Social and Political Life-2

सलीमा अपने ग्रीष्म शिविर से बहुत उत्साहित थी। अपने सहपाठियों के साथ वह हिमाचल प्रदेश में मनाली देखने गई थी। उसे सब स्मरण था कि बस जैसे-जैसे चढ़ाई पर जा रही थी तो वह स्थलाकृति एवं प्राकृतिक वनस्पति के बदलते रूपों को देखकर कितनी हैरान हो रही थी। गिरिपाद में स्थित साल एवं सागवान के घने वन धीरे-धीरे अदृश्य हो गए तथा पर्वत की ढलानों पर पतली नुकीली पत्तियों तथा शांक्वाकार वितान लंबे वृक्ष दिखने लगे। उसे पता चला कि वे शंकुधारी वृक्ष थे। लंबे वृक्षों पर खिले लाल-लाल फूलों पर उसका ध्यान गया। वे रोडोडेंड्रॉन के फूल थे। मनाली से आगे रोहतांग दर्रे तक के रास्ते में उसने देखा कि भूमि छोटी-छोटी घास एवं कुछ स्थानों पर बर्फ़ से ढँकी थी।


चित्र 6.1 : रोडोडेंड्रॉन

सलीमा के अवलोकन से हम अनुमान लगा सकते हैं कि स्थल की ऊँचाई एवं वनस्पति की विशेषताएँ एक-दूसरे से संबंधित हैं। ऊँचाई में परिवर्तन के साथ जलवायु में परिवर्तन होता है तथा इसके कारण प्राकृतिक वनस्पति में भी बदलाव आता है। वनस्पति की वृद्धि तापमान एवं नमी पर निर्भर करती है। इसके अलावा यह ढाल एवं मिट्टी की परत की मोटाई जैसे कारकों पर भी निर्भर करती है।

इन घटकों में अंतर के कारण किसी स्थान की प्राकृतिक वनस्पति की सघनता एवं प्रकार में भी परिवर्तन होता है।

आमतौर पर प्राकृतिक वनस्पति को निम्न तीन मुख्य श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है :

(क) वन :जो वृक्षों के लिए उपयुक्त तापमान एवं परिपूर्ण वर्षा वाले क्षेत्रों में उगते हैं। इन कारकों के आधार पर सघन एवं खुले वन विकसित होते हैं।

() घासस्थल : जो मध्यम वर्षा वाले क्षेत्र में विकसित होते हैं।

आओ कुछ करके सीखें 

क्या अब आप बता सकते हैं कि चढ़ाई के साथ सलीमा ने प्राकृतिक वनस्पतियों में क्या परिवर्तन देखा? हिमालय में गिरिपाद से लेकर ऊँचाई तक सलीमा ने किस प्रकार की वनस्पति देखी?



आओ कुछ करके सीखें 

सलीमा की तरह जब आप किसी नए स्थान पर जाते है, तो वहाँ पाई जाने वाली विभिन्न प्रकार की प्राकृतिक वनस्पतियों पर ध्यान दें एवं उन कारकों पर विचार करें, जिसके कारण ये वनस्पतियाँ वहाँ पैदा हुई हैं।

वृक्षों की कटाई, चराई, नकदी फ़सलों की खेती, निर्माण कार्यों आदि के रूप में उस क्षेत्र में अगर कोई मानव हस्तक्षेप हुआ है तो उसे लिखें।

चित्र 6.2 : काँटेदार झाड़ियाँ

() काँटेदार झाड़ियाँ: काँटेदार झाड़ एवं झाड़ियाँ केवल शुष्क क्षेत्रों में पैदा होते हैं।

सलीमा हिमालय की यात्रा का अपना यह अनुभव अपने पिता को बता रही थी। उसके पिता विश्व के विभिन्न स्थानों पर जा चुके थे। उन्होंने सलीमा को विभिन्न महाद्वीपों के विभिन्न भागों में पाई जाने वाली विविध प्रकार की वनस्पतियों के बारे में बताया। उन्होंने उपध्रुवीय प्रदेशों में शंकुधारी वन, रेगिस्तानों में काँटेदार झाड़ियों, आर्द्र प्रदेशों में घने उष्णकटिबंधीय दृढ़ काष्ठ वनों के बारे में कई अन्य जानकारियाँ दी। सलीमा समझ गई कि हिमालय के क्षेत्रों में लगभग सभी प्रकार की वनस्पतियाँ पाई जाती हैं, जो भूमध्य रेखा से ध्रुव की ओर जाने पर मिलती हैं।

