QR Code Chapter 10

10. बोलती इमारतें


पहुँचे गोलकोंडा-

गोलकोंडा  किले का चित्र दिखाया गया है। यह एक विशाल किला है जिसमें विभिन्न स्तरों पर कई संरचनाएं बनी हैं और किले के सामने एक बगीचा है।

आखिरकार आज हम दीदी के साथ चल ही पड़े गोलकोंडा के लिए। दीदी इतिहास पढ़ती हैं और हमें उनके साथ इमारतें देखने में बड़ा मज़ा आता है।

सैलजा- अरे बाप रे! कितना बड़ा दिखता है यह किला।

श्रीधर- और कितनी ऊँचाई पर है। कल्याणी-अरे, यह दरवाज़ा भी तो देखो। कभी देखा है इतना लंबा-चौड़ा गेट?

सैलजा- बहुत भारी भी लगता है। पता नहीं कितने लोग मिलकर खोलते बंद करते होंगे इसे!

कल्याणी- गेट पर ये नुकीले लोहे के भाले जैसे क्या दिख रहे हैं? ये क्यों लगाए गए होंगे? सैलजा- इतनी मोटी-मोटी दीवारें भी तो देखो। श्रीधर-कभी इतनी चौड़ी दीवार नहीं देखी! कल्याणी- यह दीवार कहीं-कहीं गोलाई में आगे की तरफ़ निकली हुई है!

दीदी- यह बुर्ज है। देखो, बुर्ज दीवार से ज्यादा ऊँचे हैं। इस किले की बाहरी दीवार में 87 बुर्ज हैं। मोटी दीवारें, लंबा-चौड़ा गेट और इतने सारे बुर्ज! सुरक्षा के कितने कड़े

गोलकोंडा  किले में इधर-उधर भागते कुछ बच्चे और किले के एक बड़े गेट के अंदर एक छोटा सा गेट देखकर हैरान रह जाते हैं।

इस बड़े से गेट में यह छोटा दरवाज़ा क्यों बना है?

 

किले की एक गोल आकार की संरचना जिसमें एक छेद है।

सोचो-

• इतने सारे बुर्ज क्यों बनाए गए होंगे?
• बुर्ज में ये बड़े-बड़े छेद क्यों बने होंगे?
• सीधी-सपाट दीवार से झाँकने में और एक ऊँचे बुर्ज से झाँकने में क्या अंतर होगा?
• बुर्ज के पीछे खड़े हुए छेदों में से देखने वाले सिपाहियों को हमला करने में क्या मदद मिलती होगी?

किले में कितना कुछ-

सैलजा- क्या यह किला राजा ने अपने रहने के लिए बनवाया होगा? यह कितना पुराना होगा? कल्याणी- बाहर लिखा था कि सन् 1518 से 1687 तक यहाँ कुतुबशाही सुल्तानों ने एक के बाद एक राज किया।

दीदी- हाँ उससे भी पहले सन् 1200 में यह किला मिट्टी का बना था और यहाँ दूसरे राजाओं का राज था।

सैलजा- अरे, इस बोर्ड पर किले का नक्शा है।

श्रीधर- इस नक्शे में कितने सारे बाग और कारखाने दिख रहे हैं। और देखो, किले के अंदर कई सारे महल भी हैं।

सैलजा- इसका मतलब तो यहाँ पर सुलतान के अलावा और भी बहुत-से लोग रहते होंगे। किसान और कारखानों में काम करने वाले लोग भी तो रहते होंगे।

कल्याणी-फिर यह तो पूरा शहर ही होता होगा।

शिक्षक संकेत- बच्चों का ध्यान इस बात पर आकर्षित करें कि ऊँची, गोल आकार की दीवार से चारों तरफ़ दूर-दूर तक देखा जा सकता है।

सुलतान का महल

किले में सुल्तान का महल।

श्रीधर ये सीढ़ियाँ तो खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहीं हैं।

