Vigyan PDF  Chapter-16

अध्याय 16

कचरा-संग्रहण एवं निपटान



हम अपने घराें, विद्यालयों, दुकानों एवं कार्यालयों  से प्रतिदिन अत्यधिक मात्रा में कूड़ा-कचरा बाहर  फेंकते हैं। अनाज, दालें, बिस्कुट, दूध अथवा तेल जिन्हें हम दुकानों से खरीदते हैं, प्रायः प्लास्टिक की थैलियों अथवा टिनों में पैक होते हैं। पैकिंग की ये सभी वस्तुएँ कचरे में फेंक दी जाती हैं। कभी-कभी हम कुछ एेसी वस्तुएँ भी खरीद लेते हैं, जिनका वास्तव में बहुत कम उपयोग होता है और प्रायः हम उन्हें कचरे में फेंक देते हैं।

अपने दैनिक क्रियाकलापों में हम अत्यधिक कचरा उत्पन्न करते रहते हैं। हम प्रायः सार्वजनिक स्थलाें पर, बसों अथवा रेलगाड़ियों में मूँगफली खाने के बाद इसके छिलके फेंक देते हैं। बस से उतरने के बाद हम टिकट को वहीं पर फेंक देते हैं। कोई बच्चा केवल खेल के लिए ही पेंसिल छीलता जाता है। यदि हम अपनी नोटबुक में कुछ गलत लिख लेते हैं अथवा उस पर स्याही फैल जाती है तब पेज़ फाड़कर फेंक देते हैं। इसके साथ-साथ हम कई घरेलू अपशिष्ट जैसे टूटे खिलौने, पुराने कपड़े, जूते और चप्पल भी बाहर फेंक देते हैं।

यदि हमारे घराें एवं आस-पास से यह कूड़ा न हटाया जाए, तो क्या होगा? आपके विचार से यह हमें कैसे हानि पहुँचा सकता है? जब सफ़ाई कर्मचारी कूड़ेदानाें से इस कूड़े को ले जाते हैं, तो यह कूड़ा कहाँ चला जाता है एवं फिर इसका क्या होता है? क्या यह संभव है कि यह सारा का सारा कचरा कुछ एेसे पदार्थों में बदल दिया जाए जिससे हमें कोई हानि न हो? क्या हम इस दिशा में किसी प्रकार से कुछ अपना योगदान दे सकते हैं? इस अध्याय में हम इन प्रश्नाें के उत्तर खोजने के प्रयास करेंगे। पहेली और बूझो के विद्यालयों के बच्चों ने ‘कचरे का निपटान’ नामक एक परियोजना प्रारंभ की। इस परियोजना से उन्होंने जो सीखा, उनमेें से कुछ बाताें की चर्चा हम इस अध्याय में सीखेंगे।


एक कदम स्वच्छता की ओर



भारत के प्रधानमंत्री ने 2 अक्तूबर 2014 को स्वच्छ भारत अभियान का शुभारंभ किया। इस अभियान का लक्ष्य 2 अक्तूबर 2019 तक खुले में शौच से मुक्त भारत का निर्माण करना है।



16.1 कचरे का निपटान

सफाई कर्मचारी कूड़ा एकत्र करके ट्रकाें द्वारा निचले खुले क्षेत्राें में, जहाँ गहरे गड्ढे (गर्त) होते हैं, ले जाते हैं। इन खुले क्षेत्राें को भराव क्षेत्र कहते हैं (चित्र 16.1)।


चित्र 16.1 भराव क्षेत्र

वहाँ कचरे के उस भाग को जिसका पुनः उपयोग किया जा सकता है, उसी रूप में उपयोग न किए जा सकने वाले कचरे से पृथक किया जाता है। इस प्रकार कचरे में उपयोगी और अनुपयोगी दोनों अवयव होते हैं। अनुपयोगी अवयव को पृथक कर लेते हैैं और फिर इसे भराव क्षेत्र में फैलाकर मिट्टी की परत से ढक देते हैं। जब यह भराव क्षेत्र पूरी तरह से भर जाता है, तब प्रायः इस पर पार्क अथवा खेल का मैदान बना देते हैं। लगभग अगले 20 वर्षों तक इस पर कोई भवन निर्माण नहीं किया जाता। कचरे के उपयोगी अवयव के निपटान के लिए भराव क्षेत्रों के पास कंपोस्ट बनाने वाले क्षेत्र विकसित किए जाते हैं। कंपोस्ट क्या है? आइए, इसे निम्नलिखित क्रियाकलाप द्वारा सीखें।


क्रियाकलाप 1

अपने घर के कचरे को कूड़ेदान में फेंकने से पूर्व किसी स्थान पर एकत्र कीजिए। फिर इसे दो समूहाें में इस प्रकार पृथक कीजिए कि उनमें इस प्रकार की वस्तुएँ होंः

