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ऊष्मा



ध्याय 3 में आप पढ़ चुके हैं कि ऊनी वस्त्र जांतव रेशों से बनाए जाते हैं। आप यह भी जानते हैं कि सूती वस्त्र पादप रेशों से बनाए जाते हैं। हम शीतकाल में ऊनी वस्त्र पहनते हैं जो हमें गर्म रखते हैं। जब मौसम गर्म होता है तब हम हल्के रंग के सूती वस्त्र पहनना पसन्द करते हैं। ये हमें ठंडक का अनुभव कराते हैं। आप यह जानने के लिए अवश्य ही उत्सुक होंगे कि किसी विशेष ऋतु के लिए विशेष प्रकार के वस्त्र ही क्यों उपयुक्त होते हैं?

शीतकाल में आप घर के अंदर ठंड का अनुभव करते हैं। यदि आप बाहर धूप में जाएँ, तो गर्मी का अनुभव करते हैं। ग्रीष्मकाल में तो आप घर के अंदर भी गर्मी का अनुभव करते हैं। हम यह कैसे जान पाते हैं कि कोई वस्तु गर्म है अथवा ठंडी? हम कैसे पता लगाते हैं कि कोई वस्तु कितनी गर्म अथवा कितनी ठंडी है? इस अध्याय में हम इसी प्रकार के कुछ प्रश्नों का उत्तर जानने का प्रयास करेंगे।




4.1 गर्म तथा ठंडा


अपने दैनिक जीवन में हम अनेक वस्तुओं के संपर्क में आते हैं। इनमें से कुछ गर्म हैं और कुछ ठंडी। चाय गरम तथा बर्फ ठंडी होती है। सारणी 4.1 में सामान्य उपयोगी वस्तुओं की सूची दी गई हैं। इस सूची में कुछ और नाम जोड़िए। इन वस्तुओं को गर्म या ठंडी के रूप में चिह्नित कीजिए।

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हम देखते हैं कि कुछ वस्तुएँ ठंडी हैं जबकि कुछ गर्म हैं। आप यह भी जानते हैं कि कुछ वस्तुएेँ दूसरी वस्तुओं की अपेक्षा अधिक गरम होती हैं जबकि कुछ वस्तुएँ दूसरों की अपेक्षा अधिक ठंडी होती हैं। हम कैसे ज्ञात करते हैं कि कोई वस्तु दूसरी वस्तु की अपेक्षा अधिक गर्म है? प्रायः हम इसका पता वस्तुओं को स्पर्श करके लगाते हैं। परंतु क्या हमारी स्पर्श-इंद्रिय विश्वसनीय है? आइए ज्ञात करें।

आपको परामर्श दिया जाता है कि बहुत अधिक गर्म वस्तुओं को न छुएँ। मोमबत्ती की ज्वाला अथवा स्टोव छूते समय सतर्क रहें।


क्रियाकलाप 4.1



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                                                            चित्र 4.1 तीन पात्रों में पानी के ताप का अनुभव करना



तीन पात्र अथवा बरतन लीजिए। इन पर A, B तथा C नामांकित कीजिए (चित्र 4.1)। पात्र A में ठंडा पानी तथा पात्र B में गर्म पानी लीजिए। कुछ ठंडा और कुछ गर्म पानी मिलाकर पात्र C में डालिए। अब अपने बाएँ (वाम) हाथ को पात्र A में तथा दाहिने (दक्षिण) हाथ को पात्र B में डालिए। दोनों हाथों को 2-3 मिनट तक पात्रों में डूबे रहने दीजिए। अब दोनों हाथों को एक साथ पात्र C में डुबोइए (चित्र 4.1)। क्या दोनों हाथों को एक जैसा अनुभव होता है?

सुनिश्चित कीजिए कि पानी इतना गर्म न हो कि आपका हाथ जल जाए।

बूझो कहता है, ‘‘मेरा बायाँ हाथ कहता है कि मग C में पानी गर्म है तथा दाहिना हाथ उसी पानी को ठंडा बताता है। मैं क्या निष्कर्ष निकालूँ?’’

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बूझो की उलझन यह दर्शाती है कि यह निश्चय करने के लिए कि कोई वस्तु गरम है या ठंडी, हम अपनी स्पर्श-इंद्रिय पर विश्वास नहीं कर सकते। यह हमें कभी भी धोखा दे सकती है।



तब हम यह कैसे ज्ञात करते हैं कि कोई वस्तु वास्तव में कितनी गर्म है? किसी वस्तु की उष्णता (गर्मी) की विश्वसनीय माप उसके ताप से की जाती है। ताप मापने के लिए उपयोग की जाने वाली युक्ति को तापमापी (थर्मामीटर) कहते हैं।

4.2 ताप-मापन

क्या आपने कोई तापमापी देखा है? याद कीजिए कि जब कभी आपको या आपके परिवार में किसी को बुखार चढ़ा था तो टेम्परेचर (ताप) को थर्मामीटर (तापमापी) से मापा गया था। जिस तापमापी से हम अपने शरीर के ताप को मापते हैं उसे डॉक्टरी थर्मामीटर कहते हैं। किसी थर्मामीटर को अपने हाथ में पकड़िए तथा इसका ध्यानपूर्वक प्रेक्षण कीजिए। यदि आपके पास थर्मामीटर नहीं है, तो अपने मित्र के साथ सम्मिलित हो जाइए। डॉक्टरी थर्मामीटर चित्र 4.2 में दर्शाए अनुसार दिखाई देता है।