सैलजा- उस ज़माने में भी दो मंजिला इमारतें थीं।

कल्याणी- अब तो यह टूटी-फूटी हालत में है, लेकिन अंदाज़ा तो होता है कि इसमें कितने बड़े-बड़े हॉल और कमरे होंगे।

श्रीधर - और यह देखो, दीवारों पर कितनी बारीक और खूबसूरत नक्काशी की गई है। कल्याणी- एक छत पर हमने फ़व्वारे जैसा भी तो देखा था।

दीदी- हाँ, इस किले में कई बड़े-बड़े टैंक और फ़व्वारे थे जिनमें हर समय पानी चलता रहता था।

किले में एक पानी का फव्वारा। एक फव्वारा एक संरचना है जिसमें से पानी हवा में कूदता है और उल्टा यू आकार बनाता है।

वाह! उस ज़माने की इंजीनियरिंग

सोचो, आज भी इंजीनियर जब मकान बनाते हैं तो कई जगह बरसातों में सीलन जाती है। यहाँ तो छत पर पानी के फ़व्वारे चलते थे। तब भी ये इमारतें कितनी समझ से बनाई गई थीं। सोचें कि 500 साल पहले लोग कैसे रहते थे। दिमाग में कई सारे सवाल आते हैं, जैसे- पानी इतनी ऊँचाई पर कैसे चढ़ता होगा? तुम भी अनुमान लगाओ।

सोचो और चर्चा करो-

• फ़व्वारे कैसे चलते होंगे?
• हवा और रोशनी का क्या इंतज़ाम होता होगा?
• सामने के चित्र में दीवार पर की गई नक्काशी को ध्यान से देखो। इतनी सुंदर और बारीक नक्काशी करने में किन औज़ारों का इस्तेमाल होता होगा?
• हमारे देश में आज भी कई जगह बिजली नहीं है। पर जिन पर बिजली है अगर वहाँ एक हफ्ते तक बिजली आए तो कौन-कौन से कामों के लिए बहुत मुश्किल होगी।

किले की दीवारों पर एक सुंदर डिजाइन।

कहाँ है पूर्व-पश्चिम?

तुम जिस जगह पर हो वहाँ पर सूरज किस तरफ़ से उगता है और किस तरफ़ डूबता है? पता करो कि तुम जहाँ खड़े हो वहाँ से पूर्व दिशा में क्या-क्या है? तुम्हारे पश्चिम में क्या-क्या है? अब पता करो कि तुम्हारे उत्तर और दक्षिण में क्या-क्या है?

बताओ और लिखो-

गोलकोंडा के नक्शे को देखो-चारों दिशाएँ तीर के निशान से दिखाई गई हैं।

(1) अगर तुम बोडली दरवाजे से किले के अंदर देख रहे हो तो कटोरा हौज़ किस दिशा में है?
(2) अगर कोई बंजारा दरवाज़े से अंदर रहा है तो कटोरा हौज़ उसकी किस दिशा में होगा?
(3) बाला हिसार से तुम किस दिशा में चलोगे कि मोती महल पहुँच जाओ?
(4) किले की बाहरी दीवार पर कितने दरवाज़े दिख रहे हैं?
(5) गिनकर बताओ किले में कितने महल हैं?
(6) पानी के लिए क्या-क्या इंतज़ाम दिख रहे हैं? जैसे-बावड़ी, कुँए, हौज़। नक्शे में एक सेंटीमीटर ज़मीन पर 110 मीटर की दूरी दिखाता है।

अब बताओ-

• नक्शे में फ़तेह दरवाज़े से बाला हिसार _____ से.मी. की दूरी पर है। ज़मीन पर यह दूरी _____ मीटर होगी।
• मकई दरवाज़े से फ़तेह दरवाज़ा कितनी दूर है?

