Vigyan  Chapter-11


अध्याय 11

प्रकाश-छायाएँ एवं परावर्तन


हम अपने चारों ओर अनेक प्रकार की रंग-बिरंगी वस्तुएँ देखते हैं। स्कूल जाते समय हम अनेक वस्तुएँ जैसे — कारें, बसें, साइकिलें, वृक्ष, जंतु तथा कभी-कभी कुछ पुष्प देखते हैं। आपके विचार से हम इन वस्तुओं को कैसे देखते हैं?

रात्रि के समय जब पूर्ण अंधकार हो तब इन्हीं स्थानों के बारे में विचार कीजिए। आप क्या देखेंगे? मान लीजिए रात्रि के समय आप पूर्णतः अंधेरे कमरे में जाते हैं। क्या आप कमरे में रखी हुई किसी भी वस्तु को देख पाते हैं?

लेकिन, जब आप कोई टॉर्च अथवा मोमबत्ती जलाते हैं तो उस कमरे में रखी हुई वस्तुओं को देख सकते हैं। क्या एेसा नहीं है? बिना प्रकाश के वस्तुओं को नहीं देख सकते। प्रकाश, वस्तुओं को देखने में हमारी सहायता करता है।

टॉर्च का बल्ब एक एेसी वस्तु है, जो स्वयं प्रकाश देता है। सूर्य आकाश में एक एेसा पिंड है जो पृथ्वी को प्रकाशित करता है। दिन के समय हम इसी प्रकाश में वस्तुओं को देखते हैं। जो वस्तुएँ सूर्य की तरह स्वयं प्रकाश का उत्सर्जन करती हैं उन्हें दीप्त पिंड कहते हैं।

कुर्सी, चित्र अथवा जूते जैसी वस्तुओं के बारे में आप क्या कहेंगे? इन्हें आप तभी देख सकते हैं जब प्रकाश एक दीप्त वस्तु (जैसे- सूर्य, टॉर्च अथवा विद्युत का प्रकाश) से इन वस्तुओं पर पड़ता है, तब हमारी आँखों की ओर आता है।

11.1 पारदर्शी, अपारदर्शी तथा पारभासी वस्तुएँ

याद कीजिए, हमने अध्याय 4 में वस्तुओं को पारदर्शी, अपारदर्शी तथा पारभासी के रूप में समूहों में बाँटा है। यदि हम किसी वस्तु के आर-पार नहीं देख सकते हैं, तो वह अपारदर्शी वस्तु है। यदि आप किसी वस्तु के आर-पार देख सकते हैं तो वह वस्तु प्रकाश को अपने अंदर से होकर जाने देती है। एेसी वस्तु को पारदर्शी कहते हैं। कुछ वस्तुओं से आर-पार देख तो सकते हैं परंतु बहुत स्पष्ट नहीं, एेसी वस्तुओं को पारभासी कहते हैं।

क्रियाकलाप 1

अपने चारों ओर देखिए और दैनिक जीवन की जितनी अधिक से अधिक वस्तुएँ एकत्र कर सकते हैं, कीजिए जैसे - रबड़, प्लास्टिक स्केल, पेन, पेंसिल, नोटबुक, कागज़ की शीट, अनुरेखण कागज़ अथवा कपड़े का टुकड़ा। इन सभी वस्तुओं के आर-पार किसी दूर रखी हुई वस्तु को देखने का प्रयास कीजिए (चित्र 11.1)। क्या दूर रखी वस्तु से आने वाला प्रकाश इन वस्तुओं के आर-पार चलकर आपकी आँखों तक पहुँच पाता है?



चित्र 11.1 वस्तुओं का यह देखने के लिए प्रेक्षण करना कि वे प्रकाश को अपने में से जाने देती हैं अथवा नहीं

सारणी 11.1

table11-1


अपने प्रेक्षणों को सारणी 11.1 के अनुसार लिखिए। हम देखते हैं कि किसी वस्तु अथवा पदार्थ का अपारदर्शी, पारदर्शी अथवा पारभासी होना इस पर निर्भर करता है कि वह वस्तु अपने अंदर से होकर प्रकाश को पूर्णतः, आंशिक रूप से अथवा बिलकुल नहीं गुजरने देती।

11.2 छायाएँ वास्तव में क्या होती हैं?

