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इन चित्रों में छिपी है कहानी !
बच्चों को बताएँ कि यह चित्र महाराष्ट्र की वरली शैली में है। चित्र की बारीकियों पर ध्यान दिलाते हुए बच्चों से चर्चा करें।
सुनाओ अपनी - अपनी कहानी !
3. चाँद वाली अम्मा
तुम शरारत तो करती ही होगी ? कौन - कौन सी शरारत करती हो ?
इन चीजों का इस्तेमाल तुम कोई शरारत करने के लिए कैसे करोगी ?
झाडू , पंख , कागज़ , गुब्बारा
बहुत समय पहले की बात है। एक बूढी अम्मा थी। बिल्कुल अकेली ! उसका अपना कोई न था। घर का कामकाज उसे खुद ही करना पड़ता। सुबह उठकर कुएँ से पानी लाना , खाना बनाना आदि। उसके साथ एक परेशानी थी। वह रोज़ सुबह उठकर जब घर में झाडू लगाती तब तक
तो सब ठीक रहता पर जैसे ही वह आँगन में जाती और झाडू लगाने के लिए झुकती , तभी आसमान आकर उसकी कमर से टकराता।
अम्मा उसे घूरकर देखती तो वह थोड़ा हट जाता। फिर वह जैसे ही दुबारा झुकती , आसमान फिर अपनी हरकत दोहराता।
एक दिन , दो दिन , तीन दिन। लगातार यही क्रम चलता रहा। अम्मा झाडू लगाए और आसमान उसे तंग करे।
एक दिन कुएँ पर पानी भरने को लेकर अम्मा का किसी और से झगड़ा हो गया। अम्मा ज़रा गुस्से में थी। वह झाडू उठाकर आँगन में गई और जैसे ही झुकी , आसमान ने अपनी आदत के अनुसार उसे फिर छेड़ा।
अम्मा ने आव देखा न ताव और कसकर एक झाडू आसमान को दे मारी। आसमान झट हट गया। पर वह भी अपनी आदत से मजबूर था। दूसरी बार फिर अम्मा के झुकते ही टक्कर मारने लगा। अम्मा ने फिर पूरी ताकत से उस पर वार किया।
आसमान को शरारत सूझी। इस बार उसने झाडू पकड़ ली। उधर अम्मा भी झाडू पकड़े थी। रस्साकशी शुरू हो गई। झाडू का ऊपर वाला हिस्सा आसमान पकड़े हुए था तो नीचे वाला अम्मा , दोनों छोड़ने को तैयार नहीं थे। अम्मा चिल्लाई – छोड़ मेरा झाडू ! मेरे पास एक यही झाडू है।
तब भी आसमान ने नहीं छोड़ा। बूढ़ी अम्मा कब तक रस्साकशी करती ...... थक गई।
आसमान ने झाडू खींचना नहीं छोड़ा। अब वह झाडू के साथ ऊपर उठने लगा। उसके साथ - साथ झाडू पकड़े हुए अम्मा भी ऊपर जाने लगी। वह चिल्लाई —
मुझे नीचे छोड़ दे !
आसमान ने कहा —
अम्मा , अब मैं तुम्हें नहीं छोडूंगा। ले चलूँगा ऊपर। वहीं झाडू लगाना।
अम्मा अब झाडू नहीं छोड़ सकती थी , क्योंकि वह बहुत ऊपर पहुँच चुकी थी। तभी उसे वहाँ चाँद दिख गया। झट अम्मा ने पैर बढ़ाया और चाँद पर चढ़ गई , पर झाडू नहीं छोड़ी। आसमान को फिर शरारत सूझी। उसने सोचा – अम्मा तो चाँद पर चढ़ गई है। यदि चाँद उसकी मदद करेगा तो मैं हार जाऊँगा। इसे यहीं रहने दूँ।
ऐसा सोचकर उसने झाडू छोड़ दिया। अम्मा झाडू सहित चाँद पर रह गई। वह इतनी थक गई थी कि झाडू पकड़े - पकड़े ही चाँद पर बैठ गई। आसमान ऊपर चला गया। उस दिन से आज तक बूढ़ी अम्मा झाडू पकड़े चाँद पर बैठी है।
तारा निगम
तुम्हारी कल्पना से
- बूढी अम्मा चाँद पर क्यों चढ़ गई होगी ?
- चाँद वाली अम्मा झाडू क्यों नहीं छोड़ना चाहती थीं ?
- चित्रों को देखकर बताओ कि अम्मा के साथ कौन - कौन रहता होगा ?
