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4 हमारा पहला स्कूल
स्कूल में हम कितनी सारी बातें सीखते और समझते हैं। पर जानते हो , हमारा पहला स्कूल कौन - सा है ? वह है हमारा परिवार। हम अपने परिवार से ही सबसे पहले सीखना शुरू करते हैं। हम अपने परिवार से सबसे ज़्यादा करीब से जुड़े होते हैं। पर हम उसके बारे में शायद ही कभी सोचते हैं। आओ , अपने परिवार के बारे में सोचें और बातें करें।
अपने परिवार का चित्र बनाओ। यदि फ़ोटो है तो वह चिपकाओ।
                   
              
- तुम्हारे परिवार में कौन - कौन हैं ? उनका नाम और उनका तुमसे क्या रिश्ता है , लिखो।
| नाम | तुमसे रिश्ता | 
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| परिवार के दो लोगों का नाम | आपसी रिश्ता | 
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- अपने परिवार के दो लोगों में आपस का रिश्ता लिखो           -           जैसे पति          -          पत्नी          ,           भाई          -          बहन          ,           माँ          -          बेटी          ...          ।
- तुम्हें घर में प्यार से किस नाम से बुलाते हैं ? तुम अपने घर के लोगों को किस - किस तरह से बुलाते हो ?
- यहाँ कुछ लोगों के चित्र बने हैं। इनमें दो लोग बिल्कुल एक जैसे दिखते हैं। इनका आपस में क्या रिश्ता हो सकता है ?
तुम्हारी कौन - सी बात परिवार में किसी से मिलती - जुलती है — जैसे तुम्हारी आवाज़ , तुम्हारी आँखें , तुम्हारे बाल , तुम्हारी चाल ... ? किससे और कैसे ?
                   
          
आओ , अब अनवरी के परिवार के बारे में कुछ पढ़ें। अनवरी के परिवार के सभी बड़े लोग धोबी का काम करते हैं। परिवार के सभी सदस्य
अपनी - अपनी तरह से कपड़े धोने , सुखाने , इस्त्री करने में हाथ बँटाते हैं। अनवरी और उसका चचेरा भाई तौफ़ीक भी अब यह काम सीख रहे हैं।
-           क्या तुम्हारा परिवार भी मिलकर कोई काम          -          धंधा करता है          ?           यदि हाँ तो                     क्या          ?   
 
-           इस काम में तुम क्या मदद करते हो          ?   
 
हम परिवार में एक - दूसरे से बहुत कुछ सीखते हैं। अनवरी के चाचा ने उसे और परिवार के सभी बच्चों को साइकिल चलाना सिखाया।
तुमने भी अपने परिवार से बहुत कुछ सीखा है। क्या और किससे ? क्या किसी ने तुमसे भी कुछ सीखा है ?
कुछ और बातों के बारे में सोचो और लिखो जैसे —
-           जब मैं दु          :          खी होती हूँ          ,           तब मैं             
 के पास जाती हूँ।
-           जब मैं पुराने दिनों के बारे में जानना चाहती हूँ          ,           तब मैं             
 के पास जाती हूँ।
-           जब मैं अपनी कुछ राज़ की बात बताना चाहती हूँ          ,           तब मैं             
 के पास जाती हूँ।
-           जब                     मुझसे                     कोई                     गलती                     हो                     जाती                     है                     तो                     मैं                       
 के पास जाती हूँ।
जूते बाहर उतारकर ही घर में आना — यह सुरेखा के घर का रिवाज़ है। लेकिन उसके कुछ दोस्त जूते - चप्पल पहनकर घर के अंदर आ जाते हैं। इससे सुरेखा के बाबा नाराज़ होते हैं।
क्या तुम्हारे परिवार के अपने कुछ रिवाज़ हैं ? कौन - कौन से ?
अपने घर व आस - पड़ोस को साफ़ रखने के लिए तुम और तुम्हारा परिवार क्या - क्या करते हो ?
क्या तुम्हारे परिवार में किसी की कोई खास आदत है , जैसे — ज़ोर से हँसना , खुश होने पर गाना आदि – उनकी तरह करके दिखाओ।
- तुम अपने परिवार में बड़ों की इज्जत कैसे करते हो ? अपने आस - पास देखो लोग क्या - क्या तरीके अपनाते हैं।
बड़े जब बच्चे थे
घर के किसी बड़े को उनके बचपन का कोई मज़ेदार किस्सा बताने को कहो।
बच्चों से अपने परिवार वालों के हँसने , गाना गाने आदि के तरीकों के बारे में बातचीत करवाई जाए। इससे वे अपने परिवार के लोगों की खासियत भी पहचान सकेंगे।

 
         
         
        
 
        