसी चिकित्सक के पास जाइए और उनसे म्ब्ळ के बारे में जानकारी लीजिए। आप किसी ज्ञानकोष, एन्साइक्लोपीडिया अथवा इंटरनेट से भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। क्या आप जानते हैं? रक्त का कोइर् विकल्प नहीं है। यदि किसी व्यक्ित को शल्यिया अथवा चोट लगने से रक्त की हानि होती है अथवा यदि उनके शरीर में पयार्प्त रक्त नहीं बनता है, तो इसकी परिपूतिर् करने का मात्रा एक ही तरीका है - रक्तदान करने वाले व्यक्ितयों द्वारा दिए गए रक्त का दान। रक्त की सामान्यतः आपूतिर् कम होती है, क्योंकि बहुत कम व्यक्ित स्वेच्छा से रक्तदान करते हैं। यद्यपि, रक्तदान करने से दाता की काम करने की शक्ित कम नहीं होती और न ही इससे उसके स्वास्थ्य पर कोइर् दुष्प्रभाव पड़ता है।