QR Code Chapter 05

5. बीज, बीज, बीज

गोपाल की मौसी का परिवार छुट्टियाँ बिताने अगले दिन घर आने वाला था। तरह-तरह का खाना बनेगा और सब बच्चे खूब खेलेंगे। यह सोचकर गोपाल बहुत खुश था। इतने में माँ ने आवाज़ लगाई, “गोपाल! रात में दो कटोरी चने याद से भिगो देना।” माँ को बुआ के घर जाना था और वे सुबह लौटने वाली थीं।

गोपाल ने रात में चने भिगोते हुए सोचा - माँ ने बस दो कटोरी चने कहा, वह भी आठ लोगों के लिए! ये तो बहुत कम पड़ जाएंगे। इसलिए उसने चार कटोरी चने भिगो दिए। सुबह माँ वापस आईं तो गोपाल को बुलाया और कहा- “इतने सारे चने क्यों भिगो दिए? देखो, ये तो बर्तन से बाहर आ गए!”

गोपाल सोच में पड़ गया- यह कैसे हुआ? माँ ने कहा, “चलो अच्छा ही हुआ, तुमने इतने चने भिगो दिए। अब मैं आधे चने अंकुरित करके बुआ के लिए। भिजवा दूँगी। डॉक्टर ने बुआ को अंकुरित खाना खाने की सलाह दी है।” माँ ने अंकुरित करने म के लिए भीगे हुए चने एक गीले कपड़े में लपेटकर टाँग दिए।

एक लड़का  एक बर्तन से कुछ भीगे हुए चनों को बहता देख आश्चर्यचकित हो गया।

चर्चा करो

  • तुम्हारे घर में कौन-कौन-सी चीजें खाना बनाने से पहले भिगोई जाती हैं? और क्यों?
  • तुम्हारे घर में कौन-कौन-सी चीजें अंकुरित करके खाई जाती हैं? उन्हें अंकुरित कैसे किया जाता है? कितना-कितना समय लगता है?
  • क्या तुम्हें या तुम्हारे आस-पास किसी को डॉक्टर ने अंकुरित खाना खाने की सलाह दी है? क्यों?

करके देखो

याद है, कक्षा चार में ‘जड़ों का जाल’ पाठ में तुमने बीज के प्रयोग किए थे। आओ, एक और प्रयोग करके देखो।

  • चने के कुछ दाने और तीन कटोरियाँ लो। पहली कटोरी में चने के चार-पाँच दाने लो और कटोरी को पानी से पूरा भर दो।
  • दूसरी कटोरी में भी उतने ही चने भीगी हुई रुई या कपड़े में लपेटकर रख दो। ध्यान रहे, कपड़ा या रुई सूखने न पाए। तीसरी कटोरी में केवल चने ही रखो।
  • तीनों कटोरियों को ढँक दो।

दो दिन बाद देखो और लिखो। तीनों कटोरियों के चनों में क्या बदलाव दिखा?

 

कटोरी 1

कटोरी 2

कटोरी 3

क्या बीजों को हवा मिल रही है?

नहीं

हाँ

हाँ

क्या बीजों को पानी मिल रहा है?

 

 

 

बीजों में क्या बदलाव आया?

 

 

 

क्या बीजों में अंकुरण हुआ?

 

 

 

बताओ और लिखो

  • किस कटोरी के बीजों में अंकुरण हुआ? इस कटोरी और बाकी कटोरियों के बीजों में क्या अंतर है?
  • गोपाल की माँ ने भिगोए हुए चने अंकुरित करने के लिए गीले कपड़े में क्यों बाँधे?

शिक्षक संकेत-प्रयोग करते समय कमरे में हवा का क्या तापमान है और उसमें नमी कितनी है इनसे भी अंकुरण होने के समय में अंतर आ सकता है।


साबुत मसूर को दलने से मैं दाल बनी हूँ, लेकिन मुझे तुम अंकुरित नहीं कर सकते! सोचो क्यों?

एक मसूर दाल के दाने पर आंखे और मुह बना है।

चित्र बनाओ

  • अपने अंकुरित बीज को ध्यान से देखो और उसका चित्र बनाओ।

किसका पौधा कितना बड़ा?

