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शिक्षण बिंदु
ता था/ ता थी/ ते थे
आ गया/ समझ गया
एक जंगल में अंगुलिमाल नाम का एक डाकू रहता था। वह बहुत निर्दयी था। वह जंगल से आने-जानेवालों को पकड़कर बहुत सताता था। वह उन्हें मार डालता था। वह उनकी अंगुलियों की माला बनाता था। उस माला को गले में पहनता था। इसीलिए लोग उसे अंगुलिमाल कहते थे। सभी लोग उससे बहुत डरते थे और जंगल में नहीं जाते थे।
एक बार महात्मा बुद्ध वहाँ आ गए। सभी लोगों ने उन्हें प्रणाम किया। उन्हें जंगल में जाने से रोका। लोगों ने महात्मा बुद्ध को अंगुलिमाल के बारे में सब कुछ बताया।
महात्मा बुद्ध ने लोगों की बातें बहुत धैर्य से सुनीं। वे बोले, ‘डरने की कोई बात नहीं है।’
महात्मा बुद्ध मुसकराते हुए जंगल में चले गए। जब अंगुलिमाल को महात्मा बुद्ध के आने का पता चला तो उसे बहुत गुस्सा आया। वह गुस्से से भरा महात्मा बुद्ध के पास आया। महात्मा बुद्ध ने धैर्यपूर्वक मुसकराकर उसका स्वागत किया। इस प्रकार बिना डरे, मुसकराकर स्वागत करना अंगुलिमाल के लिए नई बात थी। सब लोग तो उससे डरते थे और उससे घृणा करते थे।
महात्मा बुद्ध ने अंगुलिमाल से कहा, ‘भाई गुस्सा छोड़ो और सामने वाले पेड़ से चार पत्तियाँ तोड़ लाओ।’ अंगुलिमाल पत्ते तोड़ लाया।
बुद्ध मुसकराए और बोले, ‘इन पत्तों को जहाँ से तोड़ लाए हो, फिर से वहीं लगा आओ।’
अंगुलिमाल बोला, ‘यह कैसे हो सकता है? जो पत्ता एक बार पेड़ से टूट गया वह फिर कैसे जुड़ सकता है?’
बुद्ध ने उसे समझाया, ‘तुम यह जानते हो कि जो एक बार टूट गया वह दुबारा जुड़ता नहीं तो तुम तोड़ने का काम क्यों करते हो? जब तुम फिर से जोड़ नहीं सकते। पेड़ हो या अन्य प्राणी– सब में प्राण होते हैं। प्राणियों को तुम क्यों सताते हो? उन्हें मारते क्यों हो?
अंगुलिमाल महात्मा बुद्ध की बात समझ गया। वह उनकी शरण में आ गया और उनका शिष्य बन गया।
अभ्यास
1. पढ़ो और बोलो
गुस्सा शरण धैर्यपूर्वक टूट जाना एक बार
भगवान बुद्ध घृणा शिष्य मुसकराकर जुड़
जाना दुबारा सताना धैर्य स्वागत इसलिए
निर्दयी डाकू अंगुलियों की माला बिना डरे समझ जाना
2. नमूने के अनुसार वाक्य बदलो
नमूना
पहले मैं गाँव में रहता था।
अब मैं शहर में रहता हूँ।
1. पहले राघवन फुटबाल खेलता था। ........................(क्रिकेट)
2. पहले सुषमा गाना सीखती थी। ........................ (नृत्य)
3. पहले वे चाय पीते थे। ........................ (दूध)
4. पहले हम गाँव के विद्यालय में पढ़ते थे। ........................(जवाहर नवोदय विद्यालय)
3. कोष्ठक में दी गई क्रियाओं से नमूने के अनुसार वाक्य पूरे करो
(हो गया/हो गई, बैठ गया/बैठ गए, रह गया/ रह गए/रह गई)
नमूना
समझना-समझ गया, समझ गई।
मैं आपकी बात समझ गया।
1. मेरा काम पूरा ........................
2. तुम देर से आए, चाय खतम ........................
3. नौकर रास्ते में ही ........................
4. सभी विद्यार्थी अपनी-अपनी सीट पर ........................
5. अंजना खुश ........................
4. नमूने के अनुसार वाक्य बदलो
(क) नमूना
मैं पुस्तक पढ़ता हूँ।
मैंने पुस्तक पढ़ी।
1. रमेश पतंग उड़ाता है।
2. मैं हिंदी सीखता हूँ।
3. हम मिठाई खाते हैं।
(ख) नमूना
मैं दूध पीता हूँ।
मैंने दूध पिया।
1. मैं चित्र बनाता हूँ। ........................
2. वह कपड़े धोता है। ........................
3. सलमा चित्र बनाती है। ........................
(ग) नमूना
ललिता रोज़ नौ बजे सो जाती है।
आज वह आठ बजे सो गई।
1. श्रीनिवासन रोज़ सात बजे स्कूल जाता है। (दस बजे)
2. अखबार रोज़ सुबह ग्यारह बजे आ जाता है। (बारह बजे)
3. सुनीता रोज़ सुबह नहाती है। (शाम को)
5. प्रश्नों के उत्तर दो
1. अंगुलिमाल कौन था?
2. डाकू को अंगुलिमाल क्यों कहते थे?
3. अंगुलिमाल को गुस्सा क्यों आया?
4. भगवान बुद्ध ने अंगुलिमाल का स्वागत कैसे किया?
5. भगवान बुद्ध ने अंगुलिमाल से क्या तोड़ लाने को कहा?
योग्यता विस्तार
- विद्यार्थी 1 से 20 तक की हिंदी गिनती (एक, दो, तीन, चार, पाँच, छह, सात, आठ, नौ, दस, ग्यारह, बारह, तेरह, चौदह, पंद्रह, सोलह, सत्रह, अठारह, उन्नीस, बीस) का अभ्यास करें।
- विद्यार्थी सुबह, दिन में, दोपहर में, शाम को– इन शब्दों का प्रयोग करते हुए वाक्य बनाएँ।
शिक्षण संकेत
- अध्यापक विद्यार्थियों को समझाएँ कि जाना क्रिया का भूतकाल रूप गया/गए/गई होता है, अध्यापक न संरचना के बारे में विद्यार्थियों को बताएँ कि इस संरचना में क्रिया का कर्म, लिंग वचन के अनुसार रूप बदलता है।