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14. विद्युत धारा और इसके प्रभाव
आपने कक्षा 6 के अध्याय 12 में सुझाए गए खेल "आपका हाथ कितना स्थिर है?" को खेलने का प्रयास किया होगा। यदि नहीं, तो अब आप इसे करके देखिए। बूझो तथा पहेली ने भी कक्षा 6 में सुझाए अनुसार खेल के लिए एक विद्युत परिपथ संयोजित किया। उन्होंने अपने परिवार और मित्रों के साथ परीक्षण करके काफ़ी मनोरंजन किया। उन्हें इस खेल में इतना आनन्द आया कि उन्होंने यह निश्चय किया कि वे दूसरे शहर में रहने वाले चचेरे भाई को इस खेल को खेलने का सुझाव देंगे। अतः पहेली ने एक स्वच्छ चित्र बनाया और उसमें यह दर्शाया कि विविध विद्युत अवयवों को कैसे संयोजित किया जाना है (चित्र 14.1)।
चित्र 14.1 ‘‘आपका हाथ कितना स्थिर है?’’ के परीक्षण की व्यवस्था
क्या आप यह परिपथ आसानी से खींच सकते हैं? इससे बूझो ने यह जानना चाहा कि क्या इन विद्युत अवयवों को निरूपित करने का कोई आसान उपाय है।
14.1 विद्युत अवयवों के प्रतीक
कुछ सामान्य विद्युत अवयवों को प्रतीकों द्वारा निरूपित किया जा सकता है। सारणी 14.1 में कुछ विद्युत अवयवों और उनके प्रतीक दर्शाए गए हैं। आपको विभिन्न पुस्तकों में इन अवयवों के विभिन्न प्रतीक देखने को मिल सकते हैं। तथापि, इस पुस्तक में हम यहाँ पर दर्शाए गए प्रतीकों का ही उपयोग करेंगे।
इन प्रतीकों को ध्यानपूर्वक देखिए। विद्युत सेल के प्रतीक पर ध्यान दीजिए– इसमें एक लंबी रेखा तथा दूसरी छोटी, परंतु मोटी समांतर रेखा है। क्या आपको याद है कि विद्युत सेल में एक धन टर्मिनल तथा एक ऋण टर्मिनल होता है? विद्युत सेल के प्रतीक में लंबी रेखा धन टर्मिनल को तथा छोटी व मोटी रेखा ऋण टर्मिनल को निरूपित करती है।
स्विच के लिए ‘अॉन’ स्थिति तथा ‘अॉफ’ स्थिति चित्र में दर्शाए गए प्रतीकों के अनुसार निरूपित की जाती है। परिपथ के विविध अवयवों को संयोजित करने में उपयोग होने वाले संयोजक तार, रेखाओं द्वारा निरूपित किए जाते हैं।
सारणी 14.1 में एक बैटरी तथा उसका प्रतीक भी दर्शाया गया है। क्या आप जानते हैं कि बैटरी क्या होती है? बैटरी के प्रतीक को ध्यान से देखिए। क्या अब आप बता सकते हैं कि बैटरी क्या हो सकती है? कुछ क्रियाकलापों के लिए हमें एक से अधिक सेलों की आवश्यकता हो सकती है। अतः, हम चित्र 14.2 में दर्शाए अनुसार दो या अधिक सेलों को एक साथ उपयोग करते हैं। ध्यान दीजिए, एक सेल का धन टर्मिनल दूसरे सेल के ऋण टर्मिनल से संयोजित किया जाता है। दो या अधिक सेलों के इस प्रकार के संयोजन को बैटरी कहते हैं।
सारणी 14.1 विद्युत परिपथ के कुछ अवयवों के प्रतीक
चित्र 14.2 (a) दो सेलों की बैटरी, (b) चार सेलों की बैटरी
टॉर्च, ट्रॉज़िस्टर, रेडियो, खिलौने, टीवी रिमोट कंट्रोल जैसी कई युक्तियों में बैटरी उपयोग की जाती हैं। तथापि, इनमें से कुछ युक्तियों में विद्युत सेलों को सदैव ही चित्र 14.2 में दर्शाए अनुसार एक के बाद दूसरे को नहीं रखा जाता है। कभी-कभी सेलों को एक के साथ दूसरे से सटा कर रखा जाता है। तब फिर सेलों के टर्मिनलों को किस प्रकार संयोजित करते हैं? किसी भी युक्ति के बैटरी वाले खाने को ध्यान से देखिए। प्रायः इसमें एक मोटा तार अथवा धातु की पत्ती होती है, जो एक सेल के धन टर्मिनल को दूसरे सेल के ऋण टर्मिनल से जोड़ती है (चित्र 14.3)। बैटरी के खानों में सेलों को सही ढंग से रखने के उद्देश्य से आपकी सहायता के लिए प्रायः इन पर ‘+’ तथा ‘-’ चिह्न अंकित होते हैं।
