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5. बहादुर बित्तो

पंजाबी लोककथा

एक किसान था। उसकी बीवी का नाम था बित्तो। एक दिन किसान ने बित्तो से कहा सुबह जब मैं खेत में हल चला रहा था तो एक शेर ने आकर कहा किसान - किसान ! अपना बैल मुझे दे दे वरना मैं तुझे खा जाऊँगा।

बित्तो ने उससे पूछा तूने क्या जवाब दिया ?

किसान अपनी बीवी से बात कर रहा है।


किसान ने कहा मैंने कहा , तू यहीं रुक , मैं घर जाकर अपनी गाय ले आता हूँ। अगर तू बैल खा लेगा तो हम लोग भूखों मर जाएँगे।

यह सुनकर बित्तो को बहुत गुस्सा आया। उसने किसान को फटकारा घर की गाय शेर को खिलाते तुझे शर्म नहीं आती ? अगर गाय चली गई तो घर में न दूध , न लस्सी। बच्चे रोटी किस चीज़ के साथ खाएँगे ?

बित्तो को एक तरकीब सूझी। उसने कहा तुम फ़ौरन खेत में जाकर शेर से कहो कि मेरी बित्तो तुम्हारे खाने के लिए एक घोड़ा लेकर आ रही है।

किसान डरता - डरता शेर के पास गया। उसने कहा शेर राजा ! हमारी गाय तो बड़ी मरियल है। उससे तुम्हारा क्या बनेगा ! मेरी बीवी अभी तुम्हारे लिए एक मोटा - ताज़ा घोड़ा लेकर आ रही है।

किसान और उसकी बीवी घोड़ा पर बैठकर शेर के पास जा रहे हैं।

बित्तो ने सिर पर एक बड़ा - सा पग्गड़ बाँधा और हाथ में दराँती लेकर घोड़े पर सवार हो गई। घोड़ा दौड़ाती वह खेत पर पहुँची और ज़ोर से चिल्लाई अरे किसान ! तू तो कहता था कि तूने चार शेरों को फाँस कर रखा है। यहाँ तो सिर्फ एक ही है। बाकी कहाँ गए ? फिर वह घोड़े से उतरकर शेर की तरफ़ बढ़ी और कहने लगी अच्छा , कोई बात नहीं , नाश्ते में एक ही शेर काफ़ी है।

इतना सुनना था कि शेर डर के मारे काँपने लगा और भाग खड़ा हुआ।

यह देखकर बित्तो बोली देखा , इसे कहते हैं हिम्मत ! तुम तो इतने डरपोक हो कि घर की गाय शेर के हवाले कर रहे थे।

उधर मारे भूख के शेर की आँतें छटपटा रही थीं। एक भेडिए ने पूछा महाराज , क्या मामला है ? आप आज बहुत उदास दिखाई दे रहे हैं !

शेर ने कहा कुछ न पूछो , आज मुश्किल से जान बची है। आज एक ऐसी राक्षसी से पाला पड़ गया जो रोज़ सुबह चार शेरों का नाश्ता करती है।

यह सुनकर भेड़िया बहुत हँसा। वह सुबह झाड़ी में छिपकर सारा तमाशा देख रहा था। उसने कहा भोले बादशाह ! वह तो बित्तो थी , जिसे आपने राक्षसी समझ लिया था। आप इस बार फिर कोशिश करके देखिए। अगर बैल आपके हाथ न आए तो मेरा नाम भेड़िया नहीं।

बहुत कहने - सुनने पर शेर किसान के खेत में जाने के लिए तैयार हो गया। लेकिन उसने भेड़िए से कहा तुम अपनी पूंछ मेरी पूँछ से बाँध लो।


दोनों जने पू ँछ बाँधकर चल पड़े। उन्हें देखते ही किसान के होश - हवास गुम हो गए। वह डर से थर - थर काँपने लगा। लेकिन बित्तो बिल्कुल नहीं घबराई। भेड़िए के पास जाकर उसने कहा क्यों रे भेड़िए , तू तो अभी वादा करके गया था कि तू अपनी पूँछ से चार शेर बाँधकर लाएगा ! लेकिन तू तो सिर्फ एक ही शेर लाया है ! वह भी मरियल - सा ! भला इसे खाकर मेरी भूख मिट सकती है ? खैर , इस वक्त यही सही। इतना कहकर बित्तो आगे बढ़ी।

