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अध्याय 4

लोकतांत्रिक सरकार के मुख्य तत्त्व

इस पाठ में आप लोकतांत्रिक सरकार के कामों को प्रभावित करने वाली कुछ मुख्य बातों के बारेमें पढ़ेंगे।इनमें लोगों की भागीदारी, समस्याओं का समाधान, समानता एवं न्याय के विचार शामिल हैं।ये सभी लोकतांत्रिक व्यवस्था को सफल बनाते हैं।अगर लोकतांत्रिक व्यवस्था न हो तो क्या होता होगा? आइए, इसे जानने के लिए दक्षिण अफ्रीका में रहने वाली माया की कहानी पढ़ें।


दक्षिण अफ्रीका एक ऐसा देश है जहाँ कई प्रजातियों के लोग रहते हैं - श्वेत (गोरे), अश्वेत (काले) और जिनकी त्वचा का रंग साँवला है, जैसे भारतीय।जोहांसबर्ग में रहने वाली ग्यारह वर्ष की दक्षिण अफ्रीकी लड़की माया नायडू एक दिन पुराने बक्सों की सप़फ़ाई करने में अपनी माँ की मदद कर रही थी।उसे एक रजिस्टर (स्क्रैप बुक) मिला जो अखबार की कतरनों और तस्वीरों से भरा हुआ था।उसमें एक पंद्रह साल के स्कूल जाने वाले लड़के की बहुत सारी तस्वीरें थीं।माया ने जब उस लड़के के बारे में अपनी माँ से पूछा तो उसे पता चला कि उसका नाम था - हेक्टर पीटरसन।उसको पुलिस ने गोली मार दी थी।माया को बड़ा झटका लगा।उसने पूछा - "क्यों?"



माया की माँ ने समझाया कि दक्षिण अफ्रीका पहले रंगभेद कानून से शासित था।रंगभेद का मतलब है त्वचा (चमड़ी) के रंग  के आधार पर भेदभाव करना।दक्षिण अफ्रीका की प्रजातियाँ इसी आधार पर अलग-अलग समूहों में बँटी हुई थीं। वहाँ के कानून के मुताबिक श्वेत, अश्वेत, भारतीय एवं अन्य प्रजातियों को एक-दूसरे से संबंध बनाने की इजाजत नहीं थी।विभिन्न प्रजातियों के लोग न तो एक दूसरे के आस-पास रह सकते थे और न ही आम सुविधाओं का इस्तेमाल कर सकते थे।माया को अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था।रंगभेद कानून के तहत जिस तरह का जीवन था, उसके बारे में बताते हुए माया की माँ की आवाज में बड़ा गुस्सा था।उन्होंने बताया कि श्वेत और अश्वेत लोगों के अस्पताल अलग होते थे और अस्पताल की गाड़ियाँ भी।श्वेत लोगों के लिए जो अस्पताल की गाड़ियाँ थीं वे जरूरत के सामानों से सुसज्जित होती थीं, जबकि अश्वेत लोगों के लिए जो गाड़ियाँ थीं उनमें सुविधाएँ उपलब्ध नहीं थीं।उनके लिए रेल एवं बसें अलग होती थीं।यहाँ तक कि श्वेत और अश्वेत लोगों के लिए बस स्टैंड भी अलग होते थे।

अश्वेत लोगों को वोट देने की इजाजत नहीं थी।देश की सबसे अच्छी जमीन श्वेत लोगों के लिए आरक्षित थी और अश्वेत लोगों को खेती के लिए सबसे घटिया जमीन मिलती थी।इससे पता चलता है कि अश्वेत लोगों एवं भारतीयों को श्वेत लोगों के बराबर नहीं माना जाता था।उनके साथ भेदभाव किया जाता था।

दक्षिणी-पश्चिमी हिस्से में एक शहर था सोवेटो, जहाँ सिर्फ अश्वेत लोग ही रहते थे।हेक्टर पीटरसन वहीं रहता था।वहाँ के श्वेत लोग ‘अफ्रीकान्स’ भाषा बोलते थे।हेक्टर और स्कूल के अन्य विद्यार्थियों पर इस भाषा को सीखने के लिए जोर डाला जा रहा था जबकि वे अपनी भाषा ‘ज़ूलू’ सीखना चाहते थे।हेक्टर अपने सहपाठियों के साथ मिलकर ‘अफ्रीकान्स’ सीखने का विरोध कर रहा था।दक्षिण अफ्रीका की पुलिस ने विरोध करने वाले इन लोगों को बड़ी बेरहमी से पीटा और भीड़ पर गोलियाँ बरसाईं।उनमें से एक गोली हेक्टर को लगी और वह मारा गया।यह 16 जून 1976 की घटना है।

अफ्रीकी राष्ट्रीय कांग्रेस और उनके जाने- माने नेता नेल्सन मंडेला ने रंगभेद के खिलाफ बहुत लंबे समय तक संघर्ष किया।अंततः 1994 में उन्हें सफलता मिली और दक्षिण अफ्रीका एक लोकतांत्रिक देश बना।तब से सभी प्रजातियों के लोगों को बराबर माना जाने लगा।

अश्वेत लोग किस-किस तरह से भेदभाव का सामना कर रहे थे, इसकी सूची बनाइए।

1.

