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Kshitij-II
Class 10
17 Chapters
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01
सूऱदास: ऊधौ; तुम हौ अति बड़भागी; मन की मन ही माँझ रही; हमारैं हरि हारिल की लकरी; हरि हैं राजनीति प
02
तुलसीदास: राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद
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देव : पाँयनि नूपुर---; डार द्रुम पलना---; फटिक सिलानि---
03
जयशंक़ऱ प्रसाद: आत्मकथ्य
04
सूर्यकांत त्रिपाठी निरला: उत्साह; अट नहीं रही ह
05
नागार्जुन: यह दंतुरित मुसकान; फसल
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गिरिज़ाकुमार माथुर: छाया मत छून
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ॠृतुऱाज़: कन्यादान
06
मंग़लेश ड़बऱाल: संगतकार
07
स्वयं प्रक़ाश: नेताजी का चश्मा
08
रामवृझ बेऩीपुरी: बालगोबिन भगत
09
यशपाल: लखनवी अंदाज
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सर्वेशवऱ दयाल सक़्सेऩा: मानवीय करुणा की दिव्य चमक
10
मन्नु भंड़ारी: एक कहानी यह भी
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महवीर प्रसाद द्विवेदी: स्त्री-शिक्षा के विरोधी कुतर्कों का खंडन
11
यतींद्र मिश्र: नौबतखाने में इबादत
12
भदंत आऩंद क़ैसल्यायन: संस्कृति
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