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Hamara Prayavaran

रेणुका बहुत उत्साहित थी। उसके चाचा श्रीकांत लगभग चार महीने के बाद आज घर में थे। वह एक वन्यजीव फोटोग्राफ़र थे तथा बहुत यात्रा करते थे। बहुत छोटी उम्र से ही रेणुका की रुचि वन्यजीव एवं वनों में थी जब उसके चाचा ने प्रकृति संबंधी पुस्तकों से उसका परिचय कराया। दूरस्थ भूस्थल एवं वहाँ रहने वाले लोगों की तसवीरें उसे हमेशा आकर्षित करती थी।

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चित्र 8.11: विश्व के विभिन्न भागों के निवासी

 

"रेणुका, इन तसवीरों में तुम विश्व के विभिन्न भागों के लोगों को देख सकती हो। इनमें कुछ शुष्क रेगिस्तान से हैं, कुछ बर्फ़ीले प्रदेशों से एवं कुछ गर्म-नम वर्षा वनों से हैं।" "वे मुझसे कितना अलग दिखते हैं", रेणुका ने कहा। "वे देखने में भले ही अलग हाें लेकिन उनके भोजन, कपड़ा एवं मकान जैसी जीवन की मूल आवश्यकताएँ हमारे समान ही है", श्रीकांत चाचा ने कहा। "उनके बच्चे भी शायद तुम्हारी ही तरह खेलते हैं, कभी झगड़ते हैं फिर समझौता कर लेते हैं, गाते हैं, नाचते हैं एवं घरेलू कार्यों में अपने परिवार की मदद करते हैं। वे प्रकृति के करीब रहते हैं एवं जीवन की शुरुआत में ही प्रकृति की देखभाल करना सीख जाते हैं। वे मछली पकड़ना एवं वनों से सामग्री एकत्र करना सीख जाते हैं।"

अध्याय 8, 9 एवं 10 में आप विश्व के विभिन्न प्राकृतिक प्रदेशों के निवासियों के जीवन के बारे में सीखेंगे।

अमेज़न बेसिन में जीवन

अमेज़न बेसिन के विषय में जानने से पहले हम मानचित्र देखें (चित्र 8.2)। ध्यान दें कि उष्णकटिबंधीय प्रदेश कर्क रेखा और मकर रेखा के मध्य स्थित हैं। भूमध्य रेखा के 10° उत्तर से 10° दक्षिण के मध्य के भाग को भूमध्यरेखीय प्रदेश कहते है। अमेज़न नदी इसी प्रदेश से होकर बहती है। ध्यान दें कि यह पश्चिम में पर्वतों से निकल कर पूर्व में अंधमहासागर में कैसे पहुँचती है।

जि स्थान पर कोई नदी किसी अन्य जल राशि में मिलती है उसे नदी का मुहाना कहते हैं। अमेज़न नदी में बहुत सारी सहायक नदियाँ मिलकर अमेज़न बेसिन का निर्माण करती हैं। यह नदी बेसिन ब्राजील के भागों, पेरू के कुछ भागों, बोलीविया, इक्वाडोर, कोलंबिया तथा वेनेजुएला के छोटे भाग से अपवाहित होती है।


क्या आप जानते हैं ?

जब स्पेन के अन्वेषकों ने इस नदी की खोज की तब सिर पर सुरक्षा कवच (हेडगियर) एवं घास के स्कर्ट पहने कुछ स्थानीय आदिवासियों ने उन पर आक्रमण किया। इन आक्रमणकारियों ने उन्हें प्राचीन रोमन साम्राज्य के अमेज़ोंस नामक महिला योद्धाओं के आक्रामक समूह की याद दिला दी। इस प्रकार यहाँ का नाम अमेज़न पड़ा।


शब्दावली

सहायक नदियाँ: यह छोटी नदियाँ होती हैं जो मुख्य नदी में मिलती हैं। मुख्य नदी अपनी सहायक नदियों के साथ जिस क्षेत्र के पानी को बहाकर ले जाती है वह उसका बेसिन अथवा जलसंग्रहण क्षेत्र कहा जाता है। अमेज़न बेसिन विश्व का सबसे बड़ा नदी बेसिन है।

क्या आप इस बेसिन में स्थित उन देशों के नाम बता सकते हैं जिनसे भूमध्य रेखा गुजरती है?