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4.

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हेक्टर और उसके साथी किस बात के खिलाफ संघर्ष कर रहे थे?

क्या सभी लोगों के साथ बराबरी का व्यवहार होना जरूरी है? क्यों?

आइए, अब समझने की कोशिश करते हैं कि सरकार के लोकतांत्रिक होने का हमारे लिए क्या मतलब है।


भागीदारी

हमारे यहाँ नियमित रूप से चुनाव क्यों होते हैं| आपने पिछले पाठ में पढ़ा ही है कि लोकतंत्र में लोग निर्णय लेते हैं।चुनाव में वोट देकर वे अपने प्रतिनिधि चुनते हैं।ये प्रतिनिधि ही लोगों की तरफ से निर्णय लेते हैं।यह मान कर चला जाता है कि प्रतिनिधि निर्णय लेते वक्त लोगों की जरूरतों और माँगों को ध्यान में रखेंगे।

कुछ अखबार देखिए और उनमें दी गई चुनाव की खबरों पर चर्चा कीजिए।एक निर्धारित समय के बाद चुनाव होते रहने की क्या जरूरत है|

सभी सरकारों को एक निश्चित समय के लिए चुना जाता है।भारत में यह अवधि पाँच वर्ष की है।एक बार चुने जाने के बाद सरकार पाँच वर्ष तक सत्ता में रहती है।सरकार का फिर से सत्ता में बने रहना तभी संभव है जब लोग उसे बार-बार चुनें।चुनाव का समय लोगों के लिए वह घड़ी है जब वे लोकतंत्र में अपनी ताकत को महसूस करते हैं।इस तरह से नियमित चुनाव होने से लोगों का सरकार पर नियंत्रण बना रहता है।


भागीदारी के अन्य तरीके

चुनाव पाँच वर्ष में एक बार होते हैं।वोट देने के अलावा लोकतांत्रिक सरकार के निर्णयों और नीतियों में लोगों के भाग लेने के और भी कई

यहाँ किस पर सहमति या असहमति प्रकट की जा रही है?

हाल बुरा नहीं है! जरूर पास के किसी गाँव में नल से पानी आ रहा होगा। 


संपादक के नाम चिट्ठी

पोस्टर पर रोक लगे

दीवारों पर लगे पोस्टर किसी भी शहर की सुंदरता को खराब करते हैं कई बार पोस्टर महत्त्वपूर्ण स्थानों एवं साइनबोर्डां पर चिपका दिए जाते हैं।यहाँ तक कि सड़क के नक्शाें पर भी इन्हें चिपका दिया जाता है।सभी राजनैतिक दलों को चाहिए कि वे इस तरह के पोस्टरों पर रोक लगाने के लिए सहमति बनाएँ।

महेश कपासी, दिल्ली



‘सरकार बाढ़पीड़ितों
को मुआवजा
अवश्य दे’


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कार्रवाई

यह चिंता का विषय है कि भारत में बाघों की संख्या में लगातार गिरावट आ रही है।जंगलचोर उनका शिकार करके उन्हें मार रहे हैं।यह काम वे उनकी खाल पाने के लिए कर रहे हैं।सरकार ने इस मुद्दे को पूरी गंभीरतापूर्वक नहीं लिया।सरकार को इन पर जल्द से जल्द कार्रवाई करनी चाहिए, जंगलचोरों को गिरफ्रतार करना चाहिए और बाघों की सुरक्षा के लिए बनाए गए क़ानूनों को लागू करना चाहिए।यदि ऐसा नहीं हुआ तो आने वाले दस सालों में बाघ विलुप्त प्राणी हो जाएगा।

सोहन पाल
गुवाहाटी, असम


तरीके हैं।लोग सरकार के कार्यों में रुचि ले कर और उसकी आलोचना कर के भी अपनी भागीदारी निभाते हैं।

अगस्त 2005 में जब एक खास सरकार ने बिजली का किराया बढ़ा दिया था तो लोगों ने अपना विरोध बहुत ही तीखे रूप में व्यक्त किया।लोगों ने जुलूस निकाले और हस्ताक्षर अभियान चलाए।सरकार ने अपने निर्णय के बचाव में तर्क दिए, लोगों को समझाने की कोशिश की, लेकिन अंततः उसे लोगों की माँग माननी पड़ी और बिजली के बढ़ाए गए दामों को घटाना पड़ा।सरकार को अपना निर्णय बदलना पड़ा क्योंकि वह आम जनता के प्रति जिम्मेदार है। 

