Samajik aur rajnetik Jeevan

इकाइर् चार संचार माध्यम और विज्ञापन श्िाक्षकों के लिए आज संचार माध्यमों और विज्ञापनों की छाप युवाओं के जीवन पर पूरी तरह व्याप्त है चाहे उन्होंने इस सच्चाइर् पर गंभीरता से गौर करने का प्रयास किया हो या न किया हो। यह इकाइर् इस सच्चाइर् पर गौर करने के वुफछ रास्ते दिखाएगी। ‘संचार माध्यमों को समझना’ नामक अध्याय में मुख्य रूप से संचार माध्यमों का प्रौद्योगिकी के साथ और बड़े व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के साथ संबंध समझाने पर शोरहै। यह अध्याय दिखाता है कि वैफसे किसी मुद्दे के महत्त्वया उसकी महत्त्वहीनता को लेकर हम जो धरणाएँ बनाते हैं, वे संचार माध्यमों से प्रभावित होती हैं, जो वास्तव में उनका ‘एजडा’ हांेेता है। ‘विज्ञापनों को समझना’ नामक अध्याय में हम इस बात का विश्लेषण करते हैं कि विज्ञापन की रणनीतियाँ ग्राहकों पर क्या असर डालती हैं और साथ में यह भी दिखाते हैं कि विज्ञापन किस तरह बनाए जाते हैं। किसी विज्ञापन की धुरी होती हैμएक उत्पाद की विश्िाष्टता का उभारा जाना और उसके ब्रांडका महत्त्व स्थापित करना। यह अध्याय उन तरीकों को पहचानने में मदद करता है जो ग्राहकों को लुभाने में सपफल होते हैं और समझाता है कि ये तरीके किस तरह ग्राहकों की आत्म - छवि से जोड़े जाते हैं। अध्याय 6 और 7, संचार माध्यमों व विज्ञापनों के व्यापक प्रभावों से हमें परिचित कराते हैं और हमारे जीवन से इन मुद्दों को जोड़ने का प्रयास करते हैं। संचार माध्यम वाले अध्याय के अंत में हमारी यह अपेक्षा होगी कि विद्याथीर् यह पहचानने लगें कि बड़े व्यावसायिक प्रतिष्ठानों की संचार माध्यमों में छा रही खबरों को तय करने में क्या भूमिका होती है - कौन - सी खबरें चुनी जा रही हैं और प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर उनके शरिए क्या संदेश दिए जा रहे हैं। हम दो काल्पनिक खबरों के शरिए दिखाएँगे कि किसी भी घटना या मामले की खबर का बहुधा सिप़् ार्फ एक स्वरूप नहीं होता है। हम अपेक्षा रखते हैं कि विद्याथीर् इस बात को समझते हुए वे क्षमताएँ विकसित करेंगे, जो उन्हें अखबार या टेलीविजन की किसी भी रिपोटर् का विश्लेषण करने के योग्य बनाएगी और वे यह समझ सवेंफगे कि खबर में दी जा रही और नहीं दी जा रही जानकारी व दृष्िटकोण के पीछे क्या तकर् हो सकता है। विज्ञापन वाले अध्याय में दो काल्पनिक विज्ञापन बनाकर प्रस्तुत किए गए हैं, जो क्रम से उन तकनीकों का परिचय करवाते हैं, जिनसे ग्राहकों को लुभाने वाले विज्ञापन तैयार किए जाते हैं। इन उदाहरणों में ‘ब्रांड’ और ‘ब्रांड मूल्य’ - इन दो वेंफद्रीय शब्दावलियों को समझने पर शोर दिया गया है जो विज्ञापनों का मुख्य आधार होती हैं। इन मुद्दों की समझ मशबूत बनाने के लिए वास्तविक विज्ञापनों के उदाहरण लिए जाने चाहिए और उनसे वैसे ही प्रश्नों की मदद लेकर जाँच की जानी चाहिए, जैसे अध्याय में दिए गए हैं। अंत में दोनों ही अध्याय अपनी