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मृदा

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मृदा  (मिट्टी) सबसे महत्त्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधनों में से एक है। यह पादपों की जड़ो को दृढ़ता से थामे रखकर तथा उन्हें जल और पोषक तत्त्वों की आपूर्ति करके उनकी वृद्धि में सहायता करती है। यह अनेक जीवों का आवास है। कृषि के लिए मृदा अनिवार्य है। कृषि हम सभी को भोजन, कपड़ा और आश्रय प्रदान करती है। अतः मृदा हमारे जीवन का अभिन्न भाग है। पहली वर्षा के बाद मृदा की सौंधी गंध सदैव ताज़गी भर देती है।

9.1 मृदा जीवन से भरपूर है

वर्षा ऋतु में एक दिन पहेली और बूझो ने मृदा में से एक केंचुए को बाहर आते देखा। पहेली  ने सोचा कि क्या मृदा के अंदर और भी जीव रहते हैं? आइए, हम पता लगाते हैं।

क्रियाकलाप 9.1

विभिन्न स्थानों से मृदा के कुछ नमूने एकत्रित कीजिए और उनको ध्यानपूर्वक देखिए (चित्र 9.1)। इसके लिए आप हैंडलेंस (आवर्धक लेंस) का उपयोग  कर सकते हैं। प्रत्येक नमूने का ध्यानपूर्वक निरीक्षण कर अपने प्रेक्षणों को सारणी 9.1 में लिखिए।

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                                 चित्र 9.1 मृदा से नमूने एकत्र करते बच्चे
  • अपने प्रेक्षणों के बारे में अपने मित्रों से चर्चा कीजिए।
  • क्या आपके  द्वारा एकत्रित किए गए नमूने आपके द्वारा एकत्रित किए गए नमूनों जैसे ही हैं?

बूझो और पहेली ने अनेक प्रकार से मृदा का उपयोग किया है। उन्हें उसमें खेलना पसंद है। यह वाकई बहुत मनोरंजक है।

मृदा के उपयोगों की एक सूची बनाइए।

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paheli_1मैं जानना चाहती हूँ कि सड़क के किनारे और बगीचे से एकत्रित किए गए नमूनों में मुझे प्लास्टिक की वस्तुओं और पॉलीथीन की थैलियों के कुछ टुकड़े क्यों मिले थे?

पॉलीथीन की थैलियाँ और प्लास्टिक, मृदा को प्रदूषित करते हैं। ये मृदा में रहने वाले जीवों को भी हानि पहुँचाते हैं। इसलिए पॉलीथीन की थैलियों और प्लास्टिक की वस्तुओं के उपयोग पर प्रतिबंध की माँग की जारही है। अनेक प्रकार के अपशिष्ट पदार्थ, रसायन तथा पीड़कनाशी मृदा को प्रदूषित करते हैं। एेसे अपशिष्ट पदार्थों और रसायनों को मृदा में निर्मुक्त करने से पहले उन्हें उपचारित किया जाना चाहिए। पीड़कनाशियों का उपयोग कम से कम किया जाना चाहिए।



9.2 मृदा परिच्छेदिका (प्रोफ़ाइल)

मृदा अनेक परतों की बनी होती है। यह जानने के लिए कि ये परतें किस प्रकार व्यवस्थित रहती हैं, आप निम्नलिखित क्रियाकलाप करें।

क्रियाकलाप 9.2

थोड़ी-सी मृदा लीजिए। ढेलों को अपने हाथ से तोड़कर उनका चूर्ण बना लें। अब तीन-चौथाई जल से भरा काँच का एक गिलास लीजिए और उसमें मुठ्ठी भर मृदा मिला दीजिए। इसे किसी छड़ से अच्छी तरह हिलाइए, जिससे मृदा पानी में मिल जाए। अब इसे कुछ देर के लिए एेसे ही रखा रहने दीजिए (चित्र 9.2)। कुछ समय के बाद गिलास के पानी को देखिए और निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।


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  • क्या आपको काँच के गिलास में विभिन्न आमाप (साइज़) के कणों की परतें दिखाई देती हैं? इन परतों को दर्शाते हुए एक चित्र बनाइए।

  • क्या जल में कुछ मृत अथवा सड़ी-गली पत्तियों के टुकड़े अथवा जंतु अवशेष तैरते दिखाई दे रहे हैं?

