घिस - घिस

तुम्हें चाहिए : पाँच - छह कागज़ , अलग - अलग

मोम के रंग

केले का पेड़।

कैसे करना है : अलग - अलग पेड़ चुनो जैसे केला , बबूल , आम , बाँस , नारियल , जामुन। अब किसी एक पेड़ के तने पर अपना कागज़ रखो। उस पर किसी मोम रंग को ऊपर से नीचे की तरफ़ घिसो। तुम्हारे कागज़ पर उस पेड़ के तने की छाल की छाप आ गई न ! इसी तरह दूसरे पेड़ों के साथ करो। इन कागज़ों को अपनी कॉपी में चिपकाना मत भूलना

बच्चों को बताएँ कि यह चित्र बिहार की मधुबनी शैली में बना है।


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14. सबसे अच्छा पेड़

तीन भाई थे। एक दिन सुबह के समय तीनों नए घरों की तलाश में निकल पड़े। गरम - गरम धूप में वे सड़क पर चलते चले गए। थोड़ी देर में आम का एक बड़ा पेड़ आया। उसके नीचे ठंडी छाँह थी। तीनों भाई उसके नीचे आराम करने लगे।

आम के पेड़ के नीचे कुछ आदमी बैठ कर आम खा रहे हैं।

पेड़ के पके आम तोड़ - तोड़कर वे मीठा - मीठा रस चूसने लगे। बड़े भाई ने कहा भाई मुझे तो यही जगह पसंद है। आम के पेड़ से बढ़कर क्या हो सकता है ? आम कच्चे होंगे , तो हम अचार बनाएँगे। और जब वे पक जाएँगे , तो हम मीठे - मीठे आम खाएँगे। कुछ आम हम बाद में खाने के लिए सुखाकर रख लेंगे।

पहले भाई ने आम के पेड़ के नीचे एक झोपड़ी बनाई और वह वहीं ठहर गया। लेकिन उसके भाई वहाँ नहीं ठहरे , वे आगे चल पड़े। चलते - चलते उन्हें केले के कुछ पेड़ मिले। तभी आसमान से एक काला बादल गुज़रा।

टप - टप ....... पानी बरसने लगा। दोनों भाइयों ने केले का एक - एक पत्ता काट लिया , उसके साए में उन पर पानी नहीं गिरा। जरा देर में बादल चला गया। बारिश रुक गई।

बारिश में दो आदमी केले के पत्ते से अपना सर ढक कर जा रहे हैं।

दूसरे   भाई   ने   कहा  — बड़ी   भूख   लगी   है।  

मझे भी तीसरे भाई ने कहा। दोनों ने केले का एक पत्ता चीरा , उन्होंने एक - एक टुकड़े पर खाना परोसा और दोनों ने भरपेट खाना खाया। । इसके बाद एक - एक केला भी खाया।

दूसरे भाई ने कहा मैं तो यहीं घर बनाऊँगा। केले के पेड़ से अच्छा क्या होगा , बढ़िया केले खाने को मिलेंगे। उनकी सब्जी बनाएँगे। कुछ केले हम बेच देंगे। उनके पैसे से हम चावल खरीद लेंगे और केले के पत्ते भी काम आएँगे।

इसीलिए   दूसरे   भाई   ने   वहीं   अपनी   झोंपड़ी   बना   ली।  

मगर तीसरा भाई आगे बढ़ता चला गया। चलते - चलते उसे नारियल का एक पेड़ मिला। पेड़ बड़ा लंबा और पतला था। तीसरे भाई ने कहा कैसी प्यास लगी है !

एक आदमी नदी किनारे नारियल के पेड़ के नीचे बैठा है।

टप ... एक नारियल ज़मीन पर टपक पड़ा। तीसरे भाई ने अपना चाकू निकाला। खर - खर  नारियल की जटाएँ साफ़ हो गईं। फिर उसने नारियल के छिलके में छोटा - सा छेद किया और उसका ठंडा - मीठा पानी पीया। नारियल के पेड़ की छोटी - सी छाँह !

तीसरा भाई उसी छाँह में बैठ गया और सोचने लगा

आम का पेड़ बहुत बढ़िया होता है और आम भी बड़ा अच्छा फल है। केले का पेड़ बड़े काम का होता है और केला खाने में अच्छा होता है।

पेड़ नीम का भी अच्छा है। उसकी दातुन बड़ी अच्छी रहती है। घर में कोई बीमार हो , तो लोग नीम की टहनियाँ दरवाज़े पर लटका देते हैं। मेरे पास नीम का पेड़ हो , तो मैं उसकी टहनियाँ बेच सकता हूँ और पेड़ मुझे ठंडी छाँह भी देगा और अगर कहीं मेरे पास रबड़ का पेड़ होता , तो मैं अपना चाकू निकाल कर पेड़ की छाल में एक लंबा चीरा लगा देता। चीरे के तले में एक प्याला रख देता। पेड़ के दूधिया रस को मैं प्याले में भर लेता। रस को पकाकर मैं रबड़ बना लेता। रबड़ मैं बेच देता। रबड़ से लोग गुब्बारे , टायर और तरह - तरह की चीजें बना लेते।

