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पृथ्वी के प्रमुख स्थलरूप

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आपने इसमें कुछ स्थलरूपों को जरूर देखा होगा जो चित्र 6.1 में दिखाए गए हैं। आप देखेंगे कि पृथ्वी की सतह सभी जगह एकसमान नहीं है। पृथ्वी पर अनगिनत प्रकार के स्थलरूप हैं। स्थलमंडल के कुछ भाग ऊँचे-नीचे तथा कुछ समतल होते हैं।

क्या आप जानते हैं?

पहाड़ी वह स्थलीय भाग है जो कि आस- पास की भूमि से ऊँची उठी होती है। 600 मीटर से अधिक ऊँचाई एवं खड़ी ढाल वाली पहाड़ी को पर्वत कहा जाता है। 8,000 मीटर से ऊँचे कुछ पर्वतों के नाम बताएँ।

ये स्थलरूप दो प्रक्रियाओं के परिणामस्वरूप बनते हैं। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि मैदान जिस पर आप खड़े हैं, उसमें धीरे-धीरे गति हो रही है। पृथ्वी के अंदर लगातार गति हो रही है। प्रथम या आंतरिक प्रक्रिया के कारण बहुत से स्थानों पर पृथ्वी की सतह कहीं ऊपर उठ जाती है तो कही धँस जाती है।

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चित्र 6.1 : विभिन्न स्थलरूप

आओ कुछ करके सीखें

पर्वत बनानाः

1. आपको बहुत मात्रा में कागज़ चाहिए।

2. कागज़ों को मेज पर रखिए।

3. कागज़ों को अपने हाथों से दोनों तरफ से दबाइए।

4. कागज़ में मोड़ पड़ जाएँगे तथा वे एक चोटी की तरह ऊपर की ओर उठ जाएँगे।

5. इस प्रकार आपने एक पर्वत बना लिया।

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दूसरी या बाह्य प्रक्रिया स्थल के लगातार बनने एवं टूटने की प्रक्रिया है। पृथ्वी की सतह के टूटकर घिस जाने को अपरदन कहते हैं। अपरदन की क्रिया के द्वारा सतह नीची हो जाती है तथा निक्षेपण की प्रक्रिया के द्वारा इनका फिर से निर्माण होता हैं। ये दो प्रक्रियाएँ बहते हुए जल, वायु तथा बर्फ के द्वारा होती हैं। हम विभिन्न स्थलरूपों को उनकी ऊँचाई एवं ढाल के आधार पर पर्वतों, पठारों एवं मैदानों में वर्गीकृत कर सकते हैं।

पर्वत

पर्वत पृथ्वी की सतह की प्राकृतिक ऊँचाई है। पर्वत का शिखर छोटा तथा आधार चौड़ा होता है। यह आस-पास के क्षेत्र से बहुत ऊँचा होता है। कुछ पहाड़ बादलों से भी ऊँचे होते हैं। जैसे-जैसे आप ऊँचाई पर जाएँगे जलवायु ठंडी होती जाती है।

कुछ पर्वतों पर हमेशा जमी रहने वाली बर्फ की नदियाँ होती हैं। उन्हें हिमानी कहा जाता है। यहाँ कुछ एेसे भी पर्वत हैं, जो समुद्र के भीतर हैं तथा जिन्हें आप नहीं देख सकते। कठोर जलवायु होने के कारण पर्वतीय क्षेत्रों में बहुत कम लोग निवास करते हैं। वहाँ का धरातल खड़ी ढाल वाला होता है तथा कृषि योग्य भूमि की कमी होती है।

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चित्र 6.2 : वलित पर्वत (हिमालय)

पर्वत एक रेखा के क्रम में भी व्यवस्थित हो सकते हैं जिसे शृंखला कहा जाता है। बहुत से पर्वतीय तंत्र समानांतर शृंखलाओं के क्रम में होते हैं जो सैकड़ों किमी. में फैले होते हैं। हिमालय, आल्प्स तथा एंडीज़ क्रमशः एशिया, यूरोप तथा दक्षिण अमेरिका की पर्वत शृंखलाएँ हैं (चित्र 5.1)। पर्वतों की ऊँचाई एवं आकार में भिन्नता होती है।

क्या आप जानते हैं?

