Table of Contents
17 चिट्ठी आई है
मैं हूँ एक चिट्ठी। कागज़ कलम से लिखी चिट्ठी , जो रीना ने अपने दोस्त अहमद को लिखी। मुझे पत्र - पेटी में डाला। डाकिए ने मुझे निकाला और निकालकर एक बड़े से थैले में डाला। मैं हो गई डाकिए की साइकिल पर सवार और पहुँची डाकघर। वहाँ मुझे थैले से निकाला और निकालकर एक ज़ोर का ठप्पा लगाया। ठप्पा था अगरतला का , जहाँ से मेरा सफर शुरू हुआ।
ठप्पे के बाद पहुंची मैं दूसरे बड़े थैले में। इसमें थीं अनेकों चिट्ठियाँ जो जा रही थीं दिल्ली। डाकघर की लाल गाड़ी से पहुंची मैं रेलवे स्टेशन। वहाँ मैं चढ़ी दिल्ली जानेवाली रेलगाड़ी में।
पाँच - छ : दिन के लंबे सफ़र के बाद मैं दिल्ली पहुँची। वहाँ के डाकघर के पते के अनुसार फिर से हुई मेरी छंटाई और फिर लगा ठप्पा। इसके बाद डाकिए ने मुझे पहुँचा दिया अहमद के घर।
नीचे रीना की चिट्ठी का सफ़र चित्रों में दिया गया है। पर ये क्या ! सारे आगे - पीछे हो गए हैं। क्रम के अनुसार चित्रों में बने गोलों में नंबर डालो।
एक चिट्ठी रीना ने अहमद को लिखी। अब एक चिट्ठी तुम अपनी कक्षा में किसी दोस्त को लिखो। चिट्ठी के ऊपर दोस्त का नाम ज़रूर लिखना।
सबने चिट्ठी लिख दी , पर डालेंगे किस में ?
चलो कक्षा के लिए एक पत्र - पेटी बनाएँ —
- एक जूते का खाली डिब्बा लो।
- डिब्बे पर लाल रंग करो या लाल कागज़ चिपका दो।
- अब डिब्बे के ढक्कन को कैंची से इतना काटो कि चिट्ठी अंदर जा सके।
लो हो गई तैयार पत्र - पेटी।
तुम सब अपनी - अपनी चिट्ठी इसके अंदर डाल दो और इंतज़ार करो अपनी - अपनी चिट्ठियों का।
अब एक बच्चा डाकिया बने। वह पत्र - पेटी से चिट्ठियाँ निकाले और सब बच्चों को बाँटे।
अच्छा लगा दोस्त की चिट्ठी पढ़कर ?
जैसे तुमने अपने दोस्त को चिट्ठी लिखी वैसे ही तुम्हारे घर पर भी रिश्तेदार और दोस्त चिट्ठियाँ भेजते होंगे। तुम घर से कुछ चिट्ठियाँ लाओ और देखो। देखा कितनी अलग - अलग प्रकार की चिट्ठियाँ होती हैं।
- तुम्हें इन चिट्ठियों में क्या अंतर दिखाई दिया ?
- किन - किन चिट्ठियों पर टिकट लगे हैं ?
- क्या सभी टिकट एक जैसे हैं ? उनमें क्या - क्या अंतर हैं ?
- क्या तुमने चिट्ठियों पर डाकघर का ठप्पा लगा देखा है ?
कक्षा में ही अपने मित्र को चिट्ठी लिखकर कुछ बताने में बच्चों को मज़ा आएगा तथा यह उन्हें पत्र - लेखन के लिए भी प्रोत्साहित करेगा। असली चिट्ठियाँ देखकर बच्चे बेहतर ढंग से समझ पाएँगे। पेज 110 पर दिए चित्र में महिला को डाकघर में कार्य करते दिखाया है। लिंग - भेद के ऊपर खुलकर चर्चा करवाएँ।
कुछ अलग - अलग तरह के टिकट इकट्ठे करके नीचे चिपकाओ।
तुम्हारी चिट्ठी तुम्हारे दोस्त के पास कैसे पहुँची ? क्योंकि लिखा था उस पर उसका नाम , उसका पता।
दिए गए पोस्टकार्ड पर तुम अपना पता लिखो।
रीना की चिट्ठी तो रेलगाड़ी से दिल्ली पहुँच गई , पर जब रेलगाड़ियाँ नहीं थीं तो दूर जगहों पर चिट्ठियाँ कैसे पहुँचती थीं ?
