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मानचित्र
आप पिछले अध्याय में ग्लोब के महत्त्व के बारे में पढ़ चुके हैं। ग्लोब में अध्ययन की कुछ सीमाएँ होती हैं। जब हम पूरी पृथ्वी का अध्ययन करना चाहते हैं तब ग्लोब हमारे लिए काफी उपयोगी साबित होता है। लेकिन, जब हम पृथ्वी के केवल एक भाग जैसे- अपने देश, राज्यों, जिलों, शहरों तथा गाँवों के बारे मे अध्ययन करना चाहते हैं तो यह हमारे लिए उतना उपयोगी साबित नहीं होता है। एेसी स्थिति में हम मानचित्रों का उपयोग करते हैं। मानचित्र पृथ्वी की सतह या इसके एक भाग का पैमाने के माध्यम से चपटी सतह पर खींचा गया चित्र है। लेकिन एक गोलाकार सतह को पूरी तरह से चपटा करना असंभव है।
आओ कुछ करके सीखें
एक रबड़ की पुरानी गेंद लें एवं उस पर कोई रेखाचित्र बनाएँ। आप उस पर उत्तर एवं दक्षिण ध्रुव को भी चिह्नित कर सकते हैं। अब चाकू से इस गेंद को काटें तथा उसे चपटा करने की कोशिश करें। देखें कि किस प्रकार रेखा चित्र का रूप बिगड़ जाता है।
मानचित्र हमारी विभिन्न जरूरतों के लिए आवश्यक हैं। कुछ मानचित्र एक छोटे क्षेत्र को एवं कुछ तथ्यों को दर्शाता है। दूसरे मानचित्र में एक बड़ी किताब की तरह तथ्य हो सकते हैं। जब बहुत से मानचित्रों को एक साथ रख दिया जाता है तब एक एटलस बन जाता है। एटलस विभिन्न प्रकारों तथा अलग-अलग पैमाने से खींची गई मापों पर आधारित होता है। मानचित्रों से एक ग्लोब की अपेक्षा हमें ज्यादा जानकारी प्राप्त होती है। मानचित्र विभिन्न प्रकार के होते हैं। जिनमें से कुछ को नीचे वर्णित किया गया है।
भौतिक मानचित्र
पृथ्वी की प्राकृतिक आकृतियों; जैसे- पर्वतों, पठारों, मैदानों, नदियों, महासागरों इत्यादि को दर्शाने वाले मानचित्रों को भौतिक या उच्चावच मानचित्र कहा जाता है।
राजनीतिक मानचित्र
राज्यों, नगरों, शहरों तथा गाँवों और विश्व के विभिन्न देशों व राज्यों तथा उनकी सीमाओं को दर्शाने वाले मानचित्र को राजनीतिक मानचित्र कहा जाता है।
थिमैटिक मानचित्र
कुछ मानचित्र विशेष जानकारियाँ प्रदान करते हैं; जैसे- सड़क मानचित्र, वर्षा मानचित्र, वन तथा उद्योगों आदि के वितरण दर्शाने वाले मानचित्र इत्यादि। इस प्रकार के मानचित्र को थिमैटिक मानचित्र कहा जाता है।
इन मानचित्रों में दी गई सूचना के आधार पर उनका उचित नामकरण किया जाता है।
मानचित्र के तीन घटक हैं : दूरी, दिशा और प्रतीक।
दूरी
मानचित्र एक आरेखण होता है जो कि पूरे विश्व या उसके एक भाग को छोटा कर कागज के एक पन्ने पर दर्शाता है या यह कह सकते हैं कि मानचित्र छोटे पैमाने पर खींचे जाते हैं। लेकिन इसे इतनी सावधानी से छोटा किया जाता है ताकि स्थानों के बीच की दूरी वास्तविक रहे। यह तभी संभव हो सकता है जब कागज पर एक छोटी दूरी, स्थल की बड़ी दूरी को व्यक्त करती हो। इसलिए इस उद्देश्य के लिए एक पैमाना चुना जाता है। पैमाना, स्थल पर वास्तविक दूरी तथा मानचित्र पर दिखाई गई दूरी के बीच का अनुपात होता है। उदाहरण के लिए, आपके विद्यालय एवं आपके घर के बीच की दूरी 10 किमी. है जिसे मानचित्र पर 2 सेमी. की दूरी से व्यक्त किया गया है, इसका अभिप्राय है कि मानचित्र का 1 सेमी. स्थल के 5 किमी. को दर्शाएगा। आपके रेखाचित्र का पैमाना होगा, 1 सेमी. = 5 किमी.। इस प्रकार पैमाना किसी भी मानचित्र के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण होता है। अगर आपको पैमाने की जानकारी है तो आप मानचित्र पर दिए गए किसी भी दो स्थानों के बीच की दूरी का पता लगा सकते हैं।
