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15. प्रकाश
आपने पतली झिर्री अथवा छिद्र से सूर्य के प्रकाश के किरण पुंज को कमरे में प्रवेश करते हुए देखा होगा। स्कूटर, कार तथा रेलगाड़ी के इंजनों के अग्रदीपों (हैड-लैंप) से आते प्रकाश के किरण पुंजों को भी आपने अवश्य देखा होगा [चित्र 15.1 (a)]। इसी प्रकार, टॉर्च से भी प्रकाश के किरण पुंज को देखा जा सकता है। संभवतः आप में से कुछ ने लाइट हाउस या विमान पत्तन (एयरपोर्ट) के टॉवर की सर्चलाइट के किरण पुंज को देखा होगा [चित्र 15.1 (b)]। ये अनुभव क्या संकेत करते हैं?
(a) रेल-इंजन का अग्रदीप
(b) लाइट हाउस
चित्र 15.1 प्रकाश के किरण पुंज
15.1 प्रकाश सरल रेखा के अनुदिश गमन करता है
बूझो कक्षा 6 में किए गए एक क्रियाकलाप को स्मरण करता है। इस क्रियाकलाप में उसने एक मोमबत्ती की लौ (ज्वाला) की ओर पहले एक सीधे पाइप से और फिर मुड़े हुए पाइप से देखा था (चित्र 15.2)। बूझो मुड़े हुए पाइप से मोमबत्ती की लौ को क्यों नहीं देख पाया था?
यह क्रियाकलाप दर्शाता है कि प्रकाश सरल रेखा में गमन करता है।
हम प्रकाश के पथ को कैसे परिवर्तित कर सकते हैं? क्या आप जानते हैं कि जब प्रकाश किसी पॉलिश किए हुए या चमकदार पृष्ठ (सतह) पर पड़ता है, तो क्या होता है?
15.2 प्रकाश का परावर्तन
(a)
(b)
चित्र 15.2 एक मोमबत्ती की ओर (a) सीधे तथा (b) मुड़े हुए पाइप से देखना
प्रकाश की दिशा को परिवर्तित करने की एक विधि यह है कि इसे किसी चमकदार पृष्ठ पर डाला जाए। उदाहरण के लिए, स्टेनलेस इस्पात की चमकदार प्लेट अथवा इस्पात की चमकदार चम्मच प्रकाश की दिशा को परिवर्तित कर सकती है। जल का पृष्ठ भी दर्पण की भाँति कार्य कर सकता है तथा प्रकाश के पथ को बदल सकता है। क्या आपने कभी जल में पेड़ों अथवा इमारतों का परावर्तन देखा है (चित्र 15.3)?
चित्र 15.3 जल में वस्तुओं का परावर्तन
कोई भी पॉलिश किया हुआ अथवा चमकदार पृष्ठ दर्पण की भाँति कार्य कर सकता है। जब प्रकाश किसी दर्पण पर पड़ता है, तो क्या होता है?
आप कक्षा 6 में पढ़ चुके हैं कि दर्पण अपने ऊपर पड़ने वाले प्रकाश की दिशा को बदल देता है। दर्पण द्वारा प्रकाश की दिशा का यह परिवर्तन प्रकाश का परावर्तन कहलाता है। क्या आपको वह क्रियाकलाप याद है, जिसमें आपने एक टॉर्च के प्रकाश को दर्पण द्वारा परावर्तित कराया था?
चित्र 15.4 कुँए के पानी द्वारा परावर्तन
आइए, उसी से मिलता-जुलता एक क्रियाकलाप करें।
क्रियाकलाप 15.1
एक टॉर्च लीजिए। इसके काँच को चित्र 15.5 में दर्शाए अनुसार काले रंग के चार्ट पेपर के टुकड़े से ढकिए, जिसमें तीन पतली झिर्रियाँ (स्लिट) बनी हों। लकड़ी के किसी चिकने बोर्ड पर एक अन्य चार्ट पेपर की एक शीट फैलाइए। चार्ट पेपर पर समतल दर्पण की एक पट्टी ऊर्ध्वाधर स्थिति में रखिए (चित्र 15.5)। अब टॉर्च की झिर्रियों से निकलने वाले प्रकाश किरण पुंज को दर्पण पर डालिए। टॉर्च को इस प्रकार समायोजित कीजिए कि इसका प्रकाश, बोर्ड पर लगे चार्ट पेपर के अनुदिश दिखाई दे। अब इसकी स्थिति को इस प्रकार समायोजित कीजिए कि टॉर्च का प्रकाश समतल दर्पण पर एक कोण बनाते हुए टकराए (चित्र 15.5)।
चित्र 15.5 एक समतल दर्पण से प्रकाश का परावर्तन
क्या दर्पण अपने ऊपर पड़ने वाले प्रकाश की दिशा परिवर्तित कर देता है? अब टॉर्च को थोड़ा-सा इधर-उधर इस प्रकार हटाइए कि दर्पण पर प्रकाश पड़ता रहे।
क्या आप परावर्तित प्रकाश की दिशा में कोई परिवर्तन देखते हैं?