प्रशांत महासागर में स्थित मॉनाकी पर्वत (हवाई द्वीप) सागर की सतह के नीचे स्थित है। इसकी ऊँचाई (10,205 मीटर) एवरेस्ट शिखर से भी अधिक है।


पर्वत तीन प्रकार के होते हैं -
वलित पर्वत, भ्रंशोत्थ पर्वत तथा ज्वालामुखी पर्वत। हिमालय तथा आल्प्स वलित पर्वत हैं जिनकी सतह ऊबड़-खाबड़ तथा शिखर शंक्वाकार है। भारत की अरावली शृंखला विश्व की सबसे पुरानी वलित पर्वत शृंखला है। अपरदन की प्रक्रिया के कारण यह शृंखला घिस गई है। उत्तरी अमेरिका के अप्लेशियन तथा रूस (चित्र 5.1) के यूराल पर्वत गोलाकार दिखाई देते हैं एवं इनकी ऊँचाई कम है। ये बहुत पुराने वलित पर्वत हैं।

जब बहुत बड़ा भाग टूट जाता है तथा ऊर्ध्वाधर रूप से विस्थापित हो जाता है तब भ्रंशोत्थ पर्वतों का निर्माण होता है। ऊपर उठे हुए खंड को उत्खंड (हार्स्ट) तथा नीचे धँसे हुए खंडों को द्रोणिका भ्रंश (ग्राबेन) कहा जाता है। यूरोप की राईन घाटी तथा वॉसजेस पर्वत इस तरह के पर्वत तंत्र के उदाहरण हैं। एटलस में दिए गए विश्व मानचित्र से उनकी स्थिति को देखिए तथा इस प्रकार की भू-आकृतियों के कुछ और उदाहरणों का पता लगाइए।

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चित्र 6.3 : भ्रंशोत्थ पर्वत1061.png

ज्वालामुखी पर्वत ज्वालामुखी क्रियाओं के कारण बनते हैं। अफ्रीका का माउंट किलिमंजारो तथा जापान का फ्यूजियामा इस तरह के पर्वतों के उदाहरण हैं।

पर्वत बहुत लाभदायक होते हैं। पर्वत जल के संग्रहागार होते हैं। बहुत-सी नदियों का स्रोत पर्वतों में स्थित हिमानियों में होता है। जलाशयों के जल को लोगों तक पहुँचाया जाता है। पर्वतों के जल का उपयोग सिंचाई तथा पनबिजली के उत्पादन में भी किया जाता है। नदी घाटियाँ तथा वेदिकाएँ कृषि के लिए उपयुक्त होती हैं। पर्वतों में अलग-अलग प्रकार की वनस्पतियाँ तथा जीव-जंतु पाए जाते हैं। वनों से हमें ईंधन, चारा, आश्रय तथा दूसरे उत्पाद जैसे गोंद, रेजिन इत्यादि प्राप्त होते हैं। सैलानियों के लिए पर्वतीय भाग उपयुक्त स्थान हैं। वे पर्वतों की यात्रा उनकी प्राकृतिक सुंदरता को देखने के लिए करते हैं। विभिन्न प्रकार के खेल; जैसे- पैराग्लाइडिंग, हैंग ग्लाइडिंग, रिवर राफि्ंटग तथा स्कीइंग पर्वतों के प्रचलित खेल हैं। क्या आप हिमालय में स्थित कुछ एेसे स्थानों के नाम बता सकते हैं जहाँ ये खेले जाते हैं?

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चित्र 6.4 : ज्वालामुखी पर्वत

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इस खेल का नाम बताएँ।

पठार

पठार उठी हुई एवं सपाट भूमि होती है। यह आस-पास के क्षेत्रों से अधिक उठा हुआ होता है तथा इसका ऊपरी भाग मेज के समान सपाट होता है। किसी पठार के एक या एक से अधिक किनारे होते हैं जिनके ढाल खड़े होते हैं। पठारों की ऊँचाई प्रायः कुछ सौ मीटर से लेकर कई हजार मीटर तक हो सकती है। पर्वतों की तरह पठार भी नये या पुराने हो सकते हैं। भारत में दक्कन पठार पुराने पठारों में से एक है। केन्या, तंजानिया तथा युगांडा का पूर्वी अफ्रीकी पठार एवं आस्ट्रेलिया का पश्चिमी पठार इस प्रकार के उदाहरण हैं। तिब्बत का पठार (चित्र 5.1) विश्व का सबसे ऊँचा पठार है, जिसकी ऊँचाई माध्य समुद्र तल से 4,000 से 6,000 मीटर तक है।