प्राकृतिक वनस्पतियों के प्रकार में बदलाव का मुख्य कारण जलवायु का बदलाव है। आइए हम विश्व की विभिन्न प्रकार की प्राकृतिक वनस्पतियोें, उनके गुण एवं वहाँ प्रवास करने वाले वन्य जीवों की जानकारी प्राप्त करें।

क्या आप जानते है 

ब्राजील के उष्णकटिबंधीय सदाबहार वन इतने विशाल हैं कि ये पृथ्वी के फेफ़ड़े की तरह प्रतीत होते हैं। आप बता सकते हैं क्यों?


वन

उष्णकटिबंधीय सदाबहार वन

इन वनों को ष्णकटिबंधीय वर्षा वन भी कहते हैं (चित्र 6.3)। ये घने वन भूमध्य रेखा एवं उष्णकटिबंध के पास पाए जाते हैं। ये क्षेत्र गर्म होते हैं एवं पूरे वर्ष यहाँ अत्यधिक वर्षा होती है। चूँकि यहाँ का मौसम कभी शुष्क नहीं होता, इसलिए यहाँ के पेड़ों की पत्तियाँ पूरी तरह नहीं झड़ती। इसलिए इन्हें सदाबहार कहते हैं। काफी घने वृक्षों की मोटी वितान के कारण दिन के समय भी सूर्य का प्रकाश वन के अंदर तक नहीं पहुँच पाता है। आमतौर पर यहाँ दृढ़ काष्ठ वृक्ष जैसे रोज़वुड, आबनूस, महोगनी आदि पाए जाते हैं।


क्या आप जानते है 

‘एेनाकोंडा’, विश्व का सबसे बड़ा साँप, उष्णकटिबंधीय वर्षावन में पाया जाता है। यह मगर जैसे बड़े जानवर को मार और खा सकता है।


चित्र 6.3: उष्णकटिबंधीय सदाबहार वन

उष्णकटिबंधीय पर्णपाती वन


उष्णकटिबंधीय पर्णपाती वन मानसूनी वन होते हैं जो भारत, उत्तरी आस्ट्रेलिया एवं मध्य अमेरिका के बड़े हिस्सों में पाए जाते हैं (चित्र 6.4)। इन क्षेत्रों में मौसमी परिवर्तन होते रहते हैं। जल संरक्षित रखने के लिए शुष्क मौसम में यहाँ के वृक्ष पत्तियाँ झाड़ देते हैं। इन वनों में पाए जाने वाले दृढ़ काष्ठ वृक्षों में साल, सागवान, नीम तथा शीशम हैं। दृढ़ काष्ठ वृक्ष, फर्नीचर, यातायात एवं निर्माण सामग्री बनाने के लिए बहुत उपयोगी होते हैं। इन प्रदेशों में आमतौर पर पाए जाने वाले जानवर हैं–बाघ, शेर, हाथी, गोल्डन लंगूर एवं बंदर आदि (चित्र 6.5, 6.6 एवं 6.8)।


चित्र 6.4: उष्णकटिबंधीय पर्णपाती वन

आओ कुछ करके सीखें 

भारत में शीतोष्ण सदाबहार एवं शीतोष्ण पर्णपाती वन कहाँ पाए जाते हैं? उन राज्यों के नाम बताएंँ।

भारत में अधिकतर किस प्रकार के वन पाए जाते हैं?


चित्र 6.5: बाघ


चित्र 6.6 :गोल्डन लंगूर

शीतोष्ण सदाबहार वन


शीतोष्ण सदाबहार वन मध्य अक्षांश के तटीय प्रदेशों में स्थित हैं (चित्र 6.7) ये सामान्यतः महाद्वीपों के पूर्वी किनारों पर पाए जाते हैं–जैसे दक्षिण-पूर्व अमेरिका, दक्षिण चीन एवं दक्षिण-पूर्वी ब्राजील। यहाँ बांज, चीड़ एवं यूकेलिप्टस जैसे दृढ़ एवं मुलायम दोनों प्रकार के पेड़ पाए जाते हैं।