शिक्षक संकेत- बच्चों को दिशाएँ पहचानने में बहुत समय लगता है। वे उत्तर और दक्षिण दिशा को पहचानने में अधिकतर गलती कर देते हैं। हम बड़े भी कई बार सोचते हैं 'उत्तर' ऊपर को होता है। कई बार कागज पर भी हम 'उत्तर' ऊपर की ओर ही दिखाते हैं। दी गई गतिविधि से यह अपेक्षा नहीं की जाती, कि बच्चे पहली बार में अपनी समझ बना लेंगे। प्रश्न () और () का उत्तर बच्चे सामने, पीछे, दाएँ, बाएँ में दे सकते हैं। दिशाओं की अवधारणा को उनके निजी अनुभवों से जोड़ना ज़रूरी है।

गोलकोंडा किले का नक्शा

किले का एक नक्शा दिखाया गया है, जो इसके बगीचों, दरवाजों, सीढ़ियों का रास्ता दिखाता है।

ये हमले क्यों?-

किले की जमीन में रखी एक बड़ी तोप।

कुछ गोल पत्थर।

हम बातें कर ही रहे थे कि श्रीधर ने तोप दिखाने के लिए हमें आवाज़ दी। तोप को देखने की उत्सुकता में हम सब भी तेज़ी से वहाँ पहुँचे।

सैलजा- यह तोप तो कुतुबशाही सुल्तान की ही होगी।

दीदी- तोप का इस्तेमाल औरंगजेब ने किया था। जानते हो, औंरगजेब बादशाह की पूरी फ़ौज बंदूकों और तोपों के साथ यहाँ हमला करने आई थी। पर वह किले में घुस भी नहीं पाई उसकी पूरी सेना आठ महीनों तक बाहर ही बैठी रही।

सैलजा- दिल्ली से इतनी दूर यहाँ तक फ़ौज तोपों के साथ क्यों आई होगी?

दीदी-बादशाह हो या राजा, सभी का यही खेल था। अपना राज फैला सकें, छोटे-छोटे राजाओं और सुलतानों से अपना रिश्ता जोड़ सकें और उन्हें अपने इलाके में शामिल कर सकें। इसके लिए कभी तो दोस्ती और चापलूसी से काम चलाते थे। कभी परिवार में शादी कराकर या फिर हमला करके।

कल्याणी- इतनी तोपों और बंदूकों के साथ भी बादशाह की सेना अंदर क्यों नहीं घुस पाई? सैलजा- इतनी सारी मोटी-मोटी दीवारें नहीं देखीं? और नक्शे में तो दीवार से लगी एक लंबी गहरी खाई भी दिखती है। तो सेना अंदर कैसे आती?

श्रीधर अगर सेना किसी दूसरी तरफ़ से आने की कोशिश करती तो भी यहाँ बुर्ज पर बैठे सिपाहियों को दूर-दूर तक सब कुछ साफ़ नज़र जाता। मुश्किल तो हुआ होगा हमला करना!

कल्याणी- सोचो! फ़ौज, घोड़ों और हाथियों पर सवार, हाथों में बंदूकें लिए आगे बढ़ रही है। यहाँ सुलतान के फ़ौजी बंदूकों के साथ तैनात हैं।

सैलजा- ओहो! पता नहीं इस लड़ाई में दोनों तरफ़ के कितने ही सिपाही और लोग मारे गए होंगे। हमले होते ही क्यों हैं?

श्रीधर - अरे, तोप तो बहुत पुरानी बात हुई। आजकल तो बहुत सारे देशों के पास न्यूक्लियर बम हैं। इससे तो एक ही बार में कितनी तबाही हो सकती है।

चर्चा करो-

• क्या तुमने हाल ही में सुना है कि किसी देश ने दूसरे देश पर हमला किया हो?
• पता करो कि यह हमला क्यों हुआ होगा?
• किस तरह के हथियार इस्तेमाल किए गए थे?
• किस-किस तरह का नुकसान हुआ?

पता करो-

श्रीधर ने किले में जो तोप देखी थी, वह काँसे की बनी है।

• तुमने कभी काँसे की कोई चीज़ देखी है? क्या?

