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12. जब मुझको साँप ने काटा
एक दिन मैंने अपने अहाते में एक छोटा - सा साँप रेंगते देखा। वह धीरे - धीरे रेंग रहा था। मुझको देखते ही वह भागा और वहीं पर पड़े हुए नारियल के एक खोल में घुसकर छिप गया। मैंने पत्थर का एक टुकड़ा उठाया और उससे नारियल के खोल का मुँह बंद कर दिया। उसे लेकर मैं नानी के पास दौड़ गया।
मैंने कहा — नानी , देखो , मैंने साँप पकड़ा है। नानी चीख उठीं – साँप !
वह इतना घबरा गई कि लगीं ज़ोर - ज़ोर से चीखने - पुकारने। नाना ने सुना तो अंदर दौड़े आए। जब उन्हें पता चला कि नारियल के खोल के अंदर साँप है तो उन्होंने मेरे हाथ से उसे छीनकर , दूर फेंक दिया। नन्हा साँप बाहर निकल आया और रेंगता हुआ पास की झाड़ी में गायब हो गया।
नाना ने मुझसे कहा — खबरदार , फिर कभी साँप के पास मत जाना। साँप बहुत खतरनाक होता है।
उसी दिन शाम को मैं एक बर्र को पकड़ने की कोशिश कर रहा था कि उसने काट खाया। बड़ी ज़ोर से दर्द उठा। मुझे दर्द से कराहते देखकर नानी ने सोचा कि मुझे साँप ने काट लिया है। मैंने दौड़कर नानी को उँगली दिखाई।
उन्होंने जल्दी से नाना को पुकारा।
नाना तुरंत दौड़े आए और मेरी उँगली को देखा। जहाँ बर्र ने काटा था , वहाँ नीला निशान पड़ गया था। वह चट मुझे गोद में उठाकर बाहर भागे।
बाग और धान के खेतों को पार करके भागते - भागते वह अपने घर से दूर एक छोटी - सी झोंपड़ी के सामने जाकर रुके। वहाँ पहुँचते ही उन्होंने आवाज़ लगाई।
एक बूढ़ा आदमी बाहर निकला। वह साँप के काटने का मंत्र जानता था। नाना ने उससे कहा — इस बच्चे को साँप ने काट लिया है। इसकी झाड़ - फूंक कर दो।
बूढ़ा मुझे झोंपड़ी में ले गया। उसने मेरी उँगली देखी और बोला — चुपचाप बैठो। हिलना - डुलना मत। फिर पीतल के बर्तन में पानी लाया और मेरे सामने बैठकर मंत्र पढ़ने लगा।
मैं चाहता तो बहुत था कि उस बूढ़े को बता दूं कि मुझे साँप ने नहीं , बर्र ने काटा है। पर मेरे नाना मुझे कसकर पकड़े रहे और मुझे बोलने ही नहीं दिया। जैसे ही मैं कुछ कहने को मुँह खोलता , वह डाँटकर कहते — चुप ! डर के मारे मैं चुप हो जाता। हमारे पीछे - पीछे हमारी नानी भी कई लोगों के साथ वहाँ आ पहुँची। सब लोग उदास खड़े देखते रहे।
तब तक मेरी उँगली का दर्द जा चुका था। फिर भी मुझे वहाँ ज़बरदस्ती बैठकर झाड़ - फूंक करवानी पड़ रही थी। कुछ मिनट बाद बूढ़ा आदमी उठा। उसने उसी बर्तन के पानी से मेरी उँगली धोई और मुझे पिलाया भी। उसने मुझे बोलने से मना कर दिया ताकि दवा का पूरा असर हो। फिर वह नाना से बोला — अब बच्चा खतरे से बाहर है। अच्छा हुआ , आप समय रहते मेरे पास ले आए। बड़े जहरीले साँप ने काटा था।
सब लोगों ने बूढ़े को उसके अद्भुत इलाज के लिए बहुत - बहुत धन्यवाद दिया। घर लौटने के बाद नाना ने उसके लिए बहुत - सी चीजें भेंट में भेजी।
शंकर
कहानी की बात
- नाना मुझे झाड़ - फूंक वाले आदमी के पास क्यों ले गए ?
- मैं बूढ़े आदमी को क्या बताना चाहता था ?
- जब साँप नारियल के खोल में घुस गया तो मैंने क्या किया था ? मैंने ऐसा क्यों किया होगा ?
- क्या बूढ़े आदमी ने सचमुच मेरा इलाज कर दिया था ? तुम ऐसा क्यों सोचते हो ?
- मुझे असल में साँप ने नहीं काटा था। फिर मैंने अपनी कहानी का नाम जब मुझको साँप ने काटा क्यों रखा है ? तुम इससे भी अच्छा कोई नाम सोचकर बताओ।
उई माँ
कहानी में लड़के को बर्र काट लेती है। बर्र का डंक होता है। कुछ और कीड़ों ( जंतुओं ) का नाम लिखो जो डंक मारते हैं।
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तुम्हारी बात
- मैं बूढ़े को कुछ बताना चाहता था पर बता नहीं सका। क्या तुम्हारे साथ भी कभी ऐसा हुआ है ?
- क्या तुमने कभी साँप देखा है ? तुमने साँप कहाँ देखा ? उसे देखकर तुम्हें कैसा लगा ?
