6 खाना अपना - अपना

कल रात मैंने बाजरे की रोटी और गुड़ खाया था।

मैंने तो दाल - भात बनाया था।

  मेरे घर तो कल खाना ही नहीं बना।

बीजी के साथ हम गुरुद्वारे गए थे , वहीं लंगर में दाल - रोटी खाई थी।

मेरी माँ ने माछ बनाई थी। मैंने खूब खाई , बहुत अच्छी थी।

माँ ने खीर - पूरी बनाई थी , जो मुझे अच्छी नहीं लगती। इसलिए मैं तो अंडे की   भुजिया खाकर सो गई।

मेरी माँ जिस घर में काम करती है , वहाँ से नूडल्स लाई थी। सबको मज़ा   आया।

तुमने कल क्या - क्या खाया ? नीचे दी गयी थाली में उनके नाम लिखो।

अपनी - अपनी थाली में जो लिखा है , उसे ब्लैकबोर्ड पर लिखो।

  • क्या तुम्हारी कक्षा में कल सबने एक जैसा खाना खाया था ? ऐसा क्यों ?
  • चित्र में ( पृष्ठ 36) तुमने देखा कि एक बच्चे के घर खाना बना ही   नहीं। यह किन कारणों से हो सकता है ?

  • क्या तुम्हारे साथ कभी ऐसा हुआ है कि भूख लगी हो और कुछ भी खाने   को   नहीं   मिला ? अगर   हाँ   तो   क्यों ?
  • तुम्हें   कैसे   पता   चलता   है   कि   भूख   लगी   है ?
  • जब   तुम्हें   भूख   लगती   है   तब   तुम्हें   कैसा   महसूस   होता   है ?


बच्चे   एक   खुले   माहौल   में   अपनी   बात   बेझिझक   कहते   हैं।   एक - दूसरे   के   खाने   के   बारे   में   सुनकर   हम   अपने   खाने   से   जुड़ी   संकुचित   सोच   से   हट   सकते   हैं।   इसी   से   दूसरे   लोगों   के   बारे   में   हमारी   समझ   बढ़ेगी।   बच्चों   से   संबंध   बनाना   और   ऐसा   माहौल   बनाना   ज़रूरी   है   जहाँ   उनकी   बात   संवेदनशीलता   से   सुनी   जाए।  

अपना - अपना खाना

विपुल के परिवार में कुछ लोग कई चीजें नहीं खाते , जो वह खाता है। सोचो उसके परिवार के लोग वे चीजें खाते ही नहीं या खा नहीं सकते ?

आओ विपुल के परिवार के बारे में पढ़ें

स्कूल से घर जाते - जाते विपुल ने एक भुट्टा खरीदा। भुट्टा खाते - खाते विपुल घर में घुसा और माँ से पूछा माँ छुटकी कहाँ है ? पहले तो मैं उसे ही देखूँगा।

माँ ने हँसते हुए कहा छुटकी ऊपर कमरे में है।

विपुल ने दादी का हाथ पकड़कर कहा दादी , तुम भी चलो न !

माँ ने कहा रुको , मैंने बा की रोटी दाल में डालकर रखी है। पहले वे खा तो लें।

बेटा आज तो दाल में शक्कर ठीक से डाली है न ? यहाँ नागपुर आकर तुम लोग अपना खाना भूलते जा रहे हो दादी ने माँ से कहा।

माँ ने जवाब दिया बा , मैंने चख कर देखी है , बढ़िया बनी है।

मैं दादी का खाना भी ऊपर ले जाता हूँ कहते हुए विपुल ने थाली उठाई और फटाफट सीढ़ियाँ चढ़ गया। दादी जल्दी चढ़ो न ! — विपुल ने पुकारा।

दादी ने कहा जब मैं तुम्हारी उम्र की थी तब मैं इतनी देर में सीढ़ियाँ तो क्या , पहाड़ भी चढ़ जाती थी।

विपुल ने अंदर जाकर अपना भुट्टा मामी को थमाया और हाथ धोकर छुटकी को उठा लिया।

अचानक छुटकी ने रोना शुरू कर दिया। यह अब ऐसे चुप नहीं होगी , इसे भूख लगी है कहते हुए मामी छुटकी को दूध पिलाने बैठ गई।

  • दादी सीढ़ियाँ जल्दी क्यों नहीं चढ़ पाईं ?
  • दादी को दाल किस तरह से खाना पसंद है ?
  • कहानी में जितने लोग आए , उनमें से कितने लोग भुट्टा खा पाएँगे ? और   क्यों ?
  • क्या सभी बूढ़े लोग भुट्टा नहीं खा पाते ?
  • चार महीने तक छुटकी केवल अपनी माँ का ही दूध पीएगी। वह ही उसका खाना है। सोचो , क्यों ?