मृदा में उपस्थित सड़े-गले जैव पदार्थ ह्यूमस कहलाते हैं। आप शायद जानते होंगे कि पवन, जल और जलवायु की क्रिया से शैलों (चट्टानों) के टूटने पर मृदा का निर्माण होता है। यह प्रक्रम अपक्षय कहलाता है। किसी मृदा की प्रकृति उन शैलों पर निर्भर करती है, जिनसे इसका निर्माण हुआ है और यह उन वनस्पतियों की किस्मों पर भी निर्भर करती है, जो इसमें उगते हैं।

मृदा की विभिन्न परतों से गुजरती हुई ऊर्ध्वाकाट मृदा परिच्छेदिका कहलाती है। प्रत्येक परत स्पर्श (गठन), रंग, गहराई और रासायनिक संघटन में भिन्न होती है। ये परतें संस्तर-स्थितिया कहलाती हैं (चित्र 9.3)।

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हम सामान्यतः मृदा की सबसे ऊपरी (शीर्ष) परत को देखते   हैं, उसके नीचे वाली परतों को नहीं। यदि हम हाल ही में  खोदी गई खाई के पार्श्व भाग को देखें, तो हमें मृदा की भीतरी परतें भी दिखाई देती हैं। एेसी स्थिति में हम उस स्थान के मृदा परिच्छेदिका का प्रेक्षण कर सकते हैं। मृदा परिच्छेदिका को कुँए की खुदाई करते समय अथवा किसी इमारत की नींव खोदते समय भी देखा जा सकता है। इसे पहाड़ो पर, सड़कों के किनारे अथवा नदियों के खड़े किनारों पर भी देखा जा सकता है।

सबसे ऊपर वाली संस्तर-स्थिति सामान्यतः गहरे रंग की होती है, क्योंकि यह ह्यूमस और खनिजों से समृद्ध होती है। ह्यूमस, मृदा को उर्वर बनाता है और पादपों को पोषण प्रदान करता है। यह परत सामान्यतः मृदु, सरंध्र और अधिक जल को धारण करने वाली होती है। इसे शीर्षमृदा अथवा A-संस्तर-स्थिति कहते हैं। शीर्षमृदा कृमियों, कृंतकों, छछुंदरों और भृंगुओं जैसे अनेक जीवों को आवास (आश्रय) प्रदान करती है। छोटे पादपों की जड़ें  पूरी तरह से शीर्षमृदा में ही रहती हैं।

शीर्षमृदा से नीचे की परत में ह्यूमस कम होती है, लेकिन खनिज अधिक होते हैं। यह परत सामान्यतः अधिक कठोर और अधिक संहत (घनी) होती है और B-संस्तर-स्थिति या मध्यपरत कहलाती है।

तीसरी परत C-संस्तर-स्थिति कहलाती है, जो दरारों और विदरोंयुक्त शैलों के छोटे ढेलों की बनी होती है। इस परत के नीचे आधार शैल होता है, जो कठोर होता है और इसे फावड़े से खोदना कठिन होता है।

9.3 मृदा के प्रकार

जैसा कि आप जानते हैं, शैलों के अपक्षय से विभिन्न पदार्थों के छोटे-छोटे कण निर्मित होते हैं। इनमें बालू और चिकनी मिट्टी (क्ले) सम्मिलित हैं। किसी मृदा में बालू और चिकनी मिट्टी का अनुपात उस मूल शैल पर निर्भर करता है, जिससे उसके कण बने हैं। शैल कणों और ह्यूमस का मिश्रण, मृदा कहलाता है। जीवाणु जैसे बैक्टीरिया, पादप मूल और केंचुए जैसे जीव भी मृदा के महत्त्वपूर्ण अंग होते हैं

मृदा को उसमें पाए जाने वाले विभिन्न आमाप (साइज़) के कणों के अनुपात के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। यदि मृदा में बड़े कणों का अनुपात अधिक होता है, तो वह बलुई मृदा कहलाती है। यदि बारीक (सूक्ष्म) कणों का अनुपात अपेक्षाकृत अधिक होता है, तो यह मृण्मय मृदा कहलाती है। यदि  बड़े और छोटे कणों की मात्रा लगभग समान होती है, तो यह दुमटी मृदा कहलाती है। अतः मृदा का वर्गीकरण बलुई, दुमटी और मृण्मय के रूप में किया जा सकता है।

