Vigyan  Chapter-13

अध्याय 13

चुंबकों द्वारा मनोरंजन

पहेली तथा बूझो एेसे स्थान पर गए, जहाँ अपशिष्ट (कूड़ा-कबाड़) पदार्थ के बड़े-बड़े ढेर थे। कुछ प्रोत्साहक घटना घट रही थी। कूड़े के ढेर की ओर एक क्रेन जा रही थी। क्रेन ने इस ढेर की ओर एक गुटके को नीचे किया। फिर वह गुटका ऊपर उठने लगा। अनुमान कीजिए, यहाँ क्या हुआ? बेकार पुराने लोहे के बहुत से टुकड़े गुटके के साथ चिपककर क्रेन के साथ जाने लगे (चित्र 13.1)!

चित्र 13.1 कबाड़ के ढेर से लोहे के टुकड़ों का चयन

उन्होंने अभी-अभी चुंबकों के बारे में एक अति रोचक पुस्तक पढ़ी थी तथा तुरंत जान गए थे कि क्रेन से अवश्य ही एक चुंबक जुड़ा था जो कबाड़ से लोहा चुन रहा था।

आपमें से कुछ लोगों ने चुंबक अवश्य देखे होंगे तथा इनसे खेलकर आनंद भी उठाया होगा। क्या आपने चिपकू (स्टीकर) देखें हैं, जो लोहे की सतहों जैसे अलमारी या रेफ्रिज़रेटर के दरवाज़ों से चिपक जाते हैं। कुछ पिनधारकों (होल्डरों) में पिन, होल्डरों से चिपके दिखते हैं। कुछ पेंसिल बॉक्सों में ताले की व्यवस्था के बिना भी जब हम ढक्कन बंद करते हैं तो यह कसकर बंद हो जाता है। एेसे चिपकू, पिनधारकों तथा पैंसिल बॉक्सों में चुंबक लगे होते हैं (चित्र 13.2)। यदि आपके पास इनमें से कोई भी वस्तु है तो उनमें छिपे चुंबकों को खोजने का प्रयत्न कीजिए।


       

चित्र 13.2 कुछ सामान्य वस्तुएँ जिनमें चुंबक होते हैं

चुंबक कैसे खोजा गया

कहते हैं कि प्राचीन यूनान में एक गड़रिया रहता था। उसका नाम मैग्नस था। वह अपनी भेड़ों तथा बकरियों के झुंड को पास के पहाड़ों पर चराने के लिए ले जाता था। भेड़ों पर नियंत्रण के लिए वह अपने साथ एक छड़ी रखता था। छड़ी के एक सिरे पर लोहे की टोपी लगी होती थी। एक दिन पहाड़ पर एक चट्टान के ऊपर से इस छड़ी को उठाने में उसे बहुत ज़ोर लगाना पड़ा तो वह आश्चर्यचकित हुआ। चट्टान छड़ी को अपनी ओर आकर्षित करती प्रतीत हो रही थी। यह चट्टान एक प्राकृतिक चुंबक थी और इसने गड़रिए की छड़ी की लोहे की टोपी को अपनी ओर आकर्षित कर लिया था। कहा जाता है कि इस प्रकार प्राकृतिक चुंबक की खोज हुई। संभवतः उस गड़रिए के नाम पर उस पत्थर को मैग्नेटाइट नाम दिया गया। मैग्नेटाइट में लोहा होता है। कुछ लोगों का विश्वास है कि यह मैग्नेटाइट, मैग्नेशिया नामक स्थान पर सबसे पहले पाया गया था। जिन पदार्थों में लोहे को आकर्षित करने का गुण पाया जाता है वे चुंबक कहलाते हैं।