विषयवस्तु का लोकतंत्रा के विचार के साथ संबंध स्थापित करते हैं। स्थानीय संचार माध्यमों व सामाजिक विज्ञापनों के विकल्प रखते हुए ये अध्याय इस बात पर शोर देते हैंकि मुख्यधारा में उन्हीं लोगों की बातों को श्यादा महत्त्व व स्थान मिलता है जो सामाजिक व वित्तीय संसाधनों के धनी हैं। इस पहलू पर बल देने के लिए कक्षा में स्थानीय संचार माध्यमों की खबरों के उदाहरणों पर चचार् की जा सकती है और बच्चों के साथ यह प्रश्न भी उठाया जा सकता है कि विज्ञापनों के प्रभाव से स्थानीय स्तर पर बनने वाली, बिकने वाली व पसंद की जाने वाली चीशों को लेकर क्या परिवतर्न आने लगे हैं। टेलीविजन पर आपका पसंदीदा प्रोग्राम कौन - सा है? रेडियो पर आपको क्या सुनना अच्छा लगता है? प्रायः आप कौन - से अखबार या पत्रिाकाएँ पढ़ते हैं? क्या आप इंटरनेट पर सपि±फग करते हैं? आपको उसमें सबसे उपयोगी क्या लगता है? क्या आप उस एक शब्द को जानते हैं, जो प्रायः सामूहिक रूप से रेडियो, टी.वी., अखबार, इंटरनेट और संचार के अन्य साधनों के लिए प्रयोग में लाया जाता है? यह शब्द है ‘मीडिया’। इस पाठ में आप मीडिया, यानी संचार माध्यमों के बारे में विस्तार से पढ़ेंगे। आप जानेंगे कि यह वैफसे काम करता है और वैफसे हमारे प्रतिदिन के जीवन को प्रभावित करता है। क्या आप किसी एक ऐसी चीश को याद कर सकते हैं, जो आपने इस सप्ताह, संचार माध्यमों से सीखी हो? स्थानीय मेले की दुकान से लेकर टी.वी. के कायर्क्रम तक, जो आप देखते हैंऋ इन सबको संचार माध्यम यानी मीडिया कहा जा सकता है। मीडिया अंग्रेजी के ‘मीडियम’ शब्द का बहुवचन है और इसका तात्पयर् उन विभ्िान्न तरीकों से है, जिनके द्वारा हम समाज में विचारों का आदान - प्रदान करते हैं। मीडियम का अथर् है, माध्यम। क्योंकि मीडिया का संदभर् संचार माध्यमों से है, इसीलिए हर चीश, जैसे - पफोन पर बात करने से लेकर टी.वी. पर शाम के समाचाऱसुनने तक को मीडिया कहा जा सकता है। टी.वी., रेडियो और अखबार - संचार माध्यमों के ऐसे रूप हैं, जिनकी पहुँच लाखों लोगों तक है, देश और विदेश के जनसमूह तक है, इसीलिए इन्हें जनसंचार माध्यम या ‘मास - मीडिया’ कहते हैं। संचार माध्यम और तकनीक आपके लिए संभवतः संचार माध्यमों के बिना अपने जीवन की कल्पना करना भी कठिन होगा। लेकिन केबल टी.वी. और इंटरनेटके विस्तृत उपयोग हाल ही में }ाुरू हुए हैं। इन्हें प्रचलन में आए अभी बीस वषर् भी नहीं हुए हैं। जनसंचार माध्यमों के लिए प्रयोग में आने वाली प्रौद्योगिकी निरंतर बदलती रहती है। अखबार, टेलीविजन और रेडियो लाखों लोगों तक पहुँच सकते हैं, क्योंकि इनमें एक विश्िाष्ट प्रकार की तकनीक का उपयोग किया जाता है। हम अखबारों और पत्रिाकाओं की छपे हुए माध्यम के रूप में और टी.