मृदा में कणों के आमाप का उसके गुणों पर बहुत महत्त्वपूर्ण प्रभाव होता है। बालू के कण अपेक्षाकृत बड़े होते हैं। ये आसानी से एक-दूसरे से जुड़ नहीं पाते, अतः इनके बीच में काफ़ी रिक्त स्थान होते  हैं। ये स्थान वायु से भरे रहते हैं। अतः, हम कह सकते हैं कि बालू सुवातित होती है। बालू के कणों के बीच के स्थानों में से जल की निकासी तेजी से हो जाती है। अतः, बलुई मृदा हल्की, सुवातित और शुष्क होती है। मृत्तिका (चिकनी मिट्टी) के कण सूक्ष्म (बहुत छोटे) होने के कारण परस्पर जुड़े रहते हैं और उनके बीच रिक्त स्थान बहुत कम होता है। बलुई मृदा के विपरीत, इनके कणों के बीच के सूक्ष्म स्थानों में जल रुक जाता है। अतः चिकनी मिट्टी में वायु कम होती है, लेकिन यह भारी होती है, क्योंकि इसमें बलुई मृदा की अपेक्षा अधिक जल रहता है।

पादपों को उगाने के लिए सबसे अच्छी शीर्षमृदा दुमट है। दुमटी मृदा, बालू, चिकनी मिट्टी और गाद नामक अन्य प्रकार के मृदा कणों का मिश्रण होती है। गाद, नदी तलों (आधारों) में निक्षेप के रूप में पाई जाती है। गाद कणों का आमाप (साइज़) बालू और चिकनी मिट्टी के आमापों के बीच का होता है। दुमटी मृदा में भी ह्यूमस होती है। इस प्रकार की मृदा में पादपों की वृद्धि के लिए उचित मात्रा में जल-धारण क्षमता होती है।




             (a)

 (b)

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  (c)

09_04
(d)


                     (e)


चित्र 9.4 मृदा से कार्य करना



क्रियाकलाप 9.3

मृण्मय, दुमटी और बलुई मृदा के नमूने एकत्रित कीजिए। किसी एक नमूने में से मुठ्ठी भर मृदा लीजिए। इसमें से  कंकड़, पत्थर, घास के तिनकों आदि को निकाल लीजिए। अब इसमें बूँद-बूँद करके जल डालकर इसे गूँध लीजिए [चित्र 9.4 (a)]। केवल इतना जल डालें कि इससे मृदा का गोला बनाया जा सके [चित्र 9.4 (b)], लेकिन ध्यान रहे कि यह चिपचिपा नहीं होना चाहिए। मृदा से गोला बनाने का [चित्र 9.4 (c)] प्रयास करें। किसी समतल सतह पर इस गोले को एक बेलन के रूप में बेल लें [चित्र 9.4 (d)]। इस बेलन से छल्ला बनाने का प्रयास कीजिए [चित्र 9.4 (e)]। इस क्रियाकलाप को मृदा के अन्य नमूनों के साथ दोहराइए। कोई मृदा किस प्रकार की है, क्या इसका निर्णय इस आधार पर किया जा सकता है कि उससे मनचाही आकृति बनाना कितना सुविधाजनक है?

boojho_01मैं जानना चाहता हूँ, मटका और सुराही बनाने के लिए किस प्रकार की मृदा का उपयोग किया जाना चाहिए।


क्या आप बता सकते हैं कि किस प्रकार की मृदा बर्तन, खिलौने और मूर्तियाँ आदि बनाने के लिए सबसे उपयुक्त होती है?

9.4 मृदा के गुण

पने मृदा के कुछ उपयोगों की सूची बनायी है। आइए, अब हम मृदा के गुणों को जानने के लिए कुछ क्रियाकलाप  करें

मृदा में जल अंतःस्रवण दर

बूझो और पहेली ने 50 cm × 50 cm आमाप के दो वर्ग अंकित किए, जिनमें से एक उनके घर के फ़र्श पर और दूसरा कच्ची सड़क पर बना था। उन्होंने दो समान आमाप की बोतलों को पानी से भर लिया। उन्होंने एक ही समय पर दोनों वर्ग स्थानों पर एक-एक बोतल पानी  डाल दिया। उन्होंने देखा कि फ़र्श पर गिरा पानी वर्ग की सीमा के बाहर बह गया और अवशोषित नहीं हो पाया, जबकि कच्ची सड़क पर डाला गया पानी अवशोषित हो गया।

boojho_02बूझो को आश्चर्य है कि दोनों वर्गों में पानी के अवशोषण में अंतर क्यों था?

