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पाठ - 18
पानी कहीं ज्यादा,
कहीं कम
पानी कहीं ज्यादा,
कहीं कम
प्यास कैसे बुझाएँ?
नल्लामडा, आँध्र प्रदेश
सुगुणा किताब पढ़ रही थी कि तभी किसी के आने की आवाज़ आई। देखा, शहर से कोई मेहमान आए हैं। अप्पा ने उन्हें बिठाया और सेल्वा से कहा कि उनके लिए कोल्ड ड्रिंक लेकर आए। मेहमान बोले, “कोल्ड ड्रिंक तो मैं नहीं पीता। बस, एक गिलास पानी दे दीजिए।" अप्पा बोले, “हमारे यहाँ आजकल पानी ठीक नहीं आ रहा है। दिखने में भी साफ़ नहीं है। आप यह पानी न ही पीएँ तो अच्छा है। हमारी तो मज़बूरी है। हमें तो पीना ही पड़ता है।"
चर्चा करो
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गंदा पानी पीने से शरीर को क्या नुकसान हो सकता है?
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क्या कभी तुम्हारे इलाके में पीने का पानी गंदा आया है? क्या कारण था?
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क्या तुम्हारे यहाँ कभी पानी साफ़ न होने के कारण कोई बीमार हुआ है? चर्चा करो।
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सुगुणा की बस्ती में लोगों के पीने के लिए साफ़ पानी नहीं था। इसलिए मेहमान के लिए कोल्ड ड्रिंक मँगवाया गया। तुम क्या सोचते हो, सुगुणा के परिवार वाले रोज पीने के पानी के लिए क्या करते होंगे?
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मेहमान ने कोल्ड ड्रिंक पीने से मना किया। तुम्हारे अनुसार उन्होंने ऐसा क्यों किया होगा?
पानी के खेल
बाज़ार गाँव, महाराष्ट्र
बाज़ार गाँव के पास ही एक बड़ा-सा वॉटर पार्क था। एक दिन रोहन और रीना अपने मम्मी-पापा के साथ वहाँ गए। वहाँ बड़े-बड़े फव्वारे चल रहे थे। तभी रीना बोल उठी, “अरे, रोहन! देखो। यहाँ तरह-तरह के पानी के झूले हैं।" "और वहाँ देखो! कितने बड़े-बड़े तालाब!" रोहन बोला। छपाक! छपाक!! दोनों ने पीछे देखा। जूम! जूम! जूम!
बड़ी-सी फिसल-पट्टी पर से तेजी से फिसलते हुए बच्चे छपाक करके पानी में गिर रहे थे। रोहन एक बड़े से झूले में घुस गया और बस एक सेकंड में ही बहुत ऊँचाई है नीचे पानी में जा पहुँचा। रीना की तो चीख ही निकल गई।
तभी पार्क के बाहर से शोर-गुल और ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाने की आवाज़ सुनाई देने लगीं। सब बड़े गेट की तरफ़ भागे। वहाँ खाली बाल्टियाँ और घड़े लिए हुए बहुत सारे लोग खड़े थे। एक छोटा-सा बच्चा खाली बोतल पकड़े अपनी माँ के साथ चिपक कर खड़ा था। रोहन की मम्मी ने उस भीड़ में से एक औरत से पूछा, “क्या हो रहा है यहाँ?"
वह औरत तमतमा कर बोली, "बाई! तुम पूछती हो, क्या हो रहा है। हमारे कुँए सूखे पड़े हैं। हफ्ते में एक बार पीने के पानी का टैंकर आता है। आज तो वह भी नहीं आया। और यहाँ इतना सारा पानी तुम लोगों के खेल के लिए! बोलो, हम क्या करें?"
पढ़ो और लिखो
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क्या कभी तुम्हारे घर में पानी की किल्लत हुई है? कब?
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तब तुम ने क्या किया?
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क्या तुम कभी पानी में खेले हो? कब और कहाँ?
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क्या तुम्हें कभी पानी में खेलने से मना किया जाता है? क्या?
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अपने पड़ोस में क्या आपने पानी को बेकार बहते देखा है? चर्चा करो।
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'वॉटर पार्क' में खेलने के लिए पानी ही पानी था, लेकिन उस गाँव में लोगों के पीने के लिए नहीं। सोचो ऐसा क्यों?
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अगर तुम कभी 'वॉटर पार्क' में जाओ, तो पता करो कि वहाँ पानी कहाँ से आता है।
क्या इसे पी सकते हैं?