वी. तथा रेडियो की इलेक्ट्राॅनिक माध्यम के रूप में भी चचार् करते हैं। आपके विचार में समाचारपत्रों को छपे हुए माध्यम क्यों कहा जाता है? आगे पढ़ने पर आपको पता चलेगा कि ये नाम संचार माध्यमों द्वारा प्रयोग में लाइर् जा रही तकनीक से संबंिात हैं। नीचे दिए गए चित्रों से आपको पता चलेगा कि पिछले सालों में जनसंचार माध्यम के इस्तेमाल में लाइर् जा रही तकनीवफ किस प्रकार बदली है और आज भी बदलती जा रही है। तकनीक तथा मशीनों को बदल कर अत्याधुनिक बनाने से संचार माध्यमों को अिाक लोगों तक पहुँचने में मदद मिलती है। इससे ध्वनिऔर चित्रों की गुणवत्ता में सुधार आता है, लेकिन तकनीक इससे भी अिाक वुफछ करती है। यह हमारे जीवन के बारे में सोचने के ढंग में परिवतर्न लाती है। उदाहरण के लिए - आज हमारे लिए टेलीविजन के पृष्ठ 70 पर दिए गए कोलाज में से संचार माध्यमों के छह अलग - अलग प्रकारों को छाँटिए। एक चित्राकार की नशर में बाइबल के पहले पन्ने की छपाइर् करते हुए गुटेनबगर् अपने परिवार के बड़े लोगों से पूछिए कि जब टी.वी. नहीं था, तब वे रेडियो पर क्या सुनते थे? उनसे पूछिए कि आपके क्षेत्रा में पहले - पहल टी.वी. कब आया था? केबल टी.वी. कब शुरू हुआ? आपके पड़ोस में कितने लोग इंटरनेट का प्रयोग करते हैं? ऐसी तीन चीशों की सूची बनाइए, जो संसार के किन्हीं अन्य भागों से संबंिात हैं और जिनके बारे में आपने टेलीविजन देखकर जाना है। अपने िय टी.वी. कायर्क्रम के दौरान विज्ञापित होने वाली तीन चीशों की सूची बनाइए। एक समाचारपत्रा लीजिए और उसमें दिए गए विज्ञापनों की संख्या गिनिए। वुफछ लोग कहते हैं कि समाचारपत्रों में बहुत अिाक विज्ञापन होते हैं। क्या आप सोचते हैं कि यह बात सही है? यदि हाँ, तो क्यों? बिना जीवन की कल्पना करना कठिन है। टेलीविजन के कारण हम अपने - आपको विश्व - समाज का एक सदस्य समझने लगे हैं। टेलीविजन में प्रदश्िार्त चित्रा सेटेलाइट और केबल के विस्तृत जाल के माध्यम से अत्यंत सुदूर क्षेत्रों तक पहुँचाए जाते हैं। इसके कारण हम संसार के अन्य भागों के समाचार और मनोरंजक कायर्क्रम देख पाते हैं। आप टी.वी. पर जो काटर्ून देखते हैं वे अिाकांशतः जापान या संयुक्त राज्य अमेरिका के होते हैं। अब हम चेन्नइर् या जम्मू में बैठ कर अमेरिका में ़ फ्रलोरिडा के समुद्री तूपफान वफी छवियों को देख सकते हैं। टेलीविजन ने दुनिया को बहुत पास ला दिया है। संचार माध्यम और ध्न जनसंचार द्वारा उपयोग में लायी जाने वाली विभ्िान्न तकनीवेंफ अत्यंत खचीर्ली हैं। शरा टी.वी. स्टूडियो के बारे में सोचिए, जहाँ पर समाचारवाचक बैठता है। इसमें लाइटें, वैफमरे, ध्वनि रिकाॅडर् करने के यंत्रा, संप्रेषण के लिए सेटेलाइट आदि हैं। इन सभी का मूल्य बहुत अिाक है। समाचार के स्टूडियो में केवल समाचारवाचक को ही वेतन नहीं दिया जाता, बल्िक और बहुत सारे लोग हैं जो प्रसारण में सहायक होते हैं। इसमें वे लोग सम्िमलित हैं, जो वैफमरे व प्रकाश की व्यवस्था करते हैं। जैसाकि आपने अभी पढ़ा, जनसंचार माध्यम निरंतर बदलते रहते हैं। इसीलिए नवीनतम तकनीवफ जुटाने पर भी बहुत धन व्यय होता है। इन खचो± के कारण जनसंचार माध्यमों को अपना काम करने के लिए बहुत अिाक धन की आवश्यकता होती है। परिणामतः अिाकांश टी.