आइए, इसे समझने के लिए अब हम एक क्रियाकलाप करते हैं।

क्रियाकलाप 9.4

चित्र 9.5 अंतःस्रवण दर को मापना

इस क्रियाकलाप के लिए कक्षा के सभी छात्र तीन समूह या दल बना लें। दलों के नाम A, B और C रख सकते हैं। आपको यह मालूम करना है कि किसी दिए गए स्थान पर पानी कितनी तेज़ी से मृदा में से नीचे चला जाता है। आपको एक खोखले बेलन अथवा पाइप की आवश्यकता होगी। यह  सुनिश्चित कर लें कि प्रत्येक दल समान व्यास के पाइप का उपयोग करें। एेसे पाइप प्राप्त करने के लिए दिए गए कुछ सुझावों पर विचार कर सकते हैं-

  • यदि संभव हो, तो एक आमाप के तीन छोटे टिन के डिब्बे लेकर उनकी तली को काट लें।
  • यदि पीवीसी पाइप (लगभग 5 cm व्यास का) उपलब्ध हो, तो इसके 20 cm लंबे टुकड़े काट लें और उनका उपयोग करें।

जिस स्थान से आप मृदा एकत्रित करें, वहाँ पाइप को लगभग 2 cm की गहराई तक धँसा कर लगा दें (चित्र 9.5)। पाइप में धीमे-धीमे 200 mL जल डालिए। 200 mL जल को मापने के लिए आप किसी भी 200 mL की खाली बोतल का उपयोग कर सकते हैं। उस समय को नोट कर लें, जब आपने जल डालना आरंभ किया था। जब सारा जल भूमि द्वारा अवशोषित अर्थात् अंतःस्रावित हो जाए और पाइप खाली हो जाए, तो पुनः समय नोट करिए। यह ध्यान रखें कि पाइप में डालते समय पानी न तो छलके और न ही पाइप के बाहर गिरे। 200 mL जल के मृदा में अंतःस्रावित होने  में लगने वाले समय के आधार पर अंतःस्रवण दर की गणना निम्नलिखित सूत्र के द्वारा कीजिएः

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उदाहरण के लिए, मान लीजिए किसी नमूने
में 200
mL जल के अंतःस्रवण में 20 min लगते
हैं, तो

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अपने दल द्वारा लिए गए मृदा के नमूने में अंतःस्रवण दर की गणना कीजिए। अपने निष्कर्षों की तुलना अन्य दलों के मृदा के नमूनों की अंतःस्रवण दर से कीजिए। मृदा के नमूनों को अंतःस्रवण दर के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित करिए।

9.5 मृदा में नमी

क्या आप कभी ग्रीष्मकाल में किसी गर्म  दिन की दोपहर में किसी खेत अथवा खुले मैदान से होक गुज़रे हैं? संभवतः आपने देखा होगा कि जमीन के ऊपर की वायु कंपदीप्त हो रही है, अर्थात् एेसा दिखता है, जैसे गर्म वायु वैसे ही ऊपर उठ रही है, जैसे आग के अलाव से उठती है। एेसा क्यों होता  है? इस क्रियाकलाप द्वारा हम इसका उत्तर जानने का प्रयास करेंगे।

क्रियाकलाप 9.5

एक क्वथन नली लीजिए। इसमें दो चम्मच मिट्टी मिलाइए। इसे कुछ समय तक किसी लौ पर
गरम की
जिए और क्वथन नली का प्रेक्षण कीजिए (चित्र 9.6)। आइए, हम देखते हैं कि गर्म करने पर क्या होता है?

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क्या आपको कहीं जल की बूँदें दिखाई देती हैं? यदि हाँ, तो किस स्थान पर? गरम करने पर, मृदा में से जल वाष्पित होकर ऊपर उठता है और क्वथन नली के ऊपरी भाग की अपेक्षाकृत ठंडी भीतरी दीवार पर संघनित हो जाता है। गर्म दिनों में मृदा से जल के वाष्पन के कारण ऊपर उठती जलवाष्प वायु को अपेक्षाकृत सघन बना देती है। इससे सूर्य के प्रकाश के परावर्तन के कारण मृदा के ऊपर की वायु हमें कंपदीप्त प्रतीत होती है। मृदा को गरम करने के बाद, इसे क्वथन नली  में से बाहर निकाल लें। इसकी तुलना उस मृदा से करें, जिसे गरम नहीं किया गया हो। दोनों के बीच के अंतर को नोट करें।