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चित्र 8.2: दक्षिण अमेरिका में अमेज़न बेसिन

जलवायु

जैसा कि अब आप जानते हैं अमेज़न बेसिन भूमध्य रेखा के आस-पास फैला है और पूरे वर्ष यहाँ गर्म एवं नम जलवायु रहती है। यहाँ का मौसम दिन एवं रात दोनों ही समय लगभग समान रूप से गर्म एवं आर्दΡ होता है तथा शरीर में चिपचिपाहट महसूस होती है। इस प्रदेश में लगभग प्रतिदिन वर्षा होती है और वह भी बिना किसी पूर्व चेतावनी के। दिन का तापमान उच्च एवं आर्द्रता अति उच्च होती है। रात के समय तापमान कम हो जाता है लेकिन आर्द्रता वैसी ही बनी रहती है।

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चित्र 8.3: अमेज़न वन


वर्षा वन

इन प्रदेशों में अत्यधिक वर्षा के कारण यहाँ की भूमि पर सघन वन उग जाते हैं (चित्र 8.3)। वन इतने सघन होते हैं कि पत्तियों तथा शाखाओं से ‘छत’ सी बन जाती है जिसके कारण सूर्य का प्रकाश धरातल तक नहीं पहुँच पाता है। यहाँ की भूमि प्रकाश रहित एवं नम बनी रहती है। यहाँ केवल वही वनस्पति पनप सकती है जिसमें छाया में बढ़ने की क्षमता हो। परजीवी पौधों के रूप में यहाँ आर्किड एवं ब्रोमिलायड पैदा होते हैं

क्या आप जानते हैं ?

‘ब्रोमिलायड’ एक विशेष प्रकार का पौधा है जो अपनी पत्तियों में जल को संचित रखता है। मेढ़क जैसे प्राणी इन जल के पॉकेट का उपयोग अंडा देने के लिए
करते हैं।

आओ कुछ करके सीखें

कुछ टीवी चैनल विश्व के वन्य जीवन पर वृत्तचित्र प्रसारित करते हैं। इन्हें देखें एवं अपनी जानकारी अपने सहपाठियों को बताएँ।


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चित्र 8.4: टूकन


वर्षावन में प्राणिजात की प्रचुरता होती है। टूकन, गुंजन पक्षी, रंगीन पक्षति वाले पक्षी एवं भोजन के लिए बड़ी चोंच वाले विभिन्न प्रकार के पक्षी जो भारत में पाए जाने वाले सामान्य पक्षियों से भिन्न होते हैं यहाँ पाए जाते हैं। प्राणियों में बंदर, स्लॉथ एवं चीटीं खाने वाले टैपीर भी यहाँ पाए जाते हैं। साँप एवं सरीसर्प की विभिन्न प्रजातियाँ भी इन वनों में पाई जाती हैं। मगर, साँप, अजगर तथा एनाकोंडा एवं बोआ कुछ एेसी ही प्रजातियाँ हैं। इसके अतिरिक्त हज़ारों कीड़े-मकोड़े भी इस बेसिन में निवास करते हैं। मांस खाने वाली पिरान्या मत्स्य समेत मछलियों की विभिन्न प्रजातियाँ भी अमेज़न नदी में पाई जाती हैं। इस प्रकार जीवों की विविधता की दृष्टि से यह बेसिन असाधारण रूप से समृद्ध है।