समूह 1 रसोईघर का कचरा जैसे फल एवं सब्जी के छिलके, अंडे का खोल, बचा हुआ अपशिष्ट भोजन, चाय की पत्तियाँ। समाचारपत्र, सूखी पत्तियाँ एवं कागज़ की थैलियाँ भी इसी समूह में सम्मिलित कीजिए।

समूह 2 ः कपड़ाें के टुकड़े, पॉलीथीन की थैलियाँ, टूटा काँच, एेलुमिनियम के रेपर्स, कीले, पुराने जूते एवं टूटे खिलौने।

अब प्रत्येक समूह के कचरे को दो पृथक ढेरियों में बाँटिए तथा इन्हें A, B, C एवं D से नामांकित कीजिए। इनमें से प्रत्येक समूह की एक-एक ढेरी को प्लास्टिक की दो पृथक थैलियाें में भरकर इनके मुँह कसकर बाँध दीजिए। मैदान में चार गड्ढे खोदकर प्लास्टिक की थैलियाें और दूसरी ढेरियाें को पृथक-पृथक गड्ढे में डालकर इन्हें मिट्टी से ढक दीजिए (चित्र 16.2)। आप कचरे के इन ढेरों को दबाने के लिए चार गमले भी ले सकते हैं।

चित्र 16.2 कचरे की ढेरियों को गड्डों में भरना

चार दिन के पश्चात् कचरे के ऊपर से मिट्टी हटाकर, कचरे में हुए परिवर्तन को देखिए। कचरे का काला हो जाना तथा उससे कोई दुर्गंध न आना यह दर्शाता है कि कचरे का पूर्ण विगलन हो गया है। इसे पुनः मिट्टी से ढक दीजिए। इसी प्रकार दो-दो दिनाें के अंतर पर इनका अवलोकन करके अपने प्रेक्षणों कोे सुझाए अनुसार नोट कीजिए। क्या कचराः

पूर्णतः विगलित है एवं उससे दुर्गंध नहीं आती?

आंशिक रूप से विगलित है?

लगभग पूर्णतः विगलित है परंतु अभी भी दुर्गंध आ रही है?

कोई परिवर्तन नहीं हुआ है?

किस ढेरी के कचरे का विगलन हुआ और किसका नहीं हुआ?

सारणी 16-1: कचरे की ढेरियाें में क्या परिवर्तन आए?

table16-1


अपने प्रेक्षणों के आधार पर सारणी 16.1 के कॉलमों में अपने विकल्पों (i), (ii), (iii) या (iv) को भरिए। यदि आपने कुछ और प्रेक्षण भी किए हों तो उन्हें भी अपनी नोटबुक में लिखना न भूलें। जो कचरा विगलित नहीं हो पाया है उसे जलाइए अथवा फेंकिए नहीं।

यदि कचरा पूर्णतः विगलित हो गया हो और उससे कोई दुर्गंध नहीं आ रही हो, तो उसे उस मृदा में मिला दें, जिसमें आप अपनी पसंद के पौधे उगाते हैं। यह आपके पौधों को आवश्यक पोषक प्रदान करेगा।

आपने इस क्रियाकलाप मेें यह प्रेक्षण किया होगा कि कचरे की कुछ चीजें विगलित होती हैं जिनसे खाद बनती है, जिसका प्रयोग पौधों के लिए किया जाता है। कुछ पदार्थों के विगलित और खाद में परिवर्तित होने की प्रक्रिया को कंपोसि्ंटग कहते हैं।

कुछ शहरों तथा नगरों में नगरपालिकाएँ दो प्रकार के कचरे को एकत्र करने के लिए दो पृथक कूड़ेदान प्रदान करती हैं। प्रायः एक का रंग नीला तथा दूसरे का रंग हरा होता है। नीले कूड़ेदान में पुनः उपयोग किए जा सकने वाले पदार्थ डाले जाते हैं जैसे प्लास्टिक धातुएँ तथा काँच। क्या आपने यह ध्यान दिया कि ये वही पदार्थ हैं जो कूड़े के ढेर में विगलित नहीं हुए थे? हरे कूड़ेदान रसोई तथा अन्य पादप अथवा जंतु अपशिष्टों को एकत्र करने के लिए होते हैं। आपने यह नोट किया होगा कि इस प्रकार के अपशिष्ट मिट्टी में दबाने पर पूर्णतः विगलित हो जाते हैं। अब तो आप समझ ही गए होंगे कि क्रियाकलाप 1 में किए अनुसार कचरे को फेंकने से पहले उसे दो समूहों में पृथक करना क्यों आवश्यक है?