परावर्तित प्रकाश की दिशा के अनुदिश दर्पण में देखिए। क्या दर्पण में आपको टॉर्च पर लगी झिर्रियाँ दिखाई देती हैं? यह झिर्रियों का प्रतिबिंब है।
यह क्रियाकलाप दर्शाता है कि प्रकाश समतल दर्पण से किस प्रकार परावर्तित होता है।
आइए, दर्पणों में बनने वाले प्रतिबिंबों से खेलें तथा उनके विषय में कुछ और अधिक जानकारी प्राप्त करें।
क्रियाकलाप 15.2
चेतावनी
जलती हुई मोमबत्ती का उपयोग करते समय सावधानी बरतें। इस क्रियाकलाप को यदि अपने अध्यापक या घर के किसी बड़े सदस्य की उपस्थिति में करें, तो अच्छा है।
एक समतल दर्पण के सामने एक जलती हुई मोमबत्ती रखिए। मोमबत्ती की लौ को दर्पण में देखने का प्रयत्न कीजिए। एेसा प्रतीत होता है, जैसे कि इसी प्रकार की एक मोमबत्ती दर्पण के पीछे रखी हो।
जो मोमबत्ती दर्पण के पीछे रखी प्रतीत होती है, दर्पण द्वारा बनाया गया मोमबत्ती का प्रतिबिंब है (चित्र 15.6)। यहाँ मोमबत्ती किसी बिंब (वस्तु) का उदाहरण है।
अब मोमबत्ती को दर्पण के सामने विभिन्न स्थितियों में रखिए। प्रत्येक अवस्था में प्रतिबिंब को देखिए।
क्या प्रत्येक दशा में प्रतिबिंब सीधा है? क्या प्रतिबिंब की लौ बिंब की लौ की भाँति मोमबत्ती के ऊपरी सिरे पर दिखाई दे रही है? इस प्रकार के प्रतिबिंब को सीधा प्रतिबिंब कहते हैं। समतल दर्पण द्वारा बनने वाला प्रतिबिंब दर्पण में सीधा तथा बिंब के समान आमाप (साइज़) का दिखाई देता है।
चित्र 15.6 समतल दर्पण में मोमबत्ती का प्रतिबिंब
बूझो ने अपनी नोटबुक में लिखाः क्या यह आश्चर्यजनक नहीं है कि दर्पण चाहे छोटा हो या बड़ा, मेरा प्रतिबिंब मेरे साइज़ के समान ही बनता है?
अब दर्पण के पीछे एक पर्दा ऊर्ध्वाधर रखिए। पर्दे पर मोमबत्ती का प्रतिबिंब प्राप्त करने का प्रयत्न कीजिए। क्या आप पर्दे पर प्रतिबिंब प्राप्त कर पाते हैं? अब पर्दे को दर्पण के सामने रखिए। क्या अब आप पर्दे पर प्रतिबिंब प्राप्त कर पाते हैं? आप देखेंगे कि किसी भी स्थिति में मोमबत्ती का प्रतिबिंब पर्दे पर प्राप्त नहीं किया जा सकता।
दर्पण से प्रतिबिंब की दूरी कितनी है? आइए, एक और क्रियाकलाप करें।
क्रियाकलाप 15.3
शतरंज का एक बोर्ड (चेसबोर्ड) लीजिए। यदि चेसबोर्ड उपलब्ध न हो तो एक चार्ट पेपर पर समान साइज़ के 64 वर्ग बनाइए। पेपर के मध्य में एक मोटी रेखा खींचिए। इस रेखा पर एक समतल दर्पण को ऊर्ध्वाधर रखिए। दर्पण के सामने तीसरे वर्ग की सीमा पर कोई छोटी वस्तु, जैसे–पेंसिल, शार्पनर रखिए (चित्र 15.7)। दर्पण में इसके प्रतिबिंब की स्थिति नोट कीजिए। अब वस्तु को चौथे वर्ग की सीमा पर रखिए। फिर से दर्पण में प्रतिबिंब की स्थिति नोट कीजिए। क्या आप दर्पण से प्रतिबिंब की दूरी तथा दर्पण के सामने रखे बिंब की दूरी में कोई संबंध पाते हैं?
चित्र 15.7 समतल दर्पण में प्रतिबिंब की स्थिति निर्धारण करना
आप देखेंगे कि प्रतिबिंब दर्पण से उसके पीछे उतनी ही दूरी पर होता है, जितनी कि दर्पण से बिंब की दूरी होती है। अब इसकी पुष्टि चार्ट पेपर (चेसबोर्ड) पर बिंब को किसी भी स्थान पर रखकर कीजिए।
15.3 दक्षिण या वाम
जब आप समतल दर्पण में अपना प्रतिबिंब देखते हैं, तो क्या यह ठीक आपके जैसा दिखाई देता है? क्या कभी आपने ध्यान दिया है कि आप तथा दर्पण में आपके प्रतिबिंब में एक रोचक अंतर है? आइए, इसे ज्ञात करें।
क्रियाकलाप 15.4
चित्र 15.8 प्रतिबिंब में दक्षिण हाथ वाम प्रतीत होता है
एक समतल दर्पण के सामने खड़े होकर अपने प्रतिबिंब को देखिए। अपने दक्षिण (दाहिने) हाथ को ऊपर उठाइए। आपका प्रतिबिंब अपना कौन-सा हाथ ऊपर उठाता है (चित्र 15.8)? अब अपने वाम (बाएँ) कान को स्पर्श कीजिए। आपके प्रतिबिंब में हाथ आपके किस कान को स्पर्श करता है? ध्यानपूर्वक देखिए। आप देखेंगे कि प्रतिबिंब में ‘दक्षिण’ ‘वाम’ दिखाई पड़ता है तथा ‘वाम’ ‘दक्षिण’ दिखाई पड़ता है। ध्यान दीजिए कि केवल पार्श्व (साइड) में ही यह अदला-बदली हुई है; प्रतिबिंब उल्टा (ऊपर का भाग नीचे) नहीं दिखाई देता।
अब एक कागज़ के टुकड़े पर अपना नाम लिखिए तथा इसे समतल दर्पण के सामने पकड़कर रखिए। यह दर्पण में कैसा दिखाई देता है?
