QR Code Chapter 14


14. जब धरती काँपी

  • एक बुरा सपना!

ओह! .......... क्या हुआ! ऊँह, ऊँह! बचाओ, बचाओ! जल्दी आओ! चारों तरफ़ चीखने-चिल्लाने की आवाजें। पैरों के नीचे ज़मीन हिलती हुई और चारों तरफ़ भागते हुए घबराए लोग। मैं ज़ोर से चिल्लाई और एक दम से मेरी आँख खुल गई। मेरी चीख से माँ भी नींद से जाग गईं। वे भागी आईं और मुझे अपनी छाती से लगा लिया। ओह, यह तो सपना था। छह साल पहले असल में ऐसा ही हुआ था। उस भूकंप को आए छह साल से भी ज़्यादा हो चुके हैं, पर आज भी कई बार नींद में लगता है, मानो ज़मीन हिल रही है। मैं गुजरात के कच्छ इलाके में रहने वाली जस्मा हूँ। बात तब की है जब मैं सिर्फ़ ग्यारह साल की थी। उस दिन गाँव के बच्चे, बड़े, सब स्कूल के आँगन में टी.वी. पर 26 जनवरी की परेड देख रहे थे। अचानक ज़मीन तेज़ी से हिलने लगी। सभी लोग घबराकर इधर-उधर भागने लगे। किसी को भी पता नहीं था कि क्या करना चाहिए।

भूकंप के बाद के प्रभावों को दर्शाने वाली एक तस्वीर। इमारतें तबाह हो गई हैं, लोग इधर-उधर भाग रहे हैं, कुछ लोगों की मौत हो चुकी है और उनके शव जमीन पर पड़े हैं।

शिक्षक संकेत- इस पाठ के समय बच्चों को भुज में आए भूकंप के बारे में बताया जाना अच्छा होगा। भूकंप से होने वाले प्रभावों पर चर्चा की जा सकती है।

कुछ ही पल में हमारा पूरा गाँव मलबे का ढेर बन गया। हमारा सारा सामान-कपड़े, बर्तन, खाना- सब कुछ मलबे में दब गया। उस समय सभी लोगों का ध्यान दो ही कामों पर था- मलबे के नीचे दबे लोगों को निकालना और घायलों की मरहम-पट्टी करना। गाँव के अस्पताल को भी नुकसान पहुंचा था। डॉक्टर बाबू ने गाँव वालों की मदद से ही घायलों का इलाज किया।

टूटी हुई इमारत के पास जमीन पर चटाई पर बैठी एक लड़की, लड़की के एक पैर को प्लास्टर से ढक दिया जाता है और उसके पास पानी का एक छोटा बर्तन रखा जाता है। साथ ही बिल्डिंग के पास एक कुत्ता बैठा है।

बहुत सारे लोगों को तो गहरी चोटें भी लगीं। मेंरी टाँग भी टूट गई। गाँव के छह लोग दबकर मर गए। नाना भी मलबे में दब गए। माँ तो दिन भर रोती रह ती थीं। माँ रोती, तो मैं भी रोती। पूरा गाँव ही दुखी और परेशान था। हमारे गाँव के सरपंच, मोटा बापू के घर को ज़्यादा नुकसान नहीं पहुँचा था। उन्होंने अपने गोदाम से सभी को अनाज दिया। कई दिन तक गाँव की औरतें मिलकर मोटा बापू के घर पर ही सभी गाँव वालों के लिए खाना पकाती रहीं। इतनी ठंड के दिन और वह भी बिना घर के बिताना। रात के समय ठंड और डर, दोनों के मारे नींद ही नहीं आती थी। हर समय यही डर लगा रहता था कि कहीं फिर भूकंप आ गया तो?

चर्चा करो और लिखो-

  • क्या तुमने या तुम्हारे किसी जानने वाले ने कभी ऐसी मुसीबत का सामना किया है?
  • ऐसे समय में किन लोगों ने मदद की? उनकी सूची बनाओ।

फिर पहुँची मदद-

कई दिन तक हमारा हाल देखने दूर शहर से लोग आते रहे, जैसे कोई तमाशा लगा हो। ये लोग हमें खाने-पीने की चीजें, कपड़े और दवाइयाँ भी देते थे। हममें से कुछ को यह सामान मिलता, तो कुछ को नहीं। खूब छीना-झपटी होती थी, इन चीजों के लिए। कपड़े मिलते, पर कितने अजीब से। ऐसे कपड़े हमने पहले कभी नहीं पहने थे। शहर की संस्था से आए लोगों ने सभी के रहने के लिए गुज़ारे लायक तंबू लगाए। सोचो, जनवरी-फरवरी का महीना, कड़कती ठंड और छत के नाम पर प्लास्टिक का तंबू।!