- अपने घर पर पूछो कि अगर किसी को साँप काट ले तो वे क्या करेंगे ?
अब क्या करें ?
- तुम क्या करोगी अगर तुम्हें या तुम्हारे आसपास :
- किसी को बर्र काट ले ?
- किसी को चोट लग जाए ?
- किसी की आँख में कुछ पड़ जाए ?
- किसी की नाक से खून बहने लगे ?
कक्षा में इन पर बातचीत करो। हो सके तो किसी नर्स या डॉक्टर को कक्षा में आमंत्रित कर बात करो।
ज़रा सोचो तो
- नारियल के खोल जैसी और कौन - सी चीजों में साँप छिप सकता था ?
- वह खोल अहाते में कैसे पहुँचा होगा ?
घर के हिस्से
नीचे कुछ शब्द दिए गए हैं। उन शब्दों में से कुछ शब्द घर से संबंधित हैं। उन पर घेरा लगाओ।
अहाता , आँगन , बरामदा , जीना , अटारी , आला , घेर , सीढ़ी , छत , सड़क , रसोई , छज्जा , दालान , अस्तबल , रहट , नहर , पुलिया , जोहड़ , डाकघर , टाँड , कमरा , मुँडेर
क्या समझे !
नीचे लिखे वाक्यों का मतलब बताओ -
- साँप पास की झाड़ी में गायब हो गया।
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- वह चट मुझे गोद में उठाकर भागे।
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- अब बच्चा खतरे से बाहर है।
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- नाना ने उसके लिए बहुत - सी चीजें भेंट में भेजीं।
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कैसे कहा
अलग - अलग निशानों से पता चलता है कि बात कैसे कही गई होगी। अब नीचे लिखे वाक्यों में सही निशान लगाओ। अब इन्हें बोलकर देखो।
( । ) (!) ( ?)
- नानी चीख उठी साँप
- चुपचाप बैठो हिलना - डुलना मत
- साँप धीरे - धीरे रेंग रहा था
- तुम्हें यह कहानी कैसी लगी
- क्या तुम बाज़ार चलोगी
- अहा कितनी मीठी है
क्या कहोगे
तुम लड़के को क्या कहोगे ? कारण देकर बताओ।
निडर , नादान , होशियार , शरारती , डरपोक , शर्मीला ( याद रखो वह खोल में साँप लेकर भागा था। )
दो - दो बार
साँप धीरे - धीरे रेंग रहा था।
यहाँ धीरे शब्द का दो बार इस्तेमाल किया गया है। ऐसे ही और कुछ शब्द लिखो और उनसे वाक्य बनाओ।
चलते - चलते _____
पीछे - पीछे _____
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भूलभुलैया
क्या तुम जानते हो ?
- साँप अपना भोजन चबाते नहीं हैं। वे भोजन साबुत निगलते हैं।
- साँप कभी बढ़ना बंद नहीं करते।
- साँप नाक से नहीं सूंघते। सूंघने के लिए साँप जीभ का इस्तेमाल करते हैं।
- साँप के कान नहीं होते। इसलिए साँप बीन की धुन सुनकर नहीं नाच सकता। वास्तव में वह बीन बजाने वाले सपेरे से डरकर अपना फन फैला लेता है और लोग समझते हैं वह झूम रहा है।
- साँप दूध नहीं पीते। कुछ सँपेरे साँप को ज़बरदस्ती दूध पिलाते हैं पर इससे साँप मर भी सकता है। भारत में लगभग 50 तरह के साँप ज़हरीले हैं पर सिर्फ 4 साँपों के ज़हर से आदमी को खतरा होता है।
बच्चों के पत्र
कैलाश कालोनी ,
19 नवंबर 2005
प्यारी मौसी ,
नमस्ते , मौसी आप की याद आती है। जब आप नहीं होती तो मुझे रोना आता है। मौसी ज़रूर रक्षाबंधन पर आना मौसी भाई और बहन कैसी है और आप कैसी हो। हम यहाँ ठीक है लेकिन छोटे भाई को बुखार आ गया था अब तो वह ठीक है। मौसी हमारे घर कब आओगी मौसी जरूर आना हमारे घर हम पार्टी बनाएँगे ममता और रोहित पढ़ने जाते है तो उनसे कहना व ो दोनों ध्यान से पढ़े रहुल तो रोता है कहता है कि मुझे मम्मी के पास जाना है। हम किसी दिन आएंगे। मौसी में पत्र बंद करती हूँ। छोटे भाई - बहन को प्यार देना ।
आपकी बेटी ,
राधा
अरेरा कालोनी
भोपाल
10 अप्रैल 2005
आदरणीय बुआजी ,
नमस्ते ।
आशा है आप सब ठीक होगे। मेरी यहाँ परीक्षा होने वाली है। इस बार माँ ने कहा है कि गर्मी की छट्टीयों में हम सब आपके पास आ रहे हैं। मुझे आपकी बहुत याद आती है।
मुनिया दादी और राजू भैया कैसे हैं ? हम सब छुट्टियों में खूब खेलेंगे। गाँव में आम भी ढेर सारे खाएँगे। गाँव में आप सबके लिये यहाँ से क्या लाऊ ? बुआ जी जब मे आऊँगी तो आप मेरे खाने के लिए माल पुआ की तैयारी करके रखना । बाकी बाते मिलने पर करेगे ।
आपकी बेटी
महिमा