लोग अब तक जान चुके थे कि कुछ चट्टानों में लोहे के टुकड़ों को आकर्षित करने का गुण होता है। उन्होंने यह भी पाया कि चट्टानों के इन छोटे-छोटे टुकड़ों में कुछ विशेष गुण होते हैं। प्राकृतिक रूप से मिलने वाले इन पदार्थों को उन्होंने चुंबक कहा। तत्पश्चात् लोहे के टुकड़ों से चुंबक बनाने की विधि का आविष्कार हुआ, इन्हें कृत्रिम चुंबक कहते हैं। आजकल विभिन्न आकृतियों के कृत्रिम चुंबक बनाए जाते हैं। उदाहरण के लिए छड़ चुंबक, नाल चुंबक, बेलनाकार अथवा गोलांत चुंबक। चित्र 13.4 में एेसे कुछ चुंबक दर्शाए गए हैं।


चित्र 13.4 विभिन्न आकार के चुंबक

क्रियाकलाप 1

प्लास्टिक अथवा कागज़ का एक प्याला लीजिए। इसे एक स्टैंड पर शिकंजे (क्लैंप) की सहायता से कस दीजिए जैसा कि चित्र 13.5 में दर्शाया गया है। प्याले के अंदर एक चुंबक रखिए तथा इसे कागज़ से ढक दीजिए, जिससे कि चुंबक दिखाई न दे। लोहे के बने एक क्लिप को एक धागे से बाँधिए। धागे के दूसरे सिरे को स्टैंड के आधार के साथ बाँध दीजिए। (ध्यान रखें, धागे की लंबाई को पर्याप्त छोटा रखना यहाँ एक युक्ति है।) क्लिप को प्याले के आधार के समीप लाइए। क्लिप बिना किसी सहारे के एक पतंग की भाँति हवा में रुका रहता है।


चित्र 13.5 चुंबक का प्रभाव – हवा में लटका पेपर क्लिप

13.1 चुंबकीय तथा अचुंबकीय पदार्थ

क्रियाकलाप 2

आइए, मैग्नस की भाँति भ्रमण करें। इस बार हम केवल चुंबक तथा लोहे की स्थितियों को बदल देंगे। अब गड़रिए की छड़ी के सिरे पर एक चुंबक होगा। हम किसी हॉकी स्टिक, भ्रमण छड़ी या क्रिकेट के विकेट के साथ एक छोटेे-से चुंबक को टेप या गोंद की सहायता से चिपका सकते हैं। आइए अब हम विद्यालय के खेल के मैदान में ‘मैग्नस भ्रमण’ पर चलें। हमारी ‘मैग्नस छड़ी’ विद्यालय के मैदान से क्या-क्या वस्तुएँ उठाती है? कक्षा के कमरे से यह किन वस्तुओं को उठाती है?

अपने पास-पड़ोस से दैनिक जीवन में काम आने वाली विभिन्न वस्तुओं को एकत्रित कीजिए। ‘मैग्नस छड़ी’ से इनकी जाँच कीजिए। आप एक चुंबक भी ले सकते हैं। इन वस्तुओं को चुंबक से छुएँ और देखें कि कौन-कौन सी वस्तुएँ इससे चिपकती हैं। अपनी नोटबुक में सारणी 13.1 की भाँति एक सारणी बनाइए तथा अपने प्रेक्षण अंकित कीजिए।

सारणी 13.1 का अंतिम कॉलम देखिए तथा उन वस्तुओं के नाम लिखिए जो चुंबक द्वारा आकर्षित होती हैं। अब उन पदार्थोρं की सूची बनाइए जिनसे ये वस्तुएँ बनी हुई हैं। क्या कोई एेसा सर्वनिष्ठ पदार्थ है जो चुंबक द्वारा आकर्षित होने वाली सभी वस्तुओं में विद्यमान है?

हम यह समझते हैं कि चुंबक कुछ पदार्थोρं को आकर्षित करता है जबकि कुछ पदार्थ चुंबक की ओर आकर्षित नहीं होते। जो पदार्थ चुंबक की ओर आकर्षित होते हैं, वे चुंबकीय पदार्थ कहलाते हैं – जैसे लोहा, निकिल एवं कोबाल्ट। जो पदार्थ चुंबक की ओर आकर्षित नहीं होते, वे अचुंबकीय पदार्थ कहलाते हैं। सारणी 13.1 में वे कौन-से पदार्थ हैं जो आपने अचुंबकीय पाए? क्या मिट्टी चुंबकीय पदार्थ है या अचुंबकीय?


