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11 यहाँ से वहाँ
रेलगाड़ी
आओ बच्चों खेल दिखाएँ ,
छुक - छुक करती रेल चलाएँ।
सीटी देकर सीट पर बैठो ,
एक - दूजे की पीठ पर बैठो।
आगे - पीछे , पीछे - आगे ,
लाइन से लेकिन कोई ना भागे।
सारे सीधी लाइन में चलना ,
दोनों आँखें मीचे रखना।
बंद आँखों से देखा जाए ,
आँख खुले तो कुछ न पाए।
रेलगाड़ी , छुक - छुक छुक - छुक छुक - छुक - छुक - छुक
बीच वाले स्टेशन बोले , रुक - रुक - रुक - रुक , रुक - रुक - रुक - रुक
तड़क - भड़क , लोहे की सड़क ,
यहाँ से वहाँ , वहाँ से यहाँ।
छुक - छुक , छुक - छुक ,
लाईट्स आती , पार कर जाती।
बालू रेत , आलू का खेत ,
बाजरा धान , बुड्ढा किसान।
हरा मैदान , मंदिर मकान ,
चाय की दुकान ...
रेलगाड़ी , छुक - छुक छुक - छुक छुक - छुक - छुक - छुक
बीच वाले स्टेशन बोले , रुक - रुक - रुक - रुक , रुक - रुक - रुक - रुक
" पुल पगडंडी , टीले पे झंडी ,
पानी का कुंड , पंछी का झुंड।
झोंपड़ी - झाड़ी , खेती - बाड़ी ,
बादल धुआँ , मोठ कुआँ।
कुएँ के पीछे , बाग बगीचे ,
धोबी का घाट , मंगल की हाट।
गाँव में मेला , भीड़ झमेला ,
टूटी दीवार , टट्टू सवार
रेलगाड़ी , छुक - छुक छुक - छुक छुक - छुक - छुक - छुक
बीच वाले स्टेशन बोले , रुक - रुक - रुक - रुक , रुक - रुक - रुक - रुक
– हरेंद्रनाथ चट्टोपाध्याय की कविता के कुछ अंश
तो कैसी लगी यह कविता !
- क्या तुम रेलगाड़ी में बैठे हो ? कब - कब ?
- क्या रेलगाड़ी कहीं भी चल सकती है ? क्यों ?
- इस कविता में ' लोहे की सड़क ' किसको कहा गया है ?
- कविता में रेलगाड़ी कहाँ - कहाँ से होकर गई है ? सूची बनाओ।
- तुम किस - किस वाहन पर बैठे हो ? उनके नाम अपनी कॉपी में लिखो।
आओ , तुम्हें कुछ बच्चों से मिलवाएँ और पता करें कि उन्होंने अपनी छुट्टियाँ कैसे बिताईं।
मैं चाचाजी के पास दिल्ली गई थी। रेलवे स्टेशन से उनके घर पहले तो से जाते थे , पर इस बार तो मज़ा आ गया। हम में बैठ कर ज़मीन के नीचे सुरंग से होते हुए गए। सुरंग में जाते हुए अहसास ही नहीं हुआ कि ऊपर सरपट भाग रहीं होंगी।
मेरी तो बुआ की शादी थी। इतने सारे रिश्तेदार मिले। खूब खाया , पिया और खेले। बड़े भैया भी अमेरिका से आए थे । में बैठकर। सोचो तो अजीब लगता है – इतनी दूर से आए , पर एक ही दिन में पहुँच गए। दुल्हन बनी बुआ को जब में ले जा रहे थे , वह बहुत सुंदर लग रहीं थी।
मैं अपनी नानी के घर केरल गई थी। वे जहाँ रहती हैं , आस पास पानी ही पानी है। उनके घर जाने के लिए घूम कर जाते तो स्टेशन से ले सकते थे। पर हम सीधे में गए। कुछ अजीब लगा पर अच्छा भी !
हम लोग छुट्टियों में शिमला घूमने गए। ऊँचे - ऊँचे पहाड़ों पर जब टेढ़े - मेढ़े रास्तों से होकर चलती है , तब नीचे देखकर बहुत डर लगता है। शिमला में हमें बहुत पैदल चलना पड़ा। मेरी दादी तो जल्दी ही थक जाती थी। हम उन्हें पर बिठा देते थे। मैं तो मज़े से पैदल चलता था। थकता भी नहीं था।
मेरी खाला तो मेरे घर के पास ही रहती है। जब भी खाला के पास जाने का मन करता है , मैं झट अपनी उठाती हूँ और पहुँच जाती हूँ उनके पास। माँ और छोटू तो पर बैठकर नानी के घर जाते हैं।
इन छुट्टियों में मैं अपने मामाजी के गाँव गया था। उनके गाँव तक तो कोई बस ही नहीं जाती। हम लोग रेलवे स्टेशन से में बैठकर लहलहाते खेतों के बीच में से होकर गाँव तक गए। मुझे तो बैलों के गले में बंधी घंटियों की आवाज़ सुनना बहुत अच्छा लगा।
जानवरों की देखभाल तथा उनके प्रति जुड़ाव को कक्षा में चर्चा करके बढ़ाएँ।
- बच्चों ने किन - किन वाहनों के नाम लिए ?