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चित्र 8.4: टैपीर


वर्षावन के निवासी

यहाँ के लोग छोटे-से क्षेत्र में वन के कुछ वृक्षों को काटकर अपने भोजन के िए फसल उगातेे हैं। यहाँ के पुरुष शिकार करते हैं तथा नदी में मछली पकड़ते हैं जबकि महिलाएँ फसलों का ध्यान रखती हैं। वे मुख्यतः टेपियोका, अनन्नास एवं शकरकंद उगाते हैं। क्योंकि मछली या शिकार मिलना अनिश्चित होता है एेसे में महिलाएँ ही अपनी उगाई शाक-सब्जियों से अपने परिवार का भरण-पोषण करती हैं। वे "कर्तन एवं दहन कृषि पद्धति" का प्रयोग करते हैं। इनका मुख्य आहार मेनियोक है, जिसे कसावा भी कहते हैं तथा यह आलू की तरह जमीन के अंदर पैदा होता है। ये चींटियों की रानी एवं अंडकोष भी खाते हैं। कॉफी, मक्का एवं कोको जैसी नगदी फसल भी यहाँ उगाई जाती हैं।

वर्षावन अत्यधिक मात्रा में घरों के लिए लकड़ी प्रदान करते हैं। कुछ परिवार मधुमक्खी के छत्ते के आकार वाले छप्पर के घरों में रहते हैं। जबकि कुछ लोग ‘मलोका’ कहे जाने वाले बड़े अपार्टमेंट जैसे घरों में रहते हैं जिनकी छत तीव्र ढलान वाली होती हैं।

क्या आप जानते हैं ?

कर्तन एवं दहन की पद्धति में किसान पहले वृक्षों एवं झाड़ियों को काटकर भूमि साफ़ करते हैं। फिर इनको जलाया जाता है जिससे पोषक तत्त्व मिट्टी में मिल जाते हैं। इस साफ़ भूमि पर कुछ वर्षों तक फ़सल पैदा की जातीहैं।

मीन के इस टुकड़े के बार-बार प्रयोग से मिट्टी में पोषक तत्त्वों का अभाव हो जाता है। इसलिए, इस टुकड़े को छोड़ दिया जाता है। इसके बाद फ़सल उगाने के लिए किसी दूसरे स्थान को साफ़ किया जाता है। इस बीच पुराने खेतों में छोटे-छोटे वृक्ष उग आते हैं। इस प्रकार मिट्टी पुनः उपजाऊ बन जाती है। तब लोग इस भूमि के टुकड़े को पुनः जोत सकते हैं।

अमेज़न बेसिन के लोगों का जीवन धीरे-धीरे बदल रहा है। पुराने समय में वन के अंदर पहुँचने के लिए नदी मार्ग ही एकमात्र उपाय था। 1970 में ट्रांस अमेज़न महामार्ग बनने से वर्षावन के सभी भागों तक पहुँचना संभव हो गया। अनेक स्थानों पर पहुँचने के लिए हवाईजहाजों तथा हेलीकॉप्टरों का उपयोग किया जाता है। इस प्रक्रिया के फलस्वरूप वहाँ की मूल आबादी को उस क्षेत्र से बाहर निकलकर नए क्षेत्र में बसना पड़ा जहाँ वे अपने पौराणिक तरीके से खेती करते रहे हैं।

विकास की गतिविधियों के कारण जैविक विविधता वाले वर्षावन धीरे-धीरे नष्ट हो रहे हैं। एेसा अनुमान है कि प्रतिवर्ष अमेज़न बेसिन के वर्षावन का बड़ा भाग लुप्त होता जा रहा है। आप देख सकते हैं कि वर्षावनोें के लुप्त होने से व्यापक प्रभाव होता है (चित्र 8.6)। वर्षा के कारण मिट्टी की ऊपरी परत बह जाती है एवं सघन वन बंजर भूमि में बदल जाता है।

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चित्र 8.6: वनों का क्रमिक विनाश