चित्र 14.3 बैटरी बनाने के लिए दो सेलों को एक साथ संयोजित करना
अपने क्रियाकलापों के लिए बैटरी बनाते समय हम सेलों को कैसे संयोजित कर सकते हैं? आप चित्र 14.4 में दर्शाए अनुसार लकड़ी के एक गुटके, लोहे की दो पत्तियों तथा रबड़ के छल्लों का उपयोग करके एक सेल होल्डर बना सकते हैं। यह आवश्यक है कि रबड़ के छल्ले धातु की पत्तियों को कसकर जकड़े रखें।
चित्र 14.4 सेल होल्डर
दो या अधिक सेलों की बैटरियाँ बनाने के लिए आप सेल होल्डर बाज़ार से भी खरीद सकते हैं। इनमें सेलों को उचित ढंग से इस प्रकार व्यवस्थित कीजिए कि एक सेल का धन टर्मिनल दूसरे सेल के ऋण टर्मिनल से संयोजित हो। चित्र 14.5 में दर्शाए अनुसार सेल होल्डर की धातु की दो क्लिपों में प्रत्येक के साथ तार का एक टुकड़ा संयोजित कीजिए। आपकी बैटरी उपयोग के लिए तैयार है।
चित्र 14.5 एक और प्रकार का सेल होल्डर
किसी बैटरी को निरूपित करने के लिए उपयोग किया जाने वाला प्रतीक, सारणी 14.1 में दर्शाया गया है।
आइए, अब हम सारणी 14.1 में दर्शाए गए प्रतीकों का उपयोग करके किसी विद्युत परिपथ का परिपथ आरेख खीचें।
क्रियाकलाप 14.1
चित्र 14.7 में दर्शाए अनुसार विद्युत परिपथ बनाइए। आपने कक्षा 6 में इस प्रकार के परिपथ का उपयोग एक बल्ब को दीप्त करने के लिए किया था। क्या आपको याद है कि बल्ब केवल तभी दीप्त होता है, जब स्विच ‘अॉन’ की स्थिति में होता है। जैसे ही स्विच ‘अॉन’ की स्थिति में पहुँचता है, वैसे ही बल्ब दीप्त हो जाता है।
चित्र 14.7 एक विद्युत परिपथ
पहेली तथा बूझो यह जानना चाहते हैं कि क्या ट्रैक्टरों, ट्रकों तथा इनवर्टर में उपयोग होने वाली बैटरियाँ भी सेलों से बनी हैं। तब फिर इन्हें बैटरी क्यों कहते हैं? क्या आप इस प्रश्न का उत्तर पता लगाने में इनकी सहायता कर सकते हैं?
चित्र 14.6 ट्रक की बैटरी तथा इसका काट-चित्र
इस विद्युत परिपथ की प्रतिलिपि अपनी नोट बुक में बनाइए। विविध विद्युत अवयवों के प्रतीकों का उपयोग करके इस विद्युत परिपथ का परिपथ आरेख खींचिए।
क्या आपका आरेख चित्र 14.8 में दर्शाए गए आरेख जैसा ही है?
चित्र 14.8 चित्र 14.7 में दर्शाए गए विद्युत परिपथ का परिपथ आरेख
प्रतीकों का उपयोग करके विद्युत परिपथ आरेख खींचना काफ़ी आसान होता है। इसलिए, सामान्यतः हम विद्युत परिपथों को परिपथ आरेखों से निरूपित करते हैं।
चित्र 14.9 द्वारा एक अन्य विद्युत परिपथ आरेख दर्शाया गया है। क्या यह चित्र 14.8 में दर्शाए गए परिपथ जैसा ही है? इन दोनों परिपथों में क्या अंतर है?
चित्र 14.9 अन्य परिपथ आरेख
क्या चित्र 14.9 में दिखाए गए विद्युत परिपथ में बल्ब दीप्त होगा? याद कीजिए बल्ब केवल तभी दीप्त होता है, जब स्विच ‘अॉन’ की स्थिति में हो तथा परिपथ बन्द हो।
बल्ब में एक पतला तार होता है, जिसे तन्तु अथवा फिलामेन्ट कहते हैं। यह तभी दीप्त होता है, जब इससे विद्युत धारा प्रवाहित होती है। यदि बल्ब का तंतु टूट जाता है तो वह फ्यूज़ हो जाता है।
यदि बल्ब का तंतु टूट जाए, तो क्या तब भी परिपथ पूरा होगा? क्या तब भी बल्ब दीप्त होगा?
आपने यह ध्यान दिया होगा कि दीप्त बल्ब गरम हो जाता है। क्या आप जानते हैं, एेसा क्यों होता है?