डॉक्टरी थर्मामीटर में एक लंबी, बारीक तथा एक समान व्यास की काँच की नली होती है। इसके एक सिरे पर एक बल्ब होता है। बल्ब में पारा भरा होता है। बल्ब के बाहर नली में पारे की एक पतली चमकीली धारी देखी जा सकती है।


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                               चित्र 4.2 डॉक्टरी थर्मामीटर

यदि पारे की यह धारी आपको दिखाई न दे तो थर्मामीटर को थोड़ा-सा घुमाइए जब तक कि आपको उसमें धारी दिखाई न देने लगे। थर्मामीटर पर आपको ताप मापने का एक मापक्रम (स्केल) भी दिखाई देगा। उपयोग किए  जाने वाला यह मापक्रम सेल्सियस स्केल है, जिसे °C द्वारा दर्शाते हैं

डॉक्टरी थर्मामीटर से हम 35 °C से 42 °C तक के ताप ही माप सकते हैं।


बूझो दुविधा में है कि चित्र 4.2 में दर्शाए दो मापक्रमों में से वह किसे पढ़े। पहेली ने उसे बताया कि भारत में हमने सेल्सियस स्केल को अपनाया है और हमें इसी स्केल का उपयोग करना चाहिए। दूसरा मापक्रम फारेनहाइट स्केल (°F) है जिसका परिसर 94-108 डिग्री तक है, इसे पहले प्रयोग किया जाता था।

क्रियाकलाप 4.2

थर्मामीटर से ताप मापना

आइए, यह सीखें कि थर्मामीटर को कैसे पढ़ा जाता है। सबसे पहले इसके किन्हीं दो क्रमागत (एक के बाद एक) बड़ चिह्नों द्वारा निरूपित ताप के अंतर को नोट कीजिए। इन दोनों चिह्नों के बीच भागों की संख्या (छोटे चिह्नों द्वारा दर्शाए गए) को नोट कीजिए। मान लीजिए दो बड़ चिह्नों के बीच एक डिग्री का अंतर है तथा इन चिह्नों के बीच पाँच भाग हैं। तब एक छोटे भाग का मान अर्थात 0.2 °C होगा।

उपयोग करने से पहले थर्मामीटर को अच्छी प्रकार धो लीजिए। धोने के लिए किसी पूतिरोधी (रोगाणुरोधक) घोल का उपयोग करना सुरक्षित रहता है। अब इसे अपने हाथ में कसकर पकड़िए और कुछ झटके दीजिए। झटके देने से पारे का तल नीचे आ जाएगा। सुनिश्चित कीजिए कि यह 35 °C से नीचे आ गया है। अब थर्मामीटर के बल्ब को अपनी जीभ के नीचे रखिए। एक मिनट के पश्चात् थर्मामीटर को बाहर निकालिए और उसका पाठ्यांक नोट कीजिए। यह आपके शरीर का ताप है। ताप को सदैव इसके मात्रक, °C के साथ व्यक्त करना चाहिए।


डॉक्टरी थर्मामीटर उपयोग करने के लिए आवश्यक सावधानियाँ

  • थर्मामीटर को उपयोग से पहले और उपयोग के पश्चात् धोना चाहिए, धोने के लिए किसी पूतिरोधी (एेंटीसेप्टिक) घोल का उपयोग अच्छा रहता है।
  • सुनिश्चित कीजिए कि उपयोग से पहले पारे का तल 35 °C से नीचे हो।
  • थर्मामीटर को पढ़ते समय पारे का तल दृष्टि-रेखा की सीध में होना चाहिए (चित्र 4.3)।
  • थर्मामीटर का सावधानीपूर्वक उपयोग कीजिए। किसी कठोर वस्तु से टकराने पर यह टूट कता है।
  • थर्मामीटर का उपयोग करते समय इसे बल्ब से नहीं पकड़ना चाहिए।

                                चित्र 4.3 डॉक्टरी थर्मामीटर को पढ़ने की सही विधि




आपने अपने शरीर का ताप कितना नोट किया?

मानव शरीर का सामान्य ताप 37 °C है। ध्यान दीजिए कि ताप को इसके मात्रक के साथ व्यक्त किया गया है।

आइए, पहेली को विश्वास दिलाएँ कि उसके साथ कोई समस्या नहीं है।



पहेली ने अपने शरीर का ताप मापा। वह चिंतित हो गई, क्योंकि यह ठीक 37 °C नहीं था।


क्रियाकलाप 4.3

डॉक्टरी थर्मामीटर की सहायता से अपने कुछ मित्रों (कम से कम 10) के शरीर का ताप मापिए। अपने प्रेक्षणों को सारणी 4.2 में अंकित कीजिए।

क्या प्रत्येक विद्यार्थी के शरीर का ताप 37 °C है?