क्या अब आप समझ सकते हैं कि रोगीवाहनों पर शब्द "AMBULANCE" को चित्र 15.9 की भाँति क्यों लिखा जाता है? जब रोगीवाहन के आगे जाने वाले वाहनों के चालक अपने पश्च दृश्य दर्पण (पीछे का दृश्य दिखाने वाला दर्पण) में देखते हैं, तो वे रोगीवाहन पर लिखे "AMBULANCE" को स्पष्ट पढ़ सकते हैं और उसे आगे जाने के लिए रास्ता दे देते हैं। हम में से प्रत्येक का यह कर्तव्य है कि रोगीवाहन का रास्ता रोके बिना उसे आगे जाने दें।
आपने देखा होगा कि स्कूटर या कार के पार्श्व दर्पण में सभी वस्तुओं के प्रतिबिंब स्वयं वस्तुओं से छोटे दिखाई देते हैं। क्या आपने कभी सोचा है कि एेसा क्यों होता है?
चित्र 15.9 रोगीवाहन
15.4 गोलीय दर्पणों से खेल
आप भी चम्मच या कोई भी वक्रित चमकदार पृष्ठ का उपयोग अपना प्रतिबिंब देखने के लिए कर सकते हैं।
क्रियाकलाप 15.5
स्टेनलेस इस्पात की एक चम्मच लीजिए। चम्मच के बाहरी पृष्ठ को अपने चेहरे के पास लाइए तथा इसमें देखिए। क्या आप इसमें अपना प्रतिबिंब देख पाते हैं (चित्र 15.10)? आपने जैसा प्रतिबिंब समतल दर्पण में देखा था, क्या यह प्रतिबिंब उससे भिन्न है? क्या यह प्रतिबिंब सीधा है? क्या इसका साइज़ बिंब के साइज़ के समान है अथवा छोटा है या बड़ा है?
चित्र 15.10 चम्मच के बाहरी पृष्ठ द्वारा बना प्रतिबिंब
अब चम्मच के भीतरी पृष्ठ का उपयोग करके अपना प्रतिबिंब देखिए। हो सकता है इस बार आपको अपना प्रतिबिंब सीधा तथा बड़ा दिखाई दे। यदि आप अपने चेहरे से चम्मच की दूरी बढ़ाएँ, तो संभव है कि आप अपना उल्टा प्रतिबिंब देख पाएँ (चित्र 15.11)। अपने चेहरे के स्थान पर, आप अपने पेन अथवा पेंसिल के प्रतिबिंब की भी तुलना कर सकते हैं।
चित्र 15.11 चम्मच के भीतरी पृष्ठ द्वारा बना प्रतिबिंब
चित्र 15.12 (a) अवतल तथा (b) उत्तल दर्पण
अवतल तथा उत्तल दर्पणों को गोलीय दर्पण क्यों कहते हैं? रबड़ की एक गेंद लीजिए तथा इसके एक भाग को चाकू अथवा आरी से काटिए [चित्र 15.13 (a)]।
सावधान! गेंद काटने के लिए किसी अपने से बड़े व्यक्ति की सहायता लीजिए।
कटी हुई गेंद का भीतरी पृष्ठ अवतल तथा बाहरी पृष्ठ उत्तल कहलाता है [चित्र 15.13 (b)]।
हम जानते हैं कि किसी बिंब का समतल दर्पण द्वारा बना प्रतिबिंब पर्दे पर प्राप्त नहीं किया जा सकता। आइए, देखें क्या यह अवतल दर्पण द्वारा बने प्रतिबिंबों के लिए भी सही है।
क्रियाकलाप 15.6
चेतावनी
क्रियाकलाप 15.6 सूर्य के प्रकाश में किया जाना है। सावधान! कभी भी सूर्य को या इसके प्रतिबिंब को सीधे मत देखिए, क्योंकि इससे आपकी आँख खराब हो सकती है। आप सूर्य के प्रतिबिंब को किसी पर्दे या दीवार पर बनाकर देख सकते हैं।
एक अवतल दर्पण लीजिए। इसके परावर्तक पृष्ठ को सूर्य की ओर रखकर पकड़िए। दर्पण से परावर्तित प्रकाश को एक कागज़ की शीट पर प्राप्त करने का प्रयत्न कीजिए। कागज़ की शीट को तब तक आगे-पीछे (समायोजित) कीजिए, जब तक कि आपको एक तीक्ष्ण (स्पष्ट) चमकदार बिंदु प्राप्त न हो जाए (चित्र 15.14)। दर्पण तथा कागज़ की शीट को कुछ मिनट के लिए स्थिर रखिए। क्या कागज़ जलना प्रारंभ कर देता है?