एक गमला या चौड़े मुँह वाला डिब्बा लो। इसके नीचे छोटा-सा छेद करके, मिट्टी भरो। किसी एक किस्म के चार-पाँच बीज मिट्टी में दबा दो। कक्षा में सभी बच्चे अलग-अलग किस्म के बीज बोएँ। जैसे- सरसों, मेथीदाना, तिल, धनिया।

हाथ में छोटा सा गमला पकड़े लड़की।

लिखो

बीज का नाम _____

किस दिन बोया (तारीख) _____

अब जिस दिन तुम्हें छोटा-सा पौधा निकलता दिखे, पौधे को धागे से उस दिन से अपनी तालिका भरो।

पौधे को धागे से नापकर फिर स्केल से नाप लो।

एक तितली।

तारीख

पौधे की लंबाई (से.मी.)

कितने पत्ते दिखे

और कोई बदलाव

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

पता करो

  • बीज बोने और छोटा पौधा दिखने में कितने दिन लगे?
  • पहले दिन और दूसरे दिन पौधे की लंबाई में कितना अंतर था?
  • किस दिन पौधे की लंबाई सबसे ज़्यादा बढ़ी?
  • क्या हर दिन पौधे में से नया पत्ता या पत्ते निकले?
  • क्या पौधे के तने में भी कुछ बदलाव आया?

गमले में एक पौधा जिसकी जड़ें मिट्टी में खोदी हैं।

चर्चा करो

  • किस बीज के पौधे को मिट्टी से बाहर आने में सबसे ज्यादा दिन लगे?
  • किस बीज के पौधे को मिट्टी से बाहर आने में सबसे कम दिन लगे?
  • कौन-सा बीज उगा ही नहीं? क्यों नहीं उगा होगा?
  • अगर तुम्हारा पौधा सूख गया या पीला हो गया तो सोचो ऐसा क्यों हुआ होगा?
  • पौधों को पानी न मिले तो क्या होगा?

दिल की बात बताओ

  • बीज के अंदर क्या होता है?
  • छोटे से बीज से इतना बड़ा पौधा कैसे बनता है?

शिक्षक संकेत-चर्चा के लिए दिए प्रश्नों के द्वारा बच्चों में यह समझ बनाई जा सकती है कि पौधों को बढ़ने के लिए हवा, मिट्टी और पानी की ज़रूरत होती है। ‘बीज के अंदर क्या होता है’, आदि प्रश्न बच्चों को सोचने और अपने मन के विचार बताने के लिए प्रोत्साहित करेंगे। इन प्रश्नों से वैज्ञानिक जानकारी देने की अपेक्षा नहीं है। पौधे की सही लंबाई नापने के लिए बच्चे पौधे को पहले धागे से नापें फिर धागे को स्के ल पर।

सोचो और कल्पना करो

  • अगर पौधे चलते तो क्या होता? चित्र बनाओ।

पता करो

  • क्या कुछ पौधे बिना बीज के भी उगते हैं?

शिकारी पौधे!

फँस गया बेचारा!

एक फूलदान के आकार का तना जिसके ऊपर ढक्कन जैसा पत्ता होता है और ऊपर की तरह ढक्कन के अंदर एक कीट फंस जाता है।

कुछ ऐसे पौधे भी होते हैं, जो चूहों, मेंढकों, कीड़े-मकौड़ों और छोटे जीवों का शिकार करते हैं। इनमें ‘नीपेन्थिस’ सबसे ज़्यादा मशहूर है। यह ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया और भारत के मेघालय राज्य में पाया जाता है। इसका आकार लंबे घड़े जैसा होता है, जिसके ऊपर पत्ती का ढक्कन लगा होता है। घड़े से खास खुशबू निकलती है जिसकी वजह से कीड़े खिंचे चले आते हैं। पौधे के ऊपर पहुँचते ही कीड़े अंदर फँस जाते हैं और बाहर नहीं निकल पाते। देखा, ये पौधे भी शिकार करते हैं और वह भी कितनी चतुराई से!

कितने सारे बीज!

तुम कितनी तरह के बीज इकट्ठे कर सकते हो? सोचो, तुम्हें ये बीज कहाँ-कहाँ से मिलेंगे? सारी कक्षा मिलकर तरह-तरह के बीजों को इकट्ठा करे। हो गए न बहुत सारे बीज! इन बीजों को ध्यान से देखो - बीजों के रंग, उनके आकार (गोल या चपटा), ऊपरी सतह (खुरदरी या मुलायम)।

अंकुरित बीजों की एक विशाल विविधता।

दी गई तालिका एक चार्ट पर बनाओ और पूरी कक्षा के बच्चे मिलकर उसे भरें

बीज का नाम

रंग

आकार (चित्र बनाओ)

ऊपरी सतह

राजमा

भूरा

 

मुलायम

सोचो

  • क्या इस सूची में सौंफ और जीरा भी हैं?
  • इकट्ठे किए गए बीजों में से सबसे छोटा और सबसे बड़ा बीज कौन-सा है?