क्रियाकलाप 3

किसी चुंबक को रेत अथवा मिट्टी में रगड़े। चुंबक को बाहर निकालेें। क्या चुंबक के साथ कुछ रेत अथवा मिट्टी के कण चिपक गए हैं? अब इन रेत अथवा मिट्टी के कणों को हटाने के लिए चुंबक को आराम से हिलाएँ। क्या कुछ कण अब भी चिपके हुए हैं? ये मिट्टी से उठाए गए लोहे के छोटे टुकड़े (लोहे का बुरादा) हो सकते हैं।


सारणी 13-1: चुंबक द्वारा आकर्षित होने वाली वस्तुओं का पता लगाना

table13-1

इस प्रकार के क्रियाकलाप द्वारा हम यह ज्ञात कर सकते हैं कि क्या किसी स्थान की रेत अथवा मिट्टी में लौह कण विद्यमान हैं? अपने घर के पास, स्कूल में अथवा अवकाश के दिनों में भ्रमण किए गए स्थानों पर इस क्रियाकलाप को करने का प्रयास कीजिए। क्या चुंबक से चिपके लोहे के बुरादे की तस्वीर, चित्र 13.6 में दर्शाए गए किसी प्रकरण जैसी है?

आपने जो ज्ञात किया है उसकी एक सारणी बनाइए।

13-6a

(a)

13-6b

(b)

13-6c

(c)


चित्र 13.6 चुंबक (a) पर्याप्त लोहे के बुरादे के साथ (b) कुछ बुरादे के साथ (c) बिना बुरादे के साथ


यदि आप इस सारणी को भरते हैं और इसे पहेली तथा बूझो के पास भेजते हैं, तो वे देश के विभिन्न भागों की मिट्टी में पाए गए लोहे के बुरादे की मात्रा से तुलना कर सकते हैं। वे आपके साथ इस जानकारी को बाँट सकते हैं।

सारणी 13.2 ः रेत में रगड़ा हुआ चुंबक। कितना लोहे का बुरादा?

table13-2


13.2 चुंबक के ध्रुव

हमने देखा कि मिट्टी में चुंबक रगड़ने पर लोहे के कण (यदि उपस्थित हैं) चुंबक से चिपकते हैं। क्या आप चुंबक से चिपकने के ढंग में कुछ विशेषता देखते हैं?

क्रियाकलाप 4

एक कागज़ की शीट पर लोहे का बुरादा फैलाइए। इस शीट के ऊपर एक छड़ चुंबक रखिए। आप क्या देखते हैं? क्या लोहे का बुरादा चुंबक के सभी स्थानों पर एक समान रूप से चिपकता है? क्या आप चुंबक के किसी भाग में किसी अन्य भाग से अधिक लोहे का बुरादा चिपका हुआ देखते हैं (चित्र 13.7)? चुंबक से चिपके हुए लोहे के बुरादे को हटाइए तथा इस क्रियाकलाप को दोहराइए। क्या आप चुंबक के विभिन्न भागों से आकर्षित हुए लोहे के बुरादे के तरीके में कोई परिवर्तन देखते हैं? आप इस क्रियाकलाप को लोहे के बुरादे के स्थान पर पिन या लोहे की कीलों से तथा विभिन्न आकार के चुंबकों से भी कर सकते हैं।

चित्र 13.7 छड़ चुंबक से चिपका लोहे का बुरादा


चुंबक से लोहे के बुरादे के चिपकने के ढंग का आरेख बनाइए। क्या आपका आरेख चित्र 13.6 (a) में दर्शाया गया जैसा है?