क्या आपने सड़कों के किनारे सूखी पत्तियों के कचरे के ढेर देखे हैं? बहुधा इन्हें जला देते हैं (चित्र 16.3)। प्रायः किसान भी कटाई के पश्चात् खेतों में सूखी पत्तियाँ फसली पादपों के अपशिष्ट तथा भूसे जैसे अपशिष्टों को जलाते रहे हैं। इन्हें जलाने पर स्वास्थ्य के लिए हानिकारक गैसें तथा धुआँ उत्पन्न होता है। हमें इस पद्धति को समाप्त करने का प्रयास करना चाहिए। इन अपशिष्टों को उपयोगी कंपोस्ट में परिवर्तित किया जा सकता है।


चित्र 16-3 पत्तियाँ जलाने पर हानिकारक गैसें उत्पन्न होती हैं



‘कचरे का निपटान’ परियोजना की अवधि में पहेली एवं बूझो द्वारा नोट किए गए कुछ प्रेक्षण एवं विचार इस प्रकार हैं।

वास्तव में चोरी नहीं । उसका अभिप्राय ‘गैर कानूनी अथवा अपराध’ से था। वह चाहती थी कि सरकार पत्तियाें और दूसरे पादप अपशिष्टों को जलाने से रोकने के लिए कानून बनाए।

16.2 वर्मीकंपोसि्ंटग

हम पौधाें को कंपोस्ट देकर उनके मित्र बन सकते हैं। कंपोस्ट बनाकर हम स्वयं अपने भी बहुत अच्छे मित्र बन जाएँगे।

मित्राें के विषय में बात करते समय, क्या आप यह जानते हैं कि केंचुए किसानाें के मित्र कहे जाते हैं? आइए, यह पता लगाएँ कि केंचुए की एक प्रजाति लाल केंचुआ कंपोस्टिग में कैसे उपयोगी होता है। लाल केंचुआें की सहायता से कंपोस्ट बनाने की इस विधि को ‘वर्मीकंपोसि्ंटग अथवा कृमिकंपोसि्ंटग’ कहते हैं। वर्मीकंपोसि्ंटग द्वारा हम अपने विद्यालय में भी खाद बनाने का प्रयास कर सकते हैं।

क्रियाकलाप 2

मैदान में आइए एक गड्ढा (लगभग 30 सेंटीमीटर गहरा) खोदेें अथवा कोई लकड़ी का बॉक्स किसी एेसे स्थान पर रखें जो न तो बहुत गर्म हो और न ही बहुत ठंडा। एेसे स्थान के बारे में आपका क्या विचार है, जहाँ सीधी धूप नहीं पड़ती हो, आइए अब गड्ढे अथवा बक्से में लाल केंचुआें के लिए आरामदायक घर बनाते हैं।

गड्ढे अथवा बॉक्स की तली में एक जाल अथवा मुर्गा जाली बिछा दीजिए। आप विकल्प के रूप में तली में रेत की 1 अथवा 2 सेंटीमीटर मोटी परत भी बिछा सकते हैं। अब रेत के ऊपर सब्जियाें अथवा फलाें के अपशिष्ट बिछा दीजिए।

आप हरी पत्तियाँ, पौधों की सूखी डंडियों के टुकड़े, भूसा अथवा समाचारपत्र की 1 इंच चौड़ी पट्टियाँ काटकर उन्हें रेत अथवा जाली के ऊपर बिछा सकते हैं। आप अपनी नोटबुक के बेकार गत्ते को काटकर भी पटिृयाँ बना सकते हैं। परंतु चमकीले, प्लास्टिक वाले कागज़ एवं कार्टन का प्रयोग न करें। रेत अथवा तार की जाली पर सूखी गोबर भी बिछाया जा सकता है।

चित्र 16.4 लाल केंचुए

कुछ जल छिड़क कर इस परत को नम बनाइए। ध्यान रहे कि जल इतना अधिक न हो कि वह बहने लगे। अपशिष्ट की परत को दबाइए नहीं इसे पोला ही रहने दीजिए ताकि इस परत में पर्याप्त मात्रा में वायु एवं नमी बनी रहे।

अब आपका गड्ढा लाल केंचुओं के स्वागत के लिए तैयार है। कुछ लाल केंचुए खरीद कर इन्हें अपने गड्ढे में रखिए (चित्र 16.4)। अब इन्हें जूट की बोरी, पुरानी चादर अथवा घास से हल्के से ढक दीजिए।

आपके लाल केंचुओं को भोजन चाहिए। आप इन्हें फल तथा सब्जियों के अपशिष्ट कॉफी तथा चाय छानने के बाद बची हुई पत्तियाँ तथा खेत एवं बगीचे के खरपतवार दे सकते हैं (चित्र 16.5)। इस गड्ढे में इस भोजन को लगभग 2-3 सेंटीमीटर गहराई में दबाकर रखना, अच्छा हो सकता है। नमक, अचार, तेल, सिरका, मांस एवं दूध से निर्मित अपशिष्ट पदार्थ भोजन के रूप में लाल केंचुआें को न दें। इन वस्तुआें को गड्ढे में डालने से उसमें रोग कारक जीव उत्पन्न होने लगते हैं। कुछ दिनाें के अंतराल में गड्ढे के पदार्थों को धीरे-धीरे मिलाते रहें तथा इसकी ऊपरी सतह को हिलाते रहें।

