Table of Contents
धनुष
शिक्षण बिंदु
औ ैा ण ध ष
औरत औ र त | पौधा पौ धा | धागा धा गा |
बाण बा ण | धनुष ध नु ष |
शिक्षण संकेत
- श्यामपट पर धनुष लिखें और उसका चित्र दिखाते हुए विद्यार्थियों से बार-बार बुलवाएँ।
- इसी तरह औरत, पौधा, बाण, धागा के चित्र दिखाएँ। वर्णों की अलग-अलग पहचान करवाते हुए बार-बार बुलवाएँ।
2. पहचानो और बोलो
ष धा ण और भी
औरत धागा बाण पौधा धनुष
3. सुनो और बोलो
धन और कारण औजार रामायण धान
कौन भाषण औरत रामबाण धीरे पौधा
भूषण कौरव आभूषण धुआँ चौकी रावण
गौरव विभीषण धूप मौसी गणना गौरैया
वेशभूषा आधा फौज गणित तौलिया मणिपुर
4. बार-बार बोलो
दान-धान ओर-और साड़ी-सीढ़ी सड़क-डमरू जड़-डर
आशा-भाषा कण-गण जरा-ज़रा धनुष-षट्कोण पोषण-पोखर
5. नीचे दिए गए वर्ण/मात्रा को लिखने का अभ्यास करो
योग्यता विस्तार
- शिक्षण बिंदु में दिए गए सभी वर्णों और मात्राओं को श्यामपट पर लिखेंगे और विद्यार्थियों से बारी-बारी उनकी पहचान करवाएँगे।
- नीचे दिए गए चित्रों को देखकर विद्यार्थी खाली स्थान को भरेंगे।
मौखिक पाठ
शिक्षण बिंदु
तुम आओ आप आइए
दो / लो दीजिए / लीजिए
मत लाओ न लाइए
1. अध्यापक वाक्य बोलेंगे और विद्यार्थी सुनेंगे
1. शाहिद, तुम यहाँ आओ।
2. आप अंदर आइए।
3. जोसफ़, अपनी कॉपी लाओ, किताब मत लाओ।
4. ईशान, पैसा दो और किताब लो।
5. आप गाड़ी अंदर न लाइए।
2. अध्यापक वाक्य बोलेंगे और विद्यार्थी एक साथ वाक्य दोहराएँगे
1. रामन, तुम यहाँ आओ।
2. सलमा, तुम भी आओ।
3. सरोज, एक कहानी सुनाओ।
4. महेश जी, आप यहाँ बैठिए।
5. आप हमें गणित बताइए।
6. तुम लोग शोर मत करो।
7. आप संगीत सुनिए।
8. ठंडा दूध न पीजिए।
9. तुम यह चाय मत पिओ।
10. आप थोड़ी देर आराम कीजिए।
3. नमूने के अनुसार वाक्य बदलो
(क) नमूनाः
तुम अपना पाठ पढ़ो।
आप अपना पाठ पढ़िए।
तुम अपने घर जाओ। .................................
आप अपने घर जाइए। .................................
तुम जलेबी खाओ। .................................
(ख) नमूनाः
तुम यह किताब मत लो।
आप यह किताब न लीजिए।
तुम कॉफी मत पिओ । .................................
कक्षा में शोर मत करो। .................................
तुम पैसे मत दो। .................................
योग्यता विस्तार
- कक्षा की वस्तुओं को दिखाते हुए विद्यार्थी आपस में बातचीत करें, जैसे–
तुम यहाँ आओ। आप यहाँ आइए।
वहाँ से किताब लाओ। बेंच पर बैठिए।
- अध्यापक विद्यार्थियों से कक्षा से बाहर की परिस्थितियों में वार्तालाप कराएँ, जिसमें पिछले अभ्यास के बातचीत में हुई कमियों की ओर भी विद्यार्थियों का ध्यान दिलाएँ जैसे- करो/कीजिए, पिओ/पीजिए जैसी क्रियाओं का प्रयोग हो।