काँसे की चीजें हज़ारों साल पहले से आदिवासी बनाते आए हैं। आज भी सोचकर हैरानी होती है कि गहरी खानों में से ताँबा और टिन कैसे निकालते, पिघलाते होंगे। फिर कैसे उनसे सुंदर-सुंदर चीजें बनाते होंगे।

• तुम्हारे घर में या आस-पास काँसे की कौन-कौन-सी चीजें थीं या आज भी हैं? रंग से पहचानने की कोशिश करो कि कौन-सी चीज़ ताँबे की, पीतल की और काँसे की बनी है?

जब टेलीफोन नहीं था-

दीदी हमसे राजा के महल में एक जगह खड़े रहने के लिए कहकर खुद फ़तेह दरवाजे पर चली गईं। कुछ देर बाद दीदी की आवाज़ आई। होशियार-मैं सुलतान अबुल हसन हूँ। मुझे गाना-बजाना और कुचीपुड़ी नृत्य बहुत पसंद है।" हमें बहुत हँसी आई लेकिन हम हैरान भी थे कि दीदी की आवाज़ इतनी दूर तक पहुँची कैसे। बाद में उन्होंने बताया कि फ़तेह दरवाज़े पर खड़े होकर कुछ भी बोलें तो राजा के महल में यहाँ सुनाई देता है।


शिक्षक संकेत- ताँबे और पीतल के बर्तनों के चित्र 'बूंद-बूंद, दरिया-दरिया' पाठ में भी दिए गए हैं। बच्चों को प्रोत्साहित करें कि वे रंगों से अलग-अलग धातुओं को पहचान पाएँ।

पानी का इंतज़ाम-

पानी का इंतेजाम जिसमे की एक दाँतेदार पहिया एक ड्रम से एक तरफ़ से जुड़ा है और दूसरी ओर से एक डब्बों की माला से। डब्बों की माला पानी एक नदी में गोलाकार में बनी है और थोड़ा स ऊपर नदी में एक छोटा तालाब सा बना है । ड्रम पर एक डांडी भी लगी है जिससे दो बैल बंधे है। एक चालक बिल गाड़ी का बिलों के साथ खड़ा है।

यह चित्र उस ज़माने की बहुत पुरानी पेटिंग को देखकर बनाया गया है। सोचो, बैलों का इस्तेमाल क्यों हो रहा है? अंदाज़ा लगाओ कि बैलों के घूमने से इस डंडे के ठीक नीचे लगा ड्रम किस दिशा में घूमेगा। उसके साथ लगा दाँतेदार पहिया फिर किस दिशा में घूमेगा? हाथ के इशारे से बताओ। देखो, दाँतेदार पहिए से लगा डंडा ज़मीन के नीचे से जाकर किस पहिए से जुड़ा है? बैलों के घूमने से डिब्बों की माला पानी को कैसे ऊपर चढ़ाती है? अब क्या कुछ पता चला कि किस तरह पानी को कुँए से निकालकर टैंकों में भरा जाता होगा? आज भी हमें किले की दीवार में मिट्टी के पाइप दिखते हैं। इन्हीं के जरिये महल में जगह-जगह पानी पहुँचाया जाता होगा।

चट्टानों के बीच रखे बेलनाकार आकार के पानी के पाइप।

दिखे, मिट्टी के पाइप?

• तुमने इस तरह एक-दूसरे से जुड़े पहियों का इस्तेमाल होते हुए और कहाँ देखा है? जैसे- साइकिल में गियर या और कहीं?
• अपने आस-पास देखो और पता करो कि आज ज़मीन के नीचे से पानी को ऊपर तक कैसे-कैसे चढ़ाया जाता है?
• बिजली से पानी को ऊपर तक कैसे चढ़ाया जाता है? बिना बिजली के पानी को ऊपर कैसे चढ़ाएँगे?

चट्टानों के बीच रखे बेलनाकार आकार के पानी के पाइप।

हाल किया बेहाल क्यों?

