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अध्याय 6
गाँव का प्रशासन
भारत में छ: लाख से अधिक गाँव हैं। उनकी पानी, बिजली, सड़क आदि की ज़रूरतों को पूरा करना कोई आसान काम नहीं है। इसके अलावा जमीन के दस्तावेजों का रखरखाव करना पड़ता है और आपसी विवादों को भी निबटाने की ज़रूरत पड़ती है। इन सबकी व्यवस्था के लिए गाँव का प्रशासनिक ढाँचा होता है। इस पाठ में हम दो ग्रामीण प्रशासनिक अधिकारियों के काम के बारे में थोड़े विस्तार से पढ़ेंगे। |
गाँव में झगड़ा
मोहन एक किसान है। उसके परिवार के पास थोड़ी-सी खेतिहर ज़मीन है जिस पर वह कई सालों से खेती कर रहा है। उसके खेत से लगा हुआ ही रघु का खेत है। दोनों के खेत एक छोटी-सी मेड़ से अलग होते हैं।
एक सुबह मोहन ने देखा कि रघु ने मेड़ को थोड़ा आगे बढ़ा लिया था। ऐसा करके उसने मोहन की कुछ ज़मीन अपने खेत में मिला ली और अपने खेत का आकार बढ़ा लिया। मोहन को बहुत गुस्सा आया, मगर वह थोड़ा डरा हुआ भी था। रघु के परिवार के पास बहुत ज़मीन थी और इसके अलावा उसके ताऊ गाँव के सरपंच थे। फिर भी मोहन ने हिम्मत जुटाई और रघु के घर पहुँच गया। दोनों के बीच कहासुनी हुई। रघु ने तो मानने से ही इनकार कर दिया कि उसने मेड़ को आगे बढ़ाया था। थोड़ी ही देर में झगड़ा शुरू हो गया।
रघु ने अपने एक मजदूर को बुला लिया। दोनों मिलकर मोहन पर चिल्ला रहे थे। फिर उन्होंने मोहन को मारना शुरू कर दिया। हो-हल्ला सुनकर पड़ोसी बाहर आ गए। उन्होंने देखा कि मोहन की पिटाई हो रही है, बीच-बचाव करके उन्होंने मोहन को बचाया। मोहन को सिर पर और हाथ में बहुत चोट आई थी। एक पड़ोसी ने उसकी मरहम-पट्टी की। मोहन के एक दोस्त ने, जो गाँव के डाकघर में काम करता था, सुझाव दिया कि उन्हें स्थानीय पुलिस थाने जाकर रपट लिखवानी चाहिए। जबकि कुछ लोग इसके खिलाफ़ थे। उनको लग रहा था कि बहुत सारा पैसा बर्बाद हो जाएगा और नतीजा कुछ नहीं निकलेगा।
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कुछ लोगों ने कहा कि रघु के परिवार वाले तो पहले ही पुलिस थाने पहुंच चुके होंगे। काफ़ी विचार-विमर्श के बाद अंततः यह तय हुआ कि जिन पड़ोसियों की आँखों के सामने यह घटना हुई थी, मोहन उनको लेकर पुलिस थाने जाएगा।
पुलिस थाने का क्षेत्र
थाने के रास्ते में एक पड़ोसी ने पूछा, "क्यों न हम थोड़ा और पैसा खर्च करके शहर के बड़े थाने चलें?" मोहन ने समझाया कि बात पैसे की नहीं है। हम इसी थाने में अपना मामला दर्ज करवा सकते हैं क्योंकि हमारा गाँव इसी के कार्यक्षेत्र में आता है।
हर पुलिस थाने का एक कार्यक्षेत्र होता है जो उसके नियंत्रण में रहता है। लोग उस क्षेत्र में हुई चोरी, दुर्घटना, मारपीट, झगड़े आदि की रपट उसी थाने में लिखवा सकते हैं। यह वहाँ के थानेदार की जिम्मेदारी होती है कि वह लोगों से घटना के बारे में पूछताछ करे, जाँच-पड़ताल करे और अपने क्षेत्र के अंदर के मामलों पर कार्रवाई करे।
- अगर आपके घर में चोरी हो जाती है तो आप किस थाने में जाकर अपनी शिकायत दर्ज करवाएंगी?