यह आवश्यक नहीं कि प्रत्येक व्यक्ति का सामान्य ताप 37 °C हो। यह कुछ अधिक अथवा कुछ कम भी हो सकता है। वास्तव में, जिसे हम सामान्य ताप (नार्मल टेम्परेचर) कहते हैं, वह स्वस्थ व्यक्तियों के विशाल समूह के शरीर का औसत ताप है।

                         सारणी 4.2 कुछ विद्यार्थियों के शरीर के ताप

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डॉक्टरी थर्मामीटर को केवल मानव शरीर का ताप मापने के लिए ही डिज़ाइन किया गया है। मानव शरीर का ताप सामान्यतः 35 °C से कम तथा 42 °C से अधिक नहीं होता। यही कारण है कि इस थर्मामीटर का परिसर 35 °C से 42 °C है।

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बूझो के मस्तिष्क में एक नटखट विचार आया। वह डॉक्टरी थर्मामीटर से गर्म दूध का ताप मापना चाहता था। पहेली ने उसको एेसा करने से रोक दिया।

चेतावनी

डॉक्टरी थर्मामीटर का उपयोग मानव शरीर का ताप मापने को छोड़कर किसी अन्य वस्तु का ताप मापने के लिए कभी मत कीजिए। थर्मामीटर को धूप तथा आग के पास रखने से बचाइए। एेसा करने से यह टूट सकता है।


4.3 प्रयोगशाला तापमापी

हम अन्य वस्तुओं के ताप कैसे मापते हैं? इसके लिए अन्य तापमापी काम में लाते हैं। एेसा ही एक तापमापी, प्रयोगशाला तापमापी है। आपके अध्यापक इस तापमापी को आपको दिखाएँगे। इसे ध्यान से देखि तथा इससे मापे जा सकने वाले अधिकतम तथा न्यूनतम ताप को नोट कीजिए। प्रयोगशाला तापमापी का परिसर प्रायः –10 °C से 110 °C होता है (चित्र 4.4)। जैसे आपने डॉक्टरी थर्मामीटर में किया था, ठीक उसी प्रकार इस तापमापी के भी किसी सबसे छोटे भाग द्वारा दर्शाए जाने वाले ताप का मान ज्ञात कीजिए। तापमापी द्वारा दर्शाए गए ताप को ठीक-ठीक पढ़ने के लिए आपको ताप के इस मान की आवश्यकता होगी।


विभिन्न प्रयोजनों के लिए विभिन्न प्रकार के तापमापी उपयोग किए जाते हैं। मौसम की रिपोर्ट में दिए गए अधिकतम तथा न्यूनतम तापों की जानकारी देने के लिए अधिकतम-न्यूनतम तापमापी का उपयोग किया जाता है।

आइए, अब देखें कि इस तापमापी का उपयोग कैसे किया जाता है।


क्रियाकलाप 4.4

किसी बीकर अथवा मग में नल का थोड़ा-सा जल लीजिए। तापमापी को जल में इस प्रकार डुबोइए कि उसका बल्ब तो जल में डूबा रहे, लेकिन वह बर्तन की तली अथवा दीवारों को स्पर्श न करे। तापमापी को जल में ऊर्ध्वाधर रखते हुए इसमें पारे के तल की गति को देखिए (चित्र 4.5)। तब तक प्रतीक्षा कीजिए जब तक कि नली में पारे का तल स्थिर न हो जाए। तापमापी का पाठ्यांक नोट कीजिए। यह इस समय जल का ताप है।




चित्र 4.4 प्रयोगशाला तापमापी
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चित्र 4.5 प्रयोगशाला तापमापी द्वारा जल का ताप मापना

कक्षा में विभिन्न विद्यार्थियों द्वारा मापे गए जल के ताप की तुलना कीजिए। क्या इन मापों में कुछ भिन्नताएँ हैं? संभव कारणों पर चर्चा कीजिए।

प्रयोगशाला तापमापी का उपयोग करते समय डॉक्टरी थर्मामीटर का पाठ्यांक लेते समय बरती जाने वाली सभी सावधानियों के अतिरिक्त निम्नलिखित सावधानी भी बरती जानी चाहिए-

  • तापमापी को ऊर्ध्वाधर रखना चाहिए, तिरछा नहीं  (चित्र 4.5) तथा
  • तापमापी का बल्ब चारों ओर से उस पदार्थ से घिरा होना चाहिए जिसका ताप मापना है। बल्ब बर्तन की दीवारों से नहीं छूना चाहिए।
  • बूझो को अब समझ में आ गया है कि उच्च तापों को मापने के लिए डॉक्टरी थर्मामीटर का उपयोग क्यों नहीं करना चाहिए। लेकिन वह अब भी उलझन में है कि क्या प्रयोगशाला तापमापी द्वारा उसके शरीर का ताप मापा जा सकता है?


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आइए, इस प्रश्न का उत्तर खोजने का प्रयत्न करें।


क्रियाकलाप 4.5

किसी बीकर या मग में थोड़ा गर्म जल लीजिए। तापमापी के बल्ब को जल में डुबोइए। पारे के तल के स्थिर होने तक प्रतीक्षा कीजिए। जब पारे का तल स्थिर हो जाए, तो ताप नोट कीजिए। अब तापमापी को जल से बाहर निकालिए। ध्यानपूर्वक देखिए कि अब क्या होता है? क्या आप देखते हैं कि जैसे ही तापमापी को जल से बाहर निकालते हैं, पारे का तल गिरने लगता है? इसका अर्थ है कि किसी प्रयोगशाला तापमापी द्वारा ताप का पाठ्यांक तभी नोट करना चाहिए जब उसका बल्ब जल या उस वस्तु में रखा है जिसका ताप मापना है।