कफ़ परेड, मुंबई
लिफ्ट रुक गई, 26वीं मंजिल पर! बड़ा मज़ा आता है, दीपक को लिफ़्ट में। आज स्कूल की छुट्टी है। इसलिए वह माँ के साथ रज़िया मेम साहब के यहाँ आया है। यहाँ तो सब कुछ चकाचक, ठंडा और शांत लगता है। रजिया अखबार पढ़ रही थी। दीपक को देखा तो हँसकर पूछा, "क्यों, आज छुट्टी है क्या?" मेम साहब ने टी.वी. चला दिया और दीपक कार्टून की दुनिया में खो गया। इतने में रज़िया ने आवाज़ लगाई, “अरे, पुष्पा! अखबार में खबर है कि इस इलाके में पीने के पानी वाले पाइप में गटर का पानी मिल गया था। लिखा है, इस गंदे पानी के कारण बहुत लोग दस्त और हैजे से बीमार हैं।
कल का भरा हुआ पानी फेंक दो और पीने के लिए कुछ पतीले पानी उबाल लो। और हाँ! अपने घर के लिए भी उबला हुआ पानी ले जाना।" दीपक खुश हुआ कि चलो उसे आज घंटा-भर लाइन में खड़े होने से छुट्टी मिली।
कॉपी में लिखो
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अखबार पढ़कर रज़िया परेशान क्यों थी?
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रज़िया ने पिछले दिन का भरा हुआ सारा पानी फेंकने के लिए कहा। क्या उस पानी को किसी और काम के लिए इस्तेमाल किया जा सकता था? किस काम के लिए?
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रजिया ने पानी साफ़ करने का क्या तरीका अपनाया?
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तुम पानी साफ़ करने के कौन-कौन से तरीके जानते हो?
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अगर रज़िया अखबार में आई खबर न पढ़ती और सब बिना उबला पानी पी लेते, तो क्या होता?
चर्चा करो
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दीपक की बस्ती में पानी भरने के लिए लाइन में लगना पड़ता है, जबकि रज़िया के यहाँ दिन भर पानी आता है। ऐसा क्यों?
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रजिया को अखबार से पानी की खबर मिली। क्या तुमने कभी अखबार में पानी से जुड़ी कोई खबर पढ़ी है? क्या?
स्वयं करके चर्चा करो
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पिछले एक महीने में, अलग-अलग अखबारों में पानी से जुड़ी जो खबरें आई है, उन्हें इकट्ठा करो। इन खबरों को एक बड़े कागज़ पर चिपकाओ और इन पर चर्चा करो।
क्या तुम्हें कभी दस्त लगे हैं, उल्टियाँ हुई हैं? तब क्या हुआ था? जब दस्त लगते हैं या उल्टियाँ होती हैं, तो हमारे शरीर से बहुत सारा पानी बाहर निकल जाता है। यह शरीर के लिए हानिकारक हो सकता है। इसलिए जरूरी है कि शरीर में पानी की कमी पूरी की जाए। जब तक उल्टियाँ-दस्त हों, तब तक थोड़ी-थोड़ी देर में पानी पीते रहना चाहिए। पानी में शक्कर और नमक भी मिला लें।
आओ, नमक-शक्कर का घोल बनाएँ।
एक गिलास पीने का पानी उबालकर ठंडा करो। इसमें एक छोटा चम्मच शक्कर घोलो। चुटकी भर नमक डालो। इस घोल को चखकर देखो। इसका स्वाद हमारे आँसुओं के स्वाद से ज़्यादा नमकीन न हो।
बीमार व्यक्ति को जब भी दस्त या उल्टी हो, तब इस घोल को पिलाते रहो। साथ में हल्का भोजन ज़रूर लेते रहना चाहिए। बहुत छोटे बच्चों को माँ का दूध पिलाते रहना बहुत ज़रूरी है। बीमारी रोकने के लिए दवाइयाँ-जो घरेलू भी हो सकती हैं, लेनी चाहिऍ। अगर दस्त और उल्टी न रुके, तो डॉक्टर की सलाह लेना बहुत जरूरी है।
अपने स्कूल में पानी का सर्वे
क्लास के सभी बच्चे तीन समूहों में बँट जाएँ।
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एक समूह के बच्चे स्कूल में पीने के पानी के इंतजाम के बारे में पता करें।
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दूसरे समूह के बच्चे स्कूल में टॉयलेट के इंतजाम के बारे में जानकारी इकट्ठा करें।
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तीसरा समूह अपनी कक्षा के बच्चों को हुई बीमारियों के बारे में पता करे।
नीचे दिए गए सवाल बच्चों को जानकारी इकट्ठा करने में सहायता करेंगे।
समूह एक
देखो और लिखो—
सही जगह पर ( ✓) निशान लगाओ।
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स्कूल में पीने का पानी कहाँ से आता है?
