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11 - चावल की रोटियाँ
पात्र-परिचय
कोको - आठ साल का एक बर्मी लड़का, कुछ मोटा
नीनी - नौ साल का बर्मी लड़का, कोको का दोस्त
तिन सू - आठ साल का बर्मी लड़का, कोको का दोस्त
मिमि - सात साल की बर्मी लड़की, कोको की दोस्त
उ बा तुन - जनता की दुकान का प्रबंधक (इसका अभिनय कोई लंबे कद का लड़का नकली मूंछे और चश्मा लगाकर कर सकता है)
(एक सादा कमरा, दीवारों पर बाँस की चटाइयाँ। एक दीवार के सहारे रखी अलमारी। अलमारी के ऊपर एक रेडियो, चाय की केतली, कुछ कप और खाली गुलाबी फूलदान रखा है। कमरे के बीच फ़र्श पर एक चटाई बिछी है जिसके ऊपर कम ऊँचाई वाली गोल मंज़ रखी है। दो दरवाज़े। एक दरवाज़ा पीछे की ओर खुलता है और दूसरा एक किनारे की ओर। पंछियों के चहचहाने के साथ-साथ पर्दा उठता है। दूर कहीं मुर्गा बाँग देता है। कुत्ता भौंकता है। कहीं प्रार्थना की घटियाँ बजती हैं। को को आता है, जम्हाई लेकर अपने को सीधा करता है।)
कोको - माता-पिता धान लगाने खेतों में चले गए हैं। जब तक माँ खाना बनाने के लिए लौटकर नहीं आती मुझे घर की देखभाल करनी है। हूँ... ऊँ... ऊँ ... देखता हूँ माँ ने नाश्ते में मेरे लिए क्या बनाकर रखा है।
(वह अलमारी की तरफ़ जाता है और उसे खोलकर देखता है। एक तश्तरी निकालकर देखता है कि चावल की चार रोटियाँ हैं। वह होंठों पर जीभ फेरता है और मुस्कुराता है।)
कोको - आहा ... मज़ा आ गया। चावल की रोटियाँ। मेरी मनपसंद चीज़।
(वह पेट मलता हुआ रोटियों को मंज़ पर रखता है और बैठ जाता है।)
कोको - आज तो डट कर नाश्ता होगा।
(वह एक रोटी उठाकर मुँह में डालने लगता है, तभी कोई दरवाज़े पर दस्तक देता है।)
नीनी - कोको... ए कोको ! दरवाज़ा खोलो। मैं हूँ नीनी।
कोको - गजब हो गया। यह तो भुक्खड़ नीनी है। उसकी नज़र में रोटियाँ पड़ीं
तो ज़रूर माँगेगा। मैं इन्हें छिपा देता हूँ।
नीनी - दरवाज़ा खोलो कोको, तुम क्या कर रहे हो ? इतनी देर लगा दी।
कोको - मैं इन्हें कहाँ छिपाऊँ ? कहाँ छिपाऊँ ? (रेडियो की तरफ़ देखकर) मैं तश्तरी को रेडियो के पीछे छिपा दूंगा। (ज़ोर से) अभी आता हूँ नीनी ... ज़रा रुको।
कोको - आओ, नीनी। अंदर आ जाओ। (नीनी अंदर आता है।
नीनी - दरवाज़ा खोलने में इतनी देर क्यों लगाई ?
कोको - कुछ खास नहीं... मैंने अभी-अभी नाश्ता किया और मुंह धोने लगा था। बोलो, सुबह-सुबह कैसे आना हुआ ?
नीनी - क्या? यह मत कहना कि तुम भूल गए थे। परीक्षा के बारे में रेडियो पर खास सूचना आने वाली है।
कोको - लेकिन तुम्हारे घर भी तो रेडियो है।
नीनी - वह खराब है। इसीलिए सोचा तुम्हारे रेडियो पर सुनूँगा।
(नीनी गोल मेज़ के पास बैठ जाता है।)
नीनी - रेडियो उठाकर यहीं ले आओ ताकि हम आराम से लेटे-लेटे सुन सकें।
कोको - नीनी, हमारे रेडियो में भी कुछ खराबी है।
नीनी - आओ, कोशिश करके देखें। मैं उठाकर ले आता हूँ। (नीनी अलमारी की तरफ जाने लगता है।
कोको - नहीं, नहीं। नीनी, इसे मत छूना। छुओगे तो करंट लगेगा।
(नीनी रुक जाता है।)
नीनी - मैंने तो इसे छू ही लिया था। भई, मैं वह खबर ज़रूर सुनना चाहता
हूँ। तिन सू के घर जाता हूँ। तुम आओगे?