अच्छे पेड़ों की क्या कमी है ! नारियल के पेड़ की ही सोचो। नारियल की जटाओं को काटकर मैं मोटी डोरियाँ बना सकता हूँ और डोरियों से मैं मज़बूत चटाइयाँ भी बना सकता हूँ। रस्सियों और चटाइयों को मैं शहर के बाज़ार में बेच सकता हूँ। मैं नारियल का पानी पी सकता हूँ। मैं नारियल की गरी खा सकता हूँ और कुछ गरी सुखाकर मैं खोपरा भी तैयार कर सकता हूँ , खोपरे को पेरकर मैं गोले का तेल निकाल सकता हूँ। गोले का तेल साबुन और कितनी ही चीजें बनाने के काम आता है। नारियल के छिलके को साफ़ करके कटोरे और प्याले बना सकता हूँ। ठीक तो है , मेरे लिए तो यही पेड़ सबसे अच्छा है। मैं तो इसी के नीचे घर बनाऊँगा।

इसलिए तीसरे भाई ने नारियल के तले अपनी कुटिया बनाई और मज़े से रहने लगा।

तुम्हारे लिए कौन - सा पेड़ सबसे अच्छा है ?

जे . भारतदास 


जरा सोचो तो

  • तीनों   भाई   किस   मौसम   में   घर   की   तलाश   में   निकले ?
  • तुम्हें   कैसे   पता   चला ?
  • कौन - सा   महीना   होगा ?
  • घर   की   तलाश   पर   निकलने   से   पहले   वे   कहाँ   रहते   होंगे ?

कैसे चुनोगी

  • इन मौकों पर तुम किस पेड़ के पत्ते का इस्तेमाल करोगी -
  • मेहमान को खाना खिलाने के लिए _____
  • बारिश में भीगते समय छाते की तरह _____
  • सीटी बजाने के लिए _____
  • रंग बनाने के लिए _____
  • गर्मी से परेशान होकर पंखा करने के लिए  _____

क्या लगाओगी ?

तुम्हें अगर पेड़ लगाना हो तो तुम कौन - सा पेड़ लगाओगी ? तुम वही पेड़ क्यों लगाना चाहोगी ?

मैं अपने बगीचे में _____ का पेड़ लगाऊँगी क्योंकि _____


पहचानो और मिलाओ

यहाँ कुछ पत्तियों के बारे में कुछ वाक्य दिए गए हैं। वाक्यों को सही चित्र से मिलाओ। पत्ती पहचान पा रही हो तो उसका नाम भी लिख दो।

लंबी   पतली   पत्ती   जो   आगे   से   नुकीली   है।  

गोल पत्ती जो पानी में होती है।

नीचे   से   गोल   आगे   जाकर   नुकीली   हो   जाती   है।  

पत्ती  जो नीचे से गोल है और आगे जाकर नुकीली हो जाती है।

जिसके   किनारे   लहरदार   हैं।  

लंबी पतली पत्ती जो आगे से नुकीली है।

गोल   पत्ती  

पत्ती जिसके किनारे लहरदार हैं।


आओ बनें खोजू

रबड़ के पेड़ की छाल पर चीरा लगाने से दूधिया रस निकलता है। पता करो किन पेड़ों या पौधों के पत्ते को तोड़ने पर दूधिया रस निकलता है। अब पत्तों को सुखाकर चिपकाओ।

  • जिनसे दूधिया रस निकलता हो।
  •  जो चिकनी होती हों।
  •  जिन पत्तियों की नसें उभरी हुई होती हैं।

कैसे पड़े नाम ?

  हम दाँतों को मंजन से माँजते हैं। इसीलिए मंजन को मंजन कहते हैं। अब सोचो और लिखो इनके नाम ये क्यों हैं ?

दातुन _____

छलनी _____

मथनी _____

पहचानो तो

इनमें से कौन - सी चीज़ किससे बनी है ?

रबड़ ।   माला।  चटाई।

गुब्बारा।   अनाज छानने वाली ट्रे।


तुलना   करो  

सही जगह पर ( ) का निशान लगाओ।

नारियल

आम

केला    

सबसे घना

सबसे ऊँचा

चढ़ने में सबसे आसान

सबसे मोटा तना

सबसे बड़े पत्ते

सबसे मीठा फल

फल खाना सबसे आसान

कुछ और फलों के नाम लिखो।

गुठली   वाले  

बिना गुठली वाले

_____

_____

_____

_____

बताओ

  1. किन   फलों   को   छिलके   के   साथ   नहीं   खा   सकते ?
  2. कौन - से   फल   हर   मौसम   में   मिलते   हैं ?


