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24 जीवन का जाल
अब तक तुमने करीब-करीब यह पूरी किताब पढ़ ली होगी। तुमने पेड़-पौधों , जानवरों , पानी , घर , वाहनों तथा और भी कई चीजों के बारे में पढ़ा और सोचा। क्या
तुम बता सकते हो कि हमने इन चीजों के बारे में कुछ जानने और सोचने की कोशिश क्यों की ?
- चित्र में दिखाई चीज़ों से हमारा क्या नाता है ? चलो पता लगाएँ —
- सबसे पहले दी गई खाली जगह में अपना चित्र बनाओ।
- अब अपने चित्र से एक लाइन खींचकर उन चीज़ों से जोड़ो जो तुम्हें अपने जीने के लिए बहुत ज़रूरी लगती हैं।
- क्या तुमने खुद को ' घर ' से जोड़ा है ?
- देखें , घर किन-किन चीज़ों से जुड़ता है। पहले सोचो — घर किन चीज़ों से बनता है ?
- लकड़ी — जो पेड़ से मिलती है।
- ईंट — जो पानी और मिट्टी से बनती है।
- मिट्टी — हमें ज़मीन से मिलती है।
- पानी — हमें नदी , तालाब , कुएँ या बारिश से मिलता है।
तुम समझ गए न , घर को किन चित्रों या शब्दों से जोड़ना है ?
अब इसी तरह एक-एक करके सभी चीज़ों को दूसरी चीज़ों से जोड़ो। यह सब करने में हो सकता है तुम्हें कुछ और चीजों के नाम लिखने की ज़रूरत पड़े।
इतना सब करने पर क्या बना ? बन गया न एक बड़ा-सा जाल!
यह जाल देखकर तुम क्या समझे ?
तुमने जो जाल बनाया है उसे अपने दोस्तों को दिखाओ और उनका बनाया हुआ जाल भी देखो। क्या सब एक जैसे हैं ? साथियों के साथ इस पर चर्चा भी करो।
बच्चों द्वारा बनाया जाल उनके परिवेश में मिलने वाली चीज़ों की परस्पर निर्भरता की समझ को दर्शाता है। कक्षा में इस विषय पर चर्चा करने से उन्हें जाल बनाने में मदद मिलेगी।