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18. जाएँ तो जाएँ कहाँ
जात्र्याभाई
जात्र्याभाई अपनी बेटी झिमली के साथ दरवाज़े की चौखट पर बैठे सीडया का इंतज़ार कर रहे थे। रात होने को थी, पर सीडया अभी तक घर नहीं आया था।
लगभग दो साल पहले जात्र्या का परिवार सिंदूरी गाँव से मुंबई आया था। अपना कहने को यहाँ दूर के रिश्तेदार का एक परिवार ही था। उन्हीं की मदद से जात्र्याभाई ने मछली पकड़ने के कटे हुए जालों की मरम्मत का काम शुरू किया। इससे तो उनका गुज़ारा न हो सका। घर का किराया, दवाई, खाना, स्कूल का खर्चा ही नहीं, पानी भी पैसों से खरीदना पड़ रहा था। छोटे सीडया को भी पास वाले मछली के कारखाने में काम करना पड़ा। सीडिया सुबह के चार बजे से सात बजे तक मछली साफ़ करता, छोटी-बड़ी मछलियाँ छाँटता। उसके बाद वह घर आता। थोड़ी देर सोकर दोपहर को स्कूल जाता। शाम को सब्जी-मंडी में घूमता फिरता। कभी किसी मेमसाहब की थैलियाँ उठाता तो कभी रेलवे स्टेशन पर जाकर पानी की खाली बोतलें ढूँढकर कबाड़ीवाले को बेचा। जैसे-तैसे ही चल रही थी उनकी जिंदगी।
अब तो रात भी हो गई, लेकिन सीडया घर नहीं आया। झिमली पड़ोसी के घर की खिड़की से टी.वी. पर नाच देख रही थी। मगर जात्र्या का मन टी.वी. देखने में नहीं लगता। यहाँ सब कुछ कितना अलग था। कितनी नई, अजीब दुनिया थी। दिन काम की भगदड़ में चला जाता और शाम पुरानी यादें लेकर आती।
सोचो और बताओ
- जात्र्या भीड में रहकर भी अकेला महसूस कर रहा था। क्या तुम्हारे साथ भी कभी ऐसा हुआ है?
- अपनी जगह छोड़कर दूर नई जगह जाकर रहना कैसा लगता होगा?
- जात्र्या जैसे परिवार बड़े शहरों में क्यों आते होंगे?
- क्या तुमने ऐसे बच्चों को देखा है जो पढ़ने के साथ काम पर भी जाते हैं?
- ये बच्चे किस तरह के काम करते हैं? क्यों करने पड़ते होंगे?
पुरानी यादें
हरे-भरे घने जंगलों और पहाड़ियों के बीच खेड़ी गाँव में जात्र्या का जन्म हुआ था। उसके दादा के जन्म के पहले से ही ये लोग यहाँ रह रहे थे।
उनके गाँव में शांति तो थी, लेकिन सन्नाटा नहीं था। गाँव में नदी की कल-कल, पेड़ों की सन-सन, पंछियों की चहक थी। यहाँ के लोग खेती का काम करते थे। गाँव के लोग जंगलों में जाकर कंद-मूल, साग-सब्जी और सूखी टहनियाँ लाते। ये सब काम करते समय लोग बातें करते और गाने गुनगुनाते। बड़ों के साथ काम करके छोटे बच्चे भी ये सभी काम सीख जाते, जैसे- बाँसुरी बजाना, ढोल बजाना, मिलकर नाचना, मिट्टी और बाँस के बर्तन बनाना, पंछियों को पहचानना, उनकी नकल करना, आदि। लोग जंगल से इकट्ठा किया सामान इस्तेमाल करते। बचा हुआ सामान नदी पार के बड़े गाँव में जाकर बेच देते। इन पैसों से वे अपने लिए नमक, तेल, चावल और कभी थोड़े कपड़े खरीदते।
वैसे तो वह एक गाँव था मगर सब एक बड़े परिवार जैसे रहते थे। जात्र्या की बहन की शादी भी उसी गाँव में हुई थी। अच्छे-बुरे समय में सब साथ मिलकर एक-दूसरे की मदद करते थे। शादी-ब्याह के काम और झगड़े, गाँव के बड़े-बुजुर्ग साथ मिलकर निपटाते।
जात्र्या अब जवान हो गया था। वह खेती का भारी काम अकेले ही करता। बड़ी नदी के बीचों-बीच मछली भी पकड़ता। अब वह जंगल से फल, कंद, दवाई के लिए पत्तियाँ, नदी की मछली, आदि सब लेकर दोस्तों के साथ कस्बे के गाँव में बेचा करता। गाँव में त्योहार के समय अपनी उम्र के लड़के-लड़कियों की टोली में नाचता और ढोल भी बजाता।
बताओ
- खेड़ी गाँव में बच्चे क्या-क्या सीखते थे?