9.6 मृदा द्वारा जल का अवशोषण

क्या सभी प्रकार की मृदा समान मात्रा में जल का अवशोषण करती है? आइए, यह जानने के लिए एक क्रियाकलाप करते हैं।

क्रियाकलाप 9.6

प्लास्टिक की एक कीप लीजिए। फ़िल्टर पत्र (अथवा समाचारपत्र के कागज़ का एक टुकड़ा) लेकर उसे मोड़कर चित्र 9.7 के अनुसार कीप में लगा लीजिए। किसी मृदा  के शुष्क पाउडर का 50 ग्राम तौलकर उसे कीप में लगाए  फ़िल्टर पत्र में डालिए। किसी मापन सिलिंडर में जल लेकर उसकी माप नोट कर लीजिए। अब इस जल को बूँद-बूँद करके कीप में रखी मृदा में डालिए। आप इस कार्य के लिए ड्रॉपर का उपयोग भी कर सकते ैं। सारा जल एक ही स्थान पर न गिराकर उसे पूरी मृदा पर डालिए। जल डालना तब तक जारी रखिए, जब तक वह रिसकर कीप से नीचे गिरना आरंभ कर दे। मापन सिलिंडर में बचे जल को मापकर उसे आरंभिक माप में से घटा लें, जिससे आपको मृदा द्वारा धारण किए गए जल का आयतन ज्ञात हो जाएगा। अपने परिणामों को नोटबुक में नोट कीजिए।

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मृदा का द्रव्यमान भार = 50 ग्राम

मापन सिलिंडर में जल का आरंभि आयतन = U mL

मापन सिलिंडर में जल का अंतिम आयतन = V mL

मृदा द्वारा अवशोषित जल का आयतन = (U- V) mL

मृदा द्वारा अवशोषित जल का द्रव्यमान = (U-V) g

(1 mL जल का द्रव्यमान 1 g के बराबर होता है)

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इस क्रियाकलाप को मृदा के विभिन्न नमूनों के साथ दोहराइए। क्या आपको सभी नमूनों के लिए समान परिणाम प्राप्त होते हैं? परिणामों पर अपने मित्रों के साथ चर्चा करिए और निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिएः

  • किस प्रकार की मृदा की अंतःस्रवण दर सबसे अधिक है?
  • किस प्रकार की मृदा की अंतःस्रवण दर सबसे कम है?
  • बूझो ने अपने पड़ोसी से सुना कि वर्षा के 8-10 दिन बाद तालाब अथवा कुँए में जल का स्तर बढ़ जाता है। किस प्रकार की मृदा में जल सबसे कम समय में और सबसे अधिक मात्रा में अंतःस्रावित होकर कुँए तक पहुँचेगा।
  • किस प्रकार की  मृदा सबसे अधिक मात्रा में जल धारण करती है और किस प्रकार की मृदा सबसे कम?
  • क्या आप कोई और विधि बता सकते हैं, जिससे अधिक वर्षा जल अंतःस्रावित होकर भौमजल तक पहुँच जाए।

9.7 मृदा और फसलें

भारत के विभिन्न क्षेत्रों में भिन्न-भिन्न प्रकार की मृदा पाई जाती हैं। कुछ क्षेत्रों में मृण्मय मृदा, कुछ में दुमटी मृदा जबकि कुछ अन्य क्षेत्रों में बलुई मृदा पाई जाती है। 

पवन, वर्षा, ताप, प्रकाश और आर्द्रता द्वारा मृदा प्रभावित होती है। ये कुछ प्रमुख जलवायवी (जलवायु संबंधी) कारक हैं, जो मृदा परिच्छेदिका को प्रभावित करते हैं और मृदा संरचना में परिवर्तन लाते हैं। जलवायवी कारक तथा मृदा के घटक सम्मिलित रूप से किसी क्षेत्र विशेष में उगने वाली वनस्पति तथा फ़सलों की किस्मों का निर्धारण करते हैं।