कोको - नहीं। अच्छा, फिर मिलेंगे।
(नीनी तेज़ी से बाहर निकल जाता है।)
कोको - (गहरी साँस लंकर) बाल-बाल बचे। अब चलकर नाश्ता किया जाए। मेरे पेट में चूहे दौड़ने लगे हैं।
(कोको तश्तरी उठाकर मेज़ के पास आता है। एक रोटी उठाकर खाने लगता है, तभी दरवाज़े पर दस्तक सुनाई देती है।)
कोको - (तश्तरी नीचं रखकर) जाने अब कौन आ टपका।
मिमि - कोको, दरवाज़ा खोलो। मैं हूँ मिमि।
कोको - बाप रे। यह तो मिमि है। उसे चावल की रोटियाँ मेरी ही तरह बहुत
अच्छी लगती हैं। और वह हमेशा भूखी होती है। मुझे रोटियाँ छिपा देनी चाहिए। लेकिन कहाँ ? वह तो कुछ खाने की चीज़ ढूँढ़ने के लिए सारे कमरे की तलाशी लेगी।
मिमि - (फिर दरवाज़ा खटखटाकर) कोको, दरवाज़ा खोलो न ... इतनी देर क्यों लगा रहे हो ?
कोको - कहाँ छिपाऊँ? कहाँ छिपाऊँ? (कमरे के चारों तरफ़ देखकर) ठीक, इस फूलदान के अंदर छिपा हूँ।
(कोको फूलदान में तश्तरी रखकर दरवाज़ा खोलता है। मिमि कागज़ में लिपटा बंडल उठाए कमरे में आती है।)
मिमि - दरवाज़ा खोलने में इतनी देर क्यों कर दी ?
कोको - मैंने अभी-अभी नाश्ता किया था और मुँह धोने लगा था। आओ बैठो।
(कोको और मिमि मंज़ के इर्द-गिर्द बैठते हैं।)
मिमि - मुझे अभी-अभी तुम्हारे माता-पिता मिले। तुम्हारी माताजी ने कहा कि तुम्हारे लिए चावल की कुछ रोटियाँ रखी हैं। मैंने सोचा...
कोको - चावल की रोटियाँ ? हाँ थीं तो। लेकिन मैंने सब खा लीं।
मिमि - एक भी नहीं बची?
कोको - सॉरी मिमि, मैंने सब खा लीं। (हाथ से पेंट को मलते हुए) पेट एकदम भर गया है। लगता है आज तो दोपहर का खाना भी नहीं खाया जाएगा।
मिमि - बहुत बुरी बात। मेरी माँ ने केले के पापड़ बनाए थे। मैंने सोचा तुम्हारे साथ बाँटकर खाऊँगी। मैं चार पापड़ लाई हूँ। दो तुम्हारे लिए, दो अपने लिए। सोचा था तुम्हारी चावल की रोटियाँ और मोटे पापड़, दोनों का बढ़िया नाश्ता रहेगा।
(मिमि कागज़ का बंडल खोलती है और पापड़ निकालती है। वह उन्हें एक तश्तरी में डालकर मंज़ पर रखती है।)
मिमि - गरमागरम हैं और स्वादिष्ट भी। तुम्हारी भी क्या बदकिस्मती है कि तुम्हारा पेट बिल्कुल भरा हुआ है और तुम कुछ भी नहीं खा सकते।
कोको - (पापड़ देखकर होठों पर जीभ फेरकर, स्वगत) मैंने बड़ी गलती की जो उसे बताया कि मेरा पेट भरा हुआ है। लेकिन मैं समझता हूँ कि वह चारों पापड़ तो खा नहीं सकती। शायद दो मेरे लिए छोड़ जाए।
मिमि - (एक पापड़ उठाकर) क्या इन्हें निगलने के लिए चाय है?
को को - हाँ, हाँ, अलमारी पर है। मैं ले आता हूँ।
(कोको चाय की केतली और दो कप उठा लाता है। मिमि एक कप में चाय डालती है।
मिमि - तुम तो चाय पिओगे नहीं। पेट भरा होगा।
कोको - (स्वगत) मेरा पेट भूख से गुड़गुड़ कर रहा है। भगवान करे मिमि को यह गुड़गुड़ न सुनाई दे।
मिमि - (पापड़ खाते हुए) यह कैसी आवाज़ है?