तापमापी में पारे के प्रयोग के विषय में अनेक चिंताएँ हैं। पारा एक विषाक्त पदार्थ है और यदि तापमापी टूट जाए, तो इसका निपटान अत्यंत कठिन है। आजकल अंकीय तापमापी (डिजिटल थर्मामीटर) उपलब्ध हैं जिनमें पारे का उपयोग नहीं होता।

स्मरण कीजिए कि अपने शरीर का ताप मापते समय आपको पाठ्यांक नोट करने के लिए थर्मामीटर को मुँह से बाहर निकालना पड़ता है। क्या तब आप प्रयोगशाला तापमापी को अपने शरीर का ताप मापने के लिए उपयोग कर सकते हैं। स्पष्ट है कि प्रयोगशाला तापमापी का उपयोग इस प्रयोजन के लिए सुविधाजनक नहीं है।

डॉक्टरी थर्मामीटर को मुँह से बाहर निकाल लेने पर पारे का तल नीचे या ऊपर क्यों नहीं जाता?

किसी डॉक्टरी थर्मामीटर का फिर से प्रेक्षण कीजिए। क्या आप बल्ब के पास कोई विभंग (किंक) देखते हैं (चित्र 4.6)?

विभंग का क्या लाभ है? यह पारे के तल को अपने आप नीचे गिरने से रोकता है।


                    


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                            चित्र 4.6 डॉक्टरी थर्मामीटर में एक विभंग होता है

बूझो यह जानने के लिए उत्सुक है कि जब तापमापी का बल्ब किसी वस्तु के संपर्क में आता है, तो पारे के तल में परिवर्तन क्यों होता है?


4.4 ऊष्मा का स्थानांतरण

सम्भवतः आपने देखा होगा कि जब किसी बर्तन को ज्वाला पर रखते हैं तो वह तप्त हो जाता है। इसका कारण है कि ऊष्मा ज्वाला से बर्तन की ओर चली जाती है। जब बर्तन को ज्वाला से हटा लेते हैं तो यह धीरे-धीरे ठंडा हो जाता है। यह ठंडा क्यों हो जाता है? ऊष्मा बर्तन से परिवेश की ओर स्थानांतरित हो जाती है। इस प्रकार आप समझ सकते हैं कि दोनों स्थितियों में ऊष्मा गर्म वस्तु से ठंडी वस्तु की ओर प्रवाहित होती है। वास्तव में, ऊष्मा सदैव गर्म वस्तु से अपेक्षाकृत ठंडी वस्तु की ओर प्रवाहित होती है

पहेली जानना चाहती है, ‘‘क्या इसका यह अर्थ है कि यदि दो वस्तुओं का ताप समान हो तो ऊष्मा स्थानांतरित नहीं होगी?’’

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ऊष्मा किस प्रकार स्थानांतरित होती है? आइए इसकी खोज करें

क्रियाकलाप 4.6

एेलुमिनियम या लोहे जैसी किसी धातु की एक छड़ अथवा चपटी पट्टी लीजिए। छड़ पर मोम के छोटे-छोटे टुकड़ चिपकाइए। ये टुकड़ लगभग समान दूरियों पर होने चाहिए (चित्र 4.7)। छड़ के एक सिरे को एक प्रयोगशाला स्टैंड पर कसिए। यदि आपको स्टैंड न मिले तो आप छड़ के एक सिरे को ईंटों के बीच में दबाकर रख सकते हैं। अब छड़ के दूसरे सिरे को गर्म कीजिए और ध्यानपूर्वक देखिए।

मोम के टुकड़ों का क्या होता है? क्या ये टुकड़ गिरना आरंभ कर देते हैं? कौन-सा टुकड़ा सबसे पहले गिरता है? क्या आप सोचते हैं कि ऊष्मा ज्वाला के सबसे निकट के सिरे से दूसरे सिरे की ओर स्थानांतरित होती है?

वह प्रक्रम जिसमें ऊष्मा किसी वस्तु के गर्म सिरे से ठंडे सिरे की ओर स्थानांतरित होती है, चालन कहलाता है। ठोसों में ऊष्मा प्रायः चालन के प्रक्रम द्वारा स्थानांतरित होती है।

                   चित्र 4.7 किसी धातु की पट्टी में ऊष्मा के स्थानांतरण का अध्ययन

क्या सभी पदार्थों में ऊष्मा का चालन आसानी से हो जाता है? आपने अवश्य देखा होगा कि खाना पकाने के लिए उपयोग किए जाने वाले धातु के बर्तन में प्लास्टिक या लकड़ी की हत्थी लगी होती है। क्या आप किसी तप्त बर्तन को हत्थी से पकड़कर बिना हाथ जलाए उठा सकते हैं?




