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1. कैसे पहचाना चींटी ने दोस्त को?
क्या तुम्हारे साथ कभी ऐसा हुआ है?
तुम स्कूल के मैदान में बैठे खाना खा रहे हो और चील आकर फुर्ती से तुम्हारी रोटी ले गई।
तुम एक सोए हुए कुत्ते के पास से गुज़रे और झट से उसके कान खड़े हो गए!
खाते समय तुम से कुछ मीठा ज़मीन पर गिर गया और कुछ ही पल में वहाँ चींटियों का झुंड इकट्ठा हो गया।
क्यों होता है ऐसा? सोचकर बताओ।
जानवरों में भी देखने, सुनने, सूँघने और महसूस करने की शक्ति होती है। कोई जानवर मीलों दूर से शिकार को देख सकता है। कोई हल्की-से-हल्की आहट को भी सुन लेता है। कोई जानवर अपने साथी को सूँघकर ढूँढ़ लेता है। है न जानवरों की भी अजब दुनिया!
कैसे पहचाना साथी को?
एक चींटी अपने रास्ते चली जा रही थी। अचानक अपने सामने दूसरी टोली की चींटियों को देखकर वह झट से अपने बिल की तरफ़ वापिस दौड़ी आई। बिल के बाहर पहरा दे रही चींटी ने उसे पहचान लिया और बिल में घुसने दिया।
सोचो और बताओ
- इस चींटी को कैसे पता चला कि सामने वाली चींटियाँ दूसरी टोली की हैं?
- पहरेदार चींटी ने इस चींटी को कैसे पहचाना?
करके देखो और लिखो
चीनी के कुछ दाने, गुड़ या कोई मीठी चीज़ ज़मीन पर रखो। अब इंतज़ार करो, चींटियों के आने का। अब देखो
- चींटी कितनी देर में आई? _____
- क्या सबसे पहले एक चींटी आई या सारा झुंड इकट्ठा आया? _____
- चींटियाँ खाने की चीज़ का क्या करती हैं? _____
- वे उस जगह से कहाँ जाती हैं? _____
- क्या वे एक-दूसरे के पीछे कतार में चलती हैं? _____
शिक्षक संकेत-इस उम्र के बच्चों में जानवरों के प्रति उत्सुकता होती है। उनके अनुभवों को शामिल करने से चर्चा रुचिपूर्ण हो जाएगी। कई ऐसे अवलोकन होते हैं जिनके लिए बच्चों को धीरज और बारीकी से देखने का अभ्यास कराना होगा
अब ध्यान से, बिना किसी चींटी को नुकसान पहुँचाए, उस कतार के बीच में पेंसिल से कुछ देर चींटियों का रास्ता रोको।
- देखो, अब चींटियाँ कैसे चलती हैं? _____
बहुत साल पहले एक वैज्ञानिक ने इसी तरह के कई प्रयोग किए थे। वे इस नतीजे पर पहुँचे कि चींटियाँ चलते समय ज़मीन पर कुछ ऐसा छोड़ती हैं, जिसे सूँघकर पीछे आने वाली चींटियों को रास्ता मिल जाता है।
- क्या अब बता सकते हो, जब तुमने पेंसिल से चींटियों का रास्ता रोका, तब उनके ऐसे व्यवहार का क्या कारण था?
कुछ नर कीड़े-मकौड़े, अपनी मादा कीड़े की गंध से उसकी पहचान कर लेते हैं।
- क्या तुम कभी मच्छरों से परेशान हुए हो? सोचो उन्हें कैसे पता चलता होगा कि तुम कहाँ हो?
मच्छर तुम्हारे शरीर की गंध खासकर पैरों के तलवे की और तुम्हारे शरीर की गर्मी से तुम्हें ढूँढ़ लेता है।
मैं रेशम का कीड़ा हूँ। मैं अपनी मादा को उसकी गंध से कई किलोमीटर दूर से ही पहचान लेता हूँ।
- क्या तुमने कभी किसी कुत्ते को इधर-उधर कुछ सूँघते हुए देखा है? सोचो, कुत्ता क्या सूँघता होगा?