ध्यान दीजिए, कुंजी अथवा स्विच को परिपथ में कहीं पर भी लगाया जा सकता है।
जब स्विच ‘अॉन’ की स्थिति में होता है, तो बैटरी के धन टर्मिनल से बैटरी के ऋण टर्मिनल तक परिपथ पूरा होता है। परिपथ को तब बन्द कहा जाता है तथा सारे परिपथ में तुरन्त विद्युत धारा प्रवाहित होने लगती है।
जब स्विच ‘अॉफ’ की स्थिति में होता है, तो परिपथ अधूरा होता है। तब इसे खुला परिपथ कहते हैं। इस स्थिति में परिपथ के किसी भी भाग में कोई विद्युत धारा प्रवाहित नहीं होती है।
चेतावनी
विद्युत मेंस से संयोजित दीप्त विद्युत बल्ब को कभी न छुएँ। यह अत्यधिक तप्त हो सकता है तथा आपका हाथ जल सकता है। विद्युत मेंस, विद्युत जनित्र अथवा इनवर्टर की विद्युत आपूर्ति से कभी भी छेड़छाड़ न करें। आपको विद्युत आघात लग सकता है, जो घातक हो सकता है। यहाँ सुझाए गए सभी क्रियाकलापों के लिए केवल विद्युत सेलों का ही उपयोग कीजिए।
14.2 विद्युत धारा का तापीय प्रभाव
क्रियाकलाप 14.2
एक विद्युत सेल, एक टॉर्च बल्ब, एक स्विच तथा संयोजक तार लीजिए। चित्र 14.9 में दर्शाए अनुसार एक विद्युत परिपथ बनाइए। यह क्रियाकलाप केवल एक सेल का उपयोग करके किया जाना है। स्विच को ‘अॉफ’ की स्थिति में रखिए। क्या बल्ब दीप्त होता है? बल्ब को छूकर देखिए। अब स्विच को ‘अॉन’ की स्थिति में लाइए और बल्ब को एक मिनट अथवा कुछ अधिक समय तक दीप्त रहने दीजिए। बल्ब को फिर छूकर देखिए। क्या आप कोई अंतर अनुभव करते हैं? स्विच को ‘अॉफ’ की स्थिति में लाकर कुछ समय पश्चात् फिर से बल्ब को छूकर देखिए।
क्रियाकलाप 14.3
चित्र 14.10 में दर्शाए अनुसार विद्युत परिपथ बनाइए। लगभग 10 cm लम्बा नाइक्रोम तार का एक टुकड़ा लेकर, इसे दो कीलों के बीच बाँधिए (आपको नाइक्रोम का तार विद्युत साधित्रों की मरम्मत करने वाली किसी दुकान से प्राप्त हो सकता है अथवा आप किसी विद्युत हीटर के बेकार तापन अवयव का तार उपयोग में ला सकते हैं)। इस तार को स्पर्श कीजिए। अब स्विच को ‘अॉन’ की स्थिति में लाकर परिपथ में विद्युत धारा प्रवाहित कीजिए। कुछ सेकंड के पश्चात् तार को स्पर्श कीजिए (इसे अधिक समय तक पकड़े मत रखिए)। परिपथ में विद्युत धारा बंद कीजिए। कुछ मिनटों के पश्चात् तार को पुनः स्पर्श कीजिए।
सावधान
स्विच को ‘अॉन’ की स्थिति में अधिक समय तक न रखें, एेसा करने से सेल अति शीघ्र दुर्बल हो सकता है।
चित्र 14.10
जब किसी तार से कोई विद्युत धारा प्रवाहित होती है, तो वह तप्त हो जाता है। इसे विद्युत धारा का तापीय प्रभाव कहते हैं। क्या आप किसी एेसे विद्युत साधित्र का नाम बता सकते हैं, जिसमें विद्युत धारा के तापीय प्रभाव का उपयोग होता है। एेसे साधित्रों की एक सूची बनाइए।
आपने कमरों को गर्म करने अथवा खाना पकाने में उपयोग होने वाले विद्युत तापक देखे होंगे [चित्र 14.11 (a)]। इन सभी में तारों की एक कुंडली होती है। तार की इस कुंडली को विद्युत तापन अवयव (अथवा केवल अवयव या एलीमेंट) कहते हैं। आपने यह ध्यान दिया होगा कि जब इन साधित्रों को विद्युत मेंस से संयोजित करके स्विच को ‘अॉन’ की स्थिति में लाते हैं, तो इनके अवयव रक्त तप्त होकर ऊष्मा देने लगते हैं।
चित्र 14.11 (a) खाना पकाने में उपयोग आने वाला कोई विद्युत तापक (हीटर)
किसी तार में उत्पन्न ऊष्मा का परिमाण उस तार के पदार्थ (की धातु जिससे यह बना है), लंबाई तथा मोटाई पर निर्भर करता है। अतः विभिन्न आवश्यकताओं के लिए विभिन्न पदार्थों तथा विभिन्न लंबाई एवं मोटाई के तार उपयोग किए जाते हैं।
चित्र 14.12 विद्युत बल्ब का दीप्त तंतु
बूझो, विद्युत इस्त्री का अवयव नहीं देख पाया। पहेली ने उसे बताया कि निमज्जन तापक (इमर्शन हीटर), हॉट प्लेट, विद्युत इस्त्री, गीज़र, विद्युत केतली, हेयर ड्रायर जैसे विद्युत साधित्रों में अवयव के ऊपर आवरण होता है। क्या आपने किसी विद्युत साधित्र का अवयव देखा है?