समूह बनाओ और लिखो

(क) जो बीज मसालों के रूप में इस्तेमाल होते हैं।

(ख) जो सब्जी के बीज हैं।

(ग) जो फलों से इकट्ठे किए गए हैं।

(घ) जो हल्के हैं (फूँक मारकर पता कर सकते हो)।

(ड) जो चपटे हैं।

  • और समूह भी बनाओ। कितने समूह बना पाए?
  • क्या तुम बीजों से खेलनेवाला कोई खेल जानते हो? अपने साथियों से बात करो।

घुमक्कड़ बीज

पौधे अपनी सारी जिंदगी एक ही जगह खड़े रहते हैं। ये चलते नहीं हैं लेकिन इनके बीज बड़े ही घुमक्कड़ होते हैं। पौधों के बीज बहुत दूर-दूर तक पहुँच जाते हैं।

एक पेड़ दिखाया गया है।

चिट्रठी लिखना।

ओके बाय!

आँऽऽऽ छी...

कुछ पौधे  हैं और हवा की मदद से पौधों  के बीज दूर उड़ रहे हैं।

चित्र 1

कुछ पौधों के बीज एक कुत्ते की खाल पर लग गाए हैं।

चित्र 2

चित्र 1 में देखो, ये बीज हवा की मदद से कैसे उड़ पाते हैं?

  • क्या तुमने भी कोई बीज उड़ते हुए देखा है?
  • तुम्हारे यहाँ उसे क्या कहते हैं?
  • अनुमान लगाओ कि तुम्हारे बीजों के समूह में से कितने बीज हवा से बिखरते होंगे।

चित्र 2 को ध्यान से देखो। यह बीज हवा में तो उड़ नहीं पाता। यह जानवरों की खाल और हमारे कपड़ों में अटक जाता है। है ना मुफ़्त में सैर! इन बीजों को देखकर तुम्हारे मन में क्या कुछ नया आइडिया आया?

पढ़ो, स्विट्ज़रलैंड में ‘वेल्क्रो’ का आइडिया कैसे आया।

एक सैन्डल जिसको बांधने के लिए वेलक्रो लगा है।

यह घटना 1948 की है। एक दिन जॉर्ज मेस्ट्रल अपने कुत्ते के साथ सैर से लौटे। उन्होंने पाया कि उन दोनों पर बीज चिपके हैं। इन बीजों को अपने कपड़ों पर चिपका देखकर वे हैरान रह गए। झट माइक्रोस्कोप निकाला, बीजों को बारीकी से देखने के लिए। बीजों में छोटे-छोटे हुक थे। इनकी मदद से बीज कपड़े के रेशों पर अटक गए थे। यह देखकर मेस्ट्रल को ‘आइडिया’ आया ‘वेल्क्रो’ बनाने का। ‘वेल्क्रो’ से दोनों सतह चिपक जाती हैं और खुलने पर चर-चर की आवाज़ होती है। तुमने बस्ते, कपड़े, जूते, पट्टे आदि में इसका इस्तेमाल देखा होगा। है न मज़ेदार किस्सा प्रकृति से प्रेरणा लेने का!


  • चित्रों को देखकर अंदाज़ा लगाओ कि इनमें बीज किस-किस तरह से बिखर रहे हैं?

एक खरगोश  के हाथ में एक बीज।

एक तोता अपनी चोंच में एक बीज ले जा रहा है।

एक पेड़ से एक फल  का बीज नदी में गिर गया।

  • पौधे स्वयं भी अपने बीजों को दूर छिटक देते हैं। जैसे – सोयाबीन की फलियाँ पककर सूख जाती हैं तो चिटककर बिखरने लगती हैं। उनकी आवाज़ सुनी है?
  • सोचो, अगर बीज बिखरते नहीं, यानी एक ही जगह पड़े रहते, तो क्या होता?
  • एक सूची बनाओ – बीज किस-किस तरह से बिखरते हैं।

कौन कहाँ से आए जी?