चित्र 6.7: शीतोष्ण सदाबहार वन

चित्र 6.8 : हाथी


चित्र 6.9: फ़ीजेंट


चित्र 6.10: मोनाल

शीतोष्ण पर्णपाती वन

उच्च अक्षांश की ओर बढ़ने पर अधिक शीतोष्ण पर्णपाती वन मिलते हैं 
(चित्र 6.11)। ये उत्तर-पूर्वी अमेरिका, चीन, न्यूज़ीलैंड, चिली एवं पश्चिमी यूरोप के तटीय प्रदेशों में पाए जाते हैं। ये अपनी पत्तियाँ शुष्क मौसम में झाड़ देते हैं। यहाँ पाए जाने वाले पेड़ हैं–बांज, एेश, बीच, आदि। हिरण, लोमड़ी, भेड़िये, यहाँ के आम जानवर हैं। फ़ीजेंट तथा मोनाल जैसे पक्षी भी यहाँ पाए जाते हैं। 
(चित्र 6.9 एवं 6.10)।

चित्र 6.11: शीतोष्ण पर्णपाती वन

भूमध्यसागरीय वनस्पति

आप जान चुके हैं कि महाद्वीपों के पूर्व एवं उत्तर-पूर्वी किनारों के अधिकांश भाग शीतोष्ण सदाबहार एवं पर्णपाती पेड़ों से ढ़ँके हैं। महाद्वीपों के पश्चिमी एवं दक्षिण-पश्चिमी किनारे भिन्न हैं। यहाँ भूमध्यसागरीय वनस्पतियाँ पाई जाती हैं (चित्र 6.12)। यह अधिकतर यूरोप, अफ़्रीका एवं एशिया के भूमध्यसागर के समीप वाले प्रदेशों में पाई जाती हैं। इसलिए इसका यह नाम पड़ा। ये वनस्पतियाँ भूमध्यसागर के बाहरी प्रदेशों जैसे–संयुक्त राज्य अमेरिका के केलिफोर्निया, दक्षिण-पश्चिमी अफ़्रीका, दक्षिण-पश्चिमी दक्षिण अमेरिका एवं दक्षिण-पश्चिमी आस्ट्रेलिया में भी पाई जाती हैं। इन प्रदेशों में गर्म-शुष्क ग्रीष्म एवं वर्षा वाली मृदु शीत ऋतुएँ होती हैं। इन क्षेत्रों में आमतौर पर संतरा, अंजीर, जैतून एवं अंगूर जैसे निंबु-वंश (सिट्रस) के फल पैदा किए जाते हैं, क्योंकि लोगों ने अपनी इच्छानुसार कृषि करने के लिए यहाँ की प्राकृतिक वनस्पति को हटा दिया है। यहाँ वन्य जीवन कम है।


क्या आप जानते है 

भूमध्यसागरीय वृक्ष, शुष्क ग्रीष्म ऋतु में स्वयं को ढाल लेते हैं। उनकी मोटी छाल एवं पत्तियाँ वाष्पोत्सर्जन को रोकती हैं।

भूमध्यसागरीय प्रदेश को फलों की कृषि के कारण ‘विश्व का फलोद्यान’ भी कहा जाता है।


चित्र 6.12 : भूमध्यसागरीय प्रदेश में अंगूर के बाग

आओ कुछ करके सीखें 

अपने आस-पास नरम तथा दृढ़ काष्ठ से बनी वस्तुओं पर ध्यान दें।

अपने बड़ों से अपने आस-पास के वृक्षों के नाम पता करें।


शंकुधारी वन

उत्तरी गोलार्द्ध के उच्च अक्षांशों (50°-70°) में भव्य शंकुधारी वन पाए जाते हैं (चित्र 6.13 क एवं ख)। इन्हें ‘टैगा’ भी कहते हैं। ये वन अधिक ऊँचाइयों पर भी पाए जाते हैं। इन्हीं वृक्षों को सलीमा ने हिमालय में प्रचुर मात्रा में देखा था। ये लंबे, नरम काष्ठ वाले सदाबहार वृक्ष होते हैं। इन वृक्षों के काष्ठ का उपयोग लुगदी बनाने के लिए किया जाता है, जो सामान्य तथा अखबारी कागज़ बनाने के काम आती है। नरम काष्ठ का उपयोग माचिस एवं पैकिंग के लिए बक्से बनाने के लिए भी किया जाता है। चीड़, देवदार आदि इन वनों के मुख्य पेड़ हैं। यहाँ सामान्यतः रजत लोमड़ी, मिंक, ध्रुवीय भालू जैसे जानवर पाए जाते हैं।