हमने ज्ञात किया कि अधिकतर लोहे का बुरादा छड़ चुंबक के दोनों सिरों के पास चिपकता है। चुंबक के ध्रुव इन सिरों के नजदीक होते हैं। कक्षा में विभिन्न आकृति के चुंबकों को लाने का प्रयास कीजिए। लोहे के बुरादे का उपयोग करके इन चुंबकों के ध्रुवों की स्थिति की जाँच कीजिए।


क्या आप चित्र 13.4 में दर्शाए गए चुंबक के ध्रुवों की स्थिति चिह्नित कर सकते हैं?

13.3 दिशाएँ ज्ञात करना

प्राचीन समय से ही लोग चुंबकों के बारे में जानते थे। चुंबक के बहुत-से गुण भी उन्हें ज्ञात थे। आपने चुंबकों के उपयोग के बारे में अनेक रोचक कहानियाँ अवश्य सुनी होंगी। एेसी ही एक कहानी चीन के एक सम्राट के बारे में है जिसका नाम हुआंग टी था। कहा जाता है कि उसके पास एक एेसा रथ था जिसमें एक महिला की मूर्ति थी। मूर्ति किसी भी दिशा में घूम सकती थी। इसकी एक फैली हुई भुजा थी जैसे कि यह रास्ता दिखला रही हो (चित्र 13.8)। मूर्ति में एक अनोखा गुण था। मूर्ति एेसी स्थिति में आकर रुकती कि इसकी फैली हुई भुजा सदैव दक्षिण की ओर संकेत करती थी। सम्राट जब भी इस रथ से किसी नए स्थान पर जाता, मूर्ति की फैली हुई भुजा को देखकर दिशा ज्ञात कर लिया करता था।

आइए अपने लिए एक दिशा निर्धारक बनाते हैं।

क्रियाकलाप 5

एक छड़ चुंबक लीजिए। इसके एक सिरे पर पहचान के लिए एक चिह्न लगाइए। अब एक धागे को चुंबक के मध्य बिंदु से बाँधिए जिससे कि इसे एक लकड़ी के स्टैंड पर लटका सकें (चित्र 13.9)। यह सुनिश्चित कीजिए कि चुंबक प्रत्येक दिशा में स्वतंत्रतापूर्वक घूम सके। इसे विराम अवस्था में आने दीजिए। चुंबक की विरामावस्था में इसके दोनों सिरों की स्थिति दर्शाने के लिए धरती पर दो बिंदु चिह्नित कीजिए। इन बिंदुओं को एक रेखा से मिलाइए। यह रेखा उस दिशा को दर्शाती है, जिस दिशा में चुंबक अपनी विरामावस्था की स्थिति में आकर रुकता है। अब चुंबक के एक सिरे को आराम से धक्का देकर घुमाइए तथा इसे विरामावस्था में आने दीजिए। विरामावस्था में इसके सिराें की स्थिति को दोबारा चिह्नित कीजिए। क्या अब चुंबक एक भिन्न दिशा दर्शाता है? चुंबक को एक दूसरी दिशा में घुमाइए तथा इसके विराम में आने की अंतिम दिशा को नोट कीजिए।


चित्र 13.8 दिशा दिखलाते हुए मूर्ति वाला रथ

क्या आपने देखा कि विरामावस्था में चुंबक सदैव एक ही दिशा में रुकता है? क्या अब आप सम्राट के रथ की मूर्ति के रहस्य का अनुमान लगा सकते हैं?


चित्र 13.9 स्वतंत्रतापूर्वक लटका चुंबक सदैव एक ही दिशा में आकर रुकता है।

इस क्रियाकलाप को चुंबक के स्थान पर लोहे की छड़ और प्लास्टिक अथवा लकड़ी के स्केल से दोहराइए। इस क्रियाकलाप के लिए हल्की वस्तुओं का उपयोग मत कीजिए तथा जहाँ तीव्र वायु चल रही हो वहाँ से भी बचिए। क्या अन्य पदार्थ भी सदैव एक ही दिशा में विरामावस्था में आते हैं?