बीज को बिखराने वाली सूची में क्या तुमने हमें, यानी इन्सानों को शामिल किया है?

हाँ, हम भी बीजों को यहाँ से वहाँ पहुँचाते हैं। अनजाने में और जान-बूझकर भी। कोई पौधा खूबसूरत लगे या कोई पौधा दवाई में उपयोगी हो, तो हम उसके बीज अपने बगीचे में उगाने के लिए ले आते हैं। ये पौधे बड़े होते हैं और दूर-दूर तक बिखर जाते हैं। कई सालों बाद तो लोगों को यह याद ही नहीं रहता कि ये पौधे हमेशा से यहाँ नहीं उगते थे। ये तो। कहीं और से ही आए हैं। पता है, मिर्ची हमारे यहाँ कहाँ से आई? इसे पुर्तगाल देश के व्यापारी दक्षिण अमरीका से भारत लाए थे। अब यह सारे भारत में उगाई जाती है।

कुछ हरी मिर्चें।

जानना चाहते हो, कौन कहाँ से आया है? इस कविता में पढ़ो।

आलू, मिर्ची, चाय जी

आलू, मिर्ची, चाय जी

कौन कहाँ से आए जी

एक आलो की आँखें बनी हैं, हाथ और पैर भी बने हैं  और एक टोपी भी बना रखी है।

सात समुंदर पार से

दुनिया के बाज़ार से

व्यापार से उपहार से

जंग-लड़ाई मार से

हर रस्ते से आए जी

आलू, मिर्ची, चाय जी

दो हरी मिर्चें।

दक्षिण अमरीकी मिर्ची रानी

मसालों की है पटरानी

मूंगफली, आलू, अमरूद

धूम मचाते करते उछलकूद

एक मूंगफली।

साथ टमाटर आए जी

आलू, मिर्ची, चाय जी

एक टमाटर के हाथ, आँखें और पैर बने हैं।

भिंडी है अफ्रीका की

भूरी-भूरी कॉफ़ी भी

एक भिंडी  के हाथ, आँखें और पैर बने हैं।

नक्शे में यूरोप किधर

वहीं से आए गोभी-मटर

एक पत्ता गोभी  के हाथ, आँखें और पैर बने हैं।

मटर के कुछ दाने।

चाय असम की बाई जी

आलू, मिर्ची, चाय जी

चली चीन से सोयाबीन

पहुँची अमरीका बजाती बीन

एक सोयाबीन के हाथ, आँखें और पैर बने हैं।

घूम-घाम लौटी अपने देश

उसमें हैं गुण कई विशेष

रोब जमाकर आई जी

आलू, मिर्ची, चाय जी

एक करेले  के हाथ, आँखें और पैर बने हैं।

सेम  के पत्ते।

बैंगन, मूली, सेम, करेला

आम, संतरा, बेर और केला

पालक, परवल, टिंडा, मेथी

हैं भाई-बहन ये सब देशी

एक बैंगन   के हाथ, आँखें और पैर बने हैं।

एक चीकू  के हाथ, आँखें और पैर बने हैं।

एक खीरा   के हाथ, आँखें और पैर बने हैं।

एक केले  के हाथ, आँखें और पैर बने हैं।

एक आम  के हाथ, आँखें और पैर बने हैं।

भारत की पैदाइश जी

कौन कहाँ से आए जी

आलू, मिर्ची, चाय जी

एक मूली और आलू   के हाथ, आँखें और पैर बने हैं।

- राजेश उत्साही

चकमक, मई-जून 2002

क्यों जान गए न? क्या तुम सोच सकते हो, अगर ये हमारे यहाँ नहीं आए होते, तो हमारी जिंदगी कैसी होती? दुनिया के नक्शे में इन देशों को ढूँढ़ने की कोशिश करो।

हम क्या समझे

यह चित्र रीना ने बनाया है- अपने अंकुरित बीज का। तुम्हें क्या लगता है इन बीजों को अंकुरित होने के लिए किन-किन चीज़ों की ज़रूरत हुई होगी? अपने शब्दों में लिखो। अगर उनकी ज़रूरी चीज़ों । में से कोई न मिले तो रीना के बीज कैसे दिखेंगे? चित्र बनाकर दिखाओ।

बीज किस-किस तरह बिखरते हैं? किन्हीं दो तरीकों के बारे में अपने शब्दों में लिखो।