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21. किसकी झलक? किसकी छाप?
आँऽऽऽ छी... छीं !
आशिमा खिड़की के पास बैठी पढ़ रही थी। बहुत तेज़ हवा चल रही थी। धूल भी बहुत उड़ रही थी। अचानक आशिमा को ज़ोर से छींक आई - आँऽऽऽ छी... छीं! आशिमा की माँ और पिताजी दोनों । रसोईघर में सब्ज़ी छाँट रहे थे। माँ ने कहा-“देखा, छींकती है तो बिल्कुल आप । की तरह। अगर आप यहाँ न होते तो मैं समझती कि आपने ही छींका है।"
तालिका में लिखो
- आशिमा की छींक जैसी क्या तुम्हारी भी कुछ खास पहचान है, जो तुम्हारे परिवार के किसी सदस्य से मिलती है? क्या और किससे?
तुम्हारी खास पहचान | किससे मिलती है |
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शिक्षक संकेत-कक्षा तीन में हमने बच्चों के अपने परिवार के लोगों से मिलते-जुलते गुणों के बारे में पढ़ा। था। अपने दूर के रिश्तेदारों में भी कुछ गुण मिलते-जुलते होते हैं, इस बारे में चर्चा करना अच्छा होगा। बच्चों से उनके अनुभव पूछे।
बताओ
- तुम्हारे परिवार के किसी सदस्य से तुम्हारा चेहरा या कुछ और मिलता है? क्या-क्या?
- इसके बारे में तुम्हें किसी ने बताया या खुद ही पता चला?
- जब लोग तुम्हारी तुलना तुम्हारे परिवार के सदस्य से करते हैं, तो तुम्हें कैसा लगता है? क्यों?
- तुम्हारे घर में सबसे ऊँचा कौन हँसता है? उसकी हँसी की नकल करके दिखाओ।
किसकी मौसी कौन?
नीलिमा स्कूल की छुट्टियों में अपनी नानी के घर गई थी। उसने किसी को आते देखा और अंदर जाकर माँ से कहा, "अम्मा, देखो तुमसे मिलने कोई मौसी आई हैं।" माँ ने बाहर आकर देखा और कहा, "अरे पगली, ये तुम्हारी मौसी नहीं- तुम्हारी बहन है। यह तो तुम्हारी सबसे बड़ी नानी के बेटे जगदीश की बेटी किरन है। असल में तो तुम इनके प्यारे से छुटकू समीर की मौसी हो।"
- नीलिमा की बड़ी नानी से लेकर छोटे समीर तक के नामों की सूची बनाओ। नीलिमा का किससे क्या रिश्ता है? लिखो।
पता करो
- क्या तुम्हारे परिवार में भी अलग-अलग उम्र के भाई-बहन या मामा-भाँजे जैसे रिश्ते हैं? घर के बड़ों से पूछो।
तुम्हारी दादी की चचेरी बहन की जो दूसरे नंबर की बिटिया है तुम बिल्कुल उसकी जैसी दिखती हो।
कैसे जुड़े हैं, हम सब!
नीलिमा छोटे समीर से खेलने लगी। इतने में माँ ने कहा, "किरन देखो मेरी नीलिमा के बाल बिल्कुल तुम्हारे बालों जैसे हैं। घने, काले और घुँघराले। शुक्र है, मेरे बालों की तरह सीधे, भूरे और बेजान नहीं हैं।" नीलिमा की नानी हँसकर बोलीं, "हाँ, हैरानी की बात है न? जैसे-हम बहनों के घने घुँघराले बाल थे अब वैसे ही हमारी दूसरी पीटी के बच्चों के है। सब की बातें सुनकर नीलिमा ने सोचा, “कहने को तो हम दूर के रिश्तेदार हैं, मगर आपस में कितने जुड़े हैं, हम सब!"