गंगा-ब्रह्मपुत्र बेसिन में जीवन


गंगा तथा ब्रह्मपुत्र सहायक नदियाँ मिलकर भारतीय उपमहाद्वीप में गंगा-ब्रह्मपुत्र बेसिन का निर्माण करती है (चित्र 8.8) यह बेसिन उपोष्ण में 10° उत्तर से 30° उत्तर अक्षांश के मध्य स्थित है। घाघरा, सोन, चंबल, गंडक, कोसी जैसी गंगा की सहायक नदियाँ एवं ब्रह्मपुत्र की सहायक नदियाँ इसमें अपवाहित होती हैं। एटलस की सहायता से ब्रह्मपुत्र की कुछ सहायक नदियों के नाम ढूँढ़ें।


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चित्र 8.7: ब्रह्मपुत्र नदी

गंगा एवं ब्रह्मपुत्र के मैदान, पर्वत एवं हिमालय के गिरिपाद तथा सुंदरवन डेल्टा इस बेसिन की मुख्य विशेषताएँ हैं। मैदानी क्षेत्र में अनेक चापझील पाई जाती हैं। यहाँ की जलवायु मुख्यतः मानसूनी हैं। मानसून में मध्य जून से मध्य सितंबर के बीच वर्षा होती है। ग्रीष्म ऋतु में गर्मी एवं शीत ऋतु में ठंड होती है।

भारत का मानचित्र देखिए। उन राज्यों के नाम बताइये जहाँ गंगा-ब्रह्मपुत्र बेसिन स्थित है (चित्र 8.8)।


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चित्र 8.8: गंगा-ब्रह्मपुत्र बेसिन


बेसिन क्षेत्र में विभिन्न प्रकार की स्थलाकृति हैं। जनसंख्या के वितरण में पर्यावरण की प्रमुख भूमिका होती है। तीव्र ढाल वाले पर्वतीय क्षेत्र बसने के लिए प्रतिकूल हैं अतः गंगा-ब्रह्मपुत्र बेसिन के पर्वतीय क्षेत्र में कम लोग रहते हैं। मानव प्रवास के लिए मैदानी क्षेत्र सबसे उपयुक्त है, अतः यहाँ जनसंख्या घनत्व अधिक है। यहाँ की मिट्टी उपजाऊ है। जिन स्थानों पर फसल उगाने के लिए समतल भूमि उपलब्ध है वहाँ के लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि है। धान यहाँ की मुख्य फसल है (चित्र 8.9)। चूँकि धान की खेती के लिए पर्याप्त जल की आवश्यकता होती है, यह उसी क्षेत्र में उगाया जाता है जहाँ अधिक वर्षा होती है।


आओ कुछ करके सीखें

ब्रह्मपुत्र नदी को विभिन्न स्थानों पर विभिन्न नामों से जाना जाता है। इस नदी के अन्य नामों का पता लगाइये।


शब्दावली

जनसंख्या घनत्व का अर्थ है, एक वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में रहने वाले लोगों की संख्या। उदाहरणतः उत्तराखंड का जनसंख्या घनत्व 189 है जबकि पश्चिम बंगाल का 1029 तथा बिहार का 1102


क्रियाकलाप 

जूट, बाँस एवं सिल्क से बने हस्तशिल्प एकत्रित करें। उन्हें अपनी कक्षा में सजाएँ। उन स्थानों का पता लगाएँ जहाँ उनका निर्माण हुआ था।

यहाँ उगायी जाने वाली अन्य फसलें गेहूँ, मक्का, ज्वार, चना एवं बाजरा हैं। गन्ना एवं जूट जैसी नगदी फसलें भी उगायी जाती हैं। मैदान के कुछ क्षेत्रों में केले के बागान भी देखे जाते हैं। पश्चिम बंगाल एवं असम में चाय के बागान मिलते हैं (चित्र 8.10)। बिहार एवं असम के कुछ भागों में सिल्क के कीड़ों का संवर्धन कर सिल्क का उत्पादन किया जाता है। मंद ढलान वाले पर्वतों एवं पहाड़ियों पर वेदिकाओं में फसलें उगायी जाती हैं