चित्र 15.14 अवतल दर्पण सूर्य का वास्तविक प्रतिबिंब बनाता है
यह चमकदार बिंदु, वास्तव में, सूर्य का प्रतिबिंब है। ध्यान दीजिए, यह प्रतिबिंब पर्दे (कागज़ की शीट) पर बन रहा है। पर्दे पर बनने वाले प्रतिबिंब को वास्तविक प्रतिबिंब कहते हैं। स्मरण कीजिए कि क्रियाकलाप 15.2 में समतल दर्पण द्वारा बने मोमबत्ती की लौ के प्रतिबिंब को पर्दे पर प्राप्त नहीं किया जा सका था। इस प्रकार के प्रतिबिंब को आभासी प्रतिबिंब कहते हैं।
आइए, अब अवतल दर्पण द्वारा बने मोमबत्ती की लौ के प्रतिबिंब को पर्दे पर प्राप्त करने का प्रयत्न करें।
क्रियाकलाप 15.7
(b)
चित्र 15.15 अवतल दर्पण द्वारा बने वास्तविक प्रतिबिंब
अब मोमबत्ती को दर्पण की ओर लाइए तथा इसे इससे अलग-अलग दूरियों पर रखिए। प्रत्येक अवस्था में पर्दे पर प्रतिबिंब प्राप्त करने का प्रयत्न कीजिए।
अपने प्रेक्षणों को सारणी 15.1 में अंकित कीजिए। जब मोमबत्ती दर्पण के अत्यंत निकट है, क्या तब
भी प्रतिबिंब को पर्दे पर प्राप्त कर पाना संभव है
(चित्र 15.16)?
चित्र 15.16 अवतल दर्पण द्वारा बना आभासी प्रतिबिंब
हम देखते हैं कि अवतल दर्पण द्वारा बना प्रतिबिंब साइज़ में बिंब से छोटा या बड़ा हो सकता है। प्रतिबिंब वास्तविक अथवा आभासी भी हो सकता है।
अवतल दर्पणों का उपयोग अनेक प्रयोजनों के लिए किया जाता है। संभवतः आपने डॉक्टरों को आँख, कान, नाक तथा गले का निरीक्षण करते समय अवतल दर्पण का उपयोग करते देखा होगा। दंत विशेषज्ञों द्वारा अवतल दर्पण का उपयोग दाँतों का बड़ा प्रतिबिंब देखने के लिए किया जाता है (चित्र 15.17)। टॉर्च, कारों तथा स्कूटरों के अग्रदीप के परावर्तक पृष्ठ की आकृति भी अवतल हैं (चित्र 15.18)।
चित्र 15.17 दंत चिकित्सक मरीज को देखते हुए
चित्र 15.18 टॉर्च का परावर्तक
ध्यान दीजिए कि घंटी का परावर्तक पृष्ठ उत्तल है।
क्रियाकलाप 15.8
क्रियाकलाप 15.7 को अब अवतल दर्पण के स्थान पर उत्तल दर्पण लेकर दोहराइए (चित्र 15.19)। अपने प्रेक्षणों को क्रियाकलाप 15.7 की भाँति सारणी में अंकित कीजिए।
चित्र 15.19 उत्तल दर्पण द्वारा बनाया गया प्रतिबिंब
क्या आप उत्तल दर्पण द्वारा बिंब की किसी भी दूरी के लिए वास्तविक प्रतिबिंब प्राप्त कर पाते हैं? क्या आप बिंब से बड़े साइज़ का प्रतिबिंब प्राप्त कर सकते हैं?
क्या अब आप वाहनों के पार्श्व दर्पणों (साइड मिरर) में उपयोग किए जाने वाले दर्पणों को पहचान सकते हैं? ये उत्तल दर्पण हैं। उत्तल दर्पण अधिक क्षेत्र के दृश्य का प्रतिबिंब बना सकते हैं। अतः, ये चालकों को पीछे के अपेक्षाकृत अधिक क्षेत्र के वाहनों को देखने में सहायता करते हैं (चित्र 15.20)।
15.5 लेंसों द्वारा बने प्रतिबिंब
आपने आवर्धक लेंस (हैंडलेंस) देखा होगा। यह बहुत छोटे प्रिंट को पढ़ने के लिए उपयोग किया जाता है (चित्र 15.21)। संभवतः आपने इसका उपयोग कॉकरोच अथवा केंचुए के शरीर के भागों को देखने के लिए भी किया होगा। आवर्धक लेंस वास्तव में एक प्रकार का लेंस ही है।
चित्र 15.21 एक आवर्धक लेंस
लेंसों का उपयोग व्यापक रूप में चश्मों, दूरदर्शकों (दूरबीनों) तथा सूक्ष्मदर्शियों में किया जाता है। इस सूची में लेंसों के कुछ अन्य उपयोग जोड़ने का प्रयत्न कीजिए।
कुछ लेंस लीजिए। उन्हें स्पर्श करके महसूस कीजिए। क्या आप केवल स्पर्श करके कुछ अंतर देख पाते हैं? वे लेंस, जो किनारों की अपेक्षा बीच में मोटे प्रतीत होते हैं, उत्तल लेंस कहलाते हैं [चित्र 15.22 (a)]। जो किनारों की अपेक्षा बीच में पतले महसूस होते हैं, अवतल लेंस कहलाते हैं [चित्र 15.22 (b)]। ध्यान दीजिए कि लेंस पारदर्शी होते हैं तथा इनमें से प्रकाश गुज़र सकता है।
(a)
(b)
चित्र 15.22 (a) उत्तल लेंस तथा (b) अवतल लेंस
चेतावनी
लेंस से सूर्य को या किसी चमकीले प्रकाश को देखना खतरनाक है। आपको उत्तल लेंस से सूर्य के प्रकाश को अपने शरीर के किसी भाग पर फ़ोकसित न करने के बारे में भी सावधानी बरतनी चाहिए।
आइए, लेंसों से खेलें।
क्रियाकलाप 15.9
एक उत्तल लेंस अथवा आवर्धक लेंस लीजिए। इसे सूर्य की किरणों के मार्ग में रखिए। चित्र 15.23 में दर्शाए अनुसार एक कागज़ की शीट रखिए। लेंस तथा कागज़ के बीच की दूरी को उस समय तक समायोजित कीजिए, जब तक कि आपको कागज़ पर एक चमकदार बिंदु प्राप्त न हो जाए। इस स्थिति में लेंस तथा कागज़ को कुछ मिनट के लिए स्थिर रखिए। क्या कागज़ जलना प्रारंभ कर देता है?