क्रियाकलाप 2

अब प्रत्येक अपारदर्शी वस्तु को धूप में जमीन से कुछ ऊँचाई पर एक-एक करके पकड़िए। धरती पर आप क्या देखते हैं? आप जानते हैं कि धरती पर बने ये गहरे काले धब्बे वस्तुओं की छाया के कारण हैं। कभी-कभी आप वस्तु की छाया देखकर वस्तु को पहचान सकते हैं (चित्र 11.2)।

मैदान में कागज़ की एक शीट बिछाइए । किसी सामान्य जानकार अपारदर्शी वस्तु को किसी ऊँचाई पर हाथ में इस प्रकार पकड़िए कि उसकी छाया ज़मीन पर बिछी कागज़ की शीट पर पड़े। जब आप वस्तु को पकड़े हुए हों तो उस समय अपने किसी मित्र से छाया की बाहरी रेखा खींचने के लिए कहिए। इसी प्रकार अन्य वस्तुओं की छायाओं की बाहरी रेखाएँ खींचिए।

चित्र 11.2 कभी-कभी वस्तु की छाया, वस्तु की आकृति के  बारे में बताती है

अब अपने कुछ अन्य मित्रों से छायाओं की बाहरी रेखाएँ देखकर वस्तुओं को पहचानने के लिए कहिए। वे कितनी वस्तुओं की सही पहचान कर सकते हैं?

क्या आप अपनी छाया किसी अंधेरे कमरे में अथवा रात्रि में जब कोई प्रकाश नहीं होता है, देखते हैं? क्या आपको उस समय भी कोई छाया दिखाई देती है, जब कमरे में प्रकाश स्रोत के अतिरिक्त अन्य कुछ नहीं होता है? एेसा प्रतीत होता है कि छाया देखने के लिए हमें कोई प्रकाश स्रोत तथा प्रकाश के पथ में कोई अपारदर्शी वस्तु चाहिए। क्या इसके अतिरिक्त कोई अन्य वस्तु भी चाहिए?

क्रियाकलाप 3

यह एक एेसा क्रियाकलाप है जिसे आपको अंधेरे में करना होगा। शाम होते ही अपने कुछ मित्रों के साथ एक टॉर्च तथा गत्ते की एक बड़ी शीट लेकर किसी खुले मैदान में जाइए। टॉर्च को ज़मीन के समीप ले जाकर ऊपर की ओर इस तरह से जलाएँ जिससे टॉर्च का प्रकाश आपके मित्र के चेहरे पर पड़े। अब आपके पास प्रकाश स्रोत तथा प्रकाश के पथ के अनुदिश एक अपारदर्शी वस्तु (आपका मित्र) है। यदि आपके मित्र के पीछे पेड़, इमारत अथवा कोई अन्य वस्तु न हो तो क्या तब भी आपको अपने मित्र के सिर की छाया दिखाई देगी? इसका अर्थ यह नहीं हैं कि वहाँ छाया नहीं है। वास्तव में टॉर्च का प्रकाश आपके मित्र के सिर से पार नहीं होता है।


चित्र 11.3 छाया परदे पर ही बनती है

अब किसी अन्य मित्र से कहें कि गत्ते की शीट को आपके मित्र के पीछे पकड़े। क्या अब छाया शीट पर बनती है (चित्र 11.3)?

इस प्रकार छाया केवल परदे पर ही दिखाई दे सकती है। ज़मीन, कमरे की दीवार, इमारतें अथवा इस प्रकार की अन्य सतहें, आपको दैनिक जीवन में दिखाई देने वाली अनेक छायाओं के लिए परदे की तरह कार्य करती हैं।


चित्र 11.4 आपके हाथों में छिपी जंतुओं की छायाएँ

छायाओं से हमें वस्तुओं की आकृतियों के बारे में कुछ जानकारी प्राप्त होती है। कभी-कभी तो छाया हम सभी को वस्तु की आकृति के बारे में भ्रमित भी कर सकती है। चित्र 11.4 में कुछ छायाएँ दिखाई गई हैं जिन्हें हम अपने हाथों से बना कर विविध जानवरों की छाया होने का भ्रम उत्पन्न कर सकते हैं। है ना ये मज़ेदार बात!