- तुम अपने बड़ों से क्या-क्या सीखते हो?
- जिन चीज़ों का ज्ञान जात्र्या को खेड़ी में हासिल हुआ, उनमें से कितना उन्हें मुंबई में काम आया होगा?
शिक्षक संकेत- शांत होकर आवाजें सुनने से बच्चों को शांति और सन्नाटे का अंतर महसूस होगा। जब सभी बच्चे चुप हो जाते हैं, तब कक्षा में शांति तो होती है, लेकिन और कई आवाजें सुनाई दे रही होती हैं। ऐसे में सन्नाटा नहीं होता।
- क्या तुम हर रोज़ पक्षियों की आवाजें सुनते हो? कौन-कौन से?
- क्या तुम किसी पक्षी की आवाज़ की नकल कर सकते हो? करके दिखाओ।
- तुम रोज़ ऐसी कौन-सी आवाजें सुनते हो, जो खेड़ी के लोग नहीं सुनते होंगे?
- क्या तुमने सन्नाटा महसूस किया है? कब और कहाँ?
नदी के पास
एक दिन गाँव वालों ने सुना कि उनकी नदी पर एक बहुत बड़ा बाँध बनने वाला है। नदी को रोककर एक बहुत बड़ी दीवार-सी खड़ी की जाएगी। तब खेड़ी और आस-पास के बहुत सारे गाँव पानी में डूब जाएँगे। लोगों को अपने पुरखों (बाप-दादा) की ज़मीन, घर-बार छोड़कर नई जगह चले जाना होगा।
कुछ दिन बाद सरकारी लोग पुलिस की पलटन को लेकर गाँव-गाँव पहुँचने लगे। गाँव के छोटे बच्चों ने तो पहली बार पुलिस देखी। कुछ बच्चे उनके पीछे भागते तो कुछ डर से रोने लगते। वे नदी की चौड़ाई, लंबाई, गाँव के घर, खेत, जंगल, सब नापने लगे। उन्होंने गाँव के बड़ों के साथ मीटिंग भी की और कहा, “गाँवों को नदी किनारे से हटाना होगा। जिनके पास अपनी ज़मीन है, उन्हें नदी पार बहुत दूर बसने के लिए नई जगह दी जाएगी। दूसरी जगह जहाँ ज़मीन मिलेगी, वहाँ स्कूल, बिजली, अस्पताल होंगे, बस और ट्रेनें भी होंगी। नए गाँव में वह सब होगा, जो आज तक खेड़ी के लोगों ने सोचा भी न था।"
उसके माँ-बाबा और गाँव के कई बड़े-बूढ़ों को अपना गाँव छोड़ना पसंद न था। जात्र्या भी यह सुनकर थोड़ा सहम जाता, थोड़ा खुश भी हो जाता। सोचता, वह शादी के बाद अपनी दुलहन को नए गाँव के नए घर में ले जाएगा। ऐसा घर, जिसमें बटन दबाते ही बिजली जलेगी और घर में नल खोलते ही पानी। बस में बैठकर वह शहर घूमने जाएगा। सोचता, जब बच्चे होंगे, तब उन्हें स्कूल भेज पाऊँगा। उन्हें अपने जैसा अनपढ़ नहीं रखूँगा।
चर्चा करो और बताओ
- जात्र्या के गाँव के कई लोगों को अपने जंगल-ज़मीन छोड़ना मंजूर न था। ऐसा क्यों? न चाहते हुए भी उन्हें अपना गाँव छोड़ना ही पड़ा। सोचो क्यों?
- जात्र्या के खेडी के परिवार में कितने लोग थे? जात्र्या जब अपने परिवार के बारे में सोचता तो उसके मन में कौन-कौन आता?
- अपने परिवार के बारे में सोचते हो तो तुम्हारे मन में कौन-कौन आता है?
- क्या तुमने ऐसे लोगों के बारे में सुना है, जो अपनी पुरानी जगह से हटना पसंद नहीं करते? उनकी कुछ बातें बताओ।
- क्या तुम कोई ऐसी जगह जानते हो, जहाँ स्कूल है ही नहीं?
कल्पना करो
- जहाँ बाँध बनता है, वहाँ के लोगों को क्या-क्या परेशानियाँ होती होंगी?