अब उत्तल लेंस को अवतल लेंस से बदल लीजिए। क्या अब भी आपको कागज़ पर चमकदार बिंदु दिखाई देता है? इस बार आपको चमकदार बिंदु क्यों नहीं प्राप्त हो रहा है?
चित्र 15.23 उत्तल लेंस द्वारा सूर्य का वास्तविक प्रतिबिंब
हमने दर्पणों के लिए देखा है कि बिंब की विभिन्न स्थितियों के लिए प्रतिबिंबों की प्रकृति तथा साइज़ बदलते हैं। क्या यह लेंसों के लिए भी मान्य है?
सामान्यतः उत्तल लेंस, उस पर पड़ने वाले (आपतित) प्रकाश को अभिसरित (अंदर की ओर मोड़ना)
कर देता है [चित्र 15.24 (a)]। इसीलिए इसे अभिसारी लेंस भी कहते हैं। इसके विपरीत, अवतल लेंस आपतित प्रकाश को अपसरित (बाहर की ओर मोड़ना) करता है। अतः इसे अपसारी लेंस कहते हैं [चित्र 15.24 (b)]।
(a)
चित्र 15.24
आइए, देखें।
क्रियाकलाप 15.10
एक उत्तल लेंस लीजिए तथा इसे मेज़ पर रखे एक स्टैंड पर लगाइए, जैसा कि आपने अवतल दर्पण में किया था। मेज़ पर एक जलती हुई मोमबत्ती को लेंस से लगभग 50 cm की दूरी पर रखिए (चित्र 15.25)। लेंस के दूसरी ओर रखे कागज़ के पर्दे पर मोमबत्ती की लौ का प्रतिबिंब प्राप्त करने का प्रयत्न कीजिए। आपको पर्दे को लेंस की ओर या लेंस से दूर ले जाना होगा, जिससे कि आपको लौ का स्पष्ट (तीक्ष्ण) प्रतिबिंब प्राप्त हो जाए। आपको किस प्रकार का प्रतिबिंब प्राप्त होता है? क्या यह वास्तविक है या आभासी?
(b)
चित्र 15.25 विभिन्न दूरियों पर रखे बिंब के लिए उत्तल लेंस द्वारा बने प्रतिबिंब
अब लेंस से मोमबत्ती की दूरी बदलिए (चित्र 15.25)। प्रत्येक अवस्था में कागज़ के पर्दे को सरकाकर, इस पर मोमबत्ती की लौ का प्रतिबिंब प्राप्त करने का प्रयत्न कीजिए। अवतल दर्पण के लिए किए गए क्रियाकलाप 15.7 के अनुसार अपने प्रेक्षणों को सारणीबद्ध कीजिए।
इसका अर्थ यह है कि हम लेंस द्वारा बने प्रतिबिंब को बिंब की दिशा में देखते हैं।
क्या बिंब की किसी स्थिति के लिए आपको एेसा प्रतिबिंब प्राप्त होता है, जो सीधा तथा आवर्धित हो (चित्र 15.26)? क्या इस प्रतिबिंब को पर्दे पर प्राप्त किया जा सकता है? क्या यह वास्तविक है या आभासी है? एेसी स्थिति में ही उत्तल लेंस को आवर्धित लेंस की भाँति उपयोग किया जाता है।
चित्र 15.26 उत्तल लेंस द्वारा बना आभासी प्रतिबिंब
इसी प्रकार अवतल लेंस द्वारा बने प्रतिबिंबों का अध्ययन कीजिए। आप पाएँगे कि अवतल लेंस द्वारा बने प्रतिबिंब सदैव आभासी, सीधे तथा बिंब के साइज़ से छोटे हैं (चित्र 15.27)।
चित्र 15.27 अवतल लेंस द्वारा बना प्रतिबिंब
15.6 सूर्य का प्रकाश - श्वेत अथवा रंगीन?