क्रियाकलाप 4

स्कूल के मैदान में धूप में एक कुर्सी रखिए। आप कुर्सी की छाया से क्या अवलोकन करते हैं?

क्या छाया से कुर्सी की सही आकृति का ज्ञान होता है? यदि आप कुर्सी को थोड़ा-सा घुमा दें तो कुर्सी की छाया की आकृति में किस प्रकार का परिवर्तन होता है?

एक पतली नोटबुक लेकर उसकी छाया को देखिए। इसके पश्चात् एक आयताकार डिब्बा लीजिए और उसकी छाया देखिए। क्या दोनों छायाएँ समान आकृति की प्रतीत होती हैं?

विभिन्न रंगों के पुष्प अथवा अन्य वस्तुएँ लेकर उनकी छायाओं का अवलोकन कीजिए। उदाहरण के लिए लाल गुलाब अथवा पीला गुलाब ले सकते हैं। जब वस्तुओं के रंग भिन्न-भिन्न होते हैं तो क्या उनकी छायाओं के रंग भी भिन्न-भिन्न दिखाई पड़ते हैं?

एक लंबा बॉक्स लीजिए तथा पृथ्वी पर बनी उसकी छाया को ध्यान से देखिए। जब आप बॉक्स को इधर-उधर गति कराते हैं तो उस समय आप छाया के आकार में होने वाले परिवर्तन को देख सकते हैं। बॉक्स की छाया कब सबसे छोटी बनती है, तब जब आप बॉक्स के बड़े फलक को सूर्य के सामने रखते हैं अथवा जब आप छोटे फलक को सूर्य के सामने रखते हैं?

आइए, इस लंबे बॉक्स का प्रयोग सरल कैमरा बनाने में करें।

11.3 सूची छिद्र कैमरा

शायद आप यह सोचते हों कि किसी कैमरे को बनाने के लिए हमें बहुत-सी सामग्री चाहिए। लेकिन यदि हम केवल सरल सूची छिद्र कैमरा ही बनाना चाहते हैं, तब एेसा नहीं है।

क्रियाकलाप 5

दो एेसे बॉक्स लीजिए जिनमें से एक बॉक्स दूसरे के भीतर बिना अंतराल के खिसक सके। दोनों बॉक्सों का एक-एक छोटा फलक काट दीजिए। बड़ा बॉक्स लेकर इसके दूसरे छोटे फलक के बीचोंबीच एक छोटा छिद्र बनाइए [चित्र 11.5(a)]। इसी प्रकार छोटे बॉक्स के दूसरे छोटे फलक पर एक वर्गाकार आकृति (जिसकी भुजा लगभग 5 cm से 6 cm हो) काटिए। इस कटे भाग पर ट्रेसिंग पेपर (पारभासी परदा) चिपकाकर ढक दीजिए [चित्र 11.5 (b)]। छोटे बॉक्स को बड़े बॉक्स में इस प्रकार खिसकाइए कि छोटे बॉक्स का पारभासी ट्रेसिंग पेपर वाला परदा बड़े बॉक्स के भीतर हो [चित्र 11.5 (c)] आपका सूची छिद्र कैमरा उपयोग के लिए तैयार है।

सूची छिद्र कैमरा लेकर छोटे बॉक्स के खुले हुए सिरे से देखें। अपने सिर तथा सूची छिद्र कैमरे को काले रंग के कपड़े से ढक लीजिए। अब सूची छिद्र कैमरे से दूर की वस्तुएँ जैसे पेड़ अथवा इमारतों को देखने का प्रयत्न करें। सुनिश्चित करें कि जिस वस्तु को आप सूची छिद्र कैमरे से देखना चाहते हैं, वह सूर्य की तेज धूप में रखी हो। अब छोटे बॉक्स को सूची छिद्र बने बड़े बॉक्स में आगे-पीछे तब तक खिसकाएँ जब तक दूसरे छोर पर लगे हुए ट्रेसिंग पेपर पर तस्वीर न मिले।

क्या सूची छिद्र कैमरों के प्रतिबिंब अपनी छायाओं से भिन्न हैं?