चित्र 14.11 (b) विद्युत इस्त्री का तापन अवयव
यदि किसी तार से बड़े परिमाण की विद्युत धारा प्रवाहित होती है, तो तार इतना अधिक तप्त हो सकता है कि वह पिघलकर टूट जाएगा। परंतु क्या यह संभव है कि कोई तार पिघलकर टूट जाए? आइए, इसका परीक्षण करें
क्रियाकलाप 14.4
जिस विद्युत परिपथ का उपयोग हमने क्रियाकलाप 14.3 में किया था, उसे फिर से बनाइए। परंतु इस बार सेल के स्थान पर चार सेलों की बैटरी का उपयोग कीजिए। साथ ही, नाइक्रोम तार के स्थान पर इस्पात ऊर्ण (स्टील वूल) का तार (या पतली लड़ी) बाँधिए (इस्पात ऊर्ण के जूने का उपयोग प्रायः रसोईघरों में बर्तनों को साफ़ करने में होता है तथा यह किराने की दुकानों पर उपलब्ध होता है)। यदि कमरे में विद्युत पंखा चल रहा हो, तो उसका स्विच ‘अॉफ’ कर दीजिए। कुछ समय के लिए परिपथ से विद्युत धारा प्रवाहित करिए। इस्पात ऊर्ण के तार अथवा लड़ी का ध्यान से प्रेक्षण कीजिए। नोट कीजिए, क्या होता है। क्या इस्पात ऊर्ण का तार या लड़ी पिघलकर टूटती है?
प्रकाश उत्पन्न करने के लिए तापदीप्त बल्बों का प्रायः उपयोग होता है, लेकिन यह ऊष्मा भी देता है। इसका अर्थ यह है कि प्रयुक्त विद्युत का एक भाग ऊष्मा उत्पन्न करने में व्यय होता है। यह वांछनीय नहीं है, क्योंकि इससे विद्युत की क्षति होती है। प्रतिदीप्त नलिकायें (.फ्लोरोसेंट ट्यूब-लाइट) तथा संहत प्रतिदीप्त लैंप (CFLs) इनसे बेहतर दक्ष प्रकाश स्रोत हैं। आजकल प्रकाश उत्सर्जक डायोड (LED) बल्बों का उपयोग बढ़ रहा है। एक निश्चित तीव्रता का प्रकाश उत्पन्न करने के लिए, तापदीप्त बल्बों, प्रतिदीप्त नलिकाओं तथा संहत प्रतिदीप्त लैंपों की तुलना में LED बल्ब विद्युत का कम उपयोग करते हैं। इस प्रकार LED बल्ब बहुत ही विद्युत दक्ष हैं और इसीलिए इन्हें प्राथमिकता दी जा रही है।
चित्र 14.13 विद्युत बल्ब, ट्यूब-लाइट, सीएफएल तथा एलईडी
एेसे विद्युत साधित्र तथा गैजेट को प्रयोग करने की सलाह दी जाती है जो विद्युत दक्ष हों। भारतीय मानक ब्यूरो, नयी दिल्ली उत्पादों को मानक चिन्ह प्रदान करता है, जिसे मार्क कहते हैं जो कि उत्पादों पर दिए गये विनिर्देशों की अनुरूपता का आश्वासन देता है।
नोटः प्रतिदीप्त नलिकाओं तथा सीएफएल में पारे का वाष्प होता है जो कि विषैला होता है। अतः खराब प्रतिदीप्त नलिकाओं तथा सीएफएल का निपटारा सावधानीपूर्वक किया जाना चाहिए।
चित्र 14.14 विद्युत साधित्रों में उपयोग होने वाले फ्यूज़
कुछ विशेष पदार्थों के बने तारों से जब अधिक विद्युत धारा प्रवाहित होती है, तब वे शीघ्र ही पिघलकर टूट जाते हैं। इन तारों का उपयोग विद्युत फ़्यूज़ बनाने में किया जाता है (चित्र 14.14)। सभी भवनों में प्रत्येक विद्युत परिपथ में फ़्यूज़ लगाए जाते हैं। प्रत्येक विद्युत परिपथ में से प्रवाहित की जा सकने वाली विद्युत धारा की कोई अधिकतम सीमा होती है, जिसे उसमें से सुरक्षापूर्वक प्रवाहित किया जा सकता है। यदि किसी दुर्घटनावश विद्युत धारा का मान इस सुरक्षा सीमा से अधिक हो जाता है, तो तार अतितप्त हो सकते हैं, जिससे आग लग सकती है। यदि परिपथ में उचित फ़्यूज़ लगा है, तो यह पिघल जाएगा, जिससे परिपथ टूट जाएगा। अतः फ़्यूज़ सुरक्षा युक्ति है, जो विद्युत परिपथ की क्षति तथा संभावित आग के प्रति सुरक्षा प्रदान करता है।