सड़कों पर कुत्तों की भी अपनी जगह बँटी होती हैं। एक कुत्ता दूसरे कुत्ते के मल-मूत्र की गंध से जान लेता है कि उसके इलाके में बाहर का कुत्ता आया था।
लिखो
- हम कुत्तों के सूँघने की शक्ति का इस्तेमाल कहाँ-कहाँ करते हैं? _____
- किन-किन मौकों पर तुम्हारी सूँघने की शक्ति तुम्हारे काम आती है? सूची बनाओ। उदाहरण के लिए - खाने की गंध से उसके खराब होने का पता चलना, किसी चीज़ के जलने का पता चलना।
- तुम बिना देखे किन जानवरों को उनकी गंध से पहचान सकते हो? उनके नाम लिखो। _____
- किन्हीं पाँच ऐसी चीज़ों के नाम लिखो, जिनकी गंध तुम्हें अच्छी लगती है। और किन्हीं पाँच ऐसी चीज़ों के नाम भी लिखो जिनकी गंध तुम्हें अच्छी नहीं लगती।
इनकी गंध अच्छी लगती है। | इनकी गंध अच्छी नहीं लगती |
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- क्या तुम्हारे सभी साथियों के उत्तर एक-से हैं?
चर्चा करो
- क्या तुम्हें अपने घर के लोगों के कपड़ों से गंध आती है? किसके?
- कभी किसी भीड़ से भरी जगह जैसे मेले में, बस में, ट्रेन आदि में तुम्हें गंध का अहसास हुआ है। बताओ कैसा लगा?
ऐसा क्यों
आज रजनी को ज़रूरी काम से कहीं जाना पड़ा। अपने छः महीने के बेटे दीपक को वह अपनी बहन सुशीला के पास छोड़ गई। सुशीला की अपनी बेटी भी इतनी ही छोटी है। मजे की बात यह हई कि दोनों बच्चों ने एक साथ 'पौटी' (लैट्रिन) कर दी। अपनी बेटी की 'पौटी' धोने के बाद जब वह दीपक की 'पौटी' साफ़ करने लगी तो फटाफट अपने मुँह - नाक को दुपट्टे से ढँक लिया।
सोचो और चर्चा करो
- सुशीला ने अपनी बेटी की 'पौटी' साफ़ करते समय तो मुँह नहीं ढँका, लेकिन दीपक की पोटी साफ़ करते समय उसने मुँह ढँक लिया। ऐसा क्यों?
- जब तुम कूड़े के ढ़ेर के पास से गुजरते हो, वहाँ की गंध तुम्हें कैसी लगती है? उस बच्चे के बारे में सोचो जो दिन में कई घंटे इसी कचरे के ढ़ेर में से चीज़ें बीनता है।
- क्या गंध का अच्छा या बुरा होना सभी के लिए एक जैसा ही होता है या इस पर हमारी सोच का असर भी पड़ता है?
शिक्षक संकेत-सुशीला के उदाहरण से आम परिवारों में होने वाली एक स्थिति को दर्शाया गया है। चर्चा करके बच्चों की यह समझ बनाई जा सकती है कि अकसर हम किसी गंध से तब ज़्यादा परेशान होते हैं जब हमारा मन उसको गंदा मानता है। अगर हम मन बना लें तो वही गंध उतना परेशान नहीं करती।
कैसे दिखा
- किसी ऐसे पक्षी का नाम लिखो जिसकी आँखें सामने की तरफ़ होती हैं।
- ऐसे कुछ पक्षियों के नाम लिखो जिनकी आँखें सिर के दोनों तरफ़ होती हैं। इन पक्षियों की आँखों का आकार उनके सिर की तुलना में कैसा होता है?
ज्या़दातर पक्षियों की आँखें उनके सिर के दोनों तरफ़ होती हैं। पक्षी एक ही समय में दो अलग-अलग चीज़ों पर नज़र डाल लेते हैं। जब ये बिल्कुल सामने देखते हैं, तब इनकी दोनों आँखें एक ही चीज़ पर होती हैं।
तुमने देखा होगा, कई पक्षी अपनी गर्दन बहुत ज़्यादा हिलाते हैं। जानते हो क्यों? ज़्यादातर पक्षियों की आँखों की पुतली घूम नहीं सकती। वे अपनी गर्दन घुमाकर ही आस-पास देखते हैं।
तुम भी अलग-अलग तरीकों से देखो
तुम अपनी दाईं आँख बंद करो या हाथ से ढंको। उसी समय तुम्हारा साथी तुम्हारे बिल्कुल दाईं तरफ़ थोड़ी दूर खड़ा होकर कुछ एक्शन करें।
- क्या तुम बिना गर्दन घुमाए अपने साथी के एक्शन को देख पाते हो?
- अब दोनों आँखें खोलकर बिना गर्दन घुमाए दाईं तरफ़ खड़े साथी के एक्शन को देखो।
- दोनों तरीकों से देखने पर क्या अंतर पाया?