विभिन्न भू-आकृतियों के अनुसार वनस्पति में भी विभिन्नता पायी जाती है। गंगा-ब्रह्मपुत्र के मैदानों में सागवान, साखू एवं पीपल के साथ उष्णकटिबंधीय पर्णपाती पेड़ भी पाए जाते हैं। ब्रह्मपुत्र के मैदानी क्षेत्रों में घने बाँस के घने झुरमुट पाए जाते हैं। डेल्टा क्षेत्र मैंग्रोव वन से घिरा है। उत्तराखंड, सिक्किम एवं अरुणाचल प्रदेश की ठंडी जलवायु एवं तीव्र ढाल वाले भागों में चीड़, देवदार एवं फर जैसे शंकुधारी पेड़ पाए जाते हैं।

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चित्र 8.9: धान की कृषि

 

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चित्र 8.10: असम में चाय बागान


बेसिन में विविध प्रकार के वन्यजीव पाए जाते हैं। इनमें हाथी, बाघ, हिरण एवं बंदर आदि सामान्य रूप से पाए जाने वाले जीव हैं। एक सींग वाला गैंडा ब्रह्मपुत्र के मैदानों में पाया जाता है (चित्र 8.11)। डेल्टा क्षेत्र में बंगाल टाइगर, मगर एवं घड़ियाल पाए जाते हैं (चित्र 8.12)। नदी के साफ़ जल, झील एवं बंगाल की खाड़ी में प्रचुर मात्रा में जलीय जीव पाए जाते हैं। रोहू, कतला एवं हिलसा मछलियों की सबसे लोकप्रिय प्रजातियाँ हैं। मछली एवं चावल इस क्षेत्र में रहने वाले लोगों का मुख्य आहार है।

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चित्र 8.11: एक सींग वाला गैंडा


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चित्र 8.12: मगर


क्या आप जानते हैं ?

वेदिकाओं का निर्माण खड़ी ढलानों पर समतल सतह बना कर कृषि करने के लिए होता है। ढलान को इसलिए हटाया जाता है कि जल का प्रवाह तीव्रता से न हो।

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वेदिका कृषि

गंगा-ब्रह्मपुत्र के मैदानों में कई बड़े शहर एवं कस्बे स्थित हैं। इलाहाबाद, कानपुर, वाराणसी, लखनऊ, पटना एवं कोलकाता जैसे 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहर गंगा नदी के तट पर ही स्थित हैं (चित्र 8.13)। इन शहरों तथा यहाँ स्थित उद्योगों का गंदा पानी बहकर नदी में ही जाता है जिससे नदी प्रदूषित होती है।


क्या आप जानते हैं ?

गंगा एवं ब्रह्मपुत्र नदी के अलवण जल में एक प्रकार की डॉल्फिन पाई जाती है जिसे स्थानीय भाषा में ‘सुसु’ (अथवा अंधी डॉल्फिन) कहा जाता है। सुसु की उपस्थिति से जल की शुद्धता का पता चलता है। रसायन की अत्यधिक मात्र वाले गैर उपचारित औद्योगिक एवं शहरी गंदगी इन प्रजातियों को नष्ट कर रहे हैं।

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अंधी डॉल्फिन 


झील: जीविका का साधन

(एक केस अध्ययन)