क्रियाकलाप 4.7

किसी छोटे र्तन या बीकर में गर्म पानी लीजिए। कुछ वस्तुएँ, जैसे इस्पात (स्टील) की चम्मच, प्लास्टिक का स्केल, पेंसिल तथा विभाजनी (डिवाइडर) एकत्र कीजिए। इन सभी वस्तुओं के एक सिरे को गर्म पानी में डुबोइए (चित्र 4.8) कुछ देर प्रतीक्षा करने के पश्चात् दूसरे सिरे को छूकर देखिए। अपने प्रेक्षणों को सारणी 4.3 में लिखिए।

सारणी 4.3

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जो पदार्थ अपने से होकर ऊष्मा को आसानी से जाने देते हैं उन्हें ऊष्मा का चालकहते हैं। इनके उदाहरण हैं, एेलुमिनियम, आयरन (लोहा) तथा कॉपर (ताँबा)। जो पदार्थ अपने से होकर ऊष्मा को आसानी से नहीं जाने देते, उन्हें ऊष्मा का कुचालक कहते हैं, जैसे प्लास्टिक तथा लकड़ी। कुचालकों को ऊष्मा-रोधी भी कहते हैं।

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चित्र 4.8 विभिन्न पदार्थों में ऊष्मा का चालन


जल तथा वायु ऊष्मा के कुचालक हैं। तब इन पदार्थों में ऊष्मा स्थानांतरण कैसे होता है? आइए पता लगाएँ।





क्रियाकलाप 4.8

गोल पेंदे का फ्लास्क लीजिए (यदि फ्लास्क उपलब्ध न हो, तो बीकर लिया जा सकता है)। इसे जल से दो-तिहाई भरिए। इसको किसी तिपाई पर रखिए अथवा फ्लास्क को रखने का कोई एेसा  प्रबंध कीजिए जिससे कि आप इसके नीचे एक मोमबत्ती रखकर इसे गर्म कर सकें। फ्लास्क में जल के स्थिर होने की प्रतीक्षा कीजिए। एक स्ट्रॉ की सहायता से फ्लास्क के पेंदे पर पोटैशियम परमेंगनेट का एक क्रिस्टल धीरे से रखिए। अब, क्रिस्टल के ठीक नीचे मोमबत्ती जलाकर जल को गर्म कीजिए।

अपने प्रेक्षणों को नोटबुक में लिखिए तथा जो कुछ आप दे रहे हैं उसका चित्र भी बनाइए (चित्र 4.9)

जब जल को गर्म करते हैं, तो ज्वाला के पास का जल गर्म हो जाता है। गर्म जल ऊपर उठता है। इस गर्म जल के आस-पास का ठंडा जल उसका स्थान लेने के लिए आ जाता है। फिर यह जल भी गर्म होकर ऊपर उठता है तथा आस-पास से जल फिर इसके स्थान पर आ जाता है। यह प्रक्रिया तब तक चलती रहती है जब तक कि सारा जल गर्म न हो जाए। ऊष्मा स्थानांतरण की इस विधि को संवहन कहते हैं।


                                         चित्र 4.9 जल में ऊष्मा का संवहन


वायु में ऊष्मा का स्थानांतरण किस प्रकार होता है? धुआँ किस दिशा में जाता है?

ऊष्मा स्रोत के पास की वायु गर्म होकर ऊपर उठती जाती है। इस प्रकार यह वायु भी गर्म हो जाती है। और यह प्रक्रिया चलती रहती है। क्रियाकलाप 4.9 द्वारा आप इस विचार की पुष्टि कर सकते हैं।

क्रियाकलाप 4.9

एक मोमबत्ती जलाइए। अपने एक हाथ को ज्वाला के ऊपर तथा दूसरे हाथ को ज्वाला के पार्श्व में रखिए (चित्र 4.10)। क्या आपके दोनों हाथ समान गरमी का अनुभव करते हैं? यदि नहीं तो कौन-सा हाथ अधिक गर्म अनुभव करता है? एेसा क्यों है?

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                     चित्र 4.10 वायु में ऊष्मा का स्थानांतरण संवहन द्वारा होता है

सावधान! अपने हाथों को ज्वाला से सुरक्षित दूरी पर रखिए, जिससे कि वे जले नहीं।

ध्यान दीजिए! ऊपर की ओर की वायु संवहन द्वारा गर्म होती है। इसलिए, ज्वाला से ऊपर का हाथ गर्मी अनुभव करता है। तथापि, पार्श्व की वायु संवहन द्वारा गर्म नहीं हो पाती। इसलिए यह वायु लौ के ऊपर की वायु जैसी गरम नहीं लगती।

तटीय क्षेत्रों में रहने वाले लोग एक मनोरंजक परिघटना का अनुभव करते हैं। दिन के समय, स्थल (धरती या थल) जल की अपेक्षा शीघ्र गर्म होता है। स्थल के ऊपर की वायु गर्म होकर ऊपर उठती है। इसका स्थान लेने के लिए समुद्र की ओर से ठंडी वायु स्थल की ओर बहती है। चक्र को पूरा करने के लिए स्थल की ओर से गर्म वायु समुद्र की ओर बह जाती है(चित्र 4.11)। समुद्र की ओर से आने वाली वायु को समुद्र समीर कहते हैं। समुद्र समीर की ठंडी वायु का लाभ उठाने के लिए तटीय क्षेत्रों के भवनों में खिड़कियाँ समुद्र की ओर बनाई जाती हैं। रात्रि में यह प्रक्रम ठीक विपरीत हो जाता है। समुद्र का जल, स्थल की अपेक्षा धीमी गति से ठंडा होता है। इसलिए, स्थल की ओर से ठंडी वायु समुद्र की ओर बहती है।
यह
थल समीर कहलाती है। चित्र 4.11 इस परिघटना को दर्शाता है।