सावधान
कभी भी मुख्य परिपथ से संयोजित विद्युत फ़्यूज़ की स्वयं जाँच-पड़ताल करने का प्रयास नहीं करना चाहिए। तथापि आप विद्युत परिपथों की मरम्मत करने वाली दुकान पर जाकर बेकार हो गए फ़्यूज़ों की नए फ़्यूज़ से तुलना कर सकते हैं।
विद्युत परिपथों में अत्यधिक विद्युत धारा प्रवाहित होने का एक कारण विद्युत तारों में परस्पर सीधा संपर्क हो जाना होता है। एेसा टूट-फूट अथवा तारों के विद्युत रोधन के हटने के कारण हो सकता है। इससे लघुपथन (शॉर्ट सर्किट) हो सकता है। अत्यधिक धारा प्रवाहित होने का एक कारण एक ही सॉकेट से कई युक्तियों को संयोजित करना हो सकता है। इससे परिपथ में अतिभारण हो सकता है। आपने समाचार पत्रों में अतिभारण तथा लघुपथन के कारण लगने वाली आगों के बारे में पढ़ा होगा।
विभिन्न प्रकार के कार्यों के लिए भिन्न-भिन्न प्रकार के फ़्यूज़ उपयोग किए जाते हैं। चित्र 14.14 में हमारे घरों में उपयोग होने वाले फ़्यूज़ दर्शाए गए हैं। चित्र 14.15 में दर्शाए गए फ़्यूज़ों का व्यापक उपयोग विद्युत साधित्रों में किया जाता है।
हमने विद्युत धारा के तापीय प्रभाव का प्रेक्षण किया और इसका अपने लाभ के लिए उपयोग कैसे करें, इसके बारे में सीखा। क्या विद्युत धारा के अन्य प्रभाव भी हैं?
चित्र 14.15 विद्युत फ्यूज़ तथा फ्यूज़ होल्डर
आजकल फ्यूज़ के स्थान पर लघु परिपथ विच्छेदकों (MCBs) का उपयोग निरन्तर बढ़ता जा रहा है। जब किसी परिपथ में विद्युत धारा सुरक्षा सीमा से अधिक हो जाती है, तो ये एेसे स्विच होते हैं, जो स्वतः ही ‘अॉफ’ हो जाते हैं। आप इन्हें फिर से ‘अॉन’ कर दें, तो परिपथ पुनः पूरा हो जाता है। डब्बे पर भी ISI चिह्न अवश्य देखिए।
चित्र 14.16 लघु परिपथ विच्छेदक
सावधान
सदैव ISI चिह्न वाले उचित फ़्यूज़ों, जिनका उल्लेख किसी विशेष अनुप्रयोग के लिए किया गया हो, का ही उपयोग करना चाहिए। फ़्यूज़ के स्थान पर किसी भी तार अथवा धातु की पट्टी का उपयोग कदापि नहीं करना चाहिए।
14.3 विद्युत धारा का चुंबकीय प्रभाव
क्रियाकलाप 14.5
उपयोग की जा चुकी माचिस की डिब्बी की कार्ड बोर्ड ट्रे लीजिए। इसके चारों ओर विद्युत तार के कुछ फेरे लपेटिए। ट्रे के भीतर एक छोटी चुम्बकीय सुई रखिए। अब इस तार के स्वतंत्र सिरों को चित्र 14.17 में दर्शाए अनुसार स्विच से होते हुए विद्युत सेल से संयोजित कीजिए।
इस प्रक्रिया को कई बार दोहराइए। यह प्रयोग क्या संकेत देता है?
चित्र 14.17 विद्युत धारा का चुंबकीय सुई पर प्रभाव
हम जानते हैं कि चुंबकीय सुई एक लघु चुंबक होती है, जो उत्तर-दक्षिण दिशा की ओर संकेत करती है। जब हम कोई चुम्बक इसके निकट लाते हैं, तो सुई विक्षेपित हो जाती है। हमने यह भी देखा कि जब चुंबकीय सुई के निकट रखे तार में विद्युत धारा प्रवाहित होती है, तब भी सुई विक्षेपित होती है। क्या आप इन दोनों प्रेक्षणों में कोई संबंध स्थापित कर सकते हैं? क्या किसी तार में विद्युत धारा प्रवाहित करने पर वह तार चुम्बक की भाँति व्यवहार करता है?