- मोहन और रघु के बीच में किस बात को लेकर विवाद हुआ था?
- मोहन को रघु से झगड़ा करने में डर क्यों लग रहा था?
- कुछ लोगों ने कहा कि मोहन को पुलिस थाने में मामला दर्ज करवाना चाहिए जबकि कुछ ने ऐसा करने से मना किया। लोगों ने अपनी राय के लिए क्या तर्क दिए?
पुलिस थाने में होने वाला काम
जब सब लोग पुलिस थाने पहुंचे तो मोहन थानेदार के पास गया और उसे पूरा मामला बताया। उसने यह भी बताया कि वह अपनी शिकायत लिखित रूप में देना चाहता है। थानेदार ने बड़ी बेरुखी से कहा कि उसके पास छोटी-छोटी शिकायतों की जाँच-पड़ताल का समय नहीं है। मोहन ने अपने घाव भी दिखाए, लेकिन थानेदार पर कोई असर नहीं हुआ। मोहन हैरान था कि उसकी शिकायत आखिर दर्ज क्यों नहीं की जा रही थी!
मोहन बाहर गया और अपने पड़ोसियों को बुलाकर अंदर ले आया। पड़ोसियों ने थानेदार को समझाया कि मोहन को उनकी आँखों के सामने पीटा गया है। अगर वे उसे न बचाते तो उसे बहुत ही गंभीर चोटें आतीं। उन्होंने मामला दर्ज करने पर जोर दिया। अंततः थानेदार राजी हो गया। उसने मोहन को अपनी शिकायत लिखकर देने को कहा। थानेदार ने वायदा किया कि अगले दिन एक हवलदार घटना की जाँच-पड़ताल के लिए उनके यहाँ पहुंचेगा।
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पुलिस थाने में जो भी हुआ उसे एक नाटक के रूप में दिखाइए। फिर यह बताइए कि मोहन, थानेदार या पड़ोसियों की भूमिका निभाते हुए आपको कैसा लगा? क्या थानेदार इस स्थिति को किसी अन्य तरीके से संभाल सकता था?
राजस्व विभाग का काम
आपने पढ़ा कि मोहन और रघु में खेत की मेड़ को लेकर जबरदस्त लड़ाई हुई। क्या ऐसा कोई तरीका नहीं था जिससे वह अपना मामला शांतिपूर्वक सुलझा लेते। क्या कोई ऐसे अभिलेख यानी रिकॉर्ड होते हैं जिनसे यह पता चल जाए कि गाँव में किसके पास कौन-सी जमीन है? चलिए, पता करते हैं कि यह कैसे किया जाता है।
जमीन को नापना और उसका रिकॉर्ड रखना पटवारी का मुख्य काम होता है। अलग-अलग राज्यों में इसको अलग-अलग नाम से जाना जाता है कहीं पटवारी, कहीं लेखपाल, कहीं कर्मचारी, कहीं ग्रामीण अधिकारी तो कहीं कानूनगो कहते हैं। हम यहाँ ज़मीन का लेखाजोखा रखने वाले कर्मचारी के लिए पटवारी शब्द का इस्तेमाल कर रहे हैं। प्रत्येक पटवारी कुछ गाँवों के लिए जिम्मेदार होता है। अगले पृष्ठ पर दिए गए नक्शे और उसके अनुसार बने खसरे यानी रजिस्टर के विवरण को देखिए। यह पटवारी द्रारा रखा गया गाँव के लोगों की जमीन के रिकॉर्ड का एक
हिस्सा है।
आम तौर पर पटवारियों के पास खेत नापने के अलग-अलग तरीके होते हैं। कई जगहों पर वह एक लंबी लोहे की जंजीर का इस्तेमाल करते हैं। इसे जरीब कहते हैं। ऊपर दी गई कहानी में पटवारी, मोहन और रघु के खेतों को नापकर यह देख सकता था कि वह गाँव के नक्शे से मेल खाता है कि नहीं। अगर वह नक्शे से मेल नहीं खाता तो उसको पता चल जाता कि मेड़ खिसका कर खेत की सीमा बदली गई है।
पटवारी किसानों से भूमि कर भी इकट्ठा करता है और सरकार को अपने क्षेत्र में उगने वाली फसलों के बारे में जानकारी देता है। यह काम वह अपने रिकॉडों के आधार पर
अगर आप ग्रामीण क्षेत्र में रहते हैं तो पता कीजिए:
आपके क्षेत्र का पटवारी कितने गाँवों के लिए जमीन के अभिलेख रखता है? गाँव के लोग पटवारी से कैसे संपर्क करते हैं?