कुछ लोग खुले वाहन में बैठकर भूकंप से प्रभावित गरीब लोगों को खाना-पानी बांट रहे हैं.

उन लोगों में कुछ वैज्ञानिक भी थे, जो अपने खास तरीकों से पता करते थे कि किस इलाके में भूकंप आने का कितना खतरा है। गाँव वालों की उनके साथ कई बार बातचीत हुई। उन लोगों के पास घर बनाने के लिए कुछ सुझाव थे। इन लोगों में कुछ इंजीनियर और कुछ आर्किटेक्ट भी थे। जिन्होंने हमें घरों के खास डिज़ाइन दिखाए। उन्होंने बताया कि खास तरह के डिज़ाइन से भूकंप आने पर कम-से-कम नुकसान होगा। पर गाँव वालों को डर था कि कहीं ऐसा करने से गाँव, अपने गाँव जैसा ही न लगे। आखिर में यही फ़ैसला हुआ कि हम अपना घर अपने-आप मिलकर बनाएँगे, संस्था के सुझाए डिज़ाइन के अनुसार। यह भी निश्चित हुआ कि गाँव का स्कूल वे लोग बनाएँगे।

कुछ आदमी इकट्ठे हुए कागज की एक बड़ी शीट को देख  कुछ चर्चा कर रहे हैं , जबकि अन्य उन्हें सुन रहे हैं ।

सबने मिलकर पूरा गाँव फिर से खड़ा किया। गाँव के कुछ लोग सूखे तालाब को खोदकर चिकनी मिट्टी लाए। मिट्टी में फिर गोबर मिलाकर बड़े-बड़े उपले बनाए और उन्हें एक-दूसरे पर रख कर दीवारें खड़ी की। चूने से दीवारों की पुताई की।

शिक्षक संकेत- बच्चों के साथ सरकारी संस्थाओं और गैर-सरकारी संस्थाओं पर चर्चा की जाए। उनके इलाके की संस्था के उदाहरण लिए जा सकते हैं। इंजीनियर, आर्किटेक्ट के कार्यों पर चर्चा की जा सकती है।

की छत बनाई। फिर आईने के टुकड़ों से घर को सजाया। हमारे घर की दीवारों पर माँ और मैंने चित्रकारी की। अब रात में हमारा घर हीरे-सा चमकता है।

 

गाँव के लोग पत्थरों और मिट्टी से छोटे-छोटे घर बना रहे हैं।

चर्चा करो-

  • जस्मा के गाँव में बाहर के बहुत सारे लोग आए। ये कौन लोग होंगे? इन लोगों ने किस प्रकार की मदद की होगी?
  • जस्मा के गाँव के लोगों ने अपना गाँव संस्था के बताए तरीके के अनुसार फिर से खड़ा किया। घरों को अब कैसे मज़बूत बनाया?
  • सोचो, अगर तुम्हारे यहाँ भूकंप आ जाए, तो क्या तुम्हारे घर को भी खतरा होगा? तुम कहाँ रहोगे।
  • ऐसे समय में तुम अपने पालतू जानवरों की सुरक्षा तथा देखभाल के लिए क्या करोगे?

लिखो-

• अपने घर की तुलना जस्मा के घर से करो। दोनों घरों को बनाने के लिए इस्तेमाल की गई चीज़ों की सूची कॉपी में बनाओ।

जस्मा का घर

 

आपका घर

 

 

 

 

क्या-क्या करें?-

संस्था के लोगों ने जस्मा के स्कूल में अभ्यास कराया कि भूकंप आने पर क्या-क्या करना चाहिए।

शिक्षक संकेत- बच्चों से कक्षा में बातचीत करें कि अगर ऐसी मुसीबत आने से पहले जानकारी मिल जाए तो क्या कर सकते हैं, जिससे जान-माल का नुकसान कम हो सके।