हमने देखा कि स्वतंत्र लटका हुआ चुंबक सदैव एक निश्चत दिशा में विराम में आता है, जो उत्तर-दक्षिण होती है। जहाँ आप यह प्रयोग कर रहे हैं वहाँ प्रातः उगते हुए सूर्य की दिशा का उपयोग कर पूर्व दिशा का अनुमान कीजिए। यदि आप का चेहरा पूर्व की ओर है तो आपके बाईं ओर उत्तर होगा। दिशा निर्धारण के लिए सूर्य का उपयोग एकदम ठीक नहीं हो सकता, परंतु यह विधि आपके द्वारा खींची गई रेखा पर उत्तर-दक्षिण दिशा अंकित करने में सहायक सिद्ध हो सकती है। इसका उपयोग करके आप यह बता सकते हैं कि चुंबक का कौन-सा सिरा उत्तर तथा कौन-सा सिरा दक्षिण दिशा को इंगित करता है।

उत्तर की ओर निदेेρश करने वाले सिरे को चुंबक का उत्तरोन्मुखी सिरा अथवा उत्तरी ध्रुव कहते हैं। दूसरा सिरा दक्षिणोन्मुखी अथवा दक्षिणी ध्रुव कहलाता है। सभी चुंबकाें के दो ध्रुव होते हैं चाहे उनका आकार कैसा भी हो। सामान्यतः चुंबकों पर उत्तर (N) तथा दक्षिण (S) ध्रुवों को अंकित किया जाता है।


चुंबक का यह गुण हमारे लिए अत्यंत उपयोगी है। शताब्दियों तक यात्री, चुंबक के इस गुण का उपयोग दिशा-निर्धारण के लिए करते रहे हैं। यह कहा जाता था कि प्राचीन काल में यात्री एक प्राकृतिक चुंबक अपने साथ ले जाते थे जिसे धागे से लटका कर दिशा-निर्धारण करते थे।

तत्पश्चात् चुंबकों के इस गुण पर आधारित एक युक्ति विकसित हुई। यह कंपास (दिक्सूचक) के नाम से जानी जाती है। कंपास सामान्यतः काँच के ढक्कन वाली एक छोटी डिब्बी होती है। एक चुंबकित सुई डिब्बी के अंदर एक धुरी पर लगी होती है जो स्वतंत्रतापूर्वक घूमती है (चित्र 13.10)। कंपास में एक डायल भी होता है जिसपर दिशाएँ अंकित होती हैं। कंपास को उस स्थान पर रखते हैं जहाँ हमें दिशा निर्धारण करना होता है। इसकी सुई विरामावस्था में उत्तर-दक्षिण दिशा को निर्देशित करती है। कंपास को तब तक घुमाते हैं जब तक कि डायल पर अंकित उत्तर-दक्षिण के चिह्न, सुई के दोनों सिरों पर न आ जाएँ। चुंबकीय सुई के उत्तरी ध्रुव की पहचान के लिए सामान्यतः इसे भिन्न रंग से पेंट किया जाता है।


चित्र 13.10 कंपास

13.4 अपना चुंबक स्वयं बनाइए

चुंबक बनाने की अनेक विधियाँ हैं। आइए, हम सरलतम विधि सीखें। लोहे का एक आयताकार टुकड़ा लीजिए। इसे मेज़ पर रखिए। अब एक छड़ चुंबक लीजिए तथा इसका कोई एक ध्रुव लोहे की छड़ के एक सिरे पर रखिए। चुंबक को बिना हटाए इसे लोहे की छड़ के दूसरे सिरे तक ले जाइए। चुंबक को उठाइए तथा उसी ध्रुव को लोहे के टुकड़े के प्रारंभिक सिरे पर वापस ले आइए (चित्र 13.11)। इसी प्रकार चुंबक को लोहे की छड़ के अनुदिश बार-बार ले जाइए। इस प्रक्रिया को लगभग 30-40 बार दोहराइए। जाँच कीजिए कि क्या लोहे की छड़ चुंबक बन गई है। इसकेे लिए कोई पिन अथवा लोहे का बुरादा इसके समीप लाइए। यदि यह चुंबक नहीं बना है तो इस प्रक्रिया को कुछ देर तक और जारी रखिए। ध्यान रखिए कि चुंबक का ध्रुव तथा इसे लोहे की छड़ पर रगड़ने की दिशा बदलनी नहीं चाहिए। आप लोहे की कील, सुई अथवा ब्लेड आदि को भी इसी प्रकार चुंबक बना सकते हैं।