चित्र 14.18 हैंस क्रिश्चियन अॉर्स्टेड
इसी प्रकार के प्रेक्षण ने हैंस क्रिश्चियन अॉर्स्टेड नामक वैज्ञानिक को भी आश्चर्यचकित किया
(चित्र 14.18)। वे एेसे पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने यह देखा कि जब भी किसी तार से विद्युत धारा प्रवाहित
होती है, तो उसके पास रखी चुंबकीय सुई में विक्षेप होता है।
अतः जब किसी तार से विद्युत धारा प्रवाहित होती है, तो वह चुंबक की भाँति व्यवहार करता है। इसे विद्युत धारा का चुंबकीय प्रभाव कहते हैं। वास्तव में, विद्युत धारा का उपयोग चुंबकों के निर्माण में किया जाता है। क्या यह आपको आश्चर्यजनक नहीं लगता? आइए, इसे करके देखते हैं।
14.4 विद्युत चुंबक
क्रियाकलाप 14.6
लोहे की लगभग 6-10 cm लंबी एक कील तथा लगभग 75 cm लंबा विद्युतरोधी (प्लास्टिक अथवा कपड़े से ढ़का हुआ अथवा इनैमल लेपित) लचीला तार लीजिए। इस तार को कुंडली के रूप में कील पर कसकर लपेटिए। तार के स्वतंत्र सिरों को किसी स्विच से होते हुए चित्र 14.19 में दर्शाए अनुसार, एक विद्युत सेल से संयोजित कीजिए।
चित्र 14.19 विद्युत चुम्बक
उपरोक्त क्रियाकलाप में विद्युत धारा प्रवाहित करने पर कुंडली, चुंबक की भाँति व्यवहार करती है। जब विद्युत धारा का प्रवाह समाप्त हो जाता है, तो कुंडली का चुंबकत्व सामान्यतः नष्ट हो जाता है। इस प्रकार की कुंडली को विद्युत चुंबक कहते हैं। विद्युत चुंबकों को अति प्रबल बनाया जा सकता है। ये अत्यन्त भारी बोझ उठा सकते हैं। क्या आपको कक्षा 6 के अध्याय 13 में दिखाए, क्रेन के चित्र की याद है? इस प्रकार की क्रेनों के एक सिरे पर प्रायः एक प्रबल विद्युत चुंबक लगा होता है। विद्युत चुंबकों का उपयोग कबाड़ से चुंबकीय पदार्थों को पृथक् करने के लिए भी किया जाता है। डॉक्टर दुर्घटनावश आँख में गिरे चुंबकीय पदार्थ के छोटे टुकड़ों को बाहर निकालने में नन्हें विद्युत चुंबकों का उपयोग करते हैं। बहुत से खिलौनों के भीतर भी विद्युत चुंबक लगे होते हैं।
याद रखिए, इस क्रियाकलाप में एक बार में कुछ सेकंड से अधिक समय तक विद्युत धारा प्रवाहित नहीं करनी है। यदि परिपथ को संयोजित छोड़ दें, तो सेल शीघ्र ही दुर्बल हो जाता है।
14.5 विद्युत घंटी
हम सभी विद्युत घंटी से भली-भाँति परिचित हैं। इसमें एक विद्युत चुंबक होता है। आइए, देखें विद्युत घंटी कैसे कार्य करती है।
चित्र 14.20 विद्युत घंटी का मॉडल और उसका परिपथ
चित्र 14.20 में एक विद्युत घंटी का विद्युत परिपथ दर्शाया गया है। इसमें लोहे के टुकड़े पर ताँबे के तार की कुंडली लिपटी होती है। विद्युत चुंबक के निकट लोहे की एक पत्ती लगी होती है, जिसके एक सिरे से हथौड़ा जुड़ा होता है। लोहे की पत्ती के समीप एक संपर्क पेंच होता है। जब लोहे की पत्ती इस पेंच के संपर्क में आती है, तो विद्युत परिपथ पूरा हो जाता है तथा कुंडली से विद्युत धारा प्रवाहित होती है, जिससे वह विद्युत चुंबक बन जाती है। तब यह लोहे की पत्ती को अपनी ओर खींचती है। इस प्रक्रिया में पत्ती के सिरे से जुड़ा हथौड़ा घंटी से टकराता है और ध्वनि उत्पन्न होती है। परंतु, जब विद्युत चुंबक लोहे की पत्ती को अपनी ओर खींचता है, तो यह परिपथ को भी तोड़ देता है। इससे कुंडली से विद्युत धारा का प्रवाह समाप्त हो जाता है। क्या कुंडली अब भी विद्युत चुंबक बनी रहती है?