आवाजें निकालते और उनकी गूंज सुनते हुए सभी इस मेहराब के नीचे से गुज़र रहे थे।

किले की दीवारों में कुछ घुमावदार चाप हैं।

किले की दीवारों पर न लिखने का पोस्टर।

किले की एक दीवार जिस पर कुछ आगंतुकों के नाम लिखे हुए हैं।

श्रीधर पत्थरों के नीचे इस सुरंग जैसी जगह में बहुत ठंडी हवा रही है।

सैलजा-लिखा हुआ था कि यहाँ फ़ौजी रहते थे।

श्रीधर - अरे यह देखो, यह बोर्ड भी है। फिर भी इस दीवार का क्या हाल है?

सैलजा- हो! मैं तो सोचकर ही सिहर जाती हूँ कि इस दीवार ने सैकड़ों सालों में क्या-क्या नज़ारे देखे होंगे-कितने ही सुलतान और उनकी बेगम, हाथी, घोड़े और जाने क्या-क्या! पर हम लोगों ने कुछ ही सालों में इसका क्या हाल कर दिया है।

कल्याणी- पता नहीं लोग इन दीवारों को अपने नाम लिख-लिखकर गंदा क्यों कर देते हैं?

आँखें बंद करके पहुँचो उस ज़माने में!

मान लो कि तुम उसी समय में हो, जब गोलकोंडा में पूरा का पूरा शहर बसा था। अब इन सवालों के बारे में सोचो और अपनी क्लास में बताओ। चाहो तो ग्रुप में नाटक भी कर सकते हो।

• सुलतान अपने महल में क्या कर रहे हैं? उनके कपडे कैसे हैं? उनके सामने कौन-कौन से पकवान पेश हो रहे हैं? लेकिन बेचारे हैं किन फिक्रों में? और हाँ, किस भाषा में बातचीत कर रहे हैं?

शिक्षक संकेत- इस गतिविधि के जरिये बच्चों को यह सोचने के लिए प्रोत्साहित करें कि उस समय के रहन-सहन, व्यवसाय, खान-पान, आदि कैसे रहे होंगे। इन विचारों को वे अलग-अलग तरीकों से व्यक्त कर सकते हैं, जैसे-अभिनय करके, चित्र बनाकर, कहानी बनाकर या किसी और तरीके से।

• उनके महल पर फ़व्वारे तो चल ही रहे होंगे ! अंदर से महल आलीशान परदों और कालीनों के साथ कैसा लग रहा है? और गुलाब, चमेली के फूलों की खुशबू कहाँ से रही है?
• किस-किस चीज़ के कारखाने देख पा रहे हो? कारखानों में कितने लोग काम कर रहे हैं? उन लोगों ने कैसे कपड़े पहन रखे हैं? कितनी देर काम करते होंगे?
• अरे, वहाँ देखो। वह कारीगर पत्थरों को छैनी और हथौड़ों से काट-काटकर कितनी सुंदर नक्काशी कर रहा है। क्या पत्थरों की धूल से कारीगर को कोई दिक्कत हो रही है?

म्यूज़ियम पहुँचे-

कुछ छोटी धातु की वस्तुएँ।

गोलकोंडा देखकर वापसी में ये बच्चे हैदराबाद के म्यूज़ियम (संग्रहालय) में भी गए। म्यूज़ियम में बहुत पुरानी चीजें रखी होती हैं। इस म्यूजियम में गोलकोंडा किले के आसपास खुदाई के दौरान मिली चीजें भी थीं। जैसे-बर्तन, औज़ार, जेवर, हथियार वगैरह।

सैलजा- अरे, ये बर्तनों के टुकड़े भी सँभालकर इस शीशे की अलमारी में क्यों रखे हए हैं? वह देखो, वह छोटी-सी प्लेट तो काँसे की है। वह नीला टुकड़ा तो चीनी मिट्टी का लगता है।

दीदी- इन्हीं सब चीज़ों से तो पता चलता है कि उस ज़माने में लोग कैसे रहते थे, किन-किन चीज़ों का इस्तेमाल करते थे और क्या-क्या बनाते थे। सोचो अगर यह सब सँभालकर नहीं रखा होता तो क्या तुम आज उस ज़माने के बारे में इतना कुछ जान पाते?

