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2. कहानी सँपेरों की
मैं हूँ आर्यनाथ !
तुम्हें जानकर हैरानी होगी कि मैं ऐसा कुछ कर सकता हूँ, जो तुम में से शायद ही कोई कर सकता हो। जानते हो क्या? मैं बीन बजा सकता हूँ! हो गए न हैरान? हाँ, मैं साँपों को अपनी बीन की धुन पर नचा सकता हूँ। यह कला मैंने अपने लोगों से सीखी है। हमारे लोगों को 'कालबेलिया' कहते हैं।
मेरे दादा रोशननाथ जी हमारी जाति में बहुत मशहूर थे। वे बहुत आसानी से खतरनाक और जहरीले साँपों को पकड़ लेते थे। वे मुझे कई बार अपने बीते दिनों के किस्से अभी भी सुनाते हैं। आओ, तुम भी सुनो, उनकी कहानी उन्हीं की जुबानी--
नाग गुंफन ऐसे डिज़ाइन रंगोली, कढ़ाई और दीवारों को सजाने के लिए सौराष्ट्र, गुजरात और दक्षिण भारत में प्रयोग किए जाते हैं।
शिक्षक संकेत-किस्से की शुरुआत करने से पहले बच्चों के साँपों से जुड़े अनुभवों पर बात करने से किस्सा और दिलचस्प बनाया जा सकता है।
यादें दादाजी की
मेरे दादा-परदादा सभी सँपेरे थे। हमारी जिंदगी साँपों से ही जुड़ी रही। कंधे पर काँवड़ जैसी पिटारी लटकाए, हम एक गाँव से दूसरे गाँव घूमते। हम जहाँ भी जाते, हमें देखकर लोगों की भीड़ इकट्ठी हो जाती। फिर हम पिटारी में रखी बाँस की टोकरी में से निकालते अपने प्यारे साँप
साँपों का नाच देख लेने के बाद भी लोग वहीं रुके रहते। उन्हें पता होता कि हमारे टिन के डिब्बे में उनके कई रोगों की दवा होगी। ये सभी जड़ी-बूटियाँ हम जंगल से इकट्ठी करते। मैंने भी यह सब अपने दादाजी से सीखा। मुझे अच्छा लगता कि जहाँ डॉक्टर नहीं है, वहाँ भी मैं अपनी दवाइयों से लोगों की कुछ मदद कर पाता। दवाइयों के बदले लोग हमें कभी अनाज दे देते, तो कभी पैसे। बस इसी तरह गुजर-बसर हो जाती।
कई बार मुझे ऐसे घरों में भी बुलाया जाता, जहाँ किसी को साँप ने काटा हो। तब मैं साँप के डंक के निशान से यह जानने की कोशिश करता कि किस साँप ने काटा है। उसे मैं साँप के काटने की दवा देता। पर मैं हमेशा समय पर नहीं पहुँच पाया हूँ। जानते हो न, कुछ साँप ऐसे भी होते हैं, जिनके काटते ही जान चली जाती है। पर ज़्यादातर साँप जहरीले नहीं होते।
कभी-कभी जब कोई किसान "साँप-साँप" चिल्लाता हुआ भागा आता, तब मैं ही उस साँप को पकड़ता। आखिरकार, मैं बचपन से ही साँप पकड़ना जानता हूँ।
वे बहुत बढ़िया दिन थे। लोगों की हम बहुत मदद कर पाते थे। लोग भी हमारी बहुत इज्ज़त करते थे। आजकल की तरह नहीं था। अब तो मनोरंजन के लिए ज़्यादातर लोग टी.वी. देखते हैं।
जब मैं बड़ा हुआ तो मेरे पिताजी ने मुझे साँप के डसने वाले दाँत निकालने सिखाए। जहरीले साँप की ज़हर की नली बंद करना भी सिखाया।
बताओ
- क्या तुमने कभी किसी को बीन बजाते देखा है? कहाँ?
- क्या तुमने कभी साँप देखा है? कहाँ?
- क्या तुम्हें उससे डर लगा? क्यों?
- तुम्हें क्या लगता है, सभी साँप ज़हरीले होते हैं?
- तुमने पिछले पाठ में पढ़ा कि साँप के बाहरी कान नहीं होते। सोचो, क्या वह बीन की धुन सुन पाता होगा या फिर बीन के हिलने से ही वह नाचता होगा?