जब बड़े क्षेत्रफल वाले भागों जैसे महाद्वीपों या देशों को कागज पर दिखाना होता है, तब हम लोग छोटे पैमाने का उपयोग करते हैं। उदाहरण के लिए, मानचित्र पर 5 सेमी., स्थल के 500 किमी. को दर्शाता है। इसको छोटे पैमाने वाला मानचित्र कहते हैं।
जब एक छोटे क्षेत्रफल वाले भाग जैसे आपके गाँव या शहर को कागज पर दिखाना होता है तब हम बड़े पैमाने का उपयोग करते हैं जैसे स्थल पर 500 मीटर की दूरी को मानचित्र पर 5 सेमी. से दर्शाया जाता है। इस प्रकार के मानचित्र को बड़े पैमाने वाला मानचित्र कहते हैं।
बड़े पैमाने वाले मानचित्र छोटे पैमाने वाले मानचित्र की अपेक्षा अधिक जानकारी प्रदान करते हैं।
चित्र 4.1 : एक गाँव का मानचित्र
दिशा
अधिकतर मानचित्रों में ऊपर दाहिनी तरफ तीर का निशान बना होता है, जिसके ऊपर अक्षर उ. लिखा होता है। यह तीर का निशान उत्तर दिशा को दर्शाता है। इसे उत्तर रेखा कहा जाता है। जब आप उत्तर के बारे में जानते हैं तब आप दूसरी दिशाओं जैसे पूर्व, पश्चिम तथा दक्षिण के बारे में पता लगा सकते हैं। चित्र 4.2 में चार मुख्य दिशाओं उत्तर, दक्षिण, पूर्व एवं पश्चिम को दिखाया गया है। वे प्रधान दिग्बिंदु कहे जाते हैं। बीच की चार दिशाएँ हैं– उत्तर-पूर्व (उ.पू.), दक्षिण-पूर्व (द.पू.), दक्षिण-पश्चिम (द.प.) तथा उत्तर-पश्चिम (उ.प.)। इन बीच वाली दिशाओं की मदद से किसी भी स्थान की सही स्थिति का पता लगाया जा सकता है।
चित्र 4.2 (अ) : प्रधान दिग्बिंदु
चित्र 4.2 (ब) : दिक्सूचक
चित्र 4.1 से निम्नलिखित दिशाओं का पता लगाइएः (i) विकास के घर से सामुदायिक केंद्र तथा खेल के मैदान की दिशा (ii) दुकानों से विद्यालय की दिशा।
हम दिक्सूचक की सहायता से किसी स्थान की दिशा का पता लगा सकते हैं। यह एक यंत्र है जिसकी सहायता से मुख्य दिशाओं का पता लगाया जाता है। इसकी चुंबकीय सुई की दिशा हमेशा उत्तर-दक्षिण दिशा में होती है। (चित्र 4.2 (ब))।
प्रतीक
यह किसी भी मानचित्र का तीसरा प्रमुख घटक है। किसी भी मानचित्र पर वास्तविक आकार एवं प्रकार में विभिन्न आकृतियों; जैसे- भवनों, सड़कों, पुलों, वृक्षों, रेल की पटरियों या कुएँ को दिखाना संभव नहीं होता है। इसलिए, वे निश्चित अक्षरों, छायाओं, रंगों, चित्रों तथा रेखाओं का उपयोग करके दर्शाए जाते हैं। ये प्रतीक कम स्थान में अधिक जानकारी प्रदान करते हैं। इन प्रतीकों के इस्तेमाल के द्वारा मानचित्र को आसानी से खींचा जा सकता है तथा इनका अध्ययन करना आसान होता है। अगर आप एक क्षेत्र की भाषा को नहीं जानते हैं तथा आप किसी से दिशाओं के बारे में नहीं पूछ सकते हैं तब आप इन चिह्नों की सहायता के द्वारा मानचित्र से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। मानचित्रों की एक विश्वव्यापी भाषा होती है जिसे सभी आसानी से समझ सकते हैं। इन प्रतीकों के उपयोग के संबंध में एक अंतर्राष्ट्रीय सहमति है। ये रूढ़ प्रतीक कहे जाते हैं। कुछ रूढ़ प्रतीक चित्र 4.3 में दर्शाए गए हैं।
चित्र 4.3 : रूढ़ चिह्न
चित्र 4.4 : सुंदरपुर गाँव और इसके आसपास का क्षेत्र
चित्र 4.4 को देखें एवं पता लगाएँः
(i) नदी किस दिशा में बह रही है?