क्या आपने आकाश में कभी इंद्रधनुष देखा है? आपने ध्यान किया होगा कि यह प्रायः वर्षा के पश्चात् दिखलाई देता है, जब सूर्य आकाश में क्षितिज के पास होता है। इंद्रधनुष आकाश में अनेक रंगों के एक बड़े धनुष (आर्क) के रूप में दिखलाई देता है (चित्र 15.28)।
चित्र 15.28 इंद्रधनुष
इंद्रधनुष में कितने वर्ण (रंग) होते हैं? मोटे तौर पर, इंद्रधनुष में सात वर्ण होते हैं। ये हैं- लाल, नारंगी, पीला, हरा, नीला, जामुनी तथा बैंगनी। आपने देखा होगा कि जब आप साबुन के बुलबुले बनाते हैं, तो वे भी रंगीन दिखलाई देते हैं। इसी प्रकार, जब प्रकाश किसी सीडी (CD) से परावर्तित होता है, तो आपको अनेक वर्ण दिखाई देते हैं (चित्र 15.29)।
चित्र 15.29 सूर्य के प्रकाश में रखी एक सीडी (CD)
इन सब अनुभवों के आधार पर क्या हम यह कह सकते हैं कि सूर्य का प्रकाश विभिन्न वर्णों का मिश्रण है? आइए, जाँच करें।
क्रियाकलाप 15.11
काँच का एक प्रिज़्म लीजिए। किसी अंधेरे कमरे की खिड़की के छोटे छिद्र से सूर्य के प्रकाश का एक पतला किरण पुंज प्रिज़्म के एक फलक पर डालिए। प्रिज़्म के दूसरे फलक से बाहर निकलने वाले प्रकाश को सफेद कागज़ की एक शीट अथवा सफेद दीवार पर गिरने दीजिए। आप क्या देखते हैं? क्या आप इंद्रधनुष जैसे ही वर्ण यहाँ भी देख पाते हैं (चित्र 15.30)? यह दर्शाता है कि सूर्य के प्रकाश में सात वर्ण विद्यमान हैं। एेसे प्रकाश को श्वेत प्रकाश भी कहते हैं। श्वेत प्रकाश के वर्णों को पहचानने का प्रयत्न कीजिए तथा इनके नाम अपनी नोटबुक में लिखिए।
चित्र 15.30 प्रिज़्म सूर्य के प्रकाश की एक किरणपुंज को सात वर्णों में विभक्त कर देता है
क्या हम इन सात वर्णों को मिलाकर श्वेत प्रकाश प्राप्त कर सकते हैं? आइए, प्रयत्न करें।
इसका अर्थ यह है कि श्वेत प्रकाश में सात वर्ण होते हैं।
क्रियाकलाप 15.12
लगभग 10 cm व्यास की गत्ते की एक वृत्ताकार डिस्क लीजिए। इस डिस्क को सात खंडों में बाँट लीजिए। चित्र 15.31 (a) में दर्शाए अनुसार इन खंडों को इंद्रधनुष के सात वर्णों से पेंट कीजिए। आप इन खंडों पर विभिन्न वर्णों के कागज़ भी चिपका सकते हैं। डिस्क के केंद्र पर एक छोटा छिद्र बनाइए। डिस्क को एक बॉल पेन के रीफ़िल की नोक पर ढीले से लगाइए। सुनिश्चित कीजिए कि डिस्क स्वतंत्रतापूर्वक घूर्णन कर (घूम) सके [चित्र 15.31 (a)]। डिस्क को दिन के प्रकाश में घुमाइए। जब डिस्क तेज़ी से घूमती है, तो वर्ण आपस में मिल जाते हैं तथा डिस्क श्वेत सी प्रतीत होती है [चित्र 15.31 (b)]।
इस डिस्क को सामान्यतः न्यूटन की डिस्क
कहते हैं।
(a)
(b)
चित्र 15.31 (a) सात वर्णों वाली कोई डिस्क (b) तेजी से घुमाने पर यह श्वेत प्रतीत होती है
पहेली को एक अद्वितीय विचार आया है। उसने एक वृत्ताकार डिस्क की सहायता से एक छोटा सा लट्टू बनाया, जिस पर इंद्रधनुष के सातों वर्णों को पेंट किया गया है (चित्र 15.32)। जब लट्टू घूर्णन करता है, तो वह लगभग श्वेत दिखाई देता है।
चित्र 15.32 सात वर्णों वाला लट्टू
आपने क्या सीखा
प्रकाश सरल रेखा के अनुदिश गमन करता है।
कोई भी पॉलिश किया हुआ अथवा चमकदार पृष्ठ दर्पण की भाँति कार्य करती है।
जो प्रतिबिंब पर्दे पर प्राप्त किया जा सके, वास्तविक प्रतिबिंब कहलाता है।
जिस प्रतिबिंब को पर्दे पर प्राप्त न किया जा सके, उसे आभासी प्रतिबिंब कहते हैं।