क्या आप जानते है 

रूसी भाषा में ‘टैगा’ का अर्थ है शुद्ध या अनछुआ

चित्र 6.13 (क): शंकुधारी वन


चित्र 6.13 (ख): हिमाच्छादित शंकुधारी वन

घासस्थल

उष्णकटिबंधीय घासस्थल: ये वन भूमध्य रेखा के किसी भी तरफ उग जाते हैं और भूमध्य रेखा के दोनों ओर से उष्णकटिबंध क्षेत्रों तक फैले हैं (चित्र 6.14)। यहाँ वनस्पति निम्न से मध्य वर्षा वाले क्षेत्रों में पैदा होती है। यह घास काफ़ी ऊँची लगभग 3 से 4 मीटर की उँचाई तक बढ़ सकती है। अफ़्रीका का सवाना घासस्थल इसी प्रकार का है। सामान्य रूप से उष्णकटिबंधीय घासस्थल में हाथी, ज़ेबरा, जिराफ़, हिरण, तेंदुआ आदि जानवर पाए जाते हैं (चित्र 6.15)।

चित्र 6.14: उष्णकटिबंधीय घासस्थल

चित्र 6.15: जिराफ़

क्या आप जानते है 

विभिन्न प्रदेशों में घासस्थल विभिन्न नामों से जाने जाते हैं:

उष्णकटिबंधीय घासस्थल

पूर्वी अफ़्रीका - सवाना

ब्राजील - कंपोस

वेनेजुएला - लानोस

शीतोष्ण कटिबंधीय घासस्थल

अर्जेन्टीना - पैंपास

उत्तरी अमेरिका - प्रेअरी

दक्षिण अफ़्रीका - वेल्ड

मध्य एशिया - स्टेपी

आस्ट्रेलिया - डान

वालरस



ध्रुवीय भालू

सील

चित्र: 6.16

शीतोष्ण घासस्थल : ये मध्य अक्षांशीय क्षेत्रों और महाद्वीपों के भीतरी भागों में पाए जाते हैं। यहाँ की घास आमतौर पर छोटी एवं पौष्टिक होती है। शीतोष्ण प्रदेशों में सामान्यतः जंगली भैंस, बाइसन, एंटीलोप पाए जाते हैं।


कँटीली झाड़ियाँ: शुष्क रेगिस्तान जैसे प्रदेशों में पाई जाती हैं। उष्णकटिबंधीय रेगिस्तान, महाद्वीपों के पश्चिमी किनारों पर पाए जाते हैं। तीव्र गर्मी एवं बहुत कम वर्षा के कारण यहाँ वनस्पतियों की कमी रहती है। विश्व के मानचित्र पर रेगिस्तानी प्रदेश को चिह्नित करें। क्या आप भारत के बड़े रेगिस्तान का नाम बता सकते हैं? रेगिस्तान के कुछ जानवरों के नाम बताएँ, जिन्हें आप पहले जान चुके हैं।

यदि आप ध्रुवीय प्रदेश में जाएँगे, तो वह स्थान आपको अत्यधिक ठंडा मिलेगा। यहाँ बहुत ही सीमित प्राकृतिक वनस्पति मिलती है। यहाँ केवल काई, लाइकेन एवं छोटी झाड़ियाँ पाई जाती हैं। ये अल्पकालिक ग्रीष्म ऋतु के दौरान विकसित होती हैं। इसे टुंड्रा प्रकार की वनस्पति कहा जाता है। ये वनस्पतियाँ यूरोप, एशिया एवं उत्तरी अमेरिका के ध्रुवीय प्रदेशों में पाई जाती हैं। यहाँ के जानवरों के शरीर पर मोटा फ़र एवं मोटी चमड़ी होती है, जो उन्हें ठंडी जलवायु में सुरक्षित रखते हैं। यहाँ पाए जाने वाले कुछ जानवर हैं - सील, वालरस, कस्तूरी-बैल, ध्रुवीय उल्लू, ध्रुवीय भालू और बर्फीली लोमड़ी (चित्र 6.16)।

सलीमा के पिता ने उसे कुछ घने वनों के चित्र दिखाए। कुछ चित्रों में सलीमा ने देखा कि लोग वृक्षों को काटकर वनों को साफ़ कर रहे हैं। उसके पिता ने बताया कि स्थानीय लोग कृषि एवं आवास के लिए स्थान चाहते थे। इसलिए उन्होंने वनों को साफ़ कर दिया। सलीमा सोचने लगी कि अगर वनों को साफ़ कर दिया जाता है, तो वन्य जीव कहाँ जाएँगें? क्या ये वन पुनः वैसे ही बन पाएँगें? अगर लोग इसी प्रकार पेड़ों को काटते रहे, तो भविष्य में पर्याप्त अॉक्सीजन, जलवाष्प, लकड़ी, फल, मेवे आदि मिल पाएँगे?