सूची छिद्र कैमरे से सूर्य के तीव्र प्रकाश में सड़क पर गतिमान वाहनों एवं व्यक्तियों को देखें।

क्या कैमरे के द्वारा देखे गए चित्र, दूसरी ओर की वस्तुआें के रंगों को दर्शाते हैं? क्या प्रतिबिंब सीधे हैं अथवा उल्टे? आश्चर्य-आश्चर्य!

आइए, अब अपने सूची छिद्र कैमरे से सूर्य का प्रतिबिंब बनाएँ। इसके लिए हमें थोड़ी-सी भिन्न व्यवस्था चाहिए। हमें गत्ते की एक बड़ी शीट चाहिए जिसके मध्य में छोटा सा सूची छिद्र हो। गत्ते की शीट को सूर्य की तरफ इस तरह पकड़ें कि उसकी छाया साफ क्षेत्र में बने। क्या आप सूर्य का वृत्ताकार प्रतिबिंब गत्ते की शीट की छाया के मध्य में देखते हैं?

अपनी जगह से सूर्य ग्रहण के समय सूर्य का सूची छिद्र प्रतिबिंब देखें। सूर्य ग्रहण से पहले सूची


छिद्र तथा परदे को इस तरह सुव्यवस्थित करें कि सूर्य का प्रतिबिंब परदे पर साफ़ बने। सूर्य ग्रहण आरंभ होने पर सूर्य का प्रतिबिंब देखें। आप अवलोकन करेेंगे कि ग्रहण प्रारंभ होने पर सूर्य के प्रतिबिंब का एक भाग धीरे-धीरे काला होता जाता है। हमें सूर्य को सीधे कदापि नहीं देखना चाहिए। ये हमारी आँखों के लिए अत्यंत हानिकारक हो सकता है।

       

          (a)                             (b)                                      (c)

चित्र 11.5 सर्पी सूची छिद्र कैमरा

प्रकृति में भी एक रोचक सूची छिद्र कैमरा है। कभी-कभी हम एेसे वृक्ष के नीचे से गुज़रते हैं, जिसमें ढेराें पत्तियाँ होती हैं, तब हमें उस पेड़ के नीचे सूर्य के प्रकाश के धब्बे दिखाई देते हैं (चित्र 11.6)। वास्तव में ये वृत्ताकार प्रतिबिंब सूर्य के सूची छिद्र प्रतिबिंब होते हैं। पत्तियों के बीच के खाली स्थान सूची छिद्र की भाँति व्यवहार करते हैं। इन खाली स्थानों में सभी प्रकार की अनियमित आकृतियाँ हो सकती हैं, परंतु हम सूर्य के वृत्ताकार प्रतिबिंब ही देख सकते हैं। आगामी सूर्य ग्रहण के समय सूर्य के प्रतिबिंबों को देखने का प्रयास करें। यह अत्यंत रोचक हो सकता है!


चित्र 11.6 प्राकृतिक सूची छिद्र कैमरा। वृक्ष के नीचे  सूर्य के प्रतिबिंब

बूझो के मस्तिष्क में एक विचार है। हमने अपने सूची छिद्र कैमरे से सड़क पर चलते लोगों के उल्टे प्रतिबिंब देखे थे। सूर्य के प्रतिबिंबों के साथ क्या होता है? क्या वे प्रतिबिंब भी हमें उल्टे दिखाई दिए थे?

पहेली का कुछ अन्य विचार है। निश्चय ही ये सब परिणाम, जो हम देख रहे हैं जैसे- छायाओं का बनना, सूची छिद्र प्रतिबिंब आदि तभी संभव हैं जब प्रकाश केवल सरल रेखा में गमन करे।

क्रियाकलाप 6

आइए, पाइप का छोटा टुकड़ा अथवा रबड़ की लंबी नली लें। कमरे में एक तरफ एक मोमबत्ती जलाकर मेज़ के ऊपर रखें। अब कमरे में दूसरी तरफ खड़े होकर पाइप से मोमबत्ती को देखें [चित्र 11.7 (a)]। क्या मोमबत्ती दिखाई देती है? जब आप मोमबत्ती को देख रहे हों तब पाइप को थोड़ा-सा मोड़िए
[चित्र 11.7 (b)]। 