(ii) डुमरी गाँव के पास से किस प्रकार की सड़क गुजरती है?
(iii) किस प्रकार की रेलवे लाइन के पास सुंदरपुर स्थित है?
(iv) रेलवे पुल के किस तरफ पुलिस स्टेशन स्थित है?
(v) निम्नलिखित स्थान रेलवे लाइन के किस तरफ स्थित हैं ः
क. छतरी ख. गिरजाघर
ग. तालाब घ. मस्जिद
च. नदी
छ. पोस्ट एवं टेलीग्राफ अॉफिस
ज. कब्रिस्तान
रेखाचित्र एक आरेखण है, जो पैमाने पर आधारित न होकर याद्दाश्त और स्थानीय प्रेक्षण पर आधारित होता है। कभी-कभी किसी क्षेत्र के एक कच्चे आरेखण की आवश्यकता वहाँ के एक स्थान को दूसरे स्थान के सापेक्ष दिखाने के लिए होती है। मान लीजिए कि आप अपने मित्र के घर जाना चाहते हैं, लेकिन आपको रास्ते की जानकारी नहीं है। आपका मित्र अपने घर के रास्ते को बताने के लिए एक कच्चा आरेखण बना सकता है। इस प्रकार कच्चे आरेख को बिना पैमाने की सहायता से खींचा जाता है तथा इसे रेखाचित्र मानचित्र कहते हैं।
खाका
एक छोटे क्षेत्र का बड़े पैमाने पर खींचा गया रेखाचित्र खाका कहा जाता है। एक बड़े पैमाने वाले मानचित्र से हमें बहुत सी जानकारियाँ प्राप्त होती हैं लेकिन कुछ एेसी चीज़ें होती हैं जिन्हें हम कभी-कभी जानना चाहते हैं जैसे किसी कमरे की लंबाई एवं चौड़ाई, जिसे मानचित्र में नहीं दिखाया जा सकता है। उस समय, हम लोग बड़े पैमाने वाला एक रेखाचित्र खींच सकते हैं जिसे खाका कहा जाता है।
स्कूल भुवन- एनसीईआरटी वेब पोर्टल देखें।
इस पोर्टल पर उपलब्ध सेटेलाइट चित्रों पर अपने आस-पड़ोस का मानचित्र अॉनलाइन बनाएँ।
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में दीजिए।
(i) मानचित्र के तीन घटक कौन-कौन से हैं?
(ii) प्रधान दिग्बिंदु कौन-कौन से हैं?
(iii) मानचित्र के पैमाने से आप क्या समझते हैं?
(iv) ग्लोब की अपेक्षा मानचित्र अधिक सहायक होते हैं, क्यों?
(v) मानचित्र एवं खाका के बीच अंतर बताएँ।
(vi) कौन-सा मानचित्र विस्तृत जानकारी प्रदान करता है?
(vii) प्रतीक किस प्रकार मानचित्रों के अध्ययन में सहायक होते हैं?
2. सही उत्तर चिह्नित (✔) कीजिए।
(i) वृक्षों के वितरण को दिखाने वाले मानचित्र हैं-
क. भौतिक मानचित्र
ख. थिमैटिक मानचित्र
ग. राजनीतिक मानचित्र
(ii) नीले रंग का इस्तेमाल किसे दिखाने में किया जाता है-
क. जलाशयों ख. पर्वतों ग. मैदानों
(iii) दिक्सूचक का उपयोग किया जाता है-
क. प्रतीकों को दिखाने के लिए
ख. मुख्य दिशा का पता लगाने के लिए
ग. दूरी मापने के लिए
(iv) पैमाना आवश्यक है-
क. मानचित्र के लिए ख. रेखाचित्र के लिए ग. प्रतीकों के लिए
1. अपनी कक्षा के कमरे का रेखाचित्र खींचें तथा उस कमरे में रखे सामान; जैसे- शिक्षक की मेज, ब्लैकबोर्ड, डेस्क, दरवाजा तथा खिड़कियों को दिखाएँ।
2. अपने स्कूल का एक रेखाचित्र खींचें एवं निम्नलिखित को दर्शाएँः
अ. प्रधानाध्यापक का कमरा ब. अपने वर्ग का कमरा
स. खेल का मैदान द. पुस्तकालय
य. कुछ बड़े पेड़ र. पीने के पानी का स्थल
1. एक मनोरंजन पार्क का रेखाचित्र खींचें जहाँ आप बहुत से मनोरंजक क्रियाकलापों को कर सकते हैं ः उदाहरण के लिए झूला, स्लाइड, झूमा-झूमी, चक्र, नौका-विहार, तैरना, हास्यजनक दर्पण में देखना आदि अथवा अपने मन के अनुसार दूसरी चीज़ें।