वी. चैनल और समाचारपत्रा किसी बड़े व्यापारिक प्रतिष्ठान का भाग होते हैं। जनसंचार माध्यम लगातार धन कमाने के विभ्िान्न तरीकों के बारे में सोचते रहते है। एक तरीका जिसके द्वारा जनसंचार माध्यम धन अजिर्त करते हैं, विभ्िान्न वस्तुओं के विज्ञापन का है, जैसे - कारें, चाॅकलेट, कपड़े, मोबाइलप़्ाफोन, आदि। आपने ध्यान दिया होगा कि अपने िय टेलीविजन कायर्क्रम को देखते हुए आपको ऐसे अनेक विज्ञापन देखने पड़ते हैं। टेलीविजन पर िकेट का मैच देखते हुए भी हर ओवर के बाद बार - बार वही विज्ञापन दिखाए जाते हैं। इस तरह प्रायः बार - बार आप उन्हीं छवियों को देखते हैं। जैसाकि आप आगे के अध्याय में पढ़ेंगे, विज्ञापनों की बार - बार आवृिा इस आशा से की जाती है कि आप बाहर जाकर विज्ञापित वस्तु खरीदेंगे। संचार माध्यम और लोकतंत्रा लोकतंत्रा में देश और संसार के बारे में समाचार देने और उनमें होने वाली घटनाओं पर चचार् करने में संचार माध्यमों की भूमिका अत्यंतमहत्त्वपूणर् है। उदाहरण के लिए, संचार माध्यमों से नागरिक जान सकते हैं कि सरकार किस प्रकार काम कर रही है। यदि लोग चाहें, तो इन समाचारों के आधार पर कारर्वाइर् भी कर सकते हैं। ऐसा वे संबंिात मंत्राी को पत्रा लिखकर, सावर्जनिक विरोध आयोजित करके, हस्ताक्षर अभ्िायान आदि चलाकर सरकार से पुनः उसके कायर्क्रम पर विचार करने का आग्रह करके कर सकते हैं। जानकारी देने के संबंध में संचार माध्यम की महत्त्वपूणर् भूमिका को देखते हुए यह आवश्यक है कि जानकारी संतुलित होनी चाहिए। आइए, अगले पृष्ठ पर दिए गए एक ही समाचार के दो भ्िान्न रूपों को पढ़ कर समझें कि संतुलित संचार माध्यम का क्या तात्पयर् है? एक समाचार चैनल में दस सेवेंफड के लिए विज्ञापन देने का मूल्य उसकी लोकियता के आधार पर 500 रफपए से 8000 रफपए के बीच पड़ता है। वास्तविकता तो यह है कि यदि आप इनमें से केवल एक समाचारपत्रा पढ़ेंगे तो विषय का एक ही पक्ष जान पाएँगे। यदि आपने न्यूश आॅपफ इंडिया पढ़ा होता, तो आपको विरोिायों की बातें व्यथर् क्या दोनों समाचारपत्रों में दिया गया उत्पात लगतीं। उनका यातायात व्यवस्था में बाधा उत्पन्न करना और उपयुर्क्त विवरण एक जैसा है? आपके अपने कारखानों से शहर में प्रदूषण पैफलाते रहना, आपके मन में उनकी विचार से इनमें क्या - क्या समानताएँ बुरी छवि अंकित करता। दूसरी ओर यदि आपने इंडिया डेली पढ़ा होता, और अंतर हैं? तो आप जानते कि कारखाने बंद होने पर बहुत - से लोग अपनी यदि आप न्यूश आॅपफ इंडिया में दिया रोशी - रोटी खो देंगे क्योंकि पुनर्स्थापन के प्रयास अपयार्प्त हैं। इन दोनों गया विवरण पढ़ंेगे तो इस मुद्दे के बारे में से एक भी विवरण संतुलित नहीं है। संतुलित रिपोटर् वह होती ह,ैमें क्या सोचेंगे? जिसमें किसी भी विषय पर हर दृष्िटकोण से चचार् की जाती है, पिफर पाठकों को स्वयं अपनी राय बनाने के लिए स्वतंत्रा छोड़ दिया जाता है। संतुलित रिपोटर् लिख पाना, संचार