(a)



(b)

चित्र 11.7 मोमबत्ती की ओर (a) सीधे (b) मुड़े हुए पाइप के द्वारा देखते हुए

क्या अब मोमबत्ती दिखाई देती है? पाइप को अपने दाईं या बाईं ओर घुमाइए। क्या अब आप मोमबत्ती को देख सकते हैं? आप इससे क्या निष्कर्ष निकालते हैं?

यह दर्शाता है कि प्रकाश एक सरल रेखा में गमन करता है, क्या एेसा नहीं है? इस कारण जब कोई अपारदर्शी वस्तु इसे रोकती है तो उस वस्तु की छाया बनती है।

11.4 दर्पण तथा परावर्तन

हम सभी, घर पर दर्पणों का प्रयोग करते हैं। आप दर्पण में अपने चेहरे को देखते हैं। जो आप देखते हैं वह दर्पण में आपके चेहरे का परावर्तन है। हम दर्पण के सामने रखी हुई वस्तुओं का परावर्तन भी दर्पण में देखते हैं। कभी-कभी हम झील अथवा तालाब के पानी में पेड़ों, इमारतों तथा अन्य वस्तुओं का परावर्तन देखते हैं।

क्रियाकलाप 7

यह क्रियाकलाप रात्रि के समय अथवा एक अंधेरे कमरे में किया जाना चाहिए। अपने किसी मित्र से कहिए कि वह एक हाथ में दर्पण लेकर कमरे के एक कोने में खड़ा हो जाए। एक हाथ में टॉर्च लेकर आप कमरे के दूसरे कोने में खड़े हो जाएँ। टॉर्च के काँच को अपनी अंगुलियों से ढक लीजिए तथा टॉर्च को जलाएँ। किरण पुंज प्राप्त करने के लिए अपनी अंगुलियों के बीच कुछ जगह छोड़ें। प्रकाश पुंज को आपके मित्र के द्वारा पकड़े हुए दर्पण पर डालिए। क्या आप दूसरी तरफ प्रकाश का धब्बा देखते हैं (चित्र 11.8)? अब टॉर्च की दिशा इस प्रकार समायोजित कीजिए कि प्रकाश का धब्बा कमरे में खड़े किसी दूसरे मित्र के ऊपर पड़े।


चित्र 11.8 दर्पण, प्रकाश के किरण पुंज का परावर्तन करता है

यह क्रियाकलाप सुझाता है कि दर्पण अपने ऊपर पड़ने वाले प्रकाश की दिशा को बदल देता है।

यहाँ वर्णन किया गया क्रियाकलाप यह दर्शाता है कि प्रकाश सरल रेखा के अनुदिश गमन करता हुआ दर्पण से परावर्तित हो जाता है।

क्रियाकलाप 8

एक बड़ी थर्मोकोल की शीट के एक किनारे पर एक कंघी तथा इसके दूसरे किनारे पर (चित्र 11.9) में दर्शाए अनुसार एक दर्पण लगाइए। दर्पण तथा कंघी के बीच कागज़ की गहरी रंगीन शीट बिछाइए। इसे सूर्य के प्रकाश में रखिए अथवा कंघी के सामने टॉर्च से प्रकाश किरणें डालिए।


चित्र 11.9 सरल रेखा में चलता हुआ तथा दर्पण से परावर्तित होता प्रकाश

आप क्या अवलोकन करते हो? क्या आप (चित्र 11.9) में दर्शाए जैसा पैटर्न प्राप्त करते हैं?