शिक्षक संकेत - पक्षी जब दोनों आँखें एक ही चीज़ पर केंद्रित करते हैं तो उन्हें चीज़ की दूरी का एहसास होता है और जब अलग - अलग चीज़ों पर केंद्रित करते हैं तो उनका देखने का दायरा बढ़ता है। पक्षियों के सिर पर उनकी आँखों की स्थिति का अवलोकन करने से बच्चों को यह बात समझने में आसानी होगी।
एक आँख बंद करके अपने साथी के एक्शन को देखकर बच्चों को यह अनुभव कराएँ कि दोनों आँखों से देखने पर, देखने के दायरे में अंतर आता है।
- अब गेंद या छोटा सिक्का उछालकर पकड़ने का खेल खेलो। एक बार दोनों आँखें खोलकर और एक बार एक आँख बंद करके। किस स्थिति में उसे पकड़ना आसान लगा?
- सोचो, अगर पक्षियों की तरह तुम्हारी आँखें तुम्हारे कान की जगह होतीं तो कैसा होता? तुम ऐसे क्या-क्या काम कर पाते, जो अभी नहीं कर पाते हो?
चील, बाज़ और गिद्ध जैसे पक्षी हमसे चार गुना ज़्यादा दूर से देख पाते हैं। जो चीज़ हमें दो मीटर की दूरी से दिखाई पड़ती है, वही चीज़ ये पक्षी आठ मीटर की दूरी से देख लेते हैं।
- क्या तुम सोच सकते हो, ज़मीन पर पड़ी हुई एक रोटी किसी चील को कितनी दूर से दिखाई दे जाती होगी?
मज़ेदार बात और!
जैसे हमें इतने सारे रंग दिखाई देते हैं, उतने रंग जानवरों को दिखाई नहीं देते। देखो, इन जानवरों को ये चित्र कैसे दिखाई देंगे
आमतौर पर माना जाता है कि दिन में जागने वाले जानवर कुछ रंग देख पाते हैं। रात में जागने वाले जानवर हर चीज़ को सफ़ेद और काली ही देखते हैं।
कितने तेज़ हैं कान
तुमने कक्षा चार में पढ़ा था, हमें पक्षियों के कान दिखाई नहीं देते। उनके बाहरी कान छोटे-छोटे छेद जैसे होते हैं, जो उनके पंखों से ढँके रहते हैं।
लिखो
- दस जानवरों के नाम लिखो जिनके कान दिखते हैं।
- कुछ जानवरों के नाम लिखो, जिनके बाहरी कान हमारे बाहरी कानों से बड़े होते हैं।
सोचो
- तुम्हें क्या लगता है, क्या जानवरों के कान के आकार और उनके सुनने की शक्ति में कुछ संबंध होता है?
करके देखो
स्कूल में कोई शांत जगह ढूँढ़ो। वहाँ एक बच्चा बाकी बच्चों से थोड़ी दूर खड़ा होकर धीरे से कुछ बोले। बाकी बच्चे उसे ध्यान से सुनें। वही बच्चा फिर से उतनी ही धीरे बोले। इस बार बाकी बच्चे अपने कानों के पीछे हाथ रखकर सुनें। किस बार आवाज़ ज़्यादा साफ़ सुनाई दी? अपने साथियों से भी पता करो।
- तुम अपने कानों पर हाथ रखकर कुछ बोलो। अपनी ही आवाज़ सुनाई देती है न?
9
एक बार डेस्क को बजाओ। कैसी आवाज़ आती है? अब जैसे चित्र में दिखाया है वैसे ही डेस्क पर कान लगाओ। एक बार फिर अपने हाथ से डेस्क बजाओ। कैसी आवाज़ आती है? क्या दोनों आवाज़ों में कुछ अंतर है?