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चित्र 6.5 : पठार

पठार बहुत उपयोगी होते हैं क्योंकि उनमें खनिजों की प्रचुरता होती है। यही कारण है कि विश्व के बहुत से खनन क्षेत्र पठारी भागों में स्थित हैं। अफ्रीका का पठार सोना एवं हीरों के खनन के लिए प्रसिद्ध है। भारत में छोटानागपुर के पठार में लोहा, कोयला तथा मैंगनीज के बहुत बड़े भंडार पाए जाते हैं।

पठारी क्षेत्रों में बहुत से जलप्रपात हो सकते हैं, क्योंकि यहाँ नदियाँ ऊँचाई से गिरती हैं। भारत में, छोटानागपुर पठार पर स्वर्णरेखा नदी पर स्थित हुंडरू जलप्रपात तथा कर्नाटक में जोग जलप्रपात, इस प्रकार के जलप्रपातों के उदाहरण हैं। लावा पठार में काली मिट्टी की प्रचुरता होती है, जो उपजाऊ है एवं खेती के लिए काफी अच्छी होती है। कई पठारों में रमणीय स्थल होते हैं, जो पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।

मैदान

मैदान समतल भूमि के बहुत बड़े भाग होते हैं। वे सामान्यतः माध्य समुद्री तल से 200 मीटर से अधिक ऊँचे नहीं होते हैं। कुछ मैदान काफी समतल होते हैं। कुछ उर्मिल तथा तरंगित हो सकते हैं। अधिकांश मैदान नदियों तथा उनकी सहायक नदियों के द्वारा बने हैं। नदियाँ पर्वतों के ढालों पर नीचे की ओर बहती हैं तथा उन्हें अपरदित कर देती हैं। वे अपरदित पदार्थों को अपनेे साथ आगे की ओर ले जाती हैं। अपने साथ ढोए जाने वाले पदार्थों; जैसे- पत्थर, बालू तथा सिल्ट को वे घाटियों में निक्षेपित कर देती हैं। इन्हीं निक्षेपों से मैदानों का निर्माण होता है।

सामान्यतः मैदान बहुत अधिक उपजाऊ होते हैं। यहाँ परिवहन के साधनों का निर्माण करना आसान होता है। इसलिए ये मैदान विश्व के सबसे अधिक जनसंख्या वाले भाग होते हैं। नदियों के द्वारा बनाए गए कुछ बड़े मैदान एशिया तथा उत्तरी अमेरिका में पाए जाते हैं। एशिया में स्थित भारत में गंगा एवं ब्रह्मपुत्र का मैदान तथा चीन में यांगत्से नदी का मैदान इसके प्रमुख उदाहरण हैं।

मैदान मनुष्यों के रहने के लिए सबसे उपयोगी क्षेत्र होते हैं। यहाँ की जनसंख्या बहुत अधिक होती है, क्योंकि मकानों के बनाने तथा खेती के लिए यहाँ समतल भूमि की प्रचुरता होती है। उपजाऊ मिट्टी के कारण यह भाग खेती के लिए काफी उपयुक्त होता है। भारत में गंगा का मैदान देश में सबसे अधिक जनसंख्या वाला क्षेत्र है।

स्थलरूप एवं लोग

स्थलरूपों की विभिन्नता के अनुरूप ही मानव विभिन्न प्रकार से जीवनयापन करते हैं। पर्वतीय क्षेत्रों का जीवन कठिन होता है। मैदानी क्षेत्रों का जीवन पर्वतीय क्षेत्रों की तुलना में सरल होता है। मैदानों में फसलें उगाना, घर बनाना या सड़कें बनाना, पर्वतीय क्षेत्रों की तुलना में अधिक आसान होता है। विभिन्न प्रकार के स्थलरूपों पर रहने वाले लोगों के रहन-सहन के तरीकों में कुछ अंतर होता है। क्या आप उनमें से कुछ अंतरों को बता सकते हैं? कभी-कभी प्राकृतिक आपदाएँ; जैसे- भूकंप, ज्वालामुखी उद्गार, तूफ़ान या बाढ़ बहुत विनाश कर देते हैं। इन आकस्मिक घटनाओं के बारे में जागरूकता पैदा करके हम इनमें आने वाले खतरों को कम कर सकते हैं।
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चित्र 6.6 : मैदान

