QR Code Chapter 3



3 - खिलौनेवाला

एक व्यक्ति ने एक डंडे पर अनेक खिलौने बांध रखे हैं।


वह देखो माँ आज

खिलौनेवाला फिर से आया है।

कई तरह के सुंदर-सुंदर

नए खिलौने लाया है।

हरा-हरा तोता पिंजड़े में

गेंद एक पैसे वाली

छोटी-सी मोटर गाड़ी है

सर-सर-सर चलने वाली।

सीटी भी है कई तरह की

कई तरह के सुंदर खेल

चाभी भर देने से भक-भक

करती चलने वाली रेल।

गुड़िया भी है बहुत भली-सी

पहिने कानों में बाली

छोटा-सा टी सेट' है

छोटे-छोटे हैं लोटा-थाली।

छोटे-छोटे धनुष-बाण हैं

हैं छोटी-छोटी तलवार

नए खिलौने ले लो भैया

ज़ोर-ज़ोर वह रहा पुकार।

मुन्नू ने गुड़िया ले ली है

मोहन ने मोटर गाड़ी

मचल-मचल सरला कहती है

माँ से लेने को साड़ी

कभी खिलौनेवाला भी माँ

क्या साड़ी ले आता है।

साड़ी तो वह कपड़े वाला

कभी-कभी दे जाता है

अम्मा तुमने तो लाकर के

एक बच्चा हाथ में एक तलवार और धनुष बाण पकड़े हुए।

मुझे दे दिए पैसे चार

कौन खिलौना लेता हूँ मैं

तुम भी मन में करो विचार।

तुम सोचोगी मैं ले लूँगा।

तोता, बिल्ली, मोटर, रेल

पर माँ, यह मैं कभी न लूँगा

ये तो हैं बच्चों के खेल।

मैं तलवार खरीदूंगा माँ

या मैं लूँगा तीर-कमान

जंगल में जा किसी ताड़का

को मारूँगा राम समान।

तपसी यज्ञ करेंगे, असुरों-

को मैं मार भगाऊँगा

यों ही कुछ दिन करते-करते

रामचंद्र बन जाऊँगा।

यहीं रहूँगा कौशल्या मैं

तुमको यहीं बनाऊँगा।

तुम कह दोगी वन जाने को

हँसते-हँसते जाऊँगा।

पर माँ, बिना तुम्हारे वन में

मैं कैसे रह पाऊँगा।

दिन भर घूमूंगा जंगल में

लौट कहाँ पर आऊँगा।

किससे लूँगा पैसे, रूथूगा

तो कौन मना लेगा

कौन प्यार से बिठा गोद में

मनचाही चीजें देगा।

सुभद्रा कुमारी चौहान

एक डरावना व्यक्ति, जिसके सर पर सींग  हैं।

कविता और तुम

  1. तुम्हें किसी--किसी बात पर रूठने के मौके तो मिलते ही होंगे-
क अक्सर तुम किस तरह की बातों पर रूठती हो?
माँ के अलावा घर में और कौन-कौन हैं जो तुम्हें मनाते हैं?
  1. ऐसे कई त्योहार मनाते हैं जो बुराई पर अच्छाई की जीत पर बल देते हैं। ऐसे त्योहारों के बारे में और उनसे जुड़ी कहानियों के बारे में पता करके कक्षा में सुनाओ।
  2. तुमने रामलीला के ज़रिए या फिर किसी कहानी के ज़रिए रामचंद्र के बारे में जाना-समझा होगा। तुम्हें उनकी कौन-सी बातें अच्छी लगी?
  3. नीचे दिए गए भाव कविता की जिन पंक्तियों में आए हैं, उन्हें छाँटो-
खिलौनेवाला साड़ी नहीं बेचता है।
खिलौनेवाला बच्चों को खिलौने लेने के लिए आवाजें लगा रहा है।
मुझे कौन-सा खिलौना लेना चाहिए-उसमें माँ की सलाह चाहिए।
माँ के बिना कौन मनाएगा और कौन गोद में बिठाएगा।
  1. मूंगफली ले लो मूंगफली!