साँप भी कुछ ऐसे ही सुन पाता है। उसके बाहरी कान नहीं होते। ज़मीन पर हुए कंपन को ही वह सुन पाता है।
आवाजें अलग-अलग
- जंगल में ऊँचे पेड़ पर बैठा लंगूर पास आती मुसीबत (जैसे-शेर, चीता) को देखकर एक खास आवाज़ निकालकर अपने साथियों को संदेश देता है। इस काम के लिए पक्षी भी खास आवाजें निकालते हैं।
- कुछ पक्षी अलग-अलग खतरों के लिए अलग-अलग आवाजें निकालते हैं। जैसे-उड़कर आने वाले दुश्मन के लिए एक तरह की आवाज़ और ज़मीन पर चलकर आने वाले के लिए दूसरी तरह की आवाज़।
- मछलियाँ खतरे की चेतावनी एक दूसरे को बिजली - तरंगों से देती हैं।
कुछ जानवर तूफ़ान या भूकंप आने से कुछ समय पहले अजीब हरकतें करने लगते हैं। जो लोग जंगल में रहते हैं और जानवरों के इस व्यवहार को समझते हैं, वे जान लेते हैं कि भूकंप आने वाला है या कुछ अनहोनी होने वाली है।
सन् 2004 दिसंबर में आए सुनामी से कुछ समय पहले जानवरों के अजीब व्यवहार और उनके द्वारा दी गई चेतावनी भरी आवाज़ों को अंडमान की एक खास आदिवासी जाति समझ गई। उन्होंने वह इलाका खाली कर दिया। इस प्रकार इस जाति के लोग सुनामी के कहर से अपनी जान बचा पाए।
डॉलफिन भी अलग-अलग तरह की आवाज़ें निकालती हैं और एक-दूसरे से बात करती हैं। वैज्ञानिकों का यह मानना है कि कई जानवरों की अपनी पूरी भाषा है।
लिखो
- क्या तुम कुछ जानवरों की आवाज़ें समझ सकते हो? किस-किस की?
- क्या कुछ जानवर तुम्हारी भाषा भी समझ सकते हैं ? कौन-कौन से?
आओ खेलें एक मजेदार खेल
जिस तरह पक्षी हर अलग बात के लिए अलग - अलग आवाज़ें निकालते हैं, उसी तरह तुम भी अलग - अलग बातों के लिए आवाज़ों की भाषा बना लो। ध्यान रहे बोलना नहीं है, केवल आवाज़ें निकालनी हैं और साथियों को अपनी बात समझानी है। किन बातों के लिए चेतावनी संदेश भेजना चाहोगे? जैसे - कक्षा में टीचर के आने पर !
कितना सोएँ
बहुत-से जानवर किसी खास मौसम में लंबी गहरी नींद में चले जाते हैं। लंबी भी इतनी कि कई महीनों तक फिर दिखाई ही नहीं देते।
- क्या तुमने कभी ध्यान दिया है कि सर्दियों के दिनों में अचानक ही छिपकलियाँ कहीं गुम हो जाती हैं। सोचो, वे ऐसा क्यों करती होंगी?
शिक्षक संकेत-पाठ में कुछ जानवरों के उदाहरण दिए गए हैं, जिनमें उनकी संवेदनशील ज्ञानेन्द्रियों की बात की गई है। पर इस शब्द का इस्तेमाल नहीं किया गया। अन्य और जानवरों के ऐसे ही व्यवहार के बारे में जानने के लिए बच्चों को अखबार पढ़ने व टी.वी. पर उपयुक्त कार्यक्रम देखने के लिए प्रेरित करें।
स्लॉथ
ये भालू जैसे दिखते हैं, पर भालू नहीं हैं। ये दिन के करीब सत्रह घंटे पेड़ों से उल्टे सिर लटककर मस्ती से सोते हैं। ये जिस पेड़ पर रहते हैं, उसी के पत्ते खाकर पलते हैं। इसलिए इन्हें कहीं और जाने की ज़रूरत ही नहीं पड़ती। जब ये अपने पेड़ के सारे पत्ते खा लेते हैं, तभी वे पास के पेड़ पर जाते हैं। लगभग 40 वर्ष के अपने पूरे जीवन में ये मुश्किल से आठ पेड़ों पर घूमने की तकलीफ़ उठाते हैं। ये सप्ताह में एक बार ही शौच करने के लिए पेड़ से नीचे उतरते हैं।
अगर स्लॉथ की सोने और जागने की प्रक्रिया 24 घंटे की घड़ी में दिखानी हो, तो वह ऐसी दिखेगी।
बताओ, छिपकली के लिए सर्दियों में यह घड़ी कैसी दिखेगी?