अब कुंडली विद्युत चुंबक नहीं होती। यह लोहे की पत्ती को भी अपनी ओर नहीं खींचती है। लोहे की पत्ती अपनी मूल स्थिति में आकर पुनः संपर्क पेंच से स्पर्श करती है। इससे परिपथ फिर से पूरा हो जाता है। कुंडली से पुनः विद्युत धारा प्रवाहित होती है तथा हथौड़ा पुनः घंटी से टक्कर मारता है। यह प्रक्रिया अति शीघ्रता से दोहराई जाती है। हर बार परिपथ पूरा होने पर हथौड़ा घंटी से टकराता है और इस प्रकार विद्युत घंटी बजती है।
आपने क्या सीखा
विद्युत अवयवों को उनके प्रतीकों द्वारा निरूपित करना सुविधाजनक होता है।
इनका उपयोग करके किसी विद्युत परिपथ को परिपथ आरेख द्वारा निरूपित किया जा सकता है।
जब किसी तार से कोई विद्युत धारा प्रवाहित होती है, तो वह तार तप्त हो जाता है। यह विद्युत धारा का तापीय प्रभाव कहलाता है। इस प्रभाव के बहुत से अनुप्रयोग हैं।
कुछ विशेष पदार्थों के बने तारों में से जब उच्च विद्युत धारा प्रवाहित होती है, तो वे गर्म होने से पिघलकर टूट जाते हैं। इन पदार्थों का उपयोग विद्युत फ़्यूज़ के निर्माण में किया जाता है, जो विद्युत परिपथों को क्षति तथा आग से बचाते हैं।
जब किसी तार से विद्युत धारा प्रवाहित होती है, तो वह चुम्बक की भाँति व्यवहार करता है। इसे विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव कहते हैं।
लोहे के किसी टुकड़े पर विद्युतरोधी तार से लिपटी विद्युत धारावाही कुंडली को विद्युत चुंबक कहते हैं।
विद्युत चुंबक बहुत-सी युक्तियों में उपयोग किए जाते हैं।
अभ्यास
1. विद्युत परिपथों के निम्नलिखित अवयवों को निरूपित करने वाले प्रतीक अपनी नोटबुक पर खींचिएः संयोजक तार, स्विच ‘अॉफ’ की स्थिति में, विद्युत बल्ब, विद्युत सेल, स्विच ‘अॉन’ की स्थिति में तथा बैटरी
चित्र 14.21
2. चित्र 14.21 में दर्शाए गए विद्युत परिपथ को निरूपित करने के लिए परिपथ आरेख खींचिए।
3. चित्र 14.22 में चार सेल दिखाए गए हैं। रेखाएँ खींचकर यह निर्दिष्ट कीजिए कि चार सेलों के टर्मिनलों को तारों द्वारा संयोजित करके आप बैटरी कैसे बनाएँगे?
चित्र 14.22
4. चित्र 14.23 में दर्शाए गए परिपथ में बल्ब दीप्त नहीं हो पा रहा है। क्या आप इसका कारण पता लगा सकते हैं? परिपथ में आवश्यक परिवर्तन करके बल्ब को प्रदीप्त कीजिए।
चित्र 14.23
5. विद्युत धारा के किन्हीं दो प्रभावों के नाम लिखिए।
6. जब किसी तार से धारा प्रवाहित करने के लिए स्विच को ‘अॉन’ करते हैं, तो तार के निकट रखी चुंबकीय सुई अपनी उत्तर-दक्षिण स्थिति से विक्षेपित हो जाती है। स्पष्ट कीजिए।
7. यदि चित्र 14.24 में दर्शाए गए विद्युत परिपथ में स्विच को ‘अॉफ’ किया जाए, तो क्या चुंबकीय सुई विक्षेप दर्शाएगी?
चित्र 14.24
8. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिएः
(क) विद्युत सेल के प्रतीक में लंबी रेखा, उसके --------------- टर्मिनल को निरूपित करती है।
(ख) दो या अधिक विद्युत सेलों के संयोजन को --------------- कहते हैं।
(ग) जब किसी विद्युत हीटर के स्विच को ‘अॉन’ करते हैं, तो इसका --------------- रक्त तप्त (लाल) हो जाता है।
(घ) विद्युत धारा के तापीय प्रभाव पर आधारित सुरक्षा युक्ति को --------------- कहते हैं।
9. निम्नलिखित कथनों पर सत्य अथवा असत्य अंकित कीजिएः
(क) दो सेलों की बैटरी बनाने के लिए एक सेल के ऋण टर्मिनल को दूसरे सेल के ऋण टर्मिनल से संयोजित करते हैं। (सत्य/असत्य)
(ख) जब किसी ़फ्यूज़ में से किसी निश्चित सीमा से अधिक विद्युत धारा प्रवाहित होती है, तो वह पिघलकर टूट जाता है। (सत्य/असत्य)
(ग) विद्युत चुंबक, चुंबकीय पदार्थों को आकर्षित नहीं करता। (सत्य/असत्य)
(घ) विद्युत घंटी में विद्युत चुंबक होता है। (सत्य/असत्य)
10. क्या विद्युत चुंबक का उपयोग किसी कचरे के ढेर से प्लास्टिक को पृथक् करने के लिए किया जा सकता है? स्पष्ट कीजिए।
11. मान लीजिए कि कोई विद्युत मिस्त्री आपके घर के विद्युत परिपथ में कोई मरम्मत कर रहा है। वह ताँबे के एक तार को ़फ्यूज़ के रूप में उपयोग करना चाहता है। क्या आप उससे सहमत होंगे? अपने उत्तर के लिए कारण दीजिए।
12. ज़ुबैदा ने चित्र 14.4 में दर्शाए अनुसार एक सेल होल्डर बनाया तथा इसे एक स्विच और एक बल्ब से जोड़कर कोई विद्युत परिपथ बनाया। जब उसने स्विच को ‘अॉन’ की स्थिति में किया, तो बल्ब दीप्त नहीं हुआ। परिपथ में संभावित दोष को पहचानने में ज़ुबैदा की सहायता कीजिए।
13. चित्र 14.25 में दर्शाए गए विद्युत परिपथ में–
(क) जब स्विच ‘अॉफ’ की स्थिति में है, तो क्या कोई भी बल्ब दीप्त होगा?