इस क्रियाकलाप से हमें यह ज्ञात होता है कि प्रकाश किस प्रकार गमन करता है तथा यह किस प्रकार दर्पण से परावर्तित होता है।



दीप्त

दर्पण

अपारदर्शी

सूची छिद्र कैमरा

परावर्तन

छाया

पारभासी

पारदर्शी


  • ➤ अपारदर्शी वस्तुएँ प्रकाश को अपने में से होकर नहीं जाने देतीं।

    ➤ पारदर्शी वस्तुएँ प्रकाश को अपने में से होकर जाने देती हैं तथा हम इनके दूसरी ओर रखी वस्तुओं को स्पष्ट देख सकते हैं।

    ➤ पारभासी वस्तुएँ प्रकाश के कुछ भाग को ही अपने में से होकर जाने देती हैं।

    ➤ जब प्रकाश के पथ में कोई अपारदर्शी वस्तु आ जाती है तो छाया बनती है।

    ➤ साधारण सामग्री से सूची छिद्र कैमरा बनाया जा सकता है तथा इसका उपयोग सूर्य तथा अति दीप्त वस्तुओं के प्रतिबिंब को देखने में किया जा सकता है।

    ➤ प्रकाश सरल रेखा में गमन करता है।

    ➤ दर्पण-परावर्तन से हमें स्पष्ट प्रतिबिंब प्राप्त होते हैं


1. नीचे दिए गए बॉक्सों के अक्षरों को पुनर्व्यवस्थित करके एक एेसा वाक्य बनाइए जिससे हमें अपारदर्शी वस्तुओं के बारे में जानकारी मिलने में सहायता हो सके।

2. नीचे दी गई वस्तुओं अथवा पदार्थो को अपारदर्शी, पारदर्शी अथवा पारभासी तथा दीप्त अथवा अदीप्त में वर्गीकृत कीजिएः

वायु, जल, चट्टान का टुकड़ा, एेलुमिनियम शीट, दर्पण, लकड़ी का तख्ता, पॉलीथीन शीट, CD, धुआँ, समतल काँच की शीट, कुहरा, लाल तप्त लोहे का टुकड़ा, छाता, प्रकाशमान प्रतिदीप्त नलिका, दीवार, कार्बन पेपर की शीट, गैस बर्नर की ज्वाला, गत्ते की शीट, प्रकाशमान टॉर्च, सेलोफेन शीट, तार की जाली, मिट्टी के तेल का स्टोव, सूर्य, जूगनू, चंद्रमा।

3. क्या आप एेसी आकृति बनाने के बारे में सोच सकते हैं जो एक ढंग से रखे जाने पर वृत्ताकार छाया बनाए तथा दूसरे ढंग से रखे जाने पर आयताकार छाया बनाए?

4. किसी अंधेरे कमरे में यदि आप अपने चेहरे के सामने कोई दर्पण रखें तो क्या आप दर्पण में अपना परावर्तन देखेंगे?


प्रस्तावित परियोजनाएँ एवं क्रियाकलाप

1. दर्पण का खेल ः अपने मित्रों A,B,C, तथा D की एक पंक्ति बनाइए जो एक रेखा में खड़े हों। अब किसी एक अन्य मित्र को उनके सामने एक हाथ में दर्पण लेकर इस प्रकार खड़ा कीजिए कि दर्पण का पृष्ठ मित्रों की ओर हो (चित्र 11.10)। अब प्रत्येक मित्र से यह कहा जा सकता है कि इस दर्पण में उन्हें कौन दिखाई दे रहा है - A,B,C अथवा D ।

यदि A दर्पण में B को देख सकता है, तब, क्या B भी दर्पण में A को देख सकता है? इसी प्रकार A,B,Cतथा D में से किन्हीं दो युगलों के साथ कीजिए।

यदि A दर्पण में B को नहीं देख सकता है, तब क्या B दर्पण में A को देख सकता है? इसी प्रकार A,B,Cतथा D में से किन्हीं दो युगलों के साथ कीजिए।

चित्र 11.10

इस क्रियाकलाप से हमें प्रकाश के गमन तथा दर्पण से परावर्तित होने के बारे में कुछ जानकारी मिलती है। इसके बारे में और अधिक उच्च कक्षाओं में सीखेंगे।

2. दायाँ-बायाँ

अपने दाएँ हाथ में एक कंघा लीजिए और इसे अपने बालों तक ले जाइए। अब स्वयं को दर्पण में देखिए। इसमें आपका जाना पहचाना प्रतिबिंब आप पर मुस्कुरा रहा है 

रुकिए, परखिए तथा पता लगाइए कि आपके प्रतिबिंब में कौन-सा हाथ कंघे को पकड़े हुए है। यह बायाँ है अथवा दायाँ? आपने कंघे को दाएँ हाथ में पकड़ा हुआ है, क्या एेसा नहीं है?