चित्रों में कुछ जानवरों के सोने के समय को दिखाया गया है। हर चित्र के नीचे लिखो कि वह जानवर एक दिन में कितने घंटे सोता है।
गाय _____
अजगर _____
जिराफ़ _____
बिल्ली _____
अपने आस-पास किसी जानवर को देखकर क्या तुम्हारे मन में कुछ प्रश्न उठते हैं? कौन-से? कोई दस प्रश्न बनाओ और लिखो।
शिक्षक संकेत–जानवरों के सोने और जगने के समय को 24 घंटे की घड़ी में बताकर बच्चे तिहाई, चौथाई आदि की समझ का भी उपयोग करेंगे।
बाघ अँधेरे में हम से छह गुना बेहतर देख सकता है।
बाघ की मूँछे हवा में हुए कंपन को भाँप लेती हैं और उसे शिकार की बिल्कुल सही स्थिति का पता चल जाता है। इससे इन्हें अँधेरे में रास्ता ढूँढ़ने में भी मदद मिलती है।
बाघ अपने इलाके में मूत्र करके अपनी गंध छोड़ते जाते हैं। यह इलाका कई किलोमीटर बड़ा हो सकता है। एक बाघ किसी दूसरे बाघ के मूत्र की गंध को झट पहचान लेता है। फिर उस इलाके में घुसना है या नहीं, यह तो उस बाघ की मर्जी़।
बाघ मौके के अनुसार अपनी आवाज़ बदलता रहता है। गुस्से में अलग आवाज़ और बाघिन को बुलाना हो, तो अलग आवाज़। कभी कराहना तो कभी गुर्राना। बाघ का गुर्राना 3 किलोमीटर दूर तक सुना जा सकता है।
बाघ, हवा से पत्तों के हिलने और शिकार के झाड़ियों में हिलने से हुई आवाज़ में अंतर को भाँप लेता है। बाघ के दोनों कान बाहर की आवाज़ इकट्ठा करने के लिए अलग-अलग दिशाओं में बहुत ज़्यादा घूम भी जाते हैं।
बाघ इतना सतर्क जानवर है, लेकिन इस सबके बावजूद आज वह खतरे में है।
- सोचो, जंगल के बाघ को किन चीज़ों से खतरा होगा?
- क्या हम भी जानवरों के लिए खतरा बन रहे हैं? कैसे?
क्या तुम जानते हो, हाथी को उसके दाँतों, गैंडे को सींग, शेर, मगरमच्छ और साँप को उनकी खाल के लिए मार दिया जाता है? कस्तूरी हिरन को थोड़ी-सी खुशबू के लिए मारा जाता है। जानवरों को मारने वाले लोगों को शिकारी कहते हैं।
हमारे देश में बाघ और अन्य कई जानवरों की गिनती इतनी कम हो गई है कि इनके लुप्त हो जाने का खतरा है। हमारे देश की सरकार इन्हें बचाने के लिए बहुत-से जंगलों को सुरक्षा दे रही है। जैसे -उत्तराखंड का जिम कॉरबेट नेशनल पार्क और राजस्थान के भरतपुर जिले में 'घाना'। इन जंगलों में जानवरों का शिकार मना है। यहाँ लोग जानवरों या जंगल को कोई नुकसान नहीं पहुँचा सकते।
पता करो
भारत में जानवरों की सुरक्षा के लिए ऐसे नेशनल पार्क और कहाँ-कहाँ हैं? इनके बारे में जानकारी इकट्ठी करके रिपोर्ट तैयार करो।
हम क्या समझे
- क्या तुमने कभी ध्यान दिया है, बहुत-से गायक-गायिकाएँ गाते समय अपने कान पर हाथ रखते हैं? वे ऐसा क्यों करते होंगे?
- कुछ उदाहरण देकर समझाओ जिससे हमें पता चलता है कि जानवरों की देखने, सुनने, सूँघने और महसूस करने की शक्ति बहुत तेज़ होती है।
शिक्षक संकेत - बाघ व अन्य जानवरों की संख्या कम होने के कारणों (पोचिंग, जंगलों का विनाश-आवास बनाने के लिए, जंगलों में आग) पर चर्चा करने से बच्चे बॉक्स में दी गई जानकारी को समझ सकेंगे।
आओ बनाएँ कागज़ का कुत्ता
सामान – थोड़ा मोटा कागज़, पेंसिल, कैंची
- कागज में से लंबी पट्टी काटो।
इस पट्टी पर चित्र में दिखाए तरीके से निशान लगाओ।
- 1 से लेकर 6 तक के निशानों पर कट लगाओ।
- 1 और 2 नंबर के काटे हुए हिस्सों को आपस में फँसाओ। (चित्र I)
- इसी तरह 3 को 4 में और 5 को 6 में फँसाओ। (चित्र II और III)
- चित्र III में कुत्ते के पैरों वाले हिस्से पर जो निशान दिख रहे हैं उन पर भी कट लगाओ।
- सिर के ऊपर के कटे हुए हिस्से को मोड़कर कुत्ते के कान बनाओ। (चित्र IV)।
है न मज़ेदार