चित्र 13.11 अपना स्वयं का चुंबक बनाना

अब आप जान गए हैं कि चुंबक कैसे बनाया जाता है। क्या आप अपने लिए कंपास बनाना चाहेंगे?

क्रियाकलाप 6

छड़ चुंबक के उपयोग से लोहे की सुई को चुंबकित कीजिए। अब इसे किसी छोटी कॉर्क अथवा फोम के टुकड़े में निविष्ट कीजिए। इसे पानी से भरे प्याले अथवा टब में तैराइए। यह सुनिश्चित कीजिए कि सुई पानी को न छुए (चित्र 13.12)। अब आपकी कंपास कार्य करने के लिए तैयार है। तैरती कॉर्क पर लगी सुई की दिशा नोट कीजिए। सुई लगी कॉर्क को विभिन्न दिशाओं में घुमाइए। जब बिना घुमाए कॉर्क तैरने लगे तो सुई की दिशा पुनः नोट कीजिए। क्या कॉर्क का घूमना बंद होने पर, सुई सदैव एक ही दिशा दर्शाती है?


चित्र 13-12 प्याले में एक कंपास

13.5 चुंबकों के बीच आकर्षण तथा  प्रतिकर्षण

आइए चुंबकों से एक अन्य रोचक खेल खेलें। दो छोटी खिलौना कारें लीजिए तथा उन पर A एवं B अंकित कीजिए। प्रत्येक कार के ऊपर लंबाई के अनुदिश रबड़ बैंड से एक चुंबक लगाइए (चित्र 13.13)।
कार
A में चुंबक का उत्तरी ध्रुव, अग्र भाग की ओर रखिए। कार B में चुंबक विपरीत दिशा में रखिए। अब दोनों कारों को एक-दूसरे के समीप रखिए। (चित्र 13.13) आप क्या देखते हैं? क्या कारें अपने स्थान पर रहती हैं? क्या कार एक-दूसरे से दूर जाती हैं? क्या कारें एक-दूसरे की ओर चलकर टकराती हैं? अपने प्रेक्षणों को सारणी 13.3 में दर्शाए अनुसार लिखिए। अब खिलौना कारों को एक-दूसरे के समीप इस प्रकार रखिए कि कार A का पश्च भाग कार B के अग्र भाग के सम्मुख रहें। क्या ये पहले की तरह चलती हैं? जिस दिशा में अब कारें चलती हैं, उसे नोट कीजिए। अब कार A को कार B के पीछे रखिए तथा प्रत्येक स्थिति में (चित्र 13.14)। उनके चलने की दिशा नोट कीजिए। अब कार B का पश्च भाग कार A के पश्च भाग की ओर रखकर इस क्रियाकलाप को दोहराइए। प्रत्येक स्थिति में अपने प्रेक्षण लिखिए।

(A)                                   (B)

चित्र 13.13 क्या असमान ध्रुव आकर्षित होते हैं?

(A)                                    (B)

चित्र 13.14 समान ध्रुवों में प्रतिकर्षण?