समतल दर्पण द्वारा बना प्रतिबिंब सीधा होता है। यह आभासी होता है, तथा बिंब के समान साइज़ का होता है। प्रतिबिंब दर्पण के पीछे उतनी ही दूरी पर बनता है, जितनी कि दर्पण के सामने बिंब की दूरी होती है।
दर्पण द्वारा बने प्रतिबिंब में, बिंब का वाम भाग प्रतिबिंब के दक्षिण भाग की भाँति दिखाई देता है तथा बिंब का दक्षिण भाग प्रतिबिंब के वाम भाग की भाँति दिखाई देता है।
अवतल दर्पण वास्तविक तथा उल्टा प्रतिबिंब बना सकता है। जब बिंब को दर्पण के अत्यंत निकट रखते हैं, तो प्रतिबिंब आभासी, सीधा तथा आवर्धित होता है।
उत्तल दर्पण द्वारा बना प्रतिबिंब सीधा, आभासी तथा साइज़ में बिंब से छोटा होता है।
उत्तल लेंस वास्तविक तथा उल्टा प्रतिबिंब बना सकता है। जब बिंब लेंस के अत्यंत निकट रखा जाता है, तो बनने वाला प्रतिबिंब आभासी, सीधा तथा आवर्धित होता है। जब उत्तल लेंस को, वस्तुओं को आवर्धित करके देखने के लिए उपयोग किया जाता है, तो उसे आवर्धक लेंस कहते हैं।
अवतल लेंस सदैव सीधा, आभासी तथा साइज़ में बिंब से छोटा प्रतिबिंब बनाता है।
श्वेत प्रकाश सात वर्णों का मिश्रण है।
अभ्यास
1. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए–
(क) जिस प्रतिबिंब को पर्दे पर न प्राप्त किया जा सके, वह --------------- कहलाता है।
(ख) यदि प्रतिबिंब सदैव आभासी तथा साइज़ में छोटा हो, तो यह किसी उत्तल --------------- द्वारा बना होगा।
(ग) यदि प्रतिबिंब सदैव बिंब के साइज़ का बने, तो दर्पण --------------- होगा।
(घ) जिस प्रतिबिंब को पर्दे पर प्राप्त किया जा सके, वह --------------- प्रतिबिंब कहलाता है।
(च) अवतल --------------- द्वारा बनाया गया प्रतिबिंब पर्दे पर प्राप्त नहीं किया जा सकता।
2. निम्नलिखित वक्तव्य ‘सत्य’ हैं अथवा ‘असत्य’–
(क) हम उत्तल दर्पण से आवर्धित तथा सीधा प्रतिबिंब प्राप्त कर सकते हैं।
(ख) अवतल लेंस सदैव आभासी प्रतिबिंब बनाता है।
(ग) अवतल दर्पण से हम वास्तविक, आवर्धित तथा उल्टा प्रतिबिंब प्राप्त कर सकते हैं।
(घ) वास्तविक प्रतिबिंब को पर्दे पर प्राप्त नहीं किया जा सकता।
(च) अवतल दर्पण सदैव वास्तविक प्रतिबिंब बनाता है।
3. कॉलम A में दिए गए शब्दों का मिलान कॉलम B के एक अथवा अधिक कथनों से कीजिए–
कॉलम A कॉलम B
(क) समतल दर्पण (i) आवर्धक लेंस की भाँति उपयोग होता है।
(ख) उत्तल दर्पण (ii) अधिक क्षेत्र के दृश्य का प्रतिबिंब बना
सकता है।
(ग) उत्तल लेंस (iii) दंत चिकित्सक दांतों का आवर्धित प्रतिबिंब
देखने के लिए उपयोग करते हैं।
(घ) अवतल दर्पण (iv) उल्टा तथा आवर्धित प्रतिबिंब बना सकता है।
(च) अवतल लेंस (v) प्रतिबिंब सीधा तथा बिंब के साइज़ का
प्रतिबिंब बनाता है।
(vi) सीधा तथा बिंब के साइज़ से छोटा प्रतिबिंब
बनाता है।
4. समतल दर्पण द्वारा बने प्रतिबिंब के अभिलक्षण लिखिए।
5. अँग्रेजी या अन्य कोई भाषा, जिसका आपको ज्ञान है, की वर्णमाला के उन अक्षरों का पता लगाइए, जिनके समतल दर्पण में बने प्रतिबिंब बिल्कुल अक्षरों के सदृश्य लगते हैं। अपने परिणामों की विवेचना कीजिए।
6. आभासी प्रतिबिंब क्या होता है? कोई एेसी स्थिति बताइए, जहाँ आभासी प्रतिबिंब बनता हो।
7. उत्तल तथा अवतल लेंसों में दो अंतर लिखिए।
8. अवतल तथा उत्तल दर्पणों का एक-एक उपयोग लिखिए?
9. किस प्रकार का दर्पण वास्तविक प्रतिबिंब बना सकता है?
10. किस प्रकार का लेंस सदैव आभासी प्रतिबिंब बनाता है?
प्रश्न संख्या 11 से 13 में सही विकल्प का चयन कीजिए–
11. बिंब से बड़े साइज़ का आभासी प्रतिबिंब बनाया जा सकता है?