चित्र 16.5 लाल केंचुआें के लिए आहार

लाल केंचुए के दाँत नहीं होते। इनमें एक विशेष संरचना होती है जिसे ‘गिजर्ड’ कहते हैं जो भोजन को पीसने में इनकी सहायता करता है। यदि आप अंडे के छिलके अथवा समुद्री शंख या सीपी का चूरा आहार के साथ मिला देंगे तो यह आहार के साथ कृमि के गिजर्ड में पहुँच जाता है और भोजन को पीसने में उसकी सहायता करता है। कोई लाल कृमि एक दिन में अपने शरीर के भार के बराबर, आहार खा सकता है।

लाल केंचुए बहुत गर्म अथवा ठंडे वातावरण में जीवित नहीं रह सकते। उन्हें अपने आस-पास नमी की आवश्यकता होती है। यदि आप अपने केंचुआें की भली-भाँति देखभाल करते हैं तो एक मास में उनकी संख्या दोगुनी हो जाएगी।

3-4 सप्ताहों के अंतराल पर अपने गड्ढे का
सावधानीपूर्वक प्रेक्षण करते रहें। क्या आपके गड्ढे में मिट्टी जैसा पोला पदार्थ दिखाई देता है? अब आपका वर्मीकंपोस्ट तैयार है (चित्र 16.6)।

इस गड्ढे के एक किनारे पर आहार के रूप में कुछ अपशिष्ट डालिए। अधिकांश कृमि अन्य भागों को छोड़कर गड्ढे के इस भाग में स्थानांतरित हो जाएँगे। दूसरे भाग से खाद को निकाल कर कुछ घंटों तक इसे धूप में सुखाइए। आपका वर्मीकंपोस्ट प्रयोग के लिए तैयार है।

गड्ढे के इस बचे भाग में अधिकांश कृमि हैं। आप इनका उपयोग और अधिक कंपोस्ट बनाने में कर सकते हैं अथवा आप इन्हें किसी कंपोस्ट बनाने वाले को बाँट सकते हैं।


चित्र 16.6 वर्मीकंपोसि्ंटग

इस उत्तम वर्मीकंपोस्ट (खाद) को आप अपने गमलाें, बगीचाें एवं खेताें में डाल सकते हैं। क्या यह ‘अपशिष्ट से सर्वोत्तम’ प्राप्त करने जैसा नहीं है? आपमें से जिनके पास बड़े-बड़े खेत हैं, वे बड़े गड्ढों में वर्मीकंपोस्ट बनाकर परीक्षण कर सकते हैं। इससे आपके बहुत-से धन की बचत भी होगी जो आप महँगे रासायनिक उवर्रक एवं खाद खरीदने के लिए खर्च करते हैं।

16.3 सोचिए और फिर फेंकिए

आपके विचार से हर दिन प्रत्येक घर से कितना कचरा फेंका जाता हैं? इसका अनुमान आप किसी बाल्टी को मात्रक के रूप में लेकर कर सकते हैं। अपने घर का कचरा एकत्र करने के लिए 5-10 लीटर की कोई बाल्टी लीजिए और उसमें कुछ दिन तक अपने घर का कचरा एकत्र कीजिए। कितने दिनों में यह बाल्टी पूरी भर जाती है? आप अपने घर के सदस्यों की संख्या जानते हैं। यदि आप अपने शहर अथवा नगर की जनसंख्या का पता लगा लें तो क्या अब आप यह अनुमान लगा सकते हैं कि प्रतिदिन आपके मोहल्ले अथवा नगर के सभी घराें मेें कितनी बाल्टी कचरा उत्पन्न होगा? हम प्रतिदिन कचरे के पहाड़ उत्पन्न कर रहे हैं, क्या यह सच नहीं है (चित्र 16.7)?

चित्र 16.7 निकटवर्ती कूड़ाघर


आइए, अब हम एक एेसे गाँव के बारे में कहानी पढ़ते हैं जहाँ के लोग अधिक बुद्धिमान हैं और जहाँ कचरा कम निकलता है। नानू छटी कक्षा में पढ़ता है। उसे कागज़ का वायुयान बनाना बहुत अच्छा लगता है। जब वह अपनी नई नोटबुक के पन्ने फाड़कर वायुयान बनाता है तो उसकी माँ को बहुत कष्ट होता है, परंतु नानू इसकी कोई चिंता नहीं करता।

एक बार नानू अपनी माँ के साथ अपनी मौसी के घर गया। वहाँ वह अपने मौसेरे भाई श्याम द्वारा बनाई विभिन्न चीजों को देखकर आश्चर्यचकित हो गया। उसने पुराने चार्टों से फाइलें बनाई हुई थी। पेंसिल की छीलन से बधाई कार्डों पर फूल, पुराने कपड़ाें से चटाई, पॉलीथीन की थैलियाें से टोकरी आदि को देखकर नानू आश्चर्यचकित रह गया। श्याम ने तो विवाह के निमंत्रण पत्राें से एक डायरी भी बना रखी थी।

एक दिन प्रातः नानू अपनी नानी को ढूँढता हुआ पहुँचा तो उसने देखा कि उसकी नानी एक टोकरी के ऊपर एक गाढ़ी लुगदी का लेप कर रही थी। नानू ने पूछा, ‘‘नानी, आप क्या कर रहीं है? यह लेप क्या है?’’