- आसमान बार - बार आकर अम्मा की कमर से क्यों टकराता था ? तुम्हें क्या लगता है ?
रूठना - मनाना
जब बूढ़ी अम्मा उड़ी जा रही थी तो उन्होंने आसमान को हर तरह से मनाने की कोशिश की। बताओ , उन्होंने क्या - क्या कहा होगा ?
घबराकर
गिड़गिड़ाकर
गुस्से से
तरकीब सूझने पर
घूरना
- अम्मा उसे घूरकर देखती तो आसमान थोड़ा हट जाता। कब - कब ऐसा होता है जब तुम्हें कोई घूरकर देखता है।
जैसे : मेरा दोस्त मुझे घूरकर देखता है जब मैं उसका मज़ाक उड़ाता हूँ।
मेरे पिता _____
मेरे शिक्षक _____
मेरी बहन / मेरा भाई _____
दम लगा के हईशा
रस्साकशी के खेल में दो टोलियों के बीच में खूब खींचातानी होती है। कुछ और खेलों के नाम लिखो जिनमें दो टोलियाँ खेलती हों।
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साफ़ - सफ़ाई
- घर की सफ़ाई करने के लिए किन - किन चीजों का इस्तेमाल होता है ?
- किन - किन मौकों पर तुम्हारे घर का सारा सामान हटाकर खूब ज़ोर - शोर से सफ़ाई होती है ?
- ये मौके खास क्यों हैं ?
- सफ़ाई के काम से जुड़े हुए शब्द सोचो और लिखो। जैसे – झाड़ना।
काम कौन करता है ?
बूढ़ी अम्मा अकेली रहती थीं। उन्हें घर का सारा काम अकेले ही करना पड़ता होगा। उन कामों की सूची बनाओ जो उन्हें सुबह से शाम तक करने पड़ते होंगे। यह भी बताओ कि तुम्हारे घर में ये काम कौन - कौन करता है ?
बूढ़ी अम्मा के काम | मेरे घर में कौन करता है। |
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- तुम कौन - से काम करते हो ? अपने कामों के बारे में बताओ।
घर के काम | घर से बाहर के काम। |
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- तुम बूढ़ी अम्मा की मदद किन - किन कामों में कर सकते हो ?
कितने नाम , कितने काम ?
- इस कहानी में नाम वाले और काम वाले कई शब्द आए हैं। उन्हें छाँटकर नीचे तालिका में लिखो।
नाम वाले शब्द | काम वाले शब्द |
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तुम्हारी शरारत
- अपनी किसी शरारत के बारे में लिखो।
अरे , आसमान की शरारत तो कुछ भी नहीं ! मैंने तो एक बार
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तुम्हें चाँद में क्या दिखाई देता है ? बनाओ।
सूरज और चाँद ऊपर क्यों गए ?
बहुत समय पहले सूरज और चाँद ज़मीन पर रहते थे। पानी उनका अच्छा दोस्त था और वे अक्सर उससे मिलने आते थे। लेकिन पानी कभी उनके घर नहीं जाता था।
एक दिन सूरज ने पानी से पूछा —
तुम कभी हमसे मिलने क्यों नहीं आते ?
पानी बोला — मेरे बहुत सारे दोस्त हैं। यदि मैं तुम्हारे घर आऊँ तो वे भी। मेरे साथ आएँगे। उन सबके लिए तुम्हारे घर में जगह नहीं होगी। सूरज ने कहा — मैं एक बहुत बड़ा नया घर बनाऊँगा।
सूरज ने सचमुच एक नया घर बनाया जो बहुत बड़ा था। उसने पानी को इस नए घर में बुलाया। पानी तरह - तरह की मछलियों और उनके साथ रहने वाले दूसरे जानवरों के साथ सूरज के घर पहुचाँ।
पानी ने बाहर खड़े होकर पूछा — मैं अपने दोस्तों के साथ अंदर आ जाऊँ ? सूरज ने कहा — हाँ , हाँ , आ जाओ। पानी अंदर आया और कुछ ही देर में सूरज के घर में घुटनों तक पानी भर गया। देखते ही देखते पानी सिर तक पहुँच गया। मछलियाँ और पानी के तमाम जानवर सूरज के घर में इधर - उधर घूमने लगे। अंत में पानी इतना ऊँचा हो गया कि सूरज और चाँद को छत पर जाकर बैठना पड़ा लेकिन थोड़ी ही देर में पानी छत पर आ पहुँचा। अब सूरज और चाँद क्या करते ? कहाँ बैठते ? वे भागकर आसमान पर पहुँचे। आसमान उन्हें इतना पसंद आया कि वे वहीं रहने लगे।