चित्र 11.11 कोनों से प्रतिबिंब देखना

जबकि सूची छिद्र कैमरा उल्टा प्रतिबिंब बनाता हुआ प्रतीत होता है, दर्पण, दाएँ हाथ को बाएँ हाथ तथा बाएँ हाथ को दाएँ हाथ में बदलता हुआ प्रतीत होता है। इसके विषय में और अधिक हम उच्च कक्षाओं में सीखेंगे।

3. जादुई-युक्ति

गणित के सममिति के अध्याय में आपने एक रोचक यंत्र बहुमूर्तिदर्शी (कैलाइॅडोस्कोप) बनाया होगा। इसमें प्रकाश के परावर्तन का उपयोग होता है। आइए हम एक और यंत्र पारदर्शी (पेरिस्कोप) बनाते हैं। इसमें भी प्रकाश के परावर्तन का उपयोग होता है तथा इससे किसी अवरोध के दूसरी ओर भी देख सकते हैं। अपने एक मित्र को कक्षा के कमरे के प्रवेश द्वार के बाहर गलियारे में एक दर्पण लेकर खड़े होने को कहें। किसी दूसरे मित्र को भी प्रवेश द्वार के सामने कक्षा के कमरे के बीच में दर्पण लेकर खड़े होेने को कहें। अब अपने मित्राें से उनके दर्पणाें को इस प्रकार समायोजित करने को कहें कि कमरे के अंदर खड़े हुए आप गलियारे की दूसरी ओर की वस्तु को देख पाएँ।

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चित्र 11.12 परिदर्शी

चित्र 11.12 में दर्शाए अनुसार Z की आकृति के बॉक्स में दो दर्पण लगाकर आप एक सरल परिदर्शी (पेरिस्कोप) बना सकते हैं।

विचारणीय बातें

1. अपारदर्शी वस्तुएँ छायाएँ बनाती हैं, क्या एेसा नहीं है? अब यदि हम कोई पारदर्शी वस्तु धूप में लेकर खड़े हो जाएँ तो क्या हमें धरती पर उसकी छाया दिखाई देगी, जिससे हमें यह संकेत मिले कि हम हाथ में कुछ पकड़े हुए हैं?

2. हमने देखा कि अपारदर्शी वस्तुआें के रंगाें को बदलने से उनकी छायाआें के रंग में कोई परिवर्तन नहीं होता है। जब हम विभिन्न रंगाें के प्रकाश को अपारदर्शी वस्तुआें पर डालते हैं तब क्या होता हैं? आप एेसा टॉर्च के पृष्ठ को पारदर्शी रंगीन कागज़ से ढककर कर सकते हैं। (क्या आपने कभी सूर्यास्त के समय सायंकालीन छायाओं के रंग देखे हैं?)

पढ़ने योग्य बातें

रुडियार्ड किपलिंग्स की रचना जस्ट सो स्टोरी विशेषतः कहानी ‘‘हाउ दि लिओपार्ड गोट इट्स स्पोट्स’’ में उन्होंने धारीदार, चित्तीदार, दाग-धब्बे वाली परछाइयों का वर्णन किया है। यहाँ उस कहानी से एक उद्धरण है जिसमें बहुत-सी परछाइयाँ बताई गई हैं।

. . . कभी बहुत दिनाें के बाद उन्होंने एक बड़े, ऊँचे, खोतरो से पूर्ण लंबे वृक्षाें के जंगल में धारियाँ चित्ते, धब्बे तथा बिंदु, आड़ी तिरछी रेखाएँ, फलकनुमा और गैर फलकनुमा जैसी परछाइयाँ देखीं। (सशक्तता से कहें तथा देखें कि जंगल अवश्य इतने छायाकारी होते हैं)।

लिओपार्ड ने कहा, ‘यह क्या है!’, ‘इतना अधिक अंधेरा, तब भी प्रकाश के पुंज!’