इस क्रियाकलाप से हम क्या देखते हैं? क्या दो समान ध्रुव परस्पर आकर्षित या प्रतिकर्षित होते हैं? असमान ध्रुव क्या करते हैं - परस्पर आकर्षण या प्रतिकर्षण?

lkj.kh 13-3

table13-3

चुंबकों का यह गुण एक चुंबक को लटकाकर तथा एक-दूसरे चुंबक के उत्तरी तथा दक्षिणी ध्रुव को एक-एक कर इसके समीप लाकर भी देखा जा सकता है।


कुछ चेतावनियाँ

यदि चुंबक को गर्म किया जाए, हथौड़े से पीटा जाए या ऊँचाई से गिराया जाए तो वह अपने गुण खो देता है (चित्र 13.15)।

यदि चुंबकों का उचित रख रखाब न हो तब भी ये समय के साथ क्षीण हो जाते हैं। छड़ चुंबकों को सुरक्षित रखने के लिए उनके जोड़ों के असमान ध्रुवों को पास-पास रखा जाना चाहिए। इन चुंबकों को लकड़ी के टुकड़े से पृथक करके इनके सिरों पर नर्म लोहे के दो टुकड़े लगाने चाहिए। (चित्र 13.16)। नाल-चुंबक का भंडारण करने के लिए इसके ध्रुवों के संपर्क में लोहे का एक टुकड़ा रखना चाहिए।

अपने चुंबक को कैसेट, मोबाइल, टेलीविजन, म्यूजिक सिस्टम, सीडी तथा कंप्यूटर से दूर रखें।

    

चित्र 13.15 चुंबक गर्म करने पर, हथौड़े से पीटने पर और ऊँचाई से गिराने पर अपने गुण खो देते हैं।

    

चित्र 13.16 अपनी चुंबकों का सुरक्षित भंडारण कीजिए


कंपास (दिक्सूचक)

चुंबक

मैग्नेटाइट

उत्तरी ध्रुव

दक्षिणी ध्रुव


➤ मैग्नेटाइट एक प्राकृतिक चुंबक है।

➤ चुंबक लोहा, निकिल, कोबाल्ट जैसे कुछ पदार्थों को आकर्षित करता है। एेसे पदार्थों को चुंबकीय पदार्थ कहते हैं।

➤ जो पदार्थ चुंबक से आकर्षित नहीं होते, वे अचुंबकीय कहलाते हैं।

➤ प्रत्येक चुंबक के दो ध्रुव होते हैं - उत्तरी ध्रुव तथा दक्षिणी ध्रुव।

➤ स्वतंत्रतापूर्वक लटकाने पर चुंबक सदैव उत्तर-दक्षिण दिशा में आकर रुकता है।

➤ दो चुंबकों के असमान ध्रुव एक-दूसरे को आकर्षित करते हैं जबकि समान ध्रुवों में परस्पर प्रतिकर्षण होता है।


1. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिएः

(क) कृत्रिम चुंबक विभिन्न आकार के बनाए जाते हैं जैसे ------------------ , ------------------ तथा ------------------ ।

(ख) जो पदार्थ चुंबक की ओर आकर्षित होते हैं वे ------------------ कहलाते हैं।

(ग) कागज़ एक ------------------ पदार्थ नहीं है।

(घ) प्राचीन काल में लोग दिशा ज्ञात करने के लिए ---------------- का टुकड़ा लटकाते थे।

(ङ) चुंबक के सदैव ------------------ ध्रुव होते हैं।

2. बताइए कि निम्न कथन सही है अथवा गलत ः

(क) बेलनाकार चुंबक में केवल एक ध्रुव होता है।

(ख) कृत्रिम चुंबक का आविष्कार यूनान में हुआ था।

(ग) चुंबक के समान ध्रुव एक-दूसरे को प्रतिकर्षित करते हैं।

(घ) लोहे का बुरादा छड़ चुंबक के समीप लाने पर इसके मध्य में अधिक चिपकता है।

(ङ) छड़ चुंबक सदैव उत्तर-दक्षिण दिशा को दर्शाता है।

(च) किसी स्थान पर पूर्व-पश्चिम दिशा ज्ञात करने के लिए कंपास का उपयोग किया जा सकता है।

(छ) रबड़ एक चुंबकीय पदार्थ है।

3. यह देखा गया है कि पेंसिल छीलक (शार्पनर) यद्यपि प्लास्टिक का बना होता है, फिर भी यह चुंबक के दोनों ध्रुवों से चिपकता है। उस पदार्थ का नाम बताइए जिसका उपयोग इसके किसी भाग के बनाने में किया गया है?