पता करो और लिखो
नीलिमा के बाल उसकी नानी की तरह घुँघराले हैं। तुम अपनी किसी बहन, भाई, (चाहे ममेरा भाई, चचेरी बहन) की कोई पहचान देखो। जैसे आँखों का रंग, गालों में गड्ढा (डिम्पल), कद, पतली या मोटी नाक, आवाज़। बताओ कि यह पहचान (गुण) उसकी माँ के परिवार से आई होगी या उसके पिता की तरफ़ से। दी गई तालिका अपनी कॉपी में बनाओ और भरो। यहाँ नीलिमा का उदाहरण देकर समझाया गया है।
नीलिमा-खास पहचान | किससे मिलती-जुलती है | माँ की तरफ़ से | पिता की तरफ़ से |
घुँघराले बाल | उसकी नानी से | सही | गलत |
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- क्या तुमने अपने या किसी और के परिवार में बहुत छोटे बच्चे को देखा है? बच्चे की आँखें, नाक, रंग, बाल या उँगलियाँ परिवार वालों में से किससे मिलती-जुलती हैं? उनके नाम लिखो।
- नीलिमा के बाल अपनी नानी जैसे घने, काले और घुंघराले हैं। नीलिमा की माँ के बाल सीधे, भूरे और बेजान हैं। तुम्हारे बाल कैसे हैं? मोटे या पतले, चिकने या रूखे?
- तुम्हारे बालों का रंग क्या है? अपने बालों का नाप लो और लिखो।
- क्या तुम्हारे बाल तुम्हारे परिवार में से किसी से मिलते-जुलते दादा जी के बाल नापना आसान नहीं हैं? किससे?
- अपने परिवार के लोगों के बाल भी नापो।
- तुम्हारे परिवार में सबसे लंबे बाल किसके हैं?
- तुम ऐसे कितने लोगों को जानते हो, जिनके बाल एक मीटर से लंबे हैं? क्या लंबे बाल होना उनके परिवार की पहचान है?
दादा जी के बाल नापना आसान नहीं
भई मैं पहले ज़्यादा लंबी थी!
- क्या तुम अपने कद का नाप लेना जानते हो? सिर से पाँव तक नाप लो और लिखो।
- सोचो, जब तुम बड़े होगे, तब तुम्हारी लंबाई कितनी होगी और किसके जैसी होगी?
- अपने घर के लोगों की लंबाई नापो और तालिका बनाओ।
यह कैसा आईना
क्या सरोजा आईने के सामने खड़ी है? जी नहीं, उसके सामने आईना नहीं, उसकी जुड़वाँ है। चकरा गए न! जब कभी वे दोनों मिलती तो उनके मामा भी गड़बड़ा जाते। कभी सरोजा को डाँट पड़ जाती,
शिक्षक संकेत- बच्चों की बालों की लंबाई और कद नापने में मदद करें। उन्हें नापने का तरीका भी बताएँ।
सुवासिनी की शैतानी की। कभी सुवासिनी खुद अपने मामा को कहती कि सुवासिनी बाहर गई है। आजकल उनके मामा समझ लेते हैं, कहते हैं - मराठी में गाकर दिखाओ। यह क्या तरीका हुआ? उनके बारे में पढ़ो, तो समझ जाओगे।
दोनों बहनें दो हफ़्ते की ही थीं जब सरोजा की चाची ने उसको गोद ले लिया और अपने साथ पुणे ले गईं। चाची के घर में सभी को संगीत का बेहद शौक है। सुबह की शुरुआत ही संगीत से होती है। सरोजा को बहुत से गीत और गाने आते हैं, दोनों भाषाओं में- मराठी और तमिल। उसके घर पर सब लोग तमिल बोलते हैं और स्कूल में ज़्यादातर बच्चे मराठी।
सुवासिनी चेन्नई में अपने पिता के साथ रहती है। उनके पिता कराटे के कोच हैं। तीन साल की उम्र से ही सुवासिनी बाकी बच्चों के साथ कराटे करने लगी। छुट्टी के दिन दोनों बाप-बेटी सुबह से ही अभ्यास करने लग जाते हैं। देखने में दोनों बहनें एक जैसी हैं पर उनकी पहचान फिर भी काफ़ी अलग है। अब तुम समझे उनके मामा ने उनकी पहचान का तरीका कैसे ढूँढा?