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खसरा कहलाने वाले इस रिकॉर्ड में पटवारी ने नीचे दिए गए समीन के नक्शे के मुताबिक सूचनाएँ भरी हैं। इससे पता चलता है कि जमीन का कौन-सा टुकड़ा किसके नाम है। इस रिकॉर्ड और नक्शे को देखिए तथा मोहन और रसु की जमीन से संबंधित सवालों का जवाब दीजिए।
खसरा 5 | ||||||||
नं. | क्षेत्र हैक्टेयर मे | जमीन मालिक का नाम, पिता/पति का नाम और पता
| यदि बटाई पर है तो दूसरे किसान का नाम और बटाई का हिस्सा | इस साल जीती गई जमीन | परती जमीन | सुविधाएँ | ||
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फ़सल | क्षेत्र | अन्य फ़सल | ||||||
1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | |
1 | 0.75 | मोहन, वल्द राजा राम गाँव अमरापुरा जमीन का मालिक | नहीं | सोयाबीन | 0.75 हेक्टेयर |
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2 | 3.00 | रघु राम वल्द रतन लाल गाव अमरापर जमीन का मालिक | नहीं | गेहूँ | 2.75 हेक्टेयर | 1.75 | 0.25 |
कुआँ – 1 चालू कुआँ – 1 चालू चारागह |
3 | 6.00 | मध्यप्रदेश सरकारी घास का मैदान | नहीं | |
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(क) मोहन के खेत के दक्षिण में जो जमीन है वह किसकी है?
(ख) रघु और मोहन की जमीन के बीच की सीमा पर निशान लगाइए। (ग) खेत संख्या 3 को कौन इस्तेमाल कर सकता है?
(घ) खेत संख्या 2 और 3 से संबंधित क्या-क्या जानकारी हमें मिल सकती है?
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किसानों को अक्सर अपने खेत के नक्शे और रिकॉर्ड की ज़रूरत पड़ती है। इसके लिए उनको कुछ शुल्क देना पड़ता है। किसानों को इसकी नकल पाने का अधिकार है। हालाँक कई बार उनको ये रिकॉर्ड आसानी
से नहीं मिलते। लोगों को इसको हासिल करने में कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। कई राज्यों में ये सारे रिकॉर्ड कंप्यूटर में डालकर पंचायत के दफ्तर में रख दिए गए हैं ताकि वे आसानी से लोगों को उपलब्ध हो सकें और नई सूचनाओं के अनुसार नियमित रूप से दुरुस्त होते रहें।
आपको क्या लगता है कि किसानों को इस रिकॉर्ड की ज़रूरत कब पड़ती होगी ? नीचे दी गई स्थितियों को पढ़िए और उन मामलों को पहचानिए जिनमें जमीन के रिकॉर्ड अनिवार्य होते हैं। यह भी बताइए कि वे किसलिए जरूरी है?