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साफ़ झील

विनोद एक मछुआरा है जो बिहार के मतवाली मौन गाँव में रहता है। आज वह एक प्रसन्न व्यक्ति है। मछलियों की विभिन्न प्रजातियों को पालने के लिए उसने अपने साथी मछुआरों-रविन्द्र, किशोर, राजीव तथा अन्य के साथ मौन या चापझील को साफ़ किया। झील में उगने वाले स्थानीय खरपतवार (वैलीनेरिया, हाइड्रिला) मछलियों का भोजन बनते हैं। झील के आस-पास की भूमि उपजाऊ है। वह इस ज़मीन पर धान, मक्का एवं दलहन जैसी फसलें बोता है। खेत की जुताई के लिए भैंसे का उपयोग किया जाता है। वहाँ के लोग बहुत संतुष्ट हैं। नदी में पकड़ने, खाने व बेचने के लिए काफी मछलियाँ हैं जिन्हें पकड़कर वो पास के शहरों में भी बेचते हैं। यह समुदाय प्रकृति के साथ समरसता बनाकर रहता है। जब तक पास के शहरों का प्रदूषण इस झील तक नहीं पहुँचता तब तक मत्स्य पालन को कोई खतरा नहीं है।

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प्रदूषित झील


क्या आप जानते हैं ?

सार्वभौमिक स्वच्छता कवरेज प्राप्त करने और स्वच्छता पर ध्यान केन्द्रित करने के प्रयासों में तेजी लाने के लिए भारत के प्रधानमंत्री ने 2 अक्तूबर 2014 को ‘स्वच्छ भारत मिशन’ का शुभारंभ किया।

बेसिन में यातायात का सुविकसित तंत्र उपस्थित है। आप देख सकते हैं कि गंगा-ब्रह्मपुत्र बेसिन में यातायात के चार मार्ग सुविकसित हैं। मैदानी इलाकों के लोग सड़कमार्ग एवं रेलमार्ग द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाते हैं। नदी के तटीय क्षेत्रों में जलमार्ग यातायात का प्रभावशाली माध्यम है। कोलकाता हुगली नदी पर स्थितएक महत्त्वपूर्ण पत्तन है। मैदानी क्षेत्र में कई बड़े हवाई पत्तन भी स्थित हैं।


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चित्र 8.13: गंगा नदी के तट पर स्थित वाराणसी शहर

पर्यटन इस बेसिन की एक महत्त्वपूर्ण क्रिया है। आगरा में यमुना के किनारे स्थित ताजमहल, इलाहाबाद में गंगा एवं यमुना नदी का संगम, उत्तर प्रदेश एवं बिहार में बौद्ध स्तूप, लखनऊ का इमामबाड़ा, असम का काजीरंगा एवं मानस वन्य प्राणी अभयवन तथा अरुणाचल प्रदेश की विशिष्ट जनजातीय संस्कृति जैसे कई दर्शनीय स्थल हैं (चित्र 8.14)।


क्या आप जानते हैं ?

गंगा नदी के संरक्षण के लिए ‘नमामी गंगे’ कार्यक्रम को शुरू किया गया है।


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चित्र 8.14: मानस वन्य प्राणी अभयवन में बाघ

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1. निम्न प्रश्नों के उत्तर दीजिए–

(क) उस महाद्वीप के नाम बताएँ जो अमेज़न बेसिन में स्थित है।

(ख) अमेज़न बेसिन के लोग कौन-सी फ़सल उपजाते हैं?

(ग) अमेज़न के वर्षावन में कौन-से पक्षी पाए जाते हैं?

(घ) गंगा नदी के तट पर कौन से प्रमुख शहर स्थित हैं?

(च) एक सींग वाले गैंडे कहाँ पाए जाते हैं?

2. सही () उत्तर चिह्नित कीजिए–

(क) टूकन क्या हैं?

(i) पक्षी (ii) पशु (iii) फसलें

(ख) मैनियॉक कहाँ का प्रमुख भोजन है?

(i) गंगा बेसिन (ii) अफ़्रीका (iii) अमेज़न

(ग) कोलकाता किस नदी के तट पर स्थित है?

(i) अॉरेन्ज (ii) हुगली (iii) भागीरथी

(घ) देवदार एवं फ़र किसके प्रकार हैं?