चित्र 4.11 समुद्र समीर तथा थल समीर


समुद्र समीर

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थल समीर

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जब हम धूप में खड़ होते हैं, तो हम गर्माहट अनुभव करते हैं। सूर्य से हम तक ऊष्मा कैसे पहुँचती है? यह चालन अथवा संवहन द्वारा हम तक नहीं पहुँच सकती क्योंकि इन दोनों प्रक्रमों में ऊष्मा स्थानांतरण के लिए माध्यम आवश्यक है। चूँकि पृथ्वी तथा सूर्य के बीच के अधिकांश स्थान में कोई माध्यम, जैसे वायु नहीं है अतः सूर्य से हम तक ऊष्मा एक अन्य प्रक्रम द्वारा आती है जिसे विकिरण कहते हैं। विकिरण द्वारा ऊष्मा के स्थानांतरण में किसी माध्यम जैसे वायु अथवा जल की आवश्यकता नहीं होती माध्यम विद्यमान हो या हो, विकिरण द्वारा ऊष्मा का स्थानांतरण हो सकता है। जब हम किसी तापक (हीटर) के सामने बैठते हैं, तो हमें इसी प्रक्रम द्वारा ऊष्मा प्राप्त होती है। ज्वाला से हटाकर रखा को गर्म बर्तन ठंडा होते समय अपनी कुछ ऊष्मा को विकिरण द्वारा ही परिवेश को स्थानांतरित करता है। हमारा शरीर विकिरण द्वारा ही परिवेश को ऊष्मा देता है तथा उससे ऊष्मा ग्रहण करता है।


सभी गर्म पिंड विकिरणों के रूप में ऊष्मा विकिरित करते हैं। जब ये ऊष्मा विकिरण किसी अन्य वस्तु से टकराते हैं, तो इनका कुछ भाग परावर्तित हो जाता है, कुछ भाग अवशोषित हो जाता है तथा कुछ भाग परागत हो सकता है। ऊष्मा के अवशोषित भाग के कारण वस्तु का ताप बढ़ जाता है। धूप में (बाहर) जाते समय आपको छाते का उपयोग करने का परामर्श क्यों दिया जाता है?




4.5 सर्दियों तथा गर्मियों में हमारे पहनने के वस्त्रों के प्रकार

आप जानते हैं कि गर्मियों में हम हल्के रंग के वस्त्रों को वरीयता देते हैं तथा सर्दियों में हम गहरे रंग के कपड़ पहनना पसंद करते हैं। एेसा क्यों है? आइए, इसका पता लगाएँ।

क्रियाकलाप 4.10

टिन के एक जैसे दो डिब्बे लीजिए। इनमें से एक के बाहरी पृष्ठ को काला तथा दूसरे के बाहरी पृष्ठ को सफ़ेद (श्वेत) पेंट कीजिए (चित्र 4.12)। दोनों डिब्बों में बराबर मात्रा में जल भरिए तथा उन्हें दोपहर के समय लगभग एक घंटे के लिए धूप में रख दीजिए। दोनों डिब्बों में भरे जल के ताप मापिए। क्या आप दोनों के ताप में कुछ अंतर पाते हैं? किस डिब्बे में जल अधिक गर्म है? केवल जल को छूकर भी आप दोनों के ताप में अंतर अनुभव कर सकते हैं।

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चित्र 4.12 काले तथा सफ़ेद पृष्ठ के दो बर्तन

क्रियाकलाप 4.11

क्रियाकलाप 4.10 में उपयोग किए गए दोनों डिब्बे लीजिए। इन दोनों में समान मात्रा में समान ताप (लगभग 60 °C) का गरम जल भरिए। दोनों डिब्बों को किसी कमरे में अथवा छाया में रखिए। 10-15 मिनट के पश्चात प्रत्येक डिब्बे के जल का ताप ज्ञात कीजिए। क्या दोनों डिब्बों में जल का ताप समान दर से कम हुआ है?

क्या इन क्रियाकलापों से आप यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि गर्मियों में सफ़ेद या हल्के रंग के वस्त्र तथा सर्दियों में गहरे रंग के वस्त्र पहनना अधिक आरामदायक क्यों प्रतीत होता है? गहरे रंग के पृष्ठ अपेक्षाकृत अधिक ऊष्मा अवशोषित करते हैं। इसलिए, सर्दियों में गहरे रंग के वस्त्र पहनना हमें सुखद लगता है। हल्के रंग के कपड़ ऊष्मीय विकिरणों के अधिकांश भाग को परावर्तित कर देते हैं। इसलिए, गर्मियों में हमें हल्के रंग के वस्त्र अधिक आरामदेह लगते हैं।

हम अपने घरों को ठंडा या गर्म रखने के लिए कोयला या लकड़ी जैसे ईंधन अथवा विद्युत का उपयोग करते हैं। क्या एेसे भवन बनाना संभव है जिन पर बाहर की गर्मी या सर्दी का कोई प्रभाव न पड़, भवन की बाहरी दीवार को यदि एेसा बनाया जाए कि उसके बीच में वायु की एक परत बंद हो जाए, तो एेसा संभव किया जा सकता है। एेसा करने की एक विधि है कि भवन निर्माण में खोखली ईंटों का उपयोग किया जाए, जो कि आजकल उपलब्ध हैं।

सर्दियों में ऊनी वस्त्र हमें उष्ण बनाए रखते हैं

सर्दियों में हम ऊनी वस्त्र पहनते हैं। ऊन ऊष्मा-रोधी है। इसके अतिरिक्त, ऊन के रेशों के बीच में वायु फंसी (ट्रैप) रहती है। यह वायु हमारे शरीर की ऊष्मा को ठंडे परिवेश की ओर विकिरित होने से रोकती है। अतः हमें उष्णता का अनुभव होता है।