क्या आप सलीमा से सहमत हैं? अपने दोस्तों के साथ वनस्पति एवं प्राणी जगत् की विविधता में हो रही कमी पर चर्चा करें। इनके संरक्षण के बारे में कुछ सुझाव दें।




1. निम्न प्रश्नों के उत्तर दीजिए–

(क) वनस्पतियों का विकास किन दो कारकों पर अधिकतर निर्भर करता है?

(ख) प्राकृतिक वनस्पतियों की तीन मुख्य श्रेणियाँ कौन-सी हैं?

(ग) उष्ण कटिबंधीय सदाबहार वन के दो दृढ़ काष्ठ वाले पेड़ों के नाम बताएँ।

(घ) विश्व के किस भाग में उष्णकटिबंधीय पर्णपाती वन पाए जाते हैं?

(च) नींबू-वंश (सिट्रस) के फल किस जलवायु में उगाए जाते हैं?

(छ) शंकुधारी वन के कोई चार उपयोेग बताएँ।

(ज) विश्व के किन भागों में मौसमी घासस्थल पाए जाते हैं?

2. सही (✔) उत्तर चिह्नित कीजिए–

(क) काई एवं लाइकेन पाए जाते हैं

(i) रेगिस्तानी वनस्पति में

(ii) उष्ण कटिबंधीय सदाबहार वन में

(iii) टुंड्रा वनस्पति में

(ख) काँटेदार झाड़ियाँ मिलती हैं

(i) गर्म एवं आर्द्र, उष्णकटिबंधीय जलवायु में

(ii) गर्म एवं शुष्क, रेगिस्तानी जलवायु में

(iii) ठंडी ध्रुवीय जलवायु में

(ग) उष्णकटिबंधीय सदाबहार वन का एक सामान्य जानवर:

(i) बंदर (ii) जिराफ़ (iii) ऊँट

(घ) शंकुधारी वन की एक महत्त्वपूर्ण वृक्ष प्रजाति:

(i) रोज़वुड (ii) चीड़ (iii) सागवान

(च) स्टेपी घासस्थल पाए जाते हैं:

(i) दक्षिण अफ़्रीका (ii) आस्ट्रेलिया (iii) मध्य एशिया

3. निम्नलिखित स्तंभों को मिलाकर सही जोड़े बनाइए–

(क) वालरस (i) नरम काष्ठ पेड़

(ख) देवदार का वृक्ष (ii) उष्णकटिबंधीय पर्णपाती वन का एक जानवर

(ग) जैतून (iii) एक ध्रुवीय जानवर

(घ) हाथी (iv) अंटार्कटिका का शीतोष्ण घासस्थल

(च) कंपोस (v) काँटेदार झाड़ियाँ

(vi) एक निंबु-वंश (सिट्रस) का फल

(छ) डाउन (vii) ब्राजील के उष्णकटिबंधीय घासस्थल

4. कारण बताइए–

(क) ध्रुवीय प्रदेशों में रहने वाले जानवरों की फ़र एवं त्वचा मोटी होती है।

(ख) उष्णकटिबंधीय पर्णपाती वन, शुष्क मौसम में अपनी पत्तियाँ गिरा देते हैं।

(ग) वनस्पति के प्रकार एवं सघनता एक स्थान से दूसरे स्थान पर बदलती रहती है।


5. क्रियाकलाप–

(क) विश्व के विभिन्न भागों के वनों एवं घासस्थलों के चित्र एकत्र करें। प्रत्येक चित्र के नीचे इससे संबंधित एक वाक्य लिखें।

(ख) वर्षावन, घासस्थल एवं शंकुधारी वन का एक कोलाज़ बनाएँ।

6. आओ खेलें–

नीचे दी गई वर्ग पहेली में शब्द छिपे हैं। ये सब वनस्पतियों एवं वन्य जीवों से संबंधित हैं। ये शब्द क्षैतिज एवं उर्ध्वाधर रूप में दिए गए हैं। इनसे दो शब्दों की पहचान आपके लिए की गई है। अपने दोस्त से मिलकर बाकी शब्दों की पहचान करें।

नोट: पहेली के उत्तर अँग्रेज़ी के शब्दों में हैं।