- एक किसान दूसरे किसान से जमीन खरीदना चाहता है।
- एक किसान अपनी फसल दूसरे को बेचना चाहता है।
- एक किसान को अपनी जमीन में कुआँ खोदने के लिए बैंक से कर्ज चाहिए।
- एक किसान अपने खेतों के लिए खाद खरीदना चाहता है।
- एक किसान अपनी जमीन अपने बेटे एवं बेटियों में बाँटना चाहता है।
करता है। इसीलिए जरूरी है कि वह उनको समय-समय पर दुरुस्त करता रहे। किसान कई बार फसल बदल देते हैं, कुछ और उगाने लगते हैं या कोई कहीं कुआँ खोद लेता है। इन सबका हिसाब रखना सरकार के राजस्व विभाग का काम होता है। इस विभाग के वरिष्ठ लोग इस काम का निरीक्षण करते हैं।
भारत में सभी राज्य जिलों में बँटे हुए हैं। जमीन से जुड़े मामलों की व्यवस्था के लिए इन जिलों को और भी छोटे खंडों में बाँट दिया जाता
है। जिले के उप-खंडों को कई नामों से जाना जाता है, जैसे तहसील, तालुका इत्यादि। सबसे ऊपर जिला अधिकारी होता है और उसके नीचे तहसीलदार होते हैं। उन्हें विभिन्न मामलों को निपटाना होता है। वे पटवारी के काम का निरीक्षण करते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि रिकॉर्ड सही ढंग से रखे जाएँ और राजस्व (विभिन्न तरह के कर) इकट्ठा होता रहे। वे यह भी देखते हैं कि किसानों को अपने रिकॉर्ड की नकल आसानी से मिल जाए। वे विधार्थियों को जरूरत पड़ने पर जाति प्रमाण-पत्र आदि भी जारी करते हैं। तहसीलदार के दफ़्तर में जमीन से जुड़े विवाद के मामले सुने जाते हैं।
एक नया कानून (हिंदू अधिनियम धारा, 2005)
जब हम उन किसानों के बारे में सोचते हैं जिनके पास जमीन है तो आमतौर पर हमारे ध्यान में पुरुष होते हैं। महिलाओं की हैसियत खेतों के काम में एक मददगार भर की मानी जाती है। उनके बारे में जमीन के मालिक के रूप में कभी नहीं सोचा जाता। अभी तक कई राज्यों में हिंदू औरतों को परिवार की जमीन में हिस्सा नहीं मिलता था। पिता की मृत्यु के बाद जमीन बेटों में बाँट दी जाती थी। हाल ही में यह कानून बदला गया है। नए कानून के मुताबिक हिन्दू परिवारों में बेटों, बेटियों और उनकी माँ को जमीन में बराबर हिस्सा मिलता है। यह कानून सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में भी लागू होगा।
इस कानून से बड़ी संख्या में औरतों को फायदा होगा। उदाहरण के लिए सुधा एक खेतिहर परिवार की सबसे बड़ी बेटी है। वह
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एक बिटिया की चाह
विरासत में मिला यह घर पापा को अपने पिता से यही घर मिलेगा मेरे भैया को मेरे पिता से पर मैं और मेरी माँ, हमारा क्या? बता दिया गया है मुझे, पिता के घर में हिस्से की बात औरतें नहीं किया करती लेकिन मुझे चाहिए एक घर अपना बिलकुल मेरा अपना नहीं चाहिए दहेज में रेशम और सोना
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स्रोत: रिफ्लेक्शन्स ऑन माई फैमिली, अंजलि मांटेरियो, टिस, मुंबई |
शादीशुदा है और पास के गाँव में रहती है। अपने पिता की मृत्यु के बाद सुधा अक्सर खेती के काम में माँ का हाथ बँटाने आती है। उसकी माँ ने पटवारी से कहा कि ज़मीन पर अब बेटे के साथ-साथ उसका और दोनों बेटियों का नाम भी रिकॉर्ड में आ जाए।
सुधा की माँ बड़े आत्मविश्वास के साथ छोटे बेटे और बेटी की मदद से खेती का काम सँभालती है। सुधा भी इसी निश्चिंतता में जी रही है कि ज़रूरत पड़ने पर वह अपने हिस्से की जमीन से काम चला सकती है।