‘‘यह कागज़ की लुगदी है, इस लेप को मैंने चिकनी मिट्टी एवं कागज़ से तैयार किया है तथा इसमें मैंने कुछ धान की भूसी भी मिलाई है,’’ नानी ने उत्तर दिया।

‘‘परंतु इसे आप टोकरी पर क्याें लगा रहीं हैं?’’ नानू ने पूछा।

नानी ने उत्तर दिया, ‘‘इसे पक्की और टिकाऊ बनाने के लिए। क्या तुम इसे मुझसे सीखना चाहोगे?’’ नानू को इसमें कोई रुचि नहीं थी और वह खेलने के लिए बाहर भाग गया। वह तो केवल कागज़ फाड़-फाड़कर वायुयान बनाने में रुचि रखता था। वास्तव में उसने श्याम की फाइलों से भी कागज़ फाड़ने शुरू कर दिए थे।

श्याम ने नानू द्वारा वायुयान बनाने में उपयोग हुए सभी कागज़ाें को एकत्र कर लिया था और वह सोच रहा था कि नानू के साथ क्या व्यवहार किया जाए। वह किसी की भी कोई बात सुनता तक नहीं था।

कुछ दिनाें बाद नानू का जन्मदिन आने वाला था। श्याम ने नानू के मित्राें को निमंत्रण देने की योजना बनाई। नानू ने अपनी मिट्टी की गुल्लक से कुछ पैसे निकाले और बाज़ार गया। उसने अपने मित्राें के लिए कागज़ के कुछ हैट खरीदे। उसने दुकानदार से इन्हें एक पॉलीथीन की थैली में रखने को कहा। परंतु दुकानदार ने उसे पॉलीथीन की थैली न देकर कागज़ की थैली दी। नानू ने बहुत-सी चीज़ों जैसे टॉफियाँ और बिस्कुट भी खरीदे। उसे इन सभी चीज़ाें को लेकर चलना मुश्किल लगने लगा, परंतु कोई भी दुकानदार उसे पॉलीथीन की थैली देने को तैयार नहीं था। घर से चलते समय श्याम ने उसे कपड़े का थैला ले जाने को कहा था। अब उसे उसकी बात न मानने का दुख हुआ। किसी प्रकार वह अपनी सभी वस्तुओं को साथ लेकर घर पहुँच गया (चित्र 16.8)।

नानू के मित्रों ने जन्मदिन पर दावत खाई और बहुत से खेल खेलकर पार्टी का भरपूर आनंद लिया। उसके सभी मित्राें ने नानू द्वारा खरीदे गए चमकीले कागज़ के हैट पहने!


चित्र 16.8 खरीदी गई वस्तुओं से भरी थैलियों के साथ नानू

श्याम ने नानू के मित्राें के लिए कागज़ की लुगदी से सुंदर मुखौटे बनाए। उसने नानू के लिए भी एक विशेष उपहार बनाया। एक फोटोफ्रेम तथा बधाई का सुंदर कार्ड। यह सब उसने नानू द्वारा फेंके गए कागज़ों की लुगदी से बनाए थे। यह नानू के लिए एक नया अनुभव था। उसके सभी मित्र अपने मुखौटों के साथ अपने घर ले गए। नानू बहुत उत्तेजित था और वह अपना भोजन शीघ्र समाप्त करके अपना उपहार देखना चाहता था।

विद्यालय की छुट्टियाँ समाप्त होने के पश्चात् नानू घर वापस आ गया। उसका शहर श्याम के गाँव से कितना अलग है। वह गाँव स्वच्छ एवं साफ-सुथरा था। इसलिए वहाँ कचरा बीनने वाले भी नहीं होते थे। परंतु अब उसने कचरा बीनने वाले बच्चाें को घर के आस-पास कचरा बीनते हुए देखकर नाक-भौं चढ़ाना छोड़ दिया था।

आपने भी अपने घर के आस-पास एवं दूसरे स्थानाें पर कुछ बच्चाें को कचरा बीनते देखा होगा। इन बच्चों को कार्य करते देखिए और पता लगाइए कि वे कचरे से उपयोगी पदार्थ कैसे पृथक करते हैं। वे वास्तव में हमारी सहायता कर रहे हैं।

कचरा बीनने वाले किसी बच्चे से बात करके यह पता लगाइए, ‘‘वे एकत्र किए गए इस कचरे का क्या करते हैं? वे इन्हें कहाँ ले जाते हैं?’’

क्या वह अथवा उसका/उसकी मित्र विद्यालय जाता/जाती है? यदि नहीं, तो इसका कारण जानने का प्रयास कीजिए।

क्या आप इस बच्चे को पढ़ने और लिखने में सहायता कर सकते हैं?