गरम करारी टाइम पास मूंगफली!’

तुमने फेरीवालों को ऐसी आवाजें लगाते ज़रूर सुना होगा। तुम्हारे गली-मोहल्ले में ऐसे कौन-से फेरीवाले आते हैं और वे किस ढंग से आवाज़ लगाते हैं? उनका अभिनय करके दिखाओ। वे क्या बोलते हैं, उसका भी एक संग्रह तैयार करो।

खेल-खिलौने

1. (क) तुम यहाँ लिखे खिलौनों में से किसे लेना पसंद करोगी। क्यों?

गें

हवाई जहाज़

मोटरगाड़ी

रेलगाड़ी

फिरकी

गुड़िया

बर्तन सेट

धनुष-बाण

बल्ला या कुछ और

तुम अपने साथियों के साथ कौन-कौन से खेल खेलती हो?.

एक रेलगाड़ी , दो गेंद और कुछ बाण।

  1. खिलौनेवाला शब्द संज्ञा में वालाजोड़ने से बना है। नीचे लिखे वाक्यों में रेखांकित हिस्सों को ध्यान से देखो और संज्ञा, क्रिया आदि पहचानो।
● पानवाले की दुकान आज बंद है।
● मेरी दिल्लीवाली मौसी बस कंडक्टर हैं।
● महमूद पाँच बजे वाली बस से आएगा।
● नंदू को बोलने वाली गुड़िया चाहिए।
● दाढ़ीवाला आदमी कहाँ है?
● इस सामान को ऊपर वाले कमरे में रख दो।
● मैं रात वाली गाड़ी से जम्मू जाऊँगी।

तुम्हारी रामलीला

● क्या तुमने रामलीला देखी है? रामलीला की किसी एक लघु-कहानी को चुनकर कक्षा में अपनी रामलीला प्रस्तुत करो।

कविता में कथा

इस कविता में तीन नाम

राम, कौशल्या और ताड़का आए हैं।

(क)  ये तीनों नाम किस प्रसिद्ध कथा के पात्र हैं?
(ख)  यहीं रहूँगा कौशल्या मैं तुमको यहीं बनाऊँगा।

इन पंक्तियों का कथा से क्या संबंध है?

(ग) इस कथा के कुछ संदर्भो की बात कविता में हुई है। अपने आस-पास पूछकर इनका पता लगाओ।
● पसी यज्ञ करेंगे, असुरों को मैं मार भगाऊँगा।
● तुम कह दोगी वन जाने को हँसते-हँसते जाऊँगा।

कुछ पेड़।

* ईदगाह

सभी घर सजे हुए हैं और बच्चे भी तैयार हो कर बाहर खड़े हैं।

रमज़ान के पूरे तीस रोज़ों के बाद ईद आई है। गाँव में कितनी हलचल है। ईदगाह जाने की तैयारियाँ हो रही हैं। किसी के कुर्ते में बटन नहीं हैपड़ोस के घर से सुई-तागा लेने दौड़ा जा रहा है। किसी के जूते कड़े हो गए हैंउनमें तेल डालने के लिए तेली के घर भागा जाता है। जल्दी-जल्दी बैलों को सानि-पानी दे दो। ईदगाह से लौटते-लौटते दोपहर हो जाएगी। लड़के सबसे ज़्यादा प्रसन्न हैं। किसी ने एक रोज़ा रखा हैवह भी दोपहर तककिसी ने वह भी नहींलेकिन ईदगाह जाने की खुशी उनके हिस्से की चीज़ है। रोज़े बड़े-बूढ़ों के लिए होंगे। इनके लिए तो ईद है। रोज़ ईद का जाम रटते थेआज वह आ गई। अब जल्दी पड़ी है कि लोग ईदगाह क्यों नहीं चलते। बार-बार जेब से अपना खज़ाजा निकालकर गिजते हैं और खुश होकर फिर रखा लेते हैं। महमूद गिजता हैएक-दोइस-बारह! उसके पास बारह पैसे हैं। मोहसिज के पास एकदोतीनआठजौपंद्रह पैसे हैं। इन्हीं अनगिजत पैसों में अनगिनत चीजें लाएंगे-खिलौजेमिठाझ्याँबिशुल, गेद और जाजे क्या-क्या! और सबसे ज्यादा प्रसन्न है हामिद। हामिद अपजी बूढ़ी दादी अमीजा की गोद मैं सोता है। हामिद के पाँव में जूते नहीं हैंसिर पर एक पुरानी-धुरानी टोपी है, जिसका गोटा काला पड़ गया है।