शेर के होश - हवास उड़ गए। उसने समझा कि भेड़िए ने उसके साथ धोखा किया है। वह फ़ौरन वहाँ से भागा। भेड़िया बहुत चीखा - चिल्लाया , लेकिन शेर ने एक न सुनी। तेज़ी से भागता चला गया।

किसान और बित्तो आराम से रहने लगे। उन्हें मालूम था कि अब शेर उनके खेत की तरफ़ फिर कभी नहीं आएगा।

किसान की बीवी के हाथ में खुरपी  है और भेड़िया और शेर भाग रहे हैं।

कहानी में ढूँढ़ो

  • शेर किसान से क्या लेने गया था ?
  • शेर ने बित्तो को राक्षसी क्यों समझ लिया ?
  • बैल की जान कैसे बच गई ?

तुम्हारी ज़बानी

नीचे कुछ शब्दों के नीचे रेखा खिंची हुई है। उन्हें ध्यान में रखते हुए नीचे लिखे वाक्यों को अपने शब्दों में लिखो।

  • बित्तो घोड़े पर सवार हो गई।  
  • तुम घर की गाय को शेर के हवाले कर रहे थे।  
  • आज एक राक्षसी से पाला पड़ गया।  
  • अगर बैल आपके हाथ न आए  तो मेरा नाम भेड़िया नहीं।
  • शेर को देखते ही किसान के होश - हवास गुम हो गए।  

बेचारा भेड़िया !

  • शेर तो डर कर भाग गया। सोचो तो भेड़िए का क्या हुआ होगा ?
  • शेर किसान के पास कितनी बार गया था ? कहानी देखे बिना बताओ।


खाली जगह में क्या आएगा ?

  • मेरी छत पर मोर  आया।
  • मेरी छत पर मोरनी  आई।

मोर - मोरनी की तरह नीचे लिखे शब्दों के भी रूप बदलो।

औरत _____  

घोड़ा _____

शेर _____

मछुआरा _____

बच्चा _____

राजा _____

मैं नहीं जाऊँगा !

शेर ने बित्तो को राक्षसी समझ लिया। वह खेत में नहीं जाना चाहता था पर भेड़िए के समझाने पर वह राजी हो गया। सोचो , शेर और भेड़िए के बीच क्या बातचीत हुई होगी ?

शेर भेड़िए , तुम क्यों हँस रहे हो ?

भेड़िया महाराज , वह तो _____

शेर नहीं नहीं। वह सचमुच राक्षसी थी।

भेड़िया मैंने अपनी आँखों से देखा है महाराज। वह _____ शेर _____ भेड़िया _____

शेर  — ठीक है _____


बोलो , तुम क्या सोचती हो !

  • भेड़िए ने शेर को भोले महाराज क्यों कहा ? क्या शेर सचमुच भोला था ?
  • शेर ने भेड़िए की पूँछ के साथ अपनी पूँछ क्यों बाँध ली ?
  • क्या शेर फिर कभी बित्तो के खेत की तरफ़ गया होगा ? हाँ , तो क्यों ? नहीं , तो क्यों ?
  • बित्तो की हिम्मत तुम्हें कैसी लगी ? अगर तुम बित्तो की जगह होती तो शेर से कैसे निपटतीं ?

राज का राज़

शेर जंगल पर राज करता था।

मेरा राज़ किसी से न कहना।

राज और राज़ को बोलकर देखो। दोनों के बोलने में फ़र्क है न ?

  • कहानी में से ऐसे ही ज़ पर लगे नुक्ते वाले शब्द ढूँढो।

_____        ____        _____       

  • अब अपने मन से सोचकर ज़ पर लगे नुक्ते वाले पाँच शब्द लिखो।

_____        ____        _____       

अगर ऐसा होता तो

  • अगर तुम शेर की जगह होतीं तो क्या करती ?
  • अगर तुम बित्तो की जगह होतीं तो शेर से कैसे निपटतीं ?