कहीं और से ☐
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तुम स्कूल में पीने का पानी कहाँ से लेते हो?
कहीं और से ☐
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यदि नल, मटके या हैंडपंप नहीं हैं, तो पीने का पानी कहाँ से लाते हो?
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क्या सभी नलों या हैंडपंपों में पानी आता है?
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क्या इनमें से कोई नल बहता या टपकता रहता है?
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क्या सभी मटकों या बर्तनों में पानी भरा और ढंका रहता है।
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क्या मटकों या पानी के दूसरे बर्तनों की नियमित सफ़ाई की जाती है?
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पानी को पीने लायक कैसे बनाया जाता है?
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क्या मटकों या बर्तनों से पानी निकालने के लिए लंबे हैंडल वाले बर्तन है? अगर हैं तो कितने?
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क्या पानी पीने की जगह की नियमित सफ़ाई की जाती है?
सोचो और चर्चा करो
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ये जगहें गंदी क्यों हो जाती हैं?
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इन जगहों को साफ़ रखने के लिए क्या किया जा सकता है?
पता करो और कॉपी में लिखो
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मटके और उसमें से पानी निकालने वाले बर्तनों की धुलाई कितने दिनों में की जाती है? कौन करता है?
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स्कूल में कितने बच्चे हैं? कितने नल, मटके या हैंडपंप हैं? क्या वे सभी बच्चों के लिए काफ़ी है?
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इन जगहों की सफाई कौन करते हैं?
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जो पानी नीचे गिर जाता है, वह कहाँ जाता है?
समूह दो
देखो और लिखो—
सही जगह पर ( ✓) निशान लगाओ।
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स्कूल में टॉयलेट के लिए क्या इंतज़ाम है?
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पक्का टॉयलेट ☐
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खुली जगह ☐
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वहाँ कितने टॉयलेट हैं?
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क्या लड़के और लड़कियों के टॉयलेट अलग-अलग हैं? ☐ हाँ ☐ नहीं
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क्या वहाँ पानी है? ☐ हाँ ☐ नहीं
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पानी कहाँ से आता है?
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नल से ☐ हाँ ☐ नहीं
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भरी हुई टंकी से ☐ हाँ ☐ नहीं
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घर से लाना पड़ता है ☐ हाँ ☐ नहीं
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हाथ धोने के लिए पानी है क्या? ☐ हाँ ☐ नहीं
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टॉयलेट जाने के बाद क्या तुम हाथ धोते हो? ☐ हाँ ☐ नहीं
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क्या कोई नल बहता या टपकता रहता है? ☐ हाँ ☐ नहीं
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क्या टॉयलेट साफ़ रहते हैं? ☐ हाँ ☐ नहीं
पता करो और लिखो
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स्कूल में कितने लड़के और कितनी लड़कियाँ हैं?
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लड़के ☐ लड़कियाँ ☐
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लड़के और लड़कियों के लिए कितने-कितने टॉयलेट हैं?
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लड़कों के लिए ☐ लड़कियों के लिए ☐
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यदि नल नहीं है, तो टॉयलेट में पानी भरकर कौन रखता है? पानी कहाँ से लाना पड़ता है?
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इस जगह को कौन साफ़ करता है?
बताओ
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टॉयलेट को साफ़ रखने के लिए क्या-क्या किया जा सकता है?
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इसके लिए हम सब क्या कर सकते हैं?
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क्या तुमने कभी बस स्टैंड या रेलवे स्टेशन पर टॉयलेट देखा है? घर के अदर बने टॉयलेट से ये कैसे अलग होते हैं?
