Table of Contents
62
| घर के पीछे , छत के नीचे , पाँव पसारे , पूँछ सँवारे। देखो कोई , मौसी सोई , नासों में से , साँसों में से।
घर घर घर घर हो रही है , चूहो ! म्याऊँ सो रही है।
बिल्ली सोई , खुली रसोई , भरे पतीले , चने रसीले। |
|
63
उलटो मटका , देकर झटका , जो कुछ पाओ , चट कर जाओ। आज हमारा दूध दही है , चूहो ! म्याऊँ सो रही है। मूंछ मरोड़ो , पूँछ सिकोड़ो , नीचे उतरो , चीजें कुतरो।
आज हमारा , राज हमारा , करो तबाही , जो मनचाही। आज मची है , चूहा शाही , डर कुछ भी चूहों को नहीं है , चूहो ! म्याऊँ सो रही है। |
|
64
पढ़ो
घर के पीछे , छत के नीचे
पाँव पसारे , पूँछ सँवारे
भरे पतीले , चने रसीले
उलटा मटका , देकर झटका
मूंछ मरोड़ो , पूँछ सिकोड़ो
नीचे उतरो , चीजें कुतरो
चलो , चूहा बनाएँ
तीन लिखो
मूंछ कान बनाओ
आँखें और पैर बनाओ
पूंछ बनाओ
65
तुक मिलाओ , आगे बढ़ाओ
** यह चित्र बिहार की मधुबनी शैली में बना है। इस चित्र की ओर बच्चों का ध्यान दिलाएँ।
66
मकड़ी - ककड़ी - लकड़ी
हमने तीन चीजें देखीं ,
दादा तीन चीजें देखीं।
एक डाल पर थी इक मकड़ी ,
लकड़ी पर बैठी थी मकड़ी ,
मकड़ी खा रही थी ककड़ी।
लकड़ी , मकड़ी , ककड़ी ,
मकड़ी , ककड़ी , लकड़ी ,
ककड़ी , लकड़ी , मकड़ी।
हमने तीन चीजें देखीं ,
दादा तीन चीजें देखीं।
एक खेत में थी कुछ बालू ,
बालू पर बैठा था भालू ,
भालू खा रहा था आलू।
बालू , भालू , आलू ,
भालू , आलू , बालू ,
आलू , बालू , भालू।