माध्यमों के स्वतंत्रा होने पर निभर्र करता है। स्वतंत्रा संचार माध्यमों से तात्पयर् यह है कि उनके द्वारा दिए जाने वाले समाचारों को कोइर् भी नियंत्रिात या प्रभावित न करे। समाचार का विवरण देने में कोइर् भी उन्हें निदेर्श्िात न करे कि उसमें क्या सम्िमलित किया जाना है और क्या नहीं। लोकतंत्रा मेंस्वतंत्रा संचार माध्यमों का होना अत्यंत महत्त्वपूणर् है। जैसाकि आपने उफपर पढ़ा, संचार माध्यमों द्वारा प्रदान की गइर् जानकारी के आधार पर ही हम नागरिकों के रूप में कारर्वाइर् करते हैं इसीलिए यह क्या आप ऐसा सोचते हैं कि किसी आवश्यक है कि यह जानकारी विश्वसनीय और तटस्थ हो। विषय के दोनों पक्षों को जानना महत्त्वपूणर् है? क्यों? तथ्य तो यह है कि संचार माध्यम स्वतंत्रा नहीं हैं। इसके मुख्यतः दो कारण हैं। पहला कारण है μ सरकार का उन पर नियंत्राण। जब मान लीजिए कि आप किसी ़ सरकार, समाचार के किसी अंश, प्िाफल्म के किसी दृश्य या गीत की समाचारपत्रा के पत्राकार हैं, अब आप किसी अभ्िाव्यक्ित को जनसमुदाय तक पहुँचने से प्रतिबंिात करती है उपयुर्क्त दोनों विवरणों से एक संतुलित रिपोटर् तैयार कीजिए। तो इसे सेंसरश्िाप कहा जाता है। भारत के इतिहास में ऐसे समय भी आए हंै जब सरकार ने संचार माध्यमों के उफपर सेंसर लगाया। इसमें सबसे बुरा समय 1975 - 77 तक, आपातकाल का था। सरकार यद्यपि प्ि़ाफल्मों पर तो निरंतर सेंसर रखती है, लेकिन वह संचार माध्यमों से दिखाए गए समाचारों में पूरी तरह ऐसा नहीं करती है। सरकार द्वारा सेंसरश्िाप न होने पर भी आजकल अिाकांश टी.वी. हमारे साथ क्या करता है और हम टी.वी. के साथ क्या कर सकते हैं? बहुत - से घरों में अिाकांश समय टी.वी. चलता ही रहता है। हमारे चारों ओर की दुनिया के बारे में हमारे बहुत से विचार, जो वुफछ हम टी.वी. पर देखते हैं, उसी से बनते हैं। यह दुनिया को देखने वाली एक ख्िाड़की की तरह है। आपके विचार में यह हमें वैफसे प्रभावित करता है? टी.वी. में अनेक प्रकार के कायर्क्रम हैं - सास भी कभी बहू थी जैसे पारिवारिक धारावाहिक, खेल कायर्क्रम जैसे - कौन बनेगा करोड़पति, वास्तविक जीवन को दशार्ने वाले कायर्क्रम जैसे - बिग बाॅस, समाचार, खेल और काटूर्न, आदि। हर कायर्क्रम के पहले, बीच में और अंत में विज्ञापन होते हैं, क्योंकि टी.वी. का समय बहुत मँहगा होता है। इसीलिए केवल वे ही कायर्क्रम दिखाए जाते हैं, जो अिाकतम दशर्कों को आकष्िार्त कर सवेंफ। आपके विचार से ऐसे कौन - से कायर्क्रम हो सकते हैं? उन चीशों के बारे में सोचिए जो टी.वी. में दिखाइर् जाती हैं या नहीं दिखाइर् जातीं। टी.वी. हमें अमीरों के जीवन के बारे में अिाक दिखाता है या गरीबों के? हमें यह सोचने की शरूरत है कि टी.वी. का हम पर क्या प्रभाव पड़ता है। यह दुनिया के बारे में हमारे दृष्िटकोण, हमारे विश्वासों, हमारे रुख और मूल्यों को वैफसे बनाता है। हमें यह समझने की शरूरत है कि यह हमें संसार का अधूरा दृश्य ही दिखाता है। अपनी पसंद के कायर्क्रमों का आनंद लेते हुए भी हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि टी.