गाँव से मेला चला। और बच्चों के साथ हामिद भी जा रहा था। कभी-सब दौड़कर आगे निकल जाते। फिर किसी पेड़ के नीचे खड़े होकर

सावालों का इंतज़ार करते। ये लोग क्यों इतना धीरे-धीरे चल रहे हैं! हामिद के पैरों में तो जैसे पर लग ए हैं।

शहर आ गया। बड़ी-बड़ी इमारतें आने लगींयह अदालत हैयह कॉलेज हैयह क्लब-घर है। इतने बड़े कॉलेज में कितने लड़के पढ़ते होंगेसब लड़के नहीं हैं जी! बड़े-बड़े आदमी हैंसच! उनकी बड़ी-बड़ी मूंछे हैं। इतने बड़े हो गएअभी तक पढ़ने जाते हैं। न जाने कब तक पढ़ेंगे और क्या करेंगे इतना पढ़कर हामिद के मदरसे में दो-ती बड़े-बड़े लड़के हैंबिल्कुल ती कौड़ी के! रोज़ मार खाते हैंकाम से जी चुरानेवाले। इस जह भी उसी तरह के लोग होंगे और क्या।

सहसा ईदगाह नजर आया। नमाज़ खत्म हो गई है। लोग आपस में गले मिल रहे हैं। तब मिठाई और खिलौने की दुका पर धावा होता है। ग्रामीणों का यह ल इस विषय में बालकों से कम उत्साही नहीं हैं। यह देखो, हिंडोला है। एक पैसा देकर चढ़ जाओ। कभी आसमा पर जाते हुए मालूम होंगेकभी ज़मीज पर गिरते हुए यह चर्खि हैलकड़ी के हाथीघोड़े, ऊँट छड़ों से लटके हुए हैं। एक पैसा देकर बैठ जाओ और पच्चीस चक्करों का मज़ा लो। महमूद और मोहसिन और जूरे और सम्मी छज घोड़ों और ऊँथो पर बैठते हैं। हामिद दूर खड़ा है। तीज ही पैसे तो उसके पास हैं। अपने कोष का एक तिहाई ज़रा-सा चक्कर खाने के लिए नहीं दे सकता।

सब चर्खियों से उतरते हैं। अब खिलौने लेंगे। इधर दुकानों की कतार लगी हुई है। तरह-तरह के खिलौने हैं– सिपाही और गुजरियाराजा और वकीलभिश्ती और धोबि और साधू वाह! कितने सुंदर खिलौने हैं। अब बोलना ही चाहते हैं। महमूद सिपाही लेता हैखाकी वर्दी और लाल पगड़ीवालाकंधे पर बंदूक रखे हुए। मालूम होता हैअभी कवायद किए चला आ रहा है। मोहसिज को भिश्ती पसंद आया। कमर झुकी हैऊपर मशक रखे हुए है। मशक का मुँह एक हाथ से पकड़े हुए है। बसमशक से पानी उडेलना ही चाहता है। नूरे को वकील से प्रेम है। कैसी विता है उसके मुख पर! काला चोगानीचे सफ़ेद अचकनअचकन के सामजे की जेब में घड़ीसुनहरी जंजीरएक हाथ में कानून का पोथा लिए हुए। मालूम होता हैअभी