कोको - आवाज़? कैसी आवाज़?
मिमि - हल्की-सी गड़गड़ाने की आवाज़। यह फिर हुई। सुना तुमने?
कोको - यह...? हमारे घर में चूहा घुस आया है। वही यह आवाज़ करता है। (दरवाज़े पर दस्तक)
कोको - कौन ?
तिन सू - मैं हूँ तिन सू।
(कोको उठने लगता है।)
मिमि - तुम बैठे रहो। आराम करो। तुम्हारा पेट बहुत भरा हुआ है। मैं खोलती हूँ।
(मिमि दरवाज़ा खोलती है। तिन सू गेंदे के फूलों का गुच्छा लिए आता है।) तिन सू - आहा! मिमि भी यहाँ है।
मिमि - आओ तिन सू।
तिन सू - (मेज़ के पास जाकर) हैलो कोको। क्या बात है ? तुम्हारी तबियत
ठीक है क्या?
कोको - हैलो तिन सू।
(मिमि और तिन सू मेज़ के पास बैठते हैं।)
मिमि - (तिन सू से) वह ठीक हैं। बस, नाश्ते में चावल की रोटियाँ ज़्यादा खा ली हैं।
तिन सू - (केले के पापड़ों की तरफ देखकर) आहा, केले के पापड़!
मिमि - मैं कोको के लिए भी ले आई थी। लेकिन चूँकि उसका पेट एकदम भरा हुआ है, तुम इन्हें खत्म करने में मेरी मदद करो।
तिन सू - नेकी और पूछ-पूछ ? तुम्हारी माँ गाँव में सबसे बढ़िया पापड़ बनाती है।
(तिन सू एक पापड़ उठाकर खाने लगता है। मिमि उसके लिए कप में चाय डालती है।)
मिमि - (कप देकर) यह लो चाय के साथ खाओ।
तिन सू - (चाय की चुस्की लेकर होंठों पर जीभ फिराकर) बहुत बढ़िया चाय है। मेरी खुशकिस्मती जो इस वक्त यहाँ आ गया।
कोको - (स्वगत) तुम्हारी खुशकिस्मती और मेरी बदकिस्मती।
(मिमि और तिन सू एक-एक पापड़ खा लेते हैं और मिमि दूसरा उठाती है।)
मिमि - यह लो तिन सू। एक और खाओ।
तिन सू - नहीं, मेरे लिए तो एक ही काफी है।
मिमि - आधा तो ले लो। दूसरा आधा में खा लूँगी। एक कोको के लिए रहा। शाम को खा लेगा।
तिन सू - तुम ज़ोर डालती हो तो ले लेता हूँ।
(स्वगत) चलो, एक तो मेरे लिए छोड़ रहे हैं। मैं भूख से मरा जा रहा हूँ।
तिन सू - यह आवाज कैसी है ?
मिमि - यहाँ एक बड़ा चूहा घुस आया है। कोको कहता है, वही यह आवाज़ करता है।
तिन - ऐसा लगा कि किसी का पेट भूख से गुड़गुड़ा रहा है।
(तिन सू और मिमि पापड़ खत्म करते हैं)
मिमि – अच्छा ये फूल कैसे हैं ?
तिन सू - ओह ! तो भूल ही गया था। मेरी माँ ने कहा है कि कोको की माँ ने कल दुकान से एक फूलदान खरीदा था। उन्होंने ये फूल उस फूलदान में रखने के लिए भेजे हैं। (इधर-उधर देखता है। उसे अच्छा,
अलमारी के ऊपर फूलदान दिखाई देता है।) वह रहा फूलदान, अलमारी पर।
मिमि - मुझे दो। मैं इन्हें फूलदान में रख आती हूँ।
(तिन सू उसके हाथ में फूल देता है। वह उठने लगती है।)
कोको - नहीं, नहीं, मिमि।
मिमि - तुमने तो मुझे डरा ही दिया। क्या बात है ?
कोको - ये फूल... ये फूल। मेरी माँ को इस फूल से एलर्जी है। जब भी वह यह फूल देखती हैं उनके जिस्म में फँसियाँ निकल आती हैं।
तिन सू - ओह, मुझे इस बात का पता नहीं था। खैर मैं इन फूलों को वापस ले जाऊँगा।
कोको - (चैन की साँस लेकर, स्वगत) मुझे अपनी रोटियों को बचाने के लिए कितने झूठ बोलने पड़ेंगे।
(दरवाज़े पर दस्तक)
कोको - कौन ?