मृण्मय और दुमटी मृदा  दोनों ही गेहूँ और चने जैसी फ़सलों की खेती के  लिए उपयुक्त होती हैं। एेसी मृदा की जल धारण क्षमता अच्छी होती है। धान के लिए, मृत्तिका एवं जैव पदार्थ से समृद्ध तथा अच्छी जल धारण क्षमता वाली मृदा आदर्श होती हैं। मसूर और अन्य दालों के लिए दुमटी मृदा की आवश्यकता होती है, जिनमें से जल की निकासी आसानीसे हो जाती है। कपास के लिए, बलुई-दुमट अथवा दुमट मृदा अधिक उपयुक्त होती है, जिसमें से जल की निकासी आसानी से हो जाती है और जो पर्याप्त परिमाण में वायु को धारण करती है।

ग्राम (g) और किलोग्राम (kg) वास्तव में द्रव्यमान के मात्रक हैं। एक ग्राम द्रव्यमान की वस्तु का भार 1 ग्राम भार होता है तथा 1 किलोग्राम द्रव्यमान की वस्तु का भार 1 किलोग्राम भार होता है। यद्यपि, दैनिक जीवन में और वाणिज्य और उद्योग में द्रव्यमान और भार के बीच सामान्यतः अंतर नहीं किया जाता है। द्रव्यमान तथा भार में क्या अंतर है यह आप उच्च कक्षा में पढ़ेंगे।

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                                                     चित्र 9.8 मिट्टी के बर्तन बनाना

एक केस अध्ययन


जॉन, रशीदा और राधा मध्य प्रदेश में सोहागपुर नामक स्थान के लीलाधर दादा और संतोष मालवीय के घर गए। लीलाधर दादा सुराही, मटका, कुल्हड़ आदि बनाने के लिए मिट्टी तैयार कर रहे थे (चित्र 9.8)। उन तीनों ने लीलाधर दादा से उनके कार्य के विषय में बातचीत की–

जॉन - आप मिट्टी कहाँ से लाए थे?

दादा - हम किसी बंजर भूमि से काली मिट्टी लाते हैं।

राधा - मिट्टी को कैसे तैयार किया जाता है?

दादा - सूखी मिट्टी को किसी बड़ी टंकी में डालकर उसमें से कंकर, पत्थर आदि बीन लिए जाते हैं। कंकड़, पत्थर हटा देने के बाद मिट्टी को लगभग 8 घंटे के लिए भिगो दिया जाता है। इस मिट्टी में घोड़े की लीद की कुछ मात्रा मिलाकर उसे गूँध लिया जाता है। गूँधी हुई मृदा को चाक पर रखकर उचित (मनचाहा) आकार दे दिया जाता है। किसी वस्तु को अंतिम स्वरूप देने के लिए हाथ का उपयोग किया जाता है। इस प्रकार बनाई गई वस्तुओं को दो से तीन दिन तक सुखाने के बाद उनकी रंगाई की जाती है। शुष्क वायु में सुखाने के बाद सभी वस्तुओं को उच्च ताप पर भट्टी में पकाया जाता है।

रशीदा - मृदा में घोड़े की लीद क्यों मिलायी जाती है?

दादा - पकाने के प्रक्रम में घोड़े की लीद जल जाती है, जिससे मृदा के पात्रों में सूक्ष्म छिद्र रह जाते हैं। इसी कारण मटकों और सुराही में से जल अंतःस्रावित होकर उनकी बाहरी सतह तक आ पाता है। वहाँ से यह वाष्पित हो जाता है, जिससे घड़े या सुराही में रखा जल ठंडा हो जाता है। दादा ने बताया कि सोहागपुर में बनी सुराहियाँ और मटके दूर-दूर तक प्रसिद्ध हैं।

मृदा अपरदन


जल, पवन अथवा बर्फ़ के द्वारा मृदा की ऊपरी सतह का हटना अपरदन कहलाता है। पादपों की जड़ें मृदा को मज़बूती से बाँधे रखती हैं। पादपों की अनुपस्थिति में मृदा ढीली हो जाती है। इससे यह पवन और प्रवाही जल के साथ बह जाती है। मृदा का अपरदन मरुस्थल अथवा बंजर भूमि जैसे स्थानों पर अधिक होता है जहाँ कि सतह पर बहुत कम अथवा कोई वनस्पति नहीं होती है। अतः वृक्षों की कटाई और वनोन्मूलन को रोका जाना चाहिए और हरित क्षेत्रों को बढ़ाने के प्रयास किए जाने चाहिए।


गेहूँ जैसी फ़सलें महीन मृण्मय मृदा में उगाई जाती हैं, क्योंकि वह ह्यूमस से समृद्ध और अत्यधिक उर्वर होती है। अपने शिक्षकों, माता-पिता और अपने क्षेत्र के किसानों से वहाँ की मृदा के  प्रकारों और उगाई जाने वाली फ़सलों के बारे में जानकारी एकत्रित कीजिए। उपलब्ध जानकारी को सारणी 9.2 में लिखिए।