मस्जिद में दुआएं मांगते हुए कुछ लोग।

किसी अदालत से जिरह या बहस किए चले आ रहे हैं। यह सब दो-दो पैसे के खिलौने हैं। हामिद के पास कुल तीन पैसे हैंइतने महगे खिलौने वह कैसे लेखिलौना कहीं हाथ से छूट पड़े तो चूर-चूर हो जाए। ज़रा पानी पड़े तो सारा रंग धुल जाए। ऐसे खिलौने लेकर वह क्या करेगा। लेकिन ललचाई हुई आँखों से खिलौनों को देख रहा है और चाहता है कि ज़रा देर के लिए उन्हें हाथ में ले सकता।

खिलौने के बाद मिठाइयाँ आती हैं। किसी ने रेवड़ियाँ ली हैं, किसी ने गुलाबजामुनकिसी ने सोहन हलवासभी मज़े से खा रहे हैं।

मिठाइयों के बाद कुछ दुकानें लोहे की चीज़ों की हैं। कुछ गिलट और कुछ नकली हनों की। लड़कों के लिए यहाँ कोई आकर्षण नहीं था। वे सब आगे बढ़ जाते हैं। हामिद लोहे की दुकान पर रुक जाता है। कई चिमटे रखे हुए थे। उसे ख्याल आयादादी के पास चिमटा नहीं है। तवे से रोटियाँ उतारती हैं, तो हा जल जाता है। अगर वह चिमटा ले जाकर दादी को दे देतो वह कितनी प्रसन्न होंगी। फिर उनकी उँगलियाँ कभी न जलेंगी। घर में एक काम की चीज़ हो जाएगी। खिलौने से क्या फायदा?

हामिद के साथी आगे बढ़ गए हैं। सबील पर सब-के-सब शर्बत पी रहे हैं। देखो, सब कितने लालची हैं। इतनी मिठाझ्याँ लीं, मुझे किसी ने एक भी ने दी। उस पर कहते हैंमेरे साथ खोलो। मेरा यह काम करो। अब अगर किसी ने कोई काम करने को कहातो पूछूगा। खाएँ मिठाइयाँआप मुँह सड़ेगाफोड़े-फुसियाँ निकलेंगीआप की ज़बाज चटोरी हो जाएगी। सब-के-सब हँसेंगे कि हामिद ने चिमटा लिया है। हँसें मेरी बल्ला से! उसने दुकानदार से पूछा- यह चिमटा कितने का है?

दुकानदार ने उसकी ओर देखा और कोई आदमी सा न देखकर कहा- यह तुम्हारे काम का नहीं है जी!

बाजार का दृश्य जिसमे कुछ लोग मिठाइयां बेच रहे हैं, तो कुछ गुब्बारे बेच रहे हैं। बच्चे गुब्बारे हाथ में लिए  भाग रहे हैं।

"बिका है कि नहीं?"

बिकाऊ क्यों नहीं है? और यहॉ क्यों ला ला है?"

तो बताते क्यों नहींकै पैसे का है?"

“छह पैसे लगेगे।"

हामिद का दिल बैठ या।

“ठीक-ठीक बताओ।"

ठीक-ठीक पाँच पैशे लगेगेलेना हो लोनहीं चलते बनो।“

हामि ने कलेजा मजबूत करके कहा- तीन पैसे लोगे?

यह कहता हुआ वह आगे बढ़ गया कि दूकानवार की घुडकियों न सुने। लेकिन दुकानदार ने घुडकियों नहीं की। बूलाकर चिमटा दे दिया हामि ने उसे इस तरह कंधे पर रखामानो बदुक है और शान से अकता हुसंगियों के पास आया। जरा सुनेंसब-के-सब क्या-क्या आलोचना करते हैं।

मोहसिन ने हसकर कहा- यह चिमटा क्यो लाया पगलेइससे क्या करेगा?

हामि ने चिमटे को ज़मीन पर पटककर कहा- जरा अपना भिश्ती ज़मीन पर गिरा दो। शारी पसलियों चूर-चूर हो जा बच्चू की

महमू बोला- तो यह चिमटा कोई खिलौना?