क्या आपने कभी अपने घर पर पुराने समाचारपत्रों, काँच तथा धातु की वस्तुओं प्लास्टिक की थैलियों, पुरानी नोटबुकोें को किसी कबाड़ी को बेचने में घरवालाें की सहायता की है? उससे बात करके पता लगाइए कि वह इस सब कबाड़ का क्या करता है।

क्या श्याम की भाँति आप भी व्यर्थ कागज़ाें से नए कागज़ बनाना चाहेंगे? आइए, इसे बनाना सीखें।

16.4 कागज़ का पुनःचक्रण

इसके लिए आपको पुराने समाचारपत्र पुराने लिफ़ाफ़े, मैगज़ीन, पुरानी नोटबुक, पत्र एवं अन्य बेकार कागज़ों की आवश्यकता होगी। चमकदार एवं प्लास्टिक लेपित कागज़ का उपयोग मत कीजिए। इसके अतिरिक्त आपको तार की जाली फ्रेम भी चाहिए, फ्रेम के स्थान पर आप बड़ी आकार की छलनी भी ले
सकते हैं।

कागज़ों को छोटे-छोटे टुकड़ाें में फाड़िए। इन्हें एक बाल्टी अथवा टब में रखकर जल डालिए। कागज़ के टुकड़ों को जल में एक दिन के लिए डूबा रहने दीजिए। अब इस भीगे कागज़ को काटकर गाढ़ी लुगदी बनाइए।

अब फ्रेम पर जड़ी जाली पर गीली लुगदी को फैलाइए। लुगदी की परत को यथासंभव एक समान बनाने के लिए फ्रेम को धीरे से ठोकिए। जल के बहकर निकल जाने तक प्रतीक्षा कीजिए। यदि आवश्यक हो तो फ्रेम पर पुराना कपड़ा अथवा समाचारपत्र फैला दीजिए जिससे लुगदी का अधिक से अधिक जल सोख लिया जाए। अब लुगदी की इस परत को सावधानी से फ्रेम से अलग कर किसी पुराने समाचारपत्र पर रख कर धूप में सुखाइए। समाचारपत्र के किनाराें पर कुछ भारी वस्तु रखें जिससे वे मुड़ न सकेें।

रंगीन कागज़ प्राप्त करने के लिए लुगदी को फैलाने से पूर्व आप इसमें खाने वाले रंग मिला सकते हैं। इसके अतिरिक्त फ्रेम पर लुगदी फैलाने से पूर्व आप इसमें सूखी पत्तियाें, फूलाें की पंखुड़ियाें तथा रंगीन कागज़ के टुकड़े भी मिला सकते हैं। एेसा करके आप सुंदर पैटर्नों वाला पुनःचक्रण का आकर्षक कागज़ प्राप्त कर सकते हैं।

जैसे हमने कागज़ का पुनःचक्रण किया क्या वैसे ही हम हर वस्तु का पुनःचक्रण कर सकते हैं?

16.5 प्लास्टिक - वरदान या अभिशाप?

कुछ प्रकार के प्लास्टिकों का पुनःचक्रण किया जा सकता है, परंतु सभी प्रकार के प्लास्टिकों का पुनःचक्रण नहीं किया जा सकता। क्या आपने क्रियाकलाप 1 में यह नोट किया था कि पॉलीथीन की थैलियाँ एवं कुछ प्लास्टिक विगलित नहीं होते? अब आप सरलता से समझ सकते हैं कि पॉलीथीन की थैलियाें का निपटान एक बड़ी समस्या क्याें है।

हमें प्लास्टिक के बिना अपने जीवन की कल्पना करना कठिन हो सकता है। क्या आप प्लास्टिक से बनी कुछ एेसी वस्तुआें के नामों की सूची बना सकते हैं जिन्हें हम उपयोग करते हैं? खिलौने, जूते, थैले, पेन कंघें, दाँत के ब्रुश, बाल्टी, बोतल एवं जल-पाइप - इन वस्तुआें की सूची बहुत लंबी है। क्या आप प्लास्टिक से बने बस, कार, रेडियो, टेलीविज़न, रेफ्रिजरेटर और स्कूटर के कुछ भागों के नाम बता सकते हैं।

प्लास्टिक का उपयोग संभवतः स्वयं कोई विशेष समस्या उत्पन्न नहीं करता । समस्या तब उत्पन्न होती है जब हम इसका अधिकाधिक उपयोग करते हैं तथा अपशिष्ट प्लास्टिक के निपटान से अनजान होकर उसकी उपेक्षा करते हैं। आज हमारे चाराें ओर यही हो रहा है। यद्यपि हम इसके दुष्प्रभावों से परिचित हैं, फिर भी हो सकता है कि हम अपने उत्तरदायित्व को नहीं समझ पा रहें हैं।