मान लीजिए, सर्दियों में आपको ‘एक मोटे कंबल’ अथवा ‘एक के ऊपर एक जुड़ दो पतले कंबलों’ में से किसी एक का चुनाव करके उपयोग करने की छूट है तो आप इनमें से किसे चुनेंगे और क्यों? याद रखिए!  दो कंबलों के बीच में वायु की एक परत विद्यमान है।



प्रमुख शब्द

सेल्सियस स्केल

चालन

चालक

संवहन

कुचालक

अधिकतम-न्यूनतम तापमापी

ऊष्मा-रोधी

थल समीर

समुद्र समीर

विकिरण

ताप

तापमापी

थर्मामीटर

अंकीय तापमापी

पूतिरोधी

आपने क्या सीखा

  • किसी वस्तु की उष्णता की कोटि ज्ञात करने के लिए हम सदैव अपनी स्पर्श-इंद्रिय पर विश्वास नहीं कर सकते।
  • ताप किसी वस्तु की उष्णता की कोटि की माप है।
  • तापमापी वह युक्ति है जिससे ताप मापा जाता है।
  • डॉक्टरी थर्मामीटर का उपयोग शरीर का ताप मापने के लिए किया जाता है। इस थर्मामीटर का परिसर 35 °C से 42 °C होता है। अन्य प्रयोजनों के लिए हम प्रयोगशाला तापमापी का उपयोग करते हैं। इन तापमापियों का परिसर प्रायः –10 °C से 110 °C होता है।
  • मानव शरीर का सामान्य ताप 37 °C है।
  • ऊष्मा उच्च ताप के पिंड से निम्न ताप के पिंड की ओर स्थानांतरित होती है। एक वस्तु से दूसरी वस्तु में ऊष्मा तीन प्रक्रमों द्वारा स्थानांतरित हो सकती है। ये हैं, चालन, संवहन तथा विकिरण
  • ठोसों में प्रायः ऊष्मा चालन द्वारा स्थानांतरित होती है। द्रवों तथा गैसों में ऊष्मा संवहन द्वारा स्थानांतरित होती है। विकिरण द्वारा ऊष्मा के स्थानांतरण के लिए किसी माध्यम की आवश्यकता नहीं होती।
  • जो पदार्थ अपने से होकर ऊष्मा को आसानी से प्रवाहित होने देते है उन्हें ऊष्मा-चालक कहते हैं।
  • गहरे रंग की वस्तुएँ हल्के रंग की वस्तुओं की अपेक्षा ऊष्मीय विकिरणों की अच्छी अवशोषक होती हैं। यही कारण है कि हम गर्मियों में हल्के रंग के वस्त्रों में अधिक आराम का अनुभव करते हैं।
  • सर्दियों में ऊनी वस्त्र हमें गरम रखते हैं। इसका कारण यह है कि ऊन ऊष्मा-रोधी है तथा इसके रेशों के बीच में वायु फंसी (ट्रैप) होती है।

अभ्यास

1. प्रयोगशाला तापमापी तथा डॉक्टरी थर्मामीटर के बीच समानताएँ तथा अंतर लिखिए।

2. ऊष्मा चालक तथा ऊष्मा-रोधी, प्रत्येक के दो उदाहरण दीजिए।

3. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिएः

(क) कोई वस्तु कितनी गरम है इसकी जानकारी --------------- द्वारा प्राप्त होती है।

(ख) उबलते हुए पानी का ताप --------------- तापमापी से नहीं मापा जा सकता।

(ग) ताप को डिग्री --------------- में मापते हैं।

(घ) बिना किसी माध्यम द्वारा ऊष्मा स्थानांतरण के प्रक्रम को --------------- कहते हैं।

(च) स्टील की एक ठंडी चम्मच गर्म दूध के प्याले में रखी गई है। यह अपने दूसरे सिरे तक ऊष्मा का स्थानांतरण --------------- प्रक्रम द्वारा करेगी।

(छ) हल्के रंग के वस्त्रों की अपेक्षा --------------- रंग के वस्त्र ऊष्मा का अधिक अवशोषण करते हैं।

4. कॉलम A में दिए कथनों का कॉलम B के शब्दों से मिलान कीजिए–

कॉलम A कॉलम B

(क) थल समीर के बहने का समय (i) गर्मियाँ

(ख) समुद्र समीर के बहने का समय (ii) सर्दियाँ

(ग) गहरे रंग के कपड़ पसन्द करने का समय (iii) दिन

(घ) हल्के रंग के कपड़ पसन्द करने का समय (iv) रात

5. सर्दियों में एक मोटा वस्त्र पहनने के तुलना में उसी मोटाई का कई परतों का बना वस्त्र अधिक उष्णता क्यों प्रदान करता है? व्याख्या कीजिए।

6. चित्र 4.13 को देखिए। अंकित कीजिए कि कहाँ-कहाँ चालन, संवहन तथा विकिरण द्वारा ऊष्मा स्थानांतरित हो रही है।

04_13

                                                   चित्र 4.13

7. गरम जलवायु के स्थानों पर यह परामर्श दिया जाता है कि घरों की बाहरी दीवारों पर श्वेत (सफ़ेद) पेन्ट किया जाए। व्याख्या कीजिए।