समूह तीन
अपनी कक्षा में बच्चों से पता करके नीचे दी गई तालिका पूरी करो। पिछले कुछ महीनों में तुम्हारी कक्षा के कितने बच्चों को नीचे लिखी हुई किसी बीमारी का सामना करना पड़ा है? उन बच्चों के नाम सही जगह पर लिखो।
क्र. म. | दस्त | उल्टी | दस्त व उल्टी एक साथ | पेशाब का रंग पीला, हल्का बुखार, ऑखों व शरीर व पीलापन | पेट दर्द |
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5. |
सर्वे से, तुमने जो जानकारी इकट्ठी की, उसके बारे में अपनी टीचर से चर्चा करो और अपने सुझाव लिखकर एक रिपोर्ट तैयार करो। इस रिपोर्ट को स्कूल की सभा में पढ़ो और नोटिस बोर्ड पर लगाओ।
अध्यापक के लिए— यहाँ केवल उन लक्षणों की बात की गई है, जिन्हें बच्चे पहचानते हैं। अगर ऐसा हैजे के कारण हुआ है, तो बीमारी के बारे में चर्चा करें। आस-पास कौन-सी बीमारियाँ हैं? जरूरी नहीं है कि सभी बच्चे इन बीमारियों के नाम जानते हो।
बच्चों ने उठाया पहला कदम
कर्नाटक के होलगुण्डी गाँव के लोगों को पानी की कमी की आदत पड़ गई थी। बारिश के दिनों में ही कुँओं में पानी रहता था। पिछले तीन सालों में बारिश की कमी से वहाँ सूखा पड़ गया। पानी था ही नहीं—न खेती के लिए, न पीने के लिए, न ही जानवरों के लिए। हार मान कर लोग मजदूरी करने शहर जाने लगे। बच्चों को भी स्कूल छोड़ कर बड़ों के साथ जाना पड़ा।
गाँव की पंचायत परेशान थी। सब लोगों ने इसके बारे में बात की। इस गाँव की पंचायत की एक बहुत खास बात है। इस पंचायत में बड़ों के साथ बच्चे भी हैं। बच्चों की इस पंचायत का नाम है— 'भीमा संघ'।
बच्चों ने बड़ों से पूछा, “क्या हमारे यहाँ हमेशा से ही पानी की दिक्कत रही है?" कुछ बड़े लोगों ने उन्हें बताया कि पहले ऐसा नहीं था। पहाड़ी के ऊपर एक टंकी थी, जिसमें बारिश का पानी भरा रहता था। उसमें मछलियाँ भी होती थीं और आस-पास बहुत हरा-भरा रहता था। तब तो गाँव के बाकी कुँओं और तालाबों में भी पानी रहता था।
'भीमा संघ' ने सोचा कि वे पहले उस टंकी को देखेंगे। देखा तो पता चला कि टंकी कीचड़-पत्थरों से भरी थी। उसमें पानी कहाँ से भरता? उसकी दीवारों में भी दरारें थीं, फिर पानी कैसे टिकता? आस-पास न कोई पौधा था, न घास ! फिर कैसे होती हरियाली?
बच्चों ने गाँव के बड़ों से टंकी को साफ़ करने की और उसके आस-पास की जगह को फिर से हरा-भरा बनाने की बात की। पानी की समस्या का हल, न केवल उसी साल, बल्कि हमेशा के लिए ही ढूँढना था।
अध्यापक के लिए— बच्चों को भारत के नक्शे में कर्नाटक ढूँढने के लिए कहें।
नयी योजना बनाने के लिए यह समझना भी जरूरी था कि पानी पहले से कम क्यों हो गया। सब कुछ पहले जैसा क्यों नहीं रहा। इन बातों को ठीक से समझने के लिए पंचायत ने शहर के कुछ लोगों की मदद भी ली। ये लोग पानी के रखरखाव के बारे में जानते थे। सब ने मिलकर योजना बनाई और एक साथ काम किया।
टंकी एक पहाड़ी पर थी। टंकी में ठहरने की बजाए पानी नीचे बह जाता था। पानी के साथ ही मिट्टी भी बह जाती थी। उन्होंने सबसे पहले टंकी को साफ़ किया। फिर उसकी दीवार की दरारों को भर कर उसे मजबूत बनाया। आस-पास नए छायादार पेड़ लगाए और पुराने पेड़ों को पानी दिया। घास भी लगाई। बच्चों ने ढलान पर जगह-जगह बाँध बनाए और फिर किया उन सबने बारिश का इंतजार।
बारिश आई और टंकी पहले की तरह ही पानी से भर गई। उन्होंने उसमें कुछ मछलियाँ भी छोड़ीं। बच्चे वहाँ की रखवाली करने लगे ताकि कोई मछली न चुरा सके और पेड़-पौधे न तोड़े।
उन्हें मेहनत का फल मिला। दो-तीन सालों में ही टंकी फिर पानी से लबालब भर गयी। उसमें पूरे साल पानी रहने लगा। आस-पास का इलाका भी घास और पेड़-पौधों से हरा-भरा हो गया। धीरे-धीरे गाँव के बाकी कुँओं और तालाबों में भी पानी भरने लगा। भीमा संघ की इस कामयाब कोशिश से अब गर्मियों में किसी को गाँव नहीं छोड़ना पड़ता।
यह सब कर दिखाया तुम्हारी उम्र के बच्चों ने-भीमा संघ ने। वे बच्चे तो अब बड़े हो गए हैं, पर भीमा संघ आज भी है। आज भी उसमें नए- नए बच्चे जुड़ते हैं और काम करते हैं।
अध्यापक के लिए— बच्चों से इस तरह के अनुभव सुनें तथा ऐसे अनुभवों को इकट्ठा करने को कहें।