4. एक चुंबक के एक ध्रुव को दूसरे चुंबक के ध्रुव के समीप लाने की विभिन्न स्थितियाँ 
कॉलम 1 में दर्शाई गई हैं। कॉलम 2 में प्रत्येक स्थिति के परिणाम को दर्शाया गया है। रिक्त स्थानाें की पूर्ति कीजिए ः

table13-4

5. चुंबक के कोई दो गुण लिखिए।

6. छड़ चुंबक के ध्रुव कहाँ स्थित होते हैं?

7. छड़ चुंबक पर ध्रुवों की पहचान का कोई चिह्न नहीं है। आप कैसे ज्ञात करोगे कि किस सिरे के समीप उत्तरी ध्रुव स्थित है?

8. आपको एक लोहे की पत्ती दी गई है। आप इसे चुंबक कैसे बनाएँगे?

9. दिशा निर्धारण में कंपास का किस प्रकार प्रयोग होता है?

10. पानी के टब में तैरती एक खिलौना नाव के समीप विभिन्न दिशाआें से एक चुंबक लाया गया। प्रत्येक स्थिति में प्रेक्षित प्रभाव कॉलम 1 में तथा संभावित कारण कॉलम 2 में दिए गए हैं। कॉलम 1 में दिए गए कथनाें का मिलान कॉलम 2 में दिए गए कथनाें से कीजिए।

table13-5




कुछ प्रस्तावित क्रियाकलाप

1. एक कंपास का उपयोग करके, अपने कमरे की खिड़की तथा अपने घर या अपनी कक्षा के प्रवेश द्वार के खुलने की दिशा ज्ञात कीजिए।

2. समान माप के दो एक जैसे छड़ चुंबकों को एक दूसरे के ऊपर इस प्रकार रखने का प्रयत्न कीजिए कि एक चुंबक का उत्तरी-ध्रुव दूसरे चुंबक के उत्तरी-ध्रुव पर हो। अवलोकन कीजिए क्या होता है, और अपने प्रेक्षणाें को अपनी नोटबुक में लिखिए।

3. बढ़ई के काम करते समय फर्श पर बहुत-सा लकड़ी का छीलन फैल जाता है तथा कुछ लोहे की कीलें एवं पेंच भी इनके साथ मिल जाते हैं। हाथाें से ढूँढने में उसका बहुमूल्य समय नष्ट किए बिना आप कीलों तथा पेंचों को बुरादे तथा छीलन से पृथक करने में उसकी सहायता कैसे करेेंगे?


चित्र 13.17 एक बुद्धिमान गुड़िया

4. आप एक बुद्धिमान गुड़िया बना सकते हैं, जो अपनी पंसद की वस्तुएँ चुनती है (चित्र 13.17)। एक गुड़िया लीजिए तथा इसके एक हाथ में एक छोटा चुंबक बाँध दीजिए। इस हाथ को दस्ताने से छुपा दीजिए जिससे कि चुंबक न दिखाई दे। अब, आपकी बुद्धिमान गुड़िया तैयार है। अपने मित्रों से विभिन्न प्रकार की वस्तुएँ गुड़िया के हाथ के पास लाने को कहिए। वस्तु के पदार्थ की जानकारी से आप पहले से ही यह बता सकते हो कि गुड़िया इस वस्तु को पकड़ेगी या नहीं।


पढ़ने के लिए

गुलीवर की यात्राएँ में लापुटा के पूरे द्वीप को हवा में तैरते हुए कल्पित किया गया है। वास्तव में, इसमें चुंबकों का ही हाथ होगा।