चर्चा करो
- सरोजा और सुवासिनी में क्या गुण, क्या बातें, मिलती-जुलती हैं और क्या अलग हैं?
- क्या तुम किसी जुड़वाँ को जानते हो? उनमें क्या एक जैसा है और क्या अलग?
- क्या तुम ऐसे जुड़वाँ को जानते हो जो एक जैसे नहीं दिखते?
सरोजा और सुवासिनी दिखते तो एक जैसे हैं पर इनमें कई बातें अलग-अलग हैं। जैसे सरोजा को दो भाषाएँ आती हैं। अगर सुवासिनी के घर पर दो भाषा बोलते तो वह भी दोनों भाषा बोलना सीख सकती थी। बहुत-सी चीजें जैसे - बुनाई, भाषा, संगीत या पढ़ने का शौक हम आसानी से पा लेते हैं जब हमें उसका माहौल मिलता है।
शिक्षक संकेत-बच्चों से इस बारे में चर्चा करें कि कुछ गुण हम जन्म से ही अपने माँ-बाप से पा लेते हैं। कुछ आदतें और गुण हम अपने आस-पास से ग्रहण करते हैं।
परिवार से मिला
अपनी क्लास में यह मज़ेदार सर्वे करो। कितने बच्चे यह कर पाते हैं, लिखो।
1. जीभ को पीछे तालु की तरफ़ मोड़ो, बिना दाँतों से छुए।
2. जीभ को किनारों से उठाकर एक लंबे रोल की तरह बनाओ।
3. पैरों की सारी उँगलियों को खोलो। बाकी उँगलियों को हिलाए बिना छोटी उँगली हिलाओ।
4. हाथ के अंगूठे को अपनी कलाई से लगाओ।
5. हाथ के बीच वाली उँगलियों का 'वी' बनाओ। दो-दो उँगलियाँ इधर-उधर करके।
6. बिना छुए बाहरी कान हिलाओ।
जो बच्चे ये कर पाएँ, वे अपने परिवार वालों से भी ऐसा ही करने को कहें। क्यों, कितने बच्चों को ये बातें उनके परिवार से मिली हैं?
क्या माँ-बाप से नहीं मिला?
सत्ती कुछ ही महीने की थी, जब उसकी एक टाँग में पोलियो हो गया। इतने वर्षों में उसने कभी भी अपनी इस दिक्कत को अपने काम के आड़े नहीं आने दिया है। दूर-दूर तक पैदल जाना और कई मंज़िल सीढ़ियाँ चढ़ना, उसके काम का हिस्सा रहा है। अब, जब उसकी शादी हुई है तो लोग उसे बच्चा पैदा न करने की सलाह दे रहे हैं। उसे खुद भी डर है कि कहीं उसके बच्चे को भी पोलियो न हो जाए। फिर उसने डॉक्टर से सलाह ली।
नहीं, नहीं! तुम परेशान मत हो। माँ या बाप को पोलियो है, तो ऐसा नहीं है कि बच्चे को भी होगा।
- क्या तुमने कहीं पोलियो के बारे में पढ़ा या देखा है? किसकी झलक? किसकी छाप?
- क्या तुमने पोलियो की दवाई पिलाने के बारे में कोई खबर पढ़ी है?
- क्या तुम किसी ऐसे व्यक्ति को जानते हो जिसे पोलियो है?
मटर के प्रयोग-चिकने या खुरदुरे?