             सारणी 9.2
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धान के रोपण के लिए किस प्रकार की मृदा सबसे उपयुक्त होगी? एेसी मृदा, जिसकी अंतःस्रवण दर अधिक हो अथवा जिसमें यह दर कम हो?

paheli_1अंतःस्रवण दर और जल धारण करने की क्षमता में क्या अंतर होता है?


boojho_012बूझो, लगता है तुमने जो पहले पढ़ा था,उसे भूल गए हो। पाठ को दोबारा पढ़ो तुम्हें उत्तर मिल जाएगा।


प्रमुख शब्द


मृण्मय


ह्यूमस


दुमटी


अंतःस्रवण


आर्द्रता


बलुई


जल धारण


संस्तर-स्थिति


अपरदन


मृदा परिच्छेदिका


मृत्तिका




आपने क्या सीखा

  • मृदा पृथ्वी पर जीवन के लिए महत्त्वपूर्ण है।
  • किसी स्थान की मृदा परिच्छेदिका वहाँ की मृदा की विभिन्न परतों का परिच्छेद होती है। ये परतें संस्तर-स्थिति कहलाती हैं।
  • मृदा विभिन्न प्रकार की होती हैः मृण्मय, दुमटी, बलुई।
  • विभिन्न प्रकार की मृदा में जल की अंतःस्रवण दर भिन्न-भिन्न होती है। यह दर बलुई मृदा में सबसे अधिक और मृण्मय मृदा में सबसे कम होती है।

  • विभिन्न प्रकार की फ़सलों को उगाने के लिए विभिन्न प्रकार की मृदा उपयुक्त होती है। मृत्तिका ( चिकनी  मिट्टी) और दुमट मृदा गेहूँ, चना और धान को उगाने के लिए उपयुक्त है। कपास को बलुई दुमट मृदा में उगाया जाता है।
  • मृदा अपने में जल को रोके रखती है, जिसे मृदा आर्द्रता या मृदा नमी कहते हैं। मृदा की जल को रोके रखने की क्षमता या जल धारण क्षमता विभिन्न फ़सलों के लिए  महत्त्वपूर्ण है।
  • मृत्तिका (चिकनी मिट्टी) का उपयोग बर्तनों, खिलौनों और मूर्तियों को बनाने के लिए किया जाता है।

अभ्यास

प्रश्न 1 और 2 में सबसे उपयुक्त उत्तर को चिह्नित करें।

1. शैल कणों के अतिरिक्त, मृदा में होते हैं

(क) वायु और जल

(ख) जल और पादप

(ग) खनिज, जैव पदार्थ, वायु और जल

(घ) जल, वायु और पादप

2. जल धारण क्षमता सबसे अधिक होती ह

(क) बलुई मृदा में

(ख) मृण्मय मृदा में

(ग) दुमटी मृदा में

(घ) बालू और दुमट के मिश्रण में

3. कॉलम A में दी गई वस्तुओं का कॉलम B में दिए गुणों से मिलान कीजिए-

कॉलम A                                                        कॉलम B

(क) जीवों को आवास देने वाली                         ­ (i) बड़े कण

(ख) मृदा की ऊपरी परत                                   (ii) सभी प्रकार की मृदा

(ग) बलुई मृदा                                                  (iii) गहरे रंग की

(घ) मृदा की मध्य परत                                      (iv) सघन छोटे कण

(च) मृण्मय मृदा                                                (v) ह्यूमस की कम मात्रा

4. समझाइए कि मृदा कैसे बनती है?

5. मृण्मय मृदा किस प्रकार फ़सलों के लिए उपयोगी है?