हामि-खिलोना क्यों नहीं है। अभी कंधे पर रखा, बदूक हो गई। हा में लियाफकीरों का चिमटा हो गया। चाहूँ तो इससे मंजीरे का काम ले सकता हूँ। क चिमटा जमा दू तो तुम लोगों के शारे खिलौनों की जान निकल जा तुम्हारे खिलौने कितना ही ज़ोर लगामेंरे चिमटे का बाल भी बॉका नहीं कर शकते। मेरा बहादूर शेर है चिमटा।

म्मी ने जरी ली थी प्रभावित होकर बोला- मेरी खजरी से बदलोगेदो आने की है।

हामिद ने जरी की ओर पेक्षा से देखा-मेरा चिमटा चाहे तो तुम्हारी जरी का पेट फाइ डाले। बसएक चमड़े की झिल्ली लगा दीढब-ढब बोलने लगी। जरा-सा पानी ग जा तो ख़त्म हो जाए। मेरा बहादुर चिमटा आग मेंपानी मेंऑधी मेंतूफान में बराबर डटा खड़ा रहेगा।

चिमटे ने सभी को मोहित कर लिया, लेकिन अब पैसे किसके पास धरे हैं। फिर मैले से दूर निकल आए हैंनो कब के बज गए, धूप तेज हो रही है। घर पहुँचने की जल्दी हो रही हैं। बाप से जिद भी करेंतो चिमटा नहीं मिल सकता है। हामिद है बड़ा चालाक। इसीलिए बदमाश ने अपने पैसे बचा रखे थे।

अब बालकों के दो दल हो गए हैं। एक ओर मिट्टी हैदूसरी ओर लोहा। अगर कोई शेर आ जाएमियाँ भिश्ती के छक्के छूट जाए मियाँ सिपाही मिट्टी की बंदूक छोड़कर भागेवकील साहब की नानी मर जाए, चोगे में मुँह छिपाकर ज़मीज पर लेट जाए। मर यह चिमटायह बहादुरयह रुस्तमैं-हिंद लपककर शेर की गईन पर सवार हो जाएगा। और उसकी आँखें निकाल लेगा।

मोहसिन ने एड़ी-चोटी का जोर लगाकर कहा-अच्छापानी तो नहीं भर सकता।

हामिद ने चिमटे को सीधा खड़ा करके कहा-भिश्ती को एक डॉट बताएगातो दौड़ा हुआ पानी लाकर द्वार पर छिड़कने लगेगा।

मोहसि परास्त हो गयापर महमूद ने कुमुक पहुँचाई-अगर बच्चू पकड़े जाएँतो अदालत में बँधे-बँधे फिरेंगे। तब वकील साहब के ही पैरों पड़ेंगे।

हामिद इस प्रबल तर्क का जवाब न दे सका। उसने पूछा-हमें पकड़ने कौन आएगानूरे ने अकड़कर कहा-यह सिपाही बंदूकवाला।

हामिद ने मुंह चिढ़ाकर कहा-यह बेचारे हम बहादुर रुस्तमे-हिंद को पकड़ेंगे! अच्छा लाओ, अभी ज़रा कुश्ती हो जाए। इसकी सूरत देखकर दूर से भागेंगे। पकड़ेंगे क्या बेचारे

मोहसिन को एक नई चोट सूझ ई-तुम्हारे चिमटे का मुँह रोज आ में जलेगा।

उसने समझा था कि हामिद लाजवाब हो जाएगा; लेकिज यह बात  हुई। हामिद ने तुरंत जवाब दिया-आग में बहादुर ही कूदते हैं जनाब। आग में कूदजा वह काम हैजो रुस्तमे हिंद ही कर सकता है।

महमूद ने एक ज़ोर लगाया - वकील साहब कुर्सी-मेज़ पर बैठेंगेतुम्हारा चिमटा तो बावरचीखाने में ज़मीज पर पड़ा रहेगा।

कुछ बच्चों के हाथों में गुड्डे गुड़ियाँ हैं तो किसी के हाथ में बाजा।

इस तर्क ने सम्मी और नूरे को भी सजीव कर दिया! कितने ठिकाने की बात कही है पदे नो चिमटा बावरचीखाने मैं पड़े रहने के सिवा और क्या कर सकता है?