ऐसे कई तरीके हैं जिनके द्वारा लोग अपनी राय व्यक्त कर सकते हैं और सरकार को यह बिजली का किराया बढ़ा दिया था तो लोगों ने समझा सकते हैं कि उसे क्या कार्रवाई करनी चाहिए।इन तरीकों में धरने, जुलूस, हड़ताल, हस्ताक्षर अभियान आदि शामिल हैं।इनके जरिए जो बातें गलत हैं और न्यायसंगत नहीं  हैं, उन्हें सामने लाया जाता है। 



अखबार, पत्रिकाएँ एवं टेलीविजन भी जनता से जुड़े मुद्दों और सरकार की जिम्मेदारियों पर चर्चा करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

जहाँ यह सच है कि लोकतंत्र लोगों को भागीदारी का मौका देता है, वहीं यह भी सच है कि सभी वर्ग के लोगों को यह मौका नहीं मिल पाता।लोगों के लिए भागीदारी का एक अन्य तरीका यह भी है कि वे आन्दोलन करें जो सरकार और उसके काम करने के तौर-तरीके को चुनौती दे।दलितों, आदिवासियों, अल्पसंख्यकों, महिलाओं एवं अन्य लोगों की भागीदारी अक्सर इन अांदोलनों के जरिए ही हो पाती है।

अगर देश के लोग सजग हैं और इस बारे में रुचि लेते हैं कि देश कैसे चलाया जाता है तो उस देश की सरकार का लोकतांत्रिक स्वरूप और भी मजबूत होता है।अगली बार अगर हमें शहर, कस्बे या गाँव की गली से कोई जुलूस गुजरते हुए दिखे तो हम एक क्षण रुक कर पता करेंगे कि जुलूस किस लिए निकाला गया है।उसमें भाग लेने वाले लोग कौन हैं और वे किस मुद्दे पर प्रदर्शन कर रहे हैं।इससे हमें यह समझने में मदद मिलेगी कि हमारी सरकार कैसे काम करती है।


  विवादों का समाधान

आपने माया की कहानी में पढ़ा कि कैसे विवादों या समस्याओं के समाधान के लिए कई बार हिंसा का प्रयोग किया जाता है।ऐसा इसलिए होता है कि एक समूह यह मान लेता है कि दूसरे समूह को विरोध करने से रोकने के लिए बल का इस्तेमाल करना उचित है।

माया की कहानी को दोबारा पढ़िए।क्या आपको लगता है कि पुलिस द्वारा की गई हेक्टर की हत्या को रोका जा सकता था? कैसे?

विवाद तब उभरता है जब विभिन्न संस्कृतियों, धर्मों, क्षेत्रें और आर्थिक ड्डष्ठभूमियों के लोग एक-दूसरे के साथ तालमेल नहीं बिठा पाते।ऐसा तब भी होता है जब कुछ लोगों को लगता है कि उनके साथ भेदभाव किया जा रहा है।लोग अपने विवादों को खत्म करने के लिए हिंसात्मक तरीके भी अपनाते हैं जिससे अन्य लोगों में भय और असुरक्षा की भावना फैलती है।सरकार की यह जिम्मेदारी होती है कि वह विवादों का समाधान करे।

आइए, अपने समाज के कुछ विवादों के बारे में पढ़ें और यह समझें कि सरकार इनके समाधान में क्या भूमिका निभाती है। 

धार्मिक जुलूस और उत्सव कई बार समस्या का कारण बन जाता है।उदाहरण के लिए धार्मिक जुलूस किस रास्ते पर निकले, यही कई बार विवाद का कारण बन जाता है।कई बार हिंसा भड़कने का खतरा रहता है।कभी-कभी जुलूस के लोग उत्तेजित हो जाते हैं।कभी लोग जुलूस पर पत्थर फेंकने या उसे रोकने की कोशिश कर सकते हैं।सरकार, खासकर पुलिस ऐसे मौकों पर बहुत ही महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।पुलिस की िज़म्मेदारी यह सुनिश्चित करने की होती है कि आपस में टकराव की स्थिति न पैदा हो, हिंसा न भड़के।वह सभी पक्षों को एक जगह बिठा कर बात करवाती है ताकि विवाद का समाधान निकल सके।

भारतीय संविधान में बुनियादी नियम और कानून दिए गए हैं।ये कानून सरकार और लोगों के लिए हैं।सबको इनको मानना पड़ता है।विवादों का समाधान इन्हीं कानूनों के आधार पर होता है।