- खेड़ी गाँव और जात्र्या के सपनों के नए गाँव के चित्र अपनी कॉपी में बनाओ। अपने साथी का चित्र भी देखो। उनमें अंतर ढूँढो।
एक नई जगह
दोपहर का समय था। कड़ी धूप और गर्म हवा से जात्र्या बेजान था। डामर (कोलतार) से बना रास्ता जलते तवे जैसा गर्म था। आस-पास कोई छायादार पेड़ भी न था। सिर्फ कुछ मकान और दुकानें थीं। दवाइयाँ खरीदकर जात्र्या घर की ओर चल पड़ा। उसकी पीठ पर पुराना टायर था। आजकल घर का चूल्हा जलाने के लिए वह ऐसे
शिक्षक संकेत– 'बाँध' के बारे में बच्चों की समझ को स्पष्ट करें। इसके लिए इलाके या आस-पास बने बाँध का उदाहरण लिया जा सकता है। 'बाँध' बनाने से कुछ लोगों को फायदा होगा तो क्या कुछ लोग ऐसे भी हैं, जिन्हें नुकसान हो सकता है। इन बातों पर चर्चा की जा सकती है।
टायरों के रबड़ के टुकड़ों को जलाता था। ये आग जल्दी पकड़ते थे और इससे लकड़ी भी कम लगती थी। पर इसके जलने से हुई बू और धुंए से सब परेशान थे। सिंदूरी नाम के इस नए गाँव में हर चीज़ पैसों से मिलती थी। दवाई, सब्जी, अनाज, पशुओं की खुराक और लकड़ी भी। मिट्टी का तेल तो उनकी पहुँच से बाहर था। कहाँ से लाएँ इतने पैसे?
सोचते-सोचते जात्र्या अपने घर तक पहुँच गया। छत के नाम पर टीन की चादर भट्टी जैसी जल रही थी। जात्र्या की बीवी तेज़ बुखार से तप रही थी। उसकी बेटी झिमली अपने छोटे भाई सीडया को गोद में लेकर सुला रही थी। घर में और कोई बड़ा भी तो नहीं था। माँ और पिताजी तो पहले ही खेड़ी छोड़ने के गम में चल बसे थे।
इस नई जगह पर उनके गाँव के आठ-दस परिवार ही थे, जो उसके अपने थे। बाकी सारा गाँव यहाँ-वहाँ बिखर गया था। जिन्हें जहाँ ज़मीन दी गई, वे वहीं बस गए।
जैसा सपना देखा था, वैसा तो नहीं था यह नया गाँव। बिजली तो थी, मगर वह भी कभी रहती, कभी नहीं। ऊपर से बिजली के बिल का नया खर्चा भी तो था। वहाँ नल तो थे, पर उनमें पानी न आता।
इस गाँव में जात्र्या को टीन की चादर से बना हुआ एक कमरे का घर मिला। उसमें पशुओं को रखने की तो जगह ही नहीं थी। थोड़ी-सी खेती की ज़मीन भी मिली थी। मगर वह खेती के लायक नहीं थी। बड़े-बड़े पत्थरों और कंकड़ों से भरी थी। जात्र्या और उसका परिवार फिर भी जी-जान से उसमें मेहनत करते। मगर धान-खाद को खरीदने में जो पैसे खर्च होते, उतने भी हाथ न आते।
वहाँ पुराने गाँव में बीमारी कम थी। अगर कोई बीमार हो भी जाता, तो जड़ी-बूटी की दवाई जानने वाले बहुत-से लोग थे। उनके इलाज से सेहत सुधर जाती थी। यहाँ अस्पताल तो थे पर डॉक्टर मुश्किल से मिल पाते और दवाई भी न मिलती।
यहाँ स्कूल था, पर टीचर खेड़ी के इन बच्चों की तरफ़ ध्यान ही नहीं देती थी। नई भाषा की पढ़ाई इन बच्चों के लिए कठिन भी थी। सिंदूरी गाँव के लोगों को इन लोगों का यहाँ आना पसंद न था। उनको खेड़ी के लोगों की भाषा, रहन-सहन सब अजीब लगता। वे खेड़ी वालों को 'बिन बुलाए मेहमान' कहकर, उनका मज़ाक भी उड़ाते थे। क्या सोचा था, और क्या हुआ?
लिखो
- क्या सिंदूरी गाँव जात्र्या के सपनों के गाँव जैसा था?
- 'सिंदूरी' और 'अपने सपनों के गाँव' में उसे क्या अंतर मिला?
- क्या तुम कभी किसी के घर 'बिन-बुलाए मेहमान' थे? कैसा लगा?