  • अगर हो सके तो घर से बाहर खुले में निकल जाओ।
  • अगर घर से बाहर निकल न पाओ, तो फ़र्श पर लेटकर किसी मज़बूत चीज़, जैसे मेज़ के नीचे छिप जाओ। उसे पकड़े रखो ताकि वह फिसलकर तुमसे दूर न जाए। कंपन रुक जाने तक इंतज़ार करो।
  • चित्र में देखो, भूकंप आने पर क्या करोगे।

एक मेज के नीचे बैठा एक लड़का मजबूती से उसकी बाँहों को पकड़े हुए है।

आओ, तुम भी करो अभ्यास करना है क्या, जब हो भूकंप का आभास

  • क्या तुम्हें कभी स्कूल में या कहीं और इस बारे में बताया गया है कि भूकंप जैसी मुसीबत के समय क्या करना चाहिए?
  • भूकंप के समय किसी मज़बूत चीज़ के नीचे छिप जाने को क्यों कहा गया है?

किसने की मदद?-

भुज में आए भूकंप की टी.वी. पर आई इस रिपोर्ट को पढ़ो -

 

भुज में आए भूकंप की तस्वीर जिसमे सब मकान, पेड़, इमारतें आदि गिरे हुए हैं और कुछ लोगों के शव भी हैं।

 अहमदाबाद, जनवरी 26, 2001

आज सुबह गुजरात में आए भूकंप में कम-से-कम हज़ार लोगों के मरने की आशंका है। कई हज़ार लोग घायल हो गए। बचाव एवं राहत कार्यों में लोगों की मदद के लिए सेना के जवानों को बुलाया गया है। अहमदाबाद शहर में कम-से-कम डेढ़ सौ इमारतें ढह गईं। इनमें लगभग एक दर्जन बहुमंज़िली इमारतें थीं आज शाम तक इनके नीचे से कम-से-कम ढाई सौ शव निकाले जा चुके हैं। कहा जा रहा है कि अभी भी कई हज़ार लोग ढह गई इमारतों के मलबे के नीचे दबे हुए हैं। बचाव कार्य तेजी से चल रहा है। शहर की शायद ही कोई इमारत होगी, जिसमें दरारें न पड़ी हों। भुज की हालत इससे भी ज़्यादा खराब है। चारों ओर डरे हुए लोग भगदड़ मचाए हुए हैं। जवानों ने स्थानीय लोगों के सहयोग से काम किया है। राहत कार्य के लिए देश और विदेश से हर तरह की सहायता के आश्वासन मिल रहे हैं।

लिखो-

  • टी.वी. की रिपोर्ट के अनुसार गुजरात में हज़ारों लोग घायल हुए और मरे भी। अगर यहाँ बनी इमारतें भूकंप से सुरक्षित होतीं, तो क्या नुकसान में कुछ अंतर होता? क्या?
  • ऐसे समय पर जब लोगों के घर ही नहीं रहे, तब लोगों को किस-किस तरह की राहत की ज़रूरत पड़ी होगी?
  • ऐसे में किन-किन की मदद की ज़रूरत पड़ती होगी और किस काम के लिए? कॉपी में तालिका बनाकरलिखो।

किन-किन की मदद की ज़रूरत

काम में मदद

1. कुत्ता

 

सूंघकर जानना कि लोग कहाँ दबे हैं

2. ______

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चर्चा करो-

  • क्या तुमने कभी अपने इलाके में देखा है कि आस-पड़ोस के लोगों ने मिलकर एक-दूसरे की मदद की हो? कब-कब?
  • लोग अक्सर एक जगह पर पास-पास क्यों बसते हैं?
  • अगर तुम्हारा घर अपने इलाके में अकेला घर होता यानी तुम्हारे आस-पास कोई न रहता तो कैसा होता? जैसे- तुम किसके साथ खेलते? क्या अकेले डर लगता? सभी त्योहार और खास मौके किस के साथ मिलकर मनाते, इत्यादि?
  • लोगों को कई बार ऐसी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है, जिनमें जान और माल का भारी नुकसान होता है। कई लोग बेघर हो जाते हैं। पिछले

कुछ एक महीनों के अखबारों से दुनिया में आए भूकंप, बाढ़, आग, तूफ़ान आदि के बारे में समाचार इकट्ठे करो। उन्हें कॉपी में चिपकाओ।