6. मृण्मय मृदा और बलुई मृदा के बीच अंतर बताइए।

7. मृदा की अनुप्रस्थ काट का चित्र बनाइए और विभिन्न परतों को नामांकित कीजिए।

8. रजिया ने खेत में अंतःस्रवण की दर से संबंधित एक प्रयोग किया। उसने देखा कि उसके द्वारा लिए गए मृदा के नमूने में से 200 mL जल को अंतःस्रवण करने में 40 मिनट लगे। अंतःस्रवण दर परिकलित कीजिए।

9. समझाइए कि मृदा प्रदूषण और मृदा अपरदन को किस प्रकार रोका जा सकता है।

10. निम्नलिखित वर्ग पहेली को दिए गए संकेतों की सहायता से हल कीजिए–
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सीधे

1. इसके बने थैलों के अपशिष्ट से मृदा का प्रदूषण होता है।

2. इस प्रकार की मृदा में सूक्ष्म कणों का अनुपात अपेक्षाकृत अधिक होता है।

4. इस प्रकार की मृदा में सूक्ष्म तथा बड़े कणों की मात्रा लगभग समान होती है।

5. मृदा परिच्छेदिका की परत।

8. वनस्पति न होने पर यह मृदाको उड़ा ले जाती है।

9. इस प्रकार की मृदा  सुवातित एवं शुष्क होती है।

10. किसी मृदा द्वारा पानी को रोकने की क्षमता।

ऊपर से नीचे

2. भूमि की ऊपरी परत, जो पौधों को आधार प्रदान करती है,

3. पवन तथा प्रवाही जल के कारण मृदा पर प्रभाव

6. मृदा में जल के अवशोषण की प्रक्रिया

7. किसी स्थान की मृदा की काट परिच्छेदिका

विस्तारित अधिगम - क्रियाकलाप और परियोजना कार्य

1. बूझो कच्ची और पकी हुई मृदा के बीच के अंतर को जानना चाहता है। पता लगाइए कि मटका बनाने के लिए उपयोग की जाने वाली मृदा मूर्तियाँ बनाने के लिए उपयोग की जाने वाली मृदा से किस प्रकार भिन्न होती है।

2. पहेली चिंतित है। वह अपने घर से ईंट के भट्टे को देख सकती है,  जहाँ ईंटें बनती थी। भट्टी में से बहुत अधिक धुँआ निकलता था। उसे बताया गया था कि पॉटरी, मूर्तियाँ और ईंटें बनाने के लिए सबसे अच्छी गुणवत्ता की चिकनी मिट्टी की आवश्यकता होती है। उसने देखा है कि इमारतों के निर्माण के लिए ट्रक भर-भर कर ईंटें ले जाई जाती हैं। उसे आशंका है कि इस दर से ईंटों का निर्माण करने से यहाँ मिट्टी नहीं बचेगी। क्या उसकी आशंका उचित है? इस समस्या के बारे में अपने माता- पिता शिक्षकों और अपने क्षेत्र के अन्य विशेषज्ञों से चर्चा करके एक रिपोर्ट बनाइए।

3. मृदा के एक नमूने में आर्द्रता की मात्रा का पता लगाने का प्रयास कीजिए। एक विधि नीचे दी गई है।

क्रियाकलापः 100 ग्राम मृदा लीजिए (मृदा को तौलने के लिए किसी दुकानदार से सहायता लें)। इसे धूप में एक समाचारपत्र पर फैलाकर रख दें और दो घंटे तक सूखने दें। इस क्रियाकलाप को दोपहर में करना सबसे अच्छा रहेगा। ध्यान रखें कि मृदा, समाचारपत्र से बाहर न गिरे। इसे सुखाने के बाद पुनः इसको तौलिए। सुखाने से पहले और उसके बाद मृदा के भार में अंतर से आपको 100 ग्राम मृदा में आर्द्रता या नमी की मात्रा मालूम हो जाएगी। इसे आर्दΡता की प्रतिशत मात्रा भी कहते हैं।

मान लीजिए कि शुष्कन के बाद मृदा के नमूने का भार 10 ग्राम कम हो गया, तो

C91

इस उदाहरण में,

C92

क्या आप जानते हैं?

उत्तर भारत की अनेक नदियाँ हिमालय क्षेत्र से निकलकर मैदानी क्षेत्र की ओर बहती हैं। ये नदियाँ अपने साथ अनेक प्रकार के पदार्थ लाती हैं, जिनमें गाद, मृत्तिका (चिकनी  मिट्टी), बालू और बजरी सम्मिलित हैं। इन पदार्थों के मिश्रण को जलोढ़ मृदा कहते हैं। उत्तर भारत के मैदानों में नदियाँ अपने साथ लाई गई जलोढ़ मृदा को निक्षेपित कर देती हैं। यह मृदा बहुत उर्वर होती है। इसी कारण इस क्षेत्र की कृषि उपज भारत की लगभग आधी जनसंख्या को खाद्यान्न उपलब्ध कराती है।