अन्य सार्वजनिक सेवाएँ-एक सर्वेक्षण
इस पाठ में हमने सरकार के कुछ प्रशासनिक कार्यों के बारे में पढ़ा, खासकर ग्रामीण क्षेत्र के संदर्भ में। पहला उदाहरण कानून व्यवस्था बनाए रखने के बारे में था और दूसरा, जमीन के अभिलेखों की व्यवस्था के बारे में। पहले मामले में हमने पुलिस की भूमिका का परीक्षण किया और दूसरे में पटवारी की भूमिका का। इनके काम का विभाग के अन्य लोगों द्रारा निरीक्षण किया जाता है जैसे पुलिस अधीक्षक या तहसीलदार। हमने यह भी देखा कि लोग कैसे इन सुविधाओं का इस्तेमाल करते हैं और उन्हें किस तरह की समस्याएँ आती हैं। इन सेवाओं का उपयोग कानूनों के अनुसार होना चाहिए। आपने संभवतः सरकार के अन्य विभागों द्रारा दी जा रही सार्वजनिक सेवाओं को देखा होगा।
अपने गाँव या क्षेत्र के लिए दी जा रही सार्वजनिक सेवाओं की एक सूची बनाइए - दुग्ध उत्पादक समिति, राशन की दुकान, बैंक, पुलिस थाना, बीज और खाद के लिए कृषक समिति, डाक बंगला, आँगनवाड़ी, बालवाड़ी, सरकारी स्कूल, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, अस्पताल इत्यादि।
तीन सार्वजनिक सेवाओं पर जानकारी इकट्टौ कौजिए और अपनी अध्यापिका के साथ चर्चा कौजिए कि इनकी कार्य प्रणाली में कैसे सुधार किया जा सकता है। आपके लिए एक उदाहरण आगे दिया जा रहा है।
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सार्वजनिक सभा | आपने उनके काम के बारे में क्या देखा? | नियंत्रण में आने वाले क्षेत्र | इस सुविधा का लाभ उठाने के लिए उनको क्या करने की जरूरत है | जो यह सब प्रदान करते है उनकी समस्याएँ | लोगों को समस्याएँ | क्या सुधार किए जा सकते हैं? |
राशन की दुकान | यह दुकान खुली हुई थी। तीन लोग आए उनके पास पीले रंग के कार्ड थे सबने चावल और चीनी खरीदी मिट्टी का तेल मिला नहीं। | यह दो गोंवो के लिए है। | उनको राशन कार्ड की जरूरत है, यह तहसील के दफ्तर में बनाया जाता है। | मिट्टी के तेल की आपूर्ति पूरी नहीं है। | चावल बडा खराव आता है। मिट्टी का तेल कभी मिलता ही नहीं। | अच्छा चावल आए। मिट्टी का तेल मिले। राशन की दुकान रोज खुले। |
स्वास्थ्य केंद्र |
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दुग्ध उत्पादक समिति |
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अभ्यास
- पुलिस का क्या काम होता है?
- पटवारी के कोई दो काम बताइए।
- तहसीलदार का क्या काम होता है?
- 'एक बिटिया की चाह' कविता में किस मुद्दे को उठाने की कोशिश की गई है? क्या आपको यह मुद्दा महत्वपूर्ण लगता है? क्यों?
- पिछले पाठ में आपने पंचायत के बारे में पढ़ा। पंचायत और पटवारी का काम एक-दूसरे से कैसे जुड़ा हुआ है?
- किसी पुलिस थाने जाइए और पता कीजिए कि यातायात नियंत्रण, अपराध रोकने और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस क्या करती है, खासकर त्योहार या सार्वजनिक समारोहों के दौरान।
- एक जिले में सभी पुलिस थानों का मुखिया कौन होता है? पता करें।
- चर्चा कीजिए कि नए कानून के तहत महिलाओं को किस तरह फ़ायदा होगा।
- आपके पड़ोस में क्या कोई ऐसी औरत है जिसके नाम ज़मीन जायदाद हो? यदि हाँ, तो उसे यह संपति कैसे प्राप्त हुई?