नदियाँ भी कई बार विवाद का कारण बन जाती हैं।कुछ नदियाँ एक से अधिक राज्याें से होकर बहती हैं।जिन राज्याें से नदी गुजरती है उनके बीच में नदी के पानी का बँटवारा विवाद का कारण बनते हैं।उदाहरण के लिए आपने कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच कावेरी नदी के पानी को लेकर चल रहे विवाद के बारे में सुना होगा।कर्नाटक के कृष्णाराजासागर बाँध में भरा हुआ पानी कई जिलाें में सिंचाई के काम आता है।इस पानी से बेंगलूरु शहर की जरूरतें भी पूरी होती हैं।तमिलनाडु के मेटूर बाँध में भरे हुए इसी नदी के पानी से राज्य के डेल्टा क्षेत्र में सिंचाई होती है।



पिछले तीस सालों से दो राज्यों के बीच विवाद का मुद्दा रहने के बावजूद कावेरी शांत भाव से बहती रहती है


दोनों बाँध एक ही नदी पर बने हुए हैं।कर्नाटक का कृष्णाराजासागर बाँध कावेरी नदी के ऊपरी छोर पर है और तमिलनाडु का मेटूर बाँध नदी के निचले छोर पर।मेटूर बाँध में पानी तभी भरा जा सकता है जब कृष्णाराजासागर बाँध से पानी छोड़ा जाए।दोनों राज्यों को अपने लोगों की जरूरत के लिए भरपूर पानी चाहिए जो कि नहीं मिल पाता।इससे विवाद उत्पन्न होता है।तब राष्ट्रीय सरकार को कदम उठाना पड़ता है ताकि दोनों राज्यों के लिए पानी का सही बँटवारा हो पाए।


समानता एवं न्याय

 लोकतांत्रिक सरकार के मुख्य विचारों में से एक है उसका न्याय एवं समानता के प्रति वचनबद्ध होना।न्याय एवं समानता को एक-दूसरे से अलग नहीं किया जा सकता। 

माया की कहानी में सरकार ने क्या इस विचार का समर्थन किया था कि सभी लोग बराबर हैं? डा. अंबेडकर की कहानी में क्या अस्ड्डश्यता के व्यवहार से समानता के विचार को ठेस पहुँची?

अस्ड्डश्यता यानी छुआछूत की प्रथा पर अब कानून द्वारा रोक लगा दी गई है।लंबे समय तक दलित लोगों को शिक्षा, स्वास्थ्य एवं यातायात की सुविधाओं से वंचित रखा गया।पहले हालत यह थी कि उन्हें सार्वजनिक मंदिरों में घुसने तक नहीं दिया जाता था।डा. अंबेडकर जिनके बारे में आपने पहले पढ़ा, और कई अन्य लोगों ने जोर देकर कहा कि यह प्रथा अमानवीय है।न्याय तभी प्राप्त हो सकता है जब सब लोगों के साथ बराबरी का व्यवहार हो।

सरकार भी समानता और न्याय की जरूरत को पहचानती है और उन समूहों के लिए विशेष प्रावधान करती है जो समाज में अब भी बराबर नहीं माने जा रहे।जैसे हमारे समाज में यह आम प्रòत्ति है कि लोग लड़कों की देखभाल लड़की से ज्यादा करते हैं।इसका मतलब है कि समाज लड़कियों को उतना महत्त्व नहीं देता जितना लड़कों को देता है।यह धारणा गलत एवं अन्यायपूर्ण है।इसे दूर करने के लिए सरकार ने कुछ कदम उठाए हैं।सरकार ने कुछ विशेष प्रावधान किए हैं जिससे लड़कियाँ अपने साथ होने वाले अन्याय से छुटकारा पा सकेंगी।उदाहरणस्वरूप सरकारी स्कूल और कालेजों में लड़कियों की फीस खत्म या कम करने का प्रावधान किया गया है।

आपके अनुसार फीस घटा देने से लड़कियों को स्कूल जाने में कैसे मदद मिलेगी?

क्या आपने किसी के साथ कोई भेदभाव होते देखा है? उदाहरण देकर बताइए कि 

   • इस स्थिति में आपने उसकी क्या मदद की? 

   • क्या अन्य लोग भी आपसे सहमत थे?

   • जो लोग भेदभाव कर रहे थे उन्हें आपने कैसे समझाया?

अभ्यास

1. आज दक्षिण अफ्रीका में माया का जीवन कैसा होगा?

2. किन विभिन्न तरीकों से लोग सरकार की प्रक्रियाओं में भाग लेते हैं?

3. विभिन्न विवादों और मुद्दों को सुलझाने के लिए सरकार की जरूरत क्यों होती है?

4. सभी लोगों के साथ समानता का व्यवहार हो, इसे सुनिश्चित करने के लिए सरकार क्या कदम उठाती है?

5. पाठ को एक बार और पढ़कर लोकतांत्रिक सरकार के मुख्य तत्त्वों की एक सूची बनाइए।उदाहरण के लिए, सभी लोग बराबर हैं।