डाकघर की सैर
अगर स्कूल या घर के पास डाकघर हो तो वहाँ जाकर देखो कि चिट्ठियाँ कैसे आती - जाती हैं।
- वहाँ क्या - क्या चीजें हैं ?
- उनकी क्या कीमत है ?
- रीना ने जो पोस्टकार्ड उपयोग किया है , क्या तुम उससे भारत के बाहर अपने दोस्त को सन्देश भेज सकते हो ?
- डाकघर में अन्य क्या - क्या काम होते हैं ?
पुराने जमाने में चिट्ठियाँ कैसे पहुँचती थीं। बच्चों को बुजुर्गों से पता करने को कहें। पोस्टकार्ड पर पता लिखने में बच्चों को मदद की ज़रूरत पड़ सकती है।
पुराने जमाने के बारे में पता करने का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत बुजुर्ग हैं। यह समझने से बच्चे बुजुर्गों से बात करने के लिए प्रेरित होंगे।
ये क्या ! रज़िया और उसकी आपा चिट्ठी को लेकर क्या बातें कर रहे हैं ? रज़िया और आपा निकल पड़ी फ़ोन करने गाँव की एक दुकान पर। आपा ने फ़ोन का नंबर लगाया। दोनों ने नानी से बातें की। दुकानदार को पैसे दिए और खुशी - खुशी घर लौट आई।
- तुमने फ़ोन कहाँ - कहाँ देखा है ?
- तुम फ़ोन पर किस - किस से बात करते हो ?
- तुम्हें चिट्ठी लिखना या फ़ोन करना – दोनों में से क्या ज़्यादा अच्छा लगता है ?
जेंडर - भेद पर बातचीत करवाएँ तथा इनसे जुड़े मुद्दों पर चर्चा करें जैसे टैक्नोलॉजी , विभिन्न व्यवसाय से जुड़े जेंडर - भेद।
* फ़ोन भी अलग - अलग तरह के होते हैं। तुमने जो फ़ोन देखे हैं उनका चित्र बनाओ।
- इन टेलीफोन से क्या - क्या काम हो सकते हैं।
अपना फ़ोन बनाओ
इसके लिए चाहिए दो माचिस की खाली डिब्बियाँ या आइसक्रीम के कप और धागा। दोनों माचिस की डिब्बियों में छेद करो। एक डिब्बी के छेद में से धागा निकालकर गाँठ बाँध दो। धागे का दूसरा सिरा दूसरी डिब्बी के छेद में से निकालकर गाँठ बाँधो। बन गया तुम्हारा अपना फ़ोन। अपने एक दोस्त को फ़ोन का एक सिरा कान में लगाने को कहो और दूसरा तुम अपने मुँह पर रखो। ध्यान रहे कि धागा खिंचा रहे कहीं छुए न। शुरू करो अपनी बातें।
- तुम अपने लिए एक फोन डिज़ाइन करो / इसकी खास बातें बताओ। हमने चिट्ठी भी लिखी , फ़ोन भी किया। बताओ कि चिट्ठी और फ़ोन में कौन - सी बातें एक जैसी हैं और कौन - सी अलग ?
- यदि डाकघर न हो तो सन्देश पहुँचाने के और कौन - कौन से तरीके हैं।
बच्चों को अपने रचनात्मक विचारों को प्रस्तुत , चित्रित व व्यक्त करने दें। स्थानीय परिवेश को देखते हुए बच्चों से संचार के अन्य माध्यम जैसे मोबाइल फोन , ई - मेल , फैक्स आदि पर भी बात की जा सकती है। बच्चों को बड़ों से संचार सेवा में आए बदलावों को जानने के लिए प्रेरित करें। वेबलिंक का प्रयोग कर सकते हैं।
https://www.indiapost.gov.in/MBE/Pages/Content/
Mail.Product.aspx