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रंग-बिंरगे पंख तुम्हारे, सबके मन को भाते हैं।
कलियाँ देख तुम्हें खुश होतीं फूल देख मुस्काते हैं।।
रंग-बिंरगे पंख तुम्हारे, सबका मन ललचाते हैं।
तितली रानी, तितली रानी, यह कह सभी बुलाते हैं।।
पास नहीं क्यों आती तितली, दूर-दूर क्यों रहती हो?
फूल-फूल के कानों में जा धीरे-से क्या कहती हो?
सुंदर-सुंदर प्यारी तितली, आँखों को तुम भाती हो।
इतनी बात बता दो हमको हाथ नहीं क्यों आती हो?
इस डाली से उस डाली पर उड़-उड़कर क्यों जाती हो?
फूल-फूल का रस लेती हो, हमसे क्यों शरमाती हो?
अभ्यास
शब्दार्थ
भाना - अच्छा लगना
हाथ न आना - पकड़ में न आना
कानों में कहना - धीरे से कहना
ललचाना - लुभाना
भावार्थ
इस कविता में तितली से बात की गई है और उसके लुभावने रूप का चित्र खींचा गया है।
1. कविता की पंक्तियाँ पूरी करो
1. रंग-बिंरगे पंख तुम्हारे, सबके मन को भाते हैं। ...........................................
2. पास नहीं क्यों आती तितली ...........................................
3. फूल-फूल के कानों में जा ...........................................
4. इस डाली से उस डाली पर ...........................................
5. हमसे क्यों शरमाती हो? ...........................................
2. समान अर्थ वाले शब्दों को रेखा खींचकर मिलाओ
3. निम्नलिखित शब्दों का अपने वाक्यों में प्रयोग करो
रंग-बिंरगा ...........................................
कानों में कहना ...........................................
हाथ न आना ...........................................
शरमाना ...........................................
4. कविता के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो
1. तितली के पंख कैसे होते हैं?
2. कविता में तितली को क्या कहकर बुलाया गया है?
3. कलियाँ और फूल तितली को देखकर क्या करते हैं?
4. तितली उड़-उड़कर कहाँ जाती है?
योग्यता विस्तार
विद्यार्थी अपनी भाषा में रचित इसी प्रकार की कोई कविता कक्षा में सुनाएँ।