वी. के पदेर् से हटकर भी एक उत्सुकता भरा बड़ा संसार है। दुनिया में ऐसा बहुत वुफछ हो रहा है, जिसकी ओर टी.वी. ध्यान नहीं देता है। प्ि़ ाफल्म स्टारों, सुप्रसि( व्यक्ितयों और धनाढ्य जीवन शैलियों से परे भी ऐसा संसार है, जहाँ हम सबको पहुँचना चाहिए और विभ्िान्न प्रकार से अपनी प्रतििया व्यक्त करनी चाहिए। हमें ऐसा सजग दशर्क बनना चाहिए, जो कायर्क्रमों का आनंद भी लें और देखे गए और सुने गए प्रसंगों पर प्रश्न भी उठाएँ। समाचारपत्रा संतुलित विवरण देने में असपफल रहते हैं। इसके कारण बहुत जटिल हैं। संचार माध्यमों के विषय में शोध् करने वाले लोगों का कहना है कि ऐसा इसीलिए है, क्योंकि संचार माध्यमों पर व्यापारिक प्रतिष्ठानों का नियंत्राण है। कइर् बार किसी विवरण के एक पक्ष पर ही ध्यान वेंफदि्रत कराना इनके हित में होता है। संचार माध्यमों द्वारा निरंतर धन की आवश्यकता और उसके लिए विज्ञापनों पर निभर्रता के कारण भी उन लोगों के विरोध में लिखना कठिन हो जाता है, जो विज्ञापन देते हैं। इसीलिए व्यापार से गहन जुड़ाव होने के कारण अब संचार माध्यमों को स्वतंत्रा नहीं समझा जाता। इसके अतिरिक्त संचार माध्यम किसी मुद्दे के खास पक्ष पर इसीलिए भी ध्यान वेंफदि्रत करते हैं, क्योंकि उसे विश्वास है कि इससे विवरण रुचिकर हो जाएगा। इसी तरह यदि वे किसी विषय पर जन समथर्न बढ़ाना चाहते हैं, तो भी मुद्दे के एक पक्ष पर ही ध्यान वेंफदि्रत करते हैं। मसौदा तय किया जाना किन घटनाओं पर ध्यान वेंफदि्रत किया जाए, इसमें भी संचार माध्यमोंकी महत्त्वपूणर् भूमिका रहती है और इसी के आधार पर वह तय कर देते हैं कि क्या समाचार में दिए जाने योग्य है। उदाहरण के लिए - आपके विद्यालय के वाष्िार्कोत्सव की खबर शायद समाचार में दिए जाने योग्य नहीं होगी, लेकिन यदि कोइर् प्रसि( अभ्िानेता उसमें मुख्य अतिथ्िा के रूप में आमंत्रिात हो, तो संचार माध्यमों की रुचि इसे समाचारों में सम्िमलित करने में हो सकती है। वुफछ खास विषयों पर ध्यान वेंफदि्रत करके संचार माध्यम हमारे विचारों, भावनाओं और कायो± को प्रभावित करता है और हमारा ध्यान उन मुद्दों की ओर आकष्िार्त करते हैं। हमारे जीवन पर महत्त्वपूणर् प्रभाव डालने और हमारे विचारों को निमिर्त करने में मुख्य भूमिका होने के कारण ही प्रायः यह कहा जाता है कि संचार माध्यम ही हमारा मसौदा या एजेंडा तय करते हैं। अभी हाल ही में संचार माध्यमों ने कोला पेयों में कीटनाशकों का स्तर खतरे के स्तर तक बढ़े हुए होने की ओर हमारा ध्यान आकष्िार्त किया था। उन्होंने कीटनाशकों के अत्यिाक मात्रा में होने की रिपोटर् प्रकाश्िात की थी और इस तरह हमें कोला पेयों कोअंतरार्ष्ट्रीय गुणवत्ता व सुरक्षा मापदंडों के अनुसार नियमित रूप से नियंत्रिात करने की आवश्यकता महसूस कराइर्। उन्होंने सरकार के दबाव के बावशूद निडरतापूवर्क घोषणा की