 

अपने आस - पास के बड़ों से पूछकर तालिका भरो

क्या - क्या खा पाते हैं

क्या - क्या नहीं खा पाते

  बच्चा

  जवान

  बूढ़ा

 

यह तो थी कुछ चीज़ों को ' खा सकने ' और ' नहीं खा सकने ' की बात। क्या हम वे सभी चीजें खाते हैं जो हम खा सकते हैं ? नहीं न !

आओ बात करें उन चीज़ों की जिन्हें हम खाते हैं।

जिन   चीज़ों   को   तुम   ज़्यादा   खाते   हो   उन   पर   लगाओ।  

  • चावल
  • रागी
  • मक्का
  • बाजरा
  • गेहूँ
  • जई
  • कप्पा   ( टैपिओका )
  • जौ

हमारा भोजन ज़्यादातर इन्हीं चीजों से बनता है। अलग - अलग जगहों पर इनमें से कुछ चीज़ों को अधिक खाया जाता है। जो चीजें जहाँ आसानी से पैदा होती हैं , वहाँ पर वे ज़्यादा खाई जाती हैं।

पता लगाओ , इनमें से कौन - कौन सी चीज़ कहाँ - कहाँ अधिक खाई जाती है।

हम लोग अलग - अलग चीजें तो खाते ही हैं। एक ही चीज़ का इस्तेमाल करके अलग - अलग भोजन भी बनाते हैं। पता करो और लिखो कि गेहूँ और चावल से क्या - क्या बनता है ?

क्यों , कितनी चीजें लिखीं ? इसी तरह अलग - अलग जगहों पर अलग - अलग तरह की दालें , सब्जियाँ , फल , माँस आदि खाया जाता है। कुछ लोग कुछ पसंद करते हैं , तो कुछ लोग कुछ और। अब बात करते हैं ' पसंद ' और ' नापसंद ' की।

पसंद अपनी - अपनी

उन तीन चीज़ों के नाम लिखो जो तुम्हें खाने में पसंद हैं , और तीन चीजें जो तुम्हें नापसंद हैं।

पसंद


नापसंद


  • क्या तुम्हारी पसंद - नापसंद तुम्हारे परिवार के लोगों से मिलती है ?
  • क्या तुम्हारी पसंद - नापसंद तुम्हारे दोस्त की पसंद - नापसंद से मिलती है ?

आओ अब कुछ लोगों से बात करें और पता लगाएँ उन्हें क्या खाना अच्छा लगता है।

लीचेन मैं हांगकांग में रहती हूँ। मुझे और मेरी माँ को साँप खाना बहुत पसंद है। जब भी हमारी साँप खाने की इच्छा होती है , तब हम पास के एक होटल में जाकर ' लिंग - हू - फेन ' खाते हैं।  

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जूनी मैं कश्मीर में रहती हूँ। सरसों के तेल में बनी मछली मुझे बहुत पसंद है। एक बार हम गोवा गए थे। वहाँ हमने मछली खाई , पर स्वाद बहुत ही अलग था। माँ ने कहा अरे यह तो नारियल के तेल में बनी समुंदर की मछली है। स्वाद तो अलग होगा ही !

  टॉमस  — मैं केरल में रहता हूँ। मुझे सबसे अच्छी दो चीजें लगती हैं। वे चीजें मेरे घर के आँगन में ही उगती हैं। एक ऊपर ऊँचे पेड़ पर और दूसरी ज़मीन के नीचे। बस नारियल डली हुई किसी भी करी के साथ उबला हुआ टैपिओका मिल जाए तो क्या मज़ा आता है।


बच्चों में भोजन से जुड़ी विविधता पर खुलकर चर्चा करें। उनके परिवार से जुड़े अनुभव सुनें और भोजन में विविधता को सम्मान दें।

  • कहाँ क्या खाया जाता है यह आखिर निर्भर किस पर होता है ? दिए गए कारणों में से जो तुम्हें सही लगे उस पर   लगाओ। इसके अलावा जो कारण और हो सकते हैं वे खाली जगह में लिखो।  
  • वहाँ क्या आसानी से मिलता है।
  • क्या खरीद सकते हैं।
  • वहाँ के रीति - रिवाज़ कैसे हैं।


  • जो चीजें खाई जाती हैं उन पर सही   का निशान लगाओ। यदि तुम्हें किसी   चीज़   के   बारे   में   नहीं   पता   तो   शिक्षक   से   पूछ   सकते   हो।  
  • केले   के   फूल  
  • मुर्गी   का   अंडा  
  • गोभी  
  • सैंजन   के   फूल  
  • अरवी   के   पत्ते  
  • माँस  
  • खुंबी  
  • चूहा  
  • कलौंजी  
  • कमल   डंडी  
  • मछली
  • केकड़ा
  • लाल   चींटी
  • बाजरे   की   रोटी
  • घास
  • पिछले   दिन   की   रोटी
  • मेंढक
  • आँवला
  • नारियल   का   तेल
  • ऊँटनी   का   दूध
  • चने   की   रोटी
  • खाने की कुछ ऐसी चीज़ों के नाम लिखो , जो तुमने कभी नहीं खाईं , लेकिन खाने का मन करता है।