(i) शंकुधारी वृक्ष (ii) पर्णपाती वृक्ष (iii) क्षुप

(च) बंगाल टाईगर कहाँ मिलते हैं?

(i) पर्वतों में (ii) डेल्टा क्षेत्रों में (iii) अमेज़न में

3. निम्नलिखित स्तंभों को मिलाकर सही जोड़े बनाइए–

(क) सूती कपड़े (i) असम

(ख) मलोका (ii) वेदिका कृषि

(ग) पिरान्या (iii) रेशम कीटपालन

(घ) रेशम कीट (iv) ढालू छत

(च) काजीरंगा (v) गंगा के मैदान

(vi) वाराणसी

(vii) मत्स्य

4. कारण बताइए–

(क) वर्षावन लुप्त हो रहे हैं।

(ख) गंगा-ब्रह्मपुत्र के मैदानों में धान की कृषि होती है।

5. मानचित्र कौशल–

(क) भारतीय प्रायद्वीप के रेखा मानचित्र पर गंगा, ब्रह्मपुत्र नदियों को उद्गम से मुहाने तक दर्शाएँ। दोनों नदियों की महत्त्वपूर्ण सहायक नदियों को भी दर्शाएँ।

(ख) दक्षिण अमेरिका के राजनीतिक मानचित्र पर भूमध्य रेखा खींचें। उन देशों को चिह्नित करें जहाँ से भूमध्य रेखा गुज़रती है।

6. आओ खेलें–

एक दीवार पर भारत के आकर्षक स्थानों के चित्रों को दर्शाएँ। पर्वतीय भू-दृश्य, समुद्री तटों, वन्यजीव-स्थलों तथा एेतिहासिक महत्त्व के स्थानों को दर्शाने के लिए आप अपनी कक्षा को विभिन्न समूहों में विभाजित कर सकते हैं।


7. क्रियाकलाप–

निम्नलिखित सामग्री एकत्रित करें। प्रक्रम के समय देखें कि किस प्रकार पेड़ों का विनाश मृदा को प्रभावित करता है।

सामग्री

(i) तीन छोटे गमले या डिब्बे (शीतल पेय के टिन का डब्बा)

(ii) तली में छेद किया हुआ एक बड़ा डिब्बा (यह पानी छिड़कने का कार्य करेगा)

(iii) 12 सिक्के या बोतल के ढक्कन

(iv) मिट्टी।

चरण

तीन छोटे डिब्बे या गमले लीजिए। उन्हें ऊपर तक मिट्टी से भर दें। डिब्बे के मुँह के बराबर मिट्टी को दबाएँ। अब प्रत्येक डिब्बे की मिट्टी पर चार सिक्के या बोतल के ढक्कन रख दें। इसके पश्चात, एक छेद किए हुए बड़े डिब्बे में पानी भर लें। आप अपने बगीचे से पानी छिड़कने वाला डिब्बा भी ले सकते हैं। अब तीनों डिब्बों पर पानी का छिड़काव करें। पहले डिब्बे पर धीमे से छिड़काव करें ताकि मिट्टी छलक कर बाहर न आ जाए। दूसरे डिब्बे पर पहले केन से अधिक पानी छिड़कें। तीसरे डिब्बे पर छिड़काव और तेजी से करें। आप देखेंगे कि असुरक्षित मिट्टी बाहर निकल आती है। जब ‘वर्षा’ तेज होती है तब अधिक मात्रा में मिट्टी बहकर बाहर निकल आती है जबकि पहले डिब्बे में सबसे कम मात्रा में मिट्टी बाहर निकलती है। ढक्कन, पेड़ों के आवरण को दर्शाता है। स्पष्ट है कि यदि पृथ्वी से वनस्पति संपूर्ण रूप से नष्ट हो जाए तो मिट्टी की परत भी शीघ्र ही विलुप्त हो जाएगी।

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