कि कोला पीना सुरक्ष्िातनहीं है। इस वृत्तांत को पेश करके संचार माध्यमों ने निश्िचत रूप से हमारा ध्यान ऐसे विषय पर वेंफदि्रत करने की कोश्िाश की है, जिस पर यदि उन की रिपोटर् न आती, तो हमारा ध्यान भी न जाता। कइर् बार ऐसी घटनाएँ हो जाती हैं, जब संचार माध्यम उन विषयों पर हमारा ध्यान वेंफदि्रत कराने में असपफल रहते हैं, जो हमारेजीवन के लिए महत्त्वपूणर् हैं। उदाहरण के लिए - पीने का पानी हमारे देश की एक बड़ी समस्या है। प्रतिवषर् हशारों लोग कष्ट सहते हैं और मर जाते हैं क्योंकि उन्हें पीने के लिए सुरक्ष्िात पानी नहीं मिलता, पिफर भी संचार माध्यम हमें इस विषय पर बहुत कम ही चचार् करते हुए दिखते हैं। एक सुविख्यात भारतीय पत्राकार ने लिखा है कि वैफसे वस्त्रों को नया रूपाकार देने वाले डिशाइनरों ने ‘पैफशन वीक’ में़धनवानों के समक्ष अपने नए वस्त्रा प्रदश्िार्त करके सभी समाचारपत्रों के मुख्य पृष्ठ पर स्थान पा लिया, जबकि उसी सप्ताह मुंबइर् में अनेक झोपड़पटि्टयों को गिरा कर दिया गया पर किसी ने इस पर शरा सा भी ध्यान नहीं दिया। संचार माध्यमों में पैफशन शो बहुत लोकिय हुए है संचार माध्यमों के द्वारा एजेंडा तय करते हुए झोपड़पटि्टयों के स्थान पर पैफशन वीक की खबर देने से क्या नतीजा निकलता है? क्या आप किसी ऐसे विषय के बारे मेंजानते हैं जो आपको इसलिए महत्त्वपूणर् नहीं लगा क्योंकि संचार माध्यमों में उसे दिखाया नहीं गया था? स्थानीय संचार माध्यम यह जान कर कि संचार माध्यम उन छोटे - छोटे मुद्दों में रुचि नहीं लेंगे, जिनका संबंध साधारण लोगों और उनके जीवन से है इसीलिए कइर् स्थानीय समूह स्वयं अपना संचार माध्यम प्रारंभ करने के लिए आगे आए हैं। कइर् लोग सामूहिक रेडियो द्वारा किसानों को विभ्िान्न पफसलों के मूल्य के बारे में बताते हैं औऱउन्हें बीज तथा उवर्रकों के प्रयोग के बारे में परामशर् देते हैं। वुफछ अन्य लोग कापफी सस्ते और आसानी से मिल जाने वाले वीडियो़वैफमरे इस्तेमाल करके विभ्िान्न निधर्न समाजों के वास्तविक जीवन की स्िथतियों पर डाॅक्यूमेंट्री प्िाफल्म बनाते हैं और कभी - कभी तो़इन गरीब लोगों को ही प्िाफल्म बनाने के लिए वैफमरे और तकनीकी़ज्ञान का प्रश्िाक्षण भी देते हैं। दूसरा उदाहरण खबर लहरिया नामक एक समाचारपत्रा का है, जो उत्तर प्रदेश के चित्रावूफट िाले की आठ दलित महिलाओं द्वारा हर पंद्रह दिन में निकाला जाता है। स्थानीय बुंदेली भाषा में लिख्िात इस आठ पृष्ठ के समाचारपत्रा में दलितों से संबंिात विषयों, स्ित्रायों के प्रति हिंसा और राजनैतिक भ्रष्टाचार से संबंिात रिपोटर् होती हैं। इस समाचारपत्रा के पाठक हैं - किसान, दुकानदार, पंचायत के सदस्य, स्वूफल के श्िाक्षक और वे महिलाएँ जिन्होंने अभी हाल ही में पढ़ना - लिखना सीखा है। अलग - अलग पाठकों की पसंद को देखते हुए छपाइर् वाले माध्यम कइर् तरह की जानकारियाँ उपलब्ध कराते हैं। प्रजातंत्रा के नागरिक के रूप में हमारे जीवन में संचार माध्यमबहुत