उ बा तुन - मैं हूँ। दुकान का मैनेजर उ बा तुन।
मिमि - (कोको से) तुम मत उठो को को। मैं खोलती हूँ दरवाज़ा।
(ज़ोर से) अभी आई उ बा तुन चाचा।
(उ बा तुन नीला फूलदान लिए आता है)
उ बा तुन - हैलो बच्चो (मंज़ की तरफ़ देखकर) लगता है छोटी-मोटी पार्टी चल रही है।
मिमि – आओ चाचा, आओ।
(उ बा तुन मंज़ के पास बैठ जाता है)
मिमि - चाय लेंगे आप ?
उ बा तुन - कोई एतराज़ नहीं। बहुत-बहुत शुक्रिया !
(मिमि अलमारी की तरफ़ जाकर कप ले आती है और चाय डालकर उ बा तुन को देती है।)
उ बा तुन - (कप से चुस्की लेकर) क्या मज़ेदार चाय है। खुशबूदार ताज़गी
लाने वाली।
तिन सू - चाचा, आपने नाश्ता कर लिया है?
उ बा तुन - अभी किया नहीं। मैं सोच रहा था, किसी चाय की दुकान पर रुककर कर लूँगा।
मिमि - चाय की दुकान पर जाने की क्या ज़रूरत? आप यह पापड़ ले सकते हैं।
उ बा तुन - लेकिन... मैं तुममें से किसी का हिस्सा नहीं मारना चाहता।
तिन सू - कोई बात नहीं चाचा। हम सबके पेट तो भर गए हैं। (उँगली से गले को छूता है।)
उ बा तुन - बहुत-बहुत शुक्रिया। अरे, यह आवाज़ कैसी है?
तिन सू - यह चूहे की आवाज़ है। अक्सर यह आवाज़ करता है।
उ बा तुन - मुझे लगा किसी का पेट भूख से कुलबुला रहा है।
(उ बा तुन पापड़ उठाकर खाने लगता है।)
उ बा तुन - कोको, तुम आज बहुत चुप हो। तबियत तो ठीक है?
कोको - कुछ नहीं चाचा। मैं बिल्कुल ठीक हूँ।
मिमि - उसका पेट बहुत भरा हुआ है। नाश्ता बहुत डटकर किया है।
(उ बा तुन पापड़ खत्म करके हाथ से मुँह पोंछता है।)
उ बा तुन - कोको, तुम्हारी माँ हमारी दुकान से एक फूलदान लाई थीं (इधर-उधर देखकर) हाँ, वह रहा।
कोको - क्यों ? फूलदान का क्या करना है ?
उ बा तुन - तुम्हारी माँ ने नीला फूलदान माँगा था। उस वक्त मेरे पास वह रंग नहीं था, इसलिए वह गुलाबी ही ले आईं। उनके जाने के बाद मुझे एक नीला फूलदान मिल गया। मैं उसे बदलने आया हूँ।
(उ बा तुन अलमारी के पास जाकर गुलाबी फूलदान उठा लेता है और उसकी जगह नीला फूलदान रख देता है।)
उ बा तुन - (कोको से) मुझे यकीन है, तुम्हारी माँ नीला फूलदान देखेंगी तो बहुत खुश होंगी। अब मैं चलूँगा। शुक्रिया और गुडबाई।
मिमि-तिन सू - गुडबाई चाचा।
कोको - गुडबाई चाचा। (स्वगत) और गुडबाई मेरी चावल की रोटियो !
पी.औंग खिन
अनुवाद-मस्तराम कपूर उ बा तुन
मंच और मंचन
एक सादा कमरा, दीवारों पर बाँस की चटाइयाँ। एक दीवार के सहारे रखी अलमारी। अलमारी के ऊपर एक रेडियो, चाय की केतली, कुछ कप और खाली गुलाबी फूलदान रखा है। कमरे के बीच फर्श पर एक चटाई बिछी है जिसके ऊपर कम ऊंचाई वाली गोल मेज़ रखी है। दो दरवाज़े। एक दरवाज़ा पीछे की ओर खुलता है और दूसरा एक किनारे की ओर। पॉछयों के चहचहाने के साथ-साथ पर्दा उठता है। दूर कहीं मुर्गा बाँग देता है।
ऊपर लिखी पंक्तियों में कोको के घर एक कमरे का वर्णन किया गया है। दरअसल नाटक के लिए मंच सज्जा कैसी हो यह निर्देश उसके लिए है। तुम इस वर्णन को पढ़कर उस मंच का एक चित्र बनाओ जो ठीक वैसा ही होना चाहिए जैसा कि बताया गया है।
नाटक की बात
- नाटक में हिस्सा लेने वालों को पात्र कहते हैं। जिन पात्रों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है उन्हें ‘मुख्य पात्र' और जिनकी भूमिका ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं होती है उन्हें 'गौण पात्र' कहते हैं। बताओं इस नाटक में कौन-कौन मुख्य और गौण पात्र कौन हैं?