शिक्षक संकेत- बच्चों को प्रोत्साहित करें कि वे अपने बड़े-बूढों और आस-पास के लोगों से पुराने समय के बारे में बातचीत करें। यह इतिहास की समझ बनाने में सहयोगी रहेगा।

लिखो-

• तुमने आसपास किस-किस तरह के बर्तनों का इस्तेमाल होते देखा है?
• अपने दादा-दादी से पता करो कि उनके समय में और किस-किस तरह के बर्तन इस्तेमाल में लाए जाते थे?
• क्या तुम भी कभी किसी म्यूज़ियम में गए हो या उसके बारे में सुना है? वहाँ क्या-क्या होता है?

इमारत का सर्वे लिखो-

• क्या तुम्हारे घर के आस-पास कोई ऐसी पुरानी इमारत है, जिसे देखने के लिए लोग आते हैं? यदि है, तो कौन-सी?
• क्या तुम कभी कोई ऐसी ही पुरानी इमारत देखने कहीं दूर गए हो? कौन-सी? वह तुम्हें क्या कुछ बोलती-सी लगी? क्या जान पाए उस समय के बारे में जब वह इमारत बनी थी?
• वह कितनी पुरानी है? तुम्हें कैसे पता लगा? _____
• वह किस चीज़ से बनी है? _____
• किस रंग की है? _____
• क्या उसमें कुछ खास तरह के डिज़ाइन बने हैं? यहाँ बनाओ। _____
• उसमें कौन लोग रहते होंगे? _____
• वहाँ क्या-क्या काम होता होगा? _____
• क्या अभी भी उसमें लोग रहते हैं? _____

शिक्षक संकेत- बच्चों से इतिहास के स्रोतों के बारे में बात करें जैसे की नक्शे, चित्र, खुदाई से निकली चीजें, किताबें, हिसाब के दस्तावेज़, आदि।

तुम भी अपना म्यूज़ियम बनाओ-

रजनी केरल के मल्लापुरम ज़िले के एक सरकारी स्कूल में पढ़ाती हैं। उन्होंने अपनी क्लास के बच्चों के साथ मिलकर अपने और आस-पास के बहुत-से घरों से पुरानी चीजें जमा की। जैसे पुरानी छड़ियाँ, छतरियाँ, लकड़ी की खड़ाऊँ (चप्पल), बर्तन, वगैरह। उन्होंने आजकल ये सब चीजें जैसी होती हैं वह भी देखा। फिर बच्चों ने और रजनी ने मिलकर एक प्रदर्शनी लगाई जिसे आस-पास के लोग भी देखने आए। तुम भी यह कर सकते हो।

एक  पेंटिंग  जिसमें दिखाया गया है कि आगरे का किला किस तरह बनाया जा रहा था। इसमे पंद्रह मर्द और चार पाँच औरतें  काम कर रही हैं।

चित्र को देखो और बताओ

यह लगभग पाँच सौ साल पुरानी पेंटिंग है जिसमें दिखाया गया है कि आगरे का किला किस तरह बनाया जा रहा था।

चित्र में लोग किस-किस तरह के काम करते नज़र रहे हैं? कितनी औरतें और कितने मर्द काम कर रहे हैं? देखो यह भारी खंभा ढलान पर कैसे ऊपर ले जा रहे हैं? भारी चीज़ ढलान पर चढ़ानी आसान होती है या सीधी ऊपर ले जानी। क्या मशक में भरकर पानी ले जाता हुआ आदमी देख पाए?

हम क्या समझे-

• संगीता को लगता है कि म्यूजियम में पुरानी चीजें सँभालकर रखना बेकार है। तुम उसे कैसे समझाओगे कि म्यूजियम का होना ज़रूरी है।
• तुम्हें क्या लगता है, इस पाठ का नाम 'बोलती इमारतें' क्यों रखा गया है?