महत्त्वपूणर् भूमिका निभाते हैं, क्योंकि संचार माध्यमों के द्वारा ही हम सरकार के कामों से संबंिात विषयों के बारे में सुनते हैं। संचार माध्यम निश्िचत करते हैं कि किन बातों पर ध्यान वेंफदि्रत किया जाना है और इस तरह वह एजेंडा निश्िचत कर देते हैं। यदि कभी सरकार चाहे, तो संचार माध्यम को किसी घटना की खबर छापने से रोक सकती है। इसे सेंसरश्िाप कहा जाता है। आजकल संचार माध्यम और व्यापार का घनिष्ठ संबंध होने से प्रायः संतुलित रिपोटर् का प्रकाश में आना कठिन है। इसे ध्यान में रखते हुए हमारेलिए यह सजगता महत्त्वपूणर् है कि समाचार से प्राप्त ‘तथ्यात्मक जानकारी’ भी प्रायः पूणर् नहीं होती है और एकपक्षीय हो सकती है। अतः हमें समाचार के विश्लेषण के लिए निम्नलिख्िात प्रश्न पूछने चाहिएμइस रिपोटर् से मुझे कौन - सी जानकारी मिल रही है? कौन - सी आवश्यक जानकारी नहीं दी जा रही है? यह लेख किसके दृष्िटकोण से लिखा गया है? किसका दृष्िटकोण छोड़ दिया गया है और क्यों? 1 प्रजातंत्रा में संचार माध्यम किस प्रकार महत्त्वपूणर् भूमिका निभाते हैं? 2 क्या आप इस रेखाचित्रा को एक शीषर्क दे सकते हैं? इस रेखाचित्रा से आप संचार माध्यम और बड़े व्यापार के परस्पर संबंध के बारे में क्या समझ पा रहे हैं? 3 आप पढ़ चुके हैं कि संचार माध्यम किस प्रकार एजेंडा बनाते हैं। इनका प्रजातंत्रा में क्या प्रभाव पड़ता है? अपने विचारों के पक्ष में दो उदाहरण दीजिए। 4 कक्षा परियोजना के रूप में समाचारों में से वफोइर् एक शीषर्क चुनकर उस पर ध्यान वेंफदि्रत कीजिए और अन्य समाचारपत्रों में से उससे संबंिात विवरण छाँटिए। दूरदशर्न समाचार पर भी इस विषय पर प्रसारित सामग्री देख्िाए। दो समाचारपत्रों के विवरण की तुलना करके उनमें समानता और भ्िान्नता की रिपोटर् लिख्िाए। निम्नलिख्िात प्रश्न पूछना सहायक हो सकता है - ;कद्ध इस लेख में क्या जानकारी दी जा रही है? ;खद्ध कौन - सी जानकारी इसमें छोड़ दी गइर् है? ;गद्ध यह लेख किसके दृष्िटकोण को ध्यान में रखकर लिखा गया है? ;घद्ध किसके दृष्िटकोण को छोड़ दिया गया है और क्यों? शब्द - संकलन प्रकाश्िात μ इससे तात्पयर् समाचार रिपोटो±, लेखों, साक्षात्कार, विवरण आदि से है, जिन्हें समाचारपत्रों, पत्रिाकाओं और पुस्तकों में छापा जाता हैऋ जिससे उन्हें बहुत अिाक लोग पढ़ सवेंफ। सेंसरश्िाप μ इसका तात्पयर् सरकार की उस शक्ित या अिाकार से है जिसके अंतगर्त सरकार वुफछ विवरण प्रकाश्िात करने या प्रदश्िार्त करने पर रोक लगा सकती है। प्रसारणμइस पाठ में इस शब्द का प्रयोग टी.वी. अथवा रेडियो के कायर्क्रमों के संबंध में हुआ है, जिनको बहुत बड़े क्षेत्रा में प्रेष्िात किया जाता है। सावर्जनिक विरोध μ इसमें विशाल संख्या में लोग एकजुट होकर किसी विषय पर खुले रूप में अपना विरोध प्रकट करते हैं। यह प्रायः रैली आयोजन, हस्ताक्षर अभ्िायान तथा सड़कों को अवरु( करके किया जाता है।

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