हामिद को कोई फड़कता हुआ जवाब  सूझातो उसने धाँधली शुरू की-मेरा चिमटा बावरचीखाने में नहीं रहेगा। वकील साहब कुर्सी पर बैठेंगेतो जाकर उन्हें ज़मी पर पटक देगा और उनका कानून उनके पेट में डाल देगा।

कानून को पेट में डालने वाली बात छा गई। ऐसी छा गई कि तीनों शूरमा मुँह ताकते रह ए। हामिद ने मैदान मार लिया। उसका चिमटा रुस्तमे हिंद है। अब इसमें मोहसिनमहमूदनूरेसम्मी किसी को भी आपत्ति नहीं हो सकती। औरों ने तीन-तीनचार-चार आने पैसे खर्च किए, पर कोई काम की चीज़ न ले सके। हामिद ने तीन पैसे में रंग जमा लिया। सच ही तो हैखिलौने का क्या भरोसाटूट फूट जाएंगे। हामिद का चिमटा तो बना रहेगा बरसों

संधि की शर्ते तय होने लगी। मोहसिन ने कहा- रा अपना चिमटा दोहम भी देखेंतुम हमारा भिश्ती लेकर देखो।

महमूद और नूरे ने भी अपने-अपने खिलौने पेश किए।

हामिद को इन शर्तों के मानने में कोई आपत्ति न थी। चिमटा बारी-बारी से सबके हाथ में गयाऔर उनके खिलौने बारी-बारी से हामिद के हाथ में आए। कितने सूबसूरत खिलौने हैं।

हामिद ने हारनेवालों के आँसू पोंछे- मैं तुम्हें चिढ़ा रहा थासच! यह चिमटा भला न खिलौनो की क्या बराबरी करेगामालूम होता है, अब बोलेतब बोले।

मोहसिन-लेकिन इन खिलौनो के लिए कोई हमें दुआ तो ज देगा।

महमूद- दुआ को लिए फिरते हो। उलटे मार न पड़े। अम्माँ ज़रूर कहेंगी कि मेले में यही मिट्टी के खिलौने मिले?

हामिद को स्वीकार करना पड़ा कि खिलौने को देखकर किसी की माँ इतनी खुश  होगीजितनी दादी चिमटे को देखकर होगी। फिर अब तो चिमटा रुस्तमे-हिंद है और सभी खिलौनों का बादशाह!

रास्ते में महमूद को भूख लगी। उसके बाप ने केले खाने को दिए। महमूद ने केवल हामिद को साझी बनाया। उसके अन्य मित्र मुँह ताकते रह ए। यह उस चिमटे का प्रसाद था

गयारह बजे सारे गाँव में हलचल मच गई। मेलेवाले आ गए। मोहसिन की छोटी बहन ने दौड़कर भिश्ती उसके हाथ से छी लिया और मारे खुशी के जो उछली, तो मियाँ भिश्ती नीचे आ रहे और परलोक सिधारे। इस पर भाई-बहन में मार-पीट हुई। दोनों खुब रोए। उनकी अम्मा यह शोर सुनकर बिगड़ी और दोनों को ऊपर से दो-दो चाँटे और लगाए।

मियाँ नूरे के वकील का अंत इससे ज़्यादा गौरखमय हुआ। वकील ज़मी पर या ताक पर तो नहीं बैठ सकता। दीवार मैं दो खूटियाँ गाड़ी गई उन पर लकड़ी का एक पटश रखा गया। पटरे पर कागज़ का काली बिछाया गया। वकील साहब राजा भोज की भाति सिंहासन पर विराजे। नूरे ने उन्हें पंखा झलना शुरू किया। मालूम नहीं, पंखे की हवा से या पंखे की चोट से वकील साहब का चोला माटी में मिल गया। फिर बड़े जोर-शोर से मातम हुआ और वकील साहब की अस्थि धूरे पर डाल दी गई।