(i) अवतल लेंस द्वारा
(ii) अवतल दर्पण द्वारा
(iii) उत्तल दर्पण द्वारा
(iv) समतल दर्पण द्वारा
12. डेविड अपने प्रतिबिंब को समतल दर्पण में देख रहा है। दर्पण तथा उसके प्रतिबिंब के बीच की दूरी 4 m है। यदि वह दर्पण की ओर 1 m चलता है, तो डेविड तथा उसके प्रतिबिंब के बीच की दूरी होगी
(i) 3 m
(ii) 5 m
(iii) 6 m
(iv) 8 m
13. एक कार का पश्च दृश्य दर्पण समतल दर्पण है। ड्राइवर अपनी कार को 2 m/s की चाल से ‘बैक’ करते समय पश्च दृश्य दर्पण में अपनी कार के पीछे खड़े (पार्क किए हुए) किसी ट्रक का प्रतिबिंब देखता है। ड्राइवर को ट्रक का प्रतिबिंब जिस चाल से अपनी ओर आता प्रतीत होगा, वह है
(i) 1 m/s
(ii) 2 m/s
(iii) 4 m/s
(iv) 8 m/s
विस्तारित अधिगम - क्रियाकलाप और परियोजना कार्य
1. दर्पण से खेलिए
कागज़ की एक पतली शीट, पॉलीथीन या काँच पर स्कैच पेन से अपना नाम लिखिए। समतल दर्पण के सामने खड़े होकर शीट पर लिखे अपने नाम को पढ़िए। अब दर्पण में अपने द्वारा लिखे नाम के प्रतिबिंब को देखिए।
2. पानी में जलती मोमबत्ती
जूते का एक खाली डिब्बा लीजिए, जो एक ओर से खुला हो। इसमें एक छोटी जलती हुई मोमबत्ती रखिए। पारदर्शक काँच की एक शीट (लगभग 25 cm × 25 cm)
इस मोमबत्ती के सामने रखिए (चित्र 15.33)। काँच की शीट के पीछे मोमबत्ती के प्रतिबिंब की स्थिति नोट कीजिए। इस स्थिति पर पानी से भरा एक गिलास रखिए। अपने मित्रों से काँच की शीट के आर-पार मोमबत्ती के प्रतिबिंब को देखने के लिए कहिए। आपके मित्रों को यह देखकर आश्चर्य होगा कि मोमबत्ती पानी में जल रही है। कारण की व्याख्या करने का प्रयत्न कीजिए।
चित्र 15.33 पानी में जलती मोमबत्ती
3. इंद्रधनुष बनाइए
स्वयं अपना इंद्रधनुष बनाने का प्रयत्न कीजिए। इस परियोजना को आप प्रातःकाल या सायंकाल कर सकते हैं। सूर्य की ओर अपनी पीठ करके खड़े हो जाइए। बाग में पानी देने के लिए काम आने वाला मोटा पाइप लीजिए। अपने सामने पानी का एक फव्वारे बनाइए। इस फव्वारे में आप इंद्रधनुष के विभिन्न वर्ण देख सकते हैं।
4. किसी विज्ञान केंद्र, विज्ञान पार्क या गाँव के मेले में, ‘हास्य गैलरी’ (हँसी के गोल गप्पे) देखिए। वहाँ पर आप कुछ बड़े दर्पण देखेंगे। इन दर्पणों में आप अपना विकृत तथा हास्यकर प्रतिबिंब देख सकते हैं। यहाँ उपयोग किए जाने वाले दर्पणों के प्रकार जानने का प्रयत्न कीजिए।
5. किसी समीपस्थ अस्पताल में जाइए। आप किसी दंत या नेत्र चिकित्सक या नाक, कान व गले के विशेषज्ञ के चिकित्सालय में भी जा सकते हैं। डॉक्टर से उन दर्पणों को दिखाने की प्रार्थना कीजिए, जो कान, नाक, गला, आँख तथा दाँत देखने के लिए उपयोग किए जाते हैं। क्या आप इन यंत्रों में उपयोग किए जाने वाले दर्पणों को पहचान सकते हैं?
6. भूमिका का खेल (रोल प्ले)
इस खेल को कुछ बच्चों का समूह (ग्रुप) मिलकर खेल सकता है। एक बच्चे को बिंब की भूमिका करने को दी जाएगी तथा दूसरा बच्चा इस बिंब के प्रतिबिंब की भूमिका करेगा। बिंब तथा प्रतिबिंब एक दूसरे के प्रतिबिंब की भूमिका निभाएगा। बिंब तथा प्रतिबिंब एक दूसरे के आमने-सामने बैठेंगे। बिंब अपने अंगों से कुछ गतियाँ करेगा, जैसे अपना एक हाथ उठाएगा, एक कान पकड़ेगा आदि। प्रतिबिंब की बिंब के एक्शन के अनुसार, जिस प्रकार प्रतिबिंब एक्शन करता है वैसा ही एक्शन करना होगा। बाकी ग्रुप प्रतिबिंब के एक्शनों को देखेगा। यदि प्रतिबिंब सही एक्शन नहीं कर पाता, तो वह खेल से बाहर हो जाएगी/जाएगा। उसका स्थान दूसरा बच्चा ले लेगा और खेल आगे बढ़ता जाएगा। आप अपने नियम बनाकर उसके अनुसार अंक देने की कोई विधि तय कर सकते हैं। जो ग्रुप सबसे अधिक अंक प्राप्त करेगा, वह विजयी घोषित किया जाएगा।
क्या आप जानते हैं?
दर्पण, अस्त्रों की भाँति भी उपयोग में लाए जा सकते हैं। कहते हैं कि ग्रीक वैज्ञानिक आर्किमीडीज़ ने लगभग दो हजार वर्ष पहले एेसा कर दिखाया था। जब रोमनों ने ग्रीक के समुद्री तट के सायराक्यूज (सिसली) नामक नगर पर आक्रमण किया, तो आर्किमीडीज़ ने चित्र 15.34 में दर्शाए अनुसार दर्पणों को लगाया। दर्पणों को किसी भी दिशा में घुमाया जा सकता था। इन्हें इस प्रकार व्यवस्थित किया गया कि वे सूर्य के प्रकाश को रोमन सैनिकों के ऊपर परावर्तित कर सकते थे। सूर्य के प्रकाश से रोमन सैनिक चौंधिया गए। वे नहीं जानते थे कि क्या हो रहा है। वे चकरा गए और भाग खड़े हुए। यह एक एेसा उदाहरण है, जो यह स्पष्ट करता है कि किस प्रकार सैनिक ताकत पर सूझ-बूझ से विजय पाई जा सकती है।