हम प्रायः प्लास्टिक की थैलियाें का उपयोग पके हुए भोजन के संग्रहण के लिए करते हैं। प्रायः ये थैलियाँ खाने की वस्तुओं को रखने योग्य नहीं होतीं इन थैलियों में पैक किए भोजन को खाना हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। प्रायः दुकानदार प्लास्टिक की एेसी थैलियों का उपयोग करते हैं जिनका इससे पूर्व किसी अन्य कार्य में उपयोग हो चुका है। कभी-कभी कचरा बीनने वालों द्वारा एकत्र की गई प्लास्टिक की थैलियों को धोकर भी उपयोग किया जाता है। इस प्रकार की पुनःचक्रण वाली प्लास्टिक की थैलियोें में खाद्य पदार्थों को रखना हानिकारक हो सकता है। खाद्य पदार्थों के संग्रहण के लिए हमें इस कार्य के लिए अनुमोदित प्लास्टिक की थैलियों के उपयोग के लिए आग्रह करना चाहिए।



सभी प्रकार के प्लास्टिक गरम करने अथवा जलाने पर हानिकारक गैसें मुक्त करते हैं। ये गैसें बहुत-सी स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ जिनमें मानवों में कैंसर भी सम्मिलित हैं, उत्पन्न कर सकती हैं। सरकार ने भी प्लास्टिक के पुनःचक्रण के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए हैं।

आपने देखा होगा कि लोग प्रायः अपने घर के कचरे को प्लास्टिक की थैलियों में भरकर बाहर फेंक देते हैं। गली मोहल्ले के आवारा पशु भोजन की खोज में जब इन थैलियों को देखते हैं तो प्रायः प्लास्टिक की थैली को भी निगल जाते हैं। कभी-कभी तो इस कारण उनकी मृत्यु भी हो जाती है।

सड़कों तथा अन्य स्थानों पर असावधानीपूर्वक फेंकी गई ये प्लास्टिक की थैलियाँ बहुधा बहकर नालों अथवा सीवर प्रणाली में पहुँच जाती हैं। फलस्वरूप नाले अवरुद्ध हो जाते हैं और गंदा जल सड़कों पर फैलने लगता है। भारी वर्षा के समय तो बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है। प्लास्टिक का अंधाधुंध उपयोग अत्यधिक हानि पहुँचा सकता है।

प्लास्टिक के अति उपयोग को निम्नतम करने के लिए हम क्या कर सकते हैं तथा इसके कचरे के निपटान के लिए हमें क्या करना चाहिए?

1. हम प्लास्टिक की थैलियाें का कम से कम उपयोग करें। जहाँ भी संभव हो बिना किन्हीं दुष्प्रभावों के हम इन थैलियाें का पुनः उपयोग करें।

2. दुकानदारों से कागज़ के थैले उपयोग करने
का आग्रह करें। खरीदारी के लिए बाज़ार जाते समय हम घर से कपड़े अथवा जूट का थैला लेकर जाएँ।

3. हम खाद्य पदार्थों के संग्रहण के लिए प्लास्टिक की थैलियाें का उपयोग न करें।

4. हम उपयोग के पश्चात् प्लास्टिक की थैलियाें को इधर-उधर न फेंकें।

5. हम प्लास्टिक की थैलियाें और अन्य प्लास्टिक की वस्तुआें को कभी भी न जलाएँ।

6. हम कचरे को प्लास्टिक की थैलियाें में न भरें और बाहर न फेंकें।

7. हम वर्मीकंपोसि्ंटग का उपयोग कर रसोई के अपशिष्ट का विवेकपूर्ण निपटान करें।

8. हम कागज़ पुनः चक्रित करें।

9. हम कागज़ के दोनाें ओर लिखें। रफ़ कार्य के लिए स्लेट का प्रयोग करें। अभ्यास-पुस्तिका में बिना लिखे छूटे कागज़ों को रफ़ कार्य के लिए उपयोग करें।

10. हम अपने परिवार, मित्राें एवं अन्य व्यक्तियाें को विभिन्न प्रकार के अपशिष्टों के निपटान के लिए उचित आचरणों का पालन करने के लिए प्रेरित करें।

 प्लास्टिक के ज़रूरत से ज़्यादा उपयोग को कम करने के तरीकों के बारे में सोचिए तथा चर्चा कीजिए।

हमारे जानने और सोचने योग्य सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि हम जितना अधिक कचरा पैदा करेंगे, उससे छुटकारा पाने में हमें उतनी ही अधिक कठिनाई होगी।


अपशिष्ट

कचरा

भराव क्षेत्र

कंपोस्ट

वर्मीकंपोसि्ंटग

पुनःचक्रण


  • ➤ भराव क्षेत्र वह स्थान है, जहाँ शहर अथवा नगर के कचरे को एकत्र करके पाटा जाता है। कालांतर में इस क्षेत्र में पार्क बना देते हैं।

    ➤ रसोई घर के अपशिष्ट सहित पौधों एवं जंतु अपशिष्टों को खाद में परिवर्तित करना कंपोसि्ंटग कहलाता है।