- जब तुम्हारे यहाँ कुछ दिन मेहमान रहने आते हैं, तब तुम्हारे परिवार वाले क्या-क्या करते हैं?
कुछ साल बाद
जात्र्या ने कुछ साल सिंदूरी में ही बिताए। बच्चे भी बड़े हो रहे थे। मगर जात्र्याभाई का मन अब सिंदूरी में नहीं लगता था। उन्हें तो बस अपने खेड़ी गाँव की याद सताती रहती, पर अब खेड़ी था कहाँ? खेड़ी और आस-पास के इलाके में था-एक बहुत बड़ा बाँध और रुके हुए पानी का एक बड़ा-सा तालाब। जात्र्याभाई ने सोचा, 'बिन बुलाए मेहमान' ही कहलाना है, तो ऐसी जगह जाएँ, जहाँ अपने सपने पूरे तो हों। उन्होंने अपनी ज़मीन और जानवर बेच दिए और वे मुंबई आ गए। अब उसके परिवार की नई जिंदगी शुरू हुई। बच्चे स्कूल में जाएँ, कुछ बनें, बस यही चाहते थे।
यहाँ के हालात अच्छे तो नहीं थे, मगर धीरे-धीरे शायद सब ठीक हो जाएगा। यही वे सोचते थे। जात्र्या ने अपनी खोली (एक कमरे की रहने की जगह) की मरम्मत के लिए पैसे बचाने शुरू किए। उनके रिश्तेदारों ने कहा, "मत बरबाद करो ये पैसे। शायद
हमें यह जगह भी छोड़नी पड़ेगी। हम बाहर से आने वाले लोगों के लिए मुंबई में रहने की जगह नहीं है।" जात्र्याभाई यह सुनकर डर गए। उन्होंने सोचा- खेड़ी छोड़कर सिंदूरी गाँव में, उसके बाद अब यहाँ मुंबई में। अब यहाँ से भी हटना पड़ेगा, तो जाएँगे कहाँ? क्या इतने बड़े शहर में मेरे छोटे-से परिवार के लिए एक छोटा-सा घर भी नहीं है?
सोचो
- जात्र्याभाई ने क्या सोचकर मुंबई जाने की ठानी? क्या उन्हें मुंबई वैसा ही मिला?
- जात्र्याभाई के बच्चे मुंबई में किस तरह के स्कूल में जाते होंगे?
पता करो और लिखो
- क्या तुम किसी बच्चे या परिवार को जानते हो, जो अपनी जगह से हटाए गए हों? उनसे बात करो।
- वे कहाँ से आए हैं? उन्हें यहाँ क्यों आना पड़ा?
- उनकी पहली जगह कैसी थी? उसकी तुलना में नई जगह कैसी है?
- क्या उनकी भाषा और रहन-सहन यहाँ के लोगों से अलग है? कैसे?
- उनकी भाषा के कुछ शब्द सीखकर लिखो।
- क्या वे कुछ ऐसी चीजें बनाना जानते हैं, जो तुम नहीं जानते? क्या?
शिक्षक संकेत– 'अपनी जगह से हटा दिया जाना' और 'तबादला होना' – इन दोनों में होने वाली परेशानियाँ अलग-अलग होती हैं। देश के विकास के लिए बहुत सारी बड़ी-बड़ी योजनाएँ बनती हैं। जैसे–पुल, कारखाने, हाईवे, इत्यादि। क्या इनसे सभी लोगों की भलाई होती है? इस पर बातचीत की जाए। रोज़ खबरों में आने वाली घटनाओं से जोड़ा जाए।
चर्चा करो
- तुमने शहर की किसी बस्ती को हटाने के बारे में सुना या पढ़ा है? तुम्हें इसके बारे में कैसा लगता है?
- नौकरी में तबादला होने पर भी अपने रहने की जगह से दूर जाना पड़ता है। तब कैसा लगता है?
वाद-विवाद करो
- कुछ लोग ऐसा सोचते हैं - "शहरी लोग गंदगी नहीं फैलाते। शहर का गंद तो झुग्गी-झोंपड़ियों से है।" तुम्हें क्या लगता है - आपस में बात करो, बहस करो।
हम क्या समझे
- जात्र्या के परिवार जैसे लाखों परिवार अलग-अलग कारणों से बड़े शहरों में रहने के लिए जाते हैं। मगर इन बड़े शहरों में उनकी जिंदगी क्या पहले से अच्छी होती है? बड़े शहरों में उन्हें किस तरह के अनुभव होते होंगे?