8. 30 °C के एक लिटर जल को 50 °C के एक लिटर जल के साथ मिलाया गया। मिश्रण का ताप होगा

(क) 80 °C

(ख) 50 °C से अधिक लेकिन 80 °C से कम

(ग) 20 °C

(घ) 30 °C तथा 50 °C के बीच

9. 40 °C ताप की लोहे की किसी गोली को कटोरी में भरे 40 °C ताप के जल में डुबाया गया। इस प्रक्रिया में ऊष्मा

(क) लोहे की गोली से जल की ओर स्थानांतरित होगी।

(ख) न तो लोहे की गोली से जल की ओर और न ही जल से लोहे की गोली की ओर स्थानांतरित होगी।

(ग) जल से लोहे की गोली की ओर स्थानांतरित होगी।

(घ) दोनों के ताप में वृद्धि कर देगी।

10. लकड़ी की एक चम्मच को आइसक्रीम के प्याले में डुबोया गया है। इसका दूसरा सिरा

(क) चालन के कारण ठंडा हो जाएगा।

(ख) संवहन के कारण ठंडा हो जाएगा।

(ग) विकिरण के कारण ठंडा हो जाएगा।

(घ) ठंडा नहीं होगा।



11. स्टेनलेस इस्पात की कड़ाही में प्रायः कॉपर (ताँबे) की तली लगाई जाती है। इसका कारण हो सकता है

(क) ताँबे की तली कड़ाही को अधिक टिकाऊ बना देती है।

(ख) एेसी कड़ाही देखने में सुन्दर लगती है।

(ग) स्टेनलेस इस्पात की अपेक्षा ताँबा ऊष्मा का अच्छा चालक है।

(घ) स्टेनलेस इस्पात की अपेक्षा ताँबे को साफ करना अधिक आसान है।

विस्तारित अध्ययन-क्रियाकलाप एवं परियोजना कार्य

1. किसी डॉक्टर या अपने निकट के किसी स्वास्थ्य केंद्र पर जाइए। डॉक्टर को किसी रोगी का ताप मापते हुए देखिए। यह जानने का प्रयास कीजिए कि

(क) तापमापी का उपयोग करने से पहले वह उसे किसी द्रव में क्यों डुबोती है?

(ख) तापमापी को जीभ के नीचे क्यों रखते हैं?

(ग) शरीर का ताप मापने के लिए तापमापी को मुँह के अतिरिक्त क्या शरीर के किसी अन्य भाग पर भी रखा जा सकता  है?

(घ) शरीर के विभिन्न भागों का ताप समान है या अलग-अलग है।

आप इसी प्रकार के अन्य प्रश्न पूछकर अतिरिक्त जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

2. किसी पशु चिकित्सक के पास जाइए और उनसे पालतू पशुओं तथा पक्षियों के सामान्य ताप के बारे में जानकारी प्राप्त कीजिए तथा चर्चा कीजिए।

3. लोहे की किसी छड़ पर पतले कागज की पट्टी कसकर लपेटिए। छड़ को लगातार घुमाते हुए जलती हुई मोमबत्ती के ऊपर रखकर कागज को जलाने का प्रयत्न कीजिए। क्या यह जल पाता है? अपने प्रेक्षण की व्याख्या कीजिए।

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 चित्र 4.14


4. कागज़ की एक शीट लीजिए। इस पर चित्र 4.14 में दर्शाए अनुसार एक सर्पिल (स्पाइरॅल) बनाइए। कागज़ को रेखा के अनुदिश काटिए। चित्र 4.14 में दर्शाए अनुसार कागज़ को जलती हुई मोमबत्ती के ऊपर लटकाइए। देखिए क्या होता है। इसकी व्याख्या कीजिए।

ध्यान रखिए! सर्पिल का निचला भाग ज्वाला के ठीक ऊपर इतनी ऊँचाई पर हो कि उसमें आग न लगे।

5. पारदर्शी काँच की चौड़ मुँह की दो एक-जैसी बोतल लीजिए। एक बोतल में पोटैशियम परमैंगनेट के कुछ क्रिस्टल या स्याही की कुछ बूँदें डालिए। इस बोतल को गर्म पानी से पूरा भरिए। दूसरी बोतल को ठंडे पानी से पूरा भरिए। ठंडे पानी की बोतल को एक मोटे कागज़ जैसे पोस्टकार्ड से ढकिए। पोस्टकार्ड को एक हाथ से दबाकर रखिए तथा दूसरे हाथ से बोतल को पकड़िए। बोतल को उलटा कीजिए तथा इसको गर्म पानी की बोतल के ऊपर रखिए। दोनों बोतलों को कसकर पकड़िए। किसी दूसरे व्यक्ति से पोस्टकार्ड को खींचने के लिए कहिए। देखिए क्या होता है। व्याख्या कीजिए।


क्या आप जानते हैं?

सेल्सियस स्केल की अभिकल्पना स्वीडन के खगोलशास्त्री एेंडर्स सेल्सियस ने 1742 में की। अनोखी बात यह थी कि उन्होंने जल का क्वथनांक (उबलने का ताप) 0 °C तथा हिमांक (जमने का ताप) 100 °C निर्धारित किया। तथापि इस क्रम को बहुत शीघ्र ही उलट दिया गया।






नाम ताप (°C)