हम कितने तरीकों से जल एवं स्थल को उपयोग में ला सकते हैं इसका पता हम अपने आस-पास के क्षेत्र से लगा सकते हैं। प्रायः हम स्थल का उपयोग गलत तरीके से करते हैं, जैसे उपजाऊ भूमि पर मकानों का निर्माण करना। इसी प्रकार हम लोग कूड़ा किसी भी भूमि पर या पानी में फेंक देते हैं जो कि उन्हें गंदा कर देता है। हमें प्रकृति के इस महत्त्वपूर्ण वरदान का उपयोग इस प्रकार नहीं करना चाहिए। उपलब्ध भूमि केवल हमारे ही उपयोग के लिए नहीं है। यह हमारा कर्तव्य है कि हम आगे आने वाली पीढ़ियों के लिए पृथ्वी को सुरक्षित रखें।

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चित्र 6.7 : रस्सी से बना पुल (अरुणाचल प्रदेश)

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चित्र 6.8 : एक प्रदूषित नदी 

स्वच्छ भारत मिशन
स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क निवास करता है। और स्वस्थ शरीर के लिए स्वच्छ पर्यावरण विशेष रूप से साफ जल, वायु तथा स्वच्छ वातावरण प्राथमिक आवश्यकताएं हैं। इन सभी प्राथमिक आवश्यकताओं को सभी लोगों को सुलभ कराने हेतु भारत सरकार द्वारा स्वच्छ भारत मिशन कार्यक्रम चलाया जा रहा है।

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1. चित्र संख्या 1-10 को ध्यान से देखिए और प्रत्येक के लिए एक-एक वाक्य लिखिए।

2. चित्र संख्या 1, 2 तथा 7 में दिखाए गए स्थलरूपों के नाम बताइए।

3. चित्र संख्या 9 में दिखाए गए स्थल का उपयोग किस कार्य के लिए हो रहा है?

4. चित्र संख्या 3, 6, 8 तथा 9 में आपको कौन-सी गतिविधियाँ दिखाई दे रही हैं?

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5. चित्र संख्या 4 और 5 में किस प्रकार के घर दिखाई दे रहे हैं?

6. चित्र संख्या 3 तथा 8 में दिखाई गई जलक्रीड़ाओं के बारे में बताइए।

7. चित्र संख्या 1 तथा 10 में दिखाए गए परिवहन के साधनों के बारे में बताइए।

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1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में दीजिए।

(i) प्रमुख स्थलरूप कौन-कौन से हैं?

(ii) पर्वत एवं पठार में क्या अंतर है?

(iii) पर्वतों के विभिन्न प्रकार कौन-कौन से हैं?

(iv) मनुष्यों के लिए पर्वत किस प्रकार उपयोगी हैं?

(v) मैदानों का निर्माण किस प्रकार होता है?

(vi) नदियों द्वारा निर्मित मैदान सघन जनसंख्या वाले होते हैं, क्यों?

(vii) पर्वतों में जनसंख्या कम होती है, क्यों?

2. सही उत्तर चिह्नित () कीजिए।

(i) पर्वत पठारों से भिन्न होते हैं-

क. ऊँचाई ख. ढाल ग. अभिमुखता

(ii) हिमानी कहाँ पाई जाती हैं?

क. पर्वतों में ख. मैदानों में ग. पठारों में

(iii) दक्कन पठार कहाँ स्थित है?

क. केन्या ख. आस्ट्रेलिया ग. भारत

(iv) यांगत्से नदी कहाँ बहती है?

क. दक्षिण अमेरिका ख. आस्ट्रेलिया ग. चीन

(v) यूरोप की एक महत्त्वपूर्ण पर्वत शृंखला कौन-सी है?

क. एंडीज़ ख. आल्प्स ग. रॉकीज़

3. खाली स्थान भरें।

(i) समतल भूमि वाले विस्तृत क्षेत्र को ___________ कहते हैं।

(ii) हिमालय एवं आल्प्स ___________ पर्वतों के उदाहरण हैं।

(iii) ___________ क्षेत्रों में खनिजों की प्रचुरता होती है।

(iv) ___________ पर्वतों का एक क्रम है।

(v) ___________ क्षेत्र कृषि के लिए सबसे अधिक उत्पादक क्षेत्र होते हैं।


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1. आपके राज्य में किस प्रकार के स्थलरूप पाए जाते हैं? इस अध्याय के आधार पर बताएँ कि वे स्थलरूप लोगों के लिए किस प्रकार उपयोगी हैं?

मानचित्र कार्य

1. विश्व के मानचित्र पर निम्नलिखित को चिह्नित कीजिए ः

अ. पर्वत शृंखलाएँ : हिमालय, रॉकीज़ तथा एंडीज़

ब. पठार : तिब्बत