अब हम क्या करें
आर्यनाथ तुम्हारे पिताजी बहुत छोटी उम्र से ही मेरे साथ गाँव-गाँव घूमा करते थे। उन्होंने बीन बजाना अपने-आप ही सीख लिया था।
आज की सोचूँ तो बहुत परेशानी होती है। सरकार ने कानून बना दिया है कि न तो कोई जंगली जानवरों को पकड़ सकता है और न ही उन्हें अपने पास रख सकता है। कुछ लोग जानवरों को मारते हैं और उनकी खाल ऊँचे दामों में बेचते हैं। इसीलिए ऐसा कानून बनाया गया। पर ऐसे कानून बनाने से हमारी रोजी-रोटी का क्या होगा? हम सँपेरों ने कभी भी साँपों को नहीं मारा, न ही कभी उनकी खाल बेची। कुछ लोग कहते हैं कि हम साँपों
शिक्षक संकेत- अगर मुमकिन हो तो चित्रों की सहायता से बच्चों को साँप के डसने वाले दाँत, ज़हर की थैली और उसे निकालने के तरीके के बारे में बताया जा सकता है।
को बुरी हालत में रखते हैं। चाहते तो हम भी साँपों को मारकर खूब पैसा कमा सकते थे। तब हमारी जिंदगी इतनी मुश्किल भरी न होती। साँपों को मारने की बात तो दूर, ये तो हमारी पूँजी हैं जो हम अपनी आने वाली पीढ़ी को सौंपते हैं। साँपों को तो हम अपनी बेटियों को शादी में तोहफ़े के रूप में भी देते हैं। हमारे कालबेलिया नाच में भी साँप जैसी मुद्राएँ होती हैं।
आर्यनाथ, तुम्हें अपने लिए अलग तरह की जिंदगी सोचनी पड़ेगी। तुम भी अपने पिताजी की तरह बीन बजाने में माहिर हो। तुम अपने साथियों के साथ मिलकर एक बीन पार्टी बनाकर लोगों का मनोरंजन कर सकते हो। पर तुम पीढ़ियों से मिले साँपों के इस ज्ञान को व्यर्थ न गँवाना।
बीन पार्टी के बाजे
बीन, तुम्बा, खंजरी और ढोल। ढोल के अलावा बाकी तीनों बाजे सूखी लौकी से बनाए जाते हैं।
तुम शहरों और गाँवों के बच्चों को बताना कि साँपों से न तो डरने की ज़रूरत है और न ही नफ़रत करने की। उन्हें सिखाना कि कैसे जहरीले साँपों को पहचानना है। उन्हें यह भी बताना कि साँप तो किसान के दोस्त हैं। साँप न हों तो खेतों में फ़सलों को चूहों से कौन बचाएगा?
अब तुम उन सभी बच्चों को मेरी यह कहानी सुनाना। अपनी जिंदगी की एक नई कहानी भी बनाना, अपने पोते-पोती को सुनाने के लिए।
कालबेलिया नाच की एक मुद्रा
शिक्षक संकेत-इस किस्से में सँपेरों और साँपों के आपसी संबंध और निर्भरता को दर्शाया गया है। इसी तरह के और समुदायों पर बातचीत करके यह स्पष्ट किया जा सकता है कि अकसर इन लोगों का जानवरों के प्रति क्रूर व्यवहार नहीं होता (जैसी आम धारणा है)। हमें भी जानवरों को छेड़ना तथा सताना नहीं चाहिए।
लिखो
- क्या तुमने कभी जानवरों के खेल या नाच होते देखे हैं? जैसे
सरकस में, सड़क पर, पार्क में।
- कब और कहाँ देखा? .
- किस जानवर का खेल देखा?
- जानवरों के प्रति लोगों का क्या व्यवहार था?
- क्या कोई जानवर को परेशान भी कर रहा था? कैसे?
- वह खेल देखकर तुम्हारे दिमाग में किस-किस तरह के सवाल उठे?
- मान लो, तुम एक जानवर हो, जो कैद में है। अब तुम इन वाक्यों को पूरा करो।
- मुझे डर लगता है जब _____
- मेरी इच्छा है कि मैं _____
- मैं उदास होता हूँ जब _____
- अगर मुझे मौका मिलता तो मैं _____
- मुझे यह बिल्कुल भी पसंद नहीं _____
क्या तुम जानते हो?
हमारे देश में पाए जाने वाले साँपों में से केवल चार तरह के साँप ही जहरीले होते हैं। ये हैं- नाग, करैत, दुबोइया, अफाई।
साँप जब किसी को काटता है, तो उसके दो खोखले ज़हर वाले दाँतों से उस व्यक्ति के शरीर में ज़हर चला जाता है। इस ज़हर से बचने का एक ही उपाय है कि जिस व्यक्ति को साँप ने काटा है, उसे तुरंत ज़हर के असर को खत्म करने वाली दवाई (सीरम) दी जाए। यह सीरम साँप के जहर से ही बनाया जाता है और सभी सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में मिलता है।
लिखो
- सँपेरों के अलावा और कौन-कौन लोग अपनी रोज़ी -रोटी के लिए जानवरों पर निर्भर होते हैं? _____
सर्वे-जानवर पालने वालों का
अपने स्कूल या घर के आस-पास कुछ ऐसे लोगों से बात करो, जिन्होंने अपनी रोज़ी-रोटी के लिए कोई जानवर पाला हो। जैसे- ताँगे के लिए घोड़ा, अंडों के लिए मुर्गियाँ, आदि।
- कौन-सा जानवर है?
- कितने जानवर पाले हैं?
- क्या जानवरों को रखने के लिए अलग जगह है?
शिक्षक संकेत- जानवरों पर पहेलियाँ (क्रासवर्ड) बनवाएं तथा उन पर और जानकारी इकट्ठी करवाएं तथा चर्चा करें।
- उनकी देखभाल कौन करता है?
- वे क्या खाते हैं?
- क्या कभी जानवर बीमार भी पड़ते हैं? तब पालने वाला क्या करता है?
- इसी तरह अपने मन से और प्रश्न भी पूछो।
- अपने इस सर्वे की रिपोर्ट तैयार करो और कक्षा में पढ़कर सुनाओ।
बनाओ एक अनोखी कठपुतली
- एक पुरानी जुराब लो।
- उसे चित्र में दिए तरीके से अपने हाथ पर पहन लो।
- आँखों के लिए दो बिंदी या बटन चिपकाओ।
- जीभ बनाने के लिए लाल कागज़ की पट्टी काटकर चिपकाओ।
- पट्टी के दूसरे सिरे पर जीभ के लिए कट लगाओ।
- लग रहा है न साँप
अब मज़े से इस कठपुतली से खेलो
हम क्या समझे
सरकार ने कानून बना दिया है कि न तो कोई जंगली जानवरों को पकड़ सकता है और न ही उन्हें अपने पास रख सकता है। तुम्हें क्या लगता है – क्या यह कानून सही है या नहीं? अपने उत्तर का कारण बताओ और लिखो।