- पात्रों को जो बात बोलनी होती है उसे संवाद कहते हैं। क्या तुम किसी एक परिस्थिति के लिए संवाद लिख सकती हो? (इसके लिए तुम टोलियों में भी काम कर सकती हो।) उदाहरण के लिए खो-खो या कबड्डी जैसा कोई खेल खेलते समय दूसरे दल के खिलाड़ियों से बहस।
- क्या आपने कभी कोई चीज़ या बात दूसरों से छिपाई है या छिपाने की कोशिश की है? उस समय क्या-क्या हुआ था?
- कहते हैं, एक झूठ बोलने के लिए सौ झूठ बोलने पड़ते हैं। क्या तुम्हें कहानी पढ़कर ऐसा लगता है? कहानी की मदद से इस बात को समझाओ।
एक चावल कई-कई रूप
- 1.कोको की माँ ने उसके लिए चावल की रोटियाँ बनाकर रखी थीं। भारत के विभिन्न प्रांतों में चावल अलग-अलग तरीके से इस्तेमाल किया जाता है-भोजन के हिस्से के रूप में भी और नमकीन और मीठे पकवान के रूप में भी। तुम्हारे प्रांत में चावल का इस्तेमाल कैसे होता है? घर में बातचीत करके पता करो और एक तालिका बनाओ। कक्षा में अपने दोस्तों की तालिका के साथ मिलान करो तो पाओगी कि भाषा, कपड़ों और रहन-सहन के साथ-साथ खान-पान की दृष्टि से भी भारत अनूठा है।
- अपनी तालिका में से चावल से बनी कोई एक खाने की चीज़ बनाने की विधि पता करो और उसे नीचे दिए गए बिंदुओं के हिसाब से लिखो।
- सामग्री
- तैयारी
- विधि
- “कोको के माता-पिता धान लगाने के लिए खेतों में गए।"
"कोको की माँ ने उसके लिए चावल की रोटियाँ बनाई।"
एक ही चीज़ के विभिन्न रूपों के अलग-अलग नाम हो सकते हैं। नीचे ऐसे कुछ शब्द दिए गए हैं। उनमें अंतर बताओ।
- चावल
- धान
- भात
- मुरमुरा
- चिउड़ा
- साबुत दाल
- धुली दाल
- छिलका दाल
- गेहूँ
- दलिया
- आटा
- मैदा
- सूजी
के, में, ने, को, से ...
"कोको की माँ ने कल दुकान से एक फूलदान खरीदा था।"
ऊपर लिखे वाक्य में जिन शब्दों के नीचे रेखा खिची है वे वाक्य में शब्दों का आपस में संबंध बताते हैं। नीचे एक मजेदार किताब “अनारको के आठ दिन" का एक अंश दिया गया है। उसके खाली स्थानों में इस प्रकार के सही शब्द लिखो।
अनारको एक लड़की है। घर _____ लोग उसे अन्जो कहते हैं। अन्जो जाम छोटा जो है, सो उस _____ हुक्म चल्लाना आसान होता है। अन्जो, पानी ले आ, अन्जो धूप में मत जाना, अन्नो बाहर अँधेरा है-कहीं मत जा, बारिश _____ भीगना मत, अन्जो और कोई बाहर _____ घर में आए तो घरवाले कहेंगे-ये हमारी अजारको है, प्यार से हम इसे अब्जी कहते हैं। प्यार _____ हुँ-ह-ह!
आज अजारको सुबह सोकर उठी तो हॉफ रही थी। रात सपने _____ बहुत वारिश हुई। अनारको _____ याद किया और उसे लगा, आज _____ सपने में जितनी बारिश हुई उतनी तो पहले के सपनों _____ कभी नहीं हुई। कभी नहीं। जमके बारिश हुई थी _____ सपने _____ और जमकर उसमें भीगी थी अजारको। खूब उछली थी, कूदी थी, चारों तरफ पानी छिटकाया धा और सूब-शूब भीगी थी।