चलो बनाएँ बधाई कार्ड

हँसता हुआ बच्चा।

ज़रूरी सामान : रंग - बिरंगी पेंसिल , शार्पनर ( छीलनी ), कार्डशीट या पोस्टकार्ड , गोंद और स्केच पैन


सूखे फूल पत्तों से बना एक डिजाइन।


अपने आसपास के पेड़ - पौधों से छोटी - छोटी फूल - पत्तियाँ इकट्ठी करो। इन्हें किसी मोटी किताब में अलग - अलग पन्नों के बीच दबाकर रख दो। एक - दो दिन बाद जब वे लगभग सूख जाएँ तो उन्हें मनचाहे कागज़ या कार्ड बनाकर उस पर चिपका दो। चिपकाने के लिए सादा पोस्टकार्ड भी ले सकते हो। स्केच पेन से जो भी संदेश तुम लिखना चाहती हो , लिख दो। ऐसे ही सुंदर - सुंदर कार्ड बनाकर अलग - अलग अवसरों पर अपने संगी - साथियों को भेजो।



बंदर का मखौटा।

बच्चों से ऐसा मुखौटा बनाने के लिए कहें। इसी प्रकार से अन्य जानवरों के मुखौटे बनाए जा सकते है। इन मुखौटों को पहनकर उनसे अभिनय करनाएँ।


फल तक कैसे पहुँचोगे ?

पेड़ पर एक फल है और उस तक पहुँचने का रास्ता पत्ते और डालियों से भरा  है।


पत्तियों का चिड़ियाघर

पेड़ों के कपड़े हैं पत्ते

पेड़ उन्हीं को पहने रहते

पेड़ों के बस्ते में होते

खेल   खिलौने   सस्ते   सस्ते।  

पत्तों   का   भी   है   संसार  

पत्तों   के   हैं   कई   प्रकार  

हर   पत्ते   का   है   आकार  

केले   बरगद   और   अनार।  

पत्तों   को   छूकर   तो   देखो  

उनसे   हाथ   मिलाओ   तुम  

हँसी - खेल   में , बातचीत   में  

उनको   मित्र   बनाओ   तुम।  

अखबारों   की   तह   के   भीतर  

उनको   नींद   सुलाओ   तुम  

अगर   नींद   से   जाग   उठे   तो  

गुन - गुन   गीत   सुनाओ   तुम।  

कुछ सूखे पत्ते पेड़ से गिरर रहे हैं। चित्र में लिखा है," पत्तियों का चिड़ियाघर"।

इन   सूखे   पत्तों   से   खेलो  

मिलकर   इन्हें   सजाओ   तुम  

ये   सारे   दिलचस्प   नमूने  

कागज़   पर   चिपकाओ   तुम।  

पीपल   पेट , पूँछ   डंडी   की  

पैर   कनेर   के , इमली   की   नाक  

हरी   घास   की   लंबी   मूँछ  

कहीं   बबूल , कहीं   पे   ढाक  

होते   हैं   बेजान     पत्ते  

उनकी   होती   खास   जुबान  

कोई   पत्ता   लगता   चेहरा  

कोई   है   चोटी   की   शान  

पेड़ों   के   पत्तों   से   बच्चो  

बनता   सुंदर   चिड़ियाघर  

सैर   करो   तुम   आज   उसी   की  

जल्दी   आओ   करो   सफ़र।  

अरविंद   गुप्ता  


नाना - नानी के नाम

लड़का और लड़की हंस रहे हैं।

उधम करूँ पर रोक न एक ,

तनिक किसी की टोक न एक।

झिलमिल करती बाग में घाम

सुबह सुनहरी चहके शाम।

गरमी की ये सभी छुट्टियाँ

नाना - नानी   जी   के   नाम।  


मामी मूर्ख बनाएँ एक ,

नानी कथा सुनाएँ एक।

दिनभर गपशप और आराम ,

मम्मी जी का बस यह काम।

गरमी की ये सभी छुट्टियाँ

नाना - नानी जी के नाम।


बूढ़ा आदमी और बूढ़ी औरत।

गरम कचौड़ी सुबह को एक ,

दूध जलेबी पहले एक।

थोड़े जामुन , ज़्यादा आम ,

काले - काले पीत ललाम।

गरमी की ये सभी छुट्टियाँ

नाना - नानी   जी   के   नाम।  

कचोड़ी और जलेबी।

चिढ़ाते रहते मामा एक

फुलस्टॉप न कॉमा एक।

मौसी करतीं प्यार तमाम ,

इन सबको मैं करूँ प्रणाम।

गरमी की ये सभी छुट्टियाँ

नाना - नानी जी के नाम।।

गोपीचंद श्रीनागर