ऑस्ट्रिया में रहने वाले ग्रगोर मेंडल का जन्म सन् 1822 में एक गरीब किसान परिवार में हुआ था। उन्हें पढ़ाई का बहुत शौक था पर परीक्षा के नाम से ही पसीने छूटते थे। (क्या तुम्हारा भी कुछ ऐसा ही हाल है!) यूनिवर्सिटी की पढ़ाई के पैसे न होने के कारण उन्होंने एक मठ में रहकर 'मंक' (मुनि) बनने का सोचा। ताकि वहीं से उन्हें आगे पढ़ने का मौका भी मिल सके। जो मिला भी। पर विज्ञान शिक्षक की पक्की नौकरी के लिए उन्हें फिर एक परीक्षा देनी पड़ी। उफ़! घबराहट के मारे वे परीक्षा से भाग जाते और फ़ेल होते रहे।
खैर, उन्होंने विज्ञान के प्रयोग करना नहीं छोड़ा। सात साल तक मठ के बगीचे में 28,000 पौधों पर बारीकी से कई प्रयोग किए। ढेरों आँकड़े इकट्ठे किए और एक नई बात खोज निकाली। ऐसी बात जो उस समय के वैज्ञानिकों को समझ ही नहीं आई थी। मेंडल के मरने के कई साल बाद ही वे समझ पाए थे। जब कुछ और लोगों ने ये प्रयोग किए और पाया कि मेंडल ने इस पर पहले ही लेख लिखा था।
मेंडल ने पौधों में क्या पाया था? उन्होंने पाया कि मटर के पौधों में कुछ ऐसे गुण होते हैं जो जोड़ियों में आते हैं। जैसे-बीज का चिकना या खुरदुरा होना। पीला या हरा होना। और पौधे के तने का लंबा या नाटा होना। पर चिकने बीज वाले और खुरदुरे बीज वाले पौधों के 'बच्चे' भी-यानी अगली पीढ़ी के पौधों में भी बीज या तो चिकने या खुरदुरे होते हैं। ऐसा नहीं होता कि एक बीज थोड़ा चिकना और थोड़ा खुरदुरा बन जाए। इसी तरह रंग के गुण में अगली पीढ़ी के पौधों के बीज या तो पीले होते है या हरे। पीला और हरा गुण मिलकर कोई नए रंग का बीज नहीं बनाते। यही नहीं, मेंडल ने तो यह भी बताया कि मटर की अगली पीढ़ी के पौधों में ज़्यादा पीले बीज वाले ही होंगे। इसी तरह उन्होंने बताया कि अगली पीढ़ी में चिकने बीज ज़्यादा होंगे।
कुछ परिवार से, कुछ हालात से
विभा दूर से ही जान जाती है कि उसके नाना आ रहे हैं उनके ठहाके की आवाज़ सुनकर। नाना ज़ोर से बोलते हैं। ऊँचा भी सुनने लगे हैं।
- तुम्हारे घर में कोई ज़ोर-ज़ोर से बात करने वाले हैं? क्या उनकी ऐसी आदत है या वे ऊँचा सुनते भी है?
- क्या तुम किसी समय या किसी के सामने बिल्कुल ज़ोर से नहीं बोलते? कब? किसके सामने? क्यों? और कब ज़ोर से बोलते हो?
- कुछ लोग सुनने के लिए कान पर मशीन लगाते हैं। कुछ लोग छड़ी या चश्मे की मदद लेते हैं। क्या तुम ऐसे किसी व्यक्ति को जानते हो?
- किसी ऐसे व्यक्ति से बात करो, जो ऊँचा सुनता हो। पता करो, क्या वह बचपन से ही ऊँचा सुनता है? कब से ऊँचा सुनने लगा है? उन्हें क्या-क्या कठिनाइयाँ आती हैं?
हमने देखा कि हमारी कुछ ऐसी पहचान (गुण) होती हैं जो हमें परिवार से मिलती है। कई हुनर और कई बातें हम अपने माहौल से लेते हैं। पर कभी कोई बीमारी या ज्यादा उम्र की वजह से भी हम में कुछ बदलाव आते हैं। यह सब मिलकर ही हमारी पहचान बनती है।
हम क्या समझे
- तुम्हें क्या लगता है तुम्हारी कौन-कौन-सी ऐसी पहचान है जो तुम्हें माँ की तरफ़ से मिली है?
शिक्षक संकेत-बच्चों को पोलियो जैसी बीमारियों के बारे में बताएँ, जो जीवाणु से फैलती हैं, जन्मजात नहीं होती। कुछ बीमारियाँ, जैसे- कुष्ठ रोग के बारे में कई गलत धारणाएँ लोगों के मन में रहती हैं। इनका इलाज कैसे और कहाँ हो सकता है, इस पर चर्चा और डॉक्टर से भी बातचीत करवाएँ।