- नीचे लिखी जगहों पर अपने घर से कैसे जाना चाहोगे ? वाहन का नाम डिब्बे में लिखो।
घर → बाजार
घर → स्कूल
घर → मित्र के घर
घर → पहाड़ पर किसी
घर → नानी के घर
घर → नदी पार
घर → समुद्र पार
- यात्रा में तुम खुद को सुरक्षित कैसे रखते हो ?
बच्चों ने कई वाहनों को या तो वास्तव में या किताबों , फ़िल्मों आदि में देखा होगा। ये सभी अनुभव बच्चों से चर्चा करने में मदद कर सकते हैं। उनके संदर्भ के अनुसार गतिविधि कराएँ जिससे कि सफ़र के दौरान वे अपनी सुरक्षा सुनिश्चित कर पाएँ। जैसे कि , शहरी क्षेत्र के बच्चों को सड़क सुरक्षा व यातायात के नियमों से परिचित कराया जा सकता है।
कुछ वाहनों के चित्र बने हैं। चित्र के सामने उनके नाम तथा वे किस काम आते हैं लिखो। खाली जगह में अन्य वाहनों के चित्र बनाओ। उनके नाम और काम भी लिखो। क्या ये सभी वाहन केवल हमारे आने - जाने के काम आते हैं ?
वाहन | काम |
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वाहन | काम |
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नीचे दिए चित्र में कुछ वाहनों के नाम लिखे हैं। तुम्हें हर वाहन को एक तरफ़ उसके पहिए की संख्या से जोड़ना है। दूसरी तरफ़ उसी वाहन को वह जिससे चलता है , उससे जोड़ना है।
बस , बैलगाड़ी , ठेला , स्कूटर , रिक्शा , कार , मेट्रो रेल , रेलगाड़ी , नाव , ट्रक , साइकिल मोटर साइकिल ,
बड़ों से पूछ कर पता लगाओ – आज से पचास साल पहले लोग कैसे आते - जाते थे ? क्या तब भी यही सब साधन थे ?
क्या तुम अनुमान लगा सकते हो कि बीस साल बाद लोग आने - जाने के लिए किस - किस तरह के वाहन का प्रयोग करेंगे ? अपने घर के लोगों और दोस्तों से पूछ कर दी गई तालिका भरो।
किससे पूछा | क्या कहा |
स्वयं से मैं |
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दोस्त |
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चाचा |
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शिक्षिका |
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बड़ों से प्राप्त जानकारी पर आधारित चर्चा बच्चों को वाहनों में आए बदलावों को समझने में सहायता करेगी। किताब में बुर्जुर्गों – नाना - नानी , दादा - दादी से इसीलिए बार - बार पूछने को कहा गया है ताकि उस समय के और अभी के बीच के अंतर को बच्चे पहचान सकें।
तुम्हारी अपनी रेलगाड़ी
दिए गए चित्र की मदद लेकर माचिस से रेलगाड़ी बनाओ।
अगर कोई छुक - छुक की आवाज़ करे तो तुम झटपट पहचान ही जाते हो कि वे रेलगाड़ी के लिए कह रहें हैं।
क्या तुम इन आवाज़ों से वाहन को पहचान सकते हो ? लिखो।
छुक - छुक | रेलगाड़ी |
पौं - पौं |
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घर - घरं |
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पी - पी |
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टप - टप |
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ट्रिन - ट्रिन |
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- यह तो थी एक - एक वाहन की आवाज़। जब सड़क पर एक साथ कई वाहन आवाजें करते हुए चलते हैं , तो कैसा लगता है ? मचता है न कितना शोर !
- तुमने सबसे ज़्यादा शोर कहाँ सुना है ?
- क्या तुम्हें इतना शोर अच्छा लगता है ? क्यों ?
रेलगाड़ी का मॉडल बनाने के लिए माचिस के अलावा टिन के डिब्बे भी इस्तेमाल में लाए जा सकते हैं और पहिए बोतल के ढक्कन या बटन से भी बनाए जा सकते हैं।
- चित्र में तुम्हें क्या - क्या दिखाई दे रहा है ?
- तुम्हें कौन - कौन से वाहन दिखाई दे रहे हैं ?
- ये वाहन क्या - क्या काम कर रहे हैं ?
चित्र की मदद से आपातकालीन स्थितियों पर चर्चा की शुरुआत की जा सकती है।
ऊपर के खानों को देखकर नीचे उन्हें क्रम से बनाओ और रंग भरो। देखो क्या बनता है ! उसका नाम भी लिखो।