तुम्हारी समाचार रिपोर्ट-

तुम अपनी समाचार रिपोर्ट तैयार करो जिसमें इन बातों का जिक्र हो।

  • संकट का कारण
  • तारीख और समय
  • किस-किस तरह के नुकसान हुए? (जान, माल, रोज़गार का नुकसान)
  • कौन-कौन लोग मदद के लिए आए और ज़िम्मेदारी ली (कौन-कौन से सरकारी दफ़्तर तथा अन्य सस्थाएँ)
  • क्या तुम्हारे इलाके में कभी लोगों ने भुखमरी, सूखा जैसी मुसीबतों का सामना किया है? ऐसे समय में खाने-पीने की भारी कमी हो जाती है। अखबार से देश-विदेश की ऐसी खबरें ढूँढ़ो और उन पर एक रिपोर्ट तैयार करो।
  • किसी मुसीबत के समय तुम्हें अपने इलाके में इनकी ज़रूरत पड़ सकती है। इनसे संपर्क करने के लिए तुम इनके फ़ोन नंबर तथा पूरा पता कॉपी में लिखो। इस सूची में कुछ और नाम भी जोड़ो।

 

पता

फोननंबर

दमकल केंद्र

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नज़दी की अस्पताल

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एम्बुलेंस

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पुलिसथाना

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शिक्षक संकेत- जब कक्षा में आस-पड़ोस के महत्त्व पर चर्चा हो, तो बच्चों को कुछ उदाहरण दिए जा सकते हैं, जैसे- घर में विवाह या किसी की मृत्यु या रोजमर्रा के काम। अखबारों से लेख इकट्ठा करके बच्चों को अलग-अलग समूहों में बाँटकर विभिन्न आपदाओं के बारे में रिपोर्ट तैयार करवाई जा सकती है। बच्चों को बताएँ कि किस तरह अलग-अलग आपदाएं, अलग-अलग लोगों को ज्यादा नुकसान पहुँचाती हैं। जैसे- बाढ़ से किसान, सुनामीसेमछुआरे।बच्चोंकोआपदाओंसेनिबटनेकीतैयारीहेतुफिल्मदिखाना, किट्स (kits)बनवाना और मॉक-ड्रिल (mock-drill) आदि करवायें वेब लिंक: http:\\www.ndma.gov.in का इस्तेमाल कर सकते हैं।

पहचानो संकट के समय को

इन शब्दों की मदद से रिपोर्ट तैयार करो-

बाढ़, नदी का पानी, घायल लोग, खाने के पैकेट, राहतकार्य, कैंपों में रहना, लोगों के शव, जानवरों के बहते शरीर, डूबेघर, आकाश से निरीक्षण, दुःखी लोग, गंदे पानी से बीमारियाँ, बेघर लोग, सामूहिक भोजन, फँसे लोग।

एक लड़का कुछ सोच रहा है।

हम क्या समझे

बाढ़ के समय किस-किस तरह की परेशानियाँ आती होंगी? चित्र देखो- बाढ़ के बाद बच्चे किस तरह के स्कूल में पढ़ने के लिए आए हैं? लिखो, बाढ़ के बाद भी ज़िदगी को दोबारा पटरी पर लाने में और क्या-क्या करना पड़ा होगा।

कुछ बच्चे खुले क्षेत्र में एक चटाई पर बैठे हैं और अपनी किताबों के साथ पढ़ रहे हैं और एक पुरुष और महिला उन्हें ब्लैकबोर्ड का उपयोग करके पढ़ा रहे हैं।


शिक्षक संकेत- आस पड़ोस के महत्ता के बारे में चर्चा करते हुए विभिन्न उदाहरण जैसे रोज़ाना बातचीत, पड़ोस में शादी या मृत्यु आदि को इस्तेमाल कर सकते हैं। अखबारों से समाचार इकट्ठा कर, बच्चे विभिन्न आपदाओं पर समुहों में काम कर सकते हैं। अलग-अलग लोगों को आपदाएं कैसे प्रभावित करती है; इस पर चर्चा करें। जैसे किसान बाढ़ द्वारा और मछुआरे सुनामी द्वारा सबसे अधिक प्रभावित होते हैं आदि। बच्चों को आपदा तैयारियों से संबंधित फिल्म दिखाएँ और आपदा किट्स (Kits) को जोड़ने व मॉकड्रिल (Mock Drills) करने के लिए प्रेरित करें। वेबलिंक: http://www.ndma.gov.in/en का प्रयोग करें।