(ख) जब स्विच को ‘अॉन’ की स्थिति में लाते हैं, तो बल्बों A,B तथा C के दीप्त होने का क्रम क्या होगा?
पहेली तथा बूझो ने कुछ दिन पहले एक जादू का खेल देखा था। जादूगर ने स्टैण्ड पर लोहे का एक बॉक्स रखा। फिर उसने बूझो को बुलाकर उससे बॉक्स को उठाने के लिए कहा। बूझो ने बॉक्स को आसानी से उठा लिया। अब उस जादूगर ने कुछ बुदबुदाते हुए बॉक्स पर छड़ी घुमाकर अपना करतब दिखाना शुरू किया। उसने पुनः बूझो से बॉक्स को उठाने के लिए कहा। इस बार तो बूझो उसे हिला भी नहीं सका। जादूगर फिर कुछ बुदबुदाया और बूझो ने बॉक्स को आसानी से उठा लिया।
बूझो और पहेली सहित सभी दर्शक इस प्रदर्शन से अत्यधिक प्रभावित थे और यह समझ रहे थे कि जादूगर के पास कोई अलौकिक शक्ति है। परन्तु इस अध्याय को पढ़ने के पश्चात् पहेली यह सोच रही है कि क्या वास्तव में इस युक्ति में कोई जादू था अथवा इसमें कोई विज्ञान सम्मिलित था। क्या आप यह अनुमान लगा सकते हो कि इसमें विज्ञान से संबंधित कौन-सी युक्ति सम्मिलित हो सकती है?
विस्तारित अधिगम - क्रियाकलाप और परियोजना कार्य
1. चित्र 14.17 में दर्शाए गए विद्युत परिपथ को पुनः बनाइए। कुंजी को ‘अॉन’ की स्थिति में लाइए तथा सावधानीपूर्वक यह प्रेक्षण कीजिए कि चुंबकीय सुई किस दिशा में विक्षेपित होती है। स्विच ‘अॉफ’ करके विद्युत धारा का प्रवाह रोकिए। शेष परिपथ को यथा स्थिति में रखते हुए केवल सेल के टर्मिनलों के संयोजन उत्क्रमित कर (उलट) दीजिए। पुनः स्विच ‘अॉन’ कीजिए तथा चुंबकीय सुई के विक्षेप की दिशा नोट कीजिए। अपने प्रेक्षणों का कोई उचित स्पष्टीकरण सोचिए।
चित्र 14.26 रेलवे सिग्नल का कार्यकारी मॉडल
2. 20, 40, 60 तथा 80 फेरों के चार विद्युत चुंबक बनाइए। इन्हें एक-एक करके 2 सेलों की बैटरी से संयोजित कीजिए। विद्युत चुंबक को पिनों के बॉक्स के पास लाइए। इसके द्वारा आकर्षित किए जाने वाले पिनों की संख्या ज्ञात कीजिए। विद्युत चुंबकों की प्रबलता की तुलना कीजिए।
3. विद्युत चुंबक की सहायता से आप चित्र 14.26 में दर्शाए अनुसार रेलवे सिग्नल का एक कार्यकारी मॉडल बना सकते हैं।
4. विद्युत साधित्रों की मरम्मत करने वाली किसी दुकान पर जाइए। दुकान के इलेक्ट्रिीशियन से विविध प्रकार के फ़्यूज़ तथा MCBs दिखाने के लिए निवेदन कीजिए और उनसे यह समझने का प्रयास कीजिए कि ये कैसे कार्य करते हैं।
क्या आप जानते हैं?
विद्युत बल्ब के अविष्कार का श्रेय प्रायः थॉमस अल्वा एडीसन को दिया जाता है, यद्यपि इनसे पूर्व भी अन्य वैज्ञानिक इस पर कार्य कर चुके थे। एडीसन विलक्षण प्रतिभा के व्यक्ति थे। उन्होंने विद्युत बल्ब, ग्रामोफोन, चलचित्र कैमरा तथा कार्बन प्रेषक सहित लगभग 1300 आविष्कार किए। उन्हीं के आविष्कारों ने बाद में टेलीफोन के आविष्कार को सुगम बनाया।