पहचानो तो

  • कहानी में तुमने दराँती का चित्र देखा। नीचे ऐसे ही कुछ और औज़ारों के चित्र दिए गए हैं। उन्हें पहचानो और बॉक्स में दिए शब्दों में से सही शब्द ढूँढकर लिखो।

पेचकस ,   खुरपी ,   करनी ,   हथौड़ी ,   आरी

औज़ार जो कील ठोंकने के काम आता है।

औज़ार जो पेच कसने के काम आता है।

औज़ार जिससे मिट्टी खोदी जाती है।

औज़ार जिसका लकड़ी का हैन्डल है और आगे से पान के पत्ते के आकार का है।

औज़ार जो लकड़ी काटने के काम आता है।


वरना...

  • शेर ने किसान से कहा अपना बैल मुझे दे दो वरना  मैं तुझे खा जाऊँगा। वरना शब्द का इस्तेमाल करते हुए तुम भी तीन वाक्य बनाओ।

_____

_____

_____

हम किसी से कम नहीं

  • कई जगहों पर गाँवों में औरतें खेतों में भी काम करती हैं। तुम्हारे आसपास की औरतें और लड़कियाँ क्या - क्या काम करती हैं ?

शेर और घोड़ा

शेर और घोड़े में कई अंतर होते हैं।

ध्यान से सोचकर नीचे लिखो।

शेर

घोड़ा

खाना

घर

रंग

आदतें


कौन क्या है ?

  • नीचे दिए गए शब्दों को सही तालिका में लिखो।

किसान , बोतल , लता , कक्कू , केला , कलम , राजू , रानू , चूहा , नीना , शेर , जूता , चारपाई , पगड़ी , खरगोश , करेला , छलनी , बित्तो , घोड़ा , गौरैया , बाल्टी , पीपल , कोयल , नीम , किताब , दराँती  

जानवर

चीजें

नाम


नागा लोककथा

मूस की मजदूरी

आदमी धान काट रहा है और मूस खा रहा है।

बहुत समय पहले की बात है। उस समय आदमी के पास धान नहीं था। सबसे पहले आदमी ने धान का पौधा एक पोखरी के बीच में देखा। धान की बालियाँ झूम - झूमकर जैसे आदमी को बुला रही थीं। पर गहरे पानी के कारण धान तक पहुँचना कठिन था।

आदमी सोचता हुआ खड़ा ही था कि वहीं पर एक मूस दिखलाई पड़ा। आदमी ने मूस को पास बुलाया और कहा

मूस भाई , पोखरी के बीच में देखो उन धान की प्यारी बालियों को , झूम - झूम कर वे मुझे बुला रही हैं लेकिन पानी गहरा है। 

यदि तुम उन्हें हमारे लिए ला दो , तो हम तुम्हें मेहनताने का हिस्सा दे देंगे।

मूस को भला क्या एतराज़ था ! वह सरसर तैर गया और बालियों को दाँतों से कुतर - कुतर कर किनारे पर लाने लगा। थोड़ी ही देर में किनारे पर धान की बालियों का ढेर बन गया।

तब आदमी ने प्रसन्न होकर कहा मूस भाई , अब इसमें से अपनी मज़दूरी का हिस्सा तुम स्वयं ले लो।

मूस धान खा रहा है।

पर मूस ने कहा भाई मेरे , मैं ठहरा छोटा जीव। मेरा सिर भी है छोटा। अपना हिस्सा इस छोटे से सिर पर ढोकर कैसे ले जाऊँगा ? इसलिए अच्छा तो यह होगा कि तुम यह पूरा धान अपने घर ले जाओ और मैं तुम्हारे घर पर ही आकर अपने हिस्से का थोड़ा धान खा लिया करूँगा।

आदमी ने ऐसा ही किया और तभी से मूस आदमी के घर धान खाता चला आ रहा है।

रामनंदन