अब रहा महमूद का सिपाही। उसे चटपट गाँव का पहरा देने का चार्ज मिल गया। लेकिन पुलिस का सिपाही पालकी पर चलेगा। एक टोकरी आईउसमें कुछ लाल रंग के फटे-पुराने चिथड़े बिछाए गएजिसमें सिपाही साहब आराम से लेटे। नूरे ने यह टोकरी उठाई और अपने द्ध्र का चक्कर लगाने लगे उनके दोनों छोटे भाई सिपाही की तरह छोनेवालेजागते लहो’ पुकारते चलते हैं। महमूद को ठोकर लग जाती है। टोकरी उसके हाथ से छूटकर गिर पड़ती है और मियाँ सिपाही अपनी बंदूक लिए

जमीन पर आ जाते हैं और उनकी एक टॉग में विकार आ जाता है। महमूद को आज ज्ञात हुआ कि वह अच्छा डाक्टर है। उसको ऐसा मरहम मिल गया हैजिससे वह टूढ़ी दाँग को आनन-फानन में जोड़ सकता है। दाँग जोड़ दी जाती है। लेकिन सिपाही को ज्यों ही खडा किया जाता हैटॉग जवाब दे देती है। ल्य-ळिया असफल हुईतब उसकी दूसरी टॉग भी तोड़ दी जाती है। अब कम-से-कम क जगह आराम से बैठ तो शकता है।

अब मियाँ हामिद का हाल सुनिऐ अमिना उसकी आवाज़ सुनते ही दौड़ी और उसे गोद में उठाकर प्यार करने लगी। सहसा उसके हाथ में चिमटा देखकर वह चौकी।

"यह चिमटा कहाँ था?"

मैंने मोल लिया है।"

"कितने पैसे में?

"तीन पैसे दिया

अमीना ने छाती पीट ली। यह कैसा बेसम लड़का है कि दोपहर हुआकुछ खाया न पिया लाया क्यायह चिमटा!

"सारे मेले में तुझे और कोई चीज़ न मिलीजो यह लोहे का चिमटा उठा लाया?"

हामि ने कहा- तुम्हारी उँगलियों तवे से जल जाती थीइसलिए मैंने इसे ले लिया।

बुढ़िया का क्रोध तुरंत स्नेह में बदल गया। बच्चे में कितना त्यागकितना सदभाव और कितना विवेक है। दूसरों को खिलोने लेते और मिठाई खाते देखकर इसका मन कितना ललचाया होगावहाँ भी इसे अपनी बुढ़िया दादी की या बनी रही। अमीना का न गदगद हो गया।

वह रोने लगी दामन फैलाकर हामि को दुआएँ देती जाती थी और आँसू की बड़ी-बड़ी बूढ़ें गिराती जाती थी।

* हवाई छतरी

सामान

एक रूमाल, धाागे के चार टुकड़े और एक पत्थर।

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बनाने का तरीका

समान लंबाई के धाागे के चारों टुकड़ों को रूमाल के चारों कोनों से बाँधाो। रूमाल के चारों कोनों को बीच तक मोड़ो। चारों धाागों से पत्थर बाँधाने के पहले यह निश्चित कर लो कि उनकी लंबाई एक समान हो। अब इसे आकाश की ओर ज़ोर से उछालो और इसके धीमे-धीमे तैरते हुए नीचे आने का मज़ा लो। 

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करो

रूमाल की जगह प्लास्टिक की शीट से हवाई छतरी बनाकर देखो।

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जानो

क्या यह पैराशूट चंद्रमा पर, जहाँ बिल्कुल हवा नहीं होती, काम करेगा?

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अगर रूमाल के बीच एक छेद हो तो क्या यह पैराशूट काम करेगा?

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नेशनल बुक ट्रस्ट इंडिया, नयी दिल्ली द्वारा प्रकाशित पुस्तक सुंदर सलोने भारतीय खिलौने (लेखक-सुदर्शन खन्ना, अनुवाद-अरविंद गुप्ता) से साभार