    ➤ रसोई घर के कचरे को कृमि अथवा लाल केंचुआें द्वारा से कंपोस्ट में परिवर्तित करना, वर्मीकंपोसि्ंटग कहलाता है।

    ➤ कागज़ का पुनःचक्रण संभव है तथा पुनःचक्रण द्वारा बने कागज़ से उपयोगी चीज़ें बनाई जा सकती हैं।

    ➤ कंपोसि्ंटग द्वारा प्लास्टिक को कम हानिकारक पदार्थों में परिवर्तित करना संभव नहीं है।

    ➤ हमें कम से कम अपशिष्ट उत्पन्न करने की आवश्यकता है। हमें अपने चाराें ओर कचरे की बढ़ती मात्रा से निपटने के उपाय खोजने चाहिए।




1. निम्नलिखित के उत्तर दीजिएः

(क) लाल केंचुए किस प्रकार के कचरे को कंपोस्ट में परिवर्तित नहीं करते?

(ख) क्या आपने अपने कंपोस्ट-गड्ढे में लाल केंचुआें के अतिरिक्त किसी अन्य जीव को भी देखा है? यदि हाँ, तो उनका नाम जानने का प्रयास कीजिए। उनका चित्र भी बनाइए।

2. चर्चा कीजिएः

(क) क्या कचरे का निपटान केवल सरकार का ही उत्तरदायित्व है?

(ख) क्या कचरे के निपटान से संबंधित समस्याओं को कम करना संभव है?

3. (क) घर में बचे हुए भोजन का आप क्या करते हैं?

(ख) यदि आपको एवं आपके मित्राें को किसी पार्टी में प्लास्टिक की प्लेट अथवा केले के पत्ते में खाने का विकल्प दिया जाए, तो आप किसे चुनेंगे और क्यों?

4. (क) विभिन्न प्रकार के कागज़ के टुकड़े एकत्र कीजिए। पता कीजिए कि इनमें से किसका

पुनःचक्रण किया जा सकता है?

(ख) लेंस की सहायता से कागज़ाें के उन सभी टुकड़ों का प्रेक्षण कीजिए जिन्हें आपने उपरोक्त प्रश्न के लिए एकत्र किया था। क्या आप कागज़ की नई शीट एवं पुनःचक्रित कागज़ की सामग्री में कोई अंतर देखते हैं?

5. (क) पैकिंग में उपयोग होने वाली विभिन्न प्रकार की वस्तुएँ एकत्र कीजिए। इनमें से प्रत्येक

का किस उद्देेश्य के लिए उपयोग किया था? समूहों में चर्चा कीजिए।

(ख) एक एेसा उदाहरण दीजिए जिसमें पैकेजिंग की मात्रा कम की जा सकती थी।

(ग) पैकेजिंग से कचरे की मात्रा किस प्रकार बढ़ जाती है, इस विषय पर एक कहानी लिखिए।

8. क्या आपके विचार में रासायनिक उर्वरक के स्थान पर अपेक्षाकृत कंपोस्ट का उपयोग उत्तम होता है?


कचरे से निपटान के लिए क्रियाकलाप

1. पुरानी तथा फेंकी जाने वाली काँच की बोतलें, प्लास्टिक की बोतलें, नारियल की भूसी, ऊन, चादरें, बधाई कार्ड तथा अन्य अनुपयोगी वस्तुएँ एकत्र कीजिए। क्या आप फेंकने के स्थान पर इनसे कुछ उपयोगी चीज़ें बना सकते हैं? प्रयास कीजिए।

2. विद्यालय में किए गए कंपोस्ट-उत्पादन के क्रियाकलाप पर एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट बनाइए।



चिंता का विषय

दिल्ली जैसे शहरों में शरद ऋतु में ढेरों पत्तियाँ जलाई जाती हैं। इन पत्तियों के जलने पर उत्पन्न कुछ गैसें सड़क पर दौड़ने वाले वाहनों से मुक्त होने वाली गैसों जैसी ही होती हैं।

यदि हम पत्तियों को जलाने की अपेक्षा इनसे कंपोस्ट बनाएँ तो हम रासायनिक उर्वरकों के उपयोग में कमी ला सकते हैं।

हरे क्षेत्रों जिनमें शुद्ध वायु होनी चाहिए वास्तव में पत्तियों के जलाने से विषैली गैसों से भर जाते हैं।

यदि आप किसी को भी पत्तियों को जलाते हुए देखें तो उसकी शिकायत नगरपालिका के अधिकारियों से करें अथवा समाचारपत्रों को लिखें।

पत्तियों को जलाने के विरुद्ध अभियान चलाकर सामाजिक जागरूकता पैदा करें। यह सुनिश्चित करें कि गिरी हुई पत्तियों को जलाया नहीं जाए बल्कि इन पत्तियों से कंपोस्ट बनाई जाये।

अपने शहर अथवा राज्य के ‘वृक्ष प्राधिकरण’ को लिखिए कि वह पत